1. ांस क याय यव था
https://tse2.mm.bing.net/th?id=OIP.et3SAaJ1TBbrnfROusnbzQHaE7&pid=Api&P=0&w=227&h=152
वारा- डॉ टर ममता उपा याय
एसो सएट ोफ
े सर, राजनी त व ान
क
ु मार मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय
बादलपुर, गौतम बुध नगर, उ र देश
उ दे य-
● शासक य कानून क धारणा क जानकार
● व ध क
े शासन पर आधा रत याय यव था एवं शासक य कानून पर आधा रत याय
यव था का तुलना मक व लेषण
● ांस क
े पंचम गणतं क
े सं वधान म सामा य यायालय एवं शास नक याया धकरण क
े
े ा धकार का व लेषण
● भारत एवं अमे रका क याय यव था क
े संदभ मे ांस क याय यव था क तुलना मक
ि थ त क जानकार
● नाग रक अ धकार क र ा एवं सरकार काय क नबाध संप नता क
े संदभ म शास नक
कानून क धारणा का ववेचन
● ांस क याय यव था क
े गठन क जानकार
ांस क याय यव था ‘ शासक य कानून’ क धारणा पर आधा रत है जो इं लड क
े ‘ व ध क
े शासन
क धारणा’ से नतांत भ न है। व ध क
े शासन क यव था क
े अंतगत सामा य नाग रक और सरकार
अ धका रय म कसी तरह का भेद नह ं कया जाता और सभी क
े लए एक जैसे कानून एवं एक जैसे
यायालय था पत कए जाते ह, कानून क
े सम सभी यि त समान होते ह और कानून का उ लंघन
करने पर सभी समान प से दंड क
े भागी होते ह। इसक
े वपर त शासक य कानून क धारणा क
े
2. अंतगत सरकार अ धका रय और कमचा रय को सामा य नाग रक से भ न वशेष ि थ त एवं
अ धकार ा त होते ह और कसी कानून का उ लंघन करने पर उनक
े मुकदम का नणय सामा य
यायालय म नह ं, बि क शास नक यायालय म होता है। सामा य नाग रक और शास नक
अ धका रय क
े लए पृथक- पृथक कानून होते ह । सामा य नाग रक क
े मुकदम का नणय सामा य
यायालय म सामा य कानून क
े आधार पर कया जाता है। आज दु नया क
े व भ न लोकतां क देश
म व ध क
े शासन क धारणा को अपनाया जाता है, य क इसे नाग रक अ धकार का र क माना जाता
है, जब क शास नक कानून क धारणा सरकार का मक को वशेष अ धकार दान करने क
े कारण
समानता क
े स धांत क
े व ध है और इसक
े कारण सरकार कमचा रय को मनमानी करने क छ
ू ट भी
मल जाती है। व ध क
े शासन और शास नक कानून क धारणा म अंतर करते हुए ांग ने लखा है
क ‘’ इं लड तो सामा य कानून का देश है, जब क ांस वशेष अ धकार का देश है । इन वशेष
अ धकार का ज म शास नक कानून क
े वारा हुआ है िजसक
े अंतगत सरकार अ धका रय क
े
शास नक काय का नयं ण एक वशेष कानून क
े वारा होता है और यह वशेष कानून न तो साधारण
नाग रक पर लागू होता है और न ह सरकार कमचा रय क
े यि तगत काय पर। शासक य कानून म
वे सभी कानूनी नयम और उप नयम शा मल होते ह िजनक
े वारा साधारण नाग रक और राजक य
कमचा रय क
े म य संबंध नधा रत होते ह, शास नक अ धका रय क ि थ त का नयं ण कया जाता
है, साधारण नाग रक क
े अ धकार को सु नि चत कया जाता है। साथ ह यह नाग रक क
े कत य भी
नि चत करता है िजनका पालन उ ह राजक य अ धका रय क
े त करना होता है। ‘’ शास नक याय
क इस यव था क
े कारण ारंभ म सामा य नाग रक म असुर ा क भावना या त हो गई थी य क
