1. दीवाली लकमी पूजन िविध – Quick and Easy Laxmi Puja
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एक पटे पर लाल कपड़ा िबछाकर पटे को चारो ओर से कलावे से बांध दे। िफर इस पर हलदी और आटे से एक अषदल कमल या
शी लकमी यंत बनाएं। पटे पर एक ओर लघु सूखा नािरयल और दूसरी ओर दिकणावती शंख सथािपत करे। पटे के नीचे दायी
ओर चावल की ढेरी पर एक कलश सथािपत करे। पूजा पारंभ करने से पूवर साधक दुरातमाओ और आसुरी शिकयो को भगाने के
िलए चारो िदशाओ मे राई या सरसो फे के तथा पिवतीकरण मंत से अपने चारो ओर पिवत जल से छीटे डाले।
हाथ मे जल लेकर संकलप मंत से पूजा का संकलप ले।
मै (अपना नाम बोले), सुपुत शी (िपता का नाम बोले), जाित (अपनी जाित बोले), गोत (गोत बोले), पता (अपना पूरा पता
बोले) अपने पिरजनो के साथ जीवन को समृिधद से पिरपूणर करने वाली माता महालकमी की कृपा पाप करने के िलये काितक
कृषण पक की अमावसया के िदन महालकमी पूजन कर रहा हं। हे मां, कृपया मुझे धन, समृिधद और ऐशयर देने की कृपा करे। मेरे
इस पूजन मे सथान देवता, नगर देवता, इष देवता कुल देवता और गुर देवता सहायक हो तथा मुझे सफलता पदान करे।
यह संकलप पढकर हाथ मे िलया हआ जल, पुषप और अकत आिद शी गणेश-लछमी के समीप छोड दे।
वरण (कलश) पूजनम
वरण देवता का आवाहन कर कलश पूजन करे |
पादं समपरयािम, अघय समपरयािम, आचमनं समपरयािम, पंचामृत सानं समपरयािम, वसं समपरयािम, पुशपमालायम
समपरयािम,धूपं दीपं दशयमी,नवैधयेम िनवेदयािम, ऋतुफलं समपरयािम, दिकणाम समपरयािम आिद मंत से षोडशोपचार पूजन
करे।
इसके बाद हाथ जोड़ कर वरण देवता को नमसकार करे |
शी गणपित पूजनम
हाथ मे चावल और फूल लेकर गणेशजी का अहवान करे|
ओम िवनायकम महतपुशयम सवरदेव नमसकृतं सवरिवघाहरम गौरीपुतं आवाहयाम |
हाथ के चावल और फूल गणेश जी पर छोड़ दे |
धयान :
गजाननं भूतगणािद सेिवतं किपतथ जमबूफल चार भकणम्।
उमासुत शोकिवनाशकं , नमािम िवघेशर पाद पंकजम्।।
शी मनमहागणािधपतये नमः।
गणपित पूजन :
ओम गं गणपतये नम : सानं समपरयािम
जल गणेश जी को सानं अिपत करे
ओम गं गणपतये नम : वसं समपरयािम
कलावा तोड़ कर अथवा वस गणेशजी को अिपत करे
ओम गं गणपतये नम : यजोपवीतं समपरयािम
कलावा गणेश जी को अिपत करे
ओम गं गणपतये नम : गनधं समपरयािम
इत गणेशजी को अिपत करे
ओम गं गणपतये नम : पुशपमालायम समपरयािम
2. गणेश जी को फू लमाला अिपत करे
ओम गं गणपतये नम : धूपं दीपं दशयमी
धूप दीप को हाथ से गणेशजी को िदखाएँ
ओम गं गणपतये नम : नवैधयेम िनवेदयािम
िमषान व खील बताशे , िखलोने गणेश को अिपत करे
ओम गं गणपतये नम : ऋतुफलं समपरयािम
फल गणेश जी को अिपत करे
