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2. तेलंगाना के बोधन शहर म िशवाजी क ितमा पर िववाद
संदभ:
छ पित क ितमा क थापना को लेकरहो रहे िवरोध दशन के हंसक होने के बाद तेलंगाना के ‘बोधन शहर’ (Bodhan
town) म धारा 144 लागू कर दी गई है।
छ पित िशवाजी के बारे म मुख त य:
ज म: वष 1627 म िशवनेर के कले म।
िपता : शाहजी भ सले।
माता : जीजा बाई।
वष 1637 म अपने िपता से पूना क जागीर िवरासत म िमली।
छ पित िशवाजी क उपलि धयां:
ारंिभक दौर क उपलि धयां:
1. िशवाजी ने सबसे पहले बीजापुर के शासक को हराते ए रायगढ़, क डाना और तोरण पर िवजय ा क ।
2. 1647 म अपने अिभभावक दादाजी क डादेव क मृ यु के बाद िशवाजी ने उनक जागीर का पूण भार हण कया।
3. उसने मराठा सरदार चंदा राव मोरे को परािजत कर ‘जावली’ पर क जा कर िलया। इस िवजय के प ात् वह ‘मावला
े ’के वामी बन गए।
4. 1657 म, उ ह ने बीजापुर सा ा य पर हमला कया और क कण े म कई पहाड़ी कल पर क जा कर िलया।
5. बीजापुर के सु तान ने िशवाजी के िखलाफ यु करने के िलए अफजल खान को भेजा। ले कन िशवाजी ने 1659 म
अफजल खान क साहिसक तरीके से ह या कर दी थी।
िशवाजी के सै य अिभयान एवं िवजय:
िशवाजी क सै य िवजय ने उ ह मराठा े म एक महान ि बना दया। मुगल बादशाह औरंगजेब, िशवाजी के
अधीन मराठा शि के हो रहे उदय को उ सुकतापूवक देख रहा था।
औरंगजेब ने द न के मुगल सूबेदार‘शाइ ता खान’ को िशवाजी पर िनयं ण करने के िलए भेजा। इस यु म िशवाजी को
मुगल सेना के हाथ हार का सामना करना पड़ा और ‘पूना’पर वापस मुगल का अिधकार हो गया।
ले कन, िशवाजी ने एक बार फर 1663 म पूना म शाइ ता खान के सै य िशिवर पर एक साहिसक हमला कया, और इस
यु म शाइ ता खान का बेटा मारा गया और शाइ ता खान घायल हो गया।
1664 म, िशवाजी ने मुगल के मु य बंदरगाह सूरत पर हमला कया और उसे लूट िलया।
औरंगजेब ने आमेर के राजा जय संह को भेजकर िशवाजी को हराने के िलए दूसरा यास कया। राजा जय संह ‘पुरंदर’
के कले को घेरने म सफल रहे।
पुरंदर क संिध,1665:
जून 1665 म िशवाजी और राजा जय संह थम (औरंगजेब के ितिनिध व) के बीच पुरंदर क संिध पर ह ता र कए गए थे।
संिध के अनुसार, िशवाजी को अपने क जे वाले 35 कल म से 23 कल को मुगल को स पना पड़ा था।
शेष 12 कले मुगल सा ा य के ित सेवा और िन ा क शत पर िशवाजी के अिधकार म रहने दए गए।
दूसरी ओर, मुगल ने बीजापुर सा ा य के कु छ िह स पर िशवाजी के अिधकार को मा यता दी।
3. मुगल के िखलाफ नए िसरे से यु :
िशवाजी ने 1670 म सूरत पर दूसरी बार हालमा कया और उसे लूट िलया।
नए िसरे से मुगल के िखलाफ छेड़ी लड़ाई म िशवाजी ने लगातार जीत हािसल करते ए लगभग अपने सभी खोए ए
देश पर भी क जा कर िलया।
1674 म िशवाजी ने रायगढ़ म रा यािभषेक कया गया और उ ह ने छ पित क उपािध धारण क ।
िशवाजी क शासिनक नीितयां:
िशवाजी ने एक सुदृढ़ शासन णाली क न व रखी। उनक शासन प ित म ‘राजा’ सरकार क धुरी था, और उसक सहायता के
िलए ‘अ धान’ नामक मंि प रषद का गठन कया गया था।
