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🌟श्री महाप्रभु रामलाल जी का हवन यज्ञ 🌟
ववधि :--- श्री महाप्रभु जी के ससिंहासन के सन्मुख हवन कु ण्ड स्थापित ककया जाए ।
बाकी तीन ओर आसन बबछा कर यज्ञकताा भक्त बैठें । हवन कु ण्ड के चारों ओर एक-एक
गिलास अथवा लोटा जल का भर कर रखें ।शुद्ध धी , सुिन्न्धत सामग्री और आम ,बेरी
,िलाश आदि हवन उियोिी लकडडयों के छोटे-छोटे खण्ड ककए हुए हवन के सलए प्रस्तुत
रखे जायें । धूि अिरबती द्धारा वातावरण को सुििंगधत कर और गचत करुणासािर प्रभु
जी के चरणों में जोड श्रद्धािूवाक सभ सज्जन समलकर चालीसा और सिंकट मोचन स्तोत्र
का िाठ करें । तिुिरान्त श्री प्रभु जी को नमस्कार कर आसन न्स्थत तीनों सज्जन नीचे
सलखे मिंत्रों द्धारा तीन बार आचमन करें :--
‼आचमन ‼
ओिं अमृतोिस्तरणमसस स्वाहा (1) इससे एक ।
ओिं अमृतापिधानमसस स्वाहा (2) इससे िूसरा ।
ओिं सत्यिं यश: श्रीमायय श्री श्रयतािं स्वाहा(3) इससे तीन ।
‼अंग स्पर्श ‼,
तिुिरान्त नीचे सलखे मिंत्रों से अिंिों का स्िशा करें :---
ओिं वाड्•मे आस्येअसस्तु । इस मिंत्र से मुख ।
ओिं नसोमे प्राणोअसस्तु । इस मिंत्र से नाससका के िोनों यछद्र ।
ओिं अक्ष्णोमे चक्षुरस्तु । इस मिंत्र से िोनों आिंखें ।
ओिं कणायोमे श्रोत्रमस्तु । इस मिंत्र से िोनों कान ।
ओिं बाह् वोमे बलमस्तु । इस मिंत्र से िोनों बाहु ।
ओिं ऊवोमे ओजोअसस्तु ।इस मिंत्र से िोनों जिंधा ।
ओिं अररष्टायन मेअस्डा•यन तनुस्तन्वा मे सह सन्तु ।इस मिंत्र से समस्त शरीर िर जल के
छ िंटे से माजान करना ।
‼ अग्नन प्रज्वलन ‼
किर नीचे सलखे हुए मन्त्रों का का उच्चारण करते हुए वेिी में ससमधा चयन कर अन््न
प्रज्वसलत करनी :---
1. ओिं भूभुाव:स्व: ।१।
2. 2. ओिं भूभुाव: स्वद्ायौररव भूमना िृगथवीव वररम्णा । तस्यास्ते िृगथपव िेवयजयन
िृष्ठेअसन््नमन्नािमन्नाद्यायािधे ।२।
3 . ओिं उद् बुध्यस्वा्ने प्रयत जाग्रदह , त्वसमष्टािूते सिंसृजेथामयिं च । अन्स्मन्त्सधस्ये
अध्युत्त रन्स्मन स । पवश्वे िेवा यजमानश्च सीित ।3।
जब अन््न ससमधाओिं मे प्रपवष्ट होने लिे तब तीन लकडी आठ-आठ अिंिुल की घृत में
डुबा उन में से नीचे सलखे एक-एक मन्त्र से एक-एक ससमधा को अन््न में रखें :----
ओिं ससमधान््निं िुवस्यत घृतैबोधयतायतगथमस ।आन्स्मन स हव्या जुहोतन स्वाहा ।।
इिम्नये इििं न मम ।१।
ओिं सुससमद्धाय शोगचषे घृतिं तीव्रिं जुहोतन अ्नये जातवेिसे स्वाहा ।। इिम्नये
जातवेिसे स्वाहा ।२।
ओिं तिं त्वा ससमद्सभर न््ड•रो घृतेन वधायामसस । बृहच्छोचा यपवष्ठय स्वाहा।। इिम्नये
असन््ड•रसे इििं न मम ।३।
‼पांच घृत आहुतत ‼
इसके िश्चात नीचे सलखे मन्त्र से िािंच घृत की आहुयत िेनी :---
ओिं अयिं त इध्म आत्मा जातवेिस्तेनेध्यस्व वधास्व चेद्धवधाय चास्मान स प्रजया
िशुसभब्रर्हमाा वचासेनान्नाद्येन समेधय स्वाहा ।। इिम्नये जातवेिसे इििं न मम ।।
‼वेदी पर जल स ंचन ‼