ओम गं गणपतये नम : तामबूलं पुिनगफलम समपरयािम
एक पान के पते पर सुपारी इलायची लौग रख कर गणेशजी को अिपत करे
ओम गं गणपतये नम : दिकणाम समपरयािम
यथायोगय दिकणा अिपत करे |
शी गणेश पूजन के पशात षोडश मातृका एवं नवगहो का पूजन करे।
षोडश मातृका पूजन
पूजा िक थाल पर ितशूल अंिकत करे | ितशूल पर अकत चढ़ाते हए यह पाथरना करते हए षोडश मातृकाओ का आवाहन व्
नमसकार करे |
बेग पधारो गेह मम , सोलह माता आप |
वश बढे पीड़ा कटे , िमटे शोक संताप ||
पादं समपरयािम, अघय समपरयािम, आचमनं समपरयािम, पंचामृत सानं समपरयािम, वसं समपरयािम, पुशपमालायम
समपरयािम,धूपं दीपं दशयमी,नवैधयेम िनवेदयािम, ऋतुफलं समपरयािम, दिकणाम समपरयािम आिद मंत से षोडश मातृकाओ का
का षोडशोपचार पूजन करे और उनको नमसकार करे |
नवगह पूजनम
अब पूजा िक थाल मे कुमकुम िक नौ िबिदयो पर अकत अिपत करते हए नवगहो का आवाहन करे |
रिव शिश मंगल बुध गुर , शुक शिन महाराज |
राह केतु नव गृह नमो, सकल संवारो काज ||
पादं समपरयािम, अघय समपरयािम, आचमनं समपरयािम, पंचामृत सानं समपरयािम, वसं समपरयािम, पुशपमालायम
समपरयािम,धूपं दीपं दशयमी,नवैधयेम िनवेदयािम, ऋतुफलं समपरयािम, दिकणाम समपरयािम आिद मंत से नवगह देवताओ का
षोडशोपचार पूजन करे और िफर उनको नमसकार करे |
कु बेर पूजनम :
सवरपथम िनमिलिखत मनत के साथ कुबेरजी महाराज का आवाहन करे-
आवाहयािम देव तवािमहायािम कृपां कुर ।
कोशं वदरय िनतयं तवं पिररक सुरेशर ॥
अब हाथ मे अकत लेकर िनमिलिखत मंत से कुबेरजी का धयान करे
मनुजवाहिवमानवरिसथतं,
गरडरतिनभं िनिधनायकम ।
िशवसखं मुकुटािदिवभूिषतं,
वरगदे दधतं भज तुिनदलम ॥
हाथ मे िलए हए अकतो को कुबेरयंत, िचत या िवगह के समक चढा दे.
पादं समपरयािम, अघय समपरयािम, आचमनं समपरयािम, पंचामृत सानं समपरयािम, वसं समपरयािम, पुशपमालायम
समपरयािम,धूपं दीपं दशयमी,नवैधयेम िनवेदयािम, ऋतुफलं समपरयािम, दिकणाम समपरयािम आिद मंत से कुबेरजी का
षोडशोपचार पूजन करे और िफर उनको नमसकार करे |
3. शी लकमी पूजनम्
हाथ मे पुषप लेकर शी महालकमी का आवाहन करे-
ॐ िहरणयवणार हिरणी सुवणर रजतसजाम्।
चंदा िहरणयमयी लकमी जातवेदो मे आवह।।
ॐ शी हीी शी महालकमयै नमः आवाहनंचासनं समपरयािम।
हाथ मे अकत, पुषप और जल लेकर पदासन मे बैठकर शी महालकमी देवी का धयान करे-
हसत दयेन कमले धारयंती सवलीलया।
हारनूपुर संयुका लकमी देवी िविचनतयेत।।
अषलकमी पूजन
शी महालकमी की सथपना और धयान के पशात् दाएं हाथ मे रोली, अकत और पुषप लेकर अष लिकमयो को अिपत करते हए
नमसकार करे-
ॐ आदा नमः ॐ िवदा लकमयै नमः ॐ सौभागय लकमयै नमः ॐ अमृत लकमयै नमः ॐ काम लकमयै नमः ॐ सतय लकमयै नमः ॐ
