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दया यािचका
(Mercy Plea)
संदभ:
हाल म ‘सु ीम कोट’ ने क सरकार को पूव धानमं ी राजीव गांधी क ह या के मामले म दोषी अपराधी को रहा करने क सलाह दी
है, य क वह पहले ही तीन दशक से अिधक क सजा काट चुका है।
आगे क कारवाई:
सु ीम कोट ने क सरकार को तिमलनाडु के रा यपाल के िखलाफ कारवाई करने क सलाह भी दी है, य क रा यपाल ने ‘दोषी’ को
रहा करने के संबंध म ‘रा य मंि मंडल’ क बा यकारी सलाह को “अनदेखा” करने का िनणय िलया है।
संबंिधत करण:
तिमलनाडु के रा यपाल ने ‘रा य मंि मंडल’ क सलाह को
नजरअंदाज करते ए कहा है, क ‘दया यािचका’ / ‘ मादान
यािचका’ (Mercy Plea) यािचका पर फै सला करने का
अिधकार रा पित के पास है।
‘अनु छेद 161’ के बारे म:
संिवधान के अनु छेद 161 के तहत, कसी रा य के रा यपाल
को उस िवषय संबंधी, िजस िवषय पर उस रा य क
कायपािलका शि का िव तार है, कसी िविध के िव कसी
अपराध के िलए िस दोष ठहराए गए कसी ि के दंड को
मा, उसका िवलंबन, िवराम या प रहार करने क अथवा
दंडादेश म िनलंबन, प रहार या लघुकरण क शि दान क
गयी है।
अनु छेद 72 बनाम अनु छेद 161:
भारतीय संिवधान के अनु छेद 72 के अंतगत रा पित क मादान शि का िव तार, अनु छेद 161 के तहत रा यपाल क मादान
शि से अिधक ापक है।
ये शि िन िलिखत दो कार से िभ होती है:
1. अनु छेद 72 के तहत रा पित क मादान शि का िव तार सजा कोट माशल ारा दान क गयी सजा अथवा दंड पर भी
होता है, जब क, अनु छेद 161 के अंतगत रा यपाल के िलए ऐसी कोई शि दान नह क गयी है।
2. रा पित को मृ युदंड के सभी मामल म मा दान करने क शि ा है ले कन रा यपाल को ा मादान शि का
िव तार मृ युदंड के मामल पर नह है।
मादान शि का मह व:
कायपािलका क मादान शि काफ मह वपूण होती है य क यह यायपािलका ारा क गई ु टय म सुधार करती है। इसके ारा
अिभयु के अपराध या िनद षता पर िवचार कए बगैर उसे दोषिसि कए जाने संबंधी भाव को समा कया जाता है।
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1. मादान शि , यायपािलका क ु ट अथवा संदेहा मक दोषिसि के मामले म कसी िनद ष ि को दंिडत होने से बचाने
म काफ सहायक होती है।
2. मादान शि का उ े य याियक ु टय को ठीक करना है। य क कोई भी याियक शासन संबंधी मानव णाली खािमय
से मु नह हो सकती है।
रा भाषा संबंधी बहस
संदभ:
हाल ही म, हंदी िसनेमा के एक अिभनेता ारा इस आशय क
ट पणी क गयी क, ‘ हंदी, भारत क रा ीय भाषा’
(National Language) है, िजससे संिवधान के अंतगत ‘भाषा’
क ि थित पर िववाद खड़ा कर दया।
या भारत क कोई रा भाषा है?
