SlideShare a Scribd company logo
1 of 12
Download to read offline
गु ज भे र िव ान एवं तकनीक िव िव ालय
िहसार
Faculty Induction Programme -2
November, 18, 2020 to December,23, 2020
Sr. No. 06
कबीर का म सामािजक चंतन
तुतक ा
मनोज कु मार
सहायक ा यापक, िह दी
राजक य महािव ालय बालसमंद
भूिमका :
कबीर का म सामािजकता क बात करते समय सबसे बड़ी धारणा यह होती क वे वभाव से ही समाज सुधारक, युगदृ ा
और स त किव थे । संत श द क प रभाषा य द हम ापक अथ म कर तो इसका अथ होता है :- पिव आ मा, परोपकारी,
सदाचारी । मुिन राम संह ने अपनी रचना पा ड़ दोहा म स त को िनरंजन बताया है, वासुदेव संह ने अपने हंदी सािह य
के समी ा मक इितहास म पृ सं या 74 पर िलखा क कबीर दास ने कहा -िजसका कोई श ु नह , जो िन काम है, ई र
से ेम करता है और िवषय से असंपृ रहता है, वही संत है।
परशुराम चतुवदी ने िलखा “संत श द उस ि क ओर संकेत करता है िजसने सत पी परमत व का अनुभव
कर िलया हो। कबीर ने ऐसे समय म ज म िलया था िजसम भारतवष क सां कृितक आ था का पतन हो रहा था । हम
देखते ह क रामानंद के बाद भि काल म कबीर का ही नाम िलया जाता है । कबीर िनगुण िनराकार के उपासक थे ।
वे चंतन के े म ानी थे। उनके रह यवाद म अ ात स ा के ित िज ासा भाव प रलि त होता है । उनका रह यवाद
िज ासा का फल है, उ ह संसार के येक कण म ि यतम का मधुर प ही दखाई देता है।
कबीर का भाव :
कबीर एक ि नह थे बि क एक ि व थे ।
कबीर हंदु के िलए वै णव भ ; मुसलमान के
िलए पीर; िसख के िलए भ ; कबीरपंिथय के िलए
अवतार थे; आधुिनक रा वा दय के िलए हंदू
मुि लम एकता के ित प और नए वेदांितय के िलए
िव धम व मानव धम के वतक; गितशील लोग
क दृि म समाज सुधारक, जाितगत े ता के
िवरोधी, ांितकारी और एकता के तीक थे।
ामािणक रचना :
कबीर क सबसे अिधक ामािणक समझी जाने वाली
रचना म डॉ० यामसुंदरदास ारा संपा दत
कबीर ंथावली, डॉ० रामकुमार वमा ारा संपा दत
संत कबीर, कबीरपंिथय के सं दाय के ंथ बीजक
का उ लेख कया जा सकता है ।
समाज म िनगुण ई र क उ ावना
िनगुण ई र म िव ास के प म कबीर ने राम को ही पूजा है । कबीर ने कहा क
उनके राम ने न तो दशरथ के घर ज म िलया है, उसने ना ही रावण को तािड़त
कया है, ना देवक क कोख से ज म िलया है, ना ही उसे यशोदा ने ज म दया
और ना ही वे अवतार थे । उ ह ने कहा क मेरे राम तो घट घट म िव मान ह ।
उसे कह खोजने क आव यकता नह है ।
कबीर
कबीर का उ े य एक ऐसे धम का
उपदेश देना था जो सभी जाितय म
एकता थािपत कर सके। कुरीितय ,
बा -आडंबर का िवरोध करते ए
जनमानस को जाग क करने का भरपूर
यास उ ह ने कया। कबीर हंदू होकर
भी हंदू नह थे, मुसलमान होकर
मुसलमान नह थे; वह तो उस ई र के
अन य भ थे जो हमारे अंदर ही ा
है और ेम ही उनका आदश था।
म यकालीन समाज म भेदभाव,
अनाचार, िभचार, ढ़वाद व
आचरण ता अपनी चरम सीमा पर
था। समाज अ त- त था, िविभ
धा मक सं दाय का बोलबाला था,
येक ि कसी न कसी धम म
पड़कर अपनी-अपनी डफली अपना-
अपना राग अलाप रहा था। आपसी ेम,
भाईचारा और सौहा का लेश मा भी
नह था । ऐसे समय म कबीरदास जी ने
आपसी स ाव को बढ़ावा दया।
मू त पूजा पर क र हार: आपसी स ाव:
वण- व था पर कड़ा हार
म य काल म वण व था के कारण हंदु के भीतर ा ण, ि य, वै य और
