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जातीफल
जातीफल(Nutmeg)
जाततफल
• Botanical name-Myristica fragrans
• Family-Myristicaceae
• Sanskrit name-जाततफल,मदशौण्ड
• English name-Nut Meg
• Hindi name- जायफल,जायफर
पररचय
जायफल और जावित्री का मसाले क
े
रूप में उपयोग होता है। जायफल और
इसक
े तेल का उपयोग मसालों, साबुन
बनाने तथा सुगन्धि में ककया जाता है।
पर्ाार्
रा.तन.
जातीफलं जाततशस्यं शालक
ं मालतीफलम ् । मज्जासारं जाततसारं
पुटं च सुमनः फलम ् ॥ ७७ ॥
जातीफल, जाततशस्र्
शालूक, मालतीफल,
मज्जासार, जाततसार पुट
सुमनफल
र्े सब जातीफल क
े नाम हैं ।। ७७ ।।
तनरुन्तत
'जातीफलं जाततकोषं मालतीफलममत्यवप।( भा.प्र)
•जातीफल--गन्धर्ुक्त फल होता है ।
•जातीकोष – सुगन्न्धर्ुक्त कोष होता है।
•मालतीफल—जाती का फल होने से।
•जाततपत्री—जातीफल की त्वक् जातीपत्री है।
जावित्री और जातीफल
• जार्फल का पेड़ एक ववशाल
सदाबहार पेड़ है, जो जार्फल
और जाववत्री दोनों का ही
उत्पादन करता है। जार्फल,
फल क
े अंदर पाई जाने वाली
गुठली अथवा बीज होता है,
जबकक जाववत्री, गुठली पर
जालीदार परत (बीजचोल) है।
िानस्पततक िर्णन -
•िृक्ष – इसका सदा
हररत वृक्ष 10-15
फीट उंचा होता है।
पत्र
• पत्र-2-5 इंच लम्बे,
1.5 इंच तक चौड़े,
लम्बे
पर्णंवृंतर्ुक्त,अण्डाकार,
भालाकार, हल्क
े पीताभ
भूरे रंग क
े होते हैं।
पुष्प
• पुष्प- छोटे-छोटे,श्वेतवर्णा क
े
गोलाकार होते है।
फल
• फल-गोलाकार, अण्डाकार, 1.5 से 2 इंच लम्बे,
रक्ताभ-पीताभ वर्णा क
े होते हैं।
• फल पकने पर दो भागों में फट जाते हैं, न्जसमें से
जार्फल तनकलता है। जार्फल को चारों ओर से घेरे
हुए रक्तवर्णा का कठठन आवरर्णर्ुक्त मांसल कवच
होता है, न्जसे 'जाववत्री' कहते हैं। र्ह सूखने पर अलग
हो जाता है। इस जाववत्री क
े अन्दर जार्फल होता है,
जो अण्डाकार, गोल तथा एक इंच व्र्ास का बाहर से
वर्णा का ससक
ु ड़ हुआ ठदखलाई देता है। इसका
आभ्र्न्तर भाग मैला-गुलाबी न्जसमें लासलमा सलए हुए
भूरे रंग क
े तंतुओ का जाल होता है।
• जार्फल और जाववत्री इन दोनों में से सुगन्न्धत तेल
तनकाला जाता है। र्ह अनेक कार्ों में उपर्ोगी होता है
प्रयोज्य अंग – फल,जावित्री
PHARMAGNOSY
•Tree- Evergreen aromatic tree, usually d 9-12 m high
•.Bark- greyish-black.
• Leaves- Coriaceous, or oblong-lanceolate, deep green
above and greyish bee redish-grey when ripe.
•Flowers- creamy-yellow, fragrant, in umbellate cymes.
•Fruits- globose or broadly pyriform, 6 long, pear shaped,
glabrous, often drooping, yellow; pri fleshy, 1.25 cm thick,
splitting into two halves when mature.
