SlideShare a Scribd company logo
1 of 116
Nonprofit Publications .
गुरुत्व कामाारम द्वाया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका ससतम्फय-2019
Our Web Site: www.gurutvajyotish.com Shp Our Product Online www.gurutvakaryalay.com
Join Us: fb.com/gurutva.karyalay | twitter.com/#!/GURUTVAKARYALAY | plus.google.com/u/0/+ChintanJoshi
FREE
E CIRCULAR
गुरुत्व ज्मोततष भाससक
ई-ऩत्रिका भें रेखन हेतु
फ्रीराॊस (स्वतॊि) रेखकों का
स्वागत हैं...
गुरुत्व ज्मोततष भाससक ई-
ऩत्रिका भें आऩके द्वारा सरखे गमे
भॊि, मॊि, तॊि, ज्मोततष, अॊक
ज्मोततष, वास्तु, पें गशुई, टैयों, येकी
एवॊ अन्म आध्मात्त्भक ऻान वधाक
रेख को प्रकासशत कयने हेतु बेज
सकते हैं।
अधधक जानकायी हेतु सॊऩका कयें।
GURUTVA KARYALAY
BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA
Call Us: 91 + 9338213418,
91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in,
gurutva.karyalay@gmail.com
गुरुत्व ज्मोततष
भाससक ई-ऩत्रिका
ससतम्फय 2019
सॊऩादक
ध ॊतन जोशी
सॊऩका
गुरुत्व ज्मोततष ववबाग
गुरुत्व कामाारम
92/3. BANK COLONY,
BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018,
(ODISHA) INDIA
पोन
91+9338213418,
91+9238328785,
ईभेर
gurutva.karyalay@gmail.com,
gurutva_karyalay@yahoo.in,
वेफ
www.gurutvakaryalay.com
www.gurutvakaryalay.in
http://gk.yolasite.com/
www.shrigems.com
www.gurutvakaryalay.blogspot.com/
ऩत्रिका प्रस्तुतत
ध ॊतन जोशी,
गुरुत्व कामाारम
पोटो ग्राफपक्स
ध ॊतन जोशी,
गुरुत्व कामाारम
अनुक्रभ
(9 2013) 7 45
श्री सन्तान सप्तभी व्रत 5-ससतम्फय-2019 (फुधवाय) 8 गणऩतत अथवाशीषा 46
ऩद्मा (ऩरयवततानी) एकादशी व्रत 09-ससतम्फय-2019
( वाय)
13
गणेश स्तवन
47
इॊददया एकादशी व्रत 25-ससतम्फय-2019 ( वाय) 15 ववष्णुकृ तॊ गणेशस्तोिभ् 47
17 गणऩततस्तोिभ् 48
21 श्री ववघ्नेश्वयाष्टोत्तय शतनाभस्तोिभ् 48
ल 22 49
ऩॊ श्रोकी श्रीगणेशऩुयाण की भदहभा 26 ? 49
27 ल ल ? 50
ल 28 गणेश कव भ् 52
सॊकटनाशन गणेशस्तोिभ् 28 गणेशद्वादशनाभस्तोिभ् 54
ल ? 29 ऋ 55
30 ऋण भो न भहा गणऩतत स्तोि 56
30 57
? 32 58
33 60
गणेशबुजॊगभ् 35 ववनामकस्तोि 61
36 श्री ससविववनामक स्तोिभ् 62
सॊकष्टहयणॊ गणेशाष्टकभ्‌ 40 63
गणेश ऩॊच् यत्नभ् 40 64
एकदन्त शयणागतत स्तोिभ् 41 ल 68
ल 42 ल 71
- ल 43 , औ 71
ल 44
72
स्थामी औय अन्म रेख
सॊऩादकीम 4 दैतनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका 102
ससतम्फय 2019 भाससक ऩॊ ाॊग 92 ददन के ौघडडमे 103
ससतम्फय 2019 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय 94 ददन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक 104
ससतम्फय 2019 -ववशेष मोग 102
वप्रम आत्त्भम,
फॊधु/ फदहन
जम गुरुदेव
वक्रतुॊड भहाकाम सूमाकोदट सभप्रब:
तनववाघ्नॊ कु रु भे देव: सवाकामेषु सवादा
हे रॊफे शयीय औय हाथी सभान भुॊख वारे गणेशजी, आऩ कयोडों सूमा के सभान भकीरे हैं। कृ ऩा कय भेये
साये काभों भें आने वारी फाधाओॊ ववघ्नो को आऩ सदा दूय कयते यहें।
गणऩतत शब्द का अथथ हैं।
गण(सभूह)+ऩतत (स्वाभी) = सभूह के स्वाभी को सेनाऩतत अथाात गणऩतत कहते हैं। भानव शयीय भें
ऩाॉ ऻानेत्न्िमाॉ, ऩाॉ कभेत्न्िमाॉ औय ाय अन्त्कयण होते हैं। एवॊ इस शत्क्तओॊ को जो शत्क्तमाॊ
सॊ ासरत कयती हैं उन्हीॊ को ौदह देवता कहते हैं। इन सबी देवताओॊ के भूर प्रेयक बगवान श्रीगणेश हैं।
बायतीम सॊस्कृ तत भें प्रत्मेक शुबकामा शुबायॊब से ऩूवा बगवान श्री गणेश जी की ऩूजा-अ ाना की
जाती हैं । इस सरमे मे फकसी बी कामा का शुबायॊब कयने से ऩूवा उस कामा का "श्री गणेश कयना" कहाॊ