शु के अित र अनेक जाितयां उ प हो चुक थ िजनम ऊं च-नीच, कुलीन-
अकुलीन का भाव पनप चुका था । कबीर ने उस समय चिलत इस जाित और वण
व था का कड़ा िवरोध कया ।
उ ह ने कहा- जाित-पाित पूछे नह कोई,
ह र को भजै सो ह र का होई ।
कबीर
कबीर समाज म ा भोग-िवलास, धन- संचय क वृि के घोर िवरोधी थे ।
त कालीन समाज क आ थक ि थित से प रिचत थे। उ ह ने उस भेदभाव को
अपनी आंख से देखा था, भोगा था, अनुभव कया था, उसी को उ ह ने अपनी
वाणी के ारा अपने का म तुत कया।
उनका कहना था- सा इतना दीिजए जामे कुटुंब समाय ।
म भी भूखा ना र ं साधु न भूखा जाए ।।
धन-संचय िवरोध:
समाज म पुराण, शा संबंिधत अवधारणा:
कबीर दास जी पुराण, शा आ द के िवचार का गलत चार- सार करने वाल का भी िवरोध
करते दखाई देते ह । वे वतं वेता ि व के वामी थे। इसिलए वे दासता, हीनता, ूरता और शोषण
आ द को जड़ से उखाड़ फकने के िलए हमेशा ही त पर रहते थे ।
भि का प:
कबीरदास जी ने समाज के परंपरागत कमकांड, सां दाियक असिह णुता का बिह कार कया।
उ ह ने समाज म ा पूजा, छापा, माथे पर ितलक आ द सभी को नकार दया, उ ह ने भि का सीधा,
सरल एवं संपूण प िनगुण ई र के प म समाज के सामने रखा।
कबीर पढ़े-िलखे नह थे, उ ह ने वयं वीकार कया, कंतु ान शू य भी नह थे । वह अपने जीवन के मण, अनुभव एवं स संग ारा
जीवन के सार त व को ा कर चुके थे। उनका ान अनुभव ज य था इसी कारण वे समाज म अिधक लोकि य हो पाए । उ ह यह ान
ा करने के िलए कसी पवत या कसी जंगल म तप या करने के िलए नह जाना पड़ा यह ान उ ह अपने चार तरफ फैले समाज
और अपने अनुभव से ही ा आ और वह था मानवता क सेवा, मानवता का जागरण। यही ान येक मानव अपने वहार म
धारण कर ले तो उनका जीवन सफल हो जाए।
समाज म ि को समझाते ए उ ह ने कहा क मनु य को सबसे पहले अपने मन और तन क बुराई देखनी चािहए, उसे अपने अंदर
झांकना चािहए । अपना वभाव शांत रखने वाले अपने आप को हीन समझ सकते ह, परंतु अिभमानी ि दूसरे को बुरा और वयं
को अ छा समझते ह ।
उ ह ने कहा- बुरा जो देखन म चला, बुरा न िमिलया कोय ।
जो दल खोजा आपना मुझसे बुरा न कोय । ।
ान ाि आधार:
आंत रक मन म झांकने क नसीहत :
मानव सेवा सव प र:
कबीर दास जी ने मानवता क सेवा को अपने जीवन का सबसे बड़ा धम बताया । उ ह ने
कहा समाज सेवा ही सव म सेवा है। समाज सेवा के िबना मनु य क गित संभव नह है ।
उ ह ने कहा-
सेवक सेवा म रहे अनंत क नह जाय,
दुख सुख िसर ऊपर सहै, कह कबीर समझाय।
िन कष :
कबीर दास जी ने ऐसे समाज क क पना क िजसम ना कोई हंदू, ना कोई मुसलमान, ना
ा ण, न कोई शू , न िनधन, न बलशाली, ना कोई कमजोर, ना मं दर, ना मि जद, त
माला,छापा, ितलक, रोजा, नमाज आ द का झंझट ना हो । जीवन िब कुल शांत, सरल वभाव
से जीया जाए, उसे ही समाज म कबीरदास जी ने मा यता दी है।
इस कार कबीरदास जी गौतम बु , गांधी और अंबेडकर जैसे ांितका रय क ेणी म रखे जा
सकते ह । एक समाज सुधारक क सबसे बड़ी पहचान यही होती है क वह अपने युग क
िवसंगितय को पहचानकर, एक मौिलक व समयानुकूल धारणा तुत करे, उ ह म से एक थे
कबीरदास ।
सुिखया सब संसार है, खावे अ सोए
दुिखया दास कबीर है, जागे अ रोए ।
Manoj kumar sr. no. 06, kabir kavy me samajik chintan

