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ए ट ई ट पॉिलसी
(Act East Policy)
संदभ:
हाल ही म “ए ट ई ट पॉिलसी” (Act East Policy) पर एक वेिबनार का आयोजन कया गया था।
‘ए ट ई ट पॉिलसी’ के बारे म:
भारत क ‘ए ट ई ट’ (Act East) नीित अथात ‘पूरब
म काम करो नीित, िविभ तर पर िव तृत एिशया-
शांत े के साथ आ थक, रणनीितक और
सां कृ ितक संबंध को बढ़ावा देने के िलए एक
‘कू टनीितक पहल’ है।
 इसे 1991 म त कालीन धान मं ी पी.वी.
नरिस हा राव ारा शु क गयी ‘लुक ईस्ट
पॉिलसी’ (Look East Policy) अथात
‘पूरब क ओर देखो नीित’ का आधुिनक
सं करण माना जाता है।
 “ए ट ई ट पॉिलसी” क शु आत नवंबर
2014 म यांमार म आयोिजत ‘पूव एिशया
िशखर स मेलन’ म क गई थी।
“ए ट ई ट पॉिलसी” के तहत भारत सरकार,
आिसयान देश के साथ बेहतर संबंध िवकिसत करने के
िलए 3 सी (सं कृ ित, कनेि टिवटी और वािण य)
अथात 3 C’s (Culture, Connectivity, and
Commerce) पर जोर देती है।
“लुक ई ट पॉिलसी” एवं “ए ट ई ट पॉिलसी” के बीच मुख अंतर:
 “पूव क ओर देखो नीित” (लुक ई ट पॉिलसी) म ‘दि ण-पूव एिशयाई देश के संघ’ (आिसयान) के साथ आ थक
एक करण पर यान क त कया गया था, और नीित के वल दि ण पूव एिशया तक ही सीिमत थी।
 दूसरी ओर “ए ट ई ट पॉिलसी”, आिसयान देश के आ थक एक करण तथा पूव एिशयाई देश के साथ सुर ा सहयोग पर
क त है।
‘ए ट ई ट पॉिलसी’ के उ े य:
1. े ीय, ि प ीय और ब प ीय तर पर िनरंतर जुड़ाव के मा यम से एिशया- शांत े के देश के साथ आ थक
सहयोग, सां कृ ितक संबंध को बढ़ावा देना और रणनीितक संबंध िवकिसत करना।
2. उ र-पूव भारतीय रा य के अ य पड़ोसी देश के साथ संपक को बढ़ाना।
िवशेष के अनुसार- भारत सरकार “ए ट ई ट पॉिलसी” के तहत आिसयान देश के साथ बेहतर संबंध िवकिसत करने के िलए, 3
सी अथात सं कृ ित, कनेि टिवटी और वािण य, (3 C’s – Culture, Connectivity, and Commerce) पर यक न करती है।
मह व:
 ए ट ई ट पॉिलसी (AEP) के तहत, ‘भारत-जापान रणनीितक साझेदारी’ को पूरी तरह से एक नए तर पर ले जाया
गया है, जो भारत- शांत सहयोग के मह व को रेखां कत करता है।
 भारत एक वतं , खुला और समावेशी एवं एक सहकारी और सहयोगी क़ानून-आधा रत व था पर थािपत ‘इंडो-
पैिस फक’ म िव ास करता है।
 ‘आिसयान क क ीयता’ े ीय तर पर ‘इंडो-पैिस फक’ क थायी समकालीन िवशेषता बनी ई है।
 भारत ने दि ण, दि णपूव और पूव एिशया के देश के साथ अपने संपक के क म ‘इंडो-पैिस फक’ को रखा है। धीरे-
धीरे ‘ए ट ई ट’ पॉिलसी, ‘ए ट इंडो-पैिस फक’ नीित म त दील होती जा रही है।
सोशल टॉक ए सचज
(Social Stock Exchange)
संदर्भ:
सोशल मीिडया लेटफॉम पर टॉक से संबंिधत सुझाव देने वाले अपंजीकृ त सलाहकार पर ‘भारतीय ितभूित और िविनमय बोड’
(SEBI) क कारवाई का क सरकार ने समथन कया है।
संबिधत करण:
 यू ूब, ि वटर, टेली ाम सिहत कई सोशल मीिडया लेटफॉम SEBI के साथ गैर-पंजीकृ त कई सलाहकार शेयर बाजार
पर सलाह दान कर रहे ह।
 अब, ‘भारतीय ितभूित और िविनमय बोड’ ऐसे सलाहकार पर अपनी पकड़ मजबूत करने जा रहा है, य क इनके ारा
दी गयी सलाहे िनवेशक को अ सर गुमराह करती ह और बाजार को नुकसान प ंचाती है।
पृ भूिम:
पहली बार 2019 के बजट भाषण के दौरान SEBI के
िविनयामक अिधकार के तहत एक ‘सोशल टॉक
ए सचज’ (SSE) ग ठत करने का ताव पेश कया
गया था।
 िसतंबर, 2019 म SEBI ारा इशरात सैन
क अ य ता म सोशल टॉक ए सचज
(Social Stock Exchanges – SSE) पर
एक ‘कायकारी समूह’ (Working Group) का
गठन कया गया था।
 िसतंबर 2020 म, SEBI ारा एक ‘टा क ुप’
का गठन कया गया, य क उसे लगा क
‘कायकारी समूह’ क िसफा रश पर और
िवशेष सलाह और प ता क आव यकता है।
‘सोशल टॉक ए सचज’ (SSE) या है?
 भारत म सोशल टॉक ए सचज एक नवीन अवधारणा है। इस टॉक ए सचज पर सामािजक उ म और वैि छक
संगठन को सूचीब कराया जाएगा। इसके तहत सामािजक संगठन इ टी और बांड और यूचुअल फं ड क तरह यूिनट
जारी कर कोष जुटा सकगे।
 ताव के अनुसार, ‘सोशल टॉक ए सचज’ मौजूदा टॉक ए सचज जैसे BSE और / या नेशनल टॉक ए सचज (NSE)
म रखा जा सकते है।
मह व:
 इसके साथ, सामािजक क याण उ म और गैर-लाभकारी सं था के िलए एक पारदश इले ॉिनक लेटफॉम पर
तथाकिथत सामािजक पूंजी जुटाने म स म हो सकगी, िजससे वे कोरोनोवायरस महामारी के कारण तबाह ए रोजगार
के साधन का पुन नमाण करने म सहयोग कर सकते ह।
 सिमित क इन िसफा रश को य द एक पैके ज के प म लागू कया जाता ह, तो एक जीवंत और सहायक पा रि थितक
तं हो सकता है, िजससे गैर-लाभकारी े ारा सामािजक भाव का िनमाण करने के िलए अपनी पूरी मता का
उपयोग कया जा सके गा।
सामािजक पूंजी क आव यकता:
 भारत के िलए उन रोजगार के साधन , जो उसक अथ व था के आधार ह, को दुर त करने और उनके पुन नमाण के
िलए सहनशील पूंजी (Patient Capital) क एक मह वपूण रािश क आव यकता होगी। िव ीय लाभ को ाथिमकता
देने वाली ‘पर परागत पूंजी’ (Conventional capital) इस तरह का बोझ उठाने म पूरी तरह से स म नह हो पाएगी।
 दूसरी ओर, इस भूिमका के िलए सामािजक पूंजी (Social capital) अिधक अनुकू ल है। यह न के वल सहनशील है, बि क
इसका ल य, कोिवड-19 क वजह से ढहने के कगार पर प ँच चुक सामािजक संरचना के िलए सहायता देना और
इनका सुदृढ़ीकरण करना है।
‘सामािजक उ म’ या है?
