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1. D A I L Y N E X T
C A P S U L E W I L L
H E L P Y O U T O
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िवमु जनजाितय क ि थित
(State Of Denotified Tribes)
संदभ:
हाल ही म, संसद क एक थायी सिमित ने अपनी रपोट
म, “िवमु (De-Notified), खानाबदोश या
घुमंतू (Nomadic) और अध-घुमंतू (Semi-
Nomadic) जनजाितय के िवकास काय म” के
कामकाज क आलोचना क है।
िवमु , खानाबदोश और अध-घुमंतू जनजाितय के बारे
म:
‘िवमुक्त, खानाबदोश और अध-घुमंतू जनजाितयां’ (De-Notified, Nomadic And Semi-Nomadic Tribes) ऐसे समुदाय ह,
िज ह ि टश शासन के दौरान ‘आपरािधक जनजाित अिधिनयम, 1871’ (Criminal Tribes Act of 1871) तथा इसके बाद लागू
कए जाने वाले कानून क एक ृंखला के तहत ‘ज मजात अपराधी‘ के प म ‘अिधसूिचत‘ कया गया था।
वतमान म भी ये सबसे असुरि त और वंिचत समुदाय ह।
इन समुदाय के क याण हेतु कए गए उपाय:
1. वष 2006 म ‘रा ीय िवमु , घुमंतू और अध-घुमंतू जनजाित आयोग’ (National Commission for De-notified,
Nomadic and Semi-Nomadic Tribes – NCDNT) का गठन कया गया था। इस आयोग के अ य ‘बालकृ ण िसदराम
रके ’ थे।
2. िवमु समुदाय के आ थक सशि करण के िलए योजना: िवमु समुदाय (DNT communities) के सद य के िलए,
जाग कता एवं िश ा, वा य बीमा, आजीिवका क सुिवधा और घर के िनमाण के िलए िव ीय सहायता दान करने के
िलए ‘िवमु समुदाय के आ थक सशि करण के िलए योजना’ तैयार क गई है।
3. क याणकारी काय म को लागू करने के उ े य से सामािजक याय और अिधका रता मं ालय के त वावधान म सोसायटी
पंजीकरण अिधिनयम, 1860 के तहत वास 2019 म “िवमु , घुमंतू और अध-घुमंतू समुदाय के िलए िवकास और क याण
बोड” (Development and Welfare Board for De-notified, Nomadic and Semi-Nomadic Communities –
DWBDNC) क थापना क गई है।
4. इन समुदाय क पहचान या को पूरा करने के िलए नीित आयोग ारा एक सिमित का गठन कया गया है।
5. ‘भारतीय मानव िव ान सव ण’ ारा ‘िवमु समुदाय ’ का नृवंशिव ान अ ययन कया जा रहा है, िजसके िलए 2.26 करोड़
पये का बजट वीकृ त कया गया है।
व मान मु े:
1. संवैधािनक आधार का अभाव: ये जनजाितयाँ कसी तरह हमारे संिवधान िनमाता के यान से बच ग और इस कार
अनुसूिचत जाितय और अनुसूिचत जनजाितय के िवपरीत ये समुदाय ‘संवैधािनक सुर ा’ से वंिचत रह गए।
2. वग करण िवहीन: इनम से कु छ जनजाितय को एससी, एसटी और ओबीसी के तहत वग कृ त कया गया है, और
कु छ जनजाितयां कसी समूह म वग कृ त नह क गयी ह। और 269 िवमु समुदाय कसी भी आरि त ेणी के अंतगत नह
आते ह।
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3. िवमु समुदाय (DNT communities) क आ थक सशि करण योजना के तहत 2021-22 म कोई पैसा खच नह कया
