1. 1. कम्प्यूटर का विकास एिं पीढिय ाँ
(Evolution and Generations of Computers)
कम्प्यूटर का विकास (Evolution of Computers)
विलक्षण क्षमता तथा त्िरित गतत िाला आधुतिक कम्प्यूटि कोई ऐसा आविष्काि िह ीं है जो ककसी
अके ले व्यक्तत के मक्ततष्क की उपज हो। आधाुुतिक कम्प्यूटि की सींकल्पिा को साकाि होिे में
हजािों िर्ष लगे हैं। यह वपछले कई हजाि िर्ों में अिेक व्यक्ततयों द्िािा ककए गए अिगगित
आविष्कािों, विचािों तथा विकास का समक्वित परिणाम है।
एबेकस
लगभग 3000 िर्ष ईसा पूिष में मीसोपोटाममया के लोगों िे अिजािे में ह कम्प्यूटि युग की िीींि
िखी। उवहोंिे मिकों औि ताि से गगिती गगििे का सबसे पहला उपकिण बिाया। लगभग 600
िर्ष ईसा पूिष में चीतियों िे इस उपकिण में कु छ सुधाि ककए क्जससे इस उपकिण द्िािा गणिा
कििा औि आसाि हो गया। इस उपकिण को एबेकस कहा गया। उस समय चीि के अलािा
2. जापाि में भी इस उपकिण का उपयोग हुआ किता था। जापािी इसे सािोबाि कहते थे। यह
जाििा रुगचकि होगा कक बहुत से चीिी लोग आज भी अपिे िोजािा के व्यापारिक औि लेि-देि
के कामों में एबेकस का ह उपयोग किते हैं। 1991 में चीि में एबेकस की जािकाि िखिे िालों
की एक प्रततयोगगता हुई क्जसमें 24 लाख लोगों िे भाग मलया। अिेक चीिी लोगों का कहिा है
कक एबेकस कम्प्यूटि से भी ज्यादा तेज है। हमािे देश में भी प्राथममक विद्यालयों की प्रािक्म्पभक
कक्षा में बच्चों को अींक गणणत के मसद्धावत समझािे में इसका उपयोग ककया जाता है।
िेवपयसष बोवस
इसके बाद जब भाित में शूवय का आविष्काि हुआ तो प्रािक्म्पभक कम्प्यूटि में औि परिितषि होिे
लगे। समय बीतता िहा, विकास चलता िहा। 17िीीं शताब्द के प्रािम्पभ में तकाटलैण्ड के एक
गणणतज्ञ जॉि िेवपयि को लधुगणक बिािे का विचाि आया औि उवहोंिे ह बाद में गणिा कििे
िाल ऐसी युक्तत बिाई क्जससे बडी-बडी तथा दशमलि िाल सींख्याओीं का गुणा कििा बहुत
आसाि हो गया। इस युक्तत को िेवपयसष बोवस कहा गया।
सि 1642 में फ्ाींसीसी गणणतज्ञ ब्लेज एपातकल िे मात्र बीस िर्ष की उम्र में विश्ि का
पहला याक्वत्रक के लकु लेटि बिाया जो दशमलि प्रणाल की जोड-बाकी कि सकता था। इसे
पातकलाइि िाम ददया गया। यह अिेक चक्रों गिारियों तथा बेलिों से तिममषत था। यह उपकिण
उसी प्रकाि कायष किता था क्जस प्रकाि ितषमाि िाहिों में ककलोमीटि मापिे के मलए माइलोमीटि
3. काम किते हैं। तत्पश्चात 1671 में जमषिी के गॉटफ्ीड मलबतिज िे पातकलाइि में कु छ परिितषि
ककया क्जससे इस के लकु लेटि द्िािा गुणा एिीं भाग कि पािा भी सम्पभि हो गया।
सि 1801 में जैकाडष िे कपडे बुििे की मशीि का आविष्काि ककया क्जसे लूम कहा गया। इस
मशीि की यह विशेर्ता थी कक इसमें कपडे के पैटिष को काडष-बोडष के तछद्र युतत पींच काडों द्िािा
