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तेलंगाना के बोधन शहर म िशवाजी क ितमा पर िववाद
संदभ:
छ पित क ितमा क थापना को लेकरहो रहे िवरोध दशन के हंसक होने के बाद तेलंगाना के ‘बोधन शहर’ (Bodhan
town) म धारा 144 लागू कर दी गई है।
छ पित िशवाजी के बारे म मुख त य:
 ज म: वष 1627 म िशवनेर के कले म।
 िपता : शाहजी भ सले।
 माता : जीजा बाई।
 वष 1637 म अपने िपता से पूना क जागीर िवरासत म िमली।
छ पित िशवाजी क उपलि धयां:
ारंिभक दौर क उपलि धयां:
1. िशवाजी ने सबसे पहले बीजापुर के शासक को हराते ए रायगढ़, क डाना और तोरण पर िवजय ा क ।
2. 1647 म अपने अिभभावक दादाजी क डादेव क मृ यु के बाद िशवाजी ने उनक जागीर का पूण भार हण कया।
3. उसने मराठा सरदार चंदा राव मोरे को परािजत कर ‘जावली’ पर क जा कर िलया। इस िवजय के प ात् वह ‘मावला
े ’के वामी बन गए।
4. 1657 म, उ ह ने बीजापुर सा ा य पर हमला कया और क कण े म कई पहाड़ी कल पर क जा कर िलया।
5. बीजापुर के सु तान ने िशवाजी के िखलाफ यु करने के िलए अफजल खान को भेजा। ले कन िशवाजी ने 1659 म
अफजल खान क साहिसक तरीके से ह या कर दी थी।
िशवाजी के सै य अिभयान एवं िवजय:
 िशवाजी क सै य िवजय ने उ ह मराठा े म एक महान ि बना दया। मुगल बादशाह औरंगजेब, िशवाजी के
अधीन मराठा शि के हो रहे उदय को उ सुकतापूवक देख रहा था।
 औरंगजेब ने द न के मुगल सूबेदार‘शाइ ता खान’ को िशवाजी पर िनयं ण करने के िलए भेजा। इस यु म िशवाजी को
मुगल सेना के हाथ हार का सामना करना पड़ा और ‘पूना’पर वापस मुगल का अिधकार हो गया।
 ले कन, िशवाजी ने एक बार फर 1663 म पूना म शाइ ता खान के सै य िशिवर पर एक साहिसक हमला कया, और इस
यु म शाइ ता खान का बेटा मारा गया और शाइ ता खान घायल हो गया।
 1664 म, िशवाजी ने मुगल के मु य बंदरगाह सूरत पर हमला कया और उसे लूट िलया।
 औरंगजेब ने आमेर के राजा जय संह को भेजकर िशवाजी को हराने के िलए दूसरा यास कया। राजा जय संह ‘पुरंदर’
के कले को घेरने म सफल रहे।
पुरंदर क संिध,1665:
जून 1665 म िशवाजी और राजा जय संह थम (औरंगजेब के ितिनिध व) के बीच पुरंदर क संिध पर ह ता र कए गए थे।
 संिध के अनुसार, िशवाजी को अपने क जे वाले 35 कल म से 23 कल को मुगल को स पना पड़ा था।
 शेष 12 कले मुगल सा ा य के ित सेवा और िन ा क शत पर िशवाजी के अिधकार म रहने दए गए।
 दूसरी ओर, मुगल ने बीजापुर सा ा य के कु छ िह स पर िशवाजी के अिधकार को मा यता दी।
मुगल के िखलाफ नए िसरे से यु :
 िशवाजी ने 1670 म सूरत पर दूसरी बार हालमा कया और उसे लूट िलया।
 नए िसरे से मुगल के िखलाफ छेड़ी लड़ाई म िशवाजी ने लगातार जीत हािसल करते ए लगभग अपने सभी खोए ए
देश पर भी क जा कर िलया।
 1674 म िशवाजी ने रायगढ़ म रा यािभषेक कया गया और उ ह ने छ पित क उपािध धारण क ।
िशवाजी क शासिनक नीितयां:
िशवाजी ने एक सुदृढ़ शासन णाली क न व रखी। उनक शासन प ित म ‘राजा’ सरकार क धुरी था, और उसक सहायता के
िलए ‘अ धान’ नामक मंि प रषद का गठन कया गया था।
 पेशवा – िव और सामा य शासन। बाद म पेशवा धानमं ी बन गए।
 सर-ए-नौबत या सेनापित–सेनानायक, एक मानद पद।
 अमा य – महालेखाकार।
 वक़नवीस – खु फया, पो ट और घरेलू मामले।
 सिचव – प ाचार।
 सुमंत – समारोह के मुख।
 यायधीश – याय।
 पंिडतराव – दान और धा मक शासन।
राज व नीितयां:
भूिम को मापने के िलए ‘काठी’ (KATHI) नामक एक छड़ का उपयोग कया जाता था। भूिम को तीन ेिणय म वग कृ त कया
गया था – धान के खेत, बगीचे क भूिम और पहाड़ी भूिम।
कर: मराठा सा ा य के बाहर गल सा ा य या द न स तनत के पड़ोसी े म ‘चौथ’ और ‘सरदेशमुखी’ नामक कर वसूले कए
जाते थे।
 चौथ(Chauth),मराठ के हमल से बचने के िलए दए जाने वाला कर था, इसके तहत भू-राज व का एक चौथाई िह सा
कर के प म वसूला जाता था।
 सरदेशमुखी(Sardeshmukhi),मराठ ारा वंशानुगत अिधकार का दावा क जाने वाली भूिम पर उपज या आय पर