More Related Content

What's hot

Gandhi 2 movements In Hindi
Gandhi 2 movements In Hindi Gandhi 2 movements In Hindi
Gandhi 2 movements In Hindi Basharat Mirza
 
Quots in hindi [www.e-gyan.tk]
Quots in hindi [www.e-gyan.tk]Quots in hindi [www.e-gyan.tk]
Quots in hindi [www.e-gyan.tk]haresh89
 
शिव खेड़ा के अनमोल विचार – Shiv khera quotes in hindi
शिव खेड़ा के अनमोल विचार – Shiv khera quotes in hindiशिव खेड़ा के अनमोल विचार – Shiv khera quotes in hindi
शिव खेड़ा के अनमोल विचार – Shiv khera quotes in hindiEasy Chineseez
 
Shri Guru Gobind Singh Sahib Ji Passing Away - 113a
Shri Guru Gobind Singh Sahib Ji Passing Away - 113aShri Guru Gobind Singh Sahib Ji Passing Away - 113a
Shri Guru Gobind Singh Sahib Ji Passing Away - 113asinfome.com
 
Chapter 9 Class 8 Kabir Ki Saakiyan
Chapter 9 Class 8 Kabir Ki Saakiyan Chapter 9 Class 8 Kabir Ki Saakiyan
Chapter 9 Class 8 Kabir Ki Saakiyan AnviChopra
 
कबीरदास (2)
कबीरदास (2)कबीरदास (2)
कबीरदास (2)ARAJ P P
 
Bhikshuk (भिक्षुक)
Bhikshuk (भिक्षुक)Bhikshuk (भिक्षुक)
Bhikshuk (भिक्षुक)Hindijyan
 
इन्सान से देवत्व पाने की 16 कलाए' (How one can be god from human being)
इन्सान से देवत्व पाने की 16 कलाए' (How one can be god from human being)इन्सान से देवत्व पाने की 16 कलाए' (How one can be god from human being)
इन्सान से देवत्व पाने की 16 कलाए' (How one can be god from human being)Joshimitesh
 
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी – बापू के सिद्धान्तों की वास्तविकता वर्तमान में भी
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी – बापू के सिद्धान्तों की वास्तविकता वर्तमान में भीराष्ट्रपिता महात्मा गाँधी – बापू के सिद्धान्तों की वास्तविकता वर्तमान में भी
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी – बापू के सिद्धान्तों की वास्तविकता वर्तमान में भीNational Institute of Mass Communication and Journalism, Ahmedabad
 

What's hot (13)

Meera bhai
Meera bhaiMeera bhai
Meera bhai
 
Gandhi 2 movements In Hindi
Gandhi 2 movements In Hindi Gandhi 2 movements In Hindi
Gandhi 2 movements In Hindi
 
Quots in hindi [www.e-gyan.tk]
Quots in hindi [www.e-gyan.tk]Quots in hindi [www.e-gyan.tk]
Quots in hindi [www.e-gyan.tk]
 
शिव खेड़ा के अनमोल विचार – Shiv khera quotes in hindi
शिव खेड़ा के अनमोल विचार – Shiv khera quotes in hindiशिव खेड़ा के अनमोल विचार – Shiv khera quotes in hindi
शिव खेड़ा के अनमोल विचार – Shiv khera quotes in hindi
 