पेशवा – िव और सामा य शासन। बाद म पेशवा धानमं ी बन गए।
सर-ए-नौबत या सेनापित–सेनानायक, एक मानद पद।
अमा य – महालेखाकार।
वक़नवीस – खु फया, पो ट और घरेलू मामले।
सिचव – प ाचार।
सुमंत – समारोह के मुख।
यायधीश – याय।
पंिडतराव – दान और धा मक शासन।
राज व नीितयां:
भूिम को मापने के िलए ‘काठी’ (KATHI) नामक एक छड़ का उपयोग कया जाता था। भूिम को तीन ेिणय म वग कृ त कया
गया था – धान के खेत, बगीचे क भूिम और पहाड़ी भूिम।
कर: मराठा सा ा य के बाहर गल सा ा य या द न स तनत के पड़ोसी े म ‘चौथ’ और ‘सरदेशमुखी’ नामक कर वसूले कए
जाते थे।
चौथ(Chauth),मराठ के हमल से बचने के िलए दए जाने वाला कर था, इसके तहत भू-राज व का एक चौथाई िह सा
कर के प म वसूला जाता था।
सरदेशमुखी(Sardeshmukhi),मराठ ारा वंशानुगत अिधकार का दावा क जाने वाली भूिम पर उपज या आय पर
वसूला जाने वाला का दस ितशत अित र कर था।
िशवाजी सै य ितभा के धनी ि थे और उनक सेना अ छी तरह से संग ठत थी:
उनक मराठा घुड़सवार सेना दो िवभाग म िवभािजत थी:
‘बारगीर’ (Bargirs):रा य ारा सुसि त और भुगतान कया जाता था।
िसलाहदार(Silahdars): सामंत ारा रखी जाने वाली सेना।
पैदल सेना म, मावली पैदल सैिनक क मह वपूण भूिमका थी।
4. रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग
(National Commission for Scheduled Tribes – NCST)
संदभ:
हाल ही म,एक संसदीय सिमित ारा स पी गयी रपोट के अनुसार, ‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ (National
Commission for Scheduled Tribes – NCST)िपछले चार वष सेिनि यहै, और आयोग ारा संसद को एक भी रपोट
नह दी गयी है।
आयोग क लंिबत रपोट म शािमल ह:
आं देश म इं दरा सागर पोलावरम प रयोजना का जनजातीय आबादी पर पड़ने वाले भाव पर ‘आयोग’ ारा एक
अ ययन।
राउरके ला टील लांट के कारण िव थािपत आ दवािसय के पुनवास और पुनवास पर एक िवशेष रपोट।
‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ (NCST) के कामकाज से जुड़ी चुनौितयां/मु े:
जनशि और बजटीय कमी।
पा ता मानक अ यिधक ऊ
ँ चे होने क वजह से आवेदक क कम सं या।
िशकायत के समाधान और आयोग को ा होने वाले मामल के लंिबत होने क दर भी 50 ितशत के करीब है।
‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’के बारे म:
‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ (NCST) रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग क थापना अनु छेद 338 म संशोधन करके
और संिवधान (89वां संशोधन) अिधिनयम, 2003 के मा यम से संिवधान म एक नया अनु छेद 338A अंतः थािपत करके क
गयी थी।
इस संशोधन ारा त कालीन रा ीय अनुसूिचत जाित एवं रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग को 19 फरवरी, 2004 से दो अलग-
अलग आयोग नामतः (i) रा ीय अनुसूिचत जाित आयोग, और (ii) रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग म िवभ कया गया था।
संरचना:
अ य , उपा य तथा येक सद य के कायालय क अविध कायभार हण करने क ितिथ से तीन वष क होती है।
अ य को संघ के मंि मंडल मं ी का दजा दया गया है, और उपा य रा य मं ी तथा अ य सद य सिचव, भारत
सरकार का दजा दया गया है।
‘रा ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग’ के सभी सद य क िनयुि रा पित ारा अपने ह ता र और मुहर के तहत वारंट
ारा क जाती है।
आयोग के सद य म कम से कम एक मिहला सद य होना अिनवाय है।
अ य , उपा य और अ य सद य 3 वष क अविध के िलए पद धारण करते ह।
आयोग के सद य दो से अिधक कायकाल के िलए िनयुि के पा नह होते ह।
आयोग क शि यां:
आयोग म अ वेषण एवं जांच के िलए िसिवल यायालय क िन िलिखत शि याँ िनिहत क गयी ह:
1. कसी ि को हािजर होने के िलए बा य करना और समन करना तथा शपथ पर उसक परी ा करना;
2. कसी द तावेज का कटीकरण और पेश कया जाना;
5. 3. शपथ पर सा य हण करना;
4. कसी यायालय या कायालय से कसी लोक अिभलेख या उसक ित क अ यपे ा करना,
5. साि य और द तावेज क परी ा के िलए कमीशन जारी करना; और
6. कोई अ य िवषय िजसे रा पित, िनयम ारा अवधा रत कर।
रपोट:
अनुसूिचत जनजाितय के क याण और सामािजक-आ थक िवकास से संबंिधत काय म /योजना के भावी काया वयन के िलए
आव यक सुर ा उपाय और उपाय के कामकाज पर आयोग ारा सालाना अपनी रपोटरा पित को तुत क जाती है।
ीिल स लंक:
1. NCST के बारे म।
2. NCSC के बारे म।
3. संबंिधत संवैधािनक ावधान
4. अनु छेद 338 और 338A के बारे म।
5. काय
फ़नलडाइज़ेशन
(Finlandization)
संदभ:
ांस के रा पित ने सुझाव दया है, क स-यू े न यु समा होने पर यू े न का ‘ फनलडकरण’ / फ़नलडाइज़ेशन
(Finlandization), यु का एक वा तिवक प रणाम हो सकता है।
‘ फ़नलडाइज़ेशन’ या है?
फ़नलडाइज़ेशन (Finlandization)से ता पय, मॉ को ( स) और पि मी देश के बीच ‘तट थता क कड़ी नीित’ से
है। फनलड ने शीत यु के दशक के दौरान ‘तट थता क नीित’ का स ती से पालन कया था।
‘तट थता का िस ांत’ (Principle of Neutrality)का आधार‘िम ता, सहयोग और पार प रक सहायता’समझौते
(अथवाYYA संिध) म िनिहत है। इस समझौते पर फनलड ने अ ैल 1948 म USSR के साथ ह ता रत कए थे।
िनिहताथ:
संिध के अनु छेद 1 के अनुसार- “ फनलड, या फ़िनश े के मा यम से सोिवयत संघ पर, जमनी अथवा अ य सहयोगी देश
(अथात,अिनवाय प सेसंयु रा य अमे रका) ारा ारा सश हमले का िनशाना बनने क ि थित म, फ़नलडएक वतं देश के
प म अपने दािय व के ित स ी िन ा दखाते ए, हमले को रोकने के िलए यु करेगा”।
ऐसे मामल म फनलड अपनी े ीय अखंडता क र ा के िलएभूिम, समु और वायु ारा अपने सभी उपल ध बल का
उपयोग करेगा, और फनलड क सीमा के भीतर वतमान समझौते म प रभािषत दािय व के अनुसार और, य द
आव यक हो, सोिवयत संघ क सहायता से या संयु प सेयु ितरोध करेगा।
ऐसे मामल म, सोिवयत संघ फ़नलड के िलए आव यकतानुसार,अनुबंध करने वाले प के बीच आपसी समझौते के
अधीन, सहायता दान करेगा।
6. यू े न और फनलडकरण:
यू े न, जो पहले सोिवयत संघ का एक भाग था, स के भाव का िवरोध करते ए, आ थक और राजनीितक प से पि मी देश
