ेषक:- ाम रीयवनािधकार सिमित िदनांक..................................
ाम.............................................................
तहसील पिलया कलां-खीरी
वा े:-
अ ः - रा रीय िनगरानी सिमित वनािधकार उ र देश
मु सिचव महोदय उ र देश सरकार
लखनऊ उ0 0
माफतः - िजलािधकारी खीरी
िवषयः - दुधवा े खीरी क
े हमारे 20 गॉवों ारा वनािधकार कानून-2006 िनयमावली संशोधन-2012
क
े तहत िकये गये दावों को िजला रीय सिमित खीरी ारा िनर िकये जाने क
े स ंध म रा
िनगरानी सिमित म अपील।
आदरणीय महोदय
िवषय से स ंिधत िजला रीय वनािधकार सिमित खीरी उ0 0 ारा हमारे दावों को िनर िकये जाने
वाले आदेशों क
े स भ म आपको इस कानून की रा िनगरानी सिमित का अ होने क
े नाते हम
िब दुवार यह कहना है िकः -
1. यह िक िजला रीय सिमित को ाम सभा ारा दायर िकये दावे को िनर करने का
वनअिधकार कानून 2006 (अनूसुिचत जनजाती और अ पर रागत वन िनवासी (वनािधकारों की
मा ता कानून, २००६ ) म कोई कानूनी ावधानही है। धारा -–। िज़ला रीय सिमित क
े वल दावो का
अनुमोदन कर अंितम प दे सकती है िजसे की
उपख रीय सिमित ारा पास िकया गया है। जैसा िक अनुसूिचत जनजाित और अ पारंप रक
वनवासी िनयम 2008 क
े िनयम 8 म िकया गया है िजसम िवशेष प से िजला रीय सिमित क
े
काय का उ ेख है िज गांव ारा दायर दावों को अ ीकार करने का अिधकार नहीं है।
2. यह िक िज़ला रीय सिमित ारा समुदाियक दावो को खा रज करना यह दशाता है िक या तो
िज़ला सिमित वनािधकार कानून को समझते नही है या िफर िज़ला रीय सिमित ारा यह
कदम जान बूझ कर उठाया गया है जो िक वन िवभाग से े रत लगता है जो नही चाहते वनों म
वनाि त समुदाय का िनयं ण हो।
3. यह िक दावा िनर करने का अिधकार क
े वल ाम रीय सिमित को है न िक िजला रीय
सिमित को। व अगर िज़ला रीय सिमित इस पर कोई िनणय नही ले सकती है तो उ दावो को ाम
रीय सिमित को अपनी िट णी लगाते ए वािपस सौपने चािहए। जबिक िज़ला
रीय सिमित ने ाम सभा ारा पा रत दावो को वािपस नही िकया है और आिधका रक प से जवाब
देने म भी कई महीने लगा िदये जो की गैर कानूनी ि या है।
4. यह िक िजला रीय सिमित ारा संसद क
े इस कानून क
े साथ खलवाड़ िकया गया है। हमारे
ाम सभा क
े दावो को िनर करने क
े आदेश म िजला समाज क ाण िवभाग व उप खंड रीय
सिमित ारा धोखा देने वाली कायवाही की गई है। प म दावो को िज़ला रीय सिमित ारा िनर
िकये जाने की तारीख 15 माच 2021 अंिकत की गई है व ाम वनािधकार सिमितयों को इसकी सूचना
2.
