2. अब प्रश्न उठता है कि
यह परमात्मा िा अंश
िहााँ जाएगा ?
इच्छाएं
भय
मोह
?
प्रभु ममलन
िी आस ?
यह ननभभर िरता है मन िी स्थिनत पर
जो शरीर िी मृत्यु िे समय िी |
परन्तु यह जरूरी नहीं कि शरीर िी
मृत्यु बुढ़ापे िे बाद ही आये ।
3. इच्छाएं
भय
मोह
?
प्रभु ममलन
िी आस ?
यदद मन उस समय इच्छाओं, भय या मोह से ग्रथत िा तो
किर से वही प्रश्न
उठता है कि
यह परमात्मा िा अंश
िहााँ जाएगा ?अिाभत यह राथता वापस मृत्युलोि में आिर ममलता
है |
किर से शरीर में जन्म, किर मृत्यु |
यह सब तब ति चलता रहेगा जब ति शरीर सभी
इच्छाओं, भय और मोह से रदहत नहीं हो जाएगा |
4. इच्छाएं
भय
मोह
?
प्रभु ममलन
िी आस ?
यदद मन उस समय प्रभु ममलन िी आस में लगाया िा तो
यह राथता जािर वापस अपने स्रोत में ममलता है |
जहााँ से यात्रा शुरू िी िी, वहीीँ पर जािर समाप्त हो जाएगी |
5. 2) जन्म से मृत्यु तक इस शरीर के साथ कौन है ?
3) क्या मेरा अस्ततत्व ससर्फ ये शरीर ही था ?
4) क्या मै इस शरीर के जन्म से पहले और बाद में भी ह ?
आत्म ननररक्षण िे मलए िु छ प्रश्न
1) जब यह शरीर मा के गभफ में था तो इसे सासे ककसने दी ?
परमपपता परमात्मा (ईष्ट) ने
सााँसों िो चलाने वाले ईष्ट
नहीं, यह तो िु छ समय िे मलए ही मुझे ममला है |
हााँ
6. 5) मै क्या चाहता ह?
अ) अपने स्रोत में समल जाना
ब) नए नए शरीरों में घमते रहना
6) मन की स्तथतत क्या है ?
आत्म ननररक्षण िे मलए िु छ प्रश्न
अ) अपने स्रोत में ममल जाना
पररस्थिनत िे अनुसार भाव आना
7) मन की स्तथतत कै सी होनी चाहहए ?
हर पररस्थिनत में समभाव
7. 9) मन की स्तथतत को इस शरीर में रहते हुए कै से काब में रखा जा
सकता है ?
आत्म ननररक्षण िे मलए िु छ प्रश्न
8) शरीर की मृत्यु के समय मन की स्तथतत कै सी होनी चाहहए ?
प्रभु ममलन िी आस
1) श्री सद्गुरु महाराज िे चरणों में बैठ िर उनिे वचनों िो सुनना
2) सतत आत्म चचंतन
10) यह अभ्यास कब से शुरू करना होगा और क्यों ?
आज से और अभी से ।
क्योंकि शरीर िी मृत्यु किसी भी समय हो सिती है ।