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न-प -1
1.1 नृ व ान का अथ, वषय े एवं वकास ।
1.2 अ य वषय के साथ संबंध: सामािजक व ान,
यवहारपरक व ान, जीव व ान, आयु व ान, भू-
वषयक व ान एवं मान वक ।
1.3 नृ व ान क मुख शाखाएं, उनका े ा तथा
ासं गकता:
(क) सामािजक-सां कृ तक नृ व ान ।
(ख) जै वक व ान ।
(ग) पुरात व-नृ व ान ।
(घ) भाषा-नृ व ान ।
1.4 मानव वकास तथा मनु य का आ वभाव:
(क) मानव वकास म जैव एवं सां कृ तक कारक(
(ख) जैव वकास के स ांत (डा वन-पूव, डा वन
काल न एवं डा वनो तर
(ग) वकास का सं लेषणा मक स ांत(
वकासा मक जीव व ान क पदावल एवं
संक पनाओं क सं त परेखा (डा◌ॅल का नयम,
कोप का नयम, गा◌ॅस का नयम, समांतरवाद,
अ भसरण, अनुकू ल व करण एवं मोजेक वकास।
1.5 नर-वानर क वशेषताएं◌ः
वकासा मक वृि त एवं नर-वानर व गक नर-
वानर अनुकू लन (वृ ीय एवं थल य नर-वानर
व गक नर-वानर यवहार, तृतीयक एवं चतुथक
जीवा म नर-वानर, जी वत मुख नर-वानर( मनु य
एवं वानर क तुलना मक शर र-रचना( नृ
संि थ त के कारण हुए कं काल य प रवतन एवं
ह के न हताथ ।
1.6 जा तवृ तीय ि थ त, न न ल खत क
वशेषताएं एवं भौगो लक वतरण:
(क) द ण एवं पूव अ फ का म अ तनूतन अ यंत
नूतन हो म नड-आ टेलो पथे सन ।
(ख) होमोइरे टस: अफ का (पैरे ोपस), यूरोप
(होमोइरे टस ह डेल बजि सस), ए शया
। होमोइरे टस जावा नकस, होमो
इरे टस पेकाइनेि सस) ।
(ग) नए डरथल मानव-ला-शापेय-ओ-सत
( ला सक कार), माउंट कारमेस ( गामी कार) ।
(घ) रोडे सयन मानव ।
(ङ) होमो-सै पए स- ोमै नन, माल एवं चांसल ड
।
1.7 जीवन के जीव वै ा नक आधार:
को शका, DNA। संरचना एवं तकृ त, ोट न
सं लेषण, जीन, उ प रवतन, ोमोसोम एवं को शका
वभाजन ।
1.8 (क) ागै तहा सक पुरात व व ान के
स ांत/ कालानु म:
सापे एवं परम काल नधरण व धयां ।
(ख) सां कृ तक वकास- ागै तहा सक सं कृ त क
थूल
परेखा ,
(i) पुरापाषाण
(ii) म य पाषाण
(iii) नव पाषाण
(iv) ता पाषाण
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(v) ता -कां य युग
(vi) लोह युग ।
2.1 सं कृ त का व प:सं कृ त और स यता क
संक पना एवं वशेषता( सां कृ तक सापे वाद क
तुलना म नृजा त के ि कता ।
2.2 समाज का व प: समाज क संक पना(
समाज एवं सं कृ त( सामािजक सं थाएं( सामािजक
समूह( एवं सामािजक तर करण ।
2.3 ववाह: प रभाषा एवं सावभौ मकता( ववाह के
नयम( अंत ववाह, बहु ववाह, अनुलोम ववाह,
अग यगमन नषेध)( ववाह के कार (एक ववाह
था, बहु ववाह था, बहुप त था, समूह ववाह) ।
ववाह के काय( ववाह व नयम (अ धमा य,
न द ट एवं अ भ नषेधक)( ववाह भुगतान (वधू
धन एवं दहेज) ।
2.4 प रवार: प रभाषा एवं सावभौ मकता( प रवार,
गृह थी एवं गृ य समूह( प रवार के काय( प रवार
के कार (संरचना, र त-संबंध, ववाह, आवास एवं
उ तरा धकार के प र े य से)( नगर करण,
औ यो गकरण एवं नार अ धकारवाद आंदोलन म
प रवार पर भाव ।
2.5 नातेदार : र त संबंध एवं ववाह, संबंध(
वंशानु म के स ांत एवं कार (एकरेखीय, वैध,
वप ीय, उभयरेखीय)( वंशानु म, समूह के प
(वंशपंरपरा, गो ा, ेफटर , मोइट एवं संबंधी)(
