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कृ णा नदी जल िववाद
(Krishna River water dispute)
संदभ:
 हाल ही म, कनाटक सरकार ारा महारा , कनाटक,
आं देश और तेलंगाना रा य म बहने वाली कृ णा
नदी के पानी के आवंटन पर िववाद से संबंिधत एक
यािचका पर सुनवाई हेतु एक पीठ ग ठत करने क मांग
करते ए सु ीम कोट म यािचका दायर क गयी है।
 इस बीच, सु ीम कोट ने प कार से िववाद को ‘म य थता’ के ज रए सुलझाने क संभावना के बारे म पूछा है?
संबंिधत करण:
‘कृ णा नदी जल िववाद’ (Krishna River water dispute) मामले क सुनवाई हेतु उ तम यायालय के जि टस डी वाई चं चूड़ और
जि टस एएस बोप ा एक खंडपीठ ग ठत क गयी थी।
हाल ही म, इन दोन यायाधीश ने, 10 जनवरी को एक तरह का उदहारण तुत करते ए अपने आप को उ मामले क सुनवाई से
अलग कर िलया य क दोन यायाधीश मूलतः महारा और कनाटक के िनवासी है।
 ‘कृ णा नदी जल िववाद’ म महारा , कनाटक तेलंगाना और आं देश रा य शािमल ह।
 मामले से खुद को अलग करने वाले यायाधीश, जल िववाद का िनणय करने हेतु ग ठत पीठ का िह सा होने के कारण, उनके
िखलाफ आ रहे ईमेल और प क भाषा और वृि से परेशान थे।
अदालत म िववाद:
कनाटक ने सु ीम कोट ारा 16 नवंबर, 2011 को पा रत आदेश से मुि दए जाने क मांग क गयी है। इस आदेश म अदालत ने, क
सरकार को दसंबर 2010 म ‘कृ णा जल िववाद यायािधकरण II’ (KWDT) ारा कनाटक, त कालीन आं देश और महारा को
कृ णा नदी के पानी का आवंटन करने संबंधी जारी अंितम आदेश को, अंतर-रा यीय जल िववाद अिधिनयम, 1956 क धारा 6(1) के
तहत, आिधका रक राजप म कािशत करने से रोक दया था।
अिधकरण के आदेश का काशन, इसके काया वयन के िलए एक आव यक पूव-शत है।
कृ णा जल िववाद यायािधकरण (KWDT) का िनणय:
कृ णा नदी जल िववाद क शु आत पूववत हैदराबाद और मैसूर रयासत के बीच ई थी, जो क बाद म ग ठत महारा , कनाटक, आं
देश और तेलंगाना रा य बीच जारी है।
अंतर-रा यीय नदी जल िववाद अिधिनयम, 1956 के तहत वष 1969 म कृ णा जल िववाद यायािधकरण (Krishna Water Disputes
Tribunal– KWDT) का गठन कया गया था, िजसके ारा वष 1973 म अपनी रपोट तुत क गयी।
कृ णा नदी जल िववाद यायािधकरण क वष 1976 म कािशत रपोट म कृ णा नदी जल के 2060 TMC (हजार िमिलयन यूिबक
फ ट) को 75 ितशत िनभरता के आधार पर तीन भाग म पर िवभािजत कया गया था:
1. महारा के िलए 560 TMC
2. कनाटक के िलए 700 TMC
3. आं देश के िलए 800 TMC
संशोिधत आदेश:
रा य के म य असंतोष कये जाने पर वष 2004 म दूसरे कृ णा जल िववाद यायािधकरण (KWDT) का गठन कया गया।
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 दूसरे KWDT ारा वष 2010 म अपनी अंितम रपोट तुत क गयी। इस रपोट म 65 ितशत िनभरता के आधार पर कृ णा
नदी के अिधशेष जल का 81 TMC महारा को, 177 TMC कनाटक को तथा 190 TMC आं देश के िलये आवं टत कया
गया था।
आदेश अभी तक कािशत य नह कया गया?
वष 2014 म तेलंगाना को एक अलग रा य के प म ग ठत कये जाने के प ात, आं देश ारा तेलंगाना को KWDT म एक अलग
प कार के प म शािमल करने और कृ णा नदी-जल को तीन के बजाय चार रा य म आवं टत कये जाने क मांग क जा रही है।
अकादिमक ेिडट बक
(Academic Bank of Credit)
संदभ:
देश म इस शै िणक वष से ‘अकादिमक े िडट बक’ (Academic
Bank of Credit – ABC) के लागू कए जाने क संभावना है।
य िप, इस योजना के कई लाभ और दोष तथा ऐसे मु े ह, योजना
के लागू होने से पहले िजनका समाधान कए जाने क अभी भी
आव यकता है।
योजना से संबंिधत चंताएँ और चुनौितयाँ:
 ‘अकादिमक े िडट बक’ (ABC) से सुिनयोिजत एवं वि थत िश ा भािवत होगी। छा को िविभ िव िव ालय से
कॉलेज बदलने म मुि कल हो सकती है।
 िजस िव िव ालय या कॉलेज म छा पढता है, नाम और िश ा क गुणव ा के संदभ म, उसके कॉलेज या िव िव ालय
बदलने के समय फक पड़ता है।
 दूर थ सं थान पर भाव: के वल ‘रा ीय मू यांकन एवं यायन प रषद’ (NAAC) ारा सूचीब सं थान ही ‘अकादिमक बक
ऑफ े िडट’ म शािमल हो सकते ह। यह ावधान, पहले से ही हािशए पर ि थत दूर थ सं थान को और अिधक हािशए पर
जाने के िलए िववश कर सकता है।
 ‘अकादिमक े िडट बक’ को लागू करने हेतु अपनी नीितय म प रवतन करने क आव यकता पर, िविभ राजनीितक दल
ारा शािसत िविभ रा य के बीच िहत का टकराव हो सकता है।
 पहले से ही काफ अिधक मांग वाले मुख सं थान म, ‘अकादिमक े िडट बक’ के तहत छा को अित र सीट दान करने से
सं थान के िलए अित र लागत वहन करनी होगी।
‘अकादिमक े िडट बक’ (ABC) या है?