जाता हैं। प्रत्मक शुब कामा मा अनुष्ठान कयने के ऩूवा ‘‘श्री गणेशाम नभ्” भॊि का उच् ायण फकमा जाता
हैं। बगवान गणेश को सभस्त ससविमों के दाता भाना गमा है। क्मोफक सायी ससविमाॉ बगवान श्री गणेश भें
वास कयती हैं।
बगवान श्री गणेश सभस्त ववघ्नों को टारने वारे हैं, दमा एवॊ कृ ऩा के अतत सुॊदय भहासागय हैं, तीनो
रोक के कल्माण हेतु बगवान गणऩतत सफ प्रकाय से मोग्म हैं।
धासभाक भान्मता के अनुशाय बगवान श्री गणेशजी के ऩूजन-अ ान से व्मत्क्त को फुवि, ववद्या, वववेक योग,
व्माधध एवॊ सभस्त ववध्न-फाधाओॊ का स्वत् नाश होता है, बगवान श्री गणेशजी की कृ ऩा प्राप्त होने से व्मत्क्त के
भुत्श्कर से भुत्श्कर कामा बी सयरता से ऩूणा हो जाते हैं।
शास्िोक्त व न से इस कल्मुग भें तीव्र पर प्रदान कयने वारे बगवान गणेश औय भाता कारी हैं। इस सरमे कहाॊ
गमा हैं।
करा ण्डीववनामकौ
अथाात्: करमुग भें ण्डी औय ववनामक की आयाधना ससविदामक औय परदामी होता है।
धभा शास्िोभें ऩॊ देवों की उऩासना कयने का ववधान हैं।
आददत्मॊ गणनाथॊ देवीॊ रूिॊ के शवभ्।
ऩॊ दैवतसभत्मुक्तॊ सवाकभासु ऩूजमेत्।। (शब्दकल्ऩिुभ)
बावाथथ: - ऩॊ देवों फक उऩासना का ब्रहभाॊड के ऩॊ बूतों के साथ सॊफॊध है। ऩॊ बूत ऩृथ्वी, जर, तेज, वामु
औय आकाश से फनते हैं। औय ऩॊ बूत के आधधऩत्म के कायण से आददत्म, गणनाथ(गणेश), देवी, रूि औय
के शव मे ऩॊ देव बी ऩूजनीम हैं। हय एक तत्त्व का हय एक देवता स्वाभी हैं।
जो भनुष्म अऩने जीवन भें सबी प्रकाय की रयवि-ससवि, सुख, सभृवि औय ऐश्वमा को प्राप्त कयने की
काभना कयता हैं, अऩने जीवन भें सबी प्रकाय की सबी आध्मात्त्भक-बौततक इच्छाओॊ को ऩूणा कयने की
इच्छा यखता हैं, ववद्वानों के भतानुशाय उसे गणेश जी फक ऩूजा-अ ाना एवॊ आयाधना अवश्म कयनी
ादहमे...
दहन्दू ऩयॊऩया भें गणेशजी का ऩूजन अनाददकार से रा आ यहा हैं,
इसके अततरयक्त ज्मोततष शास्िों के अनुशाय बी अशुब ग्रह ऩीडा को दूय कयने हेतु बगवान गणेश फक
ऩूजा-अ ाना कयने से सभस्त ग्रहो के अशुब प्रबावों को दूय होकय, शुब परों फक प्रात्प्त होती हैं। इस सरमे
दहन्दू सॊस्कृ तत भें बगवान श्री गणेशजी की ऩूजा का अत्माधधक भहत्व फतामा गमा हैं।
दहन्दू ऩॊ ाॊग के अनुशाय वैसे तो प्रत्मेक भास की तुथॉ को बगवान गणेशजी का व्रत फकमा जात है।
रेफकन बािऩद की तुधथा व्रत का ववशेष भहत्व दहन्दू धभा शास्िों भें फतामा गमा है।
ऎसी भान्मता हैं की बािऩद की तुधथा के ददन जो श्रधारु व्रत, उऩवास औय दान आदद शुब कामा कताा है,
बगवान श्रीगणेश की कृ ऩा से उसे सौ गुना पर प्राप्त हो जाता हैं। व्मत्क्त को श्री ववनामक तुथॉ कयने
से भनोवाॊतछत पर प्राप्त होता है।
शास्िोक्त ववधध-ववधान से श्री गणेशजी का ऩूजन व व्रत कयना अत्मॊत राबप्रद होता हैं।
गणेश तुथॉ ऩय ॊि दशान तनषेध होने फक ऩौयाणणक भान्मता हैं। शास्िोंक्त व न के अनुशाय जो व्मत्क्त
इस ददन ॊिभा को जाने-अन्जाने देख रेता हैं उसे सभथ्मा करॊक रगता हैं। उस ऩय झूठा आयोऩ रगता
हैं। ववद्वानों के भतानुशाय मदद जाने-अॊजाने ॊि दशान कयरेता हैं तो उसे, करॊक से फ ने के सरए साधक
को बगवान श्री गणेश से अऩनी गरती के ऩरयहाय के सरए बगवान श्री गणेश का ऩूजन वॊदन कयके ऺभा
मा ना कयनी ादहए।
इस भाससक ई-ऩत्रिका भें सॊफॊधधत जानकायीमों के ववषम भें साधक एवॊ ववद्वान ऩाठको से अनुयोध
हैं, मदद दशाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, साधना एवॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाव इत्मादी के
सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भें, डडजाईन भें, टाईऩीॊग भें, वप्रॊदटॊग भें, प्रकाशन भें कोई िुदट यह गई हो,