 ‘सामािजक उ म’ (social enterprise) राज व िनमाण करने वाले वसाय होते है। इसका मु य ल य एक सामािजक
उ े य, जैसे वा य सेवा या व छ ऊजा क ाि करना है।
 इसका कोई अथ नह है क एक सामािजक उ म, अ यिधक लाभदायक नह हो सकता है। वा तव म, अिधकांश
सामािजक उ म पारंप रक वसाय क तरह दखते और संचािलत होते ह। इनमे एकमात्र अंतर यह होता है क इन
सं था ारा उ प लाभ का उपयोग आव यक प से िहतधारक के भुगतान के िलए नह कया जाता है, इसके थान
पर उनके सामािजक काय म म पुन नवेश कया जाता है।
ए ी टैक
(AgriStack)
संदभ:
सरकार ारा ‘कृ िष डेटासेट का िडिजटल ‘ टैक’ बनाने पर काय कया जा रहा है, िजसके मूल म ‘भूिम रकॉड’ तैयार करना है।
कं तु, इस तरह के ‘क ीकृ त टैक’ म पुराने और अशु भूिम अिभलेख का कया जाएगा; मजबूत डेटा संर ण कानून के बगैर
कसान के ि गत और िव ीय िववरण का उपयोग कया जाएगा। और चूं क ामीण े म िडिजटल सा रता का तर अभी
काफ िन है। इसिलए, िवशेष का कहना है क ऐसा ‘ए ी टैक’ (AgriStack) सम या मक है।
ए ी टैक के बारे म:
 ‘ए ी टैक’ (AgriStack), भारत के कसान और कृ िष े पर यान क त करते ए क सरकार ारा तािवत
ौ ोिग कय और िडिजटल डेटाबेस का एक सं ह है।
 क सरकार का दावा है, क इस कार के नए डेटाबेस मु य प से कृ िष आपू त ृंखला म ऋण तक प ंच म कमी और
अप य जैसे मु से िनपटने के िलए तैयार कए जा रहे ह।
िवशेषताएं और मह व:
 ए ी टैक’ के तहत, सरकार का ल य ‘ माट और सु वि थत कृ िष’ के िलए एक कसान इंटरफ़े स िवकिसत करने हेतु
माइ ोसॉ ट (Microsoft) को कसान क िनजी जानकारी के ‘आव यक डेटा सेट’ दान करना है।
 ये िडिजटल भंडार सि सडी, सेवा और नीितय के सटीक ल यीकरण म मदद करेगा।
 इस काय म के तहत, देश के येक कसान को िविश पहचान के िलए भूिम अिभलेख से जुड़ी एक एफआईडी अथात
‘ कसान आईडी’ (farmers’ ID) दान क जाएगी। भारत म 140 िमिलयन काया मक कृ िष-भूिम जोत (farm-land
holdings) है।
संबंिधत चंता के कारण:
 यह प रयोजना, बगैर ‘डेटा संर ण कानून’ बनाए कायाि वत क जा रही थी।
 यह एक ऐसी या सािबत हो सकती है, िजसमे िनजी डाटा ोसे संग सं था को कसान क भूिम के बारे म, खुद
कसान क तुलना म अिधक जानकारी हो सकती ह।
 सुर ा उपाय के िबना, िनजी सं थाएं कसान के डेटा का िजतना चाह उपयोग कर सकगी।
 यह जानकारी िवषमता, ौ ोिगक कं पिनय क ओर झुक ई है, िजससे कसान , िवशेष प से छोटे और सीमांत
कसान का और अिधक शोषण हो सकता है।
आव यकता:
 वतमान म, संपूण भारत म अिधकांश कसान, छोटे और सीमांत कसान ह िजनके पास उ त तकनीक या औपचा रक
ऋण तक प ंच सीिमत है। तकनीक और औपचा रक ऋण तक प ंच म सुधार होने से फसल-उ पादन म सुधार और
बेहतर मू य ा करने म मदद िमल सकती है।
 काय म के तहत, नई तािवत िडिजटल कृ िष ौ ोिग कय और सेवा म मवेिशय क िनगरानी के िलए ससर, िम ी
का िव ेषण करने और क टनाशक लगाने के िलए ोन, कृ िष उपज म उ लेखनीय सुधार और कसान क आय को बढ़ावा
देना शािमल है।
ीनहाउस बागवानी
(Greenhouse Horticulture)
संदभ:
2021 म भारत के ‘ ीनहाउस बागवानी’ (Greenhouse Horticulture) बाजार का बाजार मू य 190.84 िमिलयन अमे रक
डॉलर था और वष 2030 तक इसके 271.25 िमिलयन अमे रक डॉलर तक प ंचने का अनुमान है।
 अनुमािनत अविध के दौरान बाजार म 4.19% क वृि दर दज करने क उ मीद है।
 2021 म, भारत का ीनहाउस बागवानी उ पादन 27.71 िमिलयन टन था।
‘ ीनहाउस बागवानी’ के बारे म:
ीनहाउस बागवानी को ‘संरि त फसल’ (Protected Cropping) के प म भी जाना जाता है। इस प ित म, बदलती वृि मान
प रि थितय और/या ितकू ल मौसम, क ट और बीमा रय से सुर ा दान करने के िलए िवशेष ढांच / संरचना के भीतर,
नीचे या आ य वाली ‘बागवानी फसल ’ का उ पादन कया जाता है।
बागवानी िवकास भािवत करने वाले कारक:
 जनसं या और भोजन क मांग म जोरदार वृि ।
 सरकार के य के कारण बागवानी के अंतगत उ मशीलता म वृि ।
‘बागवानी’ के बारे म:
‘बागवानी’ या ‘उ ान कृ िष’ (Horticulture) श द दो लै टन श द ‘हॉटस’ (Hortus) अथात ‘उ ान’ और ‘क चरा’ (Cultura)
अथात क टीवेशन (कृ िष) से िमलकर बना है। इसिलए इसका अथ है, बगीचे म खेती क जाने वाली फसल।
 यह मानव भोजन, गैर-खा उपयोग और सामािजक आव यकता के िलए फल , सि जय , फू ल और अ य पौध के
उ पादन, उपयोग और सुधार करने का िव ान और कला है।
 एलएच बेली (H. Bailey) को ‘अमे रक बागवानी’ का जनक माना जाता है और एम.एच. मैरीगौड़ा (M.H.
Marigowda) को भारतीय बागवानी का जनक माना जाता है।
डेटा िव ेषण:
1. भारत, िव म चीन के बाद फल और सि जय का दूसरा सबसे बड़ा उ पादक देश है।
2. बागवानी फसल, भारत म कु ल कृ िष उपज का एक मह वपूण िह सा ह, और एक िव तृत खेती े को कवर करती ह,
इसके अलावा सकल घरेलू उ पाद (जीडीपी) म इनका योगदान लगभग 28 ितशत है।
3. भारत से कृ िष व तु के कु ल िनयात म बागवानी फसल का िह सा 37 ितशत ह।
4. वष 2019-20 के दौरान, देश म 25.66 िमिलयन हे टेयर े से 320.77 िमिलयन टन बागवानी उ पादन दज कया
गया था।
चुनौितयां:
 कम या सीिमत लागत के कारण मशीनरी और उपकरण क उपल धता-अंतराल और फसल कटाई के बाद के बंधन क
ऊ
ँ ची लागत क वजह से, काफ नुकसान का सामना करना पड़ता है।
 को ड टोरेज और अ छी तरह से जुड़े प रवहन नेटवक जैसे आपू त ृंखला के बुिनयादी ढांचे का अभाव।
 मु य प से िनयात के िलए उ इनपुट लागत और बाजार आसूचना क सीिमत उपल धता के कारण बागवानी फसल
को लगाने म क ठनाइयाँ।
 खा ा के िलए यूनतम समथन मू य (MSP) जैसे कोई सुर ा ावधान उपल ध नह ह।
 देश म मौजूदा मांग क तुलना म बागवानी व तु का उ पादन काफ कम है।
एक कृ त बागवानी िवकास िमशन: (Mission for Integrated Development of Horticulture – MIDH)
यह फल, स जी, मश म, मसाल , फू ल, आ द को शािमल करते ए बागवानी े के फसल के सम िवकास हेतु एक ‘क
ायोिजत योजना’ है।
 इस योजना को ‘कृ िष एवं कसान क याण मं ालय’ ारा वष 2014-15 से लगातार कायाि वत कया जा रहा है।
 एक कृ त बागवानी िवकास िमशन (MIDH) के तहत, भारत सरकार पूव र और िहमालयी रा य को छोड़कर सभी
रा य म िवकास काय म के कु ल प र य का 60% योगदान करती है, िजसम 40% िह सा रा य सरकार ारा दया
जाता है।
 पूव र और िहमालयी रा य के मामले म भारत सरकार 90% योगदान करती है।
बागवानी पर एक कृ त बागवानी िवकास िमशन क पांच मुख योजनाएं ह-
1. रा ीय बागवानी िमशन (National Horticulture Mission – NHM)
2. पूव र और िहमालयी रा य के िलए बागवानी िमशन (Horticulture Mission for North East and Himalayan
States – HMNEH)
3. रा ीय बागवानी बोड (National Horticulture Board – NHB)
4. ना रयल िवकास बोड (Coconut Development Board – CDB) और
5. क ीय बागवानी सं थान (Central Institute of Horticulture – CIH), नागालड।
सू मिव िविनयम
(Microfinance Regulations)
संदभ:
हाल ही म, आरबीआई ारा ‘सू मिव ऋण देने संबंधी नए मानदंड’ (New Microfinance Lending Norms) जारी कए गए
ह।
इन मानदंड के अनुसार:
 ये मानदंड सभी सं था , बक , गैर-ब कं ग िव ीय कं पिनयां (NBFCs), और माइ ोफाइनस सं थान (MFIs) पर समान
प से लागू ह गे।
 एक माइ ोफाइनस ऋण को आरबीआई ारा 3 लाख पये तक क वा षक घरेलू आय वाले प रवार को दए गए
‘संपा क-मु ’ ऋण (Collateral-Free loan) के प म प रभािषत कया गया है।
 कम आय वाले प रवार को दए जाने वाले सभी संपा क-मु ऋण, अंितम उपयोग और आवेदन/ सं करण/िवतरण के
तरीके क परवाह कए िबना, ‘माइ ोफाइनस ऋण’ माने जाते ह।
 िव ीय सं था के पास उधारकता क आव यकता के अनुसार माइ ोफाइनस ऋण पर चुकौती आविधकता का
लचीलापन दान करने के िलए बोड ारा अनुमो दत नीित होनी चािहए। घरेलू आय के आकलन के िलए उनके पास बोड
ारा अनुमो दत नीित भी होनी चािहए।
‘माइ ोफाइनस’ अथवा ‘सू म िव ’ या है?