भारत के संिवधान म कसी भी भाषा को रा ीय दजा नह दया गया है।
हंदी क संवैधािनक ि थित:
संिवधान के अनु छेद 343 (Article 343) के अनुसार– संघ क राजभाषा हंदी और िलिप देवनागरी होगी, संघ के शासक य योजन
के िलए योग होने वाले अंक का प भारतीय अंक का अंतरा ीय प होगा।
 संिवधान सभा क चचा म यह िनणय िलया गया क, इस संिवधान के ारंभ से पं ह वष क अविध तक संघ के उन सभी
शासक य योजन के िलए अं ेजी भाषा का योग कया जाता रहेगा।
 संिवधान म कहा गया है क, 15 साल के बाद, संसद कानून ारा अं ेजी के उपयोग और िन द उ े य के िलए अंक के
देवनागरी प म उपयोग पर िनणय ले सकती है।
अनु छेद 351: हंदी भाषा के िवकास के िलए िनदेश–
संघ का यह कत होगा क वह हंदी भाषा का सार बढ़ाए, उसका िवकास करे िजससे वह भारत क सामािसक सं कृ ित के सभी त व
क अिभ ि का मा यम बन सके और उसक कृ ित म ह त ेप कए िबना हंदु थानी म और आठव अनुसूची म िविन द भारत क
अ य भाषा म यु प, शैली और पद को आ मसात करते ए उसक समृि सुिनि त करे।
हंदी अिधरोपण के िवरोध क शु आत:
संिवधान म मूल प से आिधका रक उ े य के िलए 15 वष तक अं ेजी के उपयोग क अनुमित दी गयी थी। इस अविध के समा होने
से पहले संसद ारा ‘राजभाषा अिधिनयम, 1963’ (The Official Languages Act, 1963) पा रत कया गया था।
 इस अिधिनयम के काया मक अनुभाग म, 15 साल क अविध पूरी होने के बावजूद अं ेजी का उपयोग जारी रखने के संबंध म
ावधान कए गए ह।
 त कालीन धानमं ी जवाहरलाल नेह ने वष 1959 म आ ासन दया था क आिधका रक काय म अं ेजी का उपयोग
जारी रहेगा, और यह क एवं रा य के बीच संचार क भाषा रहेगी।
 राजभाषा अिधिनयम, 1963 म, धानमं ी के इस आ ासन को प प से शािमल नह कया गया था, िजससे कु छ रा य
म ‘जनवरी 1965 क समय सीमा’ नजदीक आने पर भाषा को लेकर आशंकाएं पैदा हो ग ।
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 उस समय, धान मं ी लाल बहादुर शा ी ने सभी उ े य के िलए हंदी को आिधका रक भाषा बनाने क दशा म सरकार क
ितब ता को दोहराया था।
 इससे एक और आशंका पैदा ई क, पूरे देश म हंदी को इस तरह से थोपा जाएगा क गैर- हंदी भाषी लोग के िलए भिव य म
रोजगार क संभावनाएं धूिमल हो जाएंगी।
हंदी भाषा अिधरोपण के संभािवत भाव:
 हंदी भाषा का अिधरोपण, गैर- हंदी भािषय क सीखने क मता को भािवत कर सकता है िजससे उनका आ मिव ास
भािवत होगा।
 यह, अ य भाषा के अिसत व को खतरे म भी डाल सकता है और िविवधता को कम कर सकता है।
 इससे भारत क िविवधता और संघवाद को भी खतरा हो सकता है।
‘ि भाषा सू ’ (Three-Language Formula) या है?
1960 के दशक से, क क िश ा नीित के द तावेज म ‘तीन भाषा को पढ़ाने’ क बात क जाती है – हंदी भाषी रा य म हंदी,
अं ेजी और एक े ीय भाषा, और अ य रा य म हंदी, अं ेजी और आिधका रक े ीय भाषा।
 हालां क, वहार म, के वल कु छ रा य म अं ेजी के अलावा अपनी मुख भाषा और हंदी दोन को पढाया जाता है।
 िजन रा य म हंदी ‘आिधका रक भाषा’ है, वहां तीसरी भाषा को ‘अिनवाय िवषय के प म’ शायद ही कभी पढ़ाया जाता है।
टीकाकरण के िलए बा य नह कया जा सकता: सव यायालय
संदभ:
हाल ही म, भारत के सव यायालय ने फै सला सुनाते ए कहा है क, कसी को भी टीकाकरण के िलए मजबूर नह कया जा सकता
है, य क भारतीय संिवधान के अनु छेद 21 (जीवन का अिधकार) के अंतगत ‘शरीर क वाय ता और अखंडता’ को सुर ा दान क