नातेदार श दावल (वणना मक एवं
वग कारक)( वंशानु म, वंशानु मण एवं पूरक
वंशानु मण( वंशानु मांक एवं सहबंध ।
3. आ थक संगठन: अथ, े एवं आ थक नृ व ान
क ासं गकता( पवाद एवं त ववाद बहस(
उ पादन, वतरण एवं समुदाय म व नमय
(अ यो यता, पुन वतरण एवं बाजार), शकार एवं
सं हण, म यन, ि वडे नंग, पशुचारण, उ यानकृ ष
एवं कृ ष पर नवाह भूमंडल करण एवं देशी आ थक
यव थाएं ।
4. राजनै तक संगठन एवं सामािजक
नयं ण: टोल , जनजा त, सरदार , राज एवं रा य(
स ता, ा धकार एवं वैधता क संक पनाएं( सरल
समाज म सामािजक नयं ण, व ध एवं याय ।
5. धम: धम के अ ययन म नृवै ा नक उपागम
( वकासा मक, मनोवै ा नक एवं काया मक)(
एके वरवाद( प व एवं अपावन( मथक एवं
कमकांड( जनजातीय एवं कृ षक समाज म धम के
प (जीववाद, जीवा मावाद, जड़पूजा, कृ तपूजा एवं
गणाच द)( धम जादू एवं व ान व श ट( जादुई-
धा मक कायकता (पुजार , शमन, ओझा,
ऐं जा लक और डाइन) ।
6. नृवै ा नक स ांत:
(क) ला सक वकासवाद (टाइलर, मा◌ॅगन एवं
ेफजर)
(ख) ऐ तहा सक व श टतावाद (बोआस)(
वसरणवाद ( टश, जमन एवं अमर क )
(ग) कायवाद (मै लनो क )( संरचना-
कायवाद (रैडि लपफ- ाउन)
(घ) संरचनावाद (लेवी ाश एवं ई ल ◌ेश)
(च) सं कृ त एवं यि त व (बेने ड ट, मीड, लंटन
का डनर एवं कोरा-दु-बुवा)
(छ) नव- वकासवाद ( च ड, हाइट, यूवड,
शाह ल स एवं स वस)
(ज) सां कृ तक भौ तकवाद (है रस)
(झ) तीका मक एवं अथ न पी स ांत (टनर,
नाइडर एवं गी ज) ।
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(ट) सं ाना मक स ांत (टाइलर कांि सन)
(ठ) नृ व ान म उ तर-आधु नकतावाद
7. सं कृ त, भाषा एवं संचार: भाषा का व प,
उ गम एवं वशेषताएं( वा चक एवं अवा चक
सं ेषण( भाषा योग के सामािजक संदभ ।
8. नृ व ान म अनुसंधन प तयाँ:
(क) नृ व ान म े ाकाय परंपरा
(ख) तकनीक,प) तयाँ एवं काय- व ध के बीच
वभेद
(ग) द त सं हण के उपकरण: े ण,
सा ा कार, अनुसू चयां, नावल , के स अ ययन,
वंशावल , मौ खक इ तवृ त, सूचना के वतीयक
ोत, सहभा गता प) त।
(घ) द त का व लेषण, नवचन एवं तुतीकरण ।
9.1 मानव आनुवं शक -प त एवं अनु योग:
मनु य प रवार अ ययन म आनुवं शक स ांत के
अ ययन क प तयां (वंशावल व लेषण, यु म
अ ययन, पो यपु ा, सह-यु म प त, को शका-
जन नक प त, गुणसू ा◌ी एवं के क प
व लेषण), जैव रसायनी प तयां, रोध मता मक
प तयां, छण ्।ण ् ौ यो गक , एवं पुनय गज
ौ यो ग कयां ।
9.2 मनु य-प रवार अ ययन म मडेल य
आनुवं शक : मनु य म एकल उपादान, बहु उपादान,
घातक, अवघातक एवं अनेकजीनी वंशाग त ।
9.3 आनुवं शक बहु पता एवं वरण क संक पना:
मडेल य जनसं या, हाड -वीनवग नयम( बारंबारता
म कमी लाने वाले कारण एवं प रवतन-उ प रवतन
वलगन, वासन, वरण, अंतः जनन एवं आनुवं शक
यु त । समर त एवं असमर त समागम,
आनुवं शक भार, समर त एवं भं गनी-बंधु ववाह के
आनुवं शक भाव ।
9.4 गुणसू ा एवं मनु य म गुणसू ा◌ी वपथन,
या व ध :
(क) सं या मक एवं संरचना मक वपथन
(अ यव थाएं)
(ख) लंग गुणसू ा◌ी वपथन- लाइनपेफ टर
(XXY)ए टनर (XO)ए अ धजाया (XXX), अंत लग एवं
अ य संल णा मक अ यव थाएं ।