माइ ोफाइनस (Microfinance), गरीब और िन आय वाले प रवार को छोटे ऋण और अ य िव ीय सेवाएं दान करने हेतु
िव ीय सेवा का एक प होता है।
 सू म िव सं थान (MFIs) वे िव ीय कं पिनयां होती ह जो उन लोग को लघु ऋण दान करती ह िजनके पास ब कं ग
सुिवधा तक प ंच नह है।
 “लघु ऋण” (Small Loans) क प रभाषा, िविभ देश के बीच अलग-अलग होती है। भारत म, 1 लाख पये से कम के
सभी ऋण को सू म ऋण माना जा सकता है।
सू म ऋण (Microcredit) िविभ सं थागत चैनल के मा यम से दान कए जाते ह, जैसे:
1. लघु िव बक (SFBs) और े ीय ामीण बक (RRBs) सिहत सभी अनुसूिचत वािणि यक बक (Scheduled
commercial banks)
2. सहकारी बक
3. गैर-ब कं ग िव ीय कं पिनयां (NBFCs)
4. NBFCs के प म पंजीकृ त माइ ोफाइनस सं थान (MFIs)।
ताव का मह व:
 आरबीआई ने इस कदम से माइ ोफाइनस े क प रप ता म अपना िव ास जताया है।
 यह एक दूरंदेशी कदम है जहां पारदश शत पर उिचत याज दर तय करने क िज मेदारी सं था को सौपी गयी है।
सुधार-आधा रत और प रणाम-संब , संशोिधत िवतरण े क योजना
(Reforms-Based and Results-Linked, Revamped Distribution Sector Scheme)
संदभ:
‘ ामीण िव ुतीकरण िनगम’ (Rural Electrification Corporation – REC) और ‘िव ुत् िव िनगम’ (Power Finance
Corporation – PFC) ारा 31 माच तक उ र देश, असम और मेघालय सिहत रा य के िलए धन-रािश क पहली क त
जारी क जाएगी। आरईसी और पीएफसी रा य ारा संचािलत ऋणदाता इकाइयाँ है, और िपछले साल अग त म क ीय िव ुत्
मं ालय ारा शु क गई 3.03 लाख करोड़ पये क ‘संशोिधत िवतरण े योजना’ (Revamped Distribution Sector
Scheme – RDSS) के िलए नोडल ऋणदाता एजिसयां ह।
यह धनरािश क सरकार से अनुदान के तदथ 10% के प म िवत रत क जाएगी, और शेष रािश का िवतरण योजना के तहत
िविभ शत को पूरा करने वाले संबंिधत िड कॉम पर िनभर करेगा।
योजना के बारे म:
 ‘सुधार-आधा रत और प रणाम-संब , संशोिधत िवतरण े क योजना’ (Reforms-Based and Results-Linked,
Revamped Distribution Sector Scheme) 03 िलयन पये के मू य क योजना है, िजसमे क क िह सेदारी
97,631 करोड़ है।
 इसका उ े य िड कॉम (िनजी े क िड कॉम को छोड़कर) क प रचालन मता और िव ीय ि थरता म सुधार करना
है।
योजना के मुख बंदु:
1. यह एक ‘सुधार-आधा रत और प रणाम-संब ’ योजना है।
2. इस योजना का उ े य िनजी े के DISCOMs के अलावा सभी DISCOMs / िव ुत िवभाग क प रचालन मता
और िव ीय ि थरता म सुधार करना है।
3. इस योजना के तहत, आपू त बुिनयादी ढांचे (Supply Infrastructure) को मजबूत करने के िलए DISCOMs को सशत
िव ीय सहायता दान क जाएगी।
4. यह सहायता पूव-अहता मानदंड को पूरा करने के साथ-साथ DISCOM ारा बुिनयादी तर पर यूनतम मानक को
पूरा करने क उपलि ध पर आधा रत होगी।
5. इस योजना के तहत, िवतरण े म, िबजली फ डर से लेकर उपभो ा तर तक एक ‘अिनवाय माट मीट रंग
इकोिस टम’ शािमल कया गया है – िजसम लगभग 250 िमिलयन प रवार शािमल ह गे।
6. यह योजना असंब फ डर के िलए फ डर वग करण हेतु िव पोषण पर भी यान क त करती है।
7. इस योजना म फ डर के सौरकरण से संचाई के िलए दन म स ती / िनःशु क िबजली िमलेगी और कसान को अित र
आय होगी।
काया वयन:
‘एक कृ त िव ुत िवकास योजना’ (Integrated Power Development Scheme), ‘दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना’
(DDUGJY) और ‘ धानमं ी सहज िबजली हर घर योजना’ जैसी मौजूदा िव ुत े सुधार योजना को इस अ ेला काय म
म िवलय कर दया जाएगा।
 योजना का काया वयन “सभी के िलए अनुकू ल एक व था” (one-size-fits-all) दृि कोण के बजाय येक रा य के
िलए तैयार क गई काय योजना पर आधा रत होगा।
 योजना के काया वयन को सुिवधाजनक बनाने के िलए ‘ ामीण िव ुतीकरण िनगम’ (REC) िलिमटेड और ‘पावर
फाइनस कॉप रेशन’ (PFC) को नोडल एजिसय के प म नािमत कया गया है।
योजना के उ े य:
1. 2024-25तक अिखल भारतीय तर पर ‘कु ल तकनीक और वािणि यक हािन’ (aggregate technical and
commercial loss- AT&C loss) औसत को 12-15% तक कम करना।
2. 2024-25 तक िबजली क लागत और आपू त-क मत अंतराल को घटाकर शू य करना।
3. आधुिनक DISCOMs के िलए सं थागत मता का िवकास करना।
4. िव ीय प से टकाऊ और प रचालन प से कु शल िवतरण े के मा यम से उपभो ा को िबजली आपू त क
गुणव ा, िव सनीयता और साम य म सुधार करना।
भारत म बेरोजगारी
(Unemployment in India)
संदभ:
रा ीय सांि यक कायालय (NSO) ारा जारी नवीनतम ‘आविधक म बल सव ण’ (Periodic Labour Force Survey –
PLFS) के अनुसार:
 2021 क अ ैल-जून ितमाही म भारत क शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 12.6 ितशत हो गई, जब क जनवरी-माच
ितमाही म यह 9.3 ितशत थी।
 हालां क, इसम कोिवड महामारी क पहली लहर के दौरान देखे गए 20.8 ितशत के बेरोजगारी तर से कमी आयी है।
महामारी का भाव:
महामारी का सबसे बड़ा नुकसान बेरोजगारी के प म होगा। ‘भारतीय अथ व था िनगरानी क ’ (Centre for Monitoring
Indian Economy – CMIE) के अनुसार, देश क बेरोजगारी दर अ ैल के अिधकांश दन म बढ़ी है और 7.4 ितशत तक प ंच
गई, और इसके माच म 6.5% क तुलना म लगभग 8% अिधक होने क आशंका है।
 शहरी और ामीण भारत म लगभग 10 िमिलयन वेतनभोगी नौक रयां खो गई ह, और यह सुिनि त नह है क कतने
लोग को अपनी आजीिवका वापस िमलेगी।
 शहरी मिहला का दशन, शहरी पु ष क तुलना म खराब रहा है। 15-29 आयु वग म, शहरी मिहला क
बेरोजगारी दर अ ैल-जून 2021 के दौरान पु ष के िलए 24 ितशत क तुलना म 31 ितशत थी।
 अ ैल-जून 2020 म शहरी मिहला और पु ष क बेरोजगारी दर मशः 36 ितशत और 34.3 ितशत रही।
भारत म बेरोजगारी के कार:
छ बेरोजगारी (Disguised Unemployment):
 यह एक ऐसी घटना है िजसम वा तव म आव यकता से अिधक लोग को िनयोिजत कया जाता है।
 यह मु य प से भारत के कृ िष और असंग ठत े म पायी जाती है।
मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment):
 यह साल के कु छ खास मौसम के दौरान होने वाली एक बेरोजगारी होती है।
 भारत म खेितहर मजदूर के िलए पूरे साल भर िवरले ही काम िमल पाता है।
संरचना मक बेरोजगारी (Structural Unemployment):
 यह बाजार म उपल ध नौक रय और बाजार म उपल ध िमक के कौशल के बीच िवषमता होने से उ प होने वाली
बेरोजगारी क एक ेणी है।