वसूला जाने वाला का दस ितशत अित र कर था।
िशवाजी सै य ितभा के धनी ि थे और उनक सेना अ छी तरह से संग ठत थी:
उनक मराठा घुड़सवार सेना दो िवभाग म िवभािजत थी:
 ‘बारगीर’ (Bargirs):रा य ारा सुसि त और भुगतान कया जाता था।
 िसलाहदार(Silahdars): सामंत ारा रखी जाने वाली सेना।
पैदल सेना म, मावली पैदल सैिनक क मह वपूण भूिमका थी।
रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग
(National Commission for Scheduled Tribes – NCST)
संदभ:
हाल ही म,एक संसदीय सिमित ारा स पी गयी रपोट के अनुसार, ‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ (National
Commission for Scheduled Tribes – NCST)िपछले चार वष सेिनि यहै, और आयोग ारा संसद को एक भी रपोट
नह दी गयी है।
आयोग क लंिबत रपोट म शािमल ह:
 आं देश म इं दरा सागर पोलावरम प रयोजना का जनजातीय आबादी पर पड़ने वाले भाव पर ‘आयोग’ ारा एक
अ ययन।
 राउरके ला टील लांट के कारण िव थािपत आ दवािसय के पुनवास और पुनवास पर एक िवशेष रपोट।
‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ (NCST) के कामकाज से जुड़ी चुनौितयां/मु े:
 जनशि और बजटीय कमी।
 पा ता मानक अ यिधक ऊ
ँ चे होने क वजह से आवेदक क कम सं या।
 िशकायत के समाधान और आयोग को ा होने वाले मामल के लंिबत होने क दर भी 50 ितशत के करीब है।
‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’के बारे म:
‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ (NCST) रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग क थापना अनु छेद 338 म संशोधन करके
और संिवधान (89वां संशोधन) अिधिनयम, 2003 के मा यम से संिवधान म एक नया अनु छेद 338A अंतः थािपत करके क
गयी थी।
इस संशोधन ारा त कालीन रा ीय अनुसूिचत जाित एवं रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग को 19 फरवरी, 2004 से दो अलग-
अलग आयोग नामतः (i) रा ीय अनुसूिचत जाित आयोग, और (ii) रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग म िवभ कया गया था।
संरचना:
अ य , उपा य तथा येक सद य के कायालय क अविध कायभार हण करने क ितिथ से तीन वष क होती है।
 अ य को संघ के मंि मंडल मं ी का दजा दया गया है, और उपा य रा य मं ी तथा अ य सद य सिचव, भारत
सरकार का दजा दया गया है।
 ‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ के सभी सद य क िनयुि रा पित ारा अपने ह ता र और मुहर के तहत वारंट
ारा क जाती है।
 आयोग के सद य म कम से कम एक मिहला सद य होना अिनवाय है।
 अ य , उपा य और अ य सद य 3 वष क अविध के िलए पद धारण करते ह।
 आयोग के सद य दो से अिधक कायकाल के िलए िनयुि के पा नह होते ह।
आयोग क शि यां:
आयोग म अ वेषण एवं जांच के िलए िसिवल यायालय क िन िलिखत शि याँ िनिहत क गयी ह:
1. कसी ि को हािजर होने के िलए बा य करना और समन करना तथा शपथ पर उसक परी ा करना;
2. कसी द तावेज का कटीकरण और पेश कया जाना;
3. शपथ पर सा य हण करना;
4. कसी यायालय या कायालय से कसी लोक अिभलेख या उसक ित क अ यपे ा करना,
5. साि य और द तावेज क परी ा के िलए कमीशन जारी करना; और
6. कोई अ य िवषय िजसे रा पित, िनयम ारा अवधा रत कर।
रपोट:
अनुसूिचत जनजाितय के क याण और सामािजक-आ थक िवकास से संबंिधत काय म /योजना के भावी काया वयन के िलए
आव यक सुर ा उपाय और उपाय के कामकाज पर आयोग ारा सालाना अपनी रपोटरा पित को तुत क जाती है।
ीिल स लंक:
1. NCST के बारे म।
2. NCSC के बारे म।
3. संबंिधत संवैधािनक ावधान
4. अनु छेद 338 और 338A के बारे म।
5. काय
फ़नलडाइज़ेशन
(Finlandization)
संदभ:
ांस के रा पित ने सुझाव दया है, क स-यू े न यु समा होने पर यू े न का ‘ फनलडकरण’ / फ़नलडाइज़ेशन
(Finlandization), यु का एक वा तिवक प रणाम हो सकता है।
‘ फ़नलडाइज़ेशन’ या है?