 ‘एके डिमक बक ऑफ े िडट’ को ‘िव िव ालय अनुदान आयोग’ (UGC) ारा थािपत कया जाएगा।
 इसके तहत, छा के िलए कसी पा म म वेश करने और उसे पूरा करने के कई िवक प दए जाएंगे।
 ‘अकादिमक े िडट बक’ के तहत, छा के िलए कसी िड ी या पा म को छोड़ने और संबंिधत माण प ा करने का
िवक प दया जाएगा। एक िनि त समय के प ात, छा , अपनी अधूरी छोड़ी ई पढाई को उसी तर से पुनः शु कर सकते
ह।
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 इसके ारा छा को कसी िड ी को पूरा करते समय या कसी पा म को छोड़ने के दौरान सं थान बदलने क सुिवधा भी
दान क जाएगी।
कायिविध:
‘अकादिमक े िडट बक’ एक वचुअल टोर-हाउस है, जो एक छा के ‘एके डिमक े िडट’ का रकॉड रखेगा। यह, सीधे छा से कसी भी
पा म के कोई े िडट कोस द तावेज़ वीकार नह करेगा, बि क के वल उ िश ा सं थान से, छा के खात म जमा ‘ े िडट कोस’
द तावेज़ को वीकार करेगा।
लाभ:
‘अकादिमक े िडट बक’ े िडट स यापन, े िडट संचय, े िडट ांसफर, छा के िवमोचन और छा के मोशन म मदद करेगा।
आसन श द म:
‘अकादिमक े िडट बक’ (Academic Bank of Credit) के तहत, कोई भी छा , कई वेश और िनकास िवक प क स िलयत के साथ,
कसी भी उ िश ा सं थान से िड ी हािसल कर सकता है। एक ही कॉलेज म तीन साल िबताने के बजाय, कोई छा एक कॉलेज से
दूसरे कॉलेज म आसानी से ि वच कर सकता है। िड ी हािसल करने के िलए, छा के िलए अपने अकाउंट (खाते) म एक िनि त सं या
म ‘ े िडट’ रखना आव यक होगा।
 उदाहरण के िलए, य द बीकॉम का कोई छा , कसी कॉलेज म पढ़ता है, तो एक साल बाद वह अपना कॉलेज बदल भी सकता
है। और, एक अंतराल के बाद उसी कोस म शािमल हो सकता है।
 तब तक, छा ारा उस एक वष म अ जत ‘ े िडट’ उसके ABC अकाउंट म रखे जाएंगे तथा छा ारा कसी अ य कॉलेज म
उसी पा म म वेश लेने पर, इन ‘ े िड स’ का उपयोग कया जा सकता है।
थायी संधु आयोग
(Permanent Indus Commission)
संदभ:
एक से तीन माच के तक चलने वाली ‘ थायी संधु आयोग’ (Permanent
Indus Commission) क वा षक बैठक म भाग लेने हेतु 10 सद यीय
भारतीय ितिनिधमंडल पा क तान का दौरा करेगा।
‘ संधु जल संिध’ (Indus Water Treaty) के तहत, ित वष 31 माच तक कम से कम एक बार, बारी-बारी से भारत और पा क तान म
िनयिमत प से ‘ थायी संधु आयोग’ क बैठक आयोिजत कया जाना अिनवाय है।
मह व:
दोन देश के बीच ‘ संधु जल समझौते’ पर ह ता र के बाद, भारतीय ितिनिधमंडल म पहली बार तीन मिहला अिधकारी भी भाग
लगी, तथा बैठक के दौरान िविभ मु पर भारतीय आयु को सलाह देगी।
बैठक म चचा के क ीय बंदु:
बैठक के एजडे म, ज मू और क मीर म िचनाब बेिसन म ‘पाकल दुल’ (Pakal Dul) (1,000 मेगावाट), लोअर कलनई (Lower Kalnai)
(48 मेगावाट) और क (Kiru) (624 मेगावाट) और ल ाख म थािपत क जाने वाली कु छ छोटी जलिव ुत प रयोजना पर
पा क तान क आपि य पर चचा होने क संभावना है।
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संधु जल संिध के बारे म:
यह एक जल-िवतरण समझौता है, िजस पर वष 1960 म, िव बक क म य थता से भारत के धानमं ी जवाहरलाल नेह तथा
पा क तान के रा पित अयूब खान ने ह ता र कए थे।
भारत और पा क तान के बीच संधु नदी के जल का बटवारा:
संधु जल समझौते (Indus Water Treaty – IWT) के अनुसार, तीन पूव न दय - रावी, यास और सतलज- के पानी पर भारत को पूरा
िनयं ण दान कया गया।
पा क तान ारा पि मी न दय - संधु, िचनाब और झेलम – को िनयंि त कया जाता है।
 1960 म भारत और पा क तान के म य ह ता रत ‘ संधु जल संिध’ के ावधान के तहत, पूव न दय – सतलुज, यास और
रावी – क कु ल जल क रािश का लगभग 33 िमिलयन एकड़-फ ट (MAF) सालाना भारत को िबना रोक टोक के उपयोग करने
के िलए आवं टत कया जाता है।
 पि मी न दय – संधु, झेलम और िचनाब – का लगभग 135 MAF जल सालाना, पूरी तरह से पा क तान ारा उपयोग
कया जाता है।
जलिव ुत उ पादन का अिधकार:
 संधु जल समझौते के तहत, भारत को ‘िडजाइन और संचालन के िलए िविश मानदंड के अधीन’ पि मी न दय पर बहती
ई नदी पर प रयोजना (Run of the River Projects) के मा यम से जलिव ुत उ प करने का अिधकार दया गया है।
 समझौते के तहत, पा क तान को पि मी न दय पर भारतीय जलिव ुत प रयोजना के िडजाइन पर चंता करने का
अिधकार भी है।
थायी संधु आयोग:
थायी संधु आयोग (Permanent Indus Commission), भारत और पा क तान के अिधका रय क सद यता वाला एक ि प ीय
आयोग है, इसका गठन संधु जल संिध, 1960 के ल य को कायाि वत करने तथा इनका बंधन करने के िलए कया गया था।
 ‘ संधु जल समझौते’ के अनुसार, इस आयोग क , वष म कम से कम एक बार, बारी-बारी से भारत और पा क तान म िनयिमत
प से बैठक आयोिजत क जानी चािहए।
आयोग के काय:
 न दय के जल संबंधी कसी भी सम या का अ ययन करना तथा दोनो सरकार को रपोट करना।
 जल बंटवारे को लेकर उ प िववाद को हल करना।
 प रयोजना थल और नदी के मह वपूण िसर पर होने वाले काय के िलए तकनीक िनरी ण क व था करना।
 येक पाँच वष म एक बार, त य क जांच करने के िलए न दय के िनरी ण हेतु एक सामा य दौरा करना।
 समझौते के ावधान के काया वयन हेतु आव यक कदम उठाना।
ीिल स लंक:
1. संधु और उसक सहायक न दयाँ।
2. संधु जल समझौते पर ह ता र कब कए गए थे?