गया।
4. इनके िलए 2021-22 के िलए बजटीय आवंटन 50 करोड़ पये के मुकाबले, 2022-23 के िलए बजटीय आवंटन को
घटाकर 28 करोड़ पये कर दया गया है।
5. िवमु , घुमंतू और अध-घुमंतू समुदाय के िलए िवकास और क याण बोड (DWBDNC) के कामकाज संबंधी मु े।
6. इन समुदाय के िलए कोई थायी आयोग नह है।
इन समुदाय क सं या:
‘रेनके आयोग’ ने 2001 क जनगणना के आधार पर उनक आबादी लगभग 10.74 करोड़ होने का अनुमान लगाया था।
इस आयोग ारा 1,262 समुदाय को िवमु , खानाबदोश और अध-घुमंतू के प म िचि नत कया गया है।
इन समुदाय के वंिचत रहने के कारण:
ये समुदाय मु य प से राजनीितक प से ‘शांत‘ रहते ह।
इनके पास मुखर नेतृ व क कमी है और एक रा ीय नेता के संर ण का भी अभाव है।
िश ा का अभाव।
छोटी और िबखरी ई आबादी।
संब आयोग और सिमितयाँ:
संयु ांत (अब उ र देश) म आपरािधक जनजाित जांच सिमित, 1947 का गठन,
1949 म अनंतशयनम आयंगर सिमित (यह इस सिमित क रपोट के आधार पर ‘आपरािधक जनजाित अिधिनयम’ को िनर त
कर दया गया था) का गठन, और
1953 म ग ठत ‘काका कालेलकर आयोग’ (िजसे पहला ओबीसी आयोग भी कहा जाता है)।
सतलुज यमुना लंक (एसवाईएल) नहर
(Sutlej Yamuna Link (SYL) Canal)
संदभ:
हाल ही म, ह रयाणा िवधानसभा ारा ‘सतलुज यमुना
लंक नहर’ (SYL Canal) को पूरा करने क मांग करते
ए एक ताव पा रत कया गया है।
नहर के पूरा हो जाने के बाद, रावी और यास न दय के
पानी को दोन रा य के बीच बटबारे म मदद िमलेगी।
पंजाब क मांग:
रा य सरकार के एक अ ययन के अनुसार, वष 2029 के बाद पंजाब म कई े सूख / िनजल हो सकते ह। रा य पहले ही संचाई के
िलए अपने भूजल का अ यिधक दोहन कर चुका है, य क पंजाब हर साल 70,000 करोड़ पये के गे ं और धान उगाकर क सरकार
के अ भंडार को भरता है। रपोट के अनुसार, रा य के लगभग 79% े म पानी का अ यिधक दोहन कया जाता है।
ऐसे म सरकार का कहना है, क कसी दूसरे रा य के साथ पानी बांटना नामुम कन है।
सतलुज यमुना लंक (एसवाईएल) नहर और इस पर िववाद:
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ऐितहािसक पृ भूिम:
1966 म पुराने (अिवभािजत) पंजाब से ह रयाणा को अलग कए जाने के बाद, ह रयाणा को नदी के पानी का िह सा देने क सम या
का ज म आ।
पंजाब ारा ‘नदी या नाले या ाकृ ितक जल धारा के तट से संबंिधत िस ांतो’ (Riparian Principles) का हवाला देते ए
तथा रा य के पास पानी के अभाव का तक देते ए ‘रावी और यास न दय ’ के पानी को ह रयाणा के साथ साझा करने का
िवरोध कया गया था।
फर भी, क सरकार ारा वष 1976 म अिवभािजत पंजाब के 7.2 िमिलयन एकड़ फ ट (MAF) जल म से ह रयाणा को 35
लाख MAF जल आवं टत करने क अिधसूचना जारी क गयी।
1981 म कए गए एक पुनराकलन (Reassessment) म, यास और रावी म बहने वाले पानी क मा ा का अनुमान