 फ़नलडाइज़ेशन (Finlandization)से ता पय, मॉ को ( स) और पि मी देश के बीच ‘तट थता क कड़ी नीित’ से
है। फनलड ने शीत यु के दशक के दौरान ‘तट थता क नीित’ का स ती से पालन कया था।
 ‘तट थता का िस ांत’ (Principle of Neutrality)का आधार‘िम ता, सहयोग और पार प रक सहायता’समझौते
(अथवाYYA संिध) म िनिहत है। इस समझौते पर फनलड ने अ ैल 1948 म USSR के साथ ह ता रत कए थे।
िनिहताथ:
संिध के अनु छेद 1 के अनुसार- “ फनलड, या फ़िनश े के मा यम से सोिवयत संघ पर, जमनी अथवा अ य सहयोगी देश
(अथात,अिनवाय प सेसंयु रा य अमे रका) ारा ारा सश हमले का िनशाना बनने क ि थित म, फ़नलडएक वतं देश के
प म अपने दािय व के ित स ी िन ा दखाते ए, हमले को रोकने के िलए यु करेगा”।
 ऐसे मामल म फनलड अपनी े ीय अखंडता क र ा के िलएभूिम, समु और वायु ारा अपने सभी उपल ध बल का
उपयोग करेगा, और फनलड क सीमा के भीतर वतमान समझौते म प रभािषत दािय व के अनुसार और, य द
आव यक हो, सोिवयत संघ क सहायता से या संयु प सेयु ितरोध करेगा।
 ऐसे मामल म, सोिवयत संघ फ़नलड के िलए आव यकतानुसार,अनुबंध करने वाले प के बीच आपसी समझौते के
अधीन, सहायता दान करेगा।
यू े न और फनलडकरण:
यू े न, जो पहले सोिवयत संघ का एक भाग था, स के भाव का िवरोध करते ए, आ थक और राजनीितक प से पि मी देश
क ओर तेजी से झुकता जा रहा है।
 2008 म, NATO के अनुसार,अंततः यू े न के गठबंधन म शािमल होने क योजना बनाई गयी थी, जो क यू े न म
एकलोकि य िवचार था। हालाँ क यू े नने वा तव म नाटो क सद यता के िलए कभी आवेदन नह कया था, और नाटो के
अिधका रय का कहना है क फ़लहाल िनकट भिव य म यू े न को गठबंधन म शािमल नह कया जाएगा।
 “ फनलडीकरण” या फ़नलडाइज़ेशन से ‘मा को’ को यू े न के मामल म मह वपूण ह त ेप करने क अनुमित दान
करेगा। और यह, यू े न के िलए नाटो और यूरोपीय संघ म शािमल होने के यास के िखलाफ होगा।
खुले सागर पर संिध
(Treaty of the High Seas)
संदभ:
हाल ही म, ‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े ’ (Marine Biodiversity of Areas Beyond National
Jurisdiction -BBNJ) के संर ण और सतत उपयोग पर एक द तावेज का मसौदा तैयार करने हेतु यूयॉक म ‘अंतर सरकारी
स मेलन’(Intergovernmental Conference क चौथी बैठक(IGC-4) आयोिजत क गई थी।
IGC-4 का आयोजन ‘संयु रा समु ी कानून संिध’ (United Nations Convention on Law of Seas – UNCLOS)के
तहत कया गया था।
BBNJसंिध के बारे म:
‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े ’ (Marine Biodiversity of Areas Beyond National
Jurisdiction – BBNJ) को ‘खुले सागर पर संिध’ या “उ समु क संिध” (Treaty of the High Seas)के प म भी जाना
जाता है।वतमान म, यह संिध संयु रा म वाता के अधीन,‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े के संर ण
और संधारणीय उपयोग’ पर एक अंतररा ीय समझौता है।
 यह नया द तावेज, समु म मानव गितिविधय को िनयंि त करने वाला मु य अंतररा ीय समझौता अथात ‘संयु रा
समु ी कानून संिध’ (UNCLOS) के ढांचे के भीतर िवकिसत कया जा रहा है।
 इसम, खुले सागर म समु ी गितिविधय के अिधक सम प से बंधन हेतु ावधान कए जाएंगे,िजससे समु ी
संसाधन के संर ण और सतत उपयोग को बेहतर ढंग से संतुिलत कया जा सके गा।
 ‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े ’ (BBNJ)के अंतगत ‘िवशेष आ थक े या देश के रा ीय
जल े से आगे के , खुले समु (High Seas)शािमल होते ह।
मह व:
 अंतरा ीय कृ ित संर ण संघ (IUCN) के अनुसार, ये े “पृ वी क सतह का लगभग आधा भाग” है।
 इन े को शायद ही िविनयिमत कया जाता है, और इन े क जैव िविवधता म बारे अ य प जानकारी उपल ध है
तथा अभी तक इस स दभ म यूनतम अ वेषण कए गए ह– इन े से के वल 1% े ही संरि त ह।
वाता समझौते के पांच िन िलिखत पहलू ह:
1. उ समु / खुले सागर म क जाने वाली गितिविधय का पयावरणीय भाव आकलन।
2. समु ी आनुवंिशक संसाधन का संर ण।
3. मता िनमाण।
4. ौ ोिगक ह तांतरण।
5. सं थागत संरचना और िव ीय सहायता जैसे ॉस-क टंग मु े।
कोयला आधा रत ताप िव ुत संयं म बायोमास के उपयोग पर रा ीय िमशन
(National Mission on use of Biomass in coal based thermal power plants)
संदभ:
हाल ही म, ‘वायु गुणव ा बंधन आयोग’ (Commission for Air Quality Management – CAQM) ारा ‘ताप िव ुत
संयं ’ म ‘बायोमास को-फाय रंग’ (Biomass Co-firing) या म गित क समी ा क गयी।
समी ा के दौरान, वायु गुणव ा बंधन आयोग ने इस बात पर गौर कया क ‘ताप िव ुत संयं ’ (टीपीपी) ारा को-फाय रंग
और टड रंग क दशा म वांिछत तर क गित नह क गई है।
पृ भूिम:
मई 2021 म, खेत म पराली जलाने से होने वाले वायु दूषण क सम या का समाधान करने और ताप िव ुत उ पादन के ‘काबन
फु ट ंट’ को कम करने के िलए, िव ुत मं ालय ारा ‘कोयला आधा रत ताप िव ुत संयं म बायोमास के इ तेमाल को लेकर एक
रा ीय िमशन’ (National Mission on use of Biomass in coal based thermal power plants) थािपत करने का
िनणय िलया गया था।
िमशन के उ े य:
1. ताप िव ुत संयं से काबन यू ल िबजली उ पादन का बड़ा िह सा पाने के िलए को-फाय रंग (Co-Firing) के तर को
वतमान 5 ितशत से बढ़ाकर उ तर तक ले जाना।
2. बायोमास ग म िसिलका तथा ार त व क अिधक मा ा को संभालने के िलए बॉयलर िडजाइन म अनुसंधान एवं
िवकास(R&D) गितिविधयां शु करना।
3. बायोमास ग एवं कृ िष अवशेष क आपू त ृंखला म बाधा को दूर करने और िबजली संयं तक इसके प रवहन क
सुिवधा दान करना।
4. बायोमास को-फाय रंग के संबंध म िनयामक मु पर िवचार करना।
काया वयन:
 िमशन म सिचव (िव ुत) क अ य ता म एक संचालन सिमित होगी िजसम पे ोिलयम और ाकृ ितक गैस मं ालय
(MoPNG), नवीन और नवीकरणीय ऊजा मं ालय (MNRE) आ द के ितिनिधय सिहत सभी िहतधारक शािमल ह गे।
 सीईए सद य (ताप) कायकारी सिमित के अ य ह गे। एनटीपीसी ारा तािवत रा ीय िमशन म रसद और बुिनयादी
ढांचा सहायता दान करने म बड़ी भूिमका िनभाई जाएगी।
‘बायोमास को-फाय रंग’ या है?
