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1. D A I L Y N E X T
C A P S U L E W I L L
H E L P Y O U T O
P R O V I D E
2nd floor, shahar plaza, munshi pulia, indira nagar, lucknow
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2. भारतीय संिवधान का अनु छेद 142
संदभ:
हाल ही म, सु ीम कोट ने संिवधान के अनु छेद 142
(Article 142) के तहत, पूण याय करने के िलए अपनी
असाधारण शि य का इ तेमाल करते ए पूव
धानमं ी राजीव गांधी ह याकांड म सजाया ता एजी
पेरा रवलन को रहा करने का आदेश दया है।
इसक आव यकता:
अदालत ने पेरारीवलन क लगभग 30 वष क
िव ता रत कै द पर िवचार करने के बाद उसक
वतं ता का आदेश दया है।
अपराधी ारा मा यािचका तुत कए जाने के
बाद काफ लंबी ती ा और मा यािचका पर
िनणय लेने के िलए रा यपाल क अिन छा के
कारण, शीष अदालत को अपने संवैधािनक
अिधकार का इ तेमाल करना पड़ा है।
अनु छेद 142 के बारे म:
1989 म ‘यूिनयन काबाइड मामले’ से लेकर 2019 म अयो या राम मं दर के फै सले तक, शीष अदालत ने कई बार संिवधान के
‘अनु छेद 142’ के तहत अपनी असाधारण शि य का इ तेमाल कया है।
अनु छेद 142 के अंतगत उ तम यायालय को प कार के म य ‘पूण याय’ करने क अि तीय शि दान क गई है, अथात, जब
कभी थािपत िनयम एवं कानून के तहत कोई समाधान नह िनकल पाता है, तो ऐसे म अदालत, मामले से संबंिधत त य के मुतािबक़
िववाद पर ‘अंितम फै सला’ सुना सकती है।
संिवधान सभा ारा संिवधान म ‘अनु छेद 142’ को शािमल करने क आव यकता य महसूस क गयी?
संिवधान सभा ने संिवधान म इस तरह के एक अनु छेद को शािमल करने के मह व पर जोर दया।
संिवधान के रचनाकार का मानना था, क यह ावधान ‘आव यक उपचार दान करने म कानूनी व था क ितकू ल ि थित
के कारण पीिड़त होने के िलए मजबूर ि य के िलए मह वपूण है।
रा पित एवं रा यपाल क मादान शि य म अंतर:
अदालत ने क के इस तक को खा रज कर दया, क भारतीय दंड संिहता क धारा 302 (ह या क सजा) के तहत कसी
मामले म के वल ‘रा पित’ को मादान देने क शि है और इस कार के मामले म रा यपाल के पास मादान क शि नह
है।
य क, यह सरकार का यह तक ‘अनु छेद 161’ को “ भावहीन” घोिषत कर देगा, िजसके प रणाम व प एक असाधारण
ि थित उ प हो जाएगी िजसम 70 साल पहले क ह या के मामल म रा यपाल ारा दए गए मादान को अमा य कर
दया जाएगा।
3. “ ितभाशाली ब ा” – एआईसीटीई ारा अहता मानदंड
(“Gifted Child”- Qualifying Criteria By AICTE)
संदभ:
िपछले महीने, ‘अिखल भारतीय तकनीक िश ा
प रषद’ (All India Council for Technical
Education – AICTE) ने कहा है, क सभी
सं थान को “ ितभाशाली ब ा” ेणी (“Gifted
Child” Category) के तहत दो अित र सीट
अलग रखने क अनुमित दी जाएगी।
