प्रकृतिवाद (Naturalism) पाश्चात्य दार्शनिक चिन्तन की वह विचारधारा है जो प्रकृति को मूल तत्त्व मानती है, इसी को इस बरह्माण्ड का कर्ता एवं उपादान (कारण) मानती है। यह वह 'विचार' या 'मान्यता' है कि विश्व में केवल प्राकृतिक नियम (या बल) ही कार्य करते हैं न कि कोई अतिप्राकृतिक या आध्यातिम नियम। अर्थात् प्राक्रितिक संसार के परे कुछ भी नहीं है। प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन आदि की सत्ता में विश्वास नहीं करते।
यह अध्ययन सामग्री मीमांसा दर्शन से सम्बन्धित एक परिचयात्मक अध्ययन है, जिसे विश्वविद्यालय स्तर के एम. ए. शिक्षाशास्त्र विषय के विद्यार्थी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यह अध्ययन सामग्री मीमांसा दर्शन के प्रति जिज्ञासु लोगों के लिए यत्किंचित् रूप में उपादेय सिद्ध हो सकता है.
Personality development according to punchakosh 2016Varadraj Bapat
Personality development according to punchakosh
there are five types of koshas
Anamay kosh, Pranamay kosh, Manomay kosh, Vignayanmay kosh, Aanandamay kosh.
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प्रकृतिवाद (Naturalism) पाश्चात्य दार्शनिक चिन्तन की वह विचारधारा है जो प्रकृति को मूल तत्त्व मानती है, इसी को इस बरह्माण्ड का कर्ता एवं उपादान (कारण) मानती है। यह वह 'विचार' या 'मान्यता' है कि विश्व में केवल प्राकृतिक नियम (या बल) ही कार्य करते हैं न कि कोई अतिप्राकृतिक या आध्यातिम नियम। अर्थात् प्राक्रितिक संसार के परे कुछ भी नहीं है। प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन आदि की सत्ता में विश्वास नहीं करते।
यह अध्ययन सामग्री मीमांसा दर्शन से सम्बन्धित एक परिचयात्मक अध्ययन है, जिसे विश्वविद्यालय स्तर के एम. ए. शिक्षाशास्त्र विषय के विद्यार्थी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यह अध्ययन सामग्री मीमांसा दर्शन के प्रति जिज्ञासु लोगों के लिए यत्किंचित् रूप में उपादेय सिद्ध हो सकता है.
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Anamay kosh, Pranamay kosh, Manomay kosh, Vignayanmay kosh, Aanandamay kosh.
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3. विऻान की आधारशिऱा
संविधान मं --
भारतीय संविधान मं िषणित नागररकं क मसऱभूत कतिव्यं क अनससार
े े
-अनसच्छे द 51 अ
प्र्येक नागररक का कतिव्य है कक िह राष्ट्रकहत मं इनका ऩाऱन करे ।
• िैऻाशनक दृविकोण (Scientific Temper)
• मानितािादी दृविकोण (Humanism)
• ऻान क प्रशत ऩरखोने और ससधार का दृविकोण (Spirit of Inquiry and
े
Reform)
4. विऻान की आधारशिऱा
कछ प्रश्नों की ओर --
स
• बाऱकऩन से ही विऻान शिऺा क्ययं ?
• ऱोकमानस मं विऻान और िैऻाशनक दृविकोण की क्यया अिधारणा
है ?
• क्यया विऻान ऻान का स्रोत मात्र है या हमारी शचंतन को एक कदिा
दे ने की प्रकिया ?
5. विऻान की आधारशिऱा
विऻान – अमूति से मूति रूऩ की ओर
• जब तक विऻान ऩसस्तकं मं शसमटा है तब तक िह जानकारी का
ऩसशऱंदा मात्र है ।
• और यह तभी साथिक है जब यह हमारी मानशसकता और
किया्मकता का अशभन्न अंग बन जाए।
6. विऻान की आधारशिऱा
िैऻाशनक प्रकिया की किऱताएं
स
•अिऱोकन
•तसऱना करना
•िगीकरण
•ऩररकल्ऩना
•माऩन
•प्रयोग
•शनष्कषि
इन सभी किऱताओं से विऻान को समझने मं मदद् शमऱती है
स