20 िसत र2021 को दी जा रही है। यह प भी तब ाम वनािधकार सिमितयों को िमला जब उ ोंने
अपने दावो की खोज करते ए उप खंड रीय सिमित व िजला सिमित को प िलखा। िज़ला सिमित
क
े इस जवाब से यह साफ तौर पर तीत होता है िक िज़ला रीय सिमित गुप् चुप तरीक
े से ाम
सभाओं क
े दावो को वन िवभाग क
े दबाव म पास नही करना चाहती थी इसिलए 60 िदन क
े समय को
यं नज़रअंदाज़ करते ए दावो पर िकसी भी तरह क
े फ
ै सले को दबा कर रखा तािक ाम रीय
वनािधकार सिमित का आपि दायर करने का समय समा हो जाये व मौक
े का फायदा उठाकर
उनक
े दावो को कानून स त न होने का कारण बता कर खा रज कर िदया जाए।
5. यह िक िजला रीय सिमित ारा दावे िनर करने क
े जो कारण िलखे गए ह वह कानून
स त ही नहीं ब असंवैधािनक भी है ोंिक वनािधकार कानून 2006 म संसद म पा रत िकया
गया था िजस की ावना मे सप प से यह िलखा है िक वन समुदाय क
े साथ ऐितहािसक अ ाय
ए ह । इसिलए यह कानून अ म आया | लेिकन िजला रीय सिमित ारा िजस-िजस कारण को
बताते ए दावों को खा रज िकया ह वह कानून क
े अनु प नहीं है । िजला रीय सिमित ारा िजस
गोदाबमन क
े स (1995) की बात कही गई है वह कोट का आदेश है जो की संसद म बनाए 2006
कानून क
े बाद वन े म मायने नहीं रखता। 2006 क
े बाद वन े म वनािधकार कानून ही मा है
जो िक कानून की धारा 13 म प से िलखा है।
ाम सभा क
े दावों को ख़ा रज करने का सव ायालय क
े िजस गोदावमन फ
ै सले की वन िवभाग
ारा उ ेख िकया गया है दरअसल उसकी गलत ा ा की गई है और हमारे समुदाय क
े दावों को
गलत तरीक
े से खा रज करने क
े आधार क
े प म योग िकया गया है। वन अिधकार अिधिनयम,
2006 की धारा 4 दुसरे कानूनों क
े उपर अिधक ताकत देता है| तथा इस संदभ म यह कानून क
सरकार को इन सभी अिधकारों को आिदवासी एवं अ पर रागत समुदायों क
े वन अिधकारों को
सभी रा ों म कानून की धारा 3 क
े आधार पर सुिनि त करता है|
गोदावमन आदेश भारतीय वन अिधिनयम, 1927 क
े औपिनवेिशक कानून पर आधा रत है। इसका
2006 क
े एफ.आर.ए. अिधिनयम म दान िकये गए अिधकारों से कोई र ा नहीं है| वन अिधकार
कानून का र ा बािक कानूनों क
े साथ काफी मह पूरण है िजसे वन िवभाग को समझना ज री है |
2006 क
े अिधिनयम की धारा 13 म प से कहा गया है िक "इस अिधिनयम और पेसा
कानून(अनुसूिचत े ों क
े िलए िव ार),1996 क
े तहत इन क़ानूनी ावधानों को जोड़ कर देखे जाये
नािक इस अिधिनयम क
े क़ानूनी ावधानों को कम करक
े |" वा व म एफ.आर.ए. 2006, 1927 क
े
कानून का थान लेता है िजसका आधार लेकर िज़ला शासन ारा सामुदाियक दावों को अ ीक
ृ त
िकया गया जो सहीं नहीं है|
6. यह िक जब उप खंड रीय सिमित ने दावो को अपनी िट णी लगाते ए पास कर िदया तो
वनािधकार कानून की कौन सी धारा क
े तहत दावो को खा रज िकया गया इसका जवाब हमे िदया
जाय।
एफ.आर.ए., 2006 क
े तहत, दावों को आधारहीन त ों पर ख़ा रज नहीं िकया जा सकता है।
अिधिनयम क
े , अ ाय 4 क
े तहत, कानून उिचत ि याओं का पालन करने का ावधान करता है
और यह भी कहता है िक िकसी भी दावे को खा रज करने से पहले एक उिचत कारण दान िकया
जाना चािहए। एफ.आर.ए. 2006 की धारा 6 क
े तहत, "बशत िक पीिड़त क
े खलाफ ऐसी कोई
यािचका का िनपटारा नहीं िकया जाएगा, जब तक िक उसे अपना मामला पेश करने का उिचत अवसर
न िदया गया हो।" हम यह कहना चाहते ह की इस तरह से हमारे दावों को पा रत करने म अनाव क
देरी ई है और वन िवभाग क
े आदेश पर 2013 से दावों को लंिबत रखा गया है| इसक
े अलावा, दावों
की िकसी भी "अ ीक
ृ ित" को सही ठहराने क
े िलए कोई मजबूत सबूत या कारण दान नहीं िकया
गया है।
3.
