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माध्यममक मिक्षा विभाग, उत्तर प रदेशि
कक्षा – 10 विज्ञान
आनुिाांमिकता
एिां
जैि विकास
भाग – 2 डॉ. र पणु त्रिपाठी
(PhD, M.Ed., M.Sc.)
अध्यापिका
राजकीय बालिका इण्टर कॉिेज, पिजयनगर, ग़ाज़ियाबाद
1
अध्याय – 9
2
विषय िस्तु
1. भाग - 1 अनुिाांमिकता
1.1 आनुिाांमिकता
1.2 आनुिाांमिक लक्षण
1.3 लक्षणों की िांिागतत क तनयम - मण्डल का योगशान
1.4 मण्डल क रदेयोग तथा परर पणाम
1.5 मण्डल न अपन रदेयोग क मलए मटर प क पौध को क्यों चुना ?
1.6 मण्डल क तनयमों में रदेयुक्त िब्शािली
1.7 मण्डल क तनयम
1.8 मण्डल क आनुिाांमिकता क तनयमों की व्याख्या
2. भाग - 2 जैि विकास
2.1 लक्षण आपको ककस रदेकार प व्यक्त कर पत हैं ?
2.2 गुण सूि
2.3 गुण सुि क रदेकार प
2.4 मानि में मलांग तनधाार पण
2.5 जातत उद्भि
2.6 उत्परर पितान
2.7 जैि विकास
2.8 जीिाश्म
2.9 विकास क चर पण
2.10 जैि विकास क सम्बन्ध में डाविान का मसद्धान्त
2.11 लैमाक
ा का उपार्जात लक्षणों की िांिागतत का मसद्धान्त
2.12 मानि का उद्भि ि विकास
3
जैि विकास
भाग – 2
लक्षण आपको ककस रदेकार प व्यक्त कर पत हैं ?
कोलिका क
े डी.एन.ए.(D.N.A.) में प्रोटीन संश्िेषण क
े
लिए एक सूचना स्रोत होता है। D.N.A. का िह भाग
ज़जसमें ककसी प्रोटीन संश्िेषण क
े लिए सूचना होती है
उसे प्रोटीन का जीन कहते हैं। जो प्रोटीन क
े पिलभन्न
िक्षणों की अलभव्यज़तत को ननयज़न्ित करता है।
अतः जीन िक्षणों को ननयज़न्ित करते हैं।
सभी जीिों में आनुिांलिक िक्षणों का ननयन्िण एिं
संचरण आनुिांलिक इकाइयों द्िारा होता है। मेण्डि
ने इन्हें कारक कहा तथा जोहनसन ने इनक
े लिए
जीन िब्द का प्रयोग ककया।
4
5
गुण सूि का प्रयोग िॉल्डेयर ने
1888 में उन गहरी अलभरज़जजत
छड़ सदृश्य रचनाओं क
े लिए
ककया था जो क
े न्रक में
कोलिका पिभाजन क
े समय
ददखाई देती हैं। ये क
े न्रक में
िाए जाने िािे न्यूज़तिोंप्रोटीन
जािक क
े संघनन से बनते हैं। गुण
सुि या क्रोमो सोम अथातत रंगीन
कायत।
गुण सूि क काया
1. आनुिांलिकी में भूलमका
2. जनक की इकाई
गुण सूि
6
गुण सुि क रदेकार प
1. ऑटो सोम - जो गुण सूि लिंग िक्षणों को छोड़कर जीन क
े
अन्य िक्षणों का ननर्ातरण करते हैं िह ऑटो सोम गुण सूि
कहिाते हैं। ये नर तथा मादा दोनों प्रकार क
े जीिों में
सामान होते हैं।
2. हटर पो सोम - जो गुण सूि लिंग ननर्ातरण करते हैं िे हेटेरो
सोम गुण सूि कहिाते हैं। ये नर तथा मादा में अिग
अिग होते हैं। ये प्रायः X तथा Y गुण सूि कहिाते हैं,
मनुष्य में लिंग ननर्ातरण XY गुण सूि द्िारा होता है।
मनुष्य में 22 जोड़ी ऑटो सोम तथा एक जोड़ी लिंग गुण सूि
हेटरो सोम होते हैं।
मानि में मलांग तनधाार पण
मानि में 22 जोड़े गुण सूि समान होते हैं ज़जन्हें ऑटोसोम्स कहते