गयी है।
पृ भूिम:
सु ीम कोट म दायर एक यािचका म ‘वै सीन ायल डेटा’ का खुलासा करने और वै सीन लगवाने क अिनवायता पर रोक लगाने क
मांग क गई थी।
शीष अदालत क ट पिणयाँ:
 अदालत ने प करते ए कहा है, क वै सीन / टीके को अिनवाय नह बनाया जा सकता है, और कसी भी ि को उसक
इ छा के िव टीका लगाने के िलए बा य नह कया जा सकता है।
 ऐसा इसिलए है य क, संिवधान के अनु छेद 21 के तहत कसी ि को ा ‘शरीर क अखंडता के अिधकार’ म
‘टीकाकरण से इंकार का अिधकार’ भी समािहत है।
 कं तु, “सामुदाियक वा य” के मामले म, सरकार को इस कार के िवषय को िविनयिमत करने का अिधकार है।
 इसके अलावा, अदालत को इस संदभ म सरकार ारा कए जाने वाले ‘ह त ेप’ क समी ा करने का भी अिधकार है, क
या सरकार ारा बनाए गए िनयम ‘के .एस. पु वामी मामले’ म संवैधािनक पीठ के िनणय म ितपा दत ‘तीन- तरीय’
आव यकता को पूरा करते ह? इस िनणय म, ‘िनजता के अिधकार’ को अनु छेद 21 के तहत एक ‘संवैधािनक अिधकार’ के
प म बरकरार रखा गया था।
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आगे क कारवाई:
 अदालत ने क को ज द से ज द एक ‘वचुअल पि लक लेटफ़ॉम’ थािपत करने का िनदश दया है, ता क ि य और िनजी
डॉ टर को, अपनी िनजता को खतरे म डाले िबना टीकाकरण के बारे म ितकू ल घटना क रपोट करने क सुिवधा िमल
सके ।
 अदालत ने क सरकार को यह सुिनि त करने का िनदश दया क, ब के टीकाकरण के िलए िनयामक अिधका रय ारा
पहले से अनुमो दत कए जा चुके टीक के ‘नैदािनक परी ण ’ के ासंिगक चरण के िन कष और प रणाम ज द से ज द
सावजिनक कए जाएं।
 वै सीन परी ण डेटा के पृथ रण के संबंध म, ि य क िनजता को यान म रखते ए, परी ण कए जा चुके और बाद म
कए जाने वाले परी ण से संबंिधत सभी डेटा को िबना कसी देरी के जनता के िलए उपल ध कराया जाना चािहए।
‘ यायमू त के.एस. पु वामी बनाम भारत संघ’ मामला
‘के .एस. पु वामी बनाम भारत संघ’ (K.S. Puttaswamy vs. Union of India) मामले म सु ीमकोट के नौ यायाधीश क पीठ ने
वष 2017 म सवस मित से फै सला सुनाया क ‘भारत का संिवधान येक ि को भारतीय संिवधान के अनु छेद 21 के तहत िनजता
के मौिलक अिधकार क गारंटी देता है’।
अनु छेद 21: कसी ि को उसके ाण या दैिहक वतं ता से िविध ारा थािपत या के अनुसार ही वंिचत कया जाएगा,
अ यथा नह ।
इस िनणय म िनधा रत ‘तीन- तर’ परी ण:
अदालत को यह तय करने का अिधकार है, या सरकार ारा कए जाने वाले ह त ेप, कसी ि क ि गत वाय ता म ‘तीन-
तरीय’ शत को पूरा करते ह अथवा नह ।
इस ‘तीन- तरीय’ शत म शािमल ह:
1. सरकार ारा क गयी कारवाई कसी कानून के ारा सम थत होनी चािहए।
2. मौिलक अिधकार के िवरोध म इस तरह का कानून लाने के िलए, रा य का वैध िहत होना चािहए।
3. रा य ारा मूल अिधकार का कया जाने वाला अित मण, उसके उ े य के समानुपाती होना चािहए।
टीकाकरण म िहच कचाहट
(Vaccine Hesitancy)
संदभ:
िपछले साल, महामारी क दूसरी लहर से पहले, कम टीकाकरण
को ‘टीका लगवाने म िहच कचाहट’ (Vaccine Hesitancy) के
िलए िज मेदार ठहराया गया था। अब इस बात क काफ
संभावना है क लोग अिधक कार के टीके आने क ती ा म,
टीका लगवाने के िलए दए गए अपने िवक प का योग कर रहे
ह।
वतमान रवैया उस जमीनी हक कत को सामने रखता है, क सामा य जीवन के पूण प से खुलने के बावजूद कोिवड महामारी का दैिनक
सं मण अब कम है।