तो उसे स्वमॊ सुधाय रें मा फकसी मोग्म ज्मोततषी, गुरु मा ववद्वान से सराह ववभशा कय रे । क्मोफक
ववद्वान ज्मोततषी, गुरुजनो एवॊ साधको के तनजी अनुबव ववसबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, साधना, उऩाम के
प्रबावों का वणान कयने भें बेद होने ऩय काभना ससवि हेतु फक जाने वारी वारी ऩूजन ववधध एवॊ उसके
प्रबावों भें सबन्नता सॊबव हैं।
गणेश तुथॉ के शुब अवसय ऩय आऩ अऩने जीवन भें ददन प्रततददन
अऩने उद्देश्म फक ऩूतता हेतु अग्रणणम होते यहे आऩकी सकर भनोकाभनाएॊ
ऩूणा हो एवॊ आऩके सबी शुब कामा बगवान श्री गणेश के आसशवााद से
त्रफना फकसी सॊकट के ऩूणा होते यहे हभायी मदह भॊगर काभना हैं......
ध ॊतन जोशी
6 ससतम्फय - 2019
***** भाससक ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत सू ना *****
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत सबी रेख गुरुत्व कामाारम के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।
 ई-ऩत्रिका भें वणणात रेखों को नात्स्तक/अववश्वासु व्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख आध्मात्भ से सॊफॊधधत होने के कायण बायततम धभा शास्िों से प्रेरयत
होकय प्रस्तुत फकमा गमा हैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत फकसी बी ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभाणणकता ऩय फकसी
बी प्रकाय की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत जानकायीकी प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की
नहीॊ हैं औय ना हीॊ प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी देने हेतु कामाारम
मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत रेखो भें ऩाठक का अऩना ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी
बी व्मत्क्त ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम
स्वमॊ का होगा।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत फकसी बी प्रकाय की आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ के आधाय ऩय ददए गमे हैं। हभ
फकसी बी व्मत्क्त ववशेष द्वाया प्रमोग फकमे जाने वारे धासभाक, एवॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा
उऩामोकी त्जन्भेदायी नदहॊ रेते हैं। मह त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त
फक स्वमॊ फक होगी।
 क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊडों, साभात्जक, कानूनी तनमभों के णखराप कोई व्मत्क्त मदद
नीजी स्वाथा ऩूतता हेतु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयने भे िुदट होने ऩय प्रततकू र ऩरयणाभ
सॊबव हैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत जानकायी को भाननने से प्राप्त होने वारे राब, राब की
हानी मा हानी की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की नहीॊ हैं।
 हभाये द्वाया प्रकासशत फकमे गमे सबी रेख, जानकायी एवॊ भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ
ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधुगण ऩय प्रमोग फकमे हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा कव , भॊि-मॊि मा उऩामो
द्वाया तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।
 ई-ऩत्रिका भें गुरुत्व कामाारम द्वाया प्रकासशत सबी उत्ऩादों को के वर ऩाठको की जानकायी हेतु ददमा
गमा हैं, कामाारम फकसी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का क्रम कयने हेतु फकसी बी प्रकाय से फाध्म
नहीॊ कयता हैं। ऩाठक इन उत्ऩादों को कहीॊ से बी क्रम कयने हेतु ऩूणात् स्वतॊि हैं।