17.17 MAF लगाया गया था, िजसम से 4.22 MAF पंजाब को, 3.5 MAF ह रयाणा को और 8.6 MAF राज थान को
आवं टत कया गया था।
इसके प ात, पानी क उपल धता और बंटवारे के पुनराकलन के िलए सु ीम कोट के जज वी बालकृ ण एराडी क अ य ता म
‘एराडी यूनल’ (Eradi Tribunal) क थापना क गई। यूनल ने 1987 म पंजाब और ह रयाणा के िह स म मश: 5
एमएएफ और 3.83 एमएएफ क वृि क िसफा रश क ।
सतलुज यमुना लंक नहर:
सतलुज और उसक सहायक यास नदी के पानी के अपने िह से का उपयोग करने हेतु ह रयाणा को समथ बनाने के
िलए, सतलुज को यमुना से जोड़ने वाली तथा पूरे रा य से होकर बहती ई एक नहर का िनमाण कए जाने क योजना बनाई
गई थी।
इस संबंध म पंजाब, ह रयाणा और राज थान के बीच ि प ीय समझौता भी आ।
सतलुज यमुना लंक नहर, सतलुज और यमुना न दय को जोड़ने के िलए तािवत 214 कलोमीटर लंबी नहर है। हालाँ क,
इस ताव के सामने कई अवरोध उ प हो गए और इसे सव यायालय म भेज दया गया।
ह रयाणा क मांग:
ह रयाणा अपने िह से का 35 लाख एकड़ फु ट नदी का पानी पाने के िलए SYL नहर को पूरा करने क मांग कर रहा है। इसका कहना है
क पंजाब को इस संबंध म 2002 और 2004 के सु ीम कोट के आदेश का पालन करना चािहए। वतमान म, ह रयाणा को रावी- यास
जल का 1.62 िमिलयन एकड़ फ ट पानी िमल रहा है।
िव वा य संगठन ारा ‘कोवाि सन’ पर रोक
संदभ:
िव वा य संगठन (WHO) ारा हाल ही म, िनमाण से
संबंिधत मु के िनरी ण के बाद ‘संयु रा एजिसय ’ के
मा यम से कोिवड -19 वै सीन ‘कोवाि सन’ (Covaxin) क
आपू त को िनलंिबत कर दया गया है।
‘कोवाि सन’ के िलए कब अनुमो दत कया गया था?
कोरोनोवायरस बीमारी से सुर ा के िलए िव वा य संगठन’ (WHO) ारा िनधा रत मानक पर खरा उतरने के
बाद, ‘कोवाि सन’ (Covaxin) के िलए नवंबर 2021 म ड यूएचओ से ‘आपातकालीन उपयोग सूची’ (emergency use
listing – EUL) म शािमल कए जाने को अनुमोदन ा आ था।
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कसी टीके को, COVAX पहल के तहत टीके क आपू त का िह सा बनने के िलए WHO क ‘आपातकालीन उपयोग सूची’ म
शािमल होना एक पूव-शत है।
ड यूएचओ ारा द लाइसस ने, ‘भारत बायोटेक’ के िलए COVAX सिहत अ य संयु रा एजिसय को ‘कोवाि सन’ क
आपू त करने का माग श त कया था।
वतमान िववाद:
‘कोवाि सन’ (Covaxin) के िलए ‘आपातकालीन उपयोग सूची’ (emergency use listing – EUL) म शािमल कए जाने को
अनुमोदन दान करते समय, WHO ारा कोई जांच नह क गयी थी।
इस संबंध म WHO ारा माच 2022 म ‘जांच’ शु क गयी थी और इसके आधार पर ड यूएचओ ने संयु रा क खरीद
एजिसय के मा यम से ‘कोवाि सन’ क आपू त को िनलंिबत करने क घोषणा क है।
अपने िनरी ण म, ड यूएचओ ारा ‘उिचत िविनमाण या ’ (Good Manufacturing Practices – GMP) म
किमयां पा गयी है।
‘उिचत िविनमाण या’ (GMP) या है?