हैं, िेककन 23िां जोड़ा नर ि मादा में लभन्न लभन्न होता है। इसे
लिंग गुण सूि कहते हैं।
मलांग तनधाार पण - िुरुष तथा स्त्िी में इन गुण सूिों को यह जोड़ा एक
दूसरे से लभन्न होता है, इसमें एक छोटा तथा दूसरा बड़ा होता है
इस प्रकार यह हेटेरोसोम्स कहिाता है।
नर ि मादा में युग्मकजनन क
े द्िारा युग्मकों का ननमातण होता है।
नर क
े x युग्मक जब मादा क
े x युग्मक क
े साथ संिनयत होते हैं तो
मादा संतनत का ननमातण होता है और जब नर क
े y युग्मक मादा क
े
x युग्मक क
े साथ संिनयत होते हैं तो नर संतनत का ननमातण होता
है।
7
अतः मानि में ननषेचन क
े फि स्त्िरुि 50% मादा 50% नर संतनत होने की सम्भािना होती है। इस
प्रकार लिंग ननर्ातरण में नर y गुण सूि या युग्मक की भूलमका महत्ििूणत होती है।
8
9
जातत उद्भि
जैि पिकास प्रकक्रया क
े दौरान नई जानत की उत्िपि का
होना जानत उद्भि कहिाता है। जानत की उत्िपि में
ननम्न कारक सहायक होते हैं -
उत्परर पितान आनुिाांमिक विचलन
पुनममालन सांकर पण
पृथक्कर पण
10
उत्परर पितान
1901 में हॉिैण्ड क
े जीि िैज्ञीननक ह्यूगो डी व्रीज ने
उत्िररिततनिाद प्रस्त्तुत ककया। उन्होंने इिननंग पप्रमरोस क
े
िौर्ों का अध्ययन करने िर यह देखा कक उसक
े क
ु छ
िौर्ों में अकस्त्मात ही क
ु छ ऐसे िक्षण उत्िन्न हो जाते हैं
कक ये मूि िौर्ों से िूणततः लभन्न होते हैं। डी व्रीि क
े
अनुसार ककसी जानत क
े िौर्ों में जो अचानक लभन्नताएं
पिकलसत हो जाती हैं उन्हें म्युटेिन या उत्िररिततन कहते हैं। ये
सभी जीिों में अतसमात ही उत्िन्न हो जाते हैं और नई जानत
का सृजन करते हैं। दूसरी ओर डी व्रीज का कहना है कक
पिलभन्नताएं दीघत होती हैं जो जीिों में अतसमात ही उत्िन्न हो
जाती हैं, िातािरण क
े प्रभाि से नहीं। ककन्तु नई जानत बनने क
े
बाद िातािरण क
े िि उन उत्िररिनततत जीिों का िरण करता है
जो उनक
े अनुक
ू ि होते हैं।
11
जैि विकास
सरि संरचना िािे जीिों से आर्ुननक जदटि जीिों क
े क्रलमक पिकास को जैि
पिकास कहते हैं अथातत् र्ीमी गनत से होने िािा िह क्रलमक िररिततन है
ज़जसक
े िररणामस्त्िरुि िूित काि क
े सरि संरचना तथा ननम्न कोदट िािे
प्राणणयों से आर्ुननक जदटि तथा उच्च कोदट क
े प्राणणयों का पिकास हुआ है।
जैि पिकास िगातार चिने िािी एक पिकास प्रकक्रया है िरन्तु यह प्रकक्रया
इतनी र्ीमी ि िम्बी होती है कक इसक
े प्रकृ नत में होते हुए देख िाना सम्भि
नहीं है। इस प्रकक्रया का अध्ययन ननम्न प्रमाणों की सहायता से ककया
जाता है जो ननम्नलिणखत हैं -
जीिों की तुलनात्मक िर पीर प र पचना
अििषी अांग जीिाश्म
समजात ि समिृतत अांग भ्रौणणकी
12
जीिाश्म
जीि की मृत्यु क
े बाद उसक
े िरीर का अिघटन हो
जाता है तथा िह समाप्त हो जाता है, िरन्तु कभी
कभी जीि तथा उसक
े क
ु छ भाग ऐसे िातािरण में
चिे जाते हैं ज़जसक