उ ह सरकार कमचा रय क मनमानी का भय था और जैसा क लावेल का मत है क ‘’ सरकार को सदैव
छ
ू ट रहती है और वह कानून क अवहेलना कर सकती है। य द वह कानून क अवहेलना करना चाहे तो
उसे साधारण यायालय से कोई भय नह ं होता है। शास नक यायालय और साधारण यायालय म
े ा धकार संबंधी ववाद भी उठते रहते ह, िजनक
े समाधान क
े लए 1872 म एक वशेष ‘संघष
यायालय’ क थापना भी ांस म क गई है। आधु नक युग म क
ु छ वचारको क
े वारा शासक य
कानून क धारणा का समथन कया जाता है और यह तक दया जाता है क शास नक कानून से
नाग रक क
े अ धकार बा धत नह ं होते और इससे साधारण यायालय क याय या का वघटन
नह ं होता है, बि क यह यव था तो यवहार म सरकार कमचा रय और अ धका रय को नबाध प से
क
ु शल शासन चलाने क
े लए क
ु छ सु वधाएं मा देता है। यह कारण है क ांस का अनुसरण करते हुए
यूरोप क
े अ य देश ने भी अपने यहां शास नक यायालय क थापना क है। जैसे जमनी और
ि व जरलड । इतना ह नह ं, शास नक याया धकरण क कायक
ु शलता को देखते हुए टेन जैसे देश
म भी
3. यवहार म कई शास नक याया धकरण क थापना क गई है, जो शासक य व ध क धारणा क
लोक यता एवं भाव दायकता का माण है।
शास नक कानून क धारणा क वशेषताएं-
ांस म च लत शास नक कानून क धारणा क न नां कत वशेषताएं बताई जा सकती ह-
● साधारण नाग रक और सरकार का मक क
े लए पृथक- पृथक कानून क यव था
● साधारण नाग रक क
े लए सामा य यायालय एवं सरकार का मक क
े लए शास नक
याया धकरण का गठन
● आम नाग रक क तुलना म सरकार का मक क
े वशेष अ धकार क यव था
● शासक य व ध और यायालय क यव था क
े वारा सरकार कामकाज को बाधा र हत,
क
ु शल और भावी बनाना
● शास नक यायालय और सामा य यायालय क
े म य े अ धकार संबंधी ववाद क
े
समाधान हेतु संघष यायालय
क थापना
याय यव था का संगठन
ांस क
े वैधा नक और या यक इ तहास का अवलोकन करने पर प ट होता है क 1789 क ां त से
पूव वहां कोई यवि थत यायपा लका नह ं थी। रा य यव था क
े अंतगत राजाओं क
े वारा
समय-समय पर अपनी इ छा अनुसार आदेश जार कए जाते थे िजनका कानून क
े समान पालन कया
जाता था । ये आदेश भी थानीय परंपराओं पर आधा रत होते थे ,इस लए पूरे देश म एक समान कानून
लागू नह ं होते थे। संपूण देश क
े लए एक समान कानून क
े नमाण का काय ांसीसी ां त क
े नेताओं
क
े वारा कया गया। सभी मौजूदा कानून को एक सं हता क
े प म सं हताब ध करने का काय 1799
मे नेपो लयन बोनापाट क
े स ा ढ़ होने क
े बाद ारंभ हुआ और 1814 तक एक संग ठत कानूनी यव था
था पत कर द गई। इस कानून यव था म समय-समय पर आव यकतानुसार प रवतन कए गए ।
इस संदभ म एक मह वपूण संशोधन 1958 म हुआ। कं तु कानून- यव था क मूल संरचना म कोई
प रवतन नह ं आया।
4. वतमान सं वधान क
े न मत होने से पहले देश म लगभग 3000 ऐसे यायालय थे िज ह ‘शां त क
े
यायाधीश क
े यायालय’ कहा जाता था। यायालय क
े यायाधीश क
े लए कानून का नातक होना
आव यक नह ं था, हालां क यवहार म सभी यायाधीश को कानून और याय यव था का पया त ान
होता था। 1958 म इन सभी यायालय को समा त कर दया गया और संपूण याय यव था का