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संबंिधत चंताएं:
महामारी के िखलाफ लड़ाई म वै सीन, ‘िच क सीय साधन ’ (Armamentarium) के आव यक हिथयार म से एक है। टीका लगवाने
म कसी भी तरह क िहच कचाहट, महामारी को िनयंि त करने के यास पर नकारा मक भाव डाल सकती है।
समय क मांग:
1. इस िझझक के पीछे के कारण का उिचत समाधान।
2. दवा / टीके के िनमाण म शािमल िविभ या -नैदािनक परी ण िडजाइन, संचालन, िनगरानी, िव ेषण, रपो टग और
वीकृ त होने से पहले होने वाली िनयामक समी ा- पर िव तार से चचा करके जनता को िव ास दलाना।
3. इससे जनता, नैदािनक परी ण के दौरान क जाने वाली कठोर या और िनयामक ारा कए जाने वाले अनुमोदन के
बारे म जाग क होगी।
टीकाकरण म िहच कचाहट: संकट म पीढ़ी
 WHO ारा टीकाकरण म िहच कचाहट को ‘टीकाकरण सेवा क उपल धता के बावजूद टीके क वीकृ ित म देरी या मनाही’
के प म प रभािषत कया गया है।
 ‘टीकाकरण म िहच कचाहट’ को वैि क वा य के िलए इस वष घोिषत कए गए 10 खतर म शािमल कया गया है।
नेशनल इंटेिलजस ि ड या नेटि ड
(National Intelligence Grid – NATGRID)
संदभ:
क ीय गृह मं ी अिमत शाह ारा हाल ही म बगलु म ‘नेशनल
इंटेिलजस ि ड’ (National Intelligence Grid – NATGRID)
प रसर का उ ाटन कया गया।
नेशनल इंटेिलजस ि ड (NATGRID):
NATGRID क प रक पना वष 2009 म क गयी थी, इसका
उ े य सुर ा और खु फया एजिसय के िलए एक ‘सुरि त मंच’
परआ जन संबधी िवि य अथात वािसय के आने व जाने
संबंिधत सूचना , कसी सं द ध का टेलीफ़ोन िववरण तथा ब कं ग संबंधी जानकारी ा करने हेतु ‘वन- टॉप क ’ का िनमाण करना
था।
 वष 2010 म, सुर ा मामल पर कै िबनेट सिमित (CCS) ारा 3,400 करोड़ पये क NATGRID प रयोजना को मंजूरी दी
गयी थी।
 NATGRID समाधान के िवकास के िलए, C-DAC पुणे को ौ ोिगक भागीदार और आईआईटी, िभलाई को योजना
बंधन सलाहकार के प म शािमल कया गया है।
NATGRID के डेटा का उपयोग करने का अिधकार:
यह इंटेिलजस यूरो (IB) और रसच एंड एनािलिसस वंग (R & AW) सिहत कम से कम 10 क ीय एजिसय के िलए सुरि त
लेटफॉम पर डेटा ए सेस करने का मा यम होगा। NATGRID, दूरसंचार, कर- रकॉड, बक, आ जन आ द 21 सं था से डेटा सं ह
करेगा।
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आलोचनाएँ:
1. NATGRID का िनजता के संभािवत उ लंघन तथा िनजी गोपनीय जानकारी के लीक होने क संभावना के आधार पर िवरोध
कया जा रहा है।
2. आतंकवाद को रोकने म इसक भावका रता पर भी सवाल उठाया गया है, य क कसी भी रा य एजसी या पुिलस बल को
NATGRID डेटाबेस ए सेस करने क अनुमित नह है, िजससे त काल भावी कारवाई क संभावना कम हो जाती है।
3. कु छ िवशेष के अनुसार, NATGRID जैसे िडिजटल डेटाबेस का दु पयोग कया जा सकता है। िपछले दो दशक म,
आतंकवा दय ारा िडिजटल उपकरण का उपयोग हंसक गितिविधय को अंजाम देने के िलए कया गया है।
4. NATGRID के संदभ म खु फया एजिसय ने भी आशंका क है, इनका कहना क यह उनके काय- े को भािवत कर
सकता है तथा उनके काम के संदभ म अ य एजिसय को जानकारी लीक कर सकता है।
NATGRID क आव यकता:
1. NATGRID जैसे प र कृ त मा यम के न होने का नुकसान यह है, क पुिलस को कोई जानकारी ा करने के िलए कठोर तथा
अपमानजनक तरीक को अपनाने के िलए िववश होना पड़ता है।
2. येक आतंकवादी घटना के बाद, पुिलस कई सं द ध को िगर तार करती है, िजनमे से अिधकाँश िनद ष होते ह। य द इसके