े कारण अिघटन िूरी तरह से
नहीं हो िाता। उदहारण क
े लिए - यदद कोई मृत
कीट गमत लमट्टी में सूखकर कठोर हो जाए तथा
कीट क
े िरीर क
े छाि सुरक्षक्षत रह जाये। जीि क
े
इस प्रकार क
े िरररक्षक्षत अििेष जीिाश्म कहिाते
हैं।
13
समजात अांग – ऐसे अंग जो मूि रचना तथा उद्भि में समान होते हैं,
ककन्तु अिग अिग कायों हेतु अनुक
ू लित होने क
े कारण असमान
ददखाई देते हैं तथा ज़जनका पिकास भ्रूण क
े समान भागों से होता है
समजात अंग कहिाते हैं। जैसे सीि क
े फ्िीिर (अगिी टांगो) तैरने क
े
लिए िक्षी और चमगादङ क
े िंख उड़ने क
े लिए, घोड़े की अगिी टााँग
दौड़ने क
े लिए, मनुष्य क
े हाथ िस्त्तुओं को िकड़ने क
े लिए अनुक
ू लित
होते हैं – इनक
े कायों में अन्तर होते हुए भी इनकी मूि संरचना तथा
उत्िपि में समानता होती है।
समरूप अांग – ऐसे अंग, जो रचना ि उत्िपि में लभन्न हों ककन्तु कायों
तथा बाह्य आकाररकी में समान हों, समरूि अंग कहिाते हैं। जैसे कीट,
िक्षी एिं चमगादङ क
े िंख उड़ने का कायत करते हैं िरन्तु ये मूि संरचना
तथा उत्िपि में लभन्न होते हैं। कीटों क
े िंख काइदटन से बने होते हैं इनमे
क
ं काि नहीं होता जबकक चमगादङ क
े िंख र्ड़ क
े नीचे फ
ै िी त्िचा से
बने होते हैं।
14
विकास क चर पण
आँख का विकास – सभी जीिों में अनेक जदटि अंग होते
हैं। िततमान में ये जदटि अंग ज़जस रूि में ददखाई देते हैं
क
े िि एकमाि DNA में िररिततन से सम्भि नहीं हैं
अपितु िे अनेकों िीदियों में हुए िररिततनों का िररणाम
हैं। आाँख ऐसे जदटि अंग का उदहारण है।
पर पों (Feathers) का विकास – एक िररिततन जो एक गुण
क
े लिए उियोगी है कािान्तर में ककसी अन्य कायत क
े
लिए भी उियोगी हो सकता है। उदहारण – िर
(FEATHER) जो सम्भितः ठण्डे मौसम में उष्मारोर्न क
े
लिए पिकलसत हुए थे कािान्तर में उड़ने क
े लिए भी
उियोगी हो गए।
15
जैि विकास क सम्बन्ध में डाविान का
मसद्धान्त
चाल्सत डापितन एक जीि िैज्ञाननक थे ज़जन्होंने समुरी यािाओं क
े
दौरान पिलभन्न देिों तथा द्िीिों क
े जीिों का अध्ययन ककया और
जीिों क
े पिकास क
े सम्बन्र् में अिने लसद्र्ान्त को प्राकृ नतक
िरण द्िारा जानतयों का उदभि नामक िुस्त्तक में प्रकालित ककया
जो डापितनिाद या प्राकृ नतकिरण-िाद क
े नाम से प्रचचलित हुआ।
यह लसद्र्ान्त ननम्न तथ्यों को आर्ार मानकर प्रनतिाददत ककया
गया – जीिों में सांतानोत्पवत्त की रदेचुर प क्षमता
जीिन सांघषा योग्यतम की उत्तर प जीविता
रदेाकृ ततक िर पण विमभन्नताएां
नई जाततयों की उत्पतत
16
लैमाक
ा का उपार्जात लक्षणों की िांिागतत का
मसद्धान्त
जैि पिकास क
े प्रचचलित लसद्र्ान्तों में यह सबसे िुराना लसद्र्ान्त है।
िैमाक
त फ्ांलससी िैज्ञाननक थे। उन्होंने सन् 1809 में जैि पिकास क
े बारे
में अिने लसद्र्ान्त को कफिोसोफी िूिॉज़जक (Philosophie