7. यह िकिजला रीय सिमित ारा िदये गये इस आदेश क
े पैरा न05 से 9 म 1995 म दायर
टी.एन. गोदावमन िथ मल बनाम यूिनयन आफ इ या मुकदमे क
े फ
ै सले का उ ेख िकया गया है।
जबिक वनािधकार कानून-2006 की धारा 4(7) म उ खत है िक ‘‘वन अिधकार, सभी िव ंगमों
और ि या स ंधी अपे ाओं से मु प से द िकया जायेगा, िजसम वन (संर ण) अिधिनयम-
1980 क
े अधीन अनापि इस अिधिनयम म िविनिद क
े िसवाय वन भूिम म अपयोजन क
े िलये ‘‘शु
वतमान मू ’’ और तीका क वन रोपण का संदाय करने की अपे ा भी स िलत है’’ (1980 का
69)।
यह है िक वन स ंधी िकसी कानून म कोई बात होते ए भी वनािधकार कानून म िदये गये
ावधानों को सव प र माना जायेगा। यािन यह कानून इससे पूव क
े वन स ंधी िकसी भी कानून को
और अदालतों ारा िदये गये फ
ै सलों क
े ऊपर मा है।
यह िक िजला रीय सिमित अपने अिधकार े से बाहर जाकर दावों को ख़ा रज करने का फ
ै सला दे
रही है| और इस तरह, कानून क
े तहत, िकसी भी दावे को "अ ीकार" करने क
े िलए 1995 क
े
गोदावमन मामले का हवाला देने का उ कोई अिधकार नहीं है। िक यह एक पुराना मामला है और
एक औपिनवेिशक कानून क
े इद-िगद घूमता है और 2006 क
े अिधिनयम क
े लागू होने क
े बाद दायर
दावों को भािवत नहीं करना चािहए।
8.यह िक ाम सूरमा क
े मामले म 2003 म इलाहाबाद उ ायालय ारा गाँवों को िव थािपत
िकये जाने क
े आदेश क
े बावज़ूद उ0 0 कानून एवं ाय िवभाग ारा इन आदेशों से आगे जाकर
वनािधकार कानून क
े तहत 2011 म ना िसफ लोगों को उनकी िनवास एवं खेती की ज़मीनों पर
मािलकाना अिधकारों को मा ता दी गयी, ब टाईगर रज़व क
े कोर जोन म होने क
े बावज़ूद
राज का दजा भी िदया गया। िजससे िजला रीय सिमित ारा दी गयी उ दलील तः ही िनर
हो जाती ह।
9. यह िक िजला रीय सिमित ारा िदये गये इस आदेश क
े अ म पैरा म योजनाओं क
े लाभ क
े
अित र यह ीकार िकया गया है िक ाम सूरमा क
े गत दावे ीकार िकये गये। गौरतलब है
िक जब एक कानून क
े तहत गत अिधकारों को मा ता दी जा चुकी है, तो उसी कानून क
े तहत
िकये गये सामुदाियक अिधकारों क
े दावों को क
ै से िनर िकया जा सकता है ? एक ही कानून म
पा ता और अपा ता का यह दोहरा मापदंड यह िस करता है िक सामुदाियक दावों को लेकर िजला
रीय सिमित ारा िलया गया यह िनणय पूरी तरह से कानून एवं कानून क
े िनयमों का पूरी तरह से
उलंघन है।
10.यह िक िजला रीय सिमित ने प म यह िलखा है िक इस गावों क
े लोग ना तो वनों म रह रहे ह
और ना ही वे जीिवका की वा िवक आव कताओं क
े िलये वनों पर िनभरशील ह। जबिक दावाकता
गावों क
े दुधवा क
े वन े म िपछले 200 वष से अिधक समय से बसे होने क
े हमारे पास पुराने
अिभलेख मौजूद है व िजसे हम उपख रीय सिमित क
े सम ुत भी कर चुक
े ह।
10. यह िक अंत म हम यह कहना चाहते ह िक िजला रीय सिमित ारा िलया गया यह िनणय पूरी
तरह से वन िवभाग क
े अिधका रयों की मंशा क
े मुतािबक िलया गया िनणय है। ोंिक पूरे िनणय म
वनािधकार कानून म िदये गये ावधानों का कोई िज ना करक
े ि िटश काल म व आज़ाद भारत म
वनिवभाग को असीिमत ताकत देने वाले व वनाि त समुदाय िवरोधी कानून ‘‘भारतीय वन अिधिनयम-
1927’’ और ‘‘व जीव सुर ा अिधिनयम1972’’ क
े ावधानों को ही आधार बनाया गया है। जबिक
2006 म वनाि त समुदायों क
े साथ उनक
े अिधकारों को पूव क
े िकसी कानून या सरकारी द ावेज़ म
उनक
े अिधकारों को अिभिल खत न करने क
े कारण उनक
े साथ ए ऐितहािसक अ ायों की बात को
‘‘अनुसूिचत जनजाित एवं अ पर रागत वनिनवासी (वन अिधकारों की मा ता) कानून-2006’’
यािन वनािधकार कानून की ावना म देश की माननीय संसद ारा उ खत िकया गया है।
4.