पुनगठन कया गया। ांस क पुनग ठत याय यव था क
े अंतगत न नां कत यायालय था पत है-
● सामा य यायालय
● शास नक यायालय
सामा य यायालय क
े अंतगत न नां कत यायालय आते ह-
1. अधीन थ यायालय-
शां त यायालय क
े उ मूलन क
े बाद ांस म दो तरह क
े अधीन थ यायालय क थापना क गई है
-एक, थम चरण क
े यायालय और दूसरे वशाल चरण क
े याया धकरण। थम चरण क
े यायालय म
एक यायाधीश होता है जब क वशाल याया धकरण म ायः 3 यायाधीश नयु त कए जाते ह ।
थम चरण क
े यायालय को 3000 क तक क
े मू य क
े मुकदम क सुनवाई का अ धकार ा त है।
150 क मू य तक क
े द वानी मुकदम म ऐसे यायालय का नणय अं तम होता है और उसक
े व ध
कसी अ य यायालय म अपील नह ं क जा सकती है। इसक
े अ त र त येक ांत म ायः एक से दो
वशाल चरण क
े यायालय होते ह िजनम वे सब मुकदमे सुने जाते ह िजनक सुनवाई थम चरण क
े
याया धकरण म नह ं होती है। इन यायालय म थम चरण क
े यायालय क तथा वशेष यायालय
क
े नणय क
े व ध अपील भी सुनी जाती ह। वशेष यायालय म वा ण य याया धकरण और म
याया धकरण मुख है जो उ योगप तय और मक क
े ववाद का नणय करते ह।
फौजदार मुकदम क सुनवाई पु लस यायालय तथा अ प स यायालय म होती है। छोटे मुकदम
क सुनवाई पु लस अदालत म होती है जो अपराधी को 2 माह तक का कारावास और 2000 क तक का
अथ दंड दे सकते ह। गंभीर फौजदार मामल क सुनवाई अ प स यायालय म होती है जो 5 वष तक
का कारावास दंड दे सकते ह तथा जुमाना भी लगा सकते ह।
● एसाइजेज़ यायालय-
ांस म एसाइजेस यायालय सचल यायालय क
े प म है जो येक ांत म वष म चार बार बैठते ह।
यह अ त गंभीर फौजदार मुकदम क सुनवाई करते ह और इ ह मृ यु दंड स हत कोई भी दंड देने का
और जुमाना लगाने का अ धकार है। ऐसे यायालय यायाधीश क पीठ था पत कर काय करते ह।
इनक
े नणय क
े व ध अपील सेशेशन यायालय म क जा सकती ह।
● अपील य यायालय-
5. यह यायालय द वानी मामल म वशाल चरण याया धकरण क
े नणय क
े व ध अपील सुनते ह।
इनक
े अ धकार े म 1 से 7 तक ांत होते ह। इस समय क
ु ल 27 अपील य यायालय ह, िज ह
मुकदम क
े व प क
े अनुसार भ न - भ न खंड म वभािजत कया गया है।
● सेसेशन यायालय-
यह यायालय द वानी और फौजदार े म अपील का उ चतम यायालय है । इसक थापना 1790
म हुई थी और इसका मु यालय पे रस म है। इस यायालय म 49 यायाधीश होते ह िजनम एक
धान, तीन भागीय धान और शेष 45 अ य यायाधीश होते ह। इस यायालय का कोई ारं भक
े ा धकार नह ं है । यह सफ अपील सुनता है। अपील सुनते समय यह , नचले यायालय वारा दए
गए नणय को र द तो कर सकता है कं तु अपना कोई अं तम नणय नह ं देता है। वह मुकदमे को कसी
अ य नचले यायालय क
े पास भेज देता है और य द दूसरा यायालय भी पहले यायालय से सहमत हो
तो सर सेशन यायालय क
े 33 यायाधीश क पीठ उस नणय का पुनरावलोकन करती है और य द वह
भी कसी नणय पर नह ं पहुंचती तो उस मुकदमे को तीसरे नचले यायालय म सुनवाई क
े लए भेजा
जाता है, जहां सेसेशन यायालय म य त कए गए वचार क
े आधार पर नणय कया जाता है।
● उ च यायालय-
राजनी तक मामल क सुनवाई क
े लए ग ठत यह देश का उ चतम यायालय है। इस यायालय म