तियक्वत्रत ककया जाता था। इस मसद्धावत का उपयोग बाद में कम्प्यूटि में सूचिा को पींचकाडष पि
सींग्रदहत कििे में ककया जािे लगा।
ककवतु आधुतिक कम्प्यूटि की सींकल्पिा िे 1821
में आकाि लेिा आिम्पभ ककया। एक अींग्रेज िैज्ञातिक चाल्सष बैबेज िे एक के बाद एक तीि
तिचामलत याक्वत्रक सींगणक के तिमाषण का प्रयास ककया। इवहें डडफिेंस इींक्जि िाम ददया गया।
पहला यवत्र तिचामलत के लकु लेटि का आिक्म्पभक सम्पपूणष डडजाइि था। बैबेज तििवति 12 िर्ों तक
इसे बिािे का प्रयास किते िहे। अभी यह आधा ह बिा था कक उवहोंिे अपिा दूसिा यवत्र बिािा
शुरू कि ददया जो पहले से हल्का तथा तेज चलिे िाला था। ककवतु इसका तिमाषण पूिा होता उससे
पहले उवहोंिे इससे भी बेहति अपिा तीसिा यवत्र बिािा प्रािम्पभ ककया। पूिा यह भी िह ीं हुआ।
यद्यवप, बाद में 1843 में पहला यवत्र बिा औि तिीडि में प्रदमशषत ककया गया।
इसी क्रम में बैबेज िे 1833 में एक औि सींगणि यवत्र का तिमाषण आिम्पभ ककया क्जसे िैश्लेवर्क
यवत्र कहा गया। एिेलेदटकल इींक्जि को सह अथो में आज के आधुतिक कम्प्यूटि का पूिषज कहा
जा सकता है। िातति में बैबेज के एिेलेदटकल इींक्जि का विगधित डडजाइि कभी बिा ह िह ीं,
4. ककवतु बैबेज िे िे मूलभूत मसद्धावत अिश्य तथावपत कि ददए क्जि पि आज के कम्प्यूटि काम
किते हैं। चककत कििे िाल बात यह है कक इसकी अिेक विशेर्ताएीं आज के इलेतरातिक कम्प्यूटि
के समाि थीीं। इसके डडजाइि में आज के कम्प्यूटि जैसे के वद्र य प्रोसेसि, सींग्रहण क्षेत्र, मैमोि औि
इिपुट-आउटपुट युक्ततयाीं आदद सभी कु छ था। यहाीं तक कक काडष पींच कििे की पद्धतत भी बैबेज
िे ह पहल बाि प्रततुत की। इि सब योगदािों के कािण ह चाल्सष बैबेज को कम्प्यूटि का जिक
कहा जाता है।
सि 1887 में अमेरिका के हमषि हॉलेरिथ िे सबसे पहल विद्युत यान्त्रिक कार्ड पंच सारणी
मशीनबनायी। इस मशीन में बैटरी से संचालित न्त्विच और गियर थे जो अत्यगिक आिाज ककया करते थे।
हॉिेररथ की इस मशीन में पंच कार्ड का उपयोि होता था। उरहोंने कोर् विकलसत ककए थे न्त्जरहें हॉिेररथ कोर्
कहते हैं। इन कोर् के द्िारा पंच कार्ड में सूचना को संग्रह करना सम्भि हो िया । पंच कार्ड को टाइपराइटर
जैसी मशीन से पंच ककया जाता था। पंच कार्ड कम््यूटर में सूचना ननिेश का सबसे पुराना माध्यम है।
मािक पींच काडष लगभग 7.37 इींच चौडा एिीं 3.25 इींच लम्पबा होता है। इसकी मोटाई 0.001 इींच
होती है। इसमें 80 अक्षि मलखे जा सकते हैं। पींच काडष में जो तछद्र होते हैं िे 1 प्रदमशषत किते हैं
ि जहाीं तछद्र िह ीं होते िे 0 प्रदमशषत किते हैं। हॉलेरिथ मशीि का प्रयोग अमेरिका के जि गणिा
विभाग द्िािा 1890 के जिगणिा सम्पबवधी आींकडों को सींकमलत कििे के मलए ककया गया। आींकडे