3. समझौते को कसने भंग कया?
4. समझौते क मु य िवशेषताएं?
5. थायी संधु आयोग के काय।
6. इससे संबंिधत च चत पनिबजली प रयोजनाएं।
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डाक एनज एवं डाक मैटर
(Dark Energy and Dark Matter)
संदभ:
 खगोलीय े ण से पता चलता है, क ांड का एक मह वपूण िह सा ‘डाक मैटर’ (Dark Matter) से बना आ है, जो क केवल
गु वाकषण खंचाव के मा यम से शेष ांड के साथ अंतः या करता है।
 योगशाला म कए गए कई बड़े योग म डाक मैटर के संभािवत ‘मौिलक कण ’ का पता लगाने क कोिशश क गयी है।
हालां क, अब तक इन डाक मैटर कण का पता नह चल सका है।
डाक मैटर का आकलन:
शोधकता ारा ‘ल संग िस ेचर’ के ‘अ े ण’ (Non-Observation) अथात ‘ल संग िस ेचर’ (Lensing Signatures) के दखाई नह
देने का उपयोग यह आकलन करने के िलए कया जाता है, क लैक होल का कतना भाग ‘डाक मैटर’ से बना आ हो सकता है। चूं क
‘गु वाकषण ल संग’ (Gravitational lensing) डाक मैटर क मा ा और िवतरण के ित य प से संवेदनशील होती है, अतः यह
‘ ांड िव ािनय ’ के िलए काफ उपयोगी होती है।
‘गु वाकषण ल संग’ एवं इसक यािविध:
‘गु वाकषण ल संग’, आइं टीन के ‘सामा य सापे ता िस ांत’ (Theory of General Relativity) का एक भाव है – सीधे श द म
कह, तो ‘ मान’, काश को मोड़ देता है।
 कसी िवशालकाय पंड का गु वाकषण े अंत र म काफ दूर तक िव ता रत होता है, और उस पंड के करीब से गुजरने
वाली काश करण को (और अपने गु वाकषण े के मा यम से) कसी अ य दशा म मोड़ने और दोबारा से क त करने
का कारण बनता है।
 पंड, िजतनी अिधक िवशालकाय होता है, उसका गु वाकषण े उतना ही सश होता है और इसिलए काश करण का
झुकाव भी अिधक होता है। िजस कार ‘ऑि टकल लस’ बनाने के िलए सघन साम ी का उपयोग करने से ‘अपवतन’ क मा ा
अिधक होती है।
‘डाक एनज ’ या है?
अब तक िजतना कु छ ात है उससे कही अिधक अ ात है। हम अंत र म ‘डाक एनज ’ (Dark Matter) क मौजूद मा ा के बारे म
जानते ह, य क हम यह ात है क यह ांड के िव तार को कस कार भािवत करती है। इसके अलावा, ‘डाक एनज ’ एक पूण
रह य है। यह एक अित मह वपूण रह य है, य क ांड का लगभग 68% िह सा ‘डाक एनज ’ से ही बना आ है।
 ‘डाक एनज ’ ऊजा का एक का पिनक प है, जो गु वाकषण के िवपरीत वहार करते ए एक नकारा मक, ितकारक
दबाव को दशाती है।
 यह, हमारे ांड के िव तार क दर को धीमा करने के बजाय समय के साथ तेज कर रही है, जो क िबग बग से उ प ए
ांड से जो अपे ा क जा सकती है, उसके ठीक िवपरीत है।
‘डाक एनज ’, डाक मैटर से कस कार िभ है?
हम जो कु छ भी देखते ह – ह, चं मा, िवशाल आकाशगंगाएँ – यह ांड का 5% से भी कम िह सा ह। पूरे ांड म, लगभग 27%
डाक मैटर है और 68% डाक एनज है।
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 ‘डाक मैटर’ (Dark Matter), आकाशगंगा को पर पर आक षत करता है और एक साथ जोड़कर रखता है, और ‘डाक एनज ’
हमारे ांड के िव तार का कारण बनती है।
 डाक मैटर के अि त व का संके त 1920 के दशक म िमल गया था, जब क ‘डाक एनज ’ क खोज वष 1998 तक नह ई थी।
XENON1T योग के बारे म:
यह िव का सबसे संवेदनशील ‘डाक मैटर’ योग है, और इसे इटली क ‘INFN लेबोरेटोरी नािज़योनाली डेल ान सासो’ (INFN
Laboratori Nazionali del Gran Sasso) म भूिमगत प से काफ गहराई म संचािलत कया जा रहा है।
इस योग म, दोहरे चरण (तरल/गैस) वाली ज़ीनान (XENON) तकनीक का उपयोग कया गया है।
सामा य सापे ता का िस ांत:
भौितक के मुख िस ांत म ‘डाक एनज ’ को अंत र का एक िविश गुण माना जाता है। ‘अ बट आइं टीन’ यह समझने वाले पहले
ि थे क अंत र मा खाली जगह नह है। उ ह ने यह भी कहा क, अंत र का िव तार होना भी जारी रह सकता है। अ य
वै ािनक के िवचार म ा ड ि थर था, इसे देखते ए, आइं टीन ने अपने ‘सामा य सापे ता के िस ांत’ (Theory of General
Relativity) म, ‘ ा ड संबंधी ि थरांक’ को शािमल कया था।
 हबल दूरबीन से ांड के िव ता रत होने क जानकारी िमलने के बाद, आइं टीन ने अपने ‘ि थरांक’ को अपनी “सबसे बड़ी
भूल” कहा।
 ले कन, आइं टीन क यह भूल ‘डाक एनज ’ को समझने के िलए सबसे उपयु हो सकती है। यह अनुमान लगाते ए क ‘ र
थान’ क भी अपनी ऊजा हो सकती है, आइं टीन के ‘ि थरांक’ इंिगत करता है क जैसे-जैसे अंत र का िनमाण होता जाता
है, ांड म अिधक ऊजा जुड़ती जाएगी, और इसका िव तार होता जाएगा।
नासा का लूसी िमशन
(NASA’s Lucy mission)
संदभ:
‘लूसी िमशन’ (Lucy mission) के तहत भेजा गया अंत र यान अगले
12 वष म िजन कु छ ु ह का मण करेगा, ‘यूरीबे स’
(Eurybates) उन ु ह म से एक है।
 हाल ही म, ‘लास वेगास’ म खगोलिवद ने एक तारे का
अवलोकन करने के दौरान, उस तारे को कु छ समय के िलए
गायब होते ए देखा, य क ‘यूरीबे स’ ु ह इस तारे के
सामने से होकर गुजरा था।
 जैसे ही यूरीबे स ने तारे को अपनी छाया म िलया – वै ािनक श दावाली म इस घटना को ‘ हण’ (Occultation) कहा जाता
है- ु ह के आकार क लगभग एक 40-मील- (64- कलोमीटर-) चौड़ी छाया इस े के ऊपर से गुजरती ई देखी गयी।
 इस जानकारी का उपयोग ‘लूसी िमशन’ के शोधकता ारा, वष 2027 म लूसी अंत र यान के यूरीबे स के नजदीक से
गुजरने के दौरान एक कए गए डेटा को पूरा करने के िलए कया जाएगा।
‘आक टेशन’ या ‘ हण’ या होता है?