(ग) लंग सू ी वपथन-डाउन संल ण, पातो,
एडवड एवं -दु-शा◌ॅ संल ण
(घ) मानव रोग म आनुवं शक अ यंकन,
आनुवं शक नंग, आनुवं शक उपबोधन, मानव
DNA ोपफाइ लंग, जीन मै पंग एवं जीनोम
अ ययन ।
9.5 जा त एवं जा तवाद, दूर क एवं अदूर क
ल ण क आका रक य व भ नताओं का
जीववै ा नक आधर । जातीय नकष,
आनुवं शकता एवं पयावरण के संबंध म जातीय
वशेषक( मनु य म जातीय वग करण, जातीय
वभेदन एवं जा त संकरण का जीव
वै ा नक आधर ।
9.6 आनुवं शक च क के प म आयु, लंग एवं
जनसं या वभेद-ABO,rh र तसमूह,HLA Ph,
ै सफे रन, Gm र त ए जाइम । शर र या मक
ल ण- व भ न सां कृ तक एवं सामािजक-आ थक
समूह म Hb तर, शर र वसा, पंद दर, वसन
काय एवं संवेद य ण ।
9.7 पा रि थ तक नृ व ान क संक पनाएं एवं
प तयां ।जैव-सां कृ तक अनुकू लन-जन नक एवं
अजन नक कारक । पयावरणीय दबाव के त
मनु य क शर र या मक अनु याएं: गम
म भू म, शीत उ च तुंगता जलवायु ।
9.8 जानप दक रोग व ानीय नृ व ान: वा य
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एवं रोग ।सं ामक एवं असं ामक रोग । पोषक
त व क कमी से संबंि त रोग ।
10. मानव वृ एवं वकास क संकलपना: वृ क
अव थाएं- सव पूव, सव, शशु, बचपन,
कशोराव था, प रप वाव था, जर व ।
- वृ और वकास को भा वत करने वाले
कारक:जन नक, पयावरणीय, जैव रासाय नक, पोषण
संबंधी, सां कृ तक एवं सामािजक-आ थक ।
- काल भावन एवं जर व । स ांत एवं े ण-
जै वक एवं कालानु मक द घ आयु । मानवीय
शर र गठन एवं काय प । वृ अ ययन क
या व धयाँ ।
11.1 रजोदशन, रजो नवृि त एवं जनन शि त क
अ य जैव घटनाओं क ासं गकता । जनन
शि त के त प एवं वभेद ।
11.2 जनां कक य स ांतकृ जै वक, सामािजक एवं
सां कृ तक ।
11.3 बहु जता, जनन शि त, ज मदर एवं मृ युदर
को भा वत करने वाले जै वक एवं सामािजक-
आ थक कारण ।
12. नृ व ान के अनु योग: खेल का नृ व ान,
पोषणा मक नृ व ान, र ा एवं अ य उपकरण क
अ भक पना म नृ व ान, यायाल यक नृ व ान,
यि तगत अ भ ान एवं पुनरचना क प तयाँ एवं
स ांत । अनु यु त मानव आनुवं शक - पतृ व
नदान, जन नक उपबोधन एवं सुजन नक , रोग एवं
आयुि◌व ान म DNA ौ यो गक , जनन-जीव व ान
म सीरम-आनुवं शक तथा को शका- आनुवं शक ।
न-प -II
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1.1 भारतीय सं कृ त एवं स यता का
वकासकृ ागै तहा सक ;पुरापाषाण, म यपाषाण,
नवपाषाण तथा नवपाषाण- ता पाषाण ।
आ यऐ तहा सक ;¯सधु स यता : हड़ पा-पूव,
हड़ पाकाल न एवं प च-हड़ पा सं कृ तयां
। भारतीय स यता म जनजातीय सं कृ तय का
योगदान ।
1.2 शवा लक एवं नमदा ोणी के वशेष संदभ के
साथ भारत से पूरा-नृवै ा नक सा य ;रामा पथकस,
शवा पथेकस एवं नमदा मानव ।
1.3 भारत म नृजा त-पुरात व व ान: नृजा त-
पुरात व व ान क संक पना: शकार , रसदखोजी,
म छयार , पशुचारक एवं कृ षक समुदाय एवं कला
और श प उ पादक समुदाय म उ तरजीवक एवं
समांतरक ।
2. भारत क जनां कक य प र छे दकाकृ भारतीय
जनसं या एवं उनके वतरण म नृजातीय एवं
भाषायी त व । भारतीय जनसं या इसक संरचना
और वृ को भा वत करने वाले कारक ।
3.1 पारंप रक भारतीय सामािजक णाल क