सींकलि में कु ल तीि िर्ों का समय लगा, जबकक बबिा इस मशीि के इसे कििे में एक दशक
लग जाता। यद्यवप इसकी तुलिा में, आधुतिक कम्प्यूटि यह कायष के िल कु छ घींटों में ह कि
सकते हैं।
1924 में अमेरिका में कम्प्यूटि बिािे िाल पहल कम्पपिी इवटििेशिल बबजिेस मशीि कापोिेशि
प्रािम्पभ हुई, जो आज भी दुतिया की सबसे बडी कम्प्यूटि तिमाषता कम्पपिी है।
5. 1943 में अमेरिका के हािषडष विश्िविद्यालय के भौततक विज्ञािी हािडष आइकि िे
आई.बी.एम. के सहयोग से माकष -I िामक विद्युत-याींबत्रक कम्प्यूटि बिाया। यह कम्प्यूटि 51 फु ट
लम्पबा औि 8 फु ट ऊँ चा था। इसमें 0.75 मममलयि अियि लगे थे तथा एक हजाि कक.मी. से
अगधक लम्पबे ताि का उपयोग ककया गया था। यह मात्र 5 सैकण्ड में दो 10-अींकीय सींख्याओीं को
गुणा कि सकता था जो उस समय के मलए रिकाडष था। इसमें 23 अींकों िाल दशमलि प्रणाल की
72 सींख्याओीं को सींग्रह ककया जा सकता था। इसमें पींच काडो के तथाि पि पींच पेपि टेप का
उपयोग ककया गया था।
इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर (Electronic Computer)
अब तक विकमसत कम्प्यूटि विद्युत-याक्वत्रक थे। इिमें कई गम्पभीि कममयाीं थीीं। एक तो इिकी
कायष गतत धीमी थी दूसिे याक्वत्रक कलपुजों के कािण इिमें सूचिाओीं का सींचाि विश्िसिीय िह ीं
होता था। इिके अलािा कोई भी विशेर् अमभकलि कििे से पूिष कम्प्यूटि को उस कायष से
सम्पबक्वधत तिदेश देिे के मलए बहुत सािे क्तिचों औि याींबत्रक गगयिों को हाथ से समायोक्जत कििा
पडता था। फलतिरूप कम्प्यूटि की अपेक्षा आपिेटि को कह ीं अगधक काम कििा पडता था। अतः
अब िैज्ञातिकों का सािा ध्याि एक इलेतरातिक कम्प्यूटि विकमसत कििे पि के क्वद्रत हो गया जो
ज्यादा तेज होिे के साथ-साथ अगधक विश्िसिीय भी हो औि उससे काम कििे में अगधक श्रम
भी ि कििा पडे। इलेतरातिक कम्प्यूटि में गततशीलता मात्र इलेतरावस की होती है। इलेतरावस
का सींचिण अत्यगधक विश्िसिीय एिीं तीव्र गतत से होता है क्जससे कम्प्यूटि की गतत बढ़िे के
साथ-साथ उसकी विश्िसिीयता भी बढ़ जाती है। इलेतरातिक कम्प्यूटि पि कायष कििा भी आसाि
होता है।
6. वपछले साठ िर्ों में इलेतरातिक कम्प्यूटि की िई-िई तकिीकी का विकास बडी तेजी से हुआ है।
इिका विकास इतिी तेजी के साथ हुआ है कक पाींच साल पुिािा मॉडल ऐततहामसक िततु बि कि
िह गया है।
कम्प्यूटर की पीढियााँ (Generations of Computers)
आज से लगभग 60 िर्ष पूिष कम्प्यूटि िे िाणणक्ज्यक क्षेत्र में प्रिेश ककया। इससे पूिष इसका
उपयोग विज्ञाि, इींजीतियरिींग औि सेिा तक ह सीममत था। िाणणक्ज्यक कम्प्यूटि के विकास क्रम
को कम्प्यूटि में प्रयुतत ििीि तकिीकों के आधाि पि पीदढ़यों में िगीकृ त ककया गया है। इस