 एक खगोलीय पंड के कसी अ य खगोलीय पंड के सामने से गुजरने के दौरान, पहला पंड, दूसरे पंड को पयवे क क दृि से
ओझल कर देता है। इस ज टल प रघटना को ‘ हण’‘ या ‘आक टेशन’ (Occultations) कहा जाता है।
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 इस प रघटना का सबसे मुख उदाहरण ‘सूय हण’ है, जो चं मा के सूय और पृ वी के बीच से होकर गुजरने पर घ टत होती
है। इस दौरान चं मा, सूय को हमारी दृि से ओझल कर देता है।
‘लूसी िमशन’ के बारे म:
यह, बृह पित ह के ‘ ोजन ु ह ’ (Trojan asteroids) का अ वेषण करने हेतु नासा ारा भेजा जाने वाला पहला िमशन है।
 यह िमशन, सौर ऊजा से संचािलत है।
 इस िमशन के पूरा होने म 12 साल से अिधक लंबा समय लगने का अनुमान है। इस दौरान, अंत र यान “युवा सौर मंडल” के
बारे म जानकारी हािसल करने के िलए लगभग 6.3 िबिलयन कमी क या ा करते ए ‘आठ ु ह ’ का दौरा करेगा।
िमशन का उ े य:
‘लूसी िमशन’ को ‘ ोजन ु ह ’ के समूह म शािमल िविवध ु ह क संरचना को समझने, ु ह के मान और घन व को
िनधा रत करने तथा ोजन ु ह क प र मा करने वाले उप ह और रंग को देखने और उनका अ ययन करने के िलए िडज़ाइन
कया गया है।
‘ ोजन ु ह’ के बारे म:
‘ ोजन ु ह ’ (Trojan asterids) को ारंिभक सौर मंडल का अवशेष माना जाता है, और इनका अ ययन करने से वै ािनक को
इनक उ पि , िवकास और इनके व मान व प को समझने म मदद िमलेगी।
माना जाता है, क इन ‘ ु ह ’ क उ पि , लगभग 4 अरब साल पहले सौर मंडल का िनमाण होने के साथ ही ई थी, और ोजन
ु ह का िनमाण, उ ही पदाथ से आ है, िजनसे सौर मंडल के अ य ह बने थे।
तटीय िविनयमन े (CRZ) मानदंड
(Coastal Regulation Zone norms)
संदभ:
‘अवैध िनमाण’ एवं ‘तटीय िविनयमन े ’ (Coastal Regulation
Zone – CRZ) िनयम के उ लंघन क िशकायत िमलने के बाद
बृह मुंबई नगर िनगम (BMC) ारा जु म ि थत क ीय मं ी
‘नारायण राणे’ के बंगले का िनरी ण पूरा कर िलया गया है।
संबंिधत करण:
क ीय मं ी का बंगला ‘तटीय िविनयमन े ’ (CRZ) िनयम का उ लंघन करते ए, समु से 50 मीटर दूरी के भीतर अवैध प से
बनाया गया है।.
‘तटीय िविनयमन े ’ मानदंड:
 भारत के पयावरण संर ण अिधिनयम, 1986 क धारा 3 के तहत, पहली बार फरवरी 1991 म, ‘तटीय िविनयमन े ’
अिधसूचना जारी क गई थी।
 वष 2018 म, तटीय िविनयमन े संबंधी नए िनयम जारी कए गए। इनका उ े य इस े म िनमाण पर लगे कु छ ितबंध
को हटाना, अनापि या को सु वि थत करना और तटीय े म पयटन को ो सािहत करना था।
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तटीय िविनयमन े मानदंड का उ े य:
ये मानदंड, सागर तट से एक िनि त दूरी के भीतर कु छ िवशेष गितिविधय , जैसे- बड़े िनमाण, नए उ ोग क थापना, खतरनाक
साम ी का भंडारण या िनपटान, खनन, भूिम-उपयोग प रवतन और बांध िनमाण पर रोक लगाते ह।
‘िविनयमन े ’ क प रभाषा:
सभी िनयम म, िविनयमन े (Regulation Zone) को उ - वार रेखा से 500 मीटर तक के े के प म प रभािषत कया गया है।
CRZ म ितबंध:
 CRZ म ितबंध, े क आबादी, पा रि थितक संवेदनशीलता, कनारे से दूरी तथा े के ाकृितक उ ान अथवा व यजीव
े के प म अिधसूिचत होने जैसे मानदंड पर िनभर करते है।
 नए िनयम के अनुसार, मु यभूिम के तट के िनकटवत सभी ीप और मु य भूिम के सभी अ वाही जल वाले (Backwater)
ीप के िलए 20 मीटर क सीमा तक नो-डेवलपमट ज़ोन घोिषत कया गया है।
CRZ-III ( ामीण) के िलए ितबंधो क दो िभ ेिणय को िनधा रत कया गया है:
 वष 2011 क जनगणना के अनुसार, 2,161 ित वग कमी जनसं या घन व सिहत घनी आबादी वाले ामीण े (CRZ-
IIIA) म, नो-डेवलपमट ज़ोन क सीमा, उ - वार रेखा से 50 मीटर तक िनधा रत क गयी है, जब क पहले यह सीमा 200
मीटर थी।
 CRZ-IIIB ेणी (2,161 ित वग कमी से कम जनसं या घन व वाले ामीण े ) म नो-डेवलपमट ज़ोन क सीमा, उ - वार
रेखा से 200 मीटर तक िनधा रत क गयी है।
काया वयन:
हालां क, तटीय िविनयमन े (CRZ) संबंधी िनयम क ीय पयावरण मं ालय ारा बनाए गए ह, क तु, इनका काया वयन तटीय े
बंधन ािधकरण (Coastal Zone Management Authorities) के मा यम से रा य सरकार ारा कया जाता है।

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04 03-2022 hindi (Daily News Analysis)

  • 1. D A I L Y N E X T C A P S U L E W I L L H E L P Y O U T O P R O V I D E 2nd floor, shahar plaza, munshi pulia, indira nagar, lucknow Feel Free to call us at: 9454721860 Follow us on:
  • 2. 1 www.iasnext.com कृ णा नदी जल िववाद (Krishna River water dispute) संदभ:  हाल ही म, कनाटक सरकार ारा महारा , कनाटक, आं देश और तेलंगाना रा य म बहने वाली कृ णा नदी के पानी के आवंटन पर िववाद से संबंिधत एक यािचका पर सुनवाई हेतु एक पीठ ग ठत करने क मांग करते ए सु ीम कोट म यािचका दायर क गयी है।  इस बीच, सु ीम कोट ने प कार से िववाद को ‘म य थता’ के ज रए सुलझाने क संभावना के बारे म पूछा है? संबंिधत करण: ‘कृ णा नदी जल िववाद’ (Krishna River water dispute) मामले क सुनवाई हेतु उ तम यायालय के जि टस डी वाई चं चूड़ और जि टस एएस बोप ा एक खंडपीठ ग ठत क गयी थी। हाल ही म, इन दोन यायाधीश ने, 10 जनवरी को एक तरह का उदहारण तुत करते ए अपने आप को उ मामले क सुनवाई से अलग कर िलया य क दोन यायाधीश मूलतः महारा और कनाटक के िनवासी है।  ‘कृ णा नदी जल िववाद’ म महारा , कनाटक तेलंगाना और आं देश रा य शािमल ह।  मामले से खुद को अलग करने वाले यायाधीश, जल िववाद का िनणय करने हेतु ग ठत पीठ का िह सा होने के कारण, उनके िखलाफ आ रहे ईमेल और प क भाषा और वृि से परेशान थे। अदालत म िववाद: कनाटक ने सु ीम कोट ारा 16 नवंबर, 2011 को पा रत आदेश से मुि दए जाने क मांग क गयी है। इस आदेश म अदालत ने, क सरकार को दसंबर 2010 म ‘कृ णा जल िववाद यायािधकरण II’ (KWDT) ारा कनाटक, त कालीन आं देश और महारा को कृ णा नदी के पानी का आवंटन करने संबंधी जारी अंितम आदेश को, अंतर-रा यीय जल िववाद अिधिनयम, 1956 क धारा 6(1) के तहत, आिधका रक राजप म कािशत करने से रोक दया था। अिधकरण के आदेश का काशन, इसके काया वयन के िलए एक आव यक पूव-शत है। कृ णा जल िववाद यायािधकरण (KWDT) का िनणय: कृ णा नदी जल िववाद क शु आत पूववत हैदराबाद और मैसूर रयासत के बीच ई थी, जो क बाद म ग ठत महारा , कनाटक, आं देश और तेलंगाना रा य बीच जारी है। अंतर-रा यीय नदी जल िववाद अिधिनयम, 1956 के तहत वष 1969 म कृ णा जल िववाद यायािधकरण (Krishna Water Disputes Tribunal– KWDT) का गठन कया गया था, िजसके ारा वष 1973 म अपनी रपोट तुत क गयी। कृ णा नदी जल िववाद यायािधकरण क वष 1976 म कािशत रपोट म कृ णा नदी जल के 2060 TMC (हजार िमिलयन यूिबक फ ट) को 75 ितशत िनभरता के आधार पर तीन भाग म पर िवभािजत कया गया था: 1. महारा के िलए 560 TMC 2. कनाटक के िलए 700 TMC 3. आं देश के िलए 800 TMC संशोिधत आदेश: रा य के म य असंतोष कये जाने पर वष 2004 म दूसरे कृ णा जल िववाद यायािधकरण (KWDT) का गठन कया गया।
  • 3. 2 www.iasnext.com  दूसरे KWDT ारा वष 2010 म अपनी अंितम रपोट तुत क गयी। इस रपोट म 65 ितशत िनभरता के आधार पर कृ णा नदी के अिधशेष जल का 81 TMC महारा को, 177 TMC कनाटक को तथा 190 TMC आं देश के िलये आवं टत कया गया था। आदेश अभी तक कािशत य नह कया गया? वष 2014 म तेलंगाना को एक अलग रा य के प म ग ठत कये जाने के प ात, आं देश ारा तेलंगाना को KWDT म एक अलग प कार के प म शािमल करने और कृ णा नदी-जल को तीन के बजाय चार रा य म आवं टत कये जाने क मांग क जा रही है। अकादिमक ेिडट बक (Academic Bank of Credit) संदभ: देश म इस शै िणक वष से ‘अकादिमक े िडट बक’ (Academic Bank of Credit – ABC) के लागू कए जाने क संभावना है। य िप, इस योजना के कई लाभ और दोष तथा ऐसे मु े ह, योजना के लागू होने से पहले िजनका समाधान कए जाने क अभी भी आव यकता है। योजना से संबंिधत चंताएँ और चुनौितयाँ:  ‘अकादिमक े िडट बक’ (ABC) से सुिनयोिजत एवं वि थत िश ा भािवत होगी। छा को िविभ िव िव ालय से कॉलेज बदलने म मुि कल हो सकती है।  िजस िव िव ालय या कॉलेज म छा पढता है, नाम और िश ा क गुणव ा के संदभ म, उसके कॉलेज या िव िव ालय बदलने के समय फक पड़ता है।  दूर थ सं थान पर भाव: के वल ‘रा ीय मू यांकन एवं यायन प रषद’ (NAAC) ारा सूचीब सं थान ही ‘अकादिमक बक ऑफ े िडट’ म शािमल हो सकते ह। यह ावधान, पहले से ही हािशए पर ि थत दूर थ सं थान को और अिधक हािशए पर जाने के िलए िववश कर सकता है।  ‘अकादिमक े िडट बक’ को लागू करने हेतु अपनी नीितय म प रवतन करने क आव यकता पर, िविभ राजनीितक दल ारा शािसत िविभ रा य के बीच िहत का टकराव हो सकता है।  पहले से ही काफ अिधक मांग वाले मुख सं थान म, ‘अकादिमक े िडट बक’ के तहत छा को अित र सीट दान करने से सं थान के िलए अित र लागत वहन करनी होगी। ‘अकादिमक े िडट बक’ (ABC) या है?  ‘एके डिमक बक ऑफ े िडट’ को ‘िव िव ालय अनुदान आयोग’ (UGC) ारा थािपत कया जाएगा।  इसके तहत, छा के िलए कसी पा म म वेश करने और उसे पूरा करने के कई िवक प दए जाएंगे।  ‘अकादिमक े िडट बक’ के तहत, छा के िलए कसी िड ी या पा म को छोड़ने और संबंिधत माण प ा करने का िवक प दया जाएगा। एक िनि त समय के प ात, छा , अपनी अधूरी छोड़ी ई पढाई को उसी तर से पुनः शु कर सकते ह।