 भारत म ब त से लोग को अपेि त कौशल क कमी के कारण नौकरी नह िमलती है और खराब िश ा तर के कारण
उ ह िशि त करना मुि कल हो जाता है।
च य बेरोजगारी (Cyclical Unemployment):
 यह ‘ ापार च ’ का प रणाम होता है, िजसमे मंदी के दौरान बेरोजगारी बढ़ती है और आ थक िवकास होने के साथ
घटती जाती है।
 भारत म च य बेरोजगारी के आंकड़े नग य ह। यह एक ऐसी घटना है जो यादातर पूंजीवादी अथ व था म पाई
जाती है।
तकनीक बेरोजगारी (Technological Unemployment):
 यह तकनीक म बदलाव होने के कारण नौक रय म कमी होने से उ प बेरोजगारी होती है।
 2016 म, िव बक के आंकड़ के अनुमान के अनुसार, भारत म ऑटोमेशन से खतरे म पड़ी नौक रय का अनुपात साल-
दर-साल 69% है।
ितरोधा मक या घषण जिनत बेरोजगारी (Frictional Unemployment):
 ितरोधा मक बेरोज़गारी को ‘खोज बेरोज़गारी’ भी कहा जाता है। जब कोई ि नई नौकरी क तलाश करता है या
नौकरी को बदलता है, तो नौक रय के बीच खाली समय अंतराल को ितरोधा मक बेरोज़गारी के प म जाना जाता है।
 दूसरे श द म, एक कमचारी को एक नई नौकरी खोजने या मौजूदा नौकरी से एक नई नौकरी म थानांत रत करने के
िलए समय क आव यकता होती है, िजसमे अप रहाय समय क देरी घषण-जिनत बेरोजगारी का कारण बनती है। इसे
अ सर वैि छक बेरोजगारी के प म माना जाता है य क यह नौकरी क कमी के कारण नह होता है, बि क वा तव
म, बेहतर अवसर क तलाश म िमक वयं अपनी नौकरी छोड़ देते ह।
अितसंवेदनशील रोज़गार (Vulnerable Employment):
 इसका मतलब अनौपचा रक प से काम करने वाले ि य से है, जो उिचत नौकरी अनुबंध के िबना और इस कार
िबना कसी कानूनी सुर ा के काय करते ह।
 इन ि य को ‘बेरोजगार’ माना जाता है य क उनके काम का रकॉड कभी नह रखा जाता है।
 यह भारत म बेरोजगारी के मु य कार म से एक है।
बेरोजगारी के कारण:
 बड़ी आबादी।
 कामकाजी आबादी म कसी शैि क तर या ावसाियक कौशल क कमी या अभाव।
 अपया रा य सहयोग, कानूनी ज टलताएं और छोटे/कु टीर उ ोग या छोटे वसाय के िलए ढांचागत कमी, िव ीय
और बाजार संबंध, लागत और अनुपालन क अिधकता ऐसे उ म को अ वहाय बना देती है।
 आव यक िश ा/कौशल क कमी के कारण अनौपचा रक े से जुड़ा िवशाल कायबल, िजसका िववरण कसी भी
रोजगार डेटा म दज नह होता है। उदाहरण के िलए: घरेलू सहायक, िनमाण िमक आ द।
 कू ल और कॉलेज म पढ़ाया जाने वाला पा म उ ोग क वतमान आव यकता के अनुसार नह होता है। यह
संरचना मक बेरोजगारी का मु य कारण है।
 बुिनयादी ढांचे क अपया वृि और िविनमाण े म कम िनवेश, ि तीयक े क रोजगार मता को सीिमत करता
है।
 कृ िष े म कम उ पादकता के साथ-साथ कृ िष िमक के िलए वैकि पक अवसर क कमी, जो ाथिमक से मा यिमक
और तृतीयक े म सं मण को क ठन बना देती है।
 ितगामी सामािजक मानदंड, जो मिहला को रोजगार करने/जारी रखने से रोकते ह।
भाव:
 बेरोजगारी क सम या गरीबी क सम या को ज म देती है।
 युवा लंबे समय तक बेरोजगारी के बाद, पैसा कमाने के िलए अवैध और गलत गितिविधय म िल हो जाते ह। इससे देश
म अपराध भी बढ़ रहे ह।
 बेरोजगार ि य को असामािजक त व ारा आसानी से बहकाया जा सकता है। इससे उनका देश के लोकतांि क मू य
से िव ास उठ जाता है।
 अ सर यह देखा जाता है क बेरोजगार लोग स और शराब के आदी हो जाते ह या आ मह या करने का यास करते ह,
िजससे देश के मानव संसाधन को नुकसान होता है।
 यह देश क अथ व था को भी भािवत करता है य क िजस कायबल को संसाधन उ प करने के िलए लाभकारी प
से िनयोिजत कया जा सकता था, वह वा तव म शेष कामकाजी आबादी पर िनभर हो जाता है, इस कार रा य के िलए
सामािजक आ थक लागत बढ़ जाती है। उदाहरण के िलए, बेरोजगारी म 1 ितशत क वृि से सकल घरेलू उ पाद म 2
ितशत क कमी आती है।
सरकार ारा उठाए गए कदम:
 ामीण े म पूण रोजगार के अवसर पैदा करने के िलए 1980 म एक कृ त ामीण िवकास काय म (IRDP) शु
कया गया था।
 वरोजगार हेतु ामीण युवा का िश ण (TRYSEM): यह योजना 1979 म 18 से 35 वष क आयु के बेरोजगार
ामीण युवा को वरोजगार के िलए कौशल हािसल करने म मदद करने के उ े य से शु क गई थी। अनुसूिचत
जाित/अनुसूिचत जनजाित के युवा और मिहला को ाथिमकता दी गई।
 RSETI/RUDSETI: युवा म बेरोजगारी क सम या को कम करने के उ े य से, 1982 म ी धम थल मंजुनाथे र
एजुके शनल ट, संिडके ट बक और के नरा बक ारा संयु प से एक नई पहल का यास कया गया, िजसके तहत
कनाटक म धम थल के समीप ‘ ामीण िवकास और वरोजगार िश ण सं थान’ (RURAL DEVELOPMENT AND
SELF EMPLOYMENT TRAINING INSTITUTE – RUDSETI) क थापना क गयी थी। ‘ ामीण वरोजगार
िश ण सं थान (RSETIs) अब भारत सरकार और रा य सरकार के स य सहयोग से बक ारा बंिधत कए जाते
ह।
 दो पूववत मजदूरी रोजगार काय म – रा ीय ामीण रोजगार काय म (NREP) और ामीण भूिमहीन रोजगार
गारंटी काय म (RLEGP) को िमलाकर जवाहर रोजगार योजना (JRY) 1 अ ैल, 1989 से क और रा य के म य
80:20 लागत बंटवारे के आधार पर शु क गई थी।
 महा मा गांधी रा ीय ामीण रोजगार गारंटी अिधिनयम (MNREGA): यह एक रोजगार योजना है िजसे 2005 म
सामािजक सुर ा दान करने के िलए उन सभी प रवार को ित वष यूनतम 100 दन के भुगतान काय क गारंटी
देकर शु कया गया था। यह अिधिनयम लोग को ‘काम का अिधकार’ दान करता है।
 2015 म शु क गई धान मं ी कौशल िवकास योजना (पीएमके वीवाई) का उ े य बड़ी सं या म भारतीय युवा को
उ ोग- ासंिगक कौशल िश ण लेने म स म बनाना है जो उ ह बेहतर आजीिवका हािसल करने म मदद करेगा।
 2016 म शु क गई टाट अप इंिडया योजना का उ े य एक ऐसा पा रि थितक तं िवकिसत करना है जो पूरे देश म
उ िमता को बढ़ावा देता है और उसका पोषण करता है।
 टड अप इंिडया योजना, 2016 म शु क गई थी, िजसका उ े य ीनफ ड उ म थािपत करने के िलए कम से कम
एक अनुसूिचत जाित या अनुसूिचत जनजाित के उधारकता और ित बक शाखा म कम से कम एक मिहला उधारकता को
10 लाख से 1 करोड़ पये के बीच बक ऋण क सुिवधा दान करना है।

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21 03-2022 hindi (Daily News Analysis)

  • 1. D A I L Y N E X T C A P S U L E W I L L H E L P Y O U T O P R O V I D E 2nd floor, shahar plaza, munshi pulia, indira nagar, lucknow Feel Free to call us at: 9454721860 Follow us on:
  • 2. ए ट ई ट पॉिलसी (Act East Policy) संदभ: हाल ही म “ए ट ई ट पॉिलसी” (Act East Policy) पर एक वेिबनार का आयोजन कया गया था। ‘ए ट ई ट पॉिलसी’ के बारे म: भारत क ‘ए ट ई ट’ (Act East) नीित अथात ‘पूरब म काम करो नीित, िविभ तर पर िव तृत एिशया- शांत े के साथ आ थक, रणनीितक और सां कृ ितक संबंध को बढ़ावा देने के िलए एक ‘कू टनीितक पहल’ है।  इसे 1991 म त कालीन धान मं ी पी.वी. नरिस हा राव ारा शु क गयी ‘लुक ईस्ट पॉिलसी’ (Look East Policy) अथात ‘पूरब क ओर देखो नीित’ का आधुिनक सं करण माना जाता है।  “ए ट ई ट पॉिलसी” क शु आत नवंबर 2014 म यांमार म आयोिजत ‘पूव एिशया िशखर स मेलन’ म क गई थी। “ए ट ई ट पॉिलसी” के तहत भारत सरकार, आिसयान देश के साथ बेहतर संबंध िवकिसत करने के िलए 3 सी (सं कृ ित, कनेि टिवटी और वािण य) अथात 3 C’s (Culture, Connectivity, and Commerce) पर जोर देती है। “लुक ई ट पॉिलसी” एवं “ए ट ई ट पॉिलसी” के बीच मुख अंतर:  “पूव क ओर देखो नीित” (लुक ई ट पॉिलसी) म ‘दि ण-पूव एिशयाई देश के संघ’ (आिसयान) के साथ आ थक एक करण पर यान क त कया गया था, और नीित के वल दि ण पूव एिशया तक ही सीिमत थी।  दूसरी ओर “ए ट ई ट पॉिलसी”, आिसयान देश के आ थक एक करण तथा पूव एिशयाई देश के साथ सुर ा सहयोग पर क त है। ‘ए ट ई ट पॉिलसी’ के उ े य: 1. े ीय, ि प ीय और ब प ीय तर पर िनरंतर जुड़ाव के मा यम से एिशया- शांत े के देश के साथ आ थक सहयोग, सां कृ ितक संबंध को बढ़ावा देना और रणनीितक संबंध िवकिसत करना। 2. उ र-पूव भारतीय रा य के अ य पड़ोसी देश के साथ संपक को बढ़ाना। िवशेष के अनुसार- भारत सरकार “ए ट ई ट पॉिलसी” के तहत आिसयान देश के साथ बेहतर संबंध िवकिसत करने के िलए, 3 सी अथात सं कृ ित, कनेि टिवटी और वािण य, (3 C’s – Culture, Connectivity, and Commerce) पर यक न करती है।
  • 3. मह व:  ए ट ई ट पॉिलसी (AEP) के तहत, ‘भारत-जापान रणनीितक साझेदारी’ को पूरी तरह से एक नए तर पर ले जाया गया है, जो भारत- शांत सहयोग के मह व को रेखां कत करता है।  भारत एक वतं , खुला और समावेशी एवं एक सहकारी और सहयोगी क़ानून-आधा रत व था पर थािपत ‘इंडो- पैिस फक’ म िव ास करता है।  ‘आिसयान क क ीयता’ े ीय तर पर ‘इंडो-पैिस फक’ क थायी समकालीन िवशेषता बनी ई है।  भारत ने दि ण, दि णपूव और पूव एिशया के देश के साथ अपने संपक के क म ‘इंडो-पैिस फक’ को रखा है। धीरे- धीरे ‘ए ट ई ट’ पॉिलसी, ‘ए ट इंडो-पैिस फक’ नीित म त दील होती जा रही है। सोशल टॉक ए सचज (Social Stock Exchange) संदर्भ: सोशल मीिडया लेटफॉम पर टॉक से संबंिधत सुझाव देने वाले अपंजीकृ त सलाहकार पर ‘भारतीय ितभूित और िविनमय बोड’ (SEBI) क कारवाई का क सरकार ने समथन कया है। संबिधत करण:  यू ूब, ि वटर, टेली ाम सिहत कई सोशल मीिडया लेटफॉम SEBI के साथ गैर-पंजीकृ त कई सलाहकार शेयर बाजार पर सलाह दान कर रहे ह।  अब, ‘भारतीय ितभूित और िविनमय बोड’ ऐसे सलाहकार पर अपनी पकड़ मजबूत करने जा रहा है, य क इनके ारा दी गयी सलाहे िनवेशक को अ सर गुमराह करती ह और बाजार को नुकसान प ंचाती है। पृ भूिम: पहली बार 2019 के बजट भाषण के दौरान SEBI के िविनयामक अिधकार के तहत एक ‘सोशल टॉक ए सचज’ (SSE) ग ठत करने का ताव पेश कया गया था।  िसतंबर, 2019 म SEBI ारा इशरात सैन क अ य ता म सोशल टॉक ए सचज (Social Stock Exchanges – SSE) पर एक ‘कायकारी समूह’ (Working Group) का गठन कया गया था।  िसतंबर 2020 म, SEBI ारा एक ‘टा क ुप’ का गठन कया गया, य क उसे लगा क ‘कायकारी समूह’ क िसफा रश पर और िवशेष सलाह और प ता क आव यकता है।
  • 4. ‘सोशल टॉक ए सचज’ (SSE) या है?  भारत म सोशल टॉक ए सचज एक नवीन अवधारणा है। इस टॉक ए सचज पर सामािजक उ म और वैि छक संगठन को सूचीब कराया जाएगा। इसके तहत सामािजक संगठन इ टी और बांड और यूचुअल फं ड क तरह यूिनट जारी कर कोष जुटा सकगे।  ताव के अनुसार, ‘सोशल टॉक ए सचज’ मौजूदा टॉक ए सचज जैसे BSE और / या नेशनल टॉक ए सचज (NSE) म रखा जा सकते है। मह व:  इसके साथ, सामािजक क याण उ म और गैर-लाभकारी सं था के िलए एक पारदश इले ॉिनक लेटफॉम पर तथाकिथत सामािजक पूंजी जुटाने म स म हो सकगी, िजससे वे कोरोनोवायरस महामारी के कारण तबाह ए रोजगार के साधन का पुन नमाण करने म सहयोग कर सकते ह।  सिमित क इन िसफा रश को य द एक पैके ज के प म लागू कया जाता ह, तो एक जीवंत और सहायक पा रि थितक तं हो सकता है, िजससे गैर-लाभकारी े ारा सामािजक भाव का िनमाण करने के िलए अपनी पूरी मता का उपयोग कया जा सके गा। सामािजक पूंजी क आव यकता:  भारत के िलए उन रोजगार के साधन , जो उसक अथ व था के आधार ह, को दुर त करने और उनके पुन नमाण के िलए सहनशील पूंजी (Patient Capital) क एक मह वपूण रािश क आव यकता होगी। िव ीय लाभ को ाथिमकता देने वाली ‘पर परागत पूंजी’ (Conventional capital) इस तरह का बोझ उठाने म पूरी तरह से स म नह हो पाएगी।  दूसरी ओर, इस भूिमका के िलए सामािजक पूंजी (Social capital) अिधक अनुकू ल है। यह न के वल सहनशील है, बि क इसका ल य, कोिवड-19 क वजह से ढहने के कगार पर प ँच चुक सामािजक संरचना के िलए सहायता देना और इनका सुदृढ़ीकरण करना है। ‘सामािजक उ म’ या है?  ‘सामािजक उ म’ (social enterprise) राज व िनमाण करने वाले वसाय होते है। इसका मु य ल य एक सामािजक उ े य, जैसे वा य सेवा या व छ ऊजा क ाि करना है।  इसका कोई अथ नह है क एक सामािजक उ म, अ यिधक लाभदायक नह हो सकता है। वा तव म, अिधकांश सामािजक उ म पारंप रक वसाय क तरह दखते और संचािलत होते ह। इनमे एकमात्र अंतर यह होता है क इन सं था ारा उ प लाभ का उपयोग आव यक प से िहतधारक के भुगतान के िलए नह कया जाता है, इसके थान पर उनके सामािजक काय म म पुन नवेश कया जाता है। ए ी टैक (AgriStack) संदभ: सरकार ारा ‘कृ िष डेटासेट का िडिजटल ‘ टैक’ बनाने पर काय कया जा रहा है, िजसके मूल म ‘भूिम रकॉड’ तैयार करना है। कं तु, इस तरह के ‘क ीकृ त टैक’ म पुराने और अशु भूिम अिभलेख का कया जाएगा; मजबूत डेटा संर ण कानून के बगैर