संरचना और व पकृ वणा म, पु षाथ, कम, ण एवं
पुनज म ।
3.2 भारत म जा त यव थाकृ संरचना एवं
वशेषताएं, वण एवं जा त, जा त यव था के उ गम
के स ांत, बल जा त, जा त ग तशीलता, जा त
यव था का भ व य, जजमानी णाल ,
जनजा त,जा त सात यक ।
3.3 प व मनो ं थ एवं कृ त मनु य पे ्रता मा
मनो ं थ ।
3.4 भारतीय समाज पर बौ धम, जैन धम, इ लाम
और ईसाई धम का भाव ।
4. भारत म नृ व ान का आ वभाव एवं
संवृ क18वीं, 19वीं, एवं ारं भक 20वीं शता द के
शा ा शासक के योगदान । जनजातीय एवं
जातीय अ ययन म भारतीय नृवै ा नक
के योगदान ।
5.1 भारतीय ाम: भारत म ाम अ ययन का
मह व: सामािजक णाल के प म भारतीय ाम;
ब ती एवं अंतजा त संबंध के पार प रक एवं
बदलते त प: भारतीय ाम म कृ षक संबंध:
भारतीय ाम पर भूमंडल करण का भाव ।
5.2 भाषायी एवं आ थक अ पसं यक एवं उनक
सामािजक, राजनै तक तथा आ थक ि थ त ।
5.3 भारतीय समाज म सामािजककृ सां कृ तक
प रवतन क देशीय एवं ब हजांत याएंकृ
सं कृ तकरण, पि चमीकरण, आधु नक करण; छोट
एवं बड़ी पर पराओं का पर पर- भाव; पंचायतीराज
एवं सामािजक प रवतन; मी डया एवं सामािजक
प रवतन ।
6.1 भारत म जनजातीय ि थ तकृ जैव जन नक
प रव£ततता, जनजातीय जनसं या एवं उनके
वतरण क भाषायी एवं सामािजक कृ आ थक
वशेषताएं ।
6.2 जनजातीय समुदाय क सम याएंकृ भू म
सं ामण, गर बी, ण तता, अ प सा रता,
अपया त शै क सु वधाएं, बेरोजगार , अ परोजगार ,
वा य तथा पोषण ।
6.3 वकास प रयोजनाएं एवं जनजातीय
थानांतरण तथा पुनवास सम याओं पर उनका
भाव । वन नी तय एवं जनजा तय का वकास ।
जनजातीय जनसं या पर नगर करण
तथा औ यो गक करण का भाव ।
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Page | 6
7.1 अनुसू चत जा तय , अनुसू चत जनजा तय एवं
अ य पछड़े वग के पोषण तथा वंचन क
सम याएं । अनुसू चत जा तय एवं अनुसू चत
जनजा तय के लए सां वध नक र ोपाय ।
7.2 सामािजक प रवतन तथा समकाल न जनजा त
समाज: जनजा तय तथा कमजोर वग पर
आधु नक लोकतां क सं थाओं, वकास काय म
एवं क याण उपाय का भाव ।
7.3 नृजातीयता क संक पना: नृजातीय व द एवं
राजनै तक वकास: जनजातीय समुदाय के बीच
अशां त: े ा◌ीयतावाद एवं वाय तता क मांग;
छदम जनजा तवाद; औप नवे शक एवं वातं यो तर
भारत के दौरान जनजा तय के बीच
सामािजक प रवतन ।
8.1 जनजातीय समाज पर ह दू धम, बौ धम,
ईसाई धम, इ लाम तथा अ य धम का भाव ।
8.2 जनजा त एवं रा रा य,भारत एवं अ य देश
म जनजातीय समुदाय का तुलना मक अ ययन ।
9.1 जनजातीय े के शासन का इ तहास,
जनजा त नी तयां,योजनाएं, जनजातीय वकास के
काय म एवं उनका काया वयन । आ दम
जनजातीय समूह (PTGs) क संक पना, उनका
वतरण, उनके वकास के वशेष काय म ।
जनजातीय वकास म गैर सरकार संगठन क
भू मका ।
9.2 जनजातीय एवं ामीण वकास म नृ व ान क
भू मका ।
9.3 े ा◌ीयतावाद, सां दा यकता, नृजातीय एवं
राजनै तक आंदोलन को समझने म नृ व ान का
योगदान ।

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Anthropology syllanus in hindi