zoologique) नामक िुस्त्तक में प्रकालित कराया, यह लसद्र्ान्त
िैमाक
त िाद क
े नाम से प्रचलित हुआ। इसमें इन्होंने मुख्ततयः चार बातों
िर प्रकि डािा –
1. जीिों की आकार प में िृद्धध की रदेिृवत्त
2. िातािर पण का रदेभाि
3. अांगो का उपयोग और प अनुपयोग
4. उपार्जात लक्षणों की िांिागतत
अिने लसद्र्ान्त क
े समथतन में िैमाक
त ने ज़जरातफ का उदहारण ददया है जो अफ्ीका क
े
रेचगस्त्तान में लमिते हैं।
17
मानि का उद्भि ि विकास
1. 15 लमलियन िषत िूित ड्रायोपिथेकस (िन मानुष जैसे) ि रामापिथेकस
(मनुष्य जैसे) उत्िन्न हुए। िरीर िर बाि अचर्क गोररल्िा ि चचम्िैंिी
जैसे चिते थे।
2. 3 - 4 लमलियन िषत िूित िूिी अफ्ीका में नरिानर िैदा हुए जो खड़े होकर
सीर्े चिते थे।
3. िगभग 2 लमलियन िषत िूित ऑस्त्रिोपिथेलसन (आदद मानि) िैदा हुए। ये
िूिी अफ्ीका क
े घास स्त्थिों में रहते थे। लिकार क
े लिए ित्थरों क
े औिारों
का प्रयोग करते थे िेककन मााँस नहीं खाते थे, ये फिों का सेिन करते थे।
इनको िहिा मानि जैसा प्राणी क
े रूि में जाना गया और होमो हैबबलिस
कहा गया।
4. 1.5 लमलियन िषत िूित होमो इरेतटस िैदा हुए इनका मज़स्त्तष्क बड़ा तथा ये
मााँस कहते थे।
5. हजारों िषत िूित ननयंडरथि मानि िैदा हुए। इनका मज़स्त्तष्क भी बड़ा था।
ये िूिी ि मध्य एलियाई देिों में रहते थे। अिने मृतकों को जमीन में
गाड़ते थे।
6. होमो सैपियस (मानि) अफ्ीका में पिकलसत हुआ और पिलभन्न महाद्िीिों
में फ
ै ि गया। इसक
े बाद लभन्न जानतयों में पिकलसत हुआ और आर्ुननक
मानि बना। गुफाओ में चचिों की रचना ि कृ पष कायत करने िगा।
18
गृह काया
रदेश्न 1 मनुष्य में ककतने जोड़ी ऑटोसोम्स होते हैं ?
रदेश्न 2 मनुष्य में नर तथा मादा गुण सूिों को प्रदलितत कीज़जए ।
रदेश्न 3 योग्यतम की उिरजीपिता तया है ?
रदेश्न 4 चमगादड़ एिं िक्षी क
े िंख ककस प्रकार क
े अंग हैं ?
रदेश्न 5 िे कोन से कारक हैं जो नयी स्त्िीिीज क
े उद्भि में सहायक हैं
?
रदेश्न 6 लिंग गुण सूि से तया तात्ियत है ? स्त्िी तथा िुरुष में ककस
प्रकार क
े गुण सूि िाये जाते हैं ?
रदेश्न 7 समजात ि समरूि अंगो को उदहारण देकर समझाइए ?
रदेश्न 8 जीिश्म तया है ? िे जैि पिकास क
े पिषय में तया दिातते हैं ?
रदेश्न 9 जैि पिकास तया है ? जैि पिकास क
े सम्बन्र् में डापितन क
े
प्राकृ नतक िरण को समझाइए।
19
ग्रन्थसूची
1. आनुिांलिकता एिं जैि पिकास, पिज्ञान, कक्षा 10,
पिद्या यूननिलसतटी प्रेस,क
ु मार-िाठक-राणा, P. 211-237;
2. आनुिांलिकता एिं जैि पिकास, पिज्ञान, कक्षा 10,
NCERT;
3. आनुिांलिकता एिं जैि पिकास, पिज्ञान, कक्षा 10,
पिद्या तिेश्चन बैंक, NCERT बेस्त्ड, 2020, P. 88-102;
4. NCERT बुतस एण्ड सोिूिन्स ऍि;
5. पिककिीडडया
6. यूट्यूब
20
भाग – 2
समाप्त
डॉ. र पणु त्रिपाठी
(PhD, M.Ed., M.Sc.)