हाल ही म, ‘अिखल भारतीय तकनीक िश ा
प रषद’ ारा इसके िलए मानदंड जारी कए गए
ह।
“ ितभाशाली ब ा” ेणी म शािमल होने के िलए मानदंड:
1. सरकार या कसी मा यता ा िनजी िनकाय ारा आयोिजत कम से कम एक रा ीय/अंतरा ीय तर क ितयोिगता का
पुर कार िवजेता।
2. अिभनव एवं मौिलक प रयोजना को आगे बढ़ाने के िलए कसी सरकारी एजसी से िव ीय सहायता ा क हो।
3. अ यथ का मु य लेखक के प म कोई उ गुणव ा वाला मौिलक शोध-लेख कसी समक - समीि त पि का म कािशत हो
चुका हो।
4. भारतीय या अंतररा ीय पेटट कायालय ारा दए गए कसी पेटट का मु य धारक हो।
5. अ यथ ,गूगल/ए पल/ वंडोज टोर पर कसी ऐप का मािलक हो, या बाजार म एक ौ ोिगक आधा रत अिभनव उ पाद
लॉ च करने क या म हो या लॉ च कर चुका हो, िजसके 10,000 से अिधक डाउनलोड कए जा चुके हो।
इस ेणी म शािमल होने वाले छा के िलए लाभ:
इस योजना के तहत, छा को वेश देने वाले सं थान वेिशत छा को पूरी तरह से ूशन-शु क से छूट देने के िलए ितब ह गे।
जाग कता क ज रत:
कई ितभाशाली छा ‘उ उपलि ध हािसल करने वाले के प म’ पहचान नह बना पाते ह य क उ ह उपयु मंच नह
िमल पाता है।
उनक गणना शायद ‘ कू ल म खराब कोर करने’ के कारण नह क जाती है, ले कन वे संभािवत प से उ उपलि ध हािसल
करने वाले हो सकते ह।
दो आरि त अित र सीट के ावधान का उ े य, उन छा क ज मजात मता को अिधकतम करना है िज ह ने कम अंक
ा कए ह या वेश परी ा नह दी है।
4. RFID टैग
संदभ:
अब अमरनाथ तीथयाि य को ैक करने के िलए ‘रेिडयो सी आइड ट फके शन’ (Radio Frequency Identification –
RFID) टैग का इ तेमाल कया जाएगा।
यह िनणय तीथया ा के दौरान सुर ा खतर म वृि को देखते ए िलया गया है।
RFID के बारे म:
‘रेिडयो सी आइड ट फके शन’ (RFID), एक ‘टैग’ और ‘रीडर’ से बना एक ‘वायरलेस ै कं ग िस टम’ है।
इस ‘ ै कं ग िस टम’ म व तु या लोग क जानकारी/पहचान को सं ेिषत करने के िलए रेिडयो तरंग का उपयोग कया जाता
है।
इसम यु ‘टैग’ म एि टेड जानकारी, सी रयल नंबर और संि िववरण दज कए जा सकते ह।
कार – िनि य और स य RFID टैग:
1. स य आरएफआईडी (Active RFIDs) अपने वयं के उजा ोत, यादातर बैटरी का उपयोग करते ह।
2. िनि य आरएफआईडी (Passive RFIDs) को, पाठक के मा यम से ‘िव ुत चु बक य ऊजा’ सारण का उपयोग करके
स य कया जाता है।
कायिविध:
आरएफआईडी टैग कई अलग-अलग आवृि य – िन आवृि (low frequency), उ आवृि (High Frequency – HF)
और अ ा-उ आवृि (ultra-high frequency – UHF) – पर रेिडयो तरंग का उपयोग करके ‘रीडर’ (पाठक) के साथ
संवाद करने के िलए एक एक कृ त स कट और एंटीना का उपयोग करते ह।
‘टैग’ ारा ‘रेिडयो तरंग ’ के प म वापस भेजे गए संदेश को डेटा म अनुवा दत कया जाता है और इसका हो ट कं यूटर