अधधक जानकायी हेतु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं।
(सबी वववादो के सरमे के वर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
7 ससतम्फय - 2019
गणेश ऩूजन हेतु शुब भुहूता 02-ससतम्फय-2019 ( वाय)
 सॊकरन गुरुत्व कामाारम
वैऻातनक ऩितत के अनुसाय ब्रहभाॊड भें सभम व अनॊत आकाश के अततरयक्त सभस्त वस्तुएॊ भमाादा मुक्त हैं।
त्जस प्रकाय सभम का न ही कोई प्रायॊब है न ही कोई अॊत है। अनॊत आकाश की बी सभम की तयह कोई भमाादा
नहीॊ है। इसका कहीॊ बी प्रायॊब मा अॊत नहीॊहोता। आधुतनक भानव ने इन दोनों तत्वों को हभेशा सभझने का व अऩने
अनुसाय इनभें भ्रभण कयने का प्रमास फकमा हैं ऩयन्तु उसे सपरता प्राप्त नहीॊ हुई है।
साभान्मत् भुहूता का अथा है फकसी बी कामा को कयने के सरए सफसे शुब सभम व ततधथ मन कयना। कामा
ऩूणात् परदामक हो इसके सर, सभस्त ग्रहों व अन्म ज्मोततष तत्वों का तेज इस प्रकाय के त्न्ित फकमा जाता है फक
वे दुष्प्रबावों को ववपर कय देते हैं। वे भनुष्म की जन्भ कु ण्डरी की सभस्त फाधाओॊ को हटाने भें व दुमोगो को
दफाने मा घटाने भें सहामक होते हैं।
शुब भुहूता ग्रहो का ऎसा अनूठा सॊगभ है फक वह कामा कयने वारे व्मत्क्त को ऩूणात् सपरता की ओय
अग्रस्त कय देता है।
दहन्दू धभा भें शुब कामा के वर शुब भुहूता देखकय फकए जाने का ववधान हैं। इसी ववधान के अनुसाय श्रीगणेश
तुथॉ के ददन बगवान श्रीगणेश की स्थाऩना के श्रेष्ठ भुहूता आऩकी अनुकू रता हेतु दशााने का प्रमास फकमा जा यहा
हैं। दहन्दू धभा ग्रॊथों के अनुसाय शुब भुहूता देखकय फकए गए कामा तनत्श् त शुब व सपरता देने वारे होते हैं।
*** 2 31 ***
ल



 ल
त्स्थय रग्न इष्ट ऩूजन हेतु सवाश्रेष्ठ भाना जाता हैं 2 को त्स्थय रग्न
 ल
 ल ल
 ल
अत् गणेश जी का ऩूजन कयते सभम मदद शुब ततधथ एवॊ रग्न का सॊमोग फकमा जाते तो मह अत्मॊत शुब
परप्रदामक होता हैं।
ववशेष: ववद्वानों के भतानुशाय त्स्थय रग्न वृत्श् क भें कयना शुब होता हैं। त्जस भें बगवान श्रीगणेश प्रततभा की
स्थाऩना की जा सकती हैं। जानकायों का भानना हैं की गणेश तुथॉ दोऩहय भें होने के कायण इसे भहागणऩतत
तुथॉ बी कहाॊ जामेगा। क्मोंफक ज्मोततष के अनुशाय वृत्श् क त्स्थय रग्न हैं। त्स्थय रग्न भें फकमा गमा कोई
बी शुब कामा स्थाई होता हैं।
ववद्वानो के भतानुशाय शुब प्रायॊब मातन आधा कामा स्वत् ऩूणा।
8 ससतम्फय - 2019
श्री सन्तान सप्तभी व्रत 5-ससतम्फय-2019 (फुधवाय)
 सॊकरन गुरुत्व कामाारम
श्री सन्तान सप्तभी व्रत कथा
एक फाय मुधधत्ष्ठय ने बगवान श्रीकृ ष्ण से कहा- हे
प्रबो! कोई ऐसा उत्तभ व्रत फतराइमे त्जसके प्रबाव से
भनुष्मों के अनेकों साॊसारयक दु्ख औय क्रेश दूय हो जामे वे
ऩुि एवॊ ऩौिवान हो जाएॊ।
मुधधत्ष्ठय की फात सुनकय बगवान श्रीकृ ष्ण फोरे -
हे याजन ्! तुभने भनुष्मों के कल्माण हेतु फडा ही उत्तभ प्रश्न
फकमा है। भैं तुम्हें एक ऩौयाणणक कथा सुनाता हूॊ तुभ उसे
ध्मानऩूवाक सुनो। एक सभम रोभष ऋवष ब्रजयाज की भथुया
भें भेये भाता-वऩता देवकी तथा वसुदेव के घय आए।
ऋवषयाज को आमा हुआ देख कयके दोनों अत्मन्त
प्रसन्न हुए तथा उनको उत्तभ आसन ऩय फैठा कय उनका
अनेक प्रकाय से वन्दन औय सत्काय फकमा। देवकी तथा
वसुदेव की बत्क्तऩूवाक ऋवष से प्रशन्न होकय रोभष
ऋवष उनको कथा सुनाने रगे।
रोभष ने कहा फक - हे देवकी! दुष्ट दुया ायी ऩाऩी कॊ स
ने तुम्हाये कई ऩुिों को ऩैदा होते ही भायकय तुम्हें ऩुिशोक ददमा
है।
इस दु्ख से भुक्त होने के सरए तुभ "सॊतान सप्तभी"
का व्रत कयो। इसी प्रकाय याजा नहुष की ऩत्नी ॊिभुखी
बी दु्खी यहा कयती थी। फकन्त्म ॊिभुखी ने "सॊतान
सप्तभी" व्रत ऩूणा व्रत ववधध ववधान के साथ फकमा था।