• Seed- arillate, albuminous, broadly ovoid, with a shell-like
plish-brown testa; aril fleshy, laciniate, red.
PHARMACOLOGICAL
ACTIVITY
•Anti-hepatotoxic,
•Anti-diarrhoel,
•Anti-thrombotic,
•Skeletalmuscle depressant
उत्पतत-स्थान
• मलार्ा,
• जीनांग,
• जावा,
• ससंगापेर,
• लंका,
• वेस्टइण्डीज
गुर्-कमण
• भा.प्र.तन
• जाततफलं रसे ततक्तं तीक्ष्र्णोष्र्णं रोचनं लघु ।
• कटुक
ं दीपनं ग्राठह स्वर्ं श्लेष्मातनलापहम ् ।।
• तनहन्न्त मुखवैरस्र्ं मलदौगान््र्कृ ष्र्णतााः ।
कृ समकासवसमश्वासशोषपीनसहृद्रुजाः ।।
रसपंचक
• रस-ततक्त, कटु
• गुर्-लघु,तीक्ष्र्ण
• विपाक-कटु
• िीयण-उष्र्ण
•कमा
दोषकमण• कफ-वातशामक
अधयकमण- दीपन, ग्राही, स्वर्ा, सुगन्न्ध,
वातानुलोमक, उत्तेजक,वाजीकर, वेदनास्थापन
रोगघ्नता- मुखवैरस्र्, मलदौगान््र्, कृ ष्र्णता,
कृ सम, कास, वमन,श्वास, शोष, पीनस,
हृद्रोगनाशक ।
•रा.तन
• जातीफलं कषायो कटु कण्ठामयाततणन्जत् ।
• िाताततसार मेहध्नं लघु िृष्यं च दीपनम ् ।।
७८ ।।
• जार्फल कषार् तथा कटु रस वाला एवं उष्र्ण
वीर्ा है ।
कण्ठरोग का नाश करता है। र्ह वाताततसार
तथा प्रमेह को नाश करने वाला हल्का,
वीर्ावर्दाधक एवं जाठरान्ननदीपक है।
जाततपत्री क
े गुर्-कमण
• भा.तन
• जातीपत्री लघुाः स्वादुाः कदुष्र्णा रुचचवर्णाकृ त ् ।
कफकासवसमश्वासतृष्र्णाकृ समववपापहा ।।
• रसपंचक
• रस• मधुर, कटु
• गुर्ण –लघु
• ववपाक-कटु
• वीर्ा उष्र्ण
•कमण
दोषकमण-कफवातशामक
अधयकमण-रुचचकर,वर्णा
रोगघ्नता-कास, वमन, श्वास, तृषा, ववष, कृ समघ्न
•रा.तन
•जातीपत्री कटुतततता सुरमभः कफनाशनी ।
•ितत्रिैशद्यजननी जाडयदोषतनकृ धतनौ ।। ७६ ।।
जाववत्री कटु तथा ततक्त रस वाली तथा सुगन्न्धत है और
कफ को नाश करने वाली है। र्ह मुख को स्वच्छ करने वाली
तथा जडता ( जकड़ाहट ) को नाश करने वालीहै।
आमतयक प्रयोग
चक्रदत्त - अजीर्णा की तृषा और छठदापर-जार्फल का शीतकषार् र्ा ठहम
वपलाना चाठहए। (अन्ननमांर्दर् चचककत्सा)
भावप्रकाश - व्र्ंग और नीसलका में जार्फल वपसकर लेप करना
चाठहर्े; इससे व्र्ंग और नीसलका क
े दाग नष्ट होते हैं ।( मुखरोग
चचककत्सा )>
•बंगसेन - पैरों में बबवाई फटी हो तो -जार्फल तघसकर वववाई
मेंभरना चाठहए और लेप करना चाठहए। (क
ु ष्ठाचधकार )
• न्जन बालकों को दूध न पचता हो और दस्त होते हो, उनक
े दूध
जार्फल जाववत्री ककन्चचत् प्रमार्ण में डालकर वपलाना चाठहए।
मात्रा
चूर्ण- 0.5-1 ग्राम,
• तैल- 1-3 बबन्दु
विमशष्ट योग
•जातीफलाठद चूर्णा