ांस क संसद क
े क
ु छ सद य होते ह। उ च यायालय क
े सद य का नवाचन सांसद अपने म से ह
करते ह। सं वधान क
े अनु छेद 67 क
े अनुसार इसका अपना एक धान होता है और य द संसद क
े दोन
सदन कसी रा प त क
े व ध देश ोह का आरोप लगाते ह तो यह उ च यायालय रा प त पर लगाए
गए आरोप क सुनवाई करता है और अपराध स ध होने पर रा प त को दं डत कर सकता है । यह
मं य और अ य राजनी तक पदा धका रय क
े व ध मुकदम क सुनवाई भी करता है।
शास नक यायालय
शास नक यायालय सामा य नाग रक और सरकार अ धका रय क
े म य उ प न ववाद का नणय
करते ह और ववाद का नणय शासक य कानून क
े अनुसार कया जाता है। ऐसे यायालय कसी
अ धकार को कारावास का दंड नह ं दे सकते ह। इ ह संबं धत सरकार
अ धका रय क
े अनु चत नणय को र द करने का अ धकार ा त है। ांस म दो तर क
े शास नक
यायालय ह-
1. शास नक याया धकरण या े ीय प रषदे -
6. ांस म 23 शास नक याया धकरण है िज ह े ीय प रषद भी कहते ह। येक यायालय म एक
धान यायाधीश और चार अ य यायाधीश होते ह, िजनक नयुि त क य गृह मं ी करता है और इन
यायालय पर गृह मं ालय का नयं ण रहता है। यह याया धकरण सरकार कमचा रय और सरकार
संगठन क
े व ध नाग रक क शकायत सुनते ह । साथ ह यह कर क
े संबंध म, सड़क , सावज नक
काय , थानीय नकाय क
े चुनाव और समझौते क
े उ लंघन संबंधी मामल क सुनवाई भी करते ह।
इनक
े नणय क
े व ध रा य प रषद म अपील क जा सकती है।
2. रा य प रषद-
रा य प रषद उ चतम शासक य यायालय है िजसम 150 यायाधीश होते ह । रा य प रषद क
अ य ता याय मं ी करता है और उसक अनुपि थ त म प रषद का उप धान इसक अ य ता करता
है । रा य प रषद वयं को पांच भाग म वभ त कर काय करती है। यह 5 वभाग ह- गृह वभाग,
व वभाग ,सावज नक काय वभाग , सामािजक मामल का वभाग तथा ववादा पद दाव का
वभाग।
काय -
● रा य प रषद े ीय प रषद क
े नणय क
े व ध अपीले सुनती है ।
● मं प रषद को कसी ता वत अ यादेश क
े संबंध म सलाह दे सकती है।
● यह अंत वभागीय ववाद को सुलझाने का काय करती है ।
● लेखा यायालय पर नयं ण रखती है।
● रा य प रषद सामा य नाग रक क
े हत क र ा क
े लए कसी भी सरकार आदेश को र द
करने म पीछे नह ं रहती और कभी-कभी तो मं प रषद क
े नणय को भी र द कर देती है।
● रा य प रषद क
े पास अपील डाक क
े मा यम से भेजी जाती है।
संवैधा नक प रषद
संवैधा नक प रषद क थापना एक अनूठ या यक सं था क
े प म क गई है। सी मत प म शि त
पृथ करण क
े स धांत को अपनाने क
े कारण ांस म कसी यायालय को यह अ धकार नह ं दया गया
है क वह संसद वारा पा रत कसी कानून को असंवैधा नक घो षत कर सक
े , फर भी संसद य कानून
क समी ा सदैव से होती रह है और इस उ दे य से समय-समय पर भ न- भ न सं थाओं क
थापना क गई है।
पंचम गणतं क
े सं वधान क
े अंतगत संवैधा नक प रषद क थापना 1946 म ग ठत
‘सं वधान स म त’ क
े थान पर क गई िजसे यह अ धकार दान कया गया क वह कसी भी
ता वत कानून क उसे लागू कए जाने से पहले उसक संवैधा नकता का पर ण करक
े नि चत कर
7. क वह वैध है या नह ं। इस आशय क ाथना कसी कानून क