त्जसके प्रताऩ से ॊिभुखी के उसके बी ऩुि नहीॊ भये औय
उसको उत्तभ सन्तान का सुख प्राप्त हुआ। मह व्रत तुम्हें
बी ऩुिशोक से भुक्त कयेगा।
मह सुनकय देवकी ने हाथ जोडकय भुतन से प्राथना
की- हे ऋवषयाज! कृ ऩा भुझे व्रत का ऩूया ववधध-ववधान
फताने की कृ ऩा कयें ताफक भैं ववधधऩूवाक व्रत सम्ऩन्न
करूॊ औय इस दु्ख से छु टकाया ऩाउॊ।
रोभष ऋवष ने कहा फक - हे देवकी! अमोध्माऩुयी का प्रताऩी
याजा नहुष थे। उनकी ऩत्नी न्िभुखी अत्मन्त सुन्दय थीॊ।
उनके नगय भें ववष्णुदत्त नाभ का एक ब्राहभण यहता था।
उसकी स्िी का नाभ रूऩवती था। वह बी अत्मन्त रूऩवती
सुन्दयी थी।
यानी ॊिभुखी तथा रूऩवती भें ऩयस्ऩय घतनष्ठ
प्रेभ था। एक ददन वे दोनों सयमू नदी भें स्नान कयने के सरए
गई। वहाॊ उन्होंने देखा फक अन्म फहुत सी त्स्िमाॊ सयमू नदी भें
स्नान कयके तनभार वस्ि ऩहन कय एक भण्डऩ भें ऩावाती-सशव
की प्रततभा का ववधधऩूवाक ऩूजन फकमा। यानी औय ब्राह्
भणी ने मह देख कय उन त्स्िमों से ऩूछा फक - फहनों! तुभ मह
फकस देवता का औय फकस कायण से ऩूजन व्रत आदद कय यही
हो। मह सुन कय त्स्िमों ने कहा फक हभ "सन्तान सप्तभी" का
व्रत कय यही हैं औय हभने बगवान सशव-ऩावाती का ऩूजन
न्दन अऺत आदद से षोडषोऩ ाय ववधध से घागा फाॊधकय
हभने सॊकल्ऩ फकमा है फक जफ तक जीववत यहेंगी, तफ तक मह
व्रत कयती यहेंगी। मह ऩुण्म व्रत 'भुक्ताबयण व्रत' सुख तथा
सॊतान देने वारा है।
त्स्िमों से "सन्तान सप्तभी" व्रत की कथा सुनकय
यानी औय ब्राहभणी ने बी इस व्रत के कयने का भन ही भन
सॊकल्ऩ फकमा औय सशवजी के नाभ का घागा फाॉध सरमा।
ब्राहभणी इस व्रत को तनमभ ऩूवाक कयती यही फकन्तु घय
ऩहुॉ ने ऩय यानी न्िभुखी कबी व्रत का सॊकल्ऩ को बूर
जाती थी। परत् भृत्मु के ऩश् ात यानी वानयी तथा
ब्राहभणी भुगॉ की मोतन भें ऩैदा हुईं।
काराॊतय भें दोनों ऩशु मोतन छोडकय ऩुन् भनुष्म
मोतन भें आईं। रूऩवती ने एक ब्राहभण के महाॊ कन्मा के रूऩ
भें जन्भ सरमा। इस जन्भ भें यानी का नाभ ईश्वयी तथा
ब्राहभणी का नाभ बूषणा था। बूषणा का वववाह याजऩुयोदहत
अत्ग्नभुखी के साथ हुआ। इस जन्भ भें बी उन दोनों भें फडा
प्रेभ हो गमा।
व्रत के प्रबाव से बूषण देवी अत्मॊत सुन्दय थी उसे
अत्मन्त सुन्दय सवागुण सम्ऩन्न धभावीय, कभातनष्ठ, सुशीर
स्वबाव वारे आठ ऩुि उत्ऩन्न हुए। व्रत बूरने के कायण
यानी इस जन्भ भें बी सॊतान सुख से वॊध त यही।
प्रौढ़ावस्था भें उसने एक गूॊगा फहया फुविहीन अल्ऩ आमु
9 ससतम्फय - 2019
वारा एक ऩुि हुआ, त्जस कायण वह बी नौ वषा का होकय
भय गमा।
यानी के ऩुिशोक की सॊवेदना के सरए एक ददन
बूषणा उससे सभरने गई। ब्राहभणी ने यानी का सॊताऩ दूय
कयने के तनसभत्त अऩने आठों ऩुि यानी के ऩास छोड ददए।
उसे देखते ही यानी के भन भें ईष्माा ऩैदा हुई तथा उसके
भन भें ऩाऩ उत्ऩन्न हुआ। उसने बूषणा को ववदा कयके
उसके ऩुिों को बोजन के सरए फुरामा औय बोजन भें
ववष सभरा ददमा। ऩयन्तु बूषणा के व्रत के प्रबाव से
तथा बगवान शॊकय की कृ ऩा से ऩुिों को कोई हानी नहीॊ
हुई।
इससे यानी को औय बी अधधक क्रोध आमा।
उसने अऩने सेवकों को आऻा दी फक बूषणा के ऩुिों को
ऩूजा के फहाने मभुना के फकनाये रे जाकय गहये जर भें
धके र ददमा जाए। फकन्तु ऩुन् बगवान सशव औय भाता
ऩावाती की कृ ऩा से इस फाय बी बूषणा के फारक व्रत के
प्रबाव से फ गए। फपय यानी ने जल्रादों को फुराकय
आऻा दी फक ब्राहभण फारकों को वध-स्थर ऩय रे
जाकय भाय डारो फकन्तु जल्रादों द्वाया फेहद प्रमास
कयने ऩय बी फारक न भय सके । मह सभा ाय सुनकय
यानी आश् मा फकत हो गई औय इस यहस्म का ऩता रगाने
उसने बूषणा को फुराकय सायी फात फताई औय फपय
ऺभामा ना कयके उससे ऩूछा- फकस कायण तुम्हाये फच् े
नहीॊ भय ऩाए?