‘बायोमास को-फाय रंग’ (Biomass Co-firing)का ता पय, कसी बॉयलर के भीतर ाकृ ितक गैस और कोयले जैसे अ य धन के
साथ बायोमास पदाथ के बराबर मा ा म सि म ण और दहन से होता है।बायोमास को-फाय रंग से लागत और बुिनयादी ढांचे
मिबना को मह वपूण िनवेश कए, ऊजा उ पादन के िलए यु होने वाले जीवा म धन के इ तेमाल म कमी और उ सजन म
कटौती होती है।
को-फाय रंग’ के लाभ:
 बायोमास को-फाय रंग, ऊजा उ पादन हेतु जीवा म धन के इ तेमाल म कमी करने और इस कार ीनहाउस गैस के
उ सजन म कटौती करने के िलए एक आशाजनक तकनीक है।
 कोयला और बायोमास को-फाय रंग, लागू करने म आसान है, और वातावरण म काबनडाई ऑ साइड (CO2) एवंअ य
दूषक (SOx, NOx) के उ सजन को भावी प कम करने के िलए िज मेदार है।
 इस नए धन िम ण के िलए दहन आउटपुट को समायोिजत करने के बाद, बायोमास को कोयले के साथ दहन करने पर
बॉयलर क मता म कोई कमी नह होती है।
लाई ऐश
(Fly Ash)
हाल ही म, ‘पयावरण, वन और जलवायु प रवतन
मं ालय’ (MoEFCC) ारा नागपुर के कोराडी और
खापरखेड़ा म ि थत कोयला-चािलत िव ुत् संयं के
कारण होने वाली दूषण सम या क िनगरानी के िलए
एक सिमित बनाने के िनदश जारी कए गए ह। दोन
संयं को ‘ लाई-ऐश’ का शत- ितशत उपयोग सुिनि त
करने का भी िनदश दया गया है।
‘ लाई ऐश’ या होती है?
इसे आमतौर ‘िचमनी क राख’ अथवा ‘चू णत धन राख’ (Pulverised Fuel Ash) के प म जाना जाता है। यह कोयला दहन
से िन मत एक उ पाद होती है।
लाई ऐश का संयोजन:
यहकोयला-चािलतभ य (Boilers) से िनकलने वाले महीन कण से िन मत होती है।
 भ य म जलाये जाने वाले कोयलेके ोततथा उसक संरचनाके आधार पर, लाई ऐश के घटक काफ िभ होते ह, कं तु
सभी कार क लाई ऐश म िसिलकॉन डाइऑ साइड (SiO2), ए यूमीिनयम ऑ साइड (Al2O3) और कै ि शयम
ऑ साइड (CaO) पया मा ा म होते ह।
 लाई ऐश के सू म घटक म,आसिनक, बे रिलयम, बोरोन, कै डिमयम, ोिमयम, हे सावलट ोिमयम, कोबा ट, सीसा,
मगनीज, पारा, मोिल डेनम, सेलेिनयम, टयम, थैिलयम, और वैनेिडयम आ दपाए जाते है। इसम िबनाजले ए
काबन के कण भी पाए जाते है।
वा य एवं पयावरण संबंधी खतरे:
 िवषा भारी धातु क उप थित: लाई ऐश म पायी जाने वाली, िनकल, कै डिमयम, आसिनक, ोिमयम, लेड, आ द
सभी भारी धातुएं कृ ित म िवषा होती ह। इनके सू म व िवषा कण सन नािलका म जमा हो जाते ह तथा धीरे-
धीरे िवषा करण का कारण बनते रहते ह।
 िव करण: परमाणु संयं ो तथा कोयला-चािलत ताप संय से समान मा ा म उ प िव ुत् करने पर, परमाणु अपिश
क तुलना म लाई ऐश ारा सौ गुना अिधक िव करण होता है।
 जल दूषण: लाई ऐश नािलका के टूटने और इसके फल व प राख के िबखरने क घटनाएं भारत म अ सर होती
रहती ह, जो भारी मा ा म जल िनकाय को दूिषत करती ह।
 पयावरण पर भाव: आस-पास के कोयला आधा रत िव ुत् संयं से उ स जत होने वाले राख अपिश से म ोव का
िवनाश, फसल क पैदावार म भारी कमी, और क छ के रण म भूजल के दूषण को अ छी तरह से दज कया गया है।
लाई ऐश के उपयोग:
1. कं ट उ पादन, रेत तथा पोटलड सीमट हेतु
एक वैकि पक साम ीके प म।
2. लाई-ऐश कण के सामा य िम ण को कं ट
िम ण म प रव तत कया जा सकता है।
3. तटबंध िनमाण और अ य संरचना मक भराव।
4. सीमट धातुमल उ पादन – (िचकनी िम ी के
थान पर वैकि पक साम ी के प म)।
5. नरम िम ी का ि थरीकरण।
6. सड़क िनमाण।
7. ट िनमाण साम ी के प म।
8. कृ िष उपयोग: मृदासुधार, उवरक, िम ी
ि थरीकरण।
9. न दय पर जमी बफ िपघलाने हेतु।
10. सड़क और पा कग थल पर बफ जमाव िनयं ण हेतु।

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26-03-2022 (DAILY NEWS ANALYSIS)

  • 1. D A I L Y N E X T C A P S U L E W I L L H E L P Y O U T O P R O V I D E 2nd floor, shahar plaza, munshi pulia, indira nagar, lucknow Feel Free to call us at: 9454721860 Follow us on:
  • 2. तेलंगाना के बोधन शहर म िशवाजी क ितमा पर िववाद संदभ: छ पित क ितमा क थापना को लेकरहो रहे िवरोध दशन के हंसक होने के बाद तेलंगाना के ‘बोधन शहर’ (Bodhan town) म धारा 144 लागू कर दी गई है। छ पित िशवाजी के बारे म मुख त य:  ज म: वष 1627 म िशवनेर के कले म।  िपता : शाहजी भ सले।  माता : जीजा बाई।  वष 1637 म अपने िपता से पूना क जागीर िवरासत म िमली। छ पित िशवाजी क उपलि धयां: ारंिभक दौर क उपलि धयां: 1. िशवाजी ने सबसे पहले बीजापुर के शासक को हराते ए रायगढ़, क डाना और तोरण पर िवजय ा क । 2. 1647 म अपने अिभभावक दादाजी क डादेव क मृ यु के बाद िशवाजी ने उनक जागीर का पूण भार हण कया। 3. उसने मराठा सरदार चंदा राव मोरे को परािजत कर ‘जावली’ पर क जा कर िलया। इस िवजय के प ात् वह ‘मावला े ’के वामी बन गए। 4. 1657 म, उ ह ने बीजापुर सा ा य पर हमला कया और क कण े म कई पहाड़ी कल पर क जा कर िलया। 5. बीजापुर के सु तान ने िशवाजी के िखलाफ यु करने के िलए अफजल खान को भेजा। ले कन िशवाजी ने 1659 म अफजल खान क साहिसक तरीके से ह या कर दी थी। िशवाजी के सै य अिभयान एवं िवजय:  िशवाजी क सै य िवजय ने उ ह मराठा े म एक महान ि बना दया। मुगल बादशाह औरंगजेब, िशवाजी के अधीन मराठा शि के हो रहे उदय को उ सुकतापूवक देख रहा था।  औरंगजेब ने द न के मुगल सूबेदार‘शाइ ता खान’ को िशवाजी पर िनयं ण करने के िलए भेजा। इस यु म िशवाजी को मुगल सेना के हाथ हार का सामना करना पड़ा और ‘पूना’पर वापस मुगल का अिधकार हो गया।  ले कन, िशवाजी ने एक बार फर 1663 म पूना म शाइ ता खान के सै य िशिवर पर एक साहिसक हमला कया, और इस यु म शाइ ता खान का बेटा मारा गया और शाइ ता खान घायल हो गया।  1664 म, िशवाजी ने मुगल के मु य बंदरगाह सूरत पर हमला कया और उसे लूट िलया।  औरंगजेब ने आमेर के राजा जय संह को भेजकर िशवाजी को हराने के िलए दूसरा यास कया। राजा जय संह ‘पुरंदर’ के कले को घेरने म सफल रहे। पुरंदर क संिध,1665: जून 1665 म िशवाजी और राजा जय संह थम (औरंगजेब के ितिनिध व) के बीच पुरंदर क संिध पर ह ता र कए गए थे।  संिध के अनुसार, िशवाजी को अपने क जे वाले 35 कल म से 23 कल को मुगल को स पना पड़ा था।  शेष 12 कले मुगल सा ा य के ित सेवा और िन ा क शत पर िशवाजी के अिधकार म रहने दए गए।  दूसरी ओर, मुगल ने बीजापुर सा ा य के कु छ िह स पर िशवाजी के अिधकार को मा यता दी।
  • 3. मुगल के िखलाफ नए िसरे से यु :  िशवाजी ने 1670 म सूरत पर दूसरी बार हालमा कया और उसे लूट िलया।  नए िसरे से मुगल के िखलाफ छेड़ी लड़ाई म िशवाजी ने लगातार जीत हािसल करते ए लगभग अपने सभी खोए ए देश पर भी क जा कर िलया।  1674 म िशवाजी ने रायगढ़ म रा यािभषेक कया गया और उ ह ने छ पित क उपािध धारण क । िशवाजी क शासिनक नीितयां: िशवाजी ने एक सुदृढ़ शासन णाली क न व रखी। उनक शासन प ित म ‘राजा’ सरकार क धुरी था, और उसक सहायता के िलए ‘अ धान’ नामक मंि प रषद का गठन कया गया था।  पेशवा – िव और सामा य शासन। बाद म पेशवा धानमं ी बन गए।  सर-ए-नौबत या सेनापित–सेनानायक, एक मानद पद।  अमा य – महालेखाकार।  वक़नवीस – खु फया, पो ट और घरेलू मामले।  सिचव – प ाचार।  सुमंत – समारोह के मुख।  यायधीश – याय।  पंिडतराव – दान और धा मक शासन। राज व नीितयां: भूिम को मापने के िलए ‘काठी’ (KATHI) नामक एक छड़ का उपयोग कया जाता था। भूिम को तीन ेिणय म वग कृ त कया गया था – धान के खेत, बगीचे क भूिम और पहाड़ी भूिम। कर: मराठा सा ा य के बाहर गल सा ा य या द न स तनत के पड़ोसी े म ‘चौथ’ और ‘सरदेशमुखी’ नामक कर वसूले कए जाते थे।  चौथ(Chauth),मराठ के हमल से बचने के िलए दए जाने वाला कर था, इसके तहत भू-राज व का एक चौथाई िह सा कर के प म वसूला जाता था।  सरदेशमुखी(Sardeshmukhi),मराठ ारा वंशानुगत अिधकार का दावा क जाने वाली भूिम पर उपज या आय पर वसूला जाने वाला का दस ितशत अित र कर था। िशवाजी सै य ितभा के धनी ि थे और उनक सेना अ छी तरह से संग ठत थी: उनक मराठा घुड़सवार सेना दो िवभाग म िवभािजत थी:  ‘बारगीर’ (Bargirs):रा य ारा सुसि त और भुगतान कया जाता था।  िसलाहदार(Silahdars): सामंत ारा रखी जाने वाली सेना। पैदल सेना म, मावली पैदल सैिनक क मह वपूण भूिमका थी।
