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म.मो.मा.राजकीय आयुर्वेद महावर्वद्यालय, उदयपुर
डॉ वर्ववपन क
ु मार यादर्व
पी.जी.अध्येता(द्रव्य-गुण)
बैच- 2017-18
धतूरा
वर्वषयर्वस्तु
• पररचय
• पयााय
• र्वगीकरण
• पादप आकाररकी
• रसपंचक
• प्रमुख रासायवनक घटक
• प्रयोज्ांग एर्वं मात्रा
• वर्वविष्ट योग
• आमवयक प्रयोग
• िास्त्ोंक्त संदर्ा
पररचय
• ले० Datura metel
• क
ु ल (fam) Solanaceae
• अ० Thorn apple
पयााय
• धत्तूर-धयवत धातून व्रणश्लेष्मादींश्च
उष्णत्वावदवत
• उन्मत्त- उन्मत्तं करोवत सेवर्वतारं मदक
ृ त्त्वाात
इवत उन्मत्तः
• कनकाह्वय-कनक
ं आह्वयो यस्य सः
• वकतर्व- वकतर्वाः धूतालोकाः सन्ति अस्य
ग्राहकाः इवत
Cont.
• मदन- मदयवत ग्लपयवत अङ्गावन मदकर त्त्वाात इवत
• मातुलपुत्रक-मातुलस्य धत्तूरस्य पुत्रः इर्व इवत
र्वगीकरण
• चरक एर्वं सुश्रुत मे र्वणान नहीं
• र्ार्वप्रकाि – गुड
ू च्यावद र्वगा
पादप आकाररकी
• इसका पौधा-र्वषाायु, १-१.५ मी. ऊ
ँ चा एर्वं वचकना
होता है।
Cont.
• पत्ते-अंडाकार-र्ालाकार, क
ु छ लहरदार, नोकीले, पणार्वृि की
तरफ असम, क
ु छ दिुर या खन्तित , दोनों पृष्ों पर वचकने,
पतल, अक
े ले या युग्म वजसमें से एक बडा (१८ से.मी.) एक
छोटा एर्वं प्राय: १० से.मी. लम्बे तथा ७.५ से.मी. चौडे होते हैं।
Cont.
• पुष्प-सीधे एर्वं १७ से.मी. लम्बे होते हैं । आभ्यिर
दल श्वेत, प्रायः बाहर से नीललोवहत एर्वं अन्दर से
पीतार् होते हैं।
Cont.
• फल-गोलाकार, लटकते हुये, छोटे काँटों से युक्त, ३० वम.मी.
व्यास क
े एर्वं इनका स्फ
ु टन अवनयवमत होता है।
Cont.
• बीज-कणााक
ृ वत, वचपटे, ४-५ वम.मी. लम्बे, ३-४ वम.मी. चौडे एर्वं १ वम.मी.
मोटे होते हैं। इनका वकनारा लहरदार, मोटा तथा ३ धाररयों से युक्त होता
है। इनकी बाह्य सतह पीतार्, र्ूरी तथा गड्ढेदार होती है। इनमें गन्ध नहीं
होती तथा इनका स्वाद कडर्वा होता है।
रसपंचक
• रस – कटु
• गुण – लघु रूक्ष
• र्वीया - उष्ण
• वर्वपाक - कटु
• दोषघ्नता – कफ, र्वात-हर
• प्रर्ार्व - ज्वरघ्न, मदकारी
प्रमुख रासायवनक घटक
• मुख्यतया हायोसायमीन, हायोसीन, राल एर्वं तैल
प्रयोज्ांग एर्वं मात्रा
• प्रयोज्ांग - पत्र, बीज, मूल, फल, पुष्प
• मात्रा – बीजचूणा – ६० – १२५ वम.ग्रा.
पत्रचूणा – ६० – १८० वम.ग्रा.