Shri Guru Gobind Singh Sahib Ji Passing Away - 113a
Shri Guru Gobind Singh Sahib Ji Passing Away - 113aShri Guru Gobind Singh Sahib Ji Passing Away - 113a
Shri Guru Gobind Singh Sahib Ji Passing Away - 113a
 
Chapter 9 Class 8 Kabir Ki Saakiyan
Chapter 9 Class 8 Kabir Ki Saakiyan Chapter 9 Class 8 Kabir Ki Saakiyan
Chapter 9 Class 8 Kabir Ki Saakiyan
 
Premchand
PremchandPremchand
Premchand
 
कबीरदास (2)
कबीरदास (2)कबीरदास (2)
कबीरदास (2)
 
Bhikshuk (भिक्षुक)
Bhikshuk (भिक्षुक)Bhikshuk (भिक्षुक)
Bhikshuk (भिक्षुक)
 
Kafan kahani
Kafan kahani Kafan kahani
Kafan kahani
 
Ek boondh
Ek boondhEk boondh
Ek boondh
 
इन्सान से देवत्व पाने की 16 कलाए' (How one can be god from human being)
इन्सान से देवत्व पाने की 16 कलाए' (How one can be god from human being)इन्सान से देवत्व पाने की 16 कलाए' (How one can be god from human being)
इन्सान से देवत्व पाने की 16 कलाए' (How one can be god from human being)
 
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी – बापू के सिद्धान्तों की वास्तविकता वर्तमान में भी
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी – बापू के सिद्धान्तों की वास्तविकता वर्तमान में भीराष्ट्रपिता महात्मा गाँधी – बापू के सिद्धान्तों की वास्तविकता वर्तमान में भी
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी – बापू के सिद्धान्तों की वास्तविकता वर्तमान में भी
 

Similar to Manoj kumar sr. no. 06, kabir kavy me samajik chintan

Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdf
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdfEmailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdf
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdfBittuJii1
 
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptx
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptxकला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptx
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptxsuchoritabhandari
 
SHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdf
SHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdfSHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdf
SHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdfShivna Prakashan
 
The thought of communication in ancient bharat
The thought of communication in ancient bharatThe thought of communication in ancient bharat
The thought of communication in ancient bharatchikitsak
 
SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE - फरवरी-अंक-2023.pdf
SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE - फरवरी-अंक-2023.pdfSHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE - फरवरी-अंक-2023.pdf
SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE - फरवरी-अंक-2023.pdfNayi goonj
 
Shirdi sai baba exposed
Shirdi sai baba exposedShirdi sai baba exposed
Shirdi sai baba exposedvedicbharat
 
VIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdf
VIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdfVIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdf
VIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdfVibhom Swar
 
UGC NET Sociology In Hindi book pdf [Sample]
UGC NET Sociology In Hindi book pdf [Sample]UGC NET Sociology In Hindi book pdf [Sample]
UGC NET Sociology In Hindi book pdf [Sample]DIwakar Rajput
 
भूमंडलीकरण और हिन्दी कविता शीर्षक.docx
भूमंडलीकरण और हिन्दी कविता शीर्षक.docxभूमंडलीकरण और हिन्दी कविता शीर्षक.docx
भूमंडलीकरण और हिन्दी कविता शीर्षक.docxUdhavBhandare
 
भारतनन्दन विवेकानन्द
भारतनन्दन विवेकानन्दभारतनन्दन विवेकानन्द
भारतनन्दन विवेकानन्दVanita Thakkar
 
Vibhom swar oct dec 2020
Vibhom swar oct dec 2020Vibhom swar oct dec 2020
Vibhom swar oct dec 2020Vibhom Swar
 
Shivna sahityiki april june 2022
Shivna sahityiki april june 2022Shivna sahityiki april june 2022
Shivna sahityiki april june 2022Shivna Prakashan
 
दुख का अधिकार
दुख का अधिकारदुख का अधिकार
दुख का अधिकारAnmol Pant
 
Social scenario of haryana
Social scenario of haryanaSocial scenario of haryana
Social scenario of haryanaSECULAR HARYANA
 