बूषणा फोरी- क्मा आऩको ऩूवाजन्भ की फात
स्भयण नहीॊ है? यानी ने आश् मा से कहा- नहीॊ, भुझे तो
कु छ माद नहीॊ है?
तफ उसने कहा- सुनो, ऩूवाजन्भ भें तुभ याजा
नहुष की यानी थी औय भैं तुम्हायी सखी। हभ दोनों ने
एक फाय बगवान सशव का घागा फाॊधकय सॊकल्ऩ फकमा
था फक जीवन-ऩमान्त सॊतान सप्तभी का व्रत कयेंगी।
फकन्तु दुबााग्मवश तुभ सफ बूर गईं औय व्रत की
अवहेरना होने झूठ फोरने का दोष ववसबन्न मोतनमों भें
जन्भ रेती हुई तू आज बी बोग यही है।
भैंने इस व्रत को ऩूणा ववधध-ववधान सदहत तनमभ
ऩूवाक सदैव फकमा औय आज बी कयती हूॊ।
रोभष ऋवष ने कहा- हे देवकी! बूषणा ब्राहभणी के
भुख से अऩने ऩूवा जन्भ की कथा तथा व्रत सॊकल्ऩ इत्मादद
सुनकय यानी को ऩुयानी फातें माद आ गई औय ऩश् ाताऩ कयने
रगी तथा बूषणा ब्राहभणी के यणों भें ऩडकय ऺभा मा ना
कयने रगी औय बगवान शॊकय ऩावाती जी की अऩाय भदहभा के
गीत गाने रगी। मह सफ सुनकय यानी ने बी ववधधऩूवाक
सॊतान सुख देने वारा मह भुक्ताबयण व्रत यखा। तफ
व्रत के प्रबाव से यानी ऩुन् गबावती हुई औय एक सुॊदय
फारक को जन्भ ददमा। उसी सभम से ऩुि-प्रात्प्त औय
सॊतान की यऺा के सरए मह व्रत प्र सरत है।
बगवान शॊकय के व्रत का ऐसा प्रबाव है फक ऩथ भ्रष्ट
भनुष्म बी अऩने ऩथ ऩय अग्रसय हो जाता है औय अनन्त
ऐश्वमा बोगकय भोऺ को प्राप्त कयता है। रोभष ऋवष ने फपय
कहा फक - देवकी! इससरए भैं तुभसे बी कहता हूॊ फक तुभ बी
इस व्रत को कयने का सॊकल्ऩ अऩने भन भें कयो तो तुभको बी
सन्तान सुख सभरेगा। इतनी कथा सुनकय देवकी हाथ जोड
कय रोभष ऋवष से ऩूछने रगी- हे ऋवषयाज! भैं इस ऩुनीत व्रत
को अवश्म करूॊ गी, फकन्तु आऩ इस कल्माणकायी एवॊ सन्तान
सुख देने वारे व्रत का ववधध-ववधान, तनमभ आदद ववस्ताय से
सभझाएॊ।
मह सुनकय ऋवष फोरे- हे देवकी! मह ऩुनीत व्रत बादों
बािऩद के भहीने भें शुक्रऩऺ की सप्तभी के ददन फकमा जाता
है। उस ददन ब्रहभभुहूता भें उठकय फकसी नदी अथवा कु एॊ के
ऩववि जर भें स्नान कयके तनभार वस्ि धायण कयने ादहए।
श्री शॊकय बगवान तथा भाता ऩावाती जी की भूतता की स्थाऩना
कयें। इन प्रततभाओॊ के सम्भुख सोने, ाॊदी के तायों का अथवा
येशभ का एक गॊडा फनावें उस गॊडे भें सात गाॊठें रगानी ादहए।
इस गॊडे को धूऩ, दीऩ, अष्ट गॊध से ऩूजा कयके अऩने हाथ भें
फाॊधे औय बगवान शॊकय से अऩनी काभना सपर होने की
प्राथाना कयें।
तदन्तय सात ऩुआ फनाकय बगवान को बोग रगावें
औय सात ही ऩुवे एवॊ मथाशत्क्त सोने अथवा ाॊदी की अॊगूठी
फनवाकय इन सफको एक ताॊफे के ऩाि भें यखकय औय उनका
शोडषोऩ ाय ववधध से ऩूजन कयके फकसी सदा ायी, धभातनष्ठ,
सुऩाि ब्राहभण को दान देवें। उसके ऩश् ात सात ऩुआ स्वमॊ
प्रसाद के रूऩ भें ग्रहण कयें।
10 ससतम्फय -
2019
इस प्रकाय इस व्रत का ऩायामण कयना ादहए।
प्रततसार बािऩद की शुक्रऩऺ की सप्तभी के ददन, हे देवकी!