े लागू होने से पूव रा प त, धानमं ी या
दोन सदन क
े अ य क
े वारा कसी भी समय संवैधा नक प रषद से क जा सकती है।
गठन-
संवैधा नक प रषद क
े गठन क
े संबंध म अनु छेद 56 म ावधान कया गया है, िजसक
े अनुसार इस
प रषद म 9 सद य होते ह, िजनम से तीन को रा प त तथा 3-3 को दोन सदन क
े पीठासीन अ धकार
नयु त करते ह। संवैधा नक प रषद का सद य होने क
े लए कोई कानूनी यो यता नधा रत नह ं क
गई है य क संवैधा नक प रषद को मूलतः एक राजनी तक सं था माना जाता है जैसा क लापो स ने
कहा भी है,’’यह आव यक नह ं है क कानून का ान ा त यि तय का ह चयन कया जाए य क
संवैधा नक प रषद तो मूल प से सरकार का एक राजनी तक अंग है। ‘’ 9 सद य क
े अ त र त ांस क
े
सभी भूतपूव रा प त इसक
े पदेन सद य होते ह। संवैधा नक प रषद क
े धान का नामांकन रा प त
वारा कया जाता है और इसक
े सद य का कायकाल 9 वष होता है, कं तु उनम से एक तहाई सद य
त 3 वष बाद अवकाश हण कर लेते ह। प रषद का कोई भी सद य 9 वष क
े प चात पुनः इसका
सद य नह ं बनाया जा सकता है ।
काय-
ांस का सं वधान संवैधा नक प रषद को न नां कत काय को संप न करने का दा य व स पता है -
1. रा प त क
े नवाचन का नर ण करना, चुनाव संबंधी शकायत क सुनवाई करना और उन पर
नणय देना।
2. संसद क
े चुनाव म कसी संसद सद य क
े वारा चुनाव क आचार सं हता का उ लंघन कया जाता है
तो प रषद उसक
े चुनाव को अवैध घो षत कर सकती है।
3. जनमत सं ह क यव था करना और प रणाम क घोषणा करना।
4. सं वधान क
े अनु छेद 16 क
े अनुसार आपातकाल क घोषणा करने क
े संबंध म रा प त को सलाह
दान करना ।
5. सरकार क ाथना पर यह घोषणा करना क अब देश का रा प त अपने कत य का नवहन करने म
असमथ है। इस कार क घोषणा क
े प रणाम व प सीनेट का धान देश क
े कायवाहक रा प त क
े
प म काय करने लगता है।
6. रा प त धानमं ी या कसी सदन क
े अ य क
े वारा ाथना कए जाने पर कसी अंतररा य
सं ध क संवैधा नकता का पर ण करना।
7. संसद वारा पा रत क़ानून को रा प त, धानमं ी या कसी भी सदन क
े अ य क
े वारा ाथना
कए जाने पर उनक संवैधा नकता का पर ण करना और उनक वैधता क
े संबंध म नणय देना। कसी
भी कानून या सं ध को प रषद क
े पास पर ण क
े लए भेजे जाने क
े 1 मह ने क
े भीतर उसे अपना नणय
8. देना होता है, कं तु य द देश म आपातकाल न ि थ त चल रह हो तो सरकार संवैधा नक प रषद से अपना
नणय 8 दन म देने क
े लए कह सकती है। इस वषय म प रषद क
े नणय अं तम होते ह और उसक
े
व ध अपील नह ं क जा सकती है । संवैधा नक प रषद जब कसी कानून या सं ध क
े वषय म नणय
करती है तो उसक
े कम से कम 7 सद य का उपि थत होना आव यक है तथा नणय बहुमत से लए
जाते ह। य द रा प त क असमथता क
े न पर कोई नणय लया जाना है तो प रषद क
े क
ु ल सद य
क
े प ट बहुमत अथात 5 सद य क सहम त से ह लया जा सकता है।
इस कार संवैधा नक प रषद एक यायालय नह ं है फर भी या यक काय करती है। इसक
े सद य को
रा य क
े राजनी तक अ धका रय वारा राजनी तक आधार पर नयु त कया जाता है और उनक
े लए