थान पर, एक अ वेषण व पहचान तं के होने पर, मानवािधकार के उ लंघन संबंधी मामल म कमी आयेगी।
3. NATGRID, इंटेिलजस यूरो के िलए सं द ध पृ भूिम वाले ि य पर नजर रखने म भी मदद करेगा।
4. पुिलस के पास सं द ध ि के सभी डेटा तक प ंच होगी तथा डेटा बेस क मदद से इसक गितिविधय को ैक कया जा
सके गा।

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  • 1. D A I L Y N E X T C A P S U L E W I L L H E L P Y O U T O P R O V I D E 2nd floor, shahar plaza, munshi pulia, indira nagar, lucknow Feel Free to call us at: 9454721860 Follow us on:
  • 2. 1 www.iasnext.com दया यािचका (Mercy Plea) संदभ: हाल म ‘सु ीम कोट’ ने क सरकार को पूव धानमं ी राजीव गांधी क ह या के मामले म दोषी अपराधी को रहा करने क सलाह दी है, य क वह पहले ही तीन दशक से अिधक क सजा काट चुका है। आगे क कारवाई: सु ीम कोट ने क सरकार को तिमलनाडु के रा यपाल के िखलाफ कारवाई करने क सलाह भी दी है, य क रा यपाल ने ‘दोषी’ को रहा करने के संबंध म ‘रा य मंि मंडल’ क बा यकारी सलाह को “अनदेखा” करने का िनणय िलया है। संबंिधत करण: तिमलनाडु के रा यपाल ने ‘रा य मंि मंडल’ क सलाह को नजरअंदाज करते ए कहा है, क ‘दया यािचका’ / ‘ मादान यािचका’ (Mercy Plea) यािचका पर फै सला करने का अिधकार रा पित के पास है। ‘अनु छेद 161’ के बारे म: संिवधान के अनु छेद 161 के तहत, कसी रा य के रा यपाल को उस िवषय संबंधी, िजस िवषय पर उस रा य क कायपािलका शि का िव तार है, कसी िविध के िव कसी अपराध के िलए िस दोष ठहराए गए कसी ि के दंड को मा, उसका िवलंबन, िवराम या प रहार करने क अथवा दंडादेश म िनलंबन, प रहार या लघुकरण क शि दान क गयी है। अनु छेद 72 बनाम अनु छेद 161: भारतीय संिवधान के अनु छेद 72 के अंतगत रा पित क मादान शि का िव तार, अनु छेद 161 के तहत रा यपाल क मादान शि से अिधक ापक है। ये शि िन िलिखत दो कार से िभ होती है: 1. अनु छेद 72 के तहत रा पित क मादान शि का िव तार सजा कोट माशल ारा दान क गयी सजा अथवा दंड पर भी होता है, जब क, अनु छेद 161 के अंतगत रा यपाल के िलए ऐसी कोई शि दान नह क गयी है। 2. रा पित को मृ युदंड के सभी मामल म मा दान करने क शि ा है ले कन रा यपाल को ा मादान शि का िव तार मृ युदंड के मामल पर नह है। मादान शि का मह व: कायपािलका क मादान शि काफ मह वपूण होती है य क यह यायपािलका ारा क गई ु टय म सुधार करती है। इसके ारा अिभयु के अपराध या िनद षता पर िवचार कए बगैर उसे दोषिसि कए जाने संबंधी भाव को समा कया जाता है।
  • 3. 2 www.iasnext.com 1. मादान शि , यायपािलका क ु ट अथवा संदेहा मक दोषिसि के मामले म कसी िनद ष ि को दंिडत होने से बचाने म काफ सहायक होती है। 2. मादान शि का उ े य याियक ु टय को ठीक करना है। य क कोई भी याियक शासन संबंधी मानव णाली खािमय से मु नह हो सकती है। रा भाषा संबंधी बहस संदभ: हाल ही म, हंदी िसनेमा के एक अिभनेता ारा इस आशय क ट पणी क गयी क, ‘ हंदी, भारत क रा ीय भाषा’ (National Language) है, िजससे संिवधान के अंतगत ‘भाषा’ क ि थित पर िववाद खड़ा कर दया। या भारत क कोई रा भाषा है? भारत के संिवधान म कसी भी भाषा को रा ीय दजा नह दया गया है। हंदी क संवैधािनक ि थित: संिवधान के अनु छेद 343 (Article 343) के अनुसार– संघ क राजभाषा हंदी और िलिप देवनागरी होगी, संघ के शासक य योजन के िलए योग होने वाले अंक का प भारतीय अंक का अंतरा ीय प होगा।  