क ओर तेजी से झुकता जा रहा है।
2008 म, NATO के अनुसार,अंततः यू े न के गठबंधन म शािमल होने क योजना बनाई गयी थी, जो क यू े न म
एकलोकि य िवचार था। हालाँ क यू े नने वा तव म नाटो क सद यता के िलए कभी आवेदन नह कया था, और नाटो के
अिधका रय का कहना है क फ़लहाल िनकट भिव य म यू े न को गठबंधन म शािमल नह कया जाएगा।
“ फनलडीकरण” या फ़नलडाइज़ेशन से ‘मा को’ को यू े न के मामल म मह वपूण ह त ेप करने क अनुमित दान
करेगा। और यह, यू े न के िलए नाटो और यूरोपीय संघ म शािमल होने के यास के िखलाफ होगा।
खुले सागर पर संिध
(Treaty of the High Seas)
संदभ:
हाल ही म, ‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े ’ (Marine Biodiversity of Areas Beyond National
Jurisdiction -BBNJ) के संर ण और सतत उपयोग पर एक द तावेज का मसौदा तैयार करने हेतु यूयॉक म ‘अंतर सरकारी
स मेलन’(Intergovernmental Conference क चौथी बैठक(IGC-4) आयोिजत क गई थी।
IGC-4 का आयोजन ‘संयु रा समु ी कानून संिध’ (United Nations Convention on Law of Seas – UNCLOS)के
तहत कया गया था।
BBNJसंिध के बारे म:
‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े ’ (Marine Biodiversity of Areas Beyond National
Jurisdiction – BBNJ) को ‘खुले सागर पर संिध’ या “उ समु क संिध” (Treaty of the High Seas)के प म भी जाना
जाता है।वतमान म, यह संिध संयु रा म वाता के अधीन,‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े के संर ण
और संधारणीय उपयोग’ पर एक अंतररा ीय समझौता है।
यह नया द तावेज, समु म मानव गितिविधय को िनयंि त करने वाला मु य अंतररा ीय समझौता अथात ‘संयु रा
समु ी कानून संिध’ (UNCLOS) के ढांचे के भीतर िवकिसत कया जा रहा है।
7. इसम, खुले सागर म समु ी गितिविधय के अिधक सम प से बंधन हेतु ावधान कए जाएंगे,िजससे समु ी
संसाधन के संर ण और सतत उपयोग को बेहतर ढंग से संतुिलत कया जा सके गा।
‘रा ीय े ािधकार से परे समु ी जैिवक िविवधता े ’ (BBNJ)के अंतगत ‘िवशेष आ थक े या देश के रा ीय
जल े से आगे के , खुले समु (High Seas)शािमल होते ह।
मह व:
अंतरा ीय कृ ित संर ण संघ (IUCN) के अनुसार, ये े “पृ वी क सतह का लगभग आधा भाग” है।
इन े को शायद ही िविनयिमत कया जाता है, और इन े क जैव िविवधता म बारे अ य प जानकारी उपल ध है
तथा अभी तक इस स दभ म यूनतम अ वेषण कए गए ह– इन े से के वल 1% े ही संरि त ह।
वाता समझौते के पांच िन िलिखत पहलू ह:
1. उ समु / खुले सागर म क जाने वाली गितिविधय का पयावरणीय भाव आकलन।
2. समु ी आनुवंिशक संसाधन का संर ण।
3. मता िनमाण।
4. ौ ोिगक ह तांतरण।
5. सं थागत संरचना और िव ीय सहायता जैसे ॉस-क टंग मु े।
कोयला आधा रत ताप िव ुत संयं म बायोमास के उपयोग पर रा ीय िमशन
(National Mission on use of Biomass in coal based thermal power plants)
संदभ:
हाल ही म, ‘वायु गुणव ा बंधन आयोग’ (Commission for Air Quality Management – CAQM) ारा ‘ताप िव ुत
