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1. D A I L Y N E X T
C A P S U L E W I L L
H E L P Y O U T O
P R O V I D E
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मृ युदंड
(Death Penalty)
संदभ:
एक िविश मामले म उठाए गए मु क जांच करते ए, हाल ही म सु ीम कोट ारा वतः सं ान लेते ए ‘अदालत ारा मौत क
सजा का फै सला सुनाने वाली या’ क समी ा कए जाने का िनणय कया गया है।
संबंिधत करण:
िसतंबर 2021 से मौत क सजा क अपील पर सुनवाई करते ए, सु ीम कोट ने बार-बार इस बात पर चंता क है, क ‘ ायल
कोट’ और उ यायालय ारा ब त कम ( ासंिगक) जानकारी के साथ मौत क सजा सुनाई जा रही है।
सु ीम कोट ारा क गई हािलया ट पिणयां:
बचन संह मामले (1980) के फै सले से संके त लेते ए, माच 2022 म यायमू त लिलत ने ‘मौत क सजा के मामल ’ पर एक ा यान
ृंखला म कहा था, क ऐसे मामल म अदालत क “पूण सहायता” के िलए न के वल मामले से संबंिधत सबूत पेश करने क आव यकता
होती है, बि क कै दी के मानिसक वा य क नवीनतम ि थित को भी तुत क जानी चािहए।
बचन संह बनाम पंजाब रा य (1980) म सु ीम कोट का फै सला:
इस फै सले म, कसी मृ युदंड क सजा के वल “दुलभतम” (Rarest of Rare) अपराध के मामले म दए जाने के िस ांत को थािपत
कया गया था, और सजा सुनाते समय अिभयु के संबंध म ‘उ ेजक’ तथा ‘गंभीरता कम करने वाली’ प रि थितय के तुलना मक
िव ेषण को अिनवाय कया गया था।
1. इस िनणय म यह िनधा रत कया गया, क अदालत के िलए अपराध एवं अपराधी दोन क जांच करनी चािहए, और फर यह
तय करना चािहए क मामले से संबंिधत त य के काश म मृ युदंड ही एकमात्र उपयु सजा है अथवा नह ।
2. इसके साथ ही, मामले से संबंिधत ‘उ ेजक’ तथा ‘गंभीरता कम करने वाले’ त य और प रि थितय पर पर िनभरता बढ़ाने
वाले कारक पर जोर दया गया था।
माची संह बनाम पंजाब रा य मामला (1983):
इस मामले म, सु ीम कोट ारा “दुलभतम” अपराध के िस ांत को प कया गया और मौत क सजा के मामल म कु छ मागदशक
िस ांत िनधा रत कए गए।
उ ेजक या भड़काऊ प रि थितय (Aggravating Circumstances) म, अपराध करने का तरीका, अपराध करने का
मकसद, अपराध क गंभीरता और अपराध से पीिड़त को शािमल कया गया था।
‘गंभीरता कम करने वाली प रि थितय ’ (Mitigating Circumstances) म, कसी आरोपी के सुधार और पुनवास क
संभावना, उसका मानिसक वा य और उसके िपछले जीवन को शािमल कया गया था।
सु ीमकोट के हािलया फै सले म मृ युदंड क यो यता और अिधरोपण पर दए गए सुझाव:
सुनवाई कर रहे यायाधीश को, महज अपराध क भयानक कृ ित और समाज पर इसके हािनकारक भाव, को देखते ए
‘मृ युदंड’ क सजा के प म नह जाना चािहए। यायाधीश को ऐसे मामल म, ऐसे कारक पर भी समान प से िवचार
करना चािहए, िजसक वजह से ‘मृ युदंड’ क सजा को कम करते ए ‘आजीवन कारावास’ क सजा सुनाई जा सकती है।
उ तम यायालय ने अपने इस फै सले म ‘दंडशा के िस ांत के िवकास’ (evolution of the principles of penology)
का हवाला देते ए कहा, क हालां क, ‘मृ युदंड’ एक िनवारक एवं “उपयु मामल म उिचत सजा के िलए समाज क मांग क