‘उिचत िविनमाण या’ / गुड मै युफै च रंग ैि टस (Good Manufacturing Practices – GMP) उ पाद के लगातार उ पादन
और िनयं ण गुणव ा मानक के अनुसार कए जाने को सुिनि त करने के िलए अपनाई जाने वाली णाली है।
इस णाली को कसी भी दवा उ पादन म शािमल जोिखम – िज ह अंितम उ पाद के परी ण के मा यम से समा नह कया
जा सकता- को यूनतम करने के िलए िडज़ाइन कया गया है।
100 से अिधक देश ने अपने ‘रा ीय औषिध
कानून ’ म WHO के GMP ावधान को
शािमल कया जा चुका है, और कई और देश ने
अपनी रा ीय GMP आव यकता को
प रभािषत करने म इसके ावधान और
दृि कोण को अपनाया आ है।
ड यूएचओ क ‘उिचत िविनमाण
या’ (GMP) का उपयोग ‘ड यूएचओ
माणन योजना’ और संयु रा एजिसय ारा
खरीद के िलए टीक क ‘पूव यो यता’ के आधार
के प म भी कया जा रहा है।
‘कोवाि सन’ के बारे म:
‘कोवाि सन’ (Covaxin), कोिवड- 19 अथात SARS-
CoV-2 के िखलाफ एक संपूण िवषाणु-िनि यक टीका है।
इसे भारतीय िच क सा अनुसंधान प रषद और नेशनल
इं टी ूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ारा साझेदारी म
िवकिसत कया गया है।
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आईपीसीसी और इसक आंकलन रपोट का मह व
संदभ:
हाल ही म ‘अंतर-सरकारी जलवायु प रवतन सिमित’ (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) क ‘छठी
आकलन रपोट’ (Sixth Assessment Report – AR6) का तीसरा भाग जारी कया गया है।
1. इस रपोट का पहला भाग िपछले साल अग त म जारी कया गया था, जो क जलवायु प रवतन के वै ािनक आधार पर क त
था।
2. रपोट का दूसरा भाग जलवायु प रवतन के भाव , जोिखम और कमजो रय और अनुकू लन िवक प के बारे म है।
3. रपोट का तीसरा और अंितम भाग उ सजन को कम करने क संभावना को तलाशने पर क त है।
‘छठी आकलन रपोट’ (AR6) या है?
संयु रा ारा ग ठत ‘जलवायु प रवतन पर अंतर सरकारी पैनल’ (IPCC) क छठी आकलन रपोट (Sixth Assessment
Report – AR6), जलवायु प रवतन से संबंिधत वै ािनक, तकनीक और सामािजक-आ थक जानकारी का आकलन करने के उ े य से
तैयार क जाने वाली रपोट क एक ृंखला म छठी रपोट है।
यह रपोट अतीत, वतमान और भिव य क जलवायु का अवलोकन करते ए जलवायु प रवतन क भौितक का आंकलन
करती है।
इस रपोट म, मानव-जिनत उ सजन क वजह से हमारे ह म होने वाले प रवतन और हमारे सामूिहक भिव य के िलए इसके
िनिहताथ के बारे म बताया गया है।
पहली आकलन रपोट वष 1990 म जारी क गयी थी। इस रपोट म, पृ वी क जलवायु क ि थित का सबसे ापक मू यांकन कया
जाता है।
अब तक, मशः 1990, 1995, 2001, 2007 और 2015 म पांच आकलन रपोट जारी क जा चुक ह।
आईपीसीसी रपोट का मह व:
‘अंतर-सरकारी जलवायु प रवतन सिमित’ (IPCC) क रपोट, िव के तमाम देश ारा जलवायु प रवतन का सामना करने
हेतु बनाई जाने वाली नीितय के िलए एक ‘वै ािनक आधार’ दान करती है।
आईपीसीसी रपो स, अपने आप म नीितगत िनदशा मक नह होती ह; इन रपो स म यह बही बताया जाता है क, देश या
सरकार को या करना चािहए और या नह करना चािहए। ये रपो स, के वल यथासंभव वै ािनक माण के साथ
त या मक ि थितय को तुत करती ह।
और फर भी, ये रपो स जलवायु प रवतन से िनपटने के िलए काय योजना तैयार करने म ब त मददगार हो सकती ह।
ये रपोट, वैि क तर पर िविभ देश क ित या पर िनणय करने हेतु ‘अंतरा ीय जलवायु प रवतन वाता ’ का
आधार भी बनती ह। इ ह वाता के तहत, ‘पे रस समझौते’ और पहले ‘ योटो ोटोकॉल’ को तैयार कया गया था।