कानून का वशेष होना आव यक नह ं है। संवैधा नक प रषद वयं कसी ववाद का नणय नह ं
करती। यवहार म इसक
े वारा दए गए सभी नणय कायपा लका क
े प म होते ह, इस लए कहा जाता
है क यह भारत या अमे रका क
े सव च यायालय क भां त एक न प और भावी सं था नह ं है।
याय क उ च प रषद
ांस क याय यव था म एक अ य वशेष सं था यायपा लका क उ च प रषद है। यह प रषद
यायाधीश क
े चयन, उनक नयुि त और उनक वतं ता को सु नि चत करने म रा प त क
सहायता करती है। इस सं था क थापना 1946 क
े सं वधान म ह क गई थी और वतमान सं वधान म
भी इसे बनाए रखा गया है ,हालां क इसक शि तय म पहले क तुलना म कमी कर द गई है। रा प त
ांस क उ च प रषद का पदेन सभाप त होता है और याय मं ी पदेन उपसभाप त जो रा प त क
अनुपि थ त म प रषद क अ य ता करता है। इसक
े अ त र त इसम 9 सामा य सद य भी होते ह
िजनक नयुि त रा प त क
े वारा 4 वष क
े लए क जाती है इन 9 सद य म से 3 सद य से सेशन
यायालय से लए जाते ह और तीन सद य देश क
े द वानी और फौजदार मामल को देखने वाले
यायाधीश म से लए जाते ह, एक सद य रा य प रषद से लया जाता है तथा 2 सद य रा प त
वारा व ववेक से नयु त कए जाते ह।
उ च प रषद यायपा लका क वतं ता बनाए रखने म रा प त क सहायता करती है और
सेसेशन यायालय क
े यायाधीश तथा अपील य यायालय क
े यायाधीश क
े नामांकन क
े लए
उ रदाई होती है। यायाधीश क नयुि त क
े संबंध म यह अपनी सफा रश रा प त क
े पास भेजती है
और उसक
े सफा रश याय मं ालय क
े ताव क
े आधार पर होती ह। य द रा प त कसी अपराधी को
मा दान देना चाहता है तो उसक
े लए यह आव यक है क वह उ च प रषद से परामश कर।
9. न कष-
उपयु त ववेचन क
े आधार पर ांस क याय यव था क न नां कत वशेषताएं प ट होती है-
● ांस म यायपा लका क ि थ त कायपा लका क तुलना म गौड़ है।
● कानून का सं हताब ध प पाया जाता है।
● कई कार क
े वशेष यायालय का अि त व है। जैसे- कोट ऑफ जि टस ऑफ पीस,
इंडि यल ड यूट यूनल, कम शयल यूनल आ द
● ांस क याय यव था शास नक कानून क धारणा पर आधा रत है, जो व ध क
े शासन क
धारणा क
े वपर त है।
● शास नक कानून क धारणा क
े अंतगत सामा य नाग रक और सरकार कमचा रय क
े म य
भेद कया गया है तथा सरकार कमचा रय को वशेष अ धकार दान कए गए ह।
● शास नक याय और कानून क धारणा का उ दे य सरकार कामकाज को बाधार हत तर क
े से
भावी प म संप न करना है।
● यायपा लका का संगठन वक त प म है। ांस म याय यव था क
े इ तहास क ि ट से
अब यायालय का व प यादा संग ठत है।
● पूव म था पत 3000 से अ धक शां त यायाधीश क
े यायालय क
े थान पर अब दो े णय
क
े यायालय वहां था पत है-1. सामा य यायालय िजनम सामा य नाग रक क
े मुकदम क
सुनवाई होती है। 2. शास नक यायालय जहां सरकार का मक क
े व ध है मुकदम क
सुनवाई शास नक कानून क
े उ लंघन क
े आधार पर होती है।
● सचल यायालय क यव था ांस क संवैधा नक यव था क एक अनूठ वशेषता है । ऐसे
यायालय को एसाइजेज़ यायालय कहते ह।
● ांस क याय यव था म क
ु छ ऐसी सं थाओं क थापना भी क गई है िजनक नयुि त
राजनी तक आधार पर होती है। जैसे- रा य प रषद, उ च प रषद और संवैधा नक प रषद।
