5. तनरुन्तत
'जातीफलं जाततकोषं मालतीफलममत्यवप।( भा.प्र)
•जातीफल--गन्धर्ुक्त फल होता है ।
•जातीकोष – सुगन्न्धर्ुक्त कोष होता है।
•मालतीफल—जाती का फल होने से।
•जाततपत्री—जातीफल की त्वक् जातीपत्री है।
6. जावित्री और जातीफल
• जार्फल का पेड़ एक ववशाल
सदाबहार पेड़ है, जो जार्फल
और जाववत्री दोनों का ही
उत्पादन करता है। जार्फल,
फल क
े अंदर पाई जाने वाली
गुठली अथवा बीज होता है,
जबकक जाववत्री, गुठली पर
जालीदार परत (बीजचोल) है।
11. फल
• फल-गोलाकार, अण्डाकार, 1.5 से 2 इंच लम्बे,
रक्ताभ-पीताभ वर्णा क
े होते हैं।
• फल पकने पर दो भागों में फट जाते हैं, न्जसमें से
जार्फल तनकलता है। जार्फल को चारों ओर से घेरे
हुए रक्तवर्णा का कठठन आवरर्णर्ुक्त मांसल कवच
होता है, न्जसे 'जाववत्री' कहते हैं। र्ह सूखने पर अलग
हो जाता है। इस जाववत्री क
े अन्दर जार्फल होता है,
जो अण्डाकार, गोल तथा एक इंच व्र्ास का बाहर से
वर्णा का ससक
ु ड़ हुआ ठदखलाई देता है। इसका
आभ्र्न्तर भाग मैला-गुलाबी न्जसमें लासलमा सलए हुए
भूरे रंग क
े तंतुओ का जाल होता है।
• जार्फल और जाववत्री इन दोनों में से सुगन्न्धत तेल
तनकाला जाता है। र्ह अनेक कार्ों में उपर्ोगी होता है
13. PHARMAGNOSY
•Tree- Evergreen aromatic tree, usually d 9-12 m high
•.Bark- greyish-black.
• Leaves- Coriaceous, or oblong-lanceolate, deep green
above and greyish bee redish-grey when ripe.
14. •Flowers- creamy-yellow, fragrant, in umbellate cymes.
•Fruits- globose or broadly pyriform, 6 long, pear shaped,
glabrous, often drooping, yellow; pri fleshy, 1.25 cm thick,
splitting into two halves when mature.
• Seed- arillate, albuminous, broadly ovoid, with a shell-like
plish-brown testa; aril fleshy, laciniate, red.
20. •रा.तन
• जातीफलं कषायो कटु कण्ठामयाततणन्जत् ।
• िाताततसार मेहध्नं लघु िृष्यं च दीपनम ् ।।
७८ ।।
• जार्फल कषार् तथा कटु रस वाला एवं उष्र्ण
वीर्ा है ।
कण्ठरोग का नाश करता है। र्ह वाताततसार
तथा प्रमेह को नाश करने वाला हल्का,
वीर्ावर्दाधक एवं जाठरान्ननदीपक है।
23. •रा.तन
•जातीपत्री कटुतततता सुरमभः कफनाशनी ।
•ितत्रिैशद्यजननी जाडयदोषतनकृ धतनौ ।। ७६ ।।
जाववत्री कटु तथा ततक्त रस वाली तथा सुगन्न्धत है और
कफ को नाश करने वाली है। र्ह मुख को स्वच्छ करने वाली
तथा जडता ( जकड़ाहट ) को नाश करने वालीहै।
24. आमतयक प्रयोग
चक्रदत्त - अजीर्णा की तृषा और छठदापर-जार्फल का शीतकषार् र्ा ठहम
वपलाना चाठहए। (अन्ननमांर्दर् चचककत्सा)
भावप्रकाश - व्र्ंग और नीसलका में जार्फल वपसकर लेप करना
चाठहर्े; इससे व्र्ंग और नीसलका क
े दाग नष्ट होते हैं ।( मुखरोग
चचककत्सा )>
25. •बंगसेन - पैरों में बबवाई फटी हो तो -जार्फल तघसकर वववाई
मेंभरना चाठहए और लेप करना चाठहए। (क
ु ष्ठाचधकार )
• न्जन बालकों को दूध न पचता हो और दस्त होते हो, उनक
े दूध
जार्फल जाववत्री ककन्चचत् प्रमार्ण में डालकर वपलाना चाठहए।