‘अंतर-सरकारी जलवायु प रवतन सिमित’ (IPCC) के बारे म:
‘अंतर-सरकारी जलवायु प रवतन सिमित’ (Intergovernmental Panel on Climate Change – IPCC), मानव े रत जलवायु
प रवतन पर जानकारी एवं ान म वृि करने हेतु उ रदायी, संयु रा का एक अंतर सरकारी िनकाय है।
इसक थापना, वष 1988 म ‘िव मौसम िव ान संगठन’ (WMO) और ‘संयु रा पयावरण काय म (UNEP)’ के ारा
क गयी थी।
मु यालय: िजनेवा, ि व जरलड।
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काय: नीित िनमाता को, जलवायु प रवतन के वै ािनक आधार, इसके भाव और भिव य के जोिखम और अनुकू लन और
शमन के िवक प का िनयिमत आकलन दान करना।
‘छठी आकलन रपोट’ (Sixth Assessment Report – AR6) के तीसरे भाग के मुख बंदु:
1. रपोट म पाया गया है, क संपूण िव म िपछले एक दशक से उ सजन म लगातार वृि जारी है। 2010-19 के दशक म
औसत वा षक ‘वैि क ीनहाउस गैस उ सजन’ मानव इितहास म अपने उ तम तर पर था।
2. लोबल वा मग को लगभग 1.5 िड ी सेि सयस तक सीिमत करने के िलए वैि क ‘ह रत गैस ’ के उ सजन को 2025 से पहले
चरम तर पर ले जाने और फर 2030 तक इसे 43% तक कम कए जाने क आव यकता है।
3. ‘पे रस समझौते’ के तहत िलए गए संक प अपया ह: पे रस समझौते पर ह ता र करने वाले देश ारा क गई वतमान
संक प को ‘रा ीय तर पर िनधा रत योगदान’ (Nationally Determined Contributions) के प म जाना जाता है।
4. िवकिसत देश से अ य प ‘जलवायु िव ’ वाह ने िवकासशील देश म ऊजा सं मण को भािवत कया है।
ीन हाइ ोजन मता
(Green Hydrogen Potential)
संदभ:
इंिडयन ऑयल कॉप रेशन (IOC), लासन एंड टु ो (L&T), और ReNew Power (ReNew) ने भारत म ‘ह रत हाइ ोजन
े ’ (Green Hydrogen sector) को िवकिसत करने के िलए एक ‘संयु उ म’ (Joint Venture – JV) कं पनी थािपत
करने के िलए एक बा यकारी शत-प पर ह ता र कए ह।
संयु उ म का ल य “औ ोिगक पैमाने” पर ह रत हाइ ोजन क आपू त करना होगा।
मह व:
भारत ‘ह रत हाइ ोजन’ का क बन सकता है, य क इसको देश म अ य ऊजा क चुर मा ा उपल ध होने का एक अंत निहत लाभ
िमल सकता है।
भारत, एक उ णक टबंधीय देश होने और अनुकू ल भौगोिलक प रि थितय और चुर मा ा म ाकृितक संसाधन के कारण,
‘ह रत हाइ ोजन’ (Green Hydrogen) उ पादन म एक मह वपूण लाभ द ि थत म है।
भारत म, नवीकरणीय ऊजा से हाइ ोजन का उ पादन, ाकृितक गैस से इसका उ पादन करने क तुलना म स ता होने क
संभावना है।
इस संबंध म कये जा रहे यास:
1. क सरकार ारा ‘रा ीय हाइ ोजन िमशन’ पर मसौदा दशािनदश जारी कए गए ह, िजसका ल य घरेलू आव यकता के
लगभग 40 ितशत को पूरा करने के िलए वष 2030 तक हाइ ोजन उ पादन को 5 िमिलयन मी क टन (MMT) तक बढ़ाना
है।
2. क सरकार ारा ‘इले ोलाइजस’ (Electrolysers) के िलए 15,000 करोड़ पये क ‘ ोड शन लं ड इंस ट’व (PLI)
योजना शु करने के ताव पर िवचार कया जा रहा है।
3. फरवरी म, क सरकार ारा ‘ह रत हाइ ोजन और ह रत अमोिनया नीित’ को अिधसूिचत कया गया था, िजसके
तहत, जुलाई 2025 से पहले ‘ह रत हाइ ोजन’ उ पादन के िलए थािपत कसी भी नए अ य ऊजा संयं के िलए 25 साल
क मु त िबजली दान करने का ावधान कया गया है।
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4. सरकार, तेल शोधन, उवरक और इ पात े को अपनी आव यकता के एक िनि त अनुपात के िलए ह रत हाइ ोजन क
खरीद के िलए आव यक अिधदेश लागू करने क भी योजना बना रही है।
ह रत हाइ ोजन / ीन हाइ ोजन या है?
