आयुर्वेद के इलाज करने के दर्मियान कुछ पथय और परहेज करने के लिये जरूरत होती है / पथ्य अए मतलब यह है कि ऐसा खान पान और रहन सहन रोगी को अपनाना चाहिये जिसके द्वारा पालन करने से उसका रोग ठीक हो और जल्दी शरीर को आराम मिले / ठीक इसके विपरीत रोगी को ऐसा कुछ भी नही करना चाहिये जिससे उसका रोग बढ जाये और उसके शरीर को अधिक तकलीफ मिलना शुरू हो जाये / प्रस्तुत पुस्तक मे आयुर्वेद के दोषो के हिसाब से परहेज करने की सलाह दी गयी है /