राम राज्य Indica Today Shastraas Indic Knowledge Systems Indology.pptx
राम राज्य Indica Today  Shastraas  Indic Knowledge Systems  Indology.pptxराम राज्य Indica Today  Shastraas  Indic Knowledge Systems  Indology.pptx
राम राज्य Indica Today Shastraas Indic Knowledge Systems Indology.pptxIndicaToday
 
महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरणमहिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरणDrSunita Pamnani
 

Similar to Manoj kumar sr. no. 06, kabir kavy me samajik chintan (20)

Kabirdas By Harsh.pdf
Kabirdas By Harsh.pdfKabirdas By Harsh.pdf
Kabirdas By Harsh.pdf
 
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdf
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdfEmailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdf
Emailing Presentation1 HINDI 2 SHIVANI.pdf
 
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptx
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptxकला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptx
कला एकीकृत परियोजना(AIP)-बिहार के हिंदी साहित्यकार.pptx
 
SHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdf
SHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdfSHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdf
SHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdf
 
The thought of communication in ancient bharat
The thought of communication in ancient bharatThe thought of communication in ancient bharat
The thought of communication in ancient bharat
 
SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE - फरवरी-अंक-2023.pdf
SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE - फरवरी-अंक-2023.pdfSHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE - फरवरी-अंक-2023.pdf
SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE - फरवरी-अंक-2023.pdf
 
Shirdi sai baba exposed
Shirdi sai baba exposedShirdi sai baba exposed
Shirdi sai baba exposed
 
VIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdf
VIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdfVIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdf
VIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdf
 
UGC NET Sociology In Hindi book pdf [Sample]
UGC NET Sociology In Hindi book pdf [Sample]UGC NET Sociology In Hindi book pdf [Sample]
UGC NET Sociology In Hindi book pdf [Sample]
 
Bol bharat bol
Bol bharat bolBol bharat bol
Bol bharat bol
 
भूमंडलीकरण और हिन्दी कविता शीर्षक.docx
भूमंडलीकरण और हिन्दी कविता शीर्षक.docxभूमंडलीकरण और हिन्दी कविता शीर्षक.docx
भूमंडलीकरण और हिन्दी कविता शीर्षक.docx
 
भारतनन्दन विवेकानन्द
भारतनन्दन विवेकानन्दभारतनन्दन विवेकानन्द
भारतनन्दन विवेकानन्द
 
Vibhom swar oct dec 2020
Vibhom swar oct dec 2020Vibhom swar oct dec 2020
Vibhom swar oct dec 2020
 
Shivna sahityiki april june 2022
Shivna sahityiki april june 2022Shivna sahityiki april june 2022
Shivna sahityiki april june 2022
 
दुख का अधिकार
दुख का अधिकारदुख का अधिकार
दुख का अधिकार
 
Atmparichaya xii
Atmparichaya xiiAtmparichaya xii
Atmparichaya xii
 
Social scenario of haryana
Social scenario of haryanaSocial scenario of haryana
Social scenario of haryana
 
समाज
समाजसमाज
समाज
 
राम राज्य Indica Today Shastraas Indic Knowledge Systems Indology.pptx
राम राज्य Indica Today  Shastraas  Indic Knowledge Systems  Indology.pptxराम राज्य Indica Today  Shastraas  Indic Knowledge Systems  Indology.pptx
राम राज्य Indica Today Shastraas Indic Knowledge Systems Indology.pptx
 
महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरणमहिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण
 