नवीकरणीय / अ य ऊजा का उपयोग करके ‘िव ुत अपघटन’ (Electrolysis) ारा उ पा दत हाइ ोजन को ‘ह रत हाइ ोजन’
(Green Hydrogen) के प म जाना जाता है। इसम काबन का कोई अंश नह होता है।
ीन हाइ ोजन का मह व:
भारत के िलए अपने ‘रा ीय तर पर िनधा रत योगदान’ (Nationally Determined Contribution– INDC) ल य को
पूरा करने तथा े ीय और रा ीय ऊजा सुर ा, प ंच और उपल धता सुिनि त करने हेतु ‘ ीन हाइ ोजन’ ऊजा काफ
मह वपूण है।
ीन हाइ ोजन, ऊजा भंडारण िवक प के प म काय कर सकता है, जो भिव य म नवीकरणीय ऊजा के अंतराल को पूरा करने
के िलए मह वपूण होगा।
प रवहन के संदभ म, शहर के भीतर या रा य के म य लंबी दूरी क या ा या माल ढुलाई के िलए, रेलवे, बड़े जहाज , बस
या क आ द म ीन हाइ ोजन का उपयोग कया जा सकता है।
ीन हाइ ोजन के अनु योग:
1. अमोिनया और मेथनॉल जैसे ह रत रसायन का उपयोग सीधे ही उवरक, प रवहन, िबजली, रसायन, िश पंग आ द, जैसी
मौजूदा ज़ रत म कया जा सकता है।
2. ापक तर पर अपनाए जाने के िलए CGD नेटवक म 10 ितशत तक ीन हाइ ोजन िम ण को लागू जा सकता है।
लाभ:
ीन हाइ ोजन ऊजा भंडारण के िलए खिनज और दुलभ-पृ वी त व-आधा रत बैटरी पर िनभरता को कम करने म मदद
करेगा।
िजस अ य ऊजा को ि ड ारा सं हीत या उपयोग नह कया जा सकता है, उसका हाइ ोजन-उ पादन करने के िलए उपयोग
कया जा सकता है।
अनुसूिचत जाित एवं अ य पारंप रक वनवासी (वन अिधकार मा यता) अिधिनयम
(The Scheduled Tribes and Other Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights)
संदभ:
‘मूल िनवािसय , पारंप रक वनवािसय और
आ दवािसय को टाइगर रजव से बेदखल नह कए
जाने पर जोर देने वाले क़ानून ‘अनुसूिचत जाित एवं
अ य पारंप रक वनवासी (वन अिधकार मा यता)
अिधिनयम, 2006’ क अनदेखी करते ए हाल ही
म, पयावरण, वन और जलवायु प रवतन
मं ालय (MoEFCC) ने कहा है, क इन समुदाय
का पुनवास कया जाएगा ता क वे अपनी पारंप रक
आजीिवका को न खोएं। हालां क, इनके पुनवासन से
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संबंिधत कसी भी तौर-तरीक के बारे म कोई
िववरण नह दया गया है।
वन अिधकार अिधिनयम के ावधान के तहत,
कायकता ने इन कमजोर वग क सुर ा के िलए
आवाज उठाई जा रही है।
वन अिधकार अिधिनयम (FRA) के बारे म:
‘अनुसूिचत जाित एवं अ य पारंप रक वनवासी (वन अिधकार मा यता) अिधिनयम, 2006’ (The Scheduled Tribes and Other
Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act, 2006), िजसे ‘वन अिधकार अिधिनयम’ (Forest Rights Acts –