  • 1. Pramesh eLib: www.pramesh.in | Plus Pramesh eLib: www.plus.pramesh.in Page | 1 न-प -1 1.1 नृ व ान का अथ, वषय े एवं वकास । 1.2 अ य वषय के साथ संबंध: सामािजक व ान, यवहारपरक व ान, जीव व ान, आयु व ान, भू- वषयक व ान एवं मान वक । 1.3 नृ व ान क मुख शाखाएं, उनका े ा तथा ासं गकता: (क) सामािजक-सां कृ तक नृ व ान । (ख) जै वक व ान । (ग) पुरात व-नृ व ान । (घ) भाषा-नृ व ान । 1.4 मानव वकास तथा मनु य का आ वभाव: (क) मानव वकास म जैव एवं सां कृ तक कारक( (ख) जैव वकास के स ांत (डा वन-पूव, डा वन काल न एवं डा वनो तर (ग) वकास का सं लेषणा मक स ांत( वकासा मक जीव व ान क पदावल एवं संक पनाओं क सं त परेखा (डा◌ॅल का नयम, कोप का नयम, गा◌ॅस का नयम, समांतरवाद, अ भसरण, अनुकू ल व करण एवं मोजेक वकास। 1.5 नर-वानर क वशेषताएं◌ः वकासा मक वृि त एवं नर-वानर व गक नर- वानर अनुकू लन (वृ ीय एवं थल य नर-वानर व गक नर-वानर यवहार, तृतीयक एवं चतुथक जीवा म नर-वानर, जी वत मुख नर-वानर( मनु य एवं वानर क तुलना मक शर र-रचना( नृ संि थ त के कारण हुए कं काल य प रवतन एवं ह के न हताथ । 1.6 जा तवृ तीय ि थ त, न न ल खत क वशेषताएं एवं भौगो लक वतरण: (क) द ण एवं पूव अ फ का म अ तनूतन अ यंत नूतन हो म नड-आ टेलो पथे सन । (ख) होमोइरे टस: अफ का (पैरे ोपस), यूरोप (होमोइरे टस ह डेल बजि सस), ए शया । होमोइरे टस जावा नकस, होमो इरे टस पेकाइनेि सस) । (ग) नए डरथल मानव-ला-शापेय-ओ-सत ( ला सक कार), माउंट कारमेस ( गामी कार) । (घ) रोडे सयन मानव । (ङ) होमो-सै पए स- ोमै नन, माल एवं चांसल ड । 1.7 जीवन के जीव वै ा नक आधार: को शका, DNA। संरचना एवं तकृ त, ोट न सं लेषण, जीन, उ प रवतन, ोमोसोम एवं को शका वभाजन । 1.8 (क) ागै तहा सक पुरात व व ान के स ांत/ कालानु म: सापे एवं परम काल नधरण व धयां । (ख) सां कृ तक वकास- ागै तहा सक सं कृ त क थूल परेखा , (i) पुरापाषाण (ii) म य पाषाण (iii) नव पाषाण (iv) ता पाषाण
  • 2. Pramesh eLib: www.pramesh.in | Plus Pramesh eLib: www.plus.pramesh.in Page | 2 (v) ता -कां य युग (vi) लोह युग । 2.1 सं कृ त का व प:सं कृ त और स यता क संक पना एवं वशेषता( सां कृ तक सापे वाद क तुलना म नृजा त के ि कता । 2.2 समाज का व प: समाज क संक पना( समाज एवं सं कृ त( सामािजक सं थाएं( सामािजक समूह( एवं सामािजक तर करण । 2.3 ववाह: प रभाषा एवं सावभौ मकता( ववाह के नयम( अंत ववाह, बहु ववाह, अनुलोम ववाह, अग यगमन नषेध)( ववाह के कार (एक ववाह था, बहु ववाह था, बहुप त था, समूह ववाह) । ववाह के काय( ववाह व नयम (अ धमा य, न द ट एवं अ भ नषेधक)( ववाह भुगतान (वधू धन एवं दहेज) । 2.4 प रवार: प रभाषा एवं सावभौ मकता( प रवार, गृह थी एवं गृ य समूह( प रवार के काय( प रवार के कार (संरचना, र त-संबंध, ववाह, आवास एवं उ तरा धकार के प र े य से)( नगर करण, औ यो गकरण एवं नार अ धकारवाद आंदोलन म प रवार पर भाव । 2.5 नातेदार : र त संबंध एवं ववाह, संबंध( वंशानु म के स ांत एवं कार (एकरेखीय, वैध, वप ीय, उभयरेखीय)( वंशानु म, समूह के प (वंशपंरपरा, गो ा, ेफटर , मोइट एवं संबंधी)( नातेदार श दावल (वणना मक एवं वग कारक)( वंशानु म, वंशानु मण एवं पूरक वंशानु मण( वंशानु मांक एवं सहबंध । 