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ित या” के प म काय करता है। कं तु, ‘दंडशा ’ (Penology) के िस ांत “समाज के अ य दािय व को संतुिलत करने के
िलए िवकिसत ए ह”।
अथात, इन िस ांत के अनुसार, मानव जीवन- चाहे वह अिभयु ही य न हो – को संरि त कया जाना चािहए, जब तक
क अिभयु को मृ युदंड देना अप रहाय न हो जाए और इससे अ य सामािजक कारण और समाज के सामूिहक िववेक क
संतुि का सवाल सामने न आ जाए”।
‘मौत क सजा को लंबा करने’ और ‘पुन वचार यािचका ’ पर अदालत क ट पणी:
2014 म, सु ीम कोट ने एक फै सला सुनाते ए कहा, क िबना कसी प कारण के फांसी देने म देरी को ‘मृ युदंड’ को कम करने का
आधार माना जा सकता है, और कै दी या उसके र तेदार, या यहां तक क लोक-भावना से भरा कोई उ साही नाग रक, इस तरह क
सजा के लघुकरण कए जाने क मांग करते ए एक रट यािचका दायर कर सकता है।
फै सले म यह कहा गया है, क मौत क सजा के िन पादन को लंबे समय तक रोकने का ‘सजाया ता कै दय ’ पर “अमानवीय
भाव” पड़ता है। इन कै दय को, उनक दया यािचका के लंिबत रहने के दौरान मौत क छाया म वष तक इंतजार करने क
पीड़ा का सामना करना पड़ता है। और इस तरह क अ यिधक देरी से िनि त प से उनके शरीर और दमाग पर एक ददनाक
भाव पड़ेगा।
इसी वष, उ तम यायालय क एक संिवधान पीठ ने यह भी कहा क, मौत क सजा ा अपराधी क ‘पुन वचार यािचका’
पर खुली अदालत म तीन- यायाधीश क पीठ ारा सुनवाई क जाएगी। इससे पहले, ऐसे मामल पर, िबना कसी मौिखक
बहस के जज के चबर म दो जज क बच ारा िवचार कया जाता था।
आगे क चुनौितयां:
सव यायालय के सम काय क िवशालता को इस त य से समझा जा सकता है, क भारत म िनचली अदालत ारा 2022
म पहले ही 50 से अिधक लोग को मौत क सजा सुनाई जा चुक है और इनम अ सर या मक और मूल कानून का
उ लंघन कया गया होता है।
सु ीम कोट के िलए भारत म सभी अदालत म मौत क सजा सुनाए जाने म िन प ता और अनुकू लता म संतुलन लाना आसान
नह होगा, ले कन अदालत ारा इस मामले को सीधा समाधान करने हेतु चुना जाना िनि त प से उ लेखनीय एवं सराहना
यो य है।
रा ीय फ म िवकास िनगम (एनएफडीसी) िलिमटेड
(National Film Development Corporation (NFDC) Ltd)
संदभ:
हाल ही म सूचना एवं सारण मं ालय ारा, वृ िच और लघु फ म के िनमाण; फ म समारोह का आयोजन; फ म के संर ण
संबंधी अिधदेश ‘रा ीय फ म िवकास िनगम’ (National Film Development Corporation – NFDC) के िलए स प दए गए
ह। ‘रा ीय फ म िवकास िनगम’ (NFDC), ‘सूचना एवं सारण मं ालय’ क अधीन कायरत एक इकाई है।
इन इकाईय के पास उपल ध संपि य का वािम व क सरकार के पास रहेगा।
मह व:
इन सभी गितिविधय को एक बंधन के अंतगत लाने से, िविभ गितिविधय का अित ापन / ओवरलैप कम होगा और सावजिनक
संसाधन का बेहतर उपयोग सुिनि त होगा।
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पृ भूिम:
दसंबर, 2020 म, के न् ीय मंि मंडल ारा ‘रा ीय फ म िवकास िनगम’ (NFDC) का िवस्तार करते ए, इसके साथ अपनी
चार मीिडया इकाइय – फ म िडवीजन, फ म समारोह िनदेशालय, भारतीय राष् ीय फल्म अिभलेखागार और बाल
फल्म सोसायटी- के िवलय का िनणय िलया गया था।
मं ालय ारा जनवरी म इस संबंध म पूव सूचना एवं सारण सिचव िबमल जु का क अ य ता म ग ठत एक िवशेष