FRA) भी कहा जाता है, वष 2006 म पा रत कया गया था। यह अिधिनयम पारंप रक वन वासी समुदाय के अिधकार को कानूनी
मा यता दान करता है।
अिधिनयम के तहत अिधकार:
वािम व अिधकार – वनवािसय अथवा आ दवािसय ारा 13 दसंबर 2005 तक कृ िष क जाने वाली भूिम पर, जो
क 4 हे टेयर से अिधक नह होनी चािहए, उ तारीख तक वा तव म कृ िष करने वाले संबंिधत प रवार को वािम व
अिधकार दान कए जाएंगे। अथात, कोई अ य नयी भूिम दान नह क जाएगी।
अिधकार का उपयोग- वनवािसय अथवा आ दवािसय के िलए, लघु वन उपज ( वािम व सिहत), चारागाह े , तथा
पशुचारक माग संबंधी अिधकार उपल ध ह गे।
राहत और िवकास अिधकार – वनवािसय अथवा आ दवािसय के िलए अवैध िनकासी या बलपूवक िव थापन के मामले म
पुनवास का अिधकार तथा वन संर ण हेतु ितबंध के अधीन बुिनयादी सुिवधा का अिधकार ा होगा।
वन बंधन अिधकार – जंगल और व यजीव क र ा करने संबधी अिधकार ह गे।
पा ता मापदंड:
वन अिधकार अिधिनयम (FRA) क धारा 2(c) के अनुसार, वनवासी अनुसूिचत जनजाित (Forest Dwelling Scheduled Tribe –
FDST) के प म अहता ा करने और FRA के तहत अिधकार क मा यता हेतु पा होने के िलए, आवेदक ारा िन िलिखत तीन
शत को पूरा कया जाना आव यक है।
ि अथवा समुदाय:
1. अिधकार का दावा कये जाने वाले े म अनुसूिचत जनजाित का सद य होना चािहए;
2. 13-12-2005 से पहले मूल प से वन अथवा वन भूिम का िनवासी होना चािहए;
3. आजीिवका हेतु वा तिवक प से वन अथवा वन भूिम पर िनभर होना चािहए।
तथा, अ य पारंप रक वनवािसय (Other Traditional Forest Dweller – OTFD) के प म अहता ा करने और FRA के तहत
अिधकार क मा यता हेतु पा होने के िलए, िन िलिखत दो शत को पूरा करना आव यक है:
ि अथवा समुदाय:
1. जो 13 दस बर, 2005 से पूव कम से कम तीन पीि़ढय (75 वष) तक मूल प से वन या वन भूिम म िनवास करता हो।
2. आजीिवका हेतु वा तिवक प से वन अथवा वन भूिम पर िनभर हो।
अिधकार को मा यता देने संबंधी या:
या के आरंभ म, ाम सभा ारा एक ताव पा रत कया जाएगा, िजसमे यह िसफा रश क जाएगी क, कस ि को
कस संसाधन पर अिधकार को मा यता दी जानी चािहए।
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इसके बाद, ताव का उप-मंडल (या तालुका) के तर पर और फर िजला तर पर, अनुवी ण और अनुमोदन कया जाता है।
अनुवी ण सिमित (Screening Committee) म तीन सरकारी अिधकारी (वन, राज व और आ दवासी क याण िवभाग) और
संबंिधत तर पर थानीय िनकाय के तीन िनवािचत सद य होते ह। ये सिमितयां अपील पर सुनवाई भी करती ह।