अध्यापिका
राजकीय बालिका इण्टर कॉिेज, पिजयनगर, ग़ाज़ियाबाद

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  • 2. 2 विषय िस्तु 1. भाग - 1 अनुिाांमिकता 1.1 आनुिाांमिकता 1.2 आनुिाांमिक लक्षण 1.3 लक्षणों की िांिागतत क तनयम - मण्डल का योगशान 1.4 मण्डल क रदेयोग तथा परर पणाम 1.5 मण्डल न अपन रदेयोग क मलए मटर प क पौध को क्यों चुना ? 1.6 मण्डल क तनयमों में रदेयुक्त िब्शािली 1.7 मण्डल क तनयम 1.8 मण्डल क आनुिाांमिकता क तनयमों की व्याख्या 2. भाग - 2 जैि विकास 2.1 लक्षण आपको ककस रदेकार प व्यक्त कर पत हैं ? 2.2 गुण सूि 2.3 गुण सुि क रदेकार प 2.4 मानि में मलांग तनधाार पण 2.5 जातत उद्भि 2.6 उत्परर पितान 2.7 जैि विकास 2.8 जीिाश्म 2.9 विकास क चर पण 2.10 जैि विकास क सम्बन्ध में डाविान का मसद्धान्त 2.11 लैमाक ा का उपार्जात लक्षणों की िांिागतत का मसद्धान्त 2.12 मानि का उद्भि ि विकास
  • 4. लक्षण आपको ककस रदेकार प व्यक्त कर पत हैं ? कोलिका क े डी.एन.ए.(D.N.A.) में प्रोटीन संश्िेषण क े लिए एक सूचना स्रोत होता है। D.N.A. का िह भाग ज़जसमें ककसी प्रोटीन संश्िेषण क े लिए सूचना होती है उसे प्रोटीन का जीन कहते हैं। जो प्रोटीन क े पिलभन्न िक्षणों की अलभव्यज़तत को ननयज़न्ित करता है। अतः जीन िक्षणों को ननयज़न्ित करते हैं। सभी जीिों में आनुिांलिक िक्षणों का ननयन्िण एिं संचरण आनुिांलिक इकाइयों द्िारा होता है। मेण्डि ने इन्हें कारक कहा तथा जोहनसन ने इनक े लिए जीन िब्द का प्रयोग ककया। 4
  • 5. 5 गुण सूि का प्रयोग िॉल्डेयर ने 1888 में उन गहरी अलभरज़जजत छड़ सदृश्य रचनाओं क े लिए ककया था जो क े न्रक में कोलिका पिभाजन क े समय ददखाई देती हैं। ये क े न्रक में िाए जाने िािे न्यूज़तिोंप्रोटीन जािक क े संघनन से बनते हैं। गुण सुि या क्रोमो सोम अथातत रंगीन कायत। गुण सूि क काया 1. आनुिांलिकी में भूलमका 2. जनक की इकाई गुण सूि
  • 6. 6 गुण सुि क रदेकार प 1. ऑटो सोम - जो गुण सूि लिंग िक्षणों को छोड़कर जीन क े अन्य िक्षणों का ननर्ातरण करते हैं िह ऑटो सोम गुण सूि कहिाते हैं। ये नर तथा मादा दोनों प्रकार क े जीिों में सामान होते हैं। 2. हटर पो सोम - जो गुण सूि लिंग ननर्ातरण करते हैं िे हेटेरो सोम गुण सूि कहिाते हैं। ये नर तथा मादा में अिग अिग होते हैं। ये प्रायः X तथा Y गुण सूि कहिाते हैं, मनुष्य में लिंग ननर्ातरण XY गुण सूि द्िारा होता है। मनुष्य में 22 जोड़ी ऑटो सोम तथा एक जोड़ी लिंग गुण सूि हेटरो सोम होते हैं।