विकास क्रम में कम्प्यूटि की कायष कििे की गतत, सींग्रहण क्षमता औि िये अिुप्रयोग प्रोग्रामों में
िृद्गध हुई है जब कक इसके आकाि औि कीमत में कमी आई है। इसके उत्पादि में भी तेजी आई
है औि अब यह आसािी से उपलब्ध है। कम्प्यूटि के अब तक के विकास क्रम को पाींच पीदढ़यों
में विभतत ककया गया है। यद्यवप इि पीदढ़यों में थोडा बहुत अततव्यापि है, ककवतु िीचे पीदढ़यों
के सामिे िणणषत काल अगधकाींशतः तिीकाि ककया गया है।
प्रथम पीढ़ी 1942.1955
इस पीढ़ के कम्प्यूटिों में िैतयूम ट्यूब का उपयोग होता था। िैतयूम ट्यूब आकाि में बडी थी
अतः इस पीढ़ के कम्प्यूटिों का आकाि बहुत बडा था। इिकी कायष कििे की गतत धीमी थी।
इिमें इिपुट तथा आउटपुट के मलए पींच काडों का उपयोग होता था। आवतरिक मैमोि के मलए
चुम्पबकीय ड्रम प्रयुतत होते थे। इिमें मशीिी भार्ा तथा असेम्पबल भार्ा प्रचमलत थी। इिका प्रयोग
िैज्ञातिक अिुसींधाि तथा िाणणक्ज्यक कायों जैसे िेति बबल बिािा, बबल तैयाि कििा, लेखाींकि
कििा आदद तक सीममत था। इस पीढ़ के कु छ प्रमुख कम्प्यूटि तिम्पि थे-
इनिएक 1943.1946 (Electronic Numerical Integrator and Calculator)
यह प्रथम सामावय उपयोग िाला इलेतरातिक था क्जसे अमेरिका की पेविमसलिातिया
विश्िविद्यालय के जे. प्रेतपि एकटष तथा जॉि मचल िे बिाया। इसका पूिा िाम था। यह 50 फु ट
लम्पबा तथा 30 फु ट चौडा था।
7. इसका िजि 30 टि था औि इसमें 18,000 िैतयूम ट्यूबों का उपयोग हुआ था। इसे सींचामलत
कििे के मलए 1,50,000 िाट बबजल की आिश्यकता होती थी।
एडिेक 1946.1952 Electronic Discrete Variable Automatic Computer (EDVAC)
इतिएक के सलाहकाि हींगि के जॉि िॉि वयूमेि की सींग्रदहत अिुदेश सींकल्पिा के आधाि पि
बिाया गया। इससे पूिष कम्प्यूटिों में प्रोग्राम एिीं डाटा सींग्रह कििा बहुत मुक्श्कल कायष था।
प्रथम पीढ़ के अवय महत्िपूणष कम्प्यूटि EDSAC (1947-49), MANCHESTER MARK-I (1948),
UNIVAC (1951) आदद थे।
प्रथम पीढ़ के कम्प्यूटिों में कई कममयाीं थी। ये आकाि में बहुत बडे थे। अगधक ताप से प्रायः
इिकी ट्यूब जल जाया किती थीीं। इिके खिाब होिे की सम्पभाििा अगधक िहती थी। इिका िख-
िखाि बहुत मींहगा पडता था। विद्युत खचष बहुत अगधक था। इिकी कायष कििे की गतत धीमी
थी। इिके मलए िातािुकु लि आिश्यक था। पींच काडष/टेप के उपयोग के कािण इिमें इिपुट-
आउटपुट काफी धीमा होता था। इिकी मुख्य तमृतत (Main Memory) बहुत कम थी। प्रोग्राममींग
क्षमता भी बहुत कम थी। इिका बहुत ह सीममत उपयोग था।
द्वितीय पीढ़ी (Second Generation) 1955-1964
द्वितीय पीढ़ के कम्प्यूटि राींक्जतटिों पि आधारित थे। राींक्जतटि का आविष्काि 1947 में बेल