इस व्रत को इस प्रकाय तनमभ ऩूवा कयने से सभस्त ऩाऩ नष्ट
होते हैं औय बाग्मशारी सॊतान उत्ऩन्न होती है तथा अन्त भें
सशवरोक की प्रात्प्त होती है।
हे देवकी! भैंने तुभको सन्तान सप्तभी का व्रत सम्ऩूणा
ववधान ववस्ताय सदहत वणान फकमा है। उसको अफ तुभ तनमभ
ऩूवाक कयो, त्जससे तुभको उत्तभ सन्तान उत्ऩन्न होगी।
इतनी कथा कहकय बगवान श्रीकृ ष्ण ने धभाावताय मुधधत्ष्ठय
से कहा फक - रोभष ऋवष इस प्रकाय हभायी भाता देवकी को
सशऺा देकय रे गए। ऋवष के कथनानुसाय हभायी भाता
देवकी ने इस व्रत को तनमभानुसाय फकमा त्जसके प्रबाव से हभ
उत्ऩन्न हुए।
मह व्रत ववशेष रूऩ से त्स्िमों के सरए कल्माणकायी है
ही ऩयन्तु ऩुरुषों को बी सभान रूऩ से कल्माण दामक है।
सन्तान सुख देने वारा तहा ऩाऩों का नाश कयने वारा मह
उत्तभ व्रत है त्जसे स्वमॊ बी कयें तथा दूसयों से बी कयावें। इस
व्रत को तनमभ ऩूवाक कयने से बगवान सशव-ऩावाती कृ ऩा
से तनश् म ही अभयऩद ऩद प्राप्त कयके अन्त भें सशवरोक को
प्राप्त कयता है।
संतान सप्तभी का व्रत ऩूजन:
सॊतान सप्तभी व्रत ऩुि प्रात्प्त, ऩुि यऺा तथा
ऩुि अभ्मुदम के सरए बािऩद के शुक्र ऩऺ की सप्तभी
को फकमा जाता है। इस व्रत का ववधान दोऩहय तक
यहता है। स्िीमाॊ देवी ऩावाती का ऩूजन कयके ऩुि प्रात्प्त
तथा उसके अभ्मुदम का वयदान भाॉगती हैं।
व्रत ववधान:
 प्रात्कार स्नानादद से तनवृत्त होकय स्वच्छ वस्ि
धायण कयें। दोऩहय को ौक ऩूय कय ॊदन, अऺत,
धूऩ, दीऩ, नैवेद्य, सुऩायी तथा नारयमर आदद से
सशव-ऩावाती का ऩूजन कयें।
 इस ददन नैवेद्य बोग के सरए खीय-ऩूयी तथा गुड के
ऩुए यखें।
 यऺा के सरए सशवजी को धागा बी अवऩात कयें।
 इस धागे को सशवजी के वयदान के रूऩ भें रेकय
उसे धायण कयके व्रतकथा का श्रवण कयें।
Beautiful Stone Bracelets
Natural Om
Mani Padme
Hum Bracelet
8 MM
Rs. 415
Natural Citrine
Golden Topaz
Sunehla (सुनेहरा)
Bracelet 8 MM
Rs. 415
 Lapis Lazuli Bracelet
 Rudraksha Bracelet
 Pearl Bracelet
 Smoky Quartz Bracelet
 Druzy Agate Beads Bracelet
 Howlite Bracelet
 Aquamarine Bracelet
 White Agate Bracelet
 Amethyst Bracelet
 Black Obsidian Bracelet
 Red Carnelian Bracelet
 Tiger Eye Bracelet
 Lava (slag) Bracelet
 Blood Stone Bracelet
 Green Jade Bracelet
 7 Chakra Bracelet
 Amanzonite Bracelet
 Amethyst Jade
 Sodalite Bracelet
 Unakite Bracelet
 Calcite Bracelet
 Yellow Jade Bracelet
 Rose Quartz Bracelet
 Snow Flakes Bracelet
11 ससतम्फय - 2019
भॊि ससि दुराब साभग्री
कारी हल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गट्टे की भारा - Rs- 370
भामा जार- Rs- 251, 551, 751 हल्दी भारा - Rs- 280
धन वृवि हकीक सेट Rs-280 (कारी हल्दी के साथ Rs-550) तुरसी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751 नवयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above
हकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नवयॊगी हकीक भारा Rs- 280, 460, 730
रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 हकीक भारा (सात यॊग) Rs- 280, 460, 730, 910
नाग के शय: 11 ग्राभ, Rs-145 भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above
स्पदटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above
सपे द ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 वैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460
यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुिाऺ भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450
भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above ववधुत भारा - Rs- 190, 280
कासभमा ससॊदूय- Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भूल्म भें अॊतय छोटे से फडे आकाय के कायण हैं।
>> Shop Online | Order Now
भॊि ससि स्पदटक श्री मॊि
"श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है। "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त
शुब फ़रदमी मॊि है। जो न के वर दूसये मन्िो से अधधक से अधधक राब देने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय
व्मत्क्त के सरए पामदेभॊद सात्रफत होता है। ऩूणा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त
के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी ससि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब
एवॊ सुख की प्रात्प्त होतत है। "श्री मॊि" भे सभाई अदिततम एवॊ अिश्म शत्क्त भनुष्म की सभस्त शुब इच्छाओॊ
को ऩूया कयने भे सभथा होतत है। त्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दूय होकय वह भनुष्म असफ़रता
से सफ़रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सुखो फक प्रात्प्त होतत
है। "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दूय कय सकायत्भक
उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है। "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से
वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩयेशातन भे न्मुनता आतत है व सुख-सभृवि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त
होती है। >> Shop Online | Order Now
गुरुत्व कामाथरम भे ववसबन्न आकाय के "श्री मॊि" उप्रब्ध है
भूल्म:- प्रतत ग्राभ Rs. 28.00 से Rs.100.00
GURUTVA KARYALAY
BHUBNESWAR-751018, (ODISHA), Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785,
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
12 ससतम्फय - 2019
सवा कामा ससवि कव
त्जस व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के
फादबी उसे भनोवाॊतछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भें
ससवि (राब) प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मत्क्त को सवा कामा
ससवि कव अवश्म धायण कयना ादहमे।
कवच के प्रभुख राब: सवा कामा ससवि कव के द्वारा
सुख सभृवि औय नव ग्रहों के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय
धायण कयता व्मत्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के दु:ख-दारयि
का नाश हो कय सुख-सौबाग्म एवॊ उन्नतत प्रात्प्त होकय
जीवन भे ससब प्रकाय के शुब कामा ससि होते हैं। त्जसे धायण
कयने से व्मत्क्त मदद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे वृवि
होतत हैं औय मदद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नतत होती हैं।
 सवा कामा ससवि कव के साथ भें सवथजन वशीकयण कव
के सभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दूसये
व्मत्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं।
 सवा कामा ससवि कव के साथ भें अष्ट रक्ष्भी कव के
सभरे होने की वजह से व्मत्क्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी
की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। त्जस्से भाॊ रक्ष्भी
के अष्ट रुऩ (१)-आदद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-
ववजम रक्ष्भी, (७)-ववद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं।
 सवा कामा ससवि कव के साथ भें तंत्र यऺा कव के सभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दूय होती हैं,
साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कु प्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव के प्रबाव
से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दुष्ट प्रबावो से यऺा होती हैं।
 सवा कामा ससवि कव के साथ भें शत्रु ववजम कव के सभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त
ऩयेशातनओ से स्वत् ही छु टकाया सभर जाता हैं। कव के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का ाहकय
कु छ नही त्रफगाड सकते।
अन्म कव के फाये भे अधधक जानकायी के सरमे कामाारम भें सॊऩका कये:
फकसी व्मत्क्त ववशेष को सवा कामा ससवि कव देने नही देना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास सुयक्षऺत हैं।
>> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
13 ससतम्फय - 2019
भोऺप्रदा
ऩद्मा
एकादशी
ऩद्मा (ऩरयवततानी) एकादशी व्रत 09-ससतम्फय-2019 ( वाय)
 सॊकरन गुरुत्व कामाारम
ऩद्मा (ऩरयवतानी) एकादशी व्रत कथा
बाद्रऩद : शुक्र एकादशी
एक फाय मुधधत्ष्ठय बगवान श्रीकृ ष्ण से ऩूछते हैं,
हे बगवान! बािऩद शुक्र एकादशी का क्मा नाभ है?
इसभें फकस देवता की ऩूजा की जाती है औय इसका व्रत
कयने से क्मा पर सभरता है ?" व्रत कयने की ववधध
तथा इसका भाहात्म्म कृ ऩा कयके कदहए। बगवान
श्रीकृ ष्ण कहने रगे फक इस एकादशी का नाभ ऩद्मा
(ऩरयवततथनी) एकादशी तथा इसे वाभन एकादशी से बी
जाना जाता है। अफ आऩ शाॊततऩूवाक इस व्रतकी कथा
सुतनए। इसका मऻ कयने से ही वाजऩेमी
मऻ / अनन्त मऻ का पर सभरता है।
इस ऩुण्म, स्वगा औय भोऺ को देने
वारी तथा सफ ऩाऩों का नाश कयने
वारी, उत्तभ एकादशी का
भाहात्म्म भैं तुभसे कहता हूॉ तुभ
ध्मानऩूवाक सुनो। जो भनुष्म
ऩाऩनाशक इस