3. आ थक संगठन: अथ, े एवं आ थक नृ व ान क ासं गकता( पवाद एवं त ववाद बहस( उ पादन, वतरण एवं समुदाय म व नमय (अ यो यता, पुन वतरण एवं बाजार), शकार एवं सं हण, म यन, ि वडे नंग, पशुचारण, उ यानकृ ष एवं कृ ष पर नवाह भूमंडल करण एवं देशी आ थक यव थाएं । 4. राजनै तक संगठन एवं सामािजक नयं ण: टोल , जनजा त, सरदार , राज एवं रा य( स ता, ा धकार एवं वैधता क संक पनाएं( सरल समाज म सामािजक नयं ण, व ध एवं याय । 5. धम: धम के अ ययन म नृवै ा नक उपागम ( वकासा मक, मनोवै ा नक एवं काया मक)( एके वरवाद( प व एवं अपावन( मथक एवं कमकांड( जनजातीय एवं कृ षक समाज म धम के प (जीववाद, जीवा मावाद, जड़पूजा, कृ तपूजा एवं गणाच द)( धम जादू एवं व ान व श ट( जादुई- धा मक कायकता (पुजार , शमन, ओझा, ऐं जा लक और डाइन) । 6. नृवै ा नक स ांत: (क) ला सक वकासवाद (टाइलर, मा◌ॅगन एवं ेफजर) (ख) ऐ तहा सक व श टतावाद (बोआस)( वसरणवाद ( टश, जमन एवं अमर क ) (ग) कायवाद (मै लनो क )( संरचना- कायवाद (रैडि लपफ- ाउन) (घ) संरचनावाद (लेवी ाश एवं ई ल ◌ेश) (च) सं कृ त एवं यि त व (बेने ड ट, मीड, लंटन का डनर एवं कोरा-दु-बुवा) (छ) नव- वकासवाद ( च ड, हाइट, यूवड, शाह ल स एवं स वस) (ज) सां कृ तक भौ तकवाद (है रस) (झ) तीका मक एवं अथ न पी स ांत (टनर, नाइडर एवं गी ज) ।
  • 3. Pramesh eLib: www.pramesh.in | Plus Pramesh eLib: www.plus.pramesh.in Page | 3 (ट) सं ाना मक स ांत (टाइलर कांि सन) (ठ) नृ व ान म उ तर-आधु नकतावाद 7. सं कृ त, भाषा एवं संचार: भाषा का व प, उ गम एवं वशेषताएं( वा चक एवं अवा चक सं ेषण( भाषा योग के सामािजक संदभ । 8. नृ व ान म अनुसंधन प तयाँ: (क) नृ व ान म े ाकाय परंपरा (ख) तकनीक,प) तयाँ एवं काय- व ध के बीच वभेद (ग) द त सं हण के उपकरण: े ण, सा ा कार, अनुसू चयां, नावल , के स अ ययन, वंशावल , मौ खक इ तवृ त, सूचना के वतीयक ोत, सहभा गता प) त। (घ) द त का व लेषण, नवचन एवं तुतीकरण । 9.1 मानव आनुवं शक -प त एवं अनु योग: मनु य प रवार अ ययन म आनुवं शक स ांत के अ ययन क प तयां (वंशावल व लेषण, यु म अ ययन, पो यपु ा, सह-यु म प त, को शका- जन नक प त, गुणसू ा◌ी एवं के क प व लेषण), जैव रसायनी प तयां, रोध मता मक प तयां, छण ्।ण ् ौ यो गक , एवं पुनय गज ौ यो ग कयां । 9.2 मनु य-प रवार अ ययन म मडेल य आनुवं शक : मनु य म एकल उपादान, बहु उपादान, घातक, अवघातक एवं अनेकजीनी वंशाग त । 9.3 आनुवं शक बहु पता एवं वरण क संक पना: मडेल य जनसं या, हाड -वीनवग नयम( बारंबारता म कमी लाने वाले कारण एवं प रवतन-उ प रवतन वलगन, वासन, वरण, अंतः जनन एवं आनुवं शक यु त । समर त एवं असमर त समागम, आनुवं शक भार, समर त एवं भं गनी-बंधु ववाह के आनुवं शक भाव । 