संिवधान सभा क चचा म यह िनणय िलया गया क, इस संिवधान के ारंभ से पं ह वष क अविध तक संघ के उन सभी शासक य योजन के िलए अं ेजी भाषा का योग कया जाता रहेगा।  संिवधान म कहा गया है क, 15 साल के बाद, संसद कानून ारा अं ेजी के उपयोग और िन द उ े य के िलए अंक के देवनागरी प म उपयोग पर िनणय ले सकती है। अनु छेद 351: हंदी भाषा के िवकास के िलए िनदेश– संघ का यह कत होगा क वह हंदी भाषा का सार बढ़ाए, उसका िवकास करे िजससे वह भारत क सामािसक सं कृ ित के सभी त व क अिभ ि का मा यम बन सके और उसक कृ ित म ह त ेप कए िबना हंदु थानी म और आठव अनुसूची म िविन द भारत क अ य भाषा म यु प, शैली और पद को आ मसात करते ए उसक समृि सुिनि त करे। हंदी अिधरोपण के िवरोध क शु आत: संिवधान म मूल प से आिधका रक उ े य के िलए 15 वष तक अं ेजी के उपयोग क अनुमित दी गयी थी। इस अविध के समा होने से पहले संसद ारा ‘राजभाषा अिधिनयम, 1963’ (The Official Languages Act, 1963) पा रत कया गया था।  इस अिधिनयम के काया मक अनुभाग म, 15 साल क अविध पूरी होने के बावजूद अं ेजी का उपयोग जारी रखने के संबंध म ावधान कए गए ह।  त कालीन धानमं ी जवाहरलाल नेह ने वष 1959 म आ ासन दया था क आिधका रक काय म अं ेजी का उपयोग जारी रहेगा, और यह क एवं रा य के बीच संचार क भाषा रहेगी।  राजभाषा अिधिनयम, 1963 म, धानमं ी के इस आ ासन को प प से शािमल नह कया गया था, िजससे कु छ रा य म ‘जनवरी 1965 क समय सीमा’ नजदीक आने पर भाषा को लेकर आशंकाएं पैदा हो ग ।
  • 4. 3 www.iasnext.com  उस समय, धान मं ी लाल बहादुर शा ी ने सभी उ े य के िलए हंदी को आिधका रक भाषा बनाने क दशा म सरकार क ितब ता को दोहराया था।  इससे एक और आशंका पैदा ई क, पूरे देश म हंदी को इस तरह से थोपा जाएगा क गैर- हंदी भाषी लोग के िलए भिव य म रोजगार क संभावनाएं धूिमल हो जाएंगी। हंदी भाषा अिधरोपण के संभािवत भाव:  हंदी भाषा का अिधरोपण, गैर- हंदी भािषय क सीखने क मता को भािवत कर सकता है िजससे उनका आ मिव ास भािवत होगा।  यह, अ य भाषा के अिसत व को खतरे म भी डाल सकता है और िविवधता को कम कर सकता है।  इससे भारत क िविवधता और संघवाद को भी खतरा हो सकता है। ‘ि भाषा सू ’ (Three-Language Formula) या है? 1960 के दशक से, क क िश ा नीित के द तावेज म ‘तीन भाषा को पढ़ाने’ क बात क जाती है – हंदी भाषी रा य म हंदी, अं ेजी और एक े ीय भाषा, और अ य रा य म हंदी, अं ेजी और आिधका रक े ीय भाषा।  हालां क, वहार म, के वल कु छ रा य म अं ेजी के अलावा अपनी मुख भाषा और हंदी दोन को पढाया जाता है।  िजन रा य म हंदी ‘आिधका रक भाषा’ है, वहां तीसरी भाषा को ‘अिनवाय िवषय के प म’ शायद ही कभी पढ़ाया जाता है। टीकाकरण के िलए बा य नह कया जा सकता: सव यायालय संदभ: हाल ही म, भारत के सव यायालय ने फै सला सुनाते ए कहा है क, कसी को भी टीकाकरण के िलए मजबूर नह कया जा सकता है, य क भारतीय संिवधान के अनु छेद 21 (जीवन का अिधकार) के अंतगत ‘शरीर क वाय ता और अखंडता’ को सुर ा दान क गयी है। पृ भूिम: सु ीम कोट म दायर एक यािचका म ‘वै सीन ायल डेटा’ का खुलासा करने और वै सीन लगवाने क अिनवायता पर रोक लगाने क मांग क गई थी। शीष अदालत क ट पिणयाँ:  अदालत ने प करते ए कहा है, क वै सीन / टीके को अिनवाय नह बनाया जा सकता है, और कसी भी ि को उसक इ छा के िव टीका लगाने के िलए बा य नह कया जा सकता है।  