  • 7. मानि में मलांग तनधाार पण मानि में 22 जोड़े गुण सूि समान होते हैं ज़जन्हें ऑटोसोम्स कहते हैं, िेककन 23िां जोड़ा नर ि मादा में लभन्न लभन्न होता है। इसे लिंग गुण सूि कहते हैं। मलांग तनधाार पण - िुरुष तथा स्त्िी में इन गुण सूिों को यह जोड़ा एक दूसरे से लभन्न होता है, इसमें एक छोटा तथा दूसरा बड़ा होता है इस प्रकार यह हेटेरोसोम्स कहिाता है। नर ि मादा में युग्मकजनन क े द्िारा युग्मकों का ननमातण होता है। नर क े x युग्मक जब मादा क े x युग्मक क े साथ संिनयत होते हैं तो मादा संतनत का ननमातण होता है और जब नर क े y युग्मक मादा क े x युग्मक क े साथ संिनयत होते हैं तो नर संतनत का ननमातण होता है। 7
  • 8. अतः मानि में ननषेचन क े फि स्त्िरुि 50% मादा 50% नर संतनत होने की सम्भािना होती है। इस प्रकार लिंग ननर्ातरण में नर y गुण सूि या युग्मक की भूलमका महत्ििूणत होती है। 8
  • 9. 9 जातत उद्भि जैि पिकास प्रकक्रया क े दौरान नई जानत की उत्िपि का होना जानत उद्भि कहिाता है। जानत की उत्िपि में ननम्न कारक सहायक होते हैं - उत्परर पितान आनुिाांमिक विचलन पुनममालन सांकर पण पृथक्कर पण
  • 10. 10 उत्परर पितान 1901 में हॉिैण्ड क े जीि िैज्ञीननक ह्यूगो डी व्रीज ने उत्िररिततनिाद प्रस्त्तुत ककया। उन्होंने इिननंग पप्रमरोस क े िौर्ों का अध्ययन करने िर यह देखा कक उसक े क ु छ िौर्ों में अकस्त्मात ही क ु छ ऐसे िक्षण उत्िन्न हो जाते हैं कक ये मूि िौर्ों से िूणततः लभन्न होते हैं। डी व्रीि क े अनुसार ककसी जानत क े िौर्ों में जो अचानक लभन्नताएं पिकलसत हो जाती हैं उन्हें म्युटेिन या उत्िररिततन कहते हैं। ये सभी जीिों में अतसमात ही उत्िन्न हो जाते हैं और नई जानत का सृजन करते हैं। दूसरी ओर डी व्रीज का कहना है कक पिलभन्नताएं दीघत होती हैं जो जीिों में अतसमात ही उत्िन्न हो जाती हैं, िातािरण क े प्रभाि से नहीं। ककन्तु नई जानत बनने क े बाद िातािरण क े िि उन उत्िररिनततत जीिों का िरण करता है जो उनक े अनुक ू ि होते हैं।
  • 11. 11 जैि विकास सरि संरचना िािे जीिों से आर्ुननक जदटि जीिों क े क्रलमक पिकास को जैि पिकास कहते हैं अथातत् र्ीमी गनत से होने िािा िह क्रलमक िररिततन है ज़जसक े िररणामस्त्िरुि िूित काि क े सरि संरचना तथा ननम्न कोदट िािे प्राणणयों से आर्ुननक जदटि तथा उच्च कोदट क े प्राणणयों का पिकास हुआ है। जैि पिकास िगातार चिने िािी एक पिकास प्रकक्रया है िरन्तु यह प्रकक्रया इतनी र्ीमी ि िम्बी होती है कक इसक े प्रकृ नत में होते हुए देख िाना सम्भि नहीं है। इस प्रकक्रया का अध्ययन ननम्न प्रमाणों की सहायता से ककया जाता है जो ननम्नलिणखत हैं - जीिों की तुलनात्मक िर पीर प र पचना अििषी अांग जीिाश्म समजात ि समिृतत अांग भ्रौणणकी
  • 12. 12 जीिाश्म जीि की मृत्यु क े बाद उसक े िरीर का अिघटन हो जाता है तथा िह समाप्त हो जाता है, िरन्तु कभी कभी जीि तथा उसक े क ु छ भाग ऐसे िातािरण में चिे जाते हैं ज़जसक े कारण अिघटन िूरी तरह से नहीं हो िाता। उदहारण क े लिए - यदद कोई मृत कीट गमत लमट्टी में सूखकर कठोर हो जाए तथा कीट क े िरीर क े छाि सुरक्षक्षत रह जाये। जीि क े इस प्रकार क े िरररक्षक्षत अििेष जीिाश्म कहिाते हैं।