सिमित क िसफा रश को सावजिनक कया गया था।
फ म मीिडया िनकाय क भूिमकाएँ:
फ म भाग / िडवीजन (Films Division): भारतीय इितहास का सबसे बड़ा चल-िच सं ह (मू वंग-इमेज
रपोिजटरी) और ऑिडयो-िवजुअल रकॉड ‘ फ म भाग’ क थापना 1948 म, लोक सेवा जाग कता फ म बनाने, रा -
िनमाण या को फ माने तथा यूज़रील और वृ िच फ म का िनमाण और िवतरण करने के उ े य से क गयी थी। और
‘ फ म सलाहकार बोड’, ‘भारतीय सूचना फ म’, ‘भारतीय समाचार परेड’, और ‘सेना फ म’ और ‘फोटो ा फक यूिनट’ जैसी
औपिनवेिशक एजिसय को ‘ फ म भाग’ के िलए स प दया गया था।
इसके अिभलेखागार म, भारतीय फ म भाग ने अमू य INRS (भारतीय समाचार समी ा), वृ िच , लघु एवं एनीमेशन
फ म के 8000 से अिधक संकलन रखे ह।
बाल िच सिमित, भारत (Children’s Film Society, India – CFSI): 1955 म ग ठत, ‘बाल िच सिमित, भारत’ (CFSI)
को छोटे शहर और ामीण े म, तथा वंिचत ब के िलए, बाल फ म और मू य-आधा रत मनोरंजन का िनमाण करने का काम
स पा गया था।
भारतीय राष् ीय फल्म अिभलेखागार (National Film Archive of India – NFAI): 1964 म िस सं हालय अ य ‘पी के
नायर’ क अ य ता म थािपत, भारतीय राष् ीय फल्म अिभलेखागार (NFAI) को भारत म फ शन िसनेमा क िवरासत का पता
लगाने, ा करने और संरि त करने का काम स पा गया था।
फ़ म समारोह िनदेशालय (Directorate of Film Festivals – DFF): वष 1973 म थािपत ‘ फ़ म समारोह िनदेशालय’ (DFF)
को सां कृ ितक आदान- दान, दुिनया भर म भारतीय िसनेमा को बढ़ावा देने, रा ीय फ म पुर कार और दादासाहेब फा के
पुर कार, मुंबई अंतरा ीय फ म महो सव और गोवा म भारत के अंतरा ीय फ म महो सव का आयोजन करने का काम स पा गया है।
‘रा ीय फ म िवकास िनगम’ (NFDC): यह 1975 म थािपत एक सावजिनक उप म है, और इसके पूव सं करण को ‘ फ म िव
िनगम’ के नाम से जाना जाता था। इसका काम फ चर फ म का िव पोषण, िनमाण और िवतरण करना और मु यधारा से बाहर के
फ म िनमाता को बढ़ावा देनाहै। अपनी ‘ फ म बाजार वक-इन- ो ेस’ (Work-in-Progress – WIP) लैब के मा यम से,
NFDC युवा ितभा को पर पर अंतः या करने और सीखने के िलए एक मंच दान करता है।
इन इकाइय के िवलय के िवरोध का कारण:
पारद शता और जवाबदेही क कमी, और िवलय या को मनमाने तरीके से अंजाम दया गया है।
कमचा रय और वतं और वृ िच फ म िनमाता के भिव य तथा अिभलेखीय फु टेज – िजनको सरकार रा ीय िवरासत
घोिषत करना चाहती है- के बारे म आशंकाएं।
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भारत और नेपाल सीमा िववाद
(India and Nepal Border Dispute)
संदभ:
भारत और नेपाल ारा, हाल ही म, दोन धानमंि य के बीच ई बैठक म ‘कालापानी सीमा िववाद’ (Kalapani border
dispute) पर चचा क गयी।
भारत ने नेपाल से सीमा िववाद का “राजनीितकरण” कए जाने से बचने का भी आ ह कया है।
पृ भूिम:
नवंबर 2019 म, भारत के संशोिधत राजनीितक मानिच म ‘कालापानी-िलपुलेक- लंिपयाधुरा’ के ि कोणीय े को उ राखंड के े
के भीतर दशाया जाने के प ात् उ प कालापानी सीमा िववाद के बाद, नेपाल के नेता क यह पहली भारत या ा है।
‘कालापानी’ क अवि थित:
‘कालापानी’ (Kalapani), उ राखंड के िपथौरागढ़ िजले के पूव छोर पर ि थत है।
यह, उ र म चीन के अधीन ित बत वाय े के साथ तथा पूव और दि ण म नेपाल के साथ सीमा बनाता है।
यह लंिपयाधुरा (Limpiyadhura), िलपुलेख और कालापानी’ के बीच म ि थत है।
‘कालापानी े ’ नेपाल और भारत के बीच सबसे बड़ा े ीय िववाद है। इस े के अंतगत उ िहमालय म कम से
कम 37,000 हे टेयर भूिम शािमल है।
‘कालापानी े ’ पर िनयं ण:
यह े भारत के िनयं ण म है ले कन नेपाल ऐितहािसक और मानिच क (काट ा फक) कारण से इस े पर अपना दावा
करता है।
िववाद क वजह:
‘कालापानी े ’ का नाम इससे होकर बहने वाली ‘काली नदी’ के नाम पर पड़ा है। इस े पर नेपाल का दावा इसी नदी पर आधा रत
है। 1814-16 म ए ‘गोरखा यु ’ / ‘एं लो-नेपाल यु ’ के प ात् काठमांडू के गोरखा शासक और ई ट इंिडया कं पनी के बीच
ह ता रत ‘सुगौली क संिध’ म ‘काली नदी’ को नेपाल क सीमा के प म िनधा रत कया गया था। सन् 1816 म संिध क पुि क
गई।
संिध के अंतगत, नेपाल को पि म म कु माऊ
ं -गढ़वाल और पूव म िस म के अपने े को खोना पड़ा था।
संिध के अनु छेद 5 के अनुसार, नेपाल के राजा ने काली नदी के पि म म ि थत े पर अपना दावा छोड़ दया। काली नदी,
उ िहमालय से िनकलती है और भारतीय उपमहा ीप के िव तृत मैदान से होकर वािहत होती है।
संिध के अनुसार, ि टश शासक ने काली नदी के पूव म पड़ने वाले े पर नेपाल के अिधकार को मा यता दी थी।
िववाद क उ पि के ऐितहािसक कारण:
1. नेपाल के िवशेष के अनुसार, काली नदी के पूव े क शु आत, नदी के उ म थल से मानी जानी चािहए। इनके अनुसार
नदी का उ म ोत ‘ लंिपयाधुरा’ के समीप पहाड़ म है, जो क नदी के शेष वाह े क तुलना म अिधक ऊ
ं चाई पर है।
2. नेपाल का दावा है, लंिपयाधुरा से नीचे क ओर बहती ए नदी क संपूण धारा के पूव म ि थत उ -पवतीय े उनका है।
3. दूसरी ओर भारत का कहना है, नदी का उ म कालापानी से होता है, और यही से उसक सीमा शु होती है।
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4. दोन देश के म य यह िववाद, मु य प से काली नदी के उ म थल और पहाड़ से होकर बहने वाली इसक कई सहायक
न दय क अलग-अलग ा या के कारण है।
5. काली नदी के पूव म ि थत े पर नेपाल का दावा, नदी के लंिपयाधुरा उ म पर आधा रत है, जब क भारत का कहना है,
क नदी वा तव म कालापानी के पास िनकलती है और इसीिलए इसका नाम ‘काली’ पड़ा है।
भारत का िलपुलेख (Lipulekh) पर िनयं ण:
1962 के यु म, ित बती पठार से लगे िहमालयी दर का मह व भलीभांित प हो गया था।
उस यु के दौरान, चीनी सेना ने तवांग म ि थत ‘से ला’ (Se La) दर का इ तेमाल कया और पूव म पु के मैदान तक
प ंच गई थी।
पूव म सै य हार ने प प से द शत कर दया क, ‘अपया प से सुरि त दर’ चीन के िखलाफ भारतीय सै य तैया रय
क एक बड़ी कमजोरी थे।
‘से ला’ दरा – िजसक कु छ हद तक कलेबंदी भी क गयी थी- क तुलना म ‘िलपुलेख’ दरा एकदम असुरि त था।
इसे देखते ए, नेपाली राजा मह ने द ली के साथ एक समझौता कया और इस े को सुर ा उ े य के िलए भारत को
स प दया।
1969 म, ि प ीय वाता के तहत ‘कालापानी’ को छोड़कर सभी चौ कय को हटा दया गया था।
नेपाल और भारत ने कहां चूक क है?