  • 4. रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग (National Commission for Scheduled Tribes – NCST) संदभ: हाल ही म,एक संसदीय सिमित ारा स पी गयी रपोट के अनुसार, ‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ (National Commission for Scheduled Tribes – NCST)िपछले चार वष सेिनि यहै, और आयोग ारा संसद को एक भी रपोट नह दी गयी है। आयोग क लंिबत रपोट म शािमल ह:  आं देश म इं दरा सागर पोलावरम प रयोजना का जनजातीय आबादी पर पड़ने वाले भाव पर ‘आयोग’ ारा एक अ ययन।  राउरके ला टील लांट के कारण िव थािपत आ दवािसय के पुनवास और पुनवास पर एक िवशेष रपोट। ‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ (NCST) के कामकाज से जुड़ी चुनौितयां/मु े:  जनशि और बजटीय कमी।  पा ता मानक अ यिधक ऊ ँ चे होने क वजह से आवेदक क कम सं या।  िशकायत के समाधान और आयोग को ा होने वाले मामल के लंिबत होने क दर भी 50 ितशत के करीब है। ‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’के बारे म: ‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ (NCST) रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग क थापना अनु छेद 338 म संशोधन करके और संिवधान (89वां संशोधन) अिधिनयम, 2003 के मा यम से संिवधान म एक नया अनु छेद 338A अंतः थािपत करके क गयी थी। इस संशोधन ारा त कालीन रा ीय अनुसूिचत जाित एवं रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग को 19 फरवरी, 2004 से दो अलग- अलग आयोग नामतः (i) रा ीय अनुसूिचत जाित आयोग, और (ii) रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग म िवभ कया गया था। संरचना: अ य , उपा य तथा येक सद य के कायालय क अविध कायभार हण करने क ितिथ से तीन वष क होती है।  अ य को संघ के मंि मंडल मं ी का दजा दया गया है, और उपा य रा य मं ी तथा अ य सद य सिचव, भारत सरकार का दजा दया गया है।  ‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ के सभी सद य क िनयुि रा पित ारा अपने ह ता र और मुहर के तहत वारंट ारा क जाती है।  आयोग के सद य म कम से कम एक मिहला सद य होना अिनवाय है।  अ य , उपा य और अ य सद य 3 वष क अविध के िलए पद धारण करते ह।  आयोग के सद य दो से अिधक कायकाल के िलए िनयुि के पा नह होते ह। आयोग क शि यां: आयोग म अ वेषण एवं जांच के िलए िसिवल यायालय क िन िलिखत शि याँ िनिहत क गयी ह: 1. कसी ि को हािजर होने के िलए बा य करना और समन करना तथा शपथ पर उसक परी ा करना; 2. कसी द तावेज का कटीकरण और पेश कया जाना;
  • 5. 3. शपथ पर सा य हण करना; 4. कसी यायालय या कायालय से कसी लोक अिभलेख या उसक ित क अ यपे ा करना, 5. साि य और द तावेज क परी ा के िलए कमीशन जारी करना; और 6. कोई अ य िवषय िजसे रा पित, िनयम ारा अवधा रत कर। रपोट: अनुसूिचत जनजाितय के क याण और सामािजक-आ थक िवकास से संबंिधत काय म /योजना के भावी काया वयन के िलए आव यक सुर ा उपाय और उपाय के कामकाज पर आयोग ारा सालाना अपनी रपोटरा पित को तुत क जाती है। ीिल स लंक: 1. NCST के बारे म। 2. NCSC के बारे म। 3. संबंिधत संवैधािनक ावधान 4. अनु छेद 338 और 338A के बारे म। 5. काय फ़नलडाइज़ेशन (Finlandization) संदभ: ांस के रा पित ने सुझाव दया है, क स-यू े न यु समा होने पर यू े न का ‘ फनलडकरण’ / फ़नलडाइज़ेशन (Finlandization), यु का एक वा तिवक प रणाम हो सकता है। ‘ फ़नलडाइज़ेशन’ या है?  फ़नलडाइज़ेशन (Finlandization)से ता पय, मॉ को ( स) और पि मी देश के बीच ‘तट थता क कड़ी नीित’ से है। फनलड ने शीत यु के दशक के दौरान ‘तट थता क नीित’ का स ती से पालन कया था।  ‘तट थता का िस ांत’ (Principle of Neutrality)का आधार‘िम ता, सहयोग और पार प रक सहायता’समझौते (अथवाYYA संिध) म िनिहत है। इस समझौते पर फनलड ने अ ैल 1948 म USSR के साथ ह ता रत कए थे। िनिहताथ: संिध के अनु छेद 1 के अनुसार- “ फनलड, या फ़िनश े के मा यम से सोिवयत संघ पर, जमनी अथवा अ य सहयोगी देश (अथात,अिनवाय प सेसंयु रा य अमे रका) ारा ारा सश हमले का िनशाना बनने क ि थित म, फ़नलडएक वतं देश के प म अपने दािय व के ित स ी िन ा दखाते ए, हमले को रोकने के िलए यु करेगा”।  ऐसे मामल म फनलड अपनी े ीय अखंडता क र ा के िलएभूिम, समु और वायु ारा अपने सभी उपल ध बल का उपयोग करेगा, और फनलड क सीमा के भीतर वतमान समझौते म प रभािषत दािय व के अनुसार और, य द आव यक हो, सोिवयत संघ क सहायता से या संयु प सेयु ितरोध करेगा।  ऐसे मामल म, सोिवयत संघ फ़नलड के िलए आव यकतानुसार,अनुबंध करने वाले प के बीच आपसी समझौते के अधीन, सहायता दान करेगा।