इसक
े अलावा िजलारीय सिमित ारा िदये गये इस िनणय को वनिवभाग क
े अिधका रयों की मंशा
क
े अन प इसिलये भी कहा जा सकता है िक इस िनणय पर वन िवभाग क
े तीन अिधका रयों क
े
द खत ह। जबिक कानून म िदये गये अिधकार प म क
े वल एक ही वनिवभाग क
े अिधकारी क
े
द खत का ावधान है। अिधकार प पर अिधका रक प से सिमित का अ होने क
े नाते
िजलािधकारी महोदय, नोडल ऐजसी िवभाग समाज क ाण अथवा जनजातीय िवभाग क
े अिधकारी
और एक वन िवभाग क
े अिधकारी क
े ह ा र का ही ावधान है।
11. यह िक हम पूरी तरह से संदेह है िक िजला रीय सिमित की उ बैठक िजसम हमारे
सामुदाियक वन संसाधन क
े अिधकारों क
े दावों को िनर करने का िनणय िलया गया वह बैठक भी
कानून म िदये गये ावधानों का पूरी तरह से उलंघन करक
े की गयी है। ोंिक उस बैठक म जब वन
िवभाग क
े तीन अिधका रयों क
े बैठने का ही कोई ावधान नहीं है, तो इस आदेश पर तीन वन िवभाग
क
े अिधका रयों क
े ह ा र क
ै से ए? जबिक वनािधकार कानून म उपख ीय वनािधकार सिमित,
िजला रीय वनािधकार सिमित व रा रीय िनगरानी सिमित म तीन आिदवासी या अ
पर रागत वनिनवासी समुदाय क
े लोगों क
े सद होने की अिनवायता है। ा िजला रीय सिमित
की इस बैठक म वनाि त समुदाय का कोई सद मौजूद भी था या नहीं ? यह भी एक बड़ा सवाल है,
िजसक
े कारण इस बैठक की भी रा िनगरानी सिमित ारा समी ा की जानी चािहये।
12. यह िक एफ.आर.ए. 2006 और संबंिधत 2008 िनयम सभी आिदवािसयों और वनवासी समुदायों
क
े जीवन म एक ऐितहािसक मील का प र ह जो उनक
े जीवन और आजीिवका दोनों की र ा करते
ह। संसद का अिधिनयमन भारत क
े मूलिनवासी, आिदवासी, अ पारंप रक वनवासी समुदायों क
े
एक दशक क
े लंबे संघष और अिभ का प रणाम है और थानीय लोगों को सश बनाकर
ाियक णाली म एक ब त ही आव क बदलाव का तीक है। समुदायों और उनकी ाम सभाओं
को न क
े वल शासन क
े साथ ब उनकी आजीिवका, वनों और भूिम की सुर ा क
े िलए भी। उिचत
ि या और िनयमों का पालन न करने और देरी करने की रणनीित का उपयोग करक
े िजला शासन
इस कानून क
े उ े को हरा देता है जो हमारे िहतों की र ा क
े िलए है। वा व म, यह अिधिनयम
भारतीय संिवधान की अनुसूची V, VI और XI (अनुसूची IX उ र पूव से संबंिधत है) क
े तहत
आिदवासी, और वनाि त समुदायों क
े िलए पहले से बनाए गए संवैधािनक ावधानों को वैधािनक
जीवन और अिधकार देता है।
2006 क
े अिधिनयम क
े 'व ुओं और कारणों का िववरण' भी हमारे िहतों और अिधकारों की र ा
करता है और अिधका रयों ारा इस तरह क
े मनमाने और गैरकानूनी िनणय कानूनी प से गारंटीक
ृ त
सुर ा क
े बावजूद पूरे समुदाय को नुकसान प ंचाते ह। कानून का उ े संिवधान क
े 56 साल बाद
अिधिनयिमत कानून क
े पीछे िवधायी उ े बताते ह, "वन म रहने वाले अनुसूिचत जनजाितयों और
अ पारंप रक वन िनवािसयों म वन भूिम म वन अिधकारों और क े को मा ता देने और िनिहत
करने क
े िलए एक अिधिनयम। ऐसे जंगलों म पीिढ़यों से रह रहे ह लेिकन िजनक
