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अध्याय -6
नागरिकता
नागरिकता से अभिप्राय एक िाजनीततक समुदाय की पूर्ण औि समान सदस्यता से हैं । जजसमें
कोई िेदिाव नह ीं होता हैं । िाष्ट्रों ने अपने सदस्यों को एक सामूहहक िाजनीततक पहचान के साथ
ह कु छ अधिकाि िी हदये हैं । इसभिए हम सींबींि िाष्ट्र के आिाि पि स्वयीं को िाितीय जापानी
या जमणन कहते हैं ।
अधिकति िोकताजरिक देशों में नागरिकों को अभिव्यजतत का अधिकाि मतदान या आस्था की
स्वतरिता, रयूनतम मजदूि या भशक्षा पाने का अधिकाि शाभमि ककए जाते हैं ।
नागरिक आज जजन अधिकािों का प्रयोग किते हैं उरहें उरहोंने एक िींबे सींघर्ण के बाद प्राप्त ककया
हैं जैसे 1789 की फ्ाींसीसी क्ाींतत, दक्षक्षर् अफ्ीका में समान नागरिकता प्राप्त किने के भिए िींबा
सींघर्ण आहद ।
नागरिकता में नागरिकों के आपसी सींबींि िी शाभमि हैं इसमें नागरिकों के एक दूसिे के प्रतत औि
समाज के प्रतत तनजचचत दातयत्व सजममभित होते हैं ।
नागरिकों को देश के साींस्कृ ततक औि प्राकृ ततक सींसािनों का उत्तिाधिकाि औि रयासी िी माना
जाता हैं ।
समपूर्ण औि समान सदस्यता
इसका अभिप्राय हैं नागरिकों को देश में जहाीं चाहे िहने, पढ़ने काम किने का समान अधिकाि व
अवसि भमिना तथा सिी अमीि -गि ब नागरिकों को कु छ मूििूत अधिकाि एवीं सुवविाएीं प्राप्त
होना हैं ।
प्रवासी
काम की तिाश में िोग एक शहि से दूसिे शहि तथा एक देश से दूसिे देश की ओि जाते हैं ।
तब ये प्रवासी कहिाते हैं ।
तनिणन प्रवाभसयों का अपने -अपने क्षेिों में उसी प्रकाि स्वागत नह ीं होता जजस प्रकाि कु शि औि
दौितमींद प्रवाभसयों का होता हैं ।
प्रततवाद (वविोि) का अधिकाि हमािे सींवविान में नागरिकों के भिए सुतनजचचत की गई अभिव्यजतत
की स्वतरिता का एक पहिू हैं बशते इससे दूसिे िोगों या िाज्य के जीवन औि सींपतत को क्षतत
नह ीं पहुींचनी चाहहए ।
प्रततवाद के ति के
2
नागरिक समूह बनाकि प्रदशणन कि के , मीडिया का इस्तेमाि कि िाजनीततक दिों से अपीि कि
या अदाित में जा कि जनमत औि सिकाि नीततयों को पिखने औि प्रमाणर्त किने के भिए
स्वतींि हैं ।
समान अधिकाि शहिों में अधिक सींख्या झोपड़ पट्हियों औि अवैि कब्जे की िूभम पि बसे िोगों
की हैं । ये िोग हमािे बहुत काम के हैं । इनके बबना एक हदन िी नह ीं गुजािा जा सकता जैसे
सफाई कमणचाि , फे ि वािे, घिेिू नौकि नि ठीक किने वािे आहद ।
सिकाि, स्वयीं सेवी सींगठन िी इन िोगों के प्रतत जागरूक हो िहे हैं । सन 2004 में एक िाष्ट्र य
नीतत बनाई गई जजसमें िाखों फु िपाथ दुकानदािों को स्वतींि कािोबाि चिाने का बि प्राप्त
हुआ ।
इसी प्रकाि एक औि वगण हैं जजसको नजिींदाज नह ीं ककया जा सकता हैं वह हैं आहदवासी औि
वनवासी समूह । ये िोग अपने तनवाणह के भिए जींगि औि दूसिे प्राकृ ततक सींसािनों पि तनिणि
िहते हैं । नागरिकों के भिए समान अधिकाि का अथण हैं नीततयाीं बनाते समय भिरन -भिरन िोगों
की जरूितों का तथा दावों का ध्यान िखना ।
नागरिक औि िाष्ट्र
कोई नागरिक अपनी िाष्ट्र य पहचान को एक िाष्ट्र गान, झण्िा, िाष्ट्र िार्ा या कु छ खास उत्सवों
के आयोजन जैसे प्रतीकों द्वािा प्रकि कि सकता हैं । िोकताजरिक देश यथासींिव समावेशी