  • 6. यू े न और फनलडकरण: यू े न, जो पहले सोिवयत संघ का एक भाग था, स के भाव का िवरोध करते ए, आ थक और राजनीितक प से पि मी देश क ओर तेजी से झुकता जा रहा है।  2008 म, NATO के अनुसार,अंततः यू े न के गठबंधन म शािमल होने क योजना बनाई गयी थी, जो क यू े न म एकलोकि य िवचार था। हालाँ क यू े नने वा तव म नाटो क सद यता के िलए कभी आवेदन नह कया था, और नाटो के अिधका रय का कहना है क फ़लहाल िनकट भिव य म यू े न को गठबंधन म शािमल नह कया जाएगा।  “ फनलडीकरण” या फ़नलडाइज़ेशन से ‘मा को’ को यू े न के मामल म मह वपूण ह त ेप करने क अनुमित दान करेगा। और यह, यू े न के िलए नाटो और यूरोपीय संघ म शािमल होने के यास के िखलाफ होगा। खुले सागर पर संिध (Treaty of the High Seas) संदभ: हाल ही म, ‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े ’ (Marine Biodiversity of Areas Beyond National Jurisdiction -BBNJ) के संर ण और सतत उपयोग पर एक द तावेज का मसौदा तैयार करने हेतु यूयॉक म ‘अंतर सरकारी स मेलन’(Intergovernmental Conference क चौथी बैठक(IGC-4) आयोिजत क गई थी। IGC-4 का आयोजन ‘संयु रा समु ी कानून संिध’ (United Nations Convention on Law of Seas – UNCLOS)के तहत कया गया था। BBNJसंिध के बारे म: ‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े ’ (Marine Biodiversity of Areas Beyond National Jurisdiction – BBNJ) को ‘खुले सागर पर संिध’ या “उ समु क संिध” (Treaty of the High Seas)के प म भी जाना जाता है।वतमान म, यह संिध संयु रा म वाता के अधीन,‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े के संर ण और संधारणीय उपयोग’ पर एक अंतररा ीय समझौता है।  यह नया द तावेज, समु म मानव गितिविधय को िनयंि त करने वाला मु य अंतररा ीय समझौता अथात ‘संयु रा समु ी कानून संिध’ (UNCLOS) के ढांचे के भीतर िवकिसत कया जा रहा है।
  • 7.  इसम, खुले सागर म समु ी गितिविधय के अिधक सम प से बंधन हेतु ावधान कए जाएंगे,िजससे समु ी संसाधन के संर ण और सतत उपयोग को बेहतर ढंग से संतुिलत कया जा सके गा।  ‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े ’ (BBNJ)के अंतगत ‘िवशेष आ थक े या देश के रा ीय जल े से आगे के , खुले समु (High Seas)शािमल होते ह। मह व:  अंतरा ीय कृ ित संर ण संघ (IUCN) के अनुसार, ये े “पृ वी क सतह का लगभग आधा भाग” है।  इन े को शायद ही िविनयिमत कया जाता है, और इन े क जैव िविवधता म बारे अ य प जानकारी उपल ध है तथा अभी तक इस स दभ म यूनतम अ वेषण कए गए ह– इन े से के वल 1% े ही संरि त ह। वाता समझौते के पांच िन िलिखत पहलू ह: 1. उ समु / खुले सागर म क जाने वाली गितिविधय का पयावरणीय भाव आकलन। 2. समु ी आनुवंिशक संसाधन का संर ण। 3. मता िनमाण। 4. ौ ोिगक ह तांतरण। 5. सं थागत संरचना और िव ीय सहायता जैसे ॉस-क टंग मु े। कोयला आधा रत ताप िव ुत संयं म बायोमास के उपयोग पर रा ीय िमशन (National Mission on use of Biomass in coal based thermal power plants) संदभ: हाल ही म, ‘वायु गुणव ा बंधन आयोग’ (Commission for Air Quality Management – CAQM) ारा ‘ताप िव ुत संयं ’ म ‘बायोमास को-फाय रंग’ (Biomass Co-firing) या म गित क समी ा क गयी। समी ा के दौरान, वायु गुणव ा बंधन आयोग ने इस बात पर गौर कया क ‘ताप िव ुत संयं ’ (टीपीपी) ारा को-फाय रंग और टड रंग क दशा म वांिछत तर क गित नह क गई है। पृ भूिम: मई 2021 म, खेत म पराली जलाने से होने वाले वायु दूषण क सम या का समाधान करने और ताप िव ुत उ पादन के ‘काबन फु ट ंट’ को कम करने के िलए, िव ुत मं ालय ारा ‘कोयला आधा रत ताप िव ुत संयं म बायोमास के इ तेमाल को लेकर एक रा ीय िमशन’ (National Mission on use of Biomass in coal based thermal power plants) थािपत करने का िनणय िलया गया था। िमशन के उ े य: 1. ताप िव ुत संयं से काबन यू ल िबजली उ पादन का बड़ा िह सा पाने के िलए को-फाय रंग (Co-Firing) के तर को वतमान 5 ितशत से बढ़ाकर उ तर तक ले जाना। 2. बायोमास ग म िसिलका तथा ार त व क अिधक मा ा को संभालने के िलए बॉयलर िडजाइन म अनुसंधान एवं िवकास(R&D) गितिविधयां शु करना। 3. बायोमास ग एवं कृ िष अवशेष क आपू त ृंखला म बाधा को दूर करने और िबजली संयं तक इसके प रवहन क सुिवधा दान करना।