तत्िश्चात वेिी के िूवा दिशादि चारों ओर जल यछड़कावें
ओिं अदितेअसनुमन्यस्व ।१।इससे िूवा ।
ओिं अनुमते असनुमन्यस्व।२।
इससे िन्श्चम ।
ओिं सरस्वत्यनुमन्यस्व।३।
इससे उत्तर ।
ओिं िेव सपवत: प्रसुव यज्ञिं प्रसुव यज्ञियतिं भिाय दिव्यो िन्धवा: के तिू: के तिं न िुनातु
वाचस्ियतवााचिं न:स्वितु ।४।
इससे िक्षक्षण ।
‼अष्टोत्तरी माला ‼
इसके बाि श्री महाप्रभु रामलाल अष्टोत्तरी माला के 108 मन्त्रो द्धारा 108आहुयतयािं
सामग्री तथा घृत की डालें । जैसे "ओिं श्री प्रभु रामलालाय स्वाहा" इस मन्त्र के साथ
3. प्रथम आहुयत ।इसी प्रकार िूसरे , तीसरे आदि मन्त्रों के साथ आरम्भ में "ओिं" तथा
अन्त में "स्वाहा" का उच्चारण कर आहुयत डालनी ।
🌟श्री महाप्रभु रामलाल अष्टोत्तरी माला 🌟
‼ दोहा ‼
रामलाल अष्टोत्तरी जो ले यनसशदिन िे र ।
िूणा हो सब कामना मोत्र न लावत िेर ।
युि युि में अवतार लें िु:ख हरण भिवान ।
जो न्जस युि में प्रकट हो वही करे कल्याण ।
रामलाल कसलकाल में लेकर कला अनन्त ।
जि तारण कारण प्रभु प्रकट भय भिवन्त ।
रामलाल ससमरे सिा जो नर चतुर सुजान ।
कसल के तारण हार हैं रामलाल भिवान ।
ब्रार्हमण कु ल दिनकर प्रभु भािवन्ती सुत राम ।
यतनके चरण सरोज िर सेवक लाख प्रणाम।
★ अथ अष्टोतरी माला ★
श्री प्रभु रामलालाय नम: ।१।
श्री ििंडा रामात्मजाय नम:।२।
श्री भािवन्ती िुत्राय नम: ।३।
श्री प्रभु योिेश्वराय नम: ।४।
श्री योि स्वरूपिणे नम: ।५।
श्री योिाचायााय नम: ।६।
श्री योि माताण्डाय नम: ।७।
श्री ब्रार्हमणेशाय नम: ।८।
श्री ब्रार्हमणकु लकमल दिवाकराय नम: ।९।
श्री ब्रर्हम स्वरूपिणे नम: ।१०।
श्री जित िुरवे नम: ।११।
श्री पवप्र विंशेशाय नम: ।१२।
श्री योि सूयााय नम: ।१३।
4. श्री धमा भास्कराय नम: ।१४।
श्री कमा वास्तवताय नम: । १५।
श्री कसल अकााय नम: ।१६।
श्री सुधा सर.यनवासने नम:।१७।
श्री िीयुष सर रत्नाय नम: ।१८।
श्री ज्योयतषाअःचायााय नम:।१९।
श्री ििंडडत वयााय नम: ।२०।
श्री योिचन्द्राय नम: ।२१।
श्री योि नक्षत्रागधितये नम:।२२।
श्री योि नाथाय नम: ।२३।
श्री योि सािराय नम: ।२४।
श्री कसलतम हत्रे नम: ।२५।
श्री भक्त जन वल्लभाय नम:।२६।
श्री अष्ट विंश जलजाय नम:।२७।
श्री पवश्व समत्राय नम: ।२८।
श्री योि प्राणाय नम:।२९।
श्री शौया ितये नम:।३०।
श्री िणणत अहिातये नम:।३१।
श्री िसलत हिंसाय नम: ।३२।
श्री अररष्ट यनवाररणे नम: ।३३।
श्री योि प्रवातकाय नम:।३४।
श्री प्राणागधितये नम: ।३५।
श्री सवेश्वराय नम:।३६।
श्री व्यानागधितये नम:।३७।
श्री समानागधितये नम:।३८।
श्री उिानागधितये नम:।३९।
श्री अिानागधितये नम: ।४०।
श्री िाि पवनासशने नम:।४१।
श्री ज्ञान प्रकासशने नम:।४२।
श्री स्विाागधितये नम:।४३।
श्री मुलख प्राणाय नम:।४४।
श्री मुलख हृिय ितये नम:।४५।
5. श्री मुलख मनवन पवहाररणे नम:।४६।
श्री आसन ितये नम:।४७।
श्री प्राणायाम ितये नम:।४८।
श्री प्रत्याहार ितये नम:।४९।
श्री धारणा ितये नम:।५०।
श्री ध्यान ितये नम: ।५१।