  • 13. 13 समजात अांग – ऐसे अंग जो मूि रचना तथा उद्भि में समान होते हैं, ककन्तु अिग अिग कायों हेतु अनुक ू लित होने क े कारण असमान ददखाई देते हैं तथा ज़जनका पिकास भ्रूण क े समान भागों से होता है समजात अंग कहिाते हैं। जैसे सीि क े फ्िीिर (अगिी टांगो) तैरने क े लिए िक्षी और चमगादङ क े िंख उड़ने क े लिए, घोड़े की अगिी टााँग दौड़ने क े लिए, मनुष्य क े हाथ िस्त्तुओं को िकड़ने क े लिए अनुक ू लित होते हैं – इनक े कायों में अन्तर होते हुए भी इनकी मूि संरचना तथा उत्िपि में समानता होती है। समरूप अांग – ऐसे अंग, जो रचना ि उत्िपि में लभन्न हों ककन्तु कायों तथा बाह्य आकाररकी में समान हों, समरूि अंग कहिाते हैं। जैसे कीट, िक्षी एिं चमगादङ क े िंख उड़ने का कायत करते हैं िरन्तु ये मूि संरचना तथा उत्िपि में लभन्न होते हैं। कीटों क े िंख काइदटन से बने होते हैं इनमे क ं काि नहीं होता जबकक चमगादङ क े िंख र्ड़ क े नीचे फ ै िी त्िचा से बने होते हैं।
  • 14. 14 विकास क चर पण आँख का विकास – सभी जीिों में अनेक जदटि अंग होते हैं। िततमान में ये जदटि अंग ज़जस रूि में ददखाई देते हैं क े िि एकमाि DNA में िररिततन से सम्भि नहीं हैं अपितु िे अनेकों िीदियों में हुए िररिततनों का िररणाम हैं। आाँख ऐसे जदटि अंग का उदहारण है। पर पों (Feathers) का विकास – एक िररिततन जो एक गुण क े लिए उियोगी है कािान्तर में ककसी अन्य कायत क े लिए भी उियोगी हो सकता है। उदहारण – िर (FEATHER) जो सम्भितः ठण्डे मौसम में उष्मारोर्न क े लिए पिकलसत हुए थे कािान्तर में उड़ने क े लिए भी उियोगी हो गए।
  • 15. 15 जैि विकास क सम्बन्ध में डाविान का मसद्धान्त चाल्सत डापितन एक जीि िैज्ञाननक थे ज़जन्होंने समुरी यािाओं क े दौरान पिलभन्न देिों तथा द्िीिों क े जीिों का अध्ययन ककया और जीिों क े पिकास क े सम्बन्र् में अिने लसद्र्ान्त को प्राकृ नतक िरण द्िारा जानतयों का उदभि नामक िुस्त्तक में प्रकालित ककया जो डापितनिाद या प्राकृ नतकिरण-िाद क े नाम से प्रचचलित हुआ। यह लसद्र्ान्त ननम्न तथ्यों को आर्ार मानकर प्रनतिाददत ककया गया – जीिों में सांतानोत्पवत्त की रदेचुर प क्षमता जीिन सांघषा योग्यतम की उत्तर प जीविता रदेाकृ ततक िर पण विमभन्नताएां नई जाततयों की उत्पतत
  • 16. 16 लैमाक ा का उपार्जात लक्षणों की िांिागतत का मसद्धान्त जैि पिकास क े प्रचचलित लसद्र्ान्तों में यह सबसे िुराना लसद्र्ान्त है। िैमाक त फ्ांलससी िैज्ञाननक थे। उन्होंने सन् 1809 में जैि पिकास क े बारे में अिने लसद्र्ान्त को कफिोसोफी िूिॉज़जक (Philosophie zoologique) नामक िुस्त्तक में प्रकालित कराया, यह लसद्र्ान्त िैमाक त िाद क े नाम से प्रचलित हुआ। इसमें इन्होंने मुख्ततयः चार बातों िर प्रकि डािा – 1. जीिों की आकार प में िृद्धध की रदेिृवत्त 2. िातािर पण का रदेभाि 3. अांगो का उपयोग और प अनुपयोग 4. उपार्जात लक्षणों की िांिागतत अिने लसद्र्ान्त क े समथतन में िैमाक त ने ज़जरातफ का उदहारण ददया है जो अफ्ीका क े रेचगस्त्तान में लमिते हैं।