  • 5. कसान के ि गत और िव ीय िववरण का उपयोग कया जाएगा। और चूं क ामीण े म िडिजटल सा रता का तर अभी काफ िन है। इसिलए, िवशेष का कहना है क ऐसा ‘ए ी टैक’ (AgriStack) सम या मक है। ए ी टैक के बारे म:  ‘ए ी टैक’ (AgriStack), भारत के कसान और कृ िष े पर यान क त करते ए क सरकार ारा तािवत ौ ोिग कय और िडिजटल डेटाबेस का एक सं ह है।  क सरकार का दावा है, क इस कार के नए डेटाबेस मु य प से कृ िष आपू त ृंखला म ऋण तक प ंच म कमी और अप य जैसे मु से िनपटने के िलए तैयार कए जा रहे ह। िवशेषताएं और मह व:  ए ी टैक’ के तहत, सरकार का ल य ‘ माट और सु वि थत कृ िष’ के िलए एक कसान इंटरफ़े स िवकिसत करने हेतु माइ ोसॉ ट (Microsoft) को कसान क िनजी जानकारी के ‘आव यक डेटा सेट’ दान करना है।  ये िडिजटल भंडार सि सडी, सेवा और नीितय के सटीक ल यीकरण म मदद करेगा।  इस काय म के तहत, देश के येक कसान को िविश पहचान के िलए भूिम अिभलेख से जुड़ी एक एफआईडी अथात ‘ कसान आईडी’ (farmers’ ID) दान क जाएगी। भारत म 140 िमिलयन काया मक कृ िष-भूिम जोत (farm-land holdings) है। संबंिधत चंता के कारण:  यह प रयोजना, बगैर ‘डेटा संर ण कानून’ बनाए कायाि वत क जा रही थी।  यह एक ऐसी या सािबत हो सकती है, िजसमे िनजी डाटा ोसे संग सं था को कसान क भूिम के बारे म, खुद कसान क तुलना म अिधक जानकारी हो सकती ह।  सुर ा उपाय के िबना, िनजी सं थाएं कसान के डेटा का िजतना चाह उपयोग कर सकगी।  यह जानकारी िवषमता, ौ ोिगक कं पिनय क ओर झुक ई है, िजससे कसान , िवशेष प से छोटे और सीमांत कसान का और अिधक शोषण हो सकता है। आव यकता:  वतमान म, संपूण भारत म अिधकांश कसान, छोटे और सीमांत कसान ह िजनके पास उ त तकनीक या औपचा रक ऋण तक प ंच सीिमत है। तकनीक और औपचा रक ऋण तक प ंच म सुधार होने से फसल-उ पादन म सुधार और बेहतर मू य ा करने म मदद िमल सकती है।  काय म के तहत, नई तािवत िडिजटल कृ िष ौ ोिग कय और सेवा म मवेिशय क िनगरानी के िलए ससर, िम ी का िव ेषण करने और क टनाशक लगाने के िलए ोन, कृ िष उपज म उ लेखनीय सुधार और कसान क आय को बढ़ावा देना शािमल है। ीनहाउस बागवानी (Greenhouse Horticulture) संदभ: 2021 म भारत के ‘ ीनहाउस बागवानी’ (Greenhouse Horticulture) बाजार का बाजार मू य 190.84 िमिलयन अमे रक डॉलर था और वष 2030 तक इसके 271.25 िमिलयन अमे रक डॉलर तक प ंचने का अनुमान है।
  • 6.  अनुमािनत अविध के दौरान बाजार म 4.19% क वृि दर दज करने क उ मीद है।  2021 म, भारत का ीनहाउस बागवानी उ पादन 27.71 िमिलयन टन था। ‘ ीनहाउस बागवानी’ के बारे म: ीनहाउस बागवानी को ‘संरि त फसल’ (Protected Cropping) के प म भी जाना जाता है। इस प ित म, बदलती वृि मान प रि थितय और/या ितकू ल मौसम, क ट और बीमा रय से सुर ा दान करने के िलए िवशेष ढांच / संरचना के भीतर, नीचे या आ य वाली ‘बागवानी फसल ’ का उ पादन कया जाता है। बागवानी िवकास भािवत करने वाले कारक:  जनसं या और भोजन क मांग म जोरदार वृि ।  सरकार के य के कारण बागवानी के अंतगत उ मशीलता म वृि । ‘बागवानी’ के बारे म: ‘बागवानी’ या ‘उ ान कृ िष’ (Horticulture) श द दो लै टन श द ‘हॉटस’ (Hortus) अथात ‘उ ान’ और ‘क चरा’ (Cultura) अथात क टीवेशन (कृ िष) से िमलकर बना है। इसिलए इसका अथ है, बगीचे म खेती क जाने वाली फसल।  यह मानव भोजन, गैर-खा उपयोग और सामािजक आव यकता के िलए फल , सि जय , फू ल और अ य पौध के उ पादन, उपयोग और सुधार करने का िव ान और कला है।  एलएच बेली (H. Bailey) को ‘अमे रक बागवानी’ का जनक माना जाता है और एम.एच. मैरीगौड़ा (M.H. Marigowda) को भारतीय बागवानी का जनक माना जाता है। डेटा िव ेषण: 1. भारत, िव म चीन के बाद फल और सि जय का दूसरा सबसे बड़ा उ पादक देश है। 2. बागवानी फसल, भारत म कु ल कृ िष उपज का एक मह वपूण िह सा ह, और एक िव तृत खेती े को कवर करती ह, इसके अलावा सकल घरेलू उ पाद (जीडीपी) म इनका योगदान लगभग 28 ितशत है। 3. भारत से कृ िष व तु के कु ल िनयात म बागवानी फसल का िह सा 37 ितशत ह। 4. वष 2019-20 के दौरान, देश म 25.66 िमिलयन हे टेयर े से 320.77 िमिलयन टन बागवानी उ पादन दज कया गया था। चुनौितयां:  कम या सीिमत लागत के कारण मशीनरी और उपकरण क उपल धता-अंतराल और फसल कटाई के बाद के बंधन क ऊ ँ ची लागत क वजह से, काफ नुकसान का सामना करना पड़ता है।  को ड टोरेज और अ छी तरह से जुड़े प रवहन नेटवक जैसे आपू त ृंखला के बुिनयादी ढांचे का अभाव।  मु य प से िनयात के िलए उ इनपुट लागत और बाजार आसूचना क सीिमत उपल धता के कारण बागवानी फसल को लगाने म क ठनाइयाँ।  खा ा के िलए यूनतम समथन मू य (MSP) जैसे कोई सुर ा ावधान उपल ध नह ह।  देश म मौजूदा मांग क तुलना म बागवानी व तु का उ पादन काफ कम है। एक कृ त बागवानी िवकास िमशन: (Mission for Integrated Development of Horticulture – MIDH) यह फल, स जी, मश म, मसाल , फू ल, आ द को शािमल करते ए बागवानी े के फसल के सम िवकास हेतु एक ‘क ायोिजत योजना’ है।
  • 7.  इस योजना को ‘कृ िष एवं कसान क याण मं ालय’ ारा वष 2014-15 से लगातार कायाि वत कया जा रहा है।  एक कृ त बागवानी िवकास िमशन (MIDH) के तहत, भारत सरकार पूव र और िहमालयी रा य को छोड़कर सभी रा य म िवकास काय म के कु ल प र य का 60% योगदान करती है, िजसम 40% िह सा रा य सरकार ारा दया जाता है।  पूव र और िहमालयी रा य के मामले म भारत सरकार 90% योगदान करती है। बागवानी पर एक कृ त बागवानी िवकास िमशन क पांच मुख योजनाएं ह- 1. रा ीय बागवानी िमशन (National Horticulture Mission – NHM) 2. पूव र और िहमालयी रा य के िलए बागवानी िमशन (Horticulture Mission for North East and Himalayan States – HMNEH) 3. रा ीय बागवानी बोड (National Horticulture Board – NHB) 4. ना रयल िवकास बोड (Coconut Development Board – CDB) और 5. क ीय बागवानी सं थान (Central Institute of Horticulture – CIH), नागालड। सू मिव िविनयम (Microfinance Regulations) संदभ: हाल ही म, आरबीआई ारा ‘सू मिव ऋण देने संबंधी नए मानदंड’ (New Microfinance Lending Norms) जारी कए गए ह। इन मानदंड के अनुसार:  ये मानदंड सभी सं था , बक , गैर-ब कं ग िव ीय कं पिनयां (NBFCs), और माइ ोफाइनस सं थान (MFIs) पर समान प से लागू ह गे।  एक माइ ोफाइनस ऋण को आरबीआई ारा 3 लाख पये तक क वा षक घरेलू आय वाले प रवार को दए गए ‘संपा क-मु ’ ऋण (Collateral-Free loan) के प म प रभािषत कया गया है।  कम आय वाले प रवार को दए जाने वाले सभी संपा क-मु ऋण, अंितम उपयोग और आवेदन/ सं करण/िवतरण के तरीके क परवाह कए िबना, ‘माइ ोफाइनस ऋण’ माने जाते ह।  िव ीय सं था के पास उधारकता क आव यकता के अनुसार माइ ोफाइनस ऋण पर चुकौती आविधकता का लचीलापन दान करने के िलए बोड ारा अनुमो दत नीित होनी चािहए। घरेलू आय के आकलन के िलए उनके पास बोड ारा अनुमो दत नीित भी होनी चािहए। ‘माइ ोफाइनस’ अथवा ‘सू म िव ’ या है? माइ ोफाइनस (Microfinance), गरीब और िन आय वाले प रवार को छोटे ऋण और अ य िव ीय सेवाएं दान करने हेतु िव ीय सेवा का एक प होता है।  सू म िव सं थान (MFIs) वे िव ीय कं पिनयां होती ह जो उन लोग को लघु ऋण दान करती ह िजनके पास ब कं ग सुिवधा तक प ंच नह है।