संयं ’ म ‘बायोमास को-फाय रंग’ (Biomass Co-firing) या म गित क समी ा क गयी।
समी ा के दौरान, वायु गुणव ा बंधन आयोग ने इस बात पर गौर कया क ‘ताप िव ुत संयं ’ (टीपीपी) ारा को-फाय रंग
और टड रंग क दशा म वांिछत तर क गित नह क गई है।
पृ भूिम:
मई 2021 म, खेत म पराली जलाने से होने वाले वायु दूषण क सम या का समाधान करने और ताप िव ुत उ पादन के ‘काबन
फु ट ंट’ को कम करने के िलए, िव ुत मं ालय ारा ‘कोयला आधा रत ताप िव ुत संयं म बायोमास के इ तेमाल को लेकर एक
रा ीय िमशन’ (National Mission on use of Biomass in coal based thermal power plants) थािपत करने का
िनणय िलया गया था।
िमशन के उ े य:
1. ताप िव ुत संयं से काबन यू ल िबजली उ पादन का बड़ा िह सा पाने के िलए को-फाय रंग (Co-Firing) के तर को
वतमान 5 ितशत से बढ़ाकर उ तर तक ले जाना।
2. बायोमास ग म िसिलका तथा ार त व क अिधक मा ा को संभालने के िलए बॉयलर िडजाइन म अनुसंधान एवं
िवकास(R&D) गितिविधयां शु करना।
3. बायोमास ग एवं कृ िष अवशेष क आपू त ृंखला म बाधा को दूर करने और िबजली संयं तक इसके प रवहन क
सुिवधा दान करना।
8. 4. बायोमास को-फाय रंग के संबंध म िनयामक मु पर िवचार करना।
काया वयन:
िमशन म सिचव (िव ुत) क अ य ता म एक संचालन सिमित होगी िजसम पे ोिलयम और ाकृ ितक गैस मं ालय
(MoPNG), नवीन और नवीकरणीय ऊजा मं ालय (MNRE) आ द के ितिनिधय सिहत सभी िहतधारक शािमल ह गे।
सीईए सद य (ताप) कायकारी सिमित के अ य ह गे। एनटीपीसी ारा तािवत रा ीय िमशन म रसद और बुिनयादी
ढांचा सहायता दान करने म बड़ी भूिमका िनभाई जाएगी।
‘बायोमास को-फाय रंग’ या है?
‘बायोमास को-फाय रंग’ (Biomass Co-firing)का ता पय, कसी बॉयलर के भीतर ाकृ ितक गैस और कोयले जैसे अ य धन के
साथ बायोमास पदाथ के बराबर मा ा म सि म ण और दहन से होता है।बायोमास को-फाय रंग से लागत और बुिनयादी ढांचे
मिबना को मह वपूण िनवेश कए, ऊजा उ पादन के िलए यु होने वाले जीवा म धन के इ तेमाल म कमी और उ सजन म
कटौती होती है।
को-फाय रंग’ के लाभ:
बायोमास को-फाय रंग, ऊजा उ पादन हेतु जीवा म धन के इ तेमाल म कमी करने और इस कार ीनहाउस गैस के
उ सजन म कटौती करने के िलए एक आशाजनक तकनीक है।
कोयला और बायोमास को-फाय रंग, लागू करने म आसान है, और वातावरण म काबनडाई ऑ साइड (CO2) एवंअ य
दूषक (SOx, NOx) के उ सजन को भावी प कम करने के िलए िज मेदार है।
इस नए धन िम ण के िलए दहन आउटपुट को समायोिजत करने के बाद, बायोमास को कोयले के साथ दहन करने पर
बॉयलर क मता म कोई कमी नह होती है।
लाई ऐश
(Fly Ash)
हाल ही म, ‘पयावरण, वन और जलवायु प रवतन
मं ालय’ (MoEFCC) ारा नागपुर के कोराडी और
खापरखेड़ा म ि थत कोयला-चािलत िव ुत् संयं के
कारण होने वाली दूषण सम या क िनगरानी के िलए
एक सिमित बनाने के िनदश जारी कए गए ह। दोन
संयं को ‘ लाई-ऐश’ का शत- ितशत उपयोग सुिनि त
करने का भी िनदश दया गया है।
‘ लाई ऐश’ या होती है?