  • 8. 4. बायोमास को-फाय रंग के संबंध म िनयामक मु पर िवचार करना। काया वयन:  िमशन म सिचव (िव ुत) क अ य ता म एक संचालन सिमित होगी िजसम पे ोिलयम और ाकृ ितक गैस मं ालय (MoPNG), नवीन और नवीकरणीय ऊजा मं ालय (MNRE) आ द के ितिनिधय सिहत सभी िहतधारक शािमल ह गे।  सीईए सद य (ताप) कायकारी सिमित के अ य ह गे। एनटीपीसी ारा तािवत रा ीय िमशन म रसद और बुिनयादी ढांचा सहायता दान करने म बड़ी भूिमका िनभाई जाएगी। ‘बायोमास को-फाय रंग’ या है? ‘बायोमास को-फाय रंग’ (Biomass Co-firing)का ता पय, कसी बॉयलर के भीतर ाकृ ितक गैस और कोयले जैसे अ य धन के साथ बायोमास पदाथ के बराबर मा ा म सि म ण और दहन से होता है।बायोमास को-फाय रंग से लागत और बुिनयादी ढांचे मिबना को मह वपूण िनवेश कए, ऊजा उ पादन के िलए यु होने वाले जीवा म धन के इ तेमाल म कमी और उ सजन म कटौती होती है। को-फाय रंग’ के लाभ:  बायोमास को-फाय रंग, ऊजा उ पादन हेतु जीवा म धन के इ तेमाल म कमी करने और इस कार ीनहाउस गैस के उ सजन म कटौती करने के िलए एक आशाजनक तकनीक है।  कोयला और बायोमास को-फाय रंग, लागू करने म आसान है, और वातावरण म काबनडाई ऑ साइड (CO2) एवंअ य दूषक (SOx, NOx) के उ सजन को भावी प कम करने के िलए िज मेदार है।  इस नए धन िम ण के िलए दहन आउटपुट को समायोिजत करने के बाद, बायोमास को कोयले के साथ दहन करने पर बॉयलर क मता म कोई कमी नह होती है। लाई ऐश (Fly Ash) हाल ही म, ‘पयावरण, वन और जलवायु प रवतन मं ालय’ (MoEFCC) ारा नागपुर के कोराडी और खापरखेड़ा म ि थत कोयला-चािलत िव ुत् संयं के कारण होने वाली दूषण सम या क िनगरानी के िलए एक सिमित बनाने के िनदश जारी कए गए ह। दोन संयं को ‘ लाई-ऐश’ का शत- ितशत उपयोग सुिनि त करने का भी िनदश दया गया है। ‘ लाई ऐश’ या होती है? इसे आमतौर ‘िचमनी क राख’ अथवा ‘चू णत धन राख’ (Pulverised Fuel Ash) के प म जाना जाता है। यह कोयला दहन से िन मत एक उ पाद होती है। लाई ऐश का संयोजन: यहकोयला-चािलतभ य (Boilers) से िनकलने वाले महीन कण से िन मत होती है।
  • 9.  भ य म जलाये जाने वाले कोयलेके ोततथा उसक संरचनाके आधार पर, लाई ऐश के घटक काफ िभ होते ह, कं तु सभी कार क लाई ऐश म िसिलकॉन डाइऑ साइड (SiO2), ए यूमीिनयम ऑ साइड (Al2O3) और कै ि शयम ऑ साइड (CaO) पया मा ा म होते ह।  लाई ऐश के सू म घटक म,आसिनक, बे रिलयम, बोरोन, कै डिमयम, ोिमयम, हे सावलट ोिमयम, कोबा ट, सीसा, मगनीज, पारा, मोिल डेनम, सेलेिनयम, टयम, थैिलयम, और वैनेिडयम आ दपाए जाते है। इसम िबनाजले ए काबन के कण भी पाए जाते है। वा य एवं पयावरण संबंधी खतरे:  िवषा भारी धातु क उप थित: लाई ऐश म पायी जाने वाली, िनकल, कै डिमयम, आसिनक, ोिमयम, लेड, आ द सभी भारी धातुएं कृ ित म िवषा होती ह। इनके सू म व िवषा कण सन नािलका म जमा हो जाते ह तथा धीरे- धीरे िवषा करण का कारण बनते रहते ह।  िव करण: परमाणु संयं ो तथा कोयला-चािलत ताप संय से समान मा ा म उ प िव ुत् करने पर, परमाणु अपिश क तुलना म लाई ऐश ारा सौ गुना अिधक िव करण होता है।  जल दूषण: लाई ऐश नािलका के टूटने और इसके फल व प राख के िबखरने क घटनाएं भारत म अ सर होती रहती ह, जो भारी मा ा म जल िनकाय को दूिषत करती ह।  पयावरण पर भाव: आस-पास के कोयला आधा रत िव ुत् संयं से उ स जत होने वाले राख अपिश से म ोव का िवनाश, फसल क पैदावार म भारी कमी, और क छ के रण म भूजल के दूषण को अ छी तरह से दज कया गया है। लाई ऐश के उपयोग: 1. कं ट उ पादन, रेत तथा पोटलड सीमट हेतु एक वैकि पक साम ीके प म। 2. लाई-ऐश कण के सामा य िम ण को कं ट िम ण म प रव तत कया जा सकता है। 3. तटबंध िनमाण और अ य संरचना मक भराव। 4. सीमट धातुमल उ पादन – (िचकनी िम ी के थान पर वैकि पक साम ी के प म)। 5. नरम िम ी का ि थरीकरण। 6. सड़क िनमाण। 7. ट िनमाण साम ी के प म। 8. कृ िष उपयोग: मृदासुधार, उवरक, िम ी ि थरीकरण। 9. न दय पर जमी बफ िपघलाने हेतु। 10. सड़क और पा कग थल पर बफ जमाव िनयं ण हेतु।