होते हैं । जो सिी नागरिकों को िाष्ट्र के अींश के रूप में अपने को पहचानने की इजाजत देता
हैं । जैसे फ्ाींस जो यूिोपीय मूि के िोगों को ह नह ीं अवपतु उत्ति अफ्ीका जैसे दूसिे क्षेिों से आए
नागरिकों को िी अपने में सजममभित किता हैं इसे िाज्य कृ त नागरिकता कहते हैं ।
िाज्य कृ त नागरिकता के भिए आवेदकों को अनुमतत देने की शतें प्रत्येक देश में पृथक होती हैं
औि इज़िाइि या जमणनी में िमण औि जातीय मूि जैसे तत्वों को प्राथभमकता द जाती हैं ।
िाितीय सींवविान ने अनेक वववविता पूर्ण समाजों को समा योजजत किने का प्रयास ककया हैं ।
इसने अनु सूधचत जातत जनजातत जैसे अिग -अिग समुदायों, महहिाओीं, अींिे मान तनकोबाि
द्वीप समूह के कु छ सुदूिवती समुदायों को पूर्ण तथा समान नागरिकता देने का प्रयास ककया हैं ।
नागरिकता से सींबींधित प्राविानों का वर्णन सींवविान के तीसिे खींि तथा सींसद द्वािा तत्पचचात
पारित क़ानूनों से हुआ हैं ।
िाज्य कृ त नागरिकता के ति के
1. पींजीकिर्
2. देशीकिर्
3
3. वींश पिींपिा
4. ककसी िू क्षेि का िाज क्षेि में भमिना
सावणिौभमक नागरिकता
हम यह मान िेते हैं कक ककसी देश की पूर्ण सदस्यता उन सबको उपिब्ि होनी चाहहए जो
सामारयतः: उस देश के तनवासी हैं वहााँ काम किते या जो नागरिकता के भिए आवेदन किते हैं
ककरतु नागरिकता देने की शतें सिी तय किते हैं । अवाींतछत नागरिकता से बाहि िखने के भिए
िाज्य ताकत का इस्तेमाि किते हैं पिींतु कफि िी व्यापक स्ति पि िोगों का देशाींतिर् होता हैं ।
ववस्थापन के कािर्
युद्ि, अकाि, उत्पीड़न
शिर्ाथी का अथण
ववस्थापन के कािर् जो िोग न तो घि िौि सकते औि न ह कोई देश उरहें अपनाने को तैयाि
होता हैं । तो वे िाज्य ववह न या शिर्ाथी कहिाते हैं ।
ववचव नागरिकता
आज हम एक ऐसी दुतनया में िहते हैं जी आपस में एक दूसिे से जुड़ा हैं । सींचाि के सािन,
िेि ववज़न या इरििनेि ने हमािे सींसाि को समझने के ढींग में िाि परिवतणन ककया हैं । एभशया
की सुनाम या बड़ी आपदाओीं के पीडड़तों की सहायता के भिए ववचव के सिी िागों से उमदा
िावोद्गाि ववचव समाज की उिाि की ओि इशािा किता हैं । इसी को ववचव नागरिकता कहा जाता
हैं । यह ववचव ग्राम व्यवस्था का आिाि िी हैं ।
ववचव नागरिकता से िाि
इससे िाष्ट्र य सीमाओीं के दोनों तिफ उन समस्याओीं का समािान किना सिि होगा जजसमें बहुत
देशों की सिकािों औि िोगों की सींयुतत कायणवाह जरूि होती हैं । इससे प्रवासी या िाज्य ववह न
िोगों की समस्याओीं का सवणमारय तनबिान किना आसान हो सकता हैं ।
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  • 2. 2 नागरिक समूह बनाकि प्रदशणन कि के , मीडिया का इस्तेमाि कि िाजनीततक दिों से अपीि कि या अदाित में जा कि जनमत औि सिकाि नीततयों को पिखने औि प्रमाणर्त किने के भिए स्वतींि हैं । समान अधिकाि शहिों में अधिक सींख्या झोपड़ पट्हियों औि अवैि कब्जे की िूभम पि बसे िोगों की हैं । ये िोग हमािे बहुत काम के हैं । इनके बबना एक हदन िी नह ीं गुजािा जा सकता जैसे सफाई कमणचाि , फे ि वािे, घिेिू नौकि नि ठीक किने वािे आहद । सिकाि, स्वयीं सेवी सींगठन िी इन िोगों के प्रतत जागरूक हो िहे हैं । सन 2004 में एक िाष्ट्र य नीतत बनाई गई जजसमें िाखों फु िपाथ दुकानदािों को स्वतींि