भारत और चीन के बीच 2015 के िलपुलेख समझौते- िजसके तहत भारत के मानसरोवर तीथया ा संबंध को नवीनीकृ त
कया गया था – के दौरान भारत और चीन ने नेपाल क चंता को प प से अनदेखा कर दया था।
तीथया ा और ित बत म ापार को बढ़ावा देने वाले इस समझौते से पहले, भारत या चीन, कसी भी प ने नेपाल से कोई
परामश अथवा राय नह ली।
वतमान ि थित:
कु छ समय पूव, नेपाल ारा संशोिधत
आिधका रक न शा कािशत कया गया
था, िजसमे काली नदी के उ म ोत लंिपयाधुरा
से लेकर ि कोणीय े के उ र-पूव म
कालापानी और िलपुलेख दर तक के े को
अपने े के प म शािमल कया गया है।
िपछले साल धानमं ी के .पी. शमा ओली ने
मानिच को संवैधािनक दजा देने के िलए
संिवधान संशोधन ताव भी तुत कया था।
भारतीय पयवे क का कहना है, क नेपाल
सरकार का यह कदम ‘कालापानी मु े’ पर
भिव य म कसी भी समाधान को लगभग
असंभव बना सकता है, य क इस ताव को
संवैधािनक गारंटी िमलने से इस िवषय पर
‘काठमांडू’ क ि थित दृढ़ हो जाएगी।
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ीलंका आ थक संकट
(Sri Lanka economic crisis)
संदभ:
वतमान म ीलंका एक क ठन आ थक संकट के दौर से गुजर रहा है।
मौजूदा ि थित:
देश म िवदेशी मु ा क भारी कमी हो चुक है।
ीलंका सरकार, धन सिहत अ य आव यक व तु के आयात हेतु भुगतान करने म असमथ है।
इसक वजह से देश म 13 घंटे तक क िबजली कटौती क जा रही है।
ीलंका के आम नाग रक भी आव यक व तु क कमी और बढ़ती मु ा फ ित का सामना कर रहे ह।
बीते माह अथात फरवरी तक देश का कु ल मु ा भंडार के वल 2.31 िबिलयन डॉलर ही बचा था, जब क इसको 2022 म
लगभग 4 िबिलयन डॉलर के ऋण चुकाना बाक है। इस ऋण म जुलाई म प रप होने वाला $ 1 िबिलयन का ‘अंतरा ीय
सॉवरेन बॉ ड’ (international sovereign bond – ISB) भी शािमल है।
ीलंका को इस ि थित क ओर ले जाने वाले कारक:
िमक सरकार ारा आ थक कु बंधन: एक के बाद एक आने वाली सरकार ने एक दोहरा घाटे – बजट क कमी तथा चालू
खाता घाटा – क ि थितयां उ प क और इसे जारी भी रखा।
वतमान सरकार क लोकलुभावन नीितयां: उदाहरण के िलए कर म कटौती।
महामारी का भाव: देश क मह वपूण ‘पयटन अथ व था’ म नुकसान और साथ ही िवदेशी िमक ारा देश म भेजे जाने
वाले धन क कमी।
चावल उ पादन म कमी: वष 2021 म वतमान सरकार ारा सभी रासायिनक उवरक पर ितबंध लगाने ताव कया गया
था, िजससे देश म चावल उ पादन म भारी कमी ई, हालं क बाद म इस फै सले को उलट दया गया था।
भारत से सहयोग:
भारत के साथ ह ता रत 500 िमिलयन डॉलर क ‘ े िडट लाइन’ के अंतगत, एक डीजल िशपमट के ज द ही ीलंका प ंचने
क उ मीद है।
ीलंका और भारत ने भोजन और दवा सिहत आव यक व तु के आयात के िलए $1 िबिलयन क े िडट लाइन पर ह ता र
कए ह।
ीलंका सरकार ने, नई द ली से कम से कम एक अरब डॉलर क मांग भी क है।
ीलंका क मदद करना भारत के िहत म य है?