  • 8.  “लघु ऋण” (Small Loans) क प रभाषा, िविभ देश के बीच अलग-अलग होती है। भारत म, 1 लाख पये से कम के सभी ऋण को सू म ऋण माना जा सकता है। सू म ऋण (Microcredit) िविभ सं थागत चैनल के मा यम से दान कए जाते ह, जैसे: 1. लघु िव बक (SFBs) और े ीय ामीण बक (RRBs) सिहत सभी अनुसूिचत वािणि यक बक (Scheduled commercial banks) 2. सहकारी बक 3. गैर-ब कं ग िव ीय कं पिनयां (NBFCs) 4. NBFCs के प म पंजीकृ त माइ ोफाइनस सं थान (MFIs)। ताव का मह व:  आरबीआई ने इस कदम से माइ ोफाइनस े क प रप ता म अपना िव ास जताया है।  यह एक दूरंदेशी कदम है जहां पारदश शत पर उिचत याज दर तय करने क िज मेदारी सं था को सौपी गयी है। सुधार-आधा रत और प रणाम-संब , संशोिधत िवतरण े क योजना (Reforms-Based and Results-Linked, Revamped Distribution Sector Scheme) संदभ: ‘ ामीण िव ुतीकरण िनगम’ (Rural Electrification Corporation – REC) और ‘िव ुत् िव िनगम’ (Power Finance Corporation – PFC) ारा 31 माच तक उ र देश, असम और मेघालय सिहत रा य के िलए धन-रािश क पहली क त जारी क जाएगी। आरईसी और पीएफसी रा य ारा संचािलत ऋणदाता इकाइयाँ है, और िपछले साल अग त म क ीय िव ुत् मं ालय ारा शु क गई 3.03 लाख करोड़ पये क ‘संशोिधत िवतरण े योजना’ (Revamped Distribution Sector Scheme – RDSS) के िलए नोडल ऋणदाता एजिसयां ह। यह धनरािश क सरकार से अनुदान के तदथ 10% के प म िवत रत क जाएगी, और शेष रािश का िवतरण योजना के तहत िविभ शत को पूरा करने वाले संबंिधत िड कॉम पर िनभर करेगा। योजना के बारे म:  ‘सुधार-आधा रत और प रणाम-संब , संशोिधत िवतरण े क योजना’ (Reforms-Based and Results-Linked, Revamped Distribution Sector Scheme) 03 िलयन पये के मू य क योजना है, िजसमे क क िह सेदारी 97,631 करोड़ है।  इसका उ े य िड कॉम (िनजी े क िड कॉम को छोड़कर) क प रचालन मता और िव ीय ि थरता म सुधार करना है। योजना के मुख बंदु: 1. यह एक ‘सुधार-आधा रत और प रणाम-संब ’ योजना है। 2. इस योजना का उ े य िनजी े के DISCOMs के अलावा सभी DISCOMs / िव ुत िवभाग क प रचालन मता और िव ीय ि थरता म सुधार करना है। 3. इस योजना के तहत, आपू त बुिनयादी ढांचे (Supply Infrastructure) को मजबूत करने के िलए DISCOMs को सशत िव ीय सहायता दान क जाएगी।
  • 9. 4. यह सहायता पूव-अहता मानदंड को पूरा करने के साथ-साथ DISCOM ारा बुिनयादी तर पर यूनतम मानक को पूरा करने क उपलि ध पर आधा रत होगी। 5. इस योजना के तहत, िवतरण े म, िबजली फ डर से लेकर उपभो ा तर तक एक ‘अिनवाय माट मीट रंग इकोिस टम’ शािमल कया गया है – िजसम लगभग 250 िमिलयन प रवार शािमल ह गे। 6. यह योजना असंब फ डर के िलए फ डर वग करण हेतु िव पोषण पर भी यान क त करती है। 7. इस योजना म फ डर के सौरकरण से संचाई के िलए दन म स ती / िनःशु क िबजली िमलेगी और कसान को अित र आय होगी। काया वयन: ‘एक कृ त िव ुत िवकास योजना’ (Integrated Power Development Scheme), ‘दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना’ (DDUGJY) और ‘ धानमं ी सहज िबजली हर घर योजना’ जैसी मौजूदा िव ुत े सुधार योजना को इस अ ेला काय म म िवलय कर दया जाएगा।  योजना का काया वयन “सभी के िलए अनुकू ल एक व था” (one-size-fits-all) दृि कोण के बजाय येक रा य के िलए तैयार क गई काय योजना पर आधा रत होगा।  योजना के काया वयन को सुिवधाजनक बनाने के िलए ‘ ामीण िव ुतीकरण िनगम’ (REC) िलिमटेड और ‘पावर फाइनस कॉप रेशन’ (PFC) को नोडल एजिसय के प म नािमत कया गया है। योजना के उ े य: 1. 2024-25तक अिखल भारतीय तर पर ‘कु ल तकनीक और वािणि यक हािन’ (aggregate technical and commercial loss- AT&C loss) औसत को 12-15% तक कम करना। 2. 2024-25 तक िबजली क लागत और आपू त-क मत अंतराल को घटाकर शू य करना। 3. आधुिनक DISCOMs के िलए सं थागत मता का िवकास करना। 4. िव ीय प से टकाऊ और प रचालन प से कु शल िवतरण े के मा यम से उपभो ा को िबजली आपू त क गुणव ा, िव सनीयता और साम य म सुधार करना। भारत म बेरोजगारी (Unemployment in India) संदभ: रा ीय सांि यक कायालय (NSO) ारा जारी नवीनतम ‘आविधक म बल सव ण’ (Periodic Labour Force Survey – PLFS) के अनुसार:  2021 क अ ैल-जून ितमाही म भारत क शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 12.6 ितशत हो गई, जब क जनवरी-माच ितमाही म यह 9.3 ितशत थी।  हालां क, इसम कोिवड महामारी क पहली लहर के दौरान देखे गए 20.8 ितशत के बेरोजगारी तर से कमी आयी है। महामारी का भाव: महामारी का सबसे बड़ा नुकसान बेरोजगारी के प म होगा। ‘भारतीय अथ व था िनगरानी क ’ (Centre for Monitoring Indian Economy – CMIE) के अनुसार, देश क बेरोजगारी दर अ ैल के अिधकांश दन म बढ़ी है और 7.4 ितशत तक प ंच गई, और इसके माच म 6.5% क तुलना म लगभग 8% अिधक होने क आशंका है।