लेबोिेर ज द्िािा ककया गया था। राींक्जतटि एक सॉमलड तटेट युक्तत है जो अद्षध चालक धातु से
बिा होता है। राींक्जतटि का िह कायष था जो प्रथम पीढ़ के कम्प्यूटिों में ‘‘िैतयूम ट्यूब‘‘ का था।
ककवतु इिका आकाि िैतयूम ट्यूब की तुलिा में बहुत छोटा था औि ये अगधक विश्िसिीय तथा
अपेक्षाकृ त अगधक तीव्र गतत से कायष कििे में सक्षम थे। इिमें विद्युत की खपत भी बहुत कम
होती थी।
8. इस समय तमृतत (Memory) की तकिीक में भी सुधाि हुए। 1960 के दशक में पूणषतया राींक्जतटि
तकिीक पि आधारित प्राथममक मैमोि ;च्तपउींतल डमउितलद्ध उपलब्ध हो गई। द्वितीयक
मैमोि (Primary Memory) के मलए चुम्पबकीय टेप औि डडतकों का प्रयोग प्रािम्पभ हुआ जो आज भी
प्रचमलत है।
राींक्जतटि के उपयोग से कम्प्यूटिों का आकाि बहुत छोटा हो गया, साथ ह अगधक तापमाि
की समतया भी बहुत हद तक कम हो गई। इसी कािण इिकी विश्िसिीयता भी बढ़ । छोटे
आकाि के कािण आवतरिक मैमोि को भी बढ़ाया जा सका। इिकी कायष गतत भी बढ़ तथा पहले
से कह ीं अगधक अच्छी इिपुट-आउटपुट युक्ततयों का उपयोग ककया जािे लगा। कम्प्यूटिों की लागत
मूल्यों में भी कमी आई।
इस पीढ़ में उच्च तति य प्रोग्राममींग भार्ाओीं का विकास हुआ, जैसे- BASIC, COBOL, FORTRAN
आदद। इि उच्च तति य भार्ाओीं के प्रादुभाषि से प्रोग्राममींग का कायष आसाि हो गया। इस पीढ़ के
कम्प्यूटिों के अिुप्रयोग क्षेत्रों का भी वितताि हुआ, जैसे िायुयाि के याबत्रयों के मलए आिक्षण,
प्रबींधि सूचिा प्रणाल , इींक्जतियरिींग, िैज्ञातिक अिुसींधाि आदद में भी इिका उपयोग होिे लगा।
IBM-70 सीि ज, IBM-1400 सीि ज, IBM-1600 सीि ज, HONEYWELL-400 से 800
सीि ज, CDC-3600 आदद इस पीढ़ के कु छ प्रमुख कम्प्यूटि थे।
तृतीय पीढ़ी (Third Generation) 1964-1975
इस पीढ़ के कम्प्यूटिों में राींक्जतटिों का तथाि एकीकृ त परिपथ िे ले मलया। इवहें आई.सी. कहा
जाता है। यह पीढ़ SSI पि आधारित है। (SSI - Small Scale Integrator) आई.सी. एक छोटा सा,
आयताकाि चपटा टुकडा होता है क्जसमें हजािों राींक्जतटि तथा अवय इलेतरातिक तत्ि तिदहत होते
हैं। अपिे छोटे चपटे आकाि के कािण ये गचप के िाम से अगधक लोकवप्रय हैं। आई.सी. के उपयोग
से कम्प्यूटिों का आकाि औि छोटा हुआ, गतत तीव्र हुई, मैमोि बढ़ तथा लागत में कमी आई।
साथ ह इिकी विश्िसिीयता भी औि अगधक बढ़ ।
9. इस समय कम्प्यूटिों के मािकीकिण की आिश्यकता अिुभि हुई। इससे पूिष सभी कम्प्यूटि
तिमाषता अपिे दहसाब से सॉफ्टिेयि का तिमाषण कि िहे थे औि उिमें आपस में कोई तालमेल िह ीं
था। फलतिरूप तैयाि ककए जािे िाले प्रोग्रामों की लागत ज्यादा पडती थी। अतः सॉफ्टिेयि तिमाषण
के मलए मािक आधाि तय ककए गए।
इस काल में विकमसत महत्िपूणष कम्प्यूटि IBM-360, ICL-1900, IBM-370, VAX-750 आदद थे.