िस टम ारा िव ेषण कया जाता है।
बारकोड के िवपरीत, RFID को व तु क पहचान करने के िलए ‘सीधी दृि ’ क आव यकता नह होती है।
पे ोल म इथेनॉल िम ण तीन वष म 20% तक बढाए जाने क योजना
संदभ:
हाल ही म, क ीय मंि मंडल ने ‘रा ीय जैव- धन नीित’ – 2018 (National Policy on Biofuels-2018 : NBP-2018) म
संशोधन को मंजूरी दे दी है।
5. संशोधन के अनुसार:
धन फम के िलए गैसोलीन म इथेनॉल का अनुपात 20% तक बढ़ाने के िलए वष 2025 तक क समय सीमा िनधा रत क
गयी है।
20% इथेनॉल शु करने क नीित 1 अ ैल, 2023 से लागू होगी।
20% इथेनॉल सि म ण के लाभ (नीित आयोग क रपोट
के अनुसार):
1. ित वष िवदेशी मु ा क ₹30,000 करोड़ क
बचत।
2. ऊजा सुर ा म वृि ।
3. काबन उ सजन म कमी।
4. बेहतर वायु गुणव ा।
5. आ मिनभरता।
6. ख़राब हो चुके खा ा का बेहतर उपयोग।
7. कसान क आय म वृि और िनवेश के अिधक
अवसर।
इथेनॉल सि म ण – भारत का अब तक का सफर :
13 माच, 2022 तक, भारत म 9.45 ितशत इथेनॉल िम ण का ल य हािसल कर िलया था। िव ीय वष 2022 के समापन तक, यह
इथेनॉल िम ण 10% तक प ँचने क संभावना है।
चुनौितयां:
धन के प म, पे ोल म 10% तक इथेनॉल िम ण का इ तेमाल करने के िलए, वाहन के इंजन म बड़े प रवतन करने क
आव यकता नह होती है, ले कन 20% िम ण के िलए कु छ प रवतन क आव यकता हो सकती है और िजससे वाहन क
क मत भी बढ़ सकती ह।
अिधक सि म ण का एक अथ यह भी हो सकता है क ग े जैसी ‘जल-गहन’ फसल के िलए अिधक भूिम का उपयोग कया
जाएगा, िजसके िलए वतमान म सरकार सि सडी देती है।
2025 तक 16 िबिलयन लीटर इथेनॉल क मांग: इसके िलए 2025 तक ित वष 60 लाख टन चीनी और 16.5 िमिलयन टन
अनाज क आव यकता होगी।
इस हेतु भूिम िविनयोजन म वृि , पे ोल के साथ इथेनॉल िमलाने से होने वाले उ सजन म वा तिवक कमी पर भी िच न
लगाता है।
इथेनॉल के बारे म:
इथेनॉल (Ethanol), एिथल अ कोहल नामक एक काबिनक यौिगक है जो बायोमास से िन मत कया जाता है। यह मादक पेय पदाथ म
यु होने वाला एक घटक भी है।
गैसोलीन क तुलना म इथेनॉल क ‘ऑ टेन सं या’ (octane number) अिधक होती है, इसिलए इसके िम ण से पे ोल क
ऑ टेन सं या म सुधार होता है।
6. चूं क इथेनॉल म ‘ऑ सीजन’ होता है, इसिलए यह धन के पूण दहन म मदद करता है, िजसके प रणाम व प कम उ सजन
होता है।
NGT शि य के अित र यायोजन का मामला नह है: सु ीमकोट
(NGT not a case of extra delegation of powers: SC)
संदभ:
सु ीम कोट ने, हाल ही म सुनाए गए एक फै सले म ‘रा ीय ह रत अिधकरण अिधिनयम’ (National Green Tribunal Act – NGT
Act) के िविभ ावधान को बरकरार रखा है।
संबंिधत करण:
कु छ समय पूव, ‘म य देश हाईकोट एडवोके स बार एसोिसएशन’ ने ‘रा ीय ह रत अिधकरण अिधिनयम’ के कु छ ावधान को चुनौती