ऐसा इसिलए है य क, संिवधान के अनु छेद 21 के तहत कसी ि को ा ‘शरीर क अखंडता के अिधकार’ म ‘टीकाकरण से इंकार का अिधकार’ भी समािहत है।  कं तु, “सामुदाियक वा य” के मामले म, सरकार को इस कार के िवषय को िविनयिमत करने का अिधकार है।  इसके अलावा, अदालत को इस संदभ म सरकार ारा कए जाने वाले ‘ह त ेप’ क समी ा करने का भी अिधकार है, क या सरकार ारा बनाए गए िनयम ‘के .एस. पु वामी मामले’ म संवैधािनक पीठ के िनणय म ितपा दत ‘तीन- तरीय’ आव यकता को पूरा करते ह? इस िनणय म, ‘िनजता के अिधकार’ को अनु छेद 21 के तहत एक ‘संवैधािनक अिधकार’ के प म बरकरार रखा गया था।
  • 5. 4 www.iasnext.com आगे क कारवाई:  अदालत ने क को ज द से ज द एक ‘वचुअल पि लक लेटफ़ॉम’ थािपत करने का िनदश दया है, ता क ि य और िनजी डॉ टर को, अपनी िनजता को खतरे म डाले िबना टीकाकरण के बारे म ितकू ल घटना क रपोट करने क सुिवधा िमल सके ।  अदालत ने क सरकार को यह सुिनि त करने का िनदश दया क, ब के टीकाकरण के िलए िनयामक अिधका रय ारा पहले से अनुमो दत कए जा चुके टीक के ‘नैदािनक परी ण ’ के ासंिगक चरण के िन कष और प रणाम ज द से ज द सावजिनक कए जाएं।  वै सीन परी ण डेटा के पृथ रण के संबंध म, ि य क िनजता को यान म रखते ए, परी ण कए जा चुके और बाद म कए जाने वाले परी ण से संबंिधत सभी डेटा को िबना कसी देरी के जनता के िलए उपल ध कराया जाना चािहए। ‘ यायमू त के.एस. पु वामी बनाम भारत संघ’ मामला ‘के .एस. पु वामी बनाम भारत संघ’ (K.S. Puttaswamy vs. Union of India) मामले म सु ीमकोट के नौ यायाधीश क पीठ ने वष 2017 म सवस मित से फै सला सुनाया क ‘भारत का संिवधान येक ि को भारतीय संिवधान के अनु छेद 21 के तहत िनजता के मौिलक अिधकार क गारंटी देता है’। अनु छेद 21: कसी ि को उसके ाण या दैिहक वतं ता से िविध ारा थािपत या के अनुसार ही वंिचत कया जाएगा, अ यथा नह । इस िनणय म िनधा रत ‘तीन- तर’ परी ण: अदालत को यह तय करने का अिधकार है, या सरकार ारा कए जाने वाले ह त ेप, कसी ि क ि गत वाय ता म ‘तीन- तरीय’ शत को पूरा करते ह अथवा नह । इस ‘तीन- तरीय’ शत म शािमल ह: 1. सरकार ारा क गयी कारवाई कसी कानून के ारा सम थत होनी चािहए। 2. मौिलक अिधकार के िवरोध म इस तरह का कानून लाने के िलए, रा य का वैध िहत होना चािहए। 3. रा य ारा मूल अिधकार का कया जाने वाला अित मण, उसके उ े य के समानुपाती होना चािहए। टीकाकरण म िहच कचाहट (Vaccine Hesitancy) संदभ: िपछले साल, महामारी क दूसरी लहर से पहले, कम टीकाकरण को ‘टीका लगवाने म िहच कचाहट’ (Vaccine Hesitancy) के िलए िज मेदार ठहराया गया था। अब इस बात क काफ संभावना है क लोग अिधक कार के टीके आने क ती ा म, टीका लगवाने के िलए दए गए अपने िवक प का योग कर रहे ह। वतमान रवैया उस जमीनी हक कत को सामने रखता है, क सामा य जीवन के पूण प से खुलने के बावजूद कोिवड महामारी का दैिनक सं मण अब कम है।