चतुथथ पीढ़ी (Fourth Generation) 1975 से अब तक
इस पीढ़ के कम्प्यूटिों में बडे पैमािे के एकीकृ त परिपथ (Very Large Scale Integrated Circuits -
VLSI) प्रयुतत हुए। इि परिपथों में एक इींच के चौथाई भाग में लाखों राींक्जतटि औि अवय
इलेतरातिक घटक समाए होते हैं। अतः इि परिपथों को माइक्रोगचप कहा जािे लगा। पहला
माइक्रोगचप 1970 में इवटेल कॉिपोिेशि िे Intel 4004 तैयाि ककया। इस छोटे से गचप को माइक्रो
प्रोसेसि कहा जािे लगा। माइक्रो प्रोसेसि युतत कम्प्यूटि को ह माइक्रो कम्प्यूटि कहा जाता है।
माइक्रो प्रोसेसि के उपयोग से इस पीढ़ के कम्प्यूटिों का आकाि अत्यगधक छोटा हो गया।
फलतिरूप अब तक क्जि कम्प्यूटिों के मलए बडे-बडे कक्षों की आिश्यकता होती थी िो अब टेबबल
पि िखे जािे लगे (Desktop Computer) . आप अपिे विद्यालय में क्जि कम्प्यूटिों का उपयोग
किते हैं िो चौथी पीढ़ के ह कम्प्यूटि हैं। औि अब तो गोद में िख कि सींचामलत कििे िाले लैप
टॉप एिीं हथेल में िखिे िाले पाम टॉप कम्प्यूटि भी आ गए हैं।
माइक्रोप्रोसेसि आधारित इस पीढ़ के कम्प्यूटिों की कायष कििे की गतत अकल्पिीय ढींग से बढ़
है। इिकी क्षमता, मैमोि औि विश्िसिीयता में भी आश्चयषजिक िृद्गध हुई है। बहु आयामी होिे
के कािण उपयुतत प्रोग्राममींग के द्िािा इिका कायष क्षेत्र अत्यगधक विततृत हो गया है। ये सह
अथों में पूणष जििल पिपज कम्प्यूटि (Totally General Purpose Computer) हैं। जीिि का शायद
ह ऐसा कोई क्षेत्र बचा है जहाीं कक इिका उपयोग िह ीं हो िहा हो। आज इिकी कीमत भी इतिी
कम हो गई है कक एक साधाहािण व्यक्तत भी एक घिेलू कम्प्यूटि का खचष िहि कि सकता है।
आकाि के आधाि पि इस पीढ़ के कम्प्यूटि माइक्रो कम्प्यूटि (डेतकटॉप, लैप टॉप, पाम टॉप), ममिी
कम्प्यूटि, मेि फ्े म कम्प्यूटि तथा सुपि कम्प्यूटि में िगीकृ त ककये जाते हैं।
माइक्रोप्रोसेसि पि आधारित पहला PC 1970 में MITC िामक कम्पपिी िे बिाया। इसका िाम
ALTAIR था जो INTEL-8008 माइक्रो प्रोसेसि पि आधारित था। 1978 से IBM कम्प्यूटिों की श्रृींखला
प्रािम्पभ हुई जो सबसे सफल िह । इस श्रृींखला का पहला लोकवप्रय कम्प्यूटि माइक्रो प्रोसेसि 80186
पि आधारित था। बाद में 80286(1983), 80386(1986), 80486(1989), पेक्वटयम. I (1993), पेक्वटयम.
II (1997), पेक्वटयम. -III (1999) पेक्वटयम. IV (2000) उपलब्ध हुए। इिके अततरितत ए्पल,
कॉम्पपैक एिीं हैलिेट पैकाडष कम्पपिी के कम्प्यूटि भी लोकवप्रय हुए हैं।
10. पांचिी पीढ़ी (Fifth Generation)
ये कम्प्यूटि अभी विकास की अितथा में हैं। इिमें तकष कििे, सोचिे-समझिे, तिणषय लेिे आदद
बौद्गधक क्षमताओीं का विकास कििे के प्रयास ककए जा िहे हैं। ये कम्प्यूटि ितषमाि के कम्प्यूटिों
से अगधक तीव्र गतत िाले, अगधक विश्िसिीय औि जदटल तथा विर्म परिक्तथततयों में भी कायष
कि सकिे में सक्षम होंगे। पाींचिी पीढ़ के कम्प्यूटिों में प्रोग्राममींग की विगधयाीं भी सिल हो जाएींगी।
ये माििीय भार्ा तथा व्यिहाि को भी समझिे लगींुेगे अतः इिपुट औि कमाण्ड दोंिों ह के मलए
औि अगधक आसािी हो जाएगी। आिे िाले समय में मोबाइल कम्प्यूटिों का प्रचलि बढ़ेगा तयोकक
इिका आकाि ददि-प्रततददि छोटा होता जा िहा है। यह पीढ़ USLSI (Ultra Voilet Lager Scale
Integration) पि आधारित है।