● याय या अ यंत ज टल है।
● या यक पुनरावलोकन का अभाव है।
मु य श द- शासक य कानून, व ध का शासन, संवैधा नक प रषद, रा य प रषद, उ च
यायालय, कोट ऑफ एसाइजेज़ ,सामा य यायालय, शास नक यायालय , या यक
पुनरावलोकन
References And Suggested Reading
● France-Justice/Britannica,www.britannica.com
10. ● Functioning of Administrative and Judicial Courts During the French
State of Health Emergency
● French Constitutionand political system-About
France,about-france.com>institutions
● The French Legal System-Ministeredela Justice,www.justice.gouv.fr
● Judicial System-France-annual-Encyclopaediaof the
nations,www.nationsencyclopaedia.com
●
न-
नबंधा मक-
1. ांस क याय यव था म कन या यक सं थाओं का गठन कया गया है, ववेचना क िजए।
2. शास नक कानून क धारणा से या समझते ह। शास नक यायालय सामा य यायालय से
कन अथ म भ न है।
3. ांस म शास नक यायालय क
े गठन एवं काय क ववेचना क िजए। या उनक
े अि त व से
सामा य यायालय क भू मका भा वत हुई है।
4. शास नक कानून क धारणा व ध क
े शासन क धारणा से कस अथ म भ न है। या शास नक
कानून क धारणा नाग रक अ धकार क
े संर ण क वरोधी है, ववेचना क िजए।
5. ांस म सामा य यायालय क
े व भ न कार क ववेचना क िजए ।
व तु न ठ न-
1. शास नक कानून क धारणा न नां कत म से कस धारणा क
े वपर त है।
[ अ ] या यक पुनरावलोकन [ ब ] कानून का शासन [ स ] अ धका रय क
े वशेषा धकार[ द ]
उ चा धका रय क उ मु त इयां
2. ांस म सचल यायालय कस प म ग ठत ह।
[ अ ] उ च यायालय [ ब ] अधीन थ यायालय [ स ] एसाइजेज़ यायालय [ द ] उपयु त सभी
3. ांस म उ च यायालय कसक
े मुकदम क सुनवाई करते ह।
[ अ ] शास नक अ धका रय [ ब ] राजनी तक पदा धका रय [ स ] उपयु त दोन [ द ] या यक
अ धका रय
4. कसी कानून क संवैधा नकता क
े पर ण क
े लए रा प त कस से ाथना कर सकता है।
[ अ ] रा य प रषद [ ब ] संवैधा नक प रषद [ स ] उ च प रषद [ द ] अधीन थ यायालय
11. 5. शास नक याया धकरण क
े नणय क
े व ध अपील कहां क जा सकती है।
[ अ ] संवैधा नक प रषद [ ब ] उ च प रषद [ स ] उ च यायालय [ द ] सेसेशन यायालय
6. रा प त क
े नवाचन से संबं धत ववाद क सुनवाई कसक
े वारा क जाती है।
[ अ ] संवैधा नक प रषद [ ब ] रा य प रषद [ स ] उ च यायालय [ द ] उ च प रषद
7. न नां कत म से कस यायालय को सफ अपील सुनने का अ धकार ा त है।
[ अ ] सेसेशन यायालय [ ब ] अधीन थ यायालय [ स ] एसाइजेज़ यायालय[ द ] अपील
यायालय
8. ांस क याय यव था क
े वषय म न नां कत म से कौन सा कथन अस य है।
[ अ ] याय यव था वक त है।
[ब ] यायालय का गठन राजनी तक आधार पर होता है।
[स ] गैर या यक सं थाओं क
े वारा या यक काय संप न कए जाते ह।
[ द ] या यक पुनरावलोकन क यव था है।
9. यायाधीश क
े चयन और नयुि त म कस सं था क
े वारा सहायता क जाती है।
[ अ ] संवैधा नक प रषद [ ब ] याय क
े उ च प रषद [ स ] उ च यायालय [ द ] रा य प रषद
उ र- 1.ब 2.स 3.ब 4. ब 5. ब 6.अ 7.अ 8. द 9. ब