9.4 गुणसू ा एवं मनु य म गुणसू ा◌ी वपथन, या व ध : (क) सं या मक एवं संरचना मक वपथन (अ यव थाएं) (ख) लंग गुणसू ा◌ी वपथन- लाइनपेफ टर (XXY)ए टनर (XO)ए अ धजाया (XXX), अंत लग एवं अ य संल णा मक अ यव थाएं । (ग) लंग सू ी वपथन-डाउन संल ण, पातो, एडवड एवं -दु-शा◌ॅ संल ण (घ) मानव रोग म आनुवं शक अ यंकन, आनुवं शक नंग, आनुवं शक उपबोधन, मानव DNA ोपफाइ लंग, जीन मै पंग एवं जीनोम अ ययन । 9.5 जा त एवं जा तवाद, दूर क एवं अदूर क ल ण क आका रक य व भ नताओं का जीववै ा नक आधर । जातीय नकष, आनुवं शकता एवं पयावरण के संबंध म जातीय वशेषक( मनु य म जातीय वग करण, जातीय वभेदन एवं जा त संकरण का जीव वै ा नक आधर । 9.6 आनुवं शक च क के प म आयु, लंग एवं जनसं या वभेद-ABO,rh र तसमूह,HLA Ph, ै सफे रन, Gm र त ए जाइम । शर र या मक ल ण- व भ न सां कृ तक एवं सामािजक-आ थक समूह म Hb तर, शर र वसा, पंद दर, वसन काय एवं संवेद य ण । 9.7 पा रि थ तक नृ व ान क संक पनाएं एवं प तयां ।जैव-सां कृ तक अनुकू लन-जन नक एवं अजन नक कारक । पयावरणीय दबाव के त मनु य क शर र या मक अनु याएं: गम म भू म, शीत उ च तुंगता जलवायु । 9.8 जानप दक रोग व ानीय नृ व ान: वा य
  • 4. Pramesh eLib: www.pramesh.in | Plus Pramesh eLib: www.plus.pramesh.in Page | 4 एवं रोग ।सं ामक एवं असं ामक रोग । पोषक त व क कमी से संबंि त रोग । 10. मानव वृ एवं वकास क संकलपना: वृ क अव थाएं- सव पूव, सव, शशु, बचपन, कशोराव था, प रप वाव था, जर व । - वृ और वकास को भा वत करने वाले कारक:जन नक, पयावरणीय, जैव रासाय नक, पोषण संबंधी, सां कृ तक एवं सामािजक-आ थक । - काल भावन एवं जर व । स ांत एवं े ण- जै वक एवं कालानु मक द घ आयु । मानवीय शर र गठन एवं काय प । वृ अ ययन क या व धयाँ । 11.1 रजोदशन, रजो नवृि त एवं जनन शि त क अ य जैव घटनाओं क ासं गकता । जनन शि त के त प एवं वभेद । 11.2 जनां कक य स ांतकृ जै वक, सामािजक एवं सां कृ तक । 11.3 बहु जता, जनन शि त, ज मदर एवं मृ युदर को भा वत करने वाले जै वक एवं सामािजक- आ थक कारण । 12. नृ व ान के अनु योग: खेल का नृ व ान, पोषणा मक नृ व ान, र ा एवं अ य उपकरण क अ भक पना म नृ व ान, यायाल यक नृ व ान, यि तगत अ भ ान एवं पुनरचना क प तयाँ एवं स ांत । अनु यु त मानव आनुवं शक - पतृ व नदान, जन नक उपबोधन एवं सुजन नक , रोग एवं आयुि◌व ान म DNA ौ यो गक , जनन-जीव व ान म सीरम-आनुवं शक तथा को शका- आनुवं शक । न-प -II
  • 5. Pramesh eLib: www.pramesh.in | Plus Pramesh eLib: www.plus.pramesh.in Page | 5 1.1 भारतीय सं कृ त एवं स यता का वकासकृ ागै तहा सक ;पुरापाषाण, म यपाषाण, नवपाषाण तथा नवपाषाण- ता पाषाण । आ यऐ तहा सक ;¯सधु स यता : हड़ पा-पूव, हड़ पाकाल न एवं प च-हड़ पा सं कृ तयां । भारतीय स यता म जनजातीय सं कृ तय का योगदान । 1.2 शवा लक एवं नमदा ोणी के वशेष संदभ के साथ भारत से पूरा-नृवै ा नक सा य ;रामा पथकस, शवा पथेकस एवं नमदा मानव । 1.3 भारत म नृजा त-पुरात व व ान: नृजा त- पुरात व व ान क संक पना: शकार , रसदखोजी, म छयार , पशुचारक एवं कृ षक समुदाय एवं कला और श प उ पादक समुदाय म उ तरजीवक एवं समांतरक । 