  • 4. 3 www.iasnext.com  इसके ारा छा को कसी िड ी को पूरा करते समय या कसी पा म को छोड़ने के दौरान सं थान बदलने क सुिवधा भी दान क जाएगी। कायिविध: ‘अकादिमक े िडट बक’ एक वचुअल टोर-हाउस है, जो एक छा के ‘एके डिमक े िडट’ का रकॉड रखेगा। यह, सीधे छा से कसी भी पा म के कोई े िडट कोस द तावेज़ वीकार नह करेगा, बि क के वल उ िश ा सं थान से, छा के खात म जमा ‘ े िडट कोस’ द तावेज़ को वीकार करेगा। लाभ: ‘अकादिमक े िडट बक’ े िडट स यापन, े िडट संचय, े िडट ांसफर, छा के िवमोचन और छा के मोशन म मदद करेगा। आसन श द म: ‘अकादिमक े िडट बक’ (Academic Bank of Credit) के तहत, कोई भी छा , कई वेश और िनकास िवक प क स िलयत के साथ, कसी भी उ िश ा सं थान से िड ी हािसल कर सकता है। एक ही कॉलेज म तीन साल िबताने के बजाय, कोई छा एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज म आसानी से ि वच कर सकता है। िड ी हािसल करने के िलए, छा के िलए अपने अकाउंट (खाते) म एक िनि त सं या म ‘ े िडट’ रखना आव यक होगा।  उदाहरण के िलए, य द बीकॉम का कोई छा , कसी कॉलेज म पढ़ता है, तो एक साल बाद वह अपना कॉलेज बदल भी सकता है। और, एक अंतराल के बाद उसी कोस म शािमल हो सकता है।  तब तक, छा ारा उस एक वष म अ जत ‘ े िडट’ उसके ABC अकाउंट म रखे जाएंगे तथा छा ारा कसी अ य कॉलेज म उसी पा म म वेश लेने पर, इन ‘ े िड स’ का उपयोग कया जा सकता है। थायी संधु आयोग (Permanent Indus Commission) संदभ: एक से तीन माच के तक चलने वाली ‘ थायी संधु आयोग’ (Permanent Indus Commission) क वा षक बैठक म भाग लेने हेतु 10 सद यीय भारतीय ितिनिधमंडल पा क तान का दौरा करेगा। ‘ संधु जल संिध’ (Indus Water Treaty) के तहत, ित वष 31 माच तक कम से कम एक बार, बारी-बारी से भारत और पा क तान म िनयिमत प से ‘ थायी संधु आयोग’ क बैठक आयोिजत कया जाना अिनवाय है। मह व: दोन देश के बीच ‘ संधु जल समझौते’ पर ह ता र के बाद, भारतीय ितिनिधमंडल म पहली बार तीन मिहला अिधकारी भी भाग लगी, तथा बैठक के दौरान िविभ मु पर भारतीय आयु को सलाह देगी। बैठक म चचा के क ीय बंदु: बैठक के एजडे म, ज मू और क मीर म िचनाब बेिसन म ‘पाकल दुल’ (Pakal Dul) (1,000 मेगावाट), लोअर कलनई (Lower Kalnai) (48 मेगावाट) और क (Kiru) (624 मेगावाट) और ल ाख म थािपत क जाने वाली कु छ छोटी जलिव ुत प रयोजना पर पा क तान क आपि य पर चचा होने क संभावना है।
  • 5. 4 www.iasnext.com संधु जल संिध के बारे म: यह एक जल-िवतरण समझौता है, िजस पर वष 1960 म, िव बक क म य थता से भारत के धानमं ी जवाहरलाल नेह तथा पा क तान के रा पित अयूब खान ने ह ता र कए थे। भारत और पा क तान के बीच संधु नदी के जल का बटवारा: संधु जल समझौते (Indus Water Treaty – IWT) के अनुसार, तीन पूव न दय - रावी, यास और सतलज- के पानी पर भारत को पूरा िनयं ण दान कया गया। पा क तान ारा पि मी न दय - संधु, िचनाब और झेलम – को िनयंि त कया जाता है।  1960 म भारत और पा क तान के म य ह ता रत ‘ संधु जल संिध’ के ावधान के तहत, पूव न दय – सतलुज, यास और रावी – क कु ल जल क रािश का लगभग 33 िमिलयन एकड़-फ ट (MAF) सालाना भारत को िबना रोक टोक के उपयोग करने के िलए आवं टत कया जाता है।  पि मी न दय – संधु, झेलम और िचनाब – का लगभग 135 MAF जल सालाना, पूरी तरह से पा क तान ारा उपयोग कया जाता है। जलिव ुत उ पादन का अिधकार:  संधु जल समझौते के तहत, भारत को ‘िडजाइन और संचालन के िलए िविश मानदंड के अधीन’ पि मी न दय पर बहती ई नदी पर प रयोजना (Run of the River Projects) के मा यम से जलिव ुत उ प करने का अिधकार दया गया है।  समझौते के तहत, पा क तान को पि मी न दय पर भारतीय जलिव ुत प रयोजना के िडजाइन पर चंता करने का अिधकार भी है। थायी संधु आयोग: थायी संधु आयोग (Permanent Indus Commission), भारत और पा क तान के अिधका रय क सद यता वाला एक ि प ीय आयोग है, इसका गठन संधु जल संिध, 1960 के ल य को कायाि वत करने तथा इनका बंधन करने के िलए कया गया था।  ‘ संधु जल समझौते’ के अनुसार, इस आयोग क , वष म कम से कम एक बार, बारी-बारी से भारत और पा क तान म िनयिमत प से बैठक आयोिजत क जानी चािहए। आयोग के काय:  न दय के जल संबंधी कसी भी सम या का अ ययन करना तथा दोनो सरकार को रपोट करना।  जल बंटवारे को लेकर उ प िववाद को हल करना।  प रयोजना थल और नदी के मह वपूण िसर पर होने वाले काय के िलए तकनीक िनरी ण क व था करना।  येक पाँच वष म एक बार, त य क जांच करने के िलए न दय के िनरी ण हेतु एक सामा य दौरा करना।  समझौते के ावधान के काया वयन हेतु आव यक कदम उठाना। ीिल स लंक: 1. संधु और उसक सहायक न दयाँ। 2. संधु जल समझौते पर ह ता र कब कए गए थे? 3. समझौते को कसने भंग कया? 4. समझौते क मु य िवशेषताएं? 5. थायी संधु आयोग के काय। 6. इससे संबंिधत च चत पनिबजली प रयोजनाएं।