े अिधकारों को दज
नहीं िकया जा सका है; इस कार िनिहत वन अिधकारों और वन भूिम क
े संबंध म इस तरह की
मा ता और िनिहत करने क
े िलए आव क सा की क
ृ ित को रकॉड करने क
े िलए एक परेखा
दान करने क
े िलए। यह भी ीकार करते ए िक वनवासी आिदवासी लोग और वन अिवभा ह,
यह औपिनवेिशक श यों ारा हमारे साथ िकए गए "ऐितहािसक अ ाय" को भी ीकार करता है।
2006 का एफ.आर.ए. एक "कानून है जो वन िनवास अनुसूिचत जनजाितयों म वन अिधकारों की
मा ता स ान क
े साथ िनिहत करने की ि या िनधा रत करता है।", ऐसा तीत होता है िक न तो
िजला शासन और न ही उसक
े अिधका रयों को इस ऐितहािसक कानून क
े पीछे क
े उ े की कोई
समझ है।
यह िक ऐसे समुदाय क
े दावों को ऐसे ािधकरण ारा खा रज नहीं िकया जा सकता है िजसक
े पास
ऐसा करने की श नहीं है। इसक
े अलावा इन दावों की अ ीक
ृ ित ज बाजी म की गई थी। यह
5.
एक ात तहै िक वनवासी समुदायों/अनुसूिचत जनजाितयों क
े बीच भूिम क
े साथ संबंध मह पूण है
और उनक
े िलए आजीिवका का एक ोत भी है। वह भूिम उ सामािजक और आिथक सुर ा भी देती
है िजससे वे वष से वंिचत ह।
समथा बनाम आं देश रा और अ , (1997) 8 एससीसी 191 क
े ऐितहािसक फ
ै सले म, सव
ायालय ने कहा था िक, "अनुसूिचत जनजाितयों क
े िलए क
ृ िष ही आजीिवका का एकमा ोत है,
इसक
े अलावा लघु वनों का सं ह और िब ी अपनी आय क
े पूरक क
े िलए उ ादन करते ह। भूिम
उनकी सबसे मह पूण ाक
ृ ितक और मू वान संपि और अिवनाशी बंदोब ी है िजससे आिदवासी
अपना भरण-पोषण, सामािजक थित, आिथक और सामािजक समानता, थायी िनवास थान और
काम और रहने का थान ा करते ह। यह आिथक सश करण क
े िलए एक सुर ा और ोत है।
इसिलए जनजाितयों का भी अपनी भूिम से अ िधक भावना क लगाव होता है। िजस भूिम पर वे रहते
ह और जोतते ह, वह उ समानता की थित और की ग रमा और आिथक और सामािजक
ाय क
े साधन और सामािजक लोकतं म आिथक सश करण क
े श शाली हिथयार का
आ ासन देता है। न े ितशत अनुसूिचत जनजाितयां मु प से वन े ों और दुगम इलाकों म
रहती ह, उनम से 95 ितशत गरीबी रेखा से नीचे ह और पूरी तरह से क
ृ िष या क
ृ िष आधा रत
गितिविधयों पर िनभर ह।
िबना िकसी तक या आधार क
े इस तरह की कठोर और नौकरशाही "अ ीक
ृ ित" कानून क
े िनयम,
एफ.आर.ए. 2006 क
े ावधानों का मजाक बनाती है और ाक
ृ ितक ाय से इनकार भी करती है।
उिचत ि या का पालन न करक
े , िजला शासन हाल क
े ाियक िनणयों क
े खलाफ जाने क
े
अलावा, जो जंगलों पर िनभर समुदायों क
े िहतों की र ा करना चाहते ह, वा व म कानून और हाल क
े
ायशा दोनों की अवमानना कर रहे ह।
िक, सामंथा (सु ा) क
े मामले म, सु ीम कोट ने वामन राव बनाम भारत संघ, [1981] 2 एससीआर 1
क
े मामले का भी उ ेख िकया था, जहां सु ीम कोट ने देखा था िक भारत म एक क
ृ िष धान समाज
है। , "सामािजक व था म भूिम और की थित क
े बीच एक मजबूत संबंध" है। जमीन की वह