  • 6. 5 www.iasnext.com संबंिधत चंताएं: महामारी के िखलाफ लड़ाई म वै सीन, ‘िच क सीय साधन ’ (Armamentarium) के आव यक हिथयार म से एक है। टीका लगवाने म कसी भी तरह क िहच कचाहट, महामारी को िनयंि त करने के यास पर नकारा मक भाव डाल सकती है। समय क मांग: 1. इस िझझक के पीछे के कारण का उिचत समाधान। 2. दवा / टीके के िनमाण म शािमल िविभ या -नैदािनक परी ण िडजाइन, संचालन, िनगरानी, िव ेषण, रपो टग और वीकृ त होने से पहले होने वाली िनयामक समी ा- पर िव तार से चचा करके जनता को िव ास दलाना। 3. इससे जनता, नैदािनक परी ण के दौरान क जाने वाली कठोर या और िनयामक ारा कए जाने वाले अनुमोदन के बारे म जाग क होगी। टीकाकरण म िहच कचाहट: संकट म पीढ़ी  WHO ारा टीकाकरण म िहच कचाहट को ‘टीकाकरण सेवा क उपल धता के बावजूद टीके क वीकृ ित म देरी या मनाही’ के प म प रभािषत कया गया है।  ‘टीकाकरण म िहच कचाहट’ को वैि क वा य के िलए इस वष घोिषत कए गए 10 खतर म शािमल कया गया है। नेशनल इंटेिलजस ि ड या नेटि ड (National Intelligence Grid – NATGRID) संदभ: क ीय गृह मं ी अिमत शाह ारा हाल ही म बगलु म ‘नेशनल इंटेिलजस ि ड’ (National Intelligence Grid – NATGRID) प रसर का उ ाटन कया गया। नेशनल इंटेिलजस ि ड (NATGRID): NATGRID क प रक पना वष 2009 म क गयी थी, इसका उ े य सुर ा और खु फया एजिसय के िलए एक ‘सुरि त मंच’ परआ जन संबधी िवि य अथात वािसय के आने व जाने संबंिधत सूचना , कसी सं द ध का टेलीफ़ोन िववरण तथा ब कं ग संबंधी जानकारी ा करने हेतु ‘वन- टॉप क ’ का िनमाण करना था।  वष 2010 म, सुर ा मामल पर कै िबनेट सिमित (CCS) ारा 3,400 करोड़ पये क NATGRID प रयोजना को मंजूरी दी गयी थी।  NATGRID समाधान के िवकास के िलए, C-DAC पुणे को ौ ोिगक भागीदार और आईआईटी, िभलाई को योजना बंधन सलाहकार के प म शािमल कया गया है। NATGRID के डेटा का उपयोग करने का अिधकार: यह इंटेिलजस यूरो (IB) और रसच एंड एनािलिसस वंग (R & AW) सिहत कम से कम 10 क ीय एजिसय के िलए सुरि त लेटफॉम पर डेटा ए सेस करने का मा यम होगा। NATGRID, दूरसंचार, कर- रकॉड, बक, आ जन आ द 21 सं था से डेटा सं ह करेगा।
  • 7. 6 www.iasnext.com आलोचनाएँ: 1. NATGRID का िनजता के संभािवत उ लंघन तथा िनजी गोपनीय जानकारी के लीक होने क संभावना के आधार पर िवरोध कया जा रहा है। 2. आतंकवाद को रोकने म इसक भावका रता पर भी सवाल उठाया गया है, य क कसी भी रा य एजसी या पुिलस बल को NATGRID डेटाबेस ए सेस करने क अनुमित नह है, िजससे त काल भावी कारवाई क संभावना कम हो जाती है। 3. कु छ िवशेष के अनुसार, NATGRID जैसे िडिजटल डेटाबेस का दु पयोग कया जा सकता है। िपछले दो दशक म, आतंकवा दय ारा िडिजटल उपकरण का उपयोग हंसक गितिविधय को अंजाम देने के िलए कया गया है। 4. NATGRID के संदभ म खु फया एजिसय ने भी आशंका क है, इनका कहना क यह उनके काय- े को भािवत कर सकता है तथा उनके काम के संदभ म अ य एजिसय को जानकारी लीक कर सकता है। NATGRID क आव यकता: 1. NATGRID जैसे प र कृ त मा यम के न होने का नुकसान यह है, क पुिलस को कोई जानकारी ा करने के िलए कठोर तथा अपमानजनक तरीक को अपनाने के िलए िववश होना पड़ता है। 2. येक आतंकवादी घटना के बाद, पुिलस कई सं द ध को िगर तार करती है, िजनमे से अिधकाँश िनद ष होते ह। य द इसके थान पर, एक अ वेषण व पहचान तं के होने पर, मानवािधकार के उ लंघन संबंधी मामल म कमी आयेगी। 3. NATGRID, इंटेिलजस यूरो के िलए सं द ध पृ भूिम वाले ि य पर नजर रखने म भी मदद करेगा। 4. पुिलस के पास सं द ध ि के सभी डेटा तक प ंच होगी तथा डेटा बेस क मदद से इसक गितिविधय को ैक कया जा सके गा।