श्री समागध ितय नम: ।५२।
श्री अष्टािंि ितये नम: ।५३।
श्री ििंचभूत ितये नम: ।५४।
श्री यम ितये नम: ।५५।
श्री यनयम ितये शम: ।५६।
श्री योि िेवाय नम: ।५७।
श्री िर ब्रर्हमणे नम: ।५८।
श्री िरा ितये नम: ।५९।
श्री अिरा ितये नम: ।६०।
श्री पवश्व भत्रे नम: ।६१।
श्री ब्रर्हम िेवाय नम: ।६२।
श्री रामलाल िरमेश्वराय नम:।६३।
श्री रामलाल ईश्वराय नम:।६४।
श्री रामलाल जििीश्वराय नम:।६५।
श्री रामलाल महािेवाय नम:।६६।
श्री रामलाल रामाय नम:।६७।
श्री रामलाल कृ ष्णाय नम:।६८।
श्री रामलाल सवाावताररूपिणे नम:।६९।
श्री रामलाल जित कत्रे नम:।७०।
श्री रामलाल जनाधानाय नम:।७१।
श्री रामलाल पवश्वेश्वराय नम:।७२।
श्री रामलाल िुरुषोत्तमाय नम:।७३।
श्री रामलाल मुलखतनुितये नम:।७४।
श्री रामलाल मुलखमन ितये नम:।७५।
श्री रामलाल मुलखजीवनाय नम:।७६।
श्री रामलाल पवष्णु रूिाय नम:।७७।
6. श्री रामलाल सशवाय नम:।७८।
श्री रामलाल चतुरवेिधराय नम:।७९
श्री रामलाल िेवागधितये नम:।८०।
श्री रामलाल व्योमाय नम:।८१।
श्री रामलाल वायवे नम:।८२।
श्री रामलाल जातवेिाय नम:।८३।
श्री रामलाल वरुणाय नम:।८४।
श्री रामलाल भूसम रूपिणे नम:।८५।
श्री रामलाल िीनियालाय नम:।८६।
श्री रामलाल अमराय नम:।८७।
श्री रामलाल अजराय नम:।८८।
श्री रामलाल प्रणवाय नम:।८९।
श्री रामलाल अनन्ताय नम:।९०।
श्री रामलाल यनिुाणाय नम:।९१।
श्री रामलाल अकाय नम: ।९२।
श्री रामलाल िुणात्मने नम:।९३।
श्री रामलाल गचिानन्िाय नम:।९४।
श्री रामलाल ज्ञानभास्कराय नम:।९५।
श्री रामलाल बत्रिुणातीताय नम:।९६।
श्री रामलाल पवराट रूिाय नम:।९७।
श्री रामलाल सम्राट् स्वरूिाय नम:।९८।
श्री रामलाल िुराणाय नम:।९९।
श्री रामलाल आदि िुरुषाय नम:।१००।
श्री रामलाल पवश्व वःयापिने नम: ।१०१।
श्री रामलाल ज्योयतस्वरूिाय नम:।१०२।
श्री रामलाल ििंचनि भूषणाय नम:।१०३।
श्री रामलाल मुन्क्त प्रिात्रे शम:।१०४।
श्री रामलाल ओिंकाराय नम:।१०५।
श्री रामलाल कसलिोषहत्रे नम:।१०६।
श्री रामलाल सवा व्यािकाय नम:।१०७।
श्री रामलाल श्री मुलखराजाय नम:।१०८।
‼इतत अष्टोत्तरी माला ‼
7. इस प्रकार 108 आहुयतयािं डालने के िश्चात सब सज्जन खडे होकर नीचे सलखे महामन्त्र
द्धारा तीन-तीन आहुयतयािं डालें ।
★ महामन्त्र ★
ओिं नम:श्री रामलाल प्रभु जी िरब्रर्हमणे स्वाहा।
तिुिरान्त श्री पवश्वकल्याणघन अनाथनाथ िीनवत्सल महाप्रभु रामलाल जी के दिव्य
स्वरूि का गचिंतन कृ ते हुए नीचे सलखी हुई प्राथाना सब समलकर बोलें :--
★ अरदा ★
सवे भवन्तु सुणखन:सवे सन्तु यनरामया:।
सवे भद्राणण िश्यन्तु मा कन्श्चद्िु: भवेत स ।।
और अिंत में सब इक्ट्ठे यनम्नसलणखत मन्त्र का उच्चारण करते हुए तीन बार िूणााहुयत
िेकर श्री महाप्रभु जी को िण्डवत प्रणाम कर दिव्य आशीवााि प्राप्त करें :---
★ पूर्ाशहुतत ★
ओिं सवा वै िूणं स्वाहा।।
।।ॐ शान्न्त ,शान्न्त शान्न्त।।
‼इयत‼
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