दी थी।
सु ीम कोट ारा सुनाया गया फै सला:
एनजीटी अिधिनयम (NGT Act) क धारा 3 के संबंध म: यह क सरकार को ब त अिधक शि दए जाने का मामला नह
है। इस ावधान के तहत, क सरकार को ‘रा ीय ह रत अिधकरण’ (NGT) का गठन करने संबंधी अिधकार दया गया है।
इसिलए, ‘रा ीय ह रत अिधकरण’ क यायियक पीठ को अ याव यकता के अनुसार ग ठत कया जा सकता है और हर
रा य म इनका गठन करना आव यक नह है।
एनजीटी अिधिनयम क धारा 14 और 22 के तहत ‘रा ीय ह रत अिधकरण’ का े ािधकार, संिवधान के अनु छेद 226 और
227 के तहत उ यायालय के े ािधकार म बाधा नह डालता है, य क दोन आपस म एक दूसरे से जुड़े ए ह।
रा ीय ह रत अिधकरण (NGT) के बारे म:
रा ीय ह रत अिधकरण (National Green Tribunal- NGT) क थापना 18 अ ूबर, 2010 को रा ीय ह रत अिधकरण
अिधिनयम, 2010 के तहत क गई थी।
इसक थापना, पयावरण बचाव और वन संर ण और अ य ाकृ ितक संसाधन सिहत पयावरण से संबंिधत कसी भी कानूनी
अिधकार के वतन और इससे जुडे़ ए मामल का भावी एवं व रत िनपटान करने हेतु क गयी है।
यह अिधकरण िसिवल या संिहता, 1908 के तहत िनधा रत या से बा य नह है, तथा यह ाकृ ितक याय के िस ांत
से िनदिशत होगा।
अिधकरण के िलए, आवेदन और यािचका को, उनके दायर कये जाने से 6 माह के भीतर, िनपटान करने का अिधदेश दया
गया है।
रा ीय ह रत अिधकरण क थापना के साथ ही, भारत ‘िवशेष पयावरण यायािधकरण’ थािपत करने वाला िव म ऑ ेिलया और
यूजीलड के बाद तीसरा देश तथा पहला िवकासशील देश बन गया है।
रा ीय ह रत अिधकरण क संरचना:
1. रा ीय ह रत अिधकरण, म एक पूणकािलक अ य और यूनतम 10 तथा अिधकतम 20 पूणकािलक याियक एवं िवशेष
सद य होते ह।
7. 2. अ य : इस अिधकरण का शासिनक मुख होता है तथा वह याियक सद य के प म भी काय करता है। अ य पद पर
िनयु कये जाने वाले ि के िलए उ यायालय का सेवारत अथवा सेवािनवृ मु य यायाधीश या भारत के सव
यायालय का यायाधीश होना आव यक है।
सद य का चयन:
1. रा ीय ह रत अिधकरण के सद य का चयन, एक चयन सिमित (भारत के सव यायालय के एक यायाधीश क अ य ता
म) ारा कया जाता है। यह सिमित सभी आवेदन क समी ा करती है और सा ा कार आयोिजत करती है।
2. याियक सद य के प म उ यायालय के यायाधीश या सेवािनवृ यायाधीश का चयन कया जाता है।
3. िवशेष सद य के प म चयिनत होने क िलए आवेदक को, भारत सरकार के अित र सिचव या उससे ऊपर के पद पर
कायरत अथवा सेवािनवृत नौकरशाह; रा य सरकार के अधीन सेवारत धान सिचव पद पर कायरत अथवा सेवािनवृत
नौकरशाह तथा पयावरणीय मामल से िनपटने का यूनतम पांच वष का अनुभव होना चािहए। अथवा िवशेष सद य सद य
के पास संबंिधत े म डॉ टरेट िड ी होना चािहए।
NHRC ारा मानवािधकार पर दूषण के भाव के बारे म चेतावनी
