खूबसूरती क्या है? गोरा रंग सुडौल काया, ऊँचाकद, तीखे नाक-नक्श तथा मादक, रसीले और गुलाबी होठ... नहीं ये तो महज ऊपरी खोल है। फिर, सुन्दरता दरअसल, रचनात्मकता का नाम है, सृजन में ही है असली सौदर्य। सुन्दरता है किसी के लिए कुछ कर गुजरने की ललक। संसार को बाहों में समेट लेने का हौसला और जीवन को सकारात्मकता के साथ देखना ही है अलसी खूबसूरती....। क्या हम दुनिया की कृत्रिमता से ऊब नहीं गये हैं, कहीं हमें सौदर्य को पुनः परिभाषित करने की जरूरत तो नहीं है? ?