वर्वविष्ट योग
• कनकसार्व (र्े० र०)
• वर्वषगर्ा तेल
• धुधुारपत्रावद तेल (सहस्त् योग )
आमवयक प्रयोग
• तमक श्वास में उद्वेष्टन रोकने क
े वलये इसका बहुत
प्रयोग वकया जाता है। इसक
े चूणा का धुंआ या
इसकी बनी वसगरेट का धूम्रपान इसमें लार्दायक
होता है। इसका आिररक प्रयोग र्ी वकया जाता
है।
• िीतज्वर में इसक
े बीज दही क
े साथ ज्वर आने क
े
पूर्वा न्तखलाते हैं। इससे ज्वरजन्य कष्ट कम होता है।
Cont
• िोथ पर इसक
े पत्तों का लेप करने से र्वेदना एर्वं
िोथ कम होता है ।
• अंडिोथ, आमर्वात, सन्तन्धिोथ, आध्मान,
फ
ु फ्फ
ु सार्वरणिोथ, नाडीिूल एर्वं गृध्रसी आवद में
इसक
े पत्तों क
े क्वाथ से सेंक वकया जाता है ।
िास्त्ोंक्त संदर्ा
• धत्तूरः कटुरुष्णश्च कान्तिकारी व्रणावत्तनुत ।
क
ु ष्ावन हन्ति लेपेन प्रर्ार्वेण ज्वरं जयेत ॥
त्वग्दोषखजुाकि
ू वत ज्वरहारी भ्रमार्वहः ॥
(ध. वन.)
• धुस्तूरो मदर्वणााविर्वातक
ृ त ज्वरक
ु ष्नुत । कषायो
मधुरन्तस्त तो यूकावलक्षावर्वनािनः ॥ उष्णो गुरुः
व्रणश्लेष्मकि
ू क
ृ वम वर्वषापहः ॥ (र्ा. प्र.)
• धत्तूरो मदमूछााक
ृ त कफघ्नो र्वविवपत्तक
ृ त
॥(राजर्वल्लर्ः)

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  • 1. म.मो.मा.राजकीय आयुर्वेद महावर्वद्यालय, उदयपुर डॉ वर्ववपन क ु मार यादर्व पी.जी.अध्येता(द्रव्य-गुण) बैच- 2017-18 धतूरा
  • 2. वर्वषयर्वस्तु • पररचय • पयााय • र्वगीकरण • पादप आकाररकी • रसपंचक • प्रमुख रासायवनक घटक • प्रयोज्ांग एर्वं मात्रा • वर्वविष्ट योग • आमवयक प्रयोग • िास्त्ोंक्त संदर्ा
  • 3. पररचय • ले० Datura metel • क ु ल (fam) Solanaceae • अ० Thorn apple
  • 4. पयााय • धत्तूर-धयवत धातून व्रणश्लेष्मादींश्च उष्णत्वावदवत • उन्मत्त- उन्मत्तं करोवत सेवर्वतारं मदक ृ त्त्वाात इवत उन्मत्तः • कनकाह्वय-कनक ं आह्वयो यस्य सः • वकतर्व- वकतर्वाः धूतालोकाः सन्ति अस्य ग्राहकाः इवत
  • 5. Cont. • मदन- मदयवत ग्लपयवत अङ्गावन मदकर त्त्वाात इवत • मातुलपुत्रक-मातुलस्य धत्तूरस्य पुत्रः इर्व इवत
  • 6. र्वगीकरण • चरक एर्वं सुश्रुत मे र्वणान नहीं • र्ार्वप्रकाि – गुड ू च्यावद र्वगा
  • 7. पादप आकाररकी • इसका पौधा-र्वषाायु, १-१.५ मी. ऊ ँ चा एर्वं वचकना होता है।