  • 6. 5 www.iasnext.com डाक एनज एवं डाक मैटर (Dark Energy and Dark Matter) संदभ:  खगोलीय े ण से पता चलता है, क ांड का एक मह वपूण िह सा ‘डाक मैटर’ (Dark Matter) से बना आ है, जो क केवल गु वाकषण खंचाव के मा यम से शेष ांड के साथ अंतः या करता है।  योगशाला म कए गए कई बड़े योग म डाक मैटर के संभािवत ‘मौिलक कण ’ का पता लगाने क कोिशश क गयी है। हालां क, अब तक इन डाक मैटर कण का पता नह चल सका है। डाक मैटर का आकलन: शोधकता ारा ‘ल संग िस ेचर’ के ‘अ े ण’ (Non-Observation) अथात ‘ल संग िस ेचर’ (Lensing Signatures) के दखाई नह देने का उपयोग यह आकलन करने के िलए कया जाता है, क लैक होल का कतना भाग ‘डाक मैटर’ से बना आ हो सकता है। चूं क ‘गु वाकषण ल संग’ (Gravitational lensing) डाक मैटर क मा ा और िवतरण के ित य प से संवेदनशील होती है, अतः यह ‘ ांड िव ािनय ’ के िलए काफ उपयोगी होती है। ‘गु वाकषण ल संग’ एवं इसक यािविध: ‘गु वाकषण ल संग’, आइं टीन के ‘सामा य सापे ता िस ांत’ (Theory of General Relativity) का एक भाव है – सीधे श द म कह, तो ‘ मान’, काश को मोड़ देता है।  कसी िवशालकाय पंड का गु वाकषण े अंत र म काफ दूर तक िव ता रत होता है, और उस पंड के करीब से गुजरने वाली काश करण को (और अपने गु वाकषण े के मा यम से) कसी अ य दशा म मोड़ने और दोबारा से क त करने का कारण बनता है।  पंड, िजतनी अिधक िवशालकाय होता है, उसका गु वाकषण े उतना ही सश होता है और इसिलए काश करण का झुकाव भी अिधक होता है। िजस कार ‘ऑि टकल लस’ बनाने के िलए सघन साम ी का उपयोग करने से ‘अपवतन’ क मा ा अिधक होती है। ‘डाक एनज ’ या है? अब तक िजतना कु छ ात है उससे कही अिधक अ ात है। हम अंत र म ‘डाक एनज ’ (Dark Matter) क मौजूद मा ा के बारे म जानते ह, य क हम यह ात है क यह ांड के िव तार को कस कार भािवत करती है। इसके अलावा, ‘डाक एनज ’ एक पूण रह य है। यह एक अित मह वपूण रह य है, य क ांड का लगभग 68% िह सा ‘डाक एनज ’ से ही बना आ है।  ‘डाक एनज ’ ऊजा का एक का पिनक प है, जो गु वाकषण के िवपरीत वहार करते ए एक नकारा मक, ितकारक दबाव को दशाती है।  यह, हमारे ांड के िव तार क दर को धीमा करने के बजाय समय के साथ तेज कर रही है, जो क िबग बग से उ प ए ांड से जो अपे ा क जा सकती है, उसके ठीक िवपरीत है। ‘डाक एनज ’, डाक मैटर से कस कार िभ है? हम जो कु छ भी देखते ह – ह, चं मा, िवशाल आकाशगंगाएँ – यह ांड का 5% से भी कम िह सा ह। पूरे ांड म, लगभग 27% डाक मैटर है और 68% डाक एनज है।
  • 7. 6 www.iasnext.com  ‘डाक मैटर’ (Dark Matter), आकाशगंगा को पर पर आक षत करता है और एक साथ जोड़कर रखता है, और ‘डाक एनज ’ हमारे ांड के िव तार का कारण बनती है।  डाक मैटर के अि त व का संके त 1920 के दशक म िमल गया था, जब क ‘डाक एनज ’ क खोज वष 1998 तक नह ई थी। XENON1T योग के बारे म: यह िव का सबसे संवेदनशील ‘डाक मैटर’ योग है, और इसे इटली क ‘INFN लेबोरेटोरी नािज़योनाली डेल ान सासो’ (INFN Laboratori Nazionali del Gran Sasso) म भूिमगत प से काफ गहराई म संचािलत कया जा रहा है। इस योग म, दोहरे चरण (तरल/गैस) वाली ज़ीनान (XENON) तकनीक का उपयोग कया गया है। सामा य सापे ता का िस ांत: भौितक के मुख िस ांत म ‘डाक एनज ’ को अंत र का एक िविश गुण माना जाता है। ‘अ बट आइं टीन’ यह समझने वाले पहले ि थे क अंत र मा खाली जगह नह है। उ ह ने यह भी कहा क, अंत र का िव तार होना भी जारी रह सकता है। अ य वै ािनक के िवचार म ा ड ि थर था, इसे देखते ए, आइं टीन ने अपने ‘सामा य सापे ता के िस ांत’ (Theory of General Relativity) म, ‘ ा ड संबंधी ि थरांक’ को शािमल कया था।  हबल दूरबीन से ांड के िव ता रत होने क जानकारी िमलने के बाद, आइं टीन ने अपने ‘ि थरांक’ को अपनी “सबसे बड़ी भूल” कहा।  ले कन, आइं टीन क यह भूल ‘डाक एनज ’ को समझने के िलए सबसे उपयु हो सकती है। यह अनुमान लगाते ए क ‘ र थान’ क भी अपनी ऊजा हो सकती है, आइं टीन के ‘ि थरांक’ इंिगत करता है क जैसे-जैसे अंत र का िनमाण होता जाता है, ांड म अिधक ऊजा जुड़ती जाएगी, और इसका िव तार होता जाएगा। नासा का लूसी िमशन (NASA’s Lucy mission) संदभ: ‘लूसी िमशन’ (Lucy mission) के तहत भेजा गया अंत र यान अगले 12 वष म िजन कु छ ु ह का मण करेगा, ‘यूरीबे स’ (Eurybates) उन ु ह म से एक है।  