Manoj kumar sr. no. 06, kabir kavy me samajik chintan

  • 1. गु ज भे र िव ान एवं तकनीक िव िव ालय िहसार Faculty Induction Programme -2 November, 18, 2020 to December,23, 2020 Sr. No. 06 कबीर का म सामािजक चंतन तुतक ा मनोज कु मार सहायक ा यापक, िह दी राजक य महािव ालय बालसमंद
  • 2. भूिमका : कबीर का म सामािजकता क बात करते समय सबसे बड़ी धारणा यह होती क वे वभाव से ही समाज सुधारक, युगदृ ा और स त किव थे । संत श द क प रभाषा य द हम ापक अथ म कर तो इसका अथ होता है :- पिव आ मा, परोपकारी, सदाचारी । मुिन राम संह ने अपनी रचना पा ड़ दोहा म स त को िनरंजन बताया है, वासुदेव संह ने अपने हंदी सािह य के समी ा मक इितहास म पृ सं या 74 पर िलखा क कबीर दास ने कहा -िजसका कोई श ु नह , जो िन काम है, ई र से ेम करता है और िवषय से असंपृ रहता है, वही संत है। परशुराम चतुवदी ने िलखा “संत श द उस ि क ओर संकेत करता है िजसने सत पी परमत व का अनुभव कर िलया हो। कबीर ने ऐसे समय म ज म िलया था िजसम भारतवष क सां कृितक आ था का पतन हो रहा था । हम देखते ह क रामानंद के बाद भि काल म कबीर का ही नाम िलया जाता है । कबीर िनगुण िनराकार के उपासक थे । वे चंतन के े म ानी थे। उनके रह यवाद म अ ात स ा के ित िज ासा भाव प रलि त होता है । उनका रह यवाद िज ासा का फल है, उ ह संसार के येक कण म ि यतम का मधुर प ही दखाई देता है।
  • 3. कबीर का भाव : कबीर एक ि नह थे बि क एक ि व थे । कबीर हंदु के िलए वै णव भ ; मुसलमान के िलए पीर; िसख के िलए भ ; कबीरपंिथय के िलए अवतार थे; आधुिनक रा वा दय के िलए हंदू मुि लम एकता के ित प और नए वेदांितय के िलए िव धम व मानव धम के वतक; गितशील लोग क दृि म समाज सुधारक, जाितगत े ता के िवरोधी, ांितकारी और एकता के तीक थे। ामािणक रचना : कबीर क सबसे अिधक ामािणक समझी जाने वाली रचना म डॉ० यामसुंदरदास ारा संपा दत कबीर ंथावली, डॉ० रामकुमार वमा ारा संपा दत संत कबीर, कबीरपंिथय के सं दाय के ंथ बीजक का उ लेख कया जा सकता है ।
  • 4. समाज म िनगुण ई र क उ ावना िनगुण ई र म िव ास के प म कबीर ने राम को ही पूजा है । कबीर ने कहा क उनके राम ने न तो दशरथ के घर ज म िलया है, उसने ना ही रावण को तािड़त कया है, ना देवक क कोख से ज म िलया है, ना ही उसे यशोदा ने ज म दया और ना ही वे अवतार थे । उ ह ने कहा क मेरे राम तो घट घट म िव मान ह । उसे कह खोजने क आव यकता नह है ।
  • 5. कबीर कबीर का उ े य एक ऐसे धम का उपदेश देना था जो सभी जाितय म एकता थािपत कर सके। कुरीितय , बा -आडंबर का िवरोध करते ए जनमानस को जाग क करने का भरपूर यास उ ह ने कया। कबीर हंदू होकर भी हंदू नह थे, मुसलमान होकर मुसलमान नह थे; वह तो उस ई र के अन य भ थे जो हमारे अंदर ही ा है और ेम ही उनका आदश था। म यकालीन समाज म भेदभाव, अनाचार, िभचार, ढ़वाद व आचरण ता अपनी चरम सीमा पर था। समाज अ त- त था, िविभ धा मक सं दाय का बोलबाला था, येक ि कसी न कसी धम म पड़कर अपनी-अपनी डफली अपना- अपना राग अलाप रहा था। आपसी ेम, भाईचारा और सौहा का लेश मा भी नह था । ऐसे समय म कबीरदास जी ने आपसी स ाव को बढ़ावा दया। मू त पूजा पर क र हार: आपसी स ाव:
  • 6. वण- व था पर कड़ा हार म य काल म वण व था के कारण हंदु के भीतर ा ण, ि य, वै य और शु के अित र अनेक जाितयां उ प हो चुक थ िजनम ऊं च-नीच, कुलीन- अकुलीन का भाव पनप चुका था । कबीर ने उस समय चिलत इस जाित और वण व था का कड़ा िवरोध कया । उ ह ने कहा- जाित-पाित पूछे नह कोई, ह र को भजै सो ह र का होई ।
  • 7. कबीर कबीर समाज म ा भोग-िवलास, धन- संचय क वृि के घोर िवरोधी थे । त कालीन समाज क आ थक ि थित से प रिचत थे। उ ह ने उस भेदभाव को अपनी आंख से देखा था, भोगा था, अनुभव कया था, उसी को उ ह ने अपनी वाणी के ारा अपने का म तुत कया। उनका कहना था- सा इतना दीिजए जामे कुटुंब समाय । म भी भूखा ना र ं साधु न भूखा जाए ।। धन-संचय िवरोध:
  • 8. समाज म पुराण, शा संबंिधत अवधारणा: कबीर दास जी पुराण, शा आ द के िवचार का गलत चार- सार करने वाल का भी िवरोध करते दखाई देते ह । वे वतं वेता ि व के वामी थे। इसिलए वे दासता, हीनता, ूरता और शोषण आ द को जड़ से उखाड़ फकने के िलए हमेशा ही त पर रहते थे । भि का प: कबीरदास जी ने समाज के परंपरागत कमकांड, सां दाियक असिह णुता का बिह कार कया। उ ह ने समाज म ा पूजा, छापा, माथे पर ितलक आ द सभी को नकार दया, उ ह ने भि का सीधा, सरल एवं संपूण प िनगुण ई र के प म समाज के सामने रखा।
  • 9. कबीर पढ़े-िलखे नह थे, उ ह ने वयं वीकार कया, कंतु ान शू य भी नह थे । वह अपने जीवन के मण, अनुभव एवं स संग ारा जीवन के सार त व को ा कर चुके थे। उनका ान अनुभव ज य था इसी कारण वे समाज म अिधक लोकि य हो पाए । उ ह यह ान ा करने के िलए कसी पवत या कसी जंगल म तप या करने के िलए नह जाना पड़ा यह ान उ ह अपने चार तरफ फैले समाज और अपने अनुभव से ही ा आ और वह था मानवता क सेवा, मानवता का जागरण। यही ान येक मानव अपने वहार म धारण कर ले तो उनका जीवन सफल हो जाए। समाज म ि को समझाते ए उ ह ने कहा क मनु य को सबसे पहले अपने मन और तन क बुराई देखनी चािहए, उसे अपने अंदर झांकना चािहए । अपना वभाव शांत रखने वाले अपने आप को हीन समझ सकते ह, परंतु अिभमानी ि दूसरे को बुरा और वयं को अ छा समझते ह । उ ह ने कहा- बुरा जो देखन म चला, बुरा न िमिलया कोय । जो दल खोजा आपना मुझसे बुरा न कोय । । ान ाि आधार: आंत रक मन म झांकने क नसीहत :
  • 10. मानव सेवा सव प र: कबीर दास जी ने मानवता क सेवा को अपने जीवन का सबसे बड़ा धम बताया । उ ह ने कहा समाज सेवा ही सव म सेवा है। समाज सेवा के िबना मनु य क गित संभव नह है । उ ह ने कहा- सेवक सेवा म रहे अनंत क नह जाय, दुख सुख िसर ऊपर सहै, कह कबीर समझाय।
  • 11. िन कष : कबीर दास जी ने ऐसे समाज क क पना क िजसम ना कोई हंदू, ना कोई मुसलमान, ना ा ण, न कोई शू , न िनधन, न बलशाली, ना कोई कमजोर, ना मं दर, ना मि जद, त माला,छापा, ितलक, रोजा, नमाज आ द का झंझट ना हो । जीवन िब कुल शांत, सरल वभाव से जीया जाए, उसे ही समाज म कबीरदास जी ने मा यता दी है। इस कार कबीरदास जी गौतम बु , गांधी और अंबेडकर जैसे ांितका रय क ेणी म रखे जा सकते ह । एक समाज सुधारक क सबसे बड़ी पहचान यही होती है क वह अपने युग क िवसंगितय को पहचानकर, एक मौिलक व समयानुकूल धारणा तुत करे, उ ह म से एक थे कबीरदास । सुिखया सब संसार है, खावे अ सोए दुिखया दास कबीर है, जागे अ रोए ।