  • 8. Cont. • पत्ते-अंडाकार-र्ालाकार, क ु छ लहरदार, नोकीले, पणार्वृि की तरफ असम, क ु छ दिुर या खन्तित , दोनों पृष्ों पर वचकने, पतल, अक े ले या युग्म वजसमें से एक बडा (१८ से.मी.) एक छोटा एर्वं प्राय: १० से.मी. लम्बे तथा ७.५ से.मी. चौडे होते हैं।
  • 9. Cont. • पुष्प-सीधे एर्वं १७ से.मी. लम्बे होते हैं । आभ्यिर दल श्वेत, प्रायः बाहर से नीललोवहत एर्वं अन्दर से पीतार् होते हैं।
  • 10. Cont. • फल-गोलाकार, लटकते हुये, छोटे काँटों से युक्त, ३० वम.मी. व्यास क े एर्वं इनका स्फ ु टन अवनयवमत होता है।
  • 11. Cont. • बीज-कणााक ृ वत, वचपटे, ४-५ वम.मी. लम्बे, ३-४ वम.मी. चौडे एर्वं १ वम.मी. मोटे होते हैं। इनका वकनारा लहरदार, मोटा तथा ३ धाररयों से युक्त होता है। इनकी बाह्य सतह पीतार्, र्ूरी तथा गड्ढेदार होती है। इनमें गन्ध नहीं होती तथा इनका स्वाद कडर्वा होता है।
  • 12. रसपंचक • रस – कटु • गुण – लघु रूक्ष • र्वीया - उष्ण • वर्वपाक - कटु • दोषघ्नता – कफ, र्वात-हर • प्रर्ार्व - ज्वरघ्न, मदकारी
  • 13. प्रमुख रासायवनक घटक • मुख्यतया हायोसायमीन, हायोसीन, राल एर्वं तैल
  • 14. प्रयोज्ांग एर्वं मात्रा • प्रयोज्ांग - पत्र, बीज, मूल, फल, पुष्प • मात्रा – बीजचूणा – ६० – १२५ वम.ग्रा. पत्रचूणा – ६० – १८० वम.ग्रा.
  • 15. वर्वविष्ट योग • कनकसार्व (र्े० र०) • वर्वषगर्ा तेल • धुधुारपत्रावद तेल (सहस्त् योग )
  • 16. आमवयक प्रयोग • तमक श्वास में उद्वेष्टन रोकने क े वलये इसका बहुत प्रयोग वकया जाता है। इसक े चूणा का धुंआ या इसकी बनी वसगरेट का धूम्रपान इसमें लार्दायक होता है। इसका आिररक प्रयोग र्ी वकया जाता है। • िीतज्वर में इसक े बीज दही क े साथ ज्वर आने क े पूर्वा न्तखलाते हैं। इससे ज्वरजन्य कष्ट कम होता है।
  • 17. Cont • िोथ पर इसक े पत्तों का लेप करने से र्वेदना एर्वं िोथ कम होता है । • अंडिोथ, आमर्वात, सन्तन्धिोथ, आध्मान, फ ु फ्फ ु सार्वरणिोथ, नाडीिूल एर्वं गृध्रसी आवद में इसक े पत्तों क े क्वाथ से सेंक वकया जाता है ।
  • 18. िास्त्ोंक्त संदर्ा • धत्तूरः कटुरुष्णश्च कान्तिकारी व्रणावत्तनुत । क ु ष्ावन हन्ति लेपेन प्रर्ार्वेण ज्वरं जयेत ॥ त्वग्दोषखजुाकि ू वत ज्वरहारी भ्रमार्वहः ॥ (ध. वन.) • धुस्तूरो मदर्वणााविर्वातक ृ त ज्वरक ु ष्नुत । कषायो मधुरन्तस्त तो यूकावलक्षावर्वनािनः ॥ उष्णो गुरुः व्रणश्लेष्मकि ू क ृ वम वर्वषापहः ॥ (र्ा. प्र.) • धत्तूरो मदमूछााक ृ त कफघ्नो र्वविवपत्तक ृ त ॥(राजर्वल्लर्ः)