हाल ही म, ‘लास वेगास’ म खगोलिवद ने एक तारे का अवलोकन करने के दौरान, उस तारे को कु छ समय के िलए गायब होते ए देखा, य क ‘यूरीबे स’ ु ह इस तारे के सामने से होकर गुजरा था।  जैसे ही यूरीबे स ने तारे को अपनी छाया म िलया – वै ािनक श दावाली म इस घटना को ‘ हण’ (Occultation) कहा जाता है- ु ह के आकार क लगभग एक 40-मील- (64- कलोमीटर-) चौड़ी छाया इस े के ऊपर से गुजरती ई देखी गयी।  इस जानकारी का उपयोग ‘लूसी िमशन’ के शोधकता ारा, वष 2027 म लूसी अंत र यान के यूरीबे स के नजदीक से गुजरने के दौरान एक कए गए डेटा को पूरा करने के िलए कया जाएगा। ‘आक टेशन’ या ‘ हण’ या होता है?  एक खगोलीय पंड के कसी अ य खगोलीय पंड के सामने से गुजरने के दौरान, पहला पंड, दूसरे पंड को पयवे क क दृि से ओझल कर देता है। इस ज टल प रघटना को ‘ हण’‘ या ‘आक टेशन’ (Occultations) कहा जाता है।
  • 8. 7 www.iasnext.com  इस प रघटना का सबसे मुख उदाहरण ‘सूय हण’ है, जो चं मा के सूय और पृ वी के बीच से होकर गुजरने पर घ टत होती है। इस दौरान चं मा, सूय को हमारी दृि से ओझल कर देता है। ‘लूसी िमशन’ के बारे म: यह, बृह पित ह के ‘ ोजन ु ह ’ (Trojan asteroids) का अ वेषण करने हेतु नासा ारा भेजा जाने वाला पहला िमशन है।  यह िमशन, सौर ऊजा से संचािलत है।  इस िमशन के पूरा होने म 12 साल से अिधक लंबा समय लगने का अनुमान है। इस दौरान, अंत र यान “युवा सौर मंडल” के बारे म जानकारी हािसल करने के िलए लगभग 6.3 िबिलयन कमी क या ा करते ए ‘आठ ु ह ’ का दौरा करेगा। िमशन का उ े य: ‘लूसी िमशन’ को ‘ ोजन ु ह ’ के समूह म शािमल िविवध ु ह क संरचना को समझने, ु ह के मान और घन व को िनधा रत करने तथा ोजन ु ह क प र मा करने वाले उप ह और रंग को देखने और उनका अ ययन करने के िलए िडज़ाइन कया गया है। ‘ ोजन ु ह’ के बारे म: ‘ ोजन ु ह ’ (Trojan asterids) को ारंिभक सौर मंडल का अवशेष माना जाता है, और इनका अ ययन करने से वै ािनक को इनक उ पि , िवकास और इनके व मान व प को समझने म मदद िमलेगी। माना जाता है, क इन ‘ ु ह ’ क उ पि , लगभग 4 अरब साल पहले सौर मंडल का िनमाण होने के साथ ही ई थी, और ोजन ु ह का िनमाण, उ ही पदाथ से आ है, िजनसे सौर मंडल के अ य ह बने थे। तटीय िविनयमन े (CRZ) मानदंड (Coastal Regulation Zone norms) संदभ: ‘अवैध िनमाण’ एवं ‘तटीय िविनयमन े ’ (Coastal Regulation Zone – CRZ) िनयम के उ लंघन क िशकायत िमलने के बाद बृह मुंबई नगर िनगम (BMC) ारा जु म ि थत क ीय मं ी ‘नारायण राणे’ के बंगले का िनरी ण पूरा कर िलया गया है। संबंिधत करण: क ीय मं ी का बंगला ‘तटीय िविनयमन े ’ (CRZ) िनयम का उ लंघन करते ए, समु से 50 मीटर दूरी के भीतर अवैध प से बनाया गया है।. ‘तटीय िविनयमन े ’ मानदंड:  भारत के पयावरण संर ण अिधिनयम, 1986 क धारा 3 के तहत, पहली बार फरवरी 1991 म, ‘तटीय िविनयमन े ’ अिधसूचना जारी क गई थी।  वष 2018 म, तटीय िविनयमन े संबंधी नए िनयम जारी कए गए। इनका उ े य इस े म िनमाण पर लगे कु छ ितबंध को हटाना, अनापि या को सु वि थत करना और तटीय े म पयटन को ो सािहत करना था।
  • 9. 8 www.iasnext.com तटीय िविनयमन े मानदंड का उ े य: ये मानदंड, सागर तट से एक िनि त दूरी के भीतर कु छ िवशेष गितिविधय , जैसे- बड़े िनमाण, नए उ ोग क थापना, खतरनाक साम ी का भंडारण या िनपटान, खनन, भूिम-उपयोग प रवतन और बांध िनमाण पर रोक लगाते ह। ‘िविनयमन े ’ क प रभाषा: सभी िनयम म, िविनयमन े (Regulation Zone) को उ - वार रेखा से 500 मीटर तक के े के प म प रभािषत कया गया है। CRZ म ितबंध:  CRZ म ितबंध, े क आबादी, पा रि थितक संवेदनशीलता, कनारे से दूरी तथा े के ाकृितक उ ान अथवा व यजीव े के प म अिधसूिचत होने जैसे मानदंड पर िनभर करते है।  नए िनयम के अनुसार, मु यभूिम के तट के िनकटवत सभी ीप और मु य भूिम के सभी अ वाही जल वाले (Backwater) ीप के िलए 20 मीटर क सीमा तक नो-डेवलपमट ज़ोन घोिषत कया गया है। CRZ-III ( ामीण) के िलए ितबंधो क दो िभ ेिणय को िनधा रत कया गया है:  वष 2011 क जनगणना के अनुसार, 2,161 ित वग कमी जनसं या घन व सिहत घनी आबादी वाले ामीण े (CRZ- IIIA) म, नो-डेवलपमट ज़ोन क सीमा, उ - वार रेखा से 50 मीटर तक िनधा रत क गयी है, जब क पहले यह सीमा 200 मीटर थी।  CRZ-IIIB ेणी (2,161 ित वग कमी से कम जनसं या घन व वाले ामीण े ) म नो-डेवलपमट ज़ोन क सीमा, उ - वार रेखा से 200 मीटर तक िनधा रत क गयी है। काया वयन: हालां क, तटीय िविनयमन े (CRZ) संबंधी िनयम क ीय पयावरण मं ालय ारा बनाए गए ह, क तु, इनका काया वयन तटीय े बंधन ािधकरण (Coastal Zone Management Authorities) के मा यम से रा य सरकार ारा कया जाता है।