भोग लकमयै नमः ॐ योग लकमयै नमः।
दीप अपरण मंत :
इसके पशात् शी महालकमी को पांच जयोितयो वाला गोघृत का दीपक िनम मंत के दारा अिपत करे-
ॐ कपारसवित संयुकं घृतयुकं मनोहरम्।
तमो नाशकरं दीपं गहणं परमेशरी।।
शीसूक के मंतो से शी महालकमी का षोडशोपचार पूजन करे।
ॐ महालकमयै नमः पादं समपरयािम, ॐ महालकमयै नमः अघय समपरयािम,ॐ महालकमयै नमः आचमनं समपरयािम, ॐ
महालकमयै नमः पंचामृत सानं समपरयािम, ॐ महालकमयै नमः वसं समपरयािम, ॐ महालकमयै नमः पुशपमालायम समपरयािम,
ॐ महालकमयै नमः धूपं दीपं दशयमी, ॐ महालकमयै नमः नवैधयेम िनवेदयािम, ॐ महालकमयै नमः ऋतुफलं समपरयािम, ॐ
महालकमयै नमः दिकणाम समपरयािम आिद मंत से महालकमीजी का षोडशोपचार पूजन करे|
तैलोकय पूिजते देिव कमले िवषणु वललभे। यथ तवमचला कृषणे तथा भावभायर िसथरा।।
ईशरी कमला लकमीशला भूितहिरिपया। पदा पदालया संपदुचैः शी पदाधािरणी।।
दादश एतािन नामािन लकमी संपूजयः पठेत्। िसथर लकमी केतसथ पुतदारािदिभः सह।।
ॐ हीी महाकमयै च िवदहै, िवषणुपतयै च धीमिह तनो लकमी पचोदयात्।।
ॐ जयंती मंगला काली भदकाली कपािलनी। दुगार कमा िशवा धाती सवाहा सवधा नमोऽसतुते।।
शी हीी शी कमले कमलालये पसीद-पसीद। शी हीी शी ॐ महालकमयै नमः।।
देिह सौभागयमारोगयं देिह मे परमं सुखम्। रपं देिह जयं देिह यशो देिह िदषो जिह।।
आिद मंतो से महादेवी को नमसकार करे |
सरसवती पूजन
दीपावली पर सरसवती पूजन करने का भी िवधान है. इसके िलए लकमी पूजन करने के पशात िनमिलिखत मनतो से मॉ
सरसवती का भी पूजन करना चािहए|
या कुनदेनदुतुषारहारधवला या शुभवसावृता,
या वीणावरदणडमिणडतकरा या शेतपदासना ।
या बहाचयुतशंकरपभृितिभदेवैः सदा विनदता,
सा मां पातु सरसवती भगवती िनःशेषजाडापहा ॥
हाथ मे िलए हए अकतो और फू लो को मॉ सरसवती के िचत के समक चढा दे|
माँ सरसवती का षोडशोपचार पूजन करे और िफर उनको नमसकार करे |
सरसवती महाभागे देिव कमललोचने ।
िवदारपे िवशालािक िवदां देिह नमोऽसतुते ।
4. कलम दवात आिद की भी पूजा करे | यह माँ काली की पूजा का पितक होता है |
पहले गणेशजी की आरती करे | िफर माँ लकमी की आरती करे |
आरती के बाद दोनो हाथो से फूल लेकर पुषपांजिल के रप मे माँ को अिपत करे |
|| ॐ महालकमयै नम: पुषपांजिल समपरयािम ||
समपरण :
िनमिलिखत मंत का उचारण करते हए महालकमी के समक पूजन कमर को समिपत करे और इस िनिमत जल अिपत करे :
कृतेनानेन पूजनेन भगवती महालकमीदेवी पीयताम न मम ॥
कमा पाथरना :
अब मॉ लकमी के समक दणडवत पणाम करे तथा अनजाने मे हई तुिटयो के िलए कमा मॉगते हए, देवी से सुख -समृिद, आरोगय
तथा वैभव की कामना करे|
( इसके बाद आप पसाद िवतरण करे )
दीवाली की हािदक शुभ कामनाएं |