2. भारत क जनां कक य प र छे दकाकृ भारतीय जनसं या एवं उनके वतरण म नृजातीय एवं भाषायी त व । भारतीय जनसं या इसक संरचना और वृ को भा वत करने वाले कारक । 3.1 पारंप रक भारतीय सामािजक णाल क संरचना और व पकृ वणा म, पु षाथ, कम, ण एवं पुनज म । 3.2 भारत म जा त यव थाकृ संरचना एवं वशेषताएं, वण एवं जा त, जा त यव था के उ गम के स ांत, बल जा त, जा त ग तशीलता, जा त यव था का भ व य, जजमानी णाल , जनजा त,जा त सात यक । 3.3 प व मनो ं थ एवं कृ त मनु य पे ्रता मा मनो ं थ । 3.4 भारतीय समाज पर बौ धम, जैन धम, इ लाम और ईसाई धम का भाव । 4. भारत म नृ व ान का आ वभाव एवं संवृ क18वीं, 19वीं, एवं ारं भक 20वीं शता द के शा ा शासक के योगदान । जनजातीय एवं जातीय अ ययन म भारतीय नृवै ा नक के योगदान । 5.1 भारतीय ाम: भारत म ाम अ ययन का मह व: सामािजक णाल के प म भारतीय ाम; ब ती एवं अंतजा त संबंध के पार प रक एवं बदलते त प: भारतीय ाम म कृ षक संबंध: भारतीय ाम पर भूमंडल करण का भाव । 5.2 भाषायी एवं आ थक अ पसं यक एवं उनक सामािजक, राजनै तक तथा आ थक ि थ त । 5.3 भारतीय समाज म सामािजककृ सां कृ तक प रवतन क देशीय एवं ब हजांत याएंकृ सं कृ तकरण, पि चमीकरण, आधु नक करण; छोट एवं बड़ी पर पराओं का पर पर- भाव; पंचायतीराज एवं सामािजक प रवतन; मी डया एवं सामािजक प रवतन । 6.1 भारत म जनजातीय ि थ तकृ जैव जन नक प रव£ततता, जनजातीय जनसं या एवं उनके वतरण क भाषायी एवं सामािजक कृ आ थक वशेषताएं । 6.2 जनजातीय समुदाय क सम याएंकृ भू म सं ामण, गर बी, ण तता, अ प सा रता, अपया त शै क सु वधाएं, बेरोजगार , अ परोजगार , वा य तथा पोषण । 6.3 वकास प रयोजनाएं एवं जनजातीय थानांतरण तथा पुनवास सम याओं पर उनका भाव । वन नी तय एवं जनजा तय का वकास । जनजातीय जनसं या पर नगर करण तथा औ यो गक करण का भाव ।
  • 6. Pramesh eLib: www.pramesh.in | Plus Pramesh eLib: www.plus.pramesh.in Page | 6 7.1 अनुसू चत जा तय , अनुसू चत जनजा तय एवं अ य पछड़े वग के पोषण तथा वंचन क सम याएं । अनुसू चत जा तय एवं अनुसू चत जनजा तय के लए सां वध नक र ोपाय । 7.2 सामािजक प रवतन तथा समकाल न जनजा त समाज: जनजा तय तथा कमजोर वग पर आधु नक लोकतां क सं थाओं, वकास काय म एवं क याण उपाय का भाव । 7.3 नृजातीयता क संक पना: नृजातीय व द एवं राजनै तक वकास: जनजातीय समुदाय के बीच अशां त: े ा◌ीयतावाद एवं वाय तता क मांग; छदम जनजा तवाद; औप नवे शक एवं वातं यो तर भारत के दौरान जनजा तय के बीच सामािजक प रवतन । 8.1 जनजातीय समाज पर ह दू धम, बौ धम, ईसाई धम, इ लाम तथा अ य धम का भाव । 8.2 जनजा त एवं रा रा य,भारत एवं अ य देश म जनजातीय समुदाय का तुलना मक अ ययन । 9.1 जनजातीय े के शासन का इ तहास, जनजा त नी तयां,योजनाएं, जनजातीय वकास के काय म एवं उनका काया वयन । आ दम जनजातीय समूह (PTGs) क संक पना, उनका वतरण, उनके वकास के वशेष काय म । जनजातीय वकास म गैर सरकार संगठन क भू मका । 9.2 जनजातीय एवं ामीण वकास म नृ व ान क भू मका । 9.3 े ा◌ीयतावाद, सां दा यकता, नृजातीय एवं राजनै तक आंदोलन को समझने म नृ व ान का योगदान ।