मह वपूण प से, ीलंका का चीन के साथ म कोई भी मोहभंग, हंद- शांत े म चीन के ‘ ंग ऑफ़ पा स’ (String of
Pearls) के खेल से ीलंकाई ीपसमूह को बाहर रखने के भारत के यास को आसान बनाता है।
इस े म चीनी उपि थित और भाव को िनयंि त करना, भारत के िहत म है।
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अंतरा ीय सौर गठबंधन
(International Solar Alliance)
संदभ:
हाल ही म, नेपाल ‘अंतरा ीय सौर गठबंधन’ (International Solar Alliance – ISA) के े मवक समझौते’ पर ह ता र करने वाला
105वां सद य देश बन गया है।
अंतरा ीय सौर गठबंधन (ISA) के बारे म:
अंतरा ीय सौर गठबंधन (ISA) क प रक पना भारत और ांस ारा ‘सौर ऊजा समाधान ’ के मा यम से जलवायु प रवतन
के िखलाफ यास को संग ठत करने संबंधी संयु यास के प म क गई थी।
इसे 2015 म पे रस म आयोिजत ‘संयु रा े मवक क वशन ऑन लाइमेट चज’ (UNFCCC) म पा टय के 21व
स मेलन (COP21) म दोन देश के नेता ारा तुत कया गया था।
आईएसए, सौर ऊजा का उपयोग से ऊजा संबंधी ज रत को पूरा करने हेतु ‘कक रेखा’ और ‘मकर रेखा’ के बीच पूण या
आंिशक प से अवि थत, सौर संसाधन समृ देश का गठबंधन है।
पे रस घोषणाप म ‘आईएसए’ को अपने सद य देश के म य सौर ऊजा को बढ़ावा देने के िलए सम पत गठबंधन के प म
घोिषत कया गया है।
एक या मुख संगठन के प म, अंतरा ीय सौर गठबंधन (ISA) वैि क मांग म वृि हेतु, सौर मता समृ देश को एक
साथ लाता है, िजससे ऊजा क थोक खरीद से क मत म कमी आती है तथा मौजूदा सौर ौ ोिग कय को िव तार क सुिवधा
ा होती है।
अंतरा ीय सौर गठबंधन, मौजूदा सौर ौ ोिग कय के बड़े पैमाने पर प रिनयोजन क सुिवधा दान करता है, और सहयोगी
सौर अनुसंधान एवं िवकास और मता िनमाण को बढ़ावा देता है।
सिचवालय:
भारत और ांस ारा संयु प से ‘गु ाम’ म ‘अंतरा ीय सौर गठबंधन’ मु यालय क आधारिशला रखी गयी।
इनके ारा ह रयाणा के गु ाम म ि थत ‘रा ीय सौर ऊजा सं थान प रसर’ म आईएसए के अंत रम सिचवालय का उ ाटन
कया गया था।
उ े य:
‘अंतरा ीय सौर गठबंधन’ के मुख उ े य म 1,000GW से अिधक सौर उ पादन मता को वैि क प से प रिनयोिजत
करना तथा वष 2030 तक सौर ऊजा म 1000 िबिलयन अमे रक डॉलर से अिधक का िनवेश जुटाना शािमल है।
आईएसए के तहत, ौ ोिगक , आ थक संसाधन क उपल धता और िवकास, और भंडारण ौ ोिगक के िवकास, बड़े पैमाने
पर िविनमाण और नवाचार के िलए पूण पा रि थितक तं को स म बनाने क प रक पना क गयी है।
आव यकता:
कम लागत क ौ ोिगक से अिधक मह वाकां ी सौर ऊजा काय म को शु कया जा सकता है।
सौर ऊजा, स ती और िव सनीय ऊजा का मुख ोत है।
प रयोजना का सफल काया वयन, सावभौिमक ऊजा प ंच ल य (SDG 7) को हािसल करने म मह वपूण भूिमका िनभा
सकता है।
‘अंतरा ीय सौर गठबंधन’ के छह मुख काय म पयावरण संर ण के िलए एक ‘गेम चजर’ सािबत हो सकते ह।
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1. कृ िष उपयोग के िलए सौर अनु योग,
2. ापक तर पर वहनीय िव ,
3. िमनी ि ड,
4. सौर छत (Solar Rooftops)
5. ‘सौर ई-गितशीलता’ और भंडारण
6. बड़े पैमाने पर सौर पाक का िनमाण