इसे आमतौर ‘िचमनी क राख’ अथवा ‘चू णत धन राख’ (Pulverised Fuel Ash) के प म जाना जाता है। यह कोयला दहन
से िन मत एक उ पाद होती है।
लाई ऐश का संयोजन:
यहकोयला-चािलतभ य (Boilers) से िनकलने वाले महीन कण से िन मत होती है।
9. भ य म जलाये जाने वाले कोयलेके ोततथा उसक संरचनाके आधार पर, लाई ऐश के घटक काफ िभ होते ह, कं तु
सभी कार क लाई ऐश म िसिलकॉन डाइऑ साइड (SiO2), ए यूमीिनयम ऑ साइड (Al2O3) और कै ि शयम
ऑ साइड (CaO) पया मा ा म होते ह।
लाई ऐश के सू म घटक म,आसिनक, बे रिलयम, बोरोन, कै डिमयम, ोिमयम, हे सावलट ोिमयम, कोबा ट, सीसा,
मगनीज, पारा, मोिल डेनम, सेलेिनयम, टयम, थैिलयम, और वैनेिडयम आ दपाए जाते है। इसम िबनाजले ए
काबन के कण भी पाए जाते है।
वा य एवं पयावरण संबंधी खतरे:
िवषा भारी धातु क उप थित: लाई ऐश म पायी जाने वाली, िनकल, कै डिमयम, आसिनक, ोिमयम, लेड, आ द
सभी भारी धातुएं कृ ित म िवषा होती ह। इनके सू म व िवषा कण सन नािलका म जमा हो जाते ह तथा धीरे-
धीरे िवषा करण का कारण बनते रहते ह।
िव करण: परमाणु संयं ो तथा कोयला-चािलत ताप संय से समान मा ा म उ प िव ुत् करने पर, परमाणु अपिश
क तुलना म लाई ऐश ारा सौ गुना अिधक िव करण होता है।
जल दूषण: लाई ऐश नािलका के टूटने और इसके फल व प राख के िबखरने क घटनाएं भारत म अ सर होती
रहती ह, जो भारी मा ा म जल िनकाय को दूिषत करती ह।
पयावरण पर भाव: आस-पास के कोयला आधा रत िव ुत् संयं से उ स जत होने वाले राख अपिश से म ोव का
िवनाश, फसल क पैदावार म भारी कमी, और क छ के रण म भूजल के दूषण को अ छी तरह से दज कया गया है।
लाई ऐश के उपयोग:
1. कं ट उ पादन, रेत तथा पोटलड सीमट हेतु
एक वैकि पक साम ीके प म।
2. लाई-ऐश कण के सामा य िम ण को कं ट
िम ण म प रव तत कया जा सकता है।
3. तटबंध िनमाण और अ य संरचना मक भराव।
4. सीमट धातुमल उ पादन – (िचकनी िम ी के
थान पर वैकि पक साम ी के प म)।
5. नरम िम ी का ि थरीकरण।
6. सड़क िनमाण।
7. ट िनमाण साम ी के प म।
8. कृ िष उपयोग: मृदासुधार, उवरक, िम ी
ि थरीकरण।
9. न दय पर जमी बफ िपघलाने हेतु।
10. सड़क और पा कग थल पर बफ जमाव िनयं ण हेतु।