  • 17. 17 मानि का उद्भि ि विकास 1. 15 लमलियन िषत िूित ड्रायोपिथेकस (िन मानुष जैसे) ि रामापिथेकस (मनुष्य जैसे) उत्िन्न हुए। िरीर िर बाि अचर्क गोररल्िा ि चचम्िैंिी जैसे चिते थे। 2. 3 - 4 लमलियन िषत िूित िूिी अफ्ीका में नरिानर िैदा हुए जो खड़े होकर सीर्े चिते थे। 3. िगभग 2 लमलियन िषत िूित ऑस्त्रिोपिथेलसन (आदद मानि) िैदा हुए। ये िूिी अफ्ीका क े घास स्त्थिों में रहते थे। लिकार क े लिए ित्थरों क े औिारों का प्रयोग करते थे िेककन मााँस नहीं खाते थे, ये फिों का सेिन करते थे। इनको िहिा मानि जैसा प्राणी क े रूि में जाना गया और होमो हैबबलिस कहा गया। 4. 1.5 लमलियन िषत िूित होमो इरेतटस िैदा हुए इनका मज़स्त्तष्क बड़ा तथा ये मााँस कहते थे। 5. हजारों िषत िूित ननयंडरथि मानि िैदा हुए। इनका मज़स्त्तष्क भी बड़ा था। ये िूिी ि मध्य एलियाई देिों में रहते थे। अिने मृतकों को जमीन में गाड़ते थे। 6. होमो सैपियस (मानि) अफ्ीका में पिकलसत हुआ और पिलभन्न महाद्िीिों में फ ै ि गया। इसक े बाद लभन्न जानतयों में पिकलसत हुआ और आर्ुननक मानि बना। गुफाओ में चचिों की रचना ि कृ पष कायत करने िगा।
  • 18. 18 गृह काया रदेश्न 1 मनुष्य में ककतने जोड़ी ऑटोसोम्स होते हैं ? रदेश्न 2 मनुष्य में नर तथा मादा गुण सूिों को प्रदलितत कीज़जए । रदेश्न 3 योग्यतम की उिरजीपिता तया है ? रदेश्न 4 चमगादड़ एिं िक्षी क े िंख ककस प्रकार क े अंग हैं ? रदेश्न 5 िे कोन से कारक हैं जो नयी स्त्िीिीज क े उद्भि में सहायक हैं ? रदेश्न 6 लिंग गुण सूि से तया तात्ियत है ? स्त्िी तथा िुरुष में ककस प्रकार क े गुण सूि िाये जाते हैं ? रदेश्न 7 समजात ि समरूि अंगो को उदहारण देकर समझाइए ? रदेश्न 8 जीिश्म तया है ? िे जैि पिकास क े पिषय में तया दिातते हैं ? रदेश्न 9 जैि पिकास तया है ? जैि पिकास क े सम्बन्र् में डापितन क े प्राकृ नतक िरण को समझाइए।
  • 19. 19 ग्रन्थसूची 1. आनुिांलिकता एिं जैि पिकास, पिज्ञान, कक्षा 10, पिद्या यूननिलसतटी प्रेस,क ु मार-िाठक-राणा, P. 211-237; 2. आनुिांलिकता एिं जैि पिकास, पिज्ञान, कक्षा 10, NCERT; 3. आनुिांलिकता एिं जैि पिकास, पिज्ञान, कक्षा 10, पिद्या तिेश्चन बैंक, NCERT बेस्त्ड, 2020, P. 88-102; 4. NCERT बुतस एण्ड सोिूिन्स ऍि; 5. पिककिीडडया 6. यूट्यूब
  • 20. 20 भाग – 2 समाप्त डॉ. र पणु त्रिपाठी (PhD, M.Ed., M.Sc.) अध्यापिका राजकीय बालिका इण्टर कॉिेज, पिजयनगर, ग़ाज़ियाबाद