  • 10.  शहरी और ामीण भारत म लगभग 10 िमिलयन वेतनभोगी नौक रयां खो गई ह, और यह सुिनि त नह है क कतने लोग को अपनी आजीिवका वापस िमलेगी।  शहरी मिहला का दशन, शहरी पु ष क तुलना म खराब रहा है। 15-29 आयु वग म, शहरी मिहला क बेरोजगारी दर अ ैल-जून 2021 के दौरान पु ष के िलए 24 ितशत क तुलना म 31 ितशत थी।  अ ैल-जून 2020 म शहरी मिहला और पु ष क बेरोजगारी दर मशः 36 ितशत और 34.3 ितशत रही। भारत म बेरोजगारी के कार: छ बेरोजगारी (Disguised Unemployment):  यह एक ऐसी घटना है िजसम वा तव म आव यकता से अिधक लोग को िनयोिजत कया जाता है।  यह मु य प से भारत के कृ िष और असंग ठत े म पायी जाती है। मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment):  यह साल के कु छ खास मौसम के दौरान होने वाली एक बेरोजगारी होती है।  भारत म खेितहर मजदूर के िलए पूरे साल भर िवरले ही काम िमल पाता है। संरचना मक बेरोजगारी (Structural Unemployment):  यह बाजार म उपल ध नौक रय और बाजार म उपल ध िमक के कौशल के बीच िवषमता होने से उ प होने वाली बेरोजगारी क एक ेणी है।  भारत म ब त से लोग को अपेि त कौशल क कमी के कारण नौकरी नह िमलती है और खराब िश ा तर के कारण उ ह िशि त करना मुि कल हो जाता है। च य बेरोजगारी (Cyclical Unemployment):  यह ‘ ापार च ’ का प रणाम होता है, िजसमे मंदी के दौरान बेरोजगारी बढ़ती है और आ थक िवकास होने के साथ घटती जाती है।  भारत म च य बेरोजगारी के आंकड़े नग य ह। यह एक ऐसी घटना है जो यादातर पूंजीवादी अथ व था म पाई जाती है। तकनीक बेरोजगारी (Technological Unemployment):  यह तकनीक म बदलाव होने के कारण नौक रय म कमी होने से उ प बेरोजगारी होती है।  2016 म, िव बक के आंकड़ के अनुमान के अनुसार, भारत म ऑटोमेशन से खतरे म पड़ी नौक रय का अनुपात साल- दर-साल 69% है। ितरोधा मक या घषण जिनत बेरोजगारी (Frictional Unemployment):  ितरोधा मक बेरोज़गारी को ‘खोज बेरोज़गारी’ भी कहा जाता है। जब कोई ि नई नौकरी क तलाश करता है या नौकरी को बदलता है, तो नौक रय के बीच खाली समय अंतराल को ितरोधा मक बेरोज़गारी के प म जाना जाता है।  दूसरे श द म, एक कमचारी को एक नई नौकरी खोजने या मौजूदा नौकरी से एक नई नौकरी म थानांत रत करने के िलए समय क आव यकता होती है, िजसमे अप रहाय समय क देरी घषण-जिनत बेरोजगारी का कारण बनती है। इसे अ सर वैि छक बेरोजगारी के प म माना जाता है य क यह नौकरी क कमी के कारण नह होता है, बि क वा तव म, बेहतर अवसर क तलाश म िमक वयं अपनी नौकरी छोड़ देते ह। अितसंवेदनशील रोज़गार (Vulnerable Employment):
  • 11.  इसका मतलब अनौपचा रक प से काम करने वाले ि य से है, जो उिचत नौकरी अनुबंध के िबना और इस कार िबना कसी कानूनी सुर ा के काय करते ह।  इन ि य को ‘बेरोजगार’ माना जाता है य क उनके काम का रकॉड कभी नह रखा जाता है।  यह भारत म बेरोजगारी के मु य कार म से एक है। बेरोजगारी के कारण:  बड़ी आबादी।  कामकाजी आबादी म कसी शैि क तर या ावसाियक कौशल क कमी या अभाव।  अपया रा य सहयोग, कानूनी ज टलताएं और छोटे/कु टीर उ ोग या छोटे वसाय के िलए ढांचागत कमी, िव ीय और बाजार संबंध, लागत और अनुपालन क अिधकता ऐसे उ म को अ वहाय बना देती है।  आव यक िश ा/कौशल क कमी के कारण अनौपचा रक े से जुड़ा िवशाल कायबल, िजसका िववरण कसी भी रोजगार डेटा म दज नह होता है। उदाहरण के िलए: घरेलू सहायक, िनमाण िमक आ द।  कू ल और कॉलेज म पढ़ाया जाने वाला पा म उ ोग क वतमान आव यकता के अनुसार नह होता है। यह संरचना मक बेरोजगारी का मु य कारण है।  बुिनयादी ढांचे क अपया वृि और िविनमाण े म कम िनवेश, ि तीयक े क रोजगार मता को सीिमत करता है।  कृ िष े म कम उ पादकता के साथ-साथ कृ िष िमक के िलए वैकि पक अवसर क कमी, जो ाथिमक से मा यिमक और तृतीयक े म सं मण को क ठन बना देती है।  ितगामी सामािजक मानदंड, जो मिहला को रोजगार करने/जारी रखने से रोकते ह। भाव:  बेरोजगारी क सम या गरीबी क सम या को ज म देती है।  युवा लंबे समय तक बेरोजगारी के बाद, पैसा कमाने के िलए अवैध और गलत गितिविधय म िल हो जाते ह। इससे देश म अपराध भी बढ़ रहे ह।  बेरोजगार ि य को असामािजक त व ारा आसानी से बहकाया जा सकता है। इससे उनका देश के लोकतांि क मू य से िव ास उठ जाता है।  अ सर यह देखा जाता है क बेरोजगार लोग स और शराब के आदी हो जाते ह या आ मह या करने का यास करते ह, िजससे देश के मानव संसाधन को नुकसान होता है।  यह देश क अथ व था को भी भािवत करता है य क िजस कायबल को संसाधन उ प करने के िलए लाभकारी प से िनयोिजत कया जा सकता था, वह वा तव म शेष कामकाजी आबादी पर िनभर हो जाता है, इस कार रा य के िलए सामािजक आ थक लागत बढ़ जाती है। उदाहरण के िलए, बेरोजगारी म 1 ितशत क वृि से सकल घरेलू उ पाद म 2 ितशत क कमी आती है। सरकार ारा उठाए गए कदम:  ामीण े म पूण रोजगार के अवसर पैदा करने के िलए 1980 म एक कृ त ामीण िवकास काय म (IRDP) शु कया गया था।  वरोजगार हेतु ामीण युवा का िश ण (TRYSEM): यह योजना 1979 म 18 से 35 वष क आयु के बेरोजगार ामीण युवा को वरोजगार के िलए कौशल हािसल करने म मदद करने के उ े य से शु क गई थी। अनुसूिचत जाित/अनुसूिचत जनजाित के युवा और मिहला को ाथिमकता दी गई।
  • 12.  RSETI/RUDSETI: युवा म बेरोजगारी क सम या को कम करने के उ े य से, 1982 म ी धम थल मंजुनाथे र एजुके शनल ट, संिडके ट बक और के नरा बक ारा संयु प से एक नई पहल का यास कया गया, िजसके तहत कनाटक म धम थल के समीप ‘ ामीण िवकास और वरोजगार िश ण सं थान’ (RURAL DEVELOPMENT AND SELF EMPLOYMENT TRAINING INSTITUTE – RUDSETI) क थापना क गयी थी। ‘ ामीण वरोजगार िश ण सं थान (RSETIs) अब भारत सरकार और रा य सरकार के स य सहयोग से बक ारा बंिधत कए जाते ह।  दो पूववत मजदूरी रोजगार काय म – रा ीय ामीण रोजगार काय म (NREP) और ामीण भूिमहीन रोजगार गारंटी काय म (RLEGP) को िमलाकर जवाहर रोजगार योजना (JRY) 1 अ ैल, 1989 से क और रा य के म य 80:20 लागत बंटवारे के आधार पर शु क गई थी।  महा मा गांधी रा ीय ामीण रोजगार गारंटी अिधिनयम (MNREGA): यह एक रोजगार योजना है िजसे 2005 म सामािजक सुर ा दान करने के िलए उन सभी प रवार को ित वष यूनतम 100 दन के भुगतान काय क गारंटी देकर शु कया गया था। यह अिधिनयम लोग को ‘काम का अिधकार’ दान करता है।  2015 म शु क गई धान मं ी कौशल िवकास योजना (पीएमके वीवाई) का उ े य बड़ी सं या म भारतीय युवा को उ ोग- ासंिगक कौशल िश ण लेने म स म बनाना है जो उ ह बेहतर आजीिवका हािसल करने म मदद करेगा।  2016 म शु क गई टाट अप इंिडया योजना का उ े य एक ऐसा पा रि थितक तं िवकिसत करना है जो पूरे देश म उ िमता को बढ़ावा देता है और उसका पोषण करता है।  टड अप इंिडया योजना, 2016 म शु क गई थी, िजसका उ े य ीनफ ड उ म थािपत करने के िलए कम से कम एक अनुसूिचत जाित या अनुसूिचत जनजाित के उधारकता और ित बक शाखा म कम से कम एक मिहला उधारकता को 10 लाख से 1 करोड़ पये के बीच बक ऋण क सुिवधा दान करना है।