प ी िजस पर वे जोतते ह और रहते ह, उ समान ाय और "उनक
े की ग रमा को उ
आजीिवका का एक अ ा साधन दान करक
े " का आ ासन देता है। क
ृ िष भूिम सुर ा की भावना
और भय से मु का आधार है। सुिनि त अिधकार शांित और समृ क
े िलए एक थायी ोत है।
यह िक, इस मौिलक ायशा को समझने क
े बजाय, शासन- प से एक िदवािलया वन
िवभाग क
े भाव म, 1991 क
े गोवधन िनणय को वापस ले रहा है, एक िनणय िजसे अब खा रज कर
िदया गया है और अब अ ासंिगक है।
13. िक, हम स ािनत िजला शासन क
े ान म लाना चाहते ह िक, फरवरी 2019 म सु ीम कोट क
े
वनों से वनाि त समुदाय क
े अचानक िववादा द आदेश क
े बाद, यािचकाकताओं ारा गुमराह िकए
जाने क
े बाद "बेदखल" करने का आदेश, दोनों जनजातीय मामलों क
े मं ालय (MOTA) कड़ी आपि
जताई िजसक
े बाद कोट ने अपने ही आदेश क
े संचालन पर रोक लगा दी है। दरअसल, था समुदाय
की एक मिहला नेता नेवादा राणा ने एक अ व र आिदवासी मिहला नेता सोकालो गोंड क
े साथ
ऑल इंिडया यूिनयन ऑफ फॉरे विकग पीप (एआईयूएफड ूपी) और िसटीजन फॉर ज स
एं ड पीस (सीजेपी) क
े साथ ह ेप िकया है। उ तम ायालय। इस ऐितहािसक ह ेप म, हमने
एफ.आर.ए. 2006 क
े ऐितहािसक उ े पर एक िव ृत तक िदया है और यह क
ै से "अिधकारों की
मा ता" कानून है। (ह ेप आवेदन सं ा 107284/2019 सोकालो गोंड और अ )
14. इसक
े अलावा, हम स ािनत िजला शासन को सूिचत करना चाहते ह िक व जीवन (संर ण)
अिधिनयम, 1972 को भी 2006 म संशोिधत िकया गया था तािक यह सुिनि त िकया जा सक
े िक
आरि त े ों क
े भीतर पारंप रक वनाि त समुदायों की आजीिवका को मा ता दी गई और संरि त
िकया गया। संशोिधत धारा 380 क
े अलावा, धारा 38वी (3) म अब यह भी कहा गया है िक एक े
को टाइगर रजव क
े प म अिधसूिचत करते समय, टीसीए बाघ वाले जंगलों या बाघ म रहने वाले
6.
लोगों क
े क
ृिष, आजीिवका, िवकास और अ िहतों को सुिनि त करेगा। रजव। ” धारा 38वी 2 (बी)
क
े तहत भी " थानीय लोगों की आजीिवका संबंधी िचंताओं" का उ ेख और संर ण िकया गया है।
व जीवन (संर ण) संशोधन िवधेयक 2006 (ड ूएलपीए) मूल अिधिनयम, व जीवन (संर ण)
अिधिनयम, 1972 म और संशोधन करने क
े िलए 2006 म संसद क
े दोनों सदनों ारा पा रत िकया
गया था। रा सरकारों और उनक
े शासन को इनक
े बारे म पता होना चािहए। कानून और नीित म
मौिलक प रवतन ोंिक वे अिधक लोको ुखी होने का संक
े त देते ह न िक औपिनवेिशक ायशा ।
आपसे अनुरोध है िक हमारी इस अपील पर ग ीरता से िवचार करते ए िजला रीय सिमित को
हमारे दावों पर पुनः गहन िवचार करने हेतु िनदिशत कर। अ था मजबूरन हम ाय पाने क
े िलये
माननीय उ ायलय का भी दरवाज़ा खटखटाना होगा।।
भवदीय
अ एवं सद
ाम रीय वनािधकार सिमित
ामः -...........................................
पिलया कलां खीरी
ित0
1. क
े ीय जनजातीय मं ालय।
2. अ िजला रीय वनािधकार सिमित-खीरी।
3. अ उपख रीय वनािधकार सिमित, पिलया कलां खीरी।