संदभ:
दूषण और वा य पर ‘लसेट’ (Lancet) ारा कािशत एक नवीनतम रपोट म, भारत म मानव वा य पर बढ़ते दूषण
के भाव पर काश डाला गया है।
इसके बाद, रा ीय मानवािधकार आयोग (NHRC) ने क सरकार और रा य सरकार को पयावरण दूषण और रण के
मानवािधकार पर पड़ने वाले भाव को रोकने, कम करने और समा करने के िलए एक सलाह जारी क है।
रपोट के मुख बंदु:
भारत िविश िन कष-
1. 2019 के दौरान भारत म वायु दूषण क वजह से 16.7 लाख मौत ई थी, जो क उस वष देश म कु ल मौत का 17.8% थी।
2. यह कसी भी देश म वायु दूषण से संबंिधत मौत क सबसे बड़ी सं या है।
3. इनमे से 9.8 लाख मौत PM5 दूषण के कारण और अ य 6.1 लाख मौत घरेलू वायु दूषण के कारण ई थी।
4. अ यिधक गरीबी से जुड़े दूषण ोत (जैसे इनडोर वायु दूषण और जल दूषण): इन दूषण ोत क सं या म कमी ई है;
ले कन, यह कमी औ ोिगक दूषण (जैसे प रवेशी वायु दूषण और रासायिनक दूषण) के कारण होने वाली मौत म वृि से
संतुिलत हो जाती है।
5. सबसे बुरी तरह भािवत थान: संधु-गंगा के मैदानी े म वायु दूषण क सम या सबसे गंभीर है। इस े म नई द ली
और कई सबसे दूिषत शहर आते ह।
6. कारण: घर म जव धन (बायोमास) का जलना भारत म वायु दूषण से होने वाली मौत का सबसे बड़ा कारण है, इसके बाद
कोयले का दहन और फसल जलाना का थान है।
7. सीसा-िवषा ता: 27.5 करोड़ ब म र म सीसा (Lead) क मा ा 5 माइ ो ाम/डेसीलीटर (5 µg/dL) से अिधक होने
का अनुमान है।
8. भारत म 2000 और 2019 के बीच जीडीपी के अनुपात के प म दूषण के आधुिनक प के कारण आ थक नुकसान म वृि
ई है, जो क जीडीपी का 1 फ सदी है।
8. वैि क िन कष:
1. िव तर पर, के वल वायु दूषण से 66.7 लाख मौते होती है।
2. कु ल िमलाकर, 2019 म दूषण के कारण अनुमािनत 90 लाख मौत (िव भर म ित छह मौत म से एक) ई थी।
3. अनुमान है, क 80 करोड़ से अिधक ब म र म ‘सीसे क सां ता’ 5 माइ ो ाम/डेसीलीटर से अिधक है।
4. इसके िलए िज मेदार कारक म, प रवेशी वायु दूषण म वृि , बढ़ते रासायिनक दूषण, बढ़ती आबादी और दूषण के संपक
म आने वाले लोग क सं या म वृि , शािमल है।
5. जीवा म धन वायु दूषण क वैि क लागत, लगभग 8 िबिलयन अमे रक डॉलर ित दन होने का अनुमान है।
वायु दूषण से िनपटने के िलए भारत ारा कए जा रहे यास:
भारत ने वायु दूषण से िनपटने के िलए िन िलिखत काय म क शु आत क है:
1. धानमं ी उ वला योजना काय म।
2. यू रा ीय व छ वायु काय म (Q National Clean Air Programme)।
3. 2019 म, रा ीय राजधानी े म वायु गुणव ा बंधन आयोग का गठन।
आगे क चुनौितयां:
1. भारत क ‘वायु दूषण िनयं ण पहल’ कसी एक क ीकृ त शासिनक संगठन ारा िनदिशत नह है।
2. वायु क सामा य गुणव ा म ब त धीरे-धीरे और असमान प से सुधार आ है।