•जातीफलाठद वटी
THANKYOU

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  • 2. जाततफल • Botanical name-Myristica fragrans • Family-Myristicaceae • Sanskrit name-जाततफल,मदशौण्ड • English name-Nut Meg • Hindi name- जायफल,जायफर
  • 3. पररचय जायफल और जावित्री का मसाले क े रूप में उपयोग होता है। जायफल और इसक े तेल का उपयोग मसालों, साबुन बनाने तथा सुगन्धि में ककया जाता है।
  • 4. पर्ाार् रा.तन. जातीफलं जाततशस्यं शालक ं मालतीफलम ् । मज्जासारं जाततसारं पुटं च सुमनः फलम ् ॥ ७७ ॥ जातीफल, जाततशस्र् शालूक, मालतीफल, मज्जासार, जाततसार पुट सुमनफल र्े सब जातीफल क े नाम हैं ।। ७७ ।।
  • 5. तनरुन्तत 'जातीफलं जाततकोषं मालतीफलममत्यवप।( भा.प्र) •जातीफल--गन्धर्ुक्त फल होता है । •जातीकोष – सुगन्न्धर्ुक्त कोष होता है। •मालतीफल—जाती का फल होने से। •जाततपत्री—जातीफल की त्वक् जातीपत्री है।
  • 6. जावित्री और जातीफल • जार्फल का पेड़ एक ववशाल सदाबहार पेड़ है, जो जार्फल और जाववत्री दोनों का ही उत्पादन करता है। जार्फल, फल क े अंदर पाई जाने वाली गुठली अथवा बीज होता है, जबकक जाववत्री, गुठली पर जालीदार परत (बीजचोल) है।
  • 7.
  • 8. िानस्पततक िर्णन - •िृक्ष – इसका सदा हररत वृक्ष 10-15 फीट उंचा होता है।
  • 9. पत्र • पत्र-2-5 इंच लम्बे, 1.5 इंच तक चौड़े, लम्बे पर्णंवृंतर्ुक्त,अण्डाकार, भालाकार, हल्क े पीताभ भूरे रंग क े होते हैं।
  • 11. फल • फल-गोलाकार, अण्डाकार, 1.5 से 2 इंच लम्बे, रक्ताभ-पीताभ वर्णा क े होते हैं। • फल पकने पर दो भागों में फट जाते हैं, न्जसमें से जार्फल तनकलता है। जार्फल को चारों ओर से घेरे हुए रक्तवर्णा का कठठन आवरर्णर्ुक्त मांसल कवच होता है, न्जसे 'जाववत्री' कहते हैं। र्ह सूखने पर अलग हो जाता है। इस जाववत्री क े अन्दर जार्फल होता है, जो अण्डाकार, गोल तथा एक इंच व्र्ास का बाहर से वर्णा का ससक ु ड़ हुआ ठदखलाई देता है। इसका आभ्र्न्तर भाग मैला-गुलाबी न्जसमें लासलमा सलए हुए भूरे रंग क े तंतुओ का जाल होता है। • जार्फल और जाववत्री इन दोनों में से सुगन्न्धत तेल तनकाला जाता है। र्ह अनेक कार्ों में उपर्ोगी होता है
  • 12. प्रयोज्य अंग – फल,जावित्री
  • 13. PHARMAGNOSY •Tree- Evergreen aromatic tree, usually d 9-12 m high •.Bark- greyish-black. • Leaves- Coriaceous, or oblong-lanceolate, deep green above and greyish bee redish-grey when ripe.