कािोबाि चिाने का बि प्राप्त हुआ । इसी प्रकाि एक औि वगण हैं जजसको नजिींदाज नह ीं ककया जा सकता हैं वह हैं आहदवासी औि वनवासी समूह । ये िोग अपने तनवाणह के भिए जींगि औि दूसिे प्राकृ ततक सींसािनों पि तनिणि िहते हैं । नागरिकों के भिए समान अधिकाि का अथण हैं नीततयाीं बनाते समय भिरन -भिरन िोगों की जरूितों का तथा दावों का ध्यान िखना । नागरिक औि िाष्ट्र कोई नागरिक अपनी िाष्ट्र य पहचान को एक िाष्ट्र गान, झण्िा, िाष्ट्र िार्ा या कु छ खास उत्सवों के आयोजन जैसे प्रतीकों द्वािा प्रकि कि सकता हैं । िोकताजरिक देश यथासींिव समावेशी होते हैं । जो सिी नागरिकों को िाष्ट्र के अींश के रूप में अपने को पहचानने की इजाजत देता हैं । जैसे फ्ाींस जो यूिोपीय मूि के िोगों को ह नह ीं अवपतु उत्ति अफ्ीका जैसे दूसिे क्षेिों से आए नागरिकों को िी अपने में सजममभित किता हैं इसे िाज्य कृ त नागरिकता कहते हैं । िाज्य कृ त नागरिकता के भिए आवेदकों को अनुमतत देने की शतें प्रत्येक देश में पृथक होती हैं औि इज़िाइि या जमणनी में िमण औि जातीय मूि जैसे तत्वों को प्राथभमकता द जाती हैं । िाितीय सींवविान ने अनेक वववविता पूर्ण समाजों को समा योजजत किने का प्रयास ककया हैं । इसने अनु सूधचत जातत जनजातत जैसे अिग -अिग समुदायों, महहिाओीं, अींिे मान तनकोबाि द्वीप समूह के कु छ सुदूिवती समुदायों को पूर्ण तथा समान नागरिकता देने का प्रयास ककया हैं । नागरिकता से सींबींधित प्राविानों का वर्णन सींवविान के तीसिे खींि तथा सींसद द्वािा तत्पचचात पारित क़ानूनों से हुआ हैं । िाज्य कृ त नागरिकता के ति के 1. पींजीकिर् 2. देशीकिर्
  • 3. 3 3. वींश पिींपिा 4. ककसी िू क्षेि का िाज क्षेि में भमिना सावणिौभमक नागरिकता हम यह मान िेते हैं कक ककसी देश की पूर्ण सदस्यता उन सबको उपिब्ि होनी चाहहए जो सामारयतः: उस देश के तनवासी हैं वहााँ काम किते या जो नागरिकता के भिए आवेदन किते हैं ककरतु नागरिकता देने की शतें सिी तय किते हैं । अवाींतछत नागरिकता से बाहि िखने के भिए िाज्य ताकत का इस्तेमाि किते हैं पिींतु कफि िी व्यापक स्ति पि िोगों का देशाींतिर् होता हैं । ववस्थापन के कािर् युद्ि, अकाि, उत्पीड़न शिर्ाथी का अथण ववस्थापन के कािर् जो िोग न तो घि िौि सकते औि न ह कोई देश उरहें अपनाने को तैयाि होता हैं । तो वे िाज्य ववह न या शिर्ाथी कहिाते हैं । ववचव नागरिकता आज हम एक ऐसी दुतनया में िहते हैं जी आपस में एक दूसिे से जुड़ा हैं । सींचाि के सािन, िेि ववज़न या इरििनेि ने हमािे सींसाि को समझने के ढींग में िाि परिवतणन ककया हैं । एभशया की सुनाम या बड़ी आपदाओीं के पीडड़तों की सहायता के भिए ववचव के सिी िागों से उमदा िावोद्गाि ववचव समाज की उिाि की ओि इशािा किता हैं । इसी को ववचव नागरिकता कहा जाता हैं । यह ववचव ग्राम व्यवस्था का आिाि िी हैं । ववचव नागरिकता से िाि इससे िाष्ट्र य सीमाओीं के दोनों तिफ उन समस्याओीं का समािान किना सिि होगा जजसमें बहुत देशों की सिकािों औि िोगों की सींयुतत कायणवाह जरूि होती हैं । इससे प्रवासी या िाज्य ववह न िोगों की समस्याओीं का सवणमारय तनबिान किना आसान हो सकता हैं । -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------