  • 14. •Flowers- creamy-yellow, fragrant, in umbellate cymes. •Fruits- globose or broadly pyriform, 6 long, pear shaped, glabrous, often drooping, yellow; pri fleshy, 1.25 cm thick, splitting into two halves when mature. • Seed- arillate, albuminous, broadly ovoid, with a shell-like plish-brown testa; aril fleshy, laciniate, red.
  • 16. उत्पतत-स्थान • मलार्ा, • जीनांग, • जावा, • ससंगापेर, • लंका, • वेस्टइण्डीज
  • 17. गुर्-कमण • भा.प्र.तन • जाततफलं रसे ततक्तं तीक्ष्र्णोष्र्णं रोचनं लघु । • कटुक ं दीपनं ग्राठह स्वर्ं श्लेष्मातनलापहम ् ।। • तनहन्न्त मुखवैरस्र्ं मलदौगान््र्कृ ष्र्णतााः । कृ समकासवसमश्वासशोषपीनसहृद्रुजाः ।।
  • 18. रसपंचक • रस-ततक्त, कटु • गुर्-लघु,तीक्ष्र्ण • विपाक-कटु • िीयण-उष्र्ण
  • 19. •कमा दोषकमण• कफ-वातशामक अधयकमण- दीपन, ग्राही, स्वर्ा, सुगन्न्ध, वातानुलोमक, उत्तेजक,वाजीकर, वेदनास्थापन रोगघ्नता- मुखवैरस्र्, मलदौगान््र्, कृ ष्र्णता, कृ सम, कास, वमन,श्वास, शोष, पीनस, हृद्रोगनाशक ।
  • 20. •रा.तन • जातीफलं कषायो कटु कण्ठामयाततणन्जत् । • िाताततसार मेहध्नं लघु िृष्यं च दीपनम ् ।। ७८ ।। • जार्फल कषार् तथा कटु रस वाला एवं उष्र्ण वीर्ा है । कण्ठरोग का नाश करता है। र्ह वाताततसार तथा प्रमेह को नाश करने वाला हल्का, वीर्ावर्दाधक एवं जाठरान्ननदीपक है।
  • 21. जाततपत्री क े गुर्-कमण • भा.तन • जातीपत्री लघुाः स्वादुाः कदुष्र्णा रुचचवर्णाकृ त ् । कफकासवसमश्वासतृष्र्णाकृ समववपापहा ।। • रसपंचक • रस• मधुर, कटु • गुर्ण –लघु • ववपाक-कटु • वीर्ा उष्र्ण
  • 23. •रा.तन •जातीपत्री कटुतततता सुरमभः कफनाशनी । •ितत्रिैशद्यजननी जाडयदोषतनकृ धतनौ ।। ७६ ।। जाववत्री कटु तथा ततक्त रस वाली तथा सुगन्न्धत है और कफ को नाश करने वाली है। र्ह मुख को स्वच्छ करने वाली तथा जडता ( जकड़ाहट ) को नाश करने वालीहै।
  • 24. आमतयक प्रयोग चक्रदत्त - अजीर्णा की तृषा और छठदापर-जार्फल का शीतकषार् र्ा ठहम वपलाना चाठहए। (अन्ननमांर्दर् चचककत्सा) भावप्रकाश - व्र्ंग और नीसलका में जार्फल वपसकर लेप करना चाठहर्े; इससे व्र्ंग और नीसलका क े दाग नष्ट होते हैं ।( मुखरोग चचककत्सा )>
  • 25. •बंगसेन - पैरों में बबवाई फटी हो तो -जार्फल तघसकर वववाई मेंभरना चाठहए और लेप करना चाठहए। (क ु ष्ठाचधकार ) • न्जन बालकों को दूध न पचता हो और दस्त होते हो, उनक े दूध जार्फल जाववत्री ककन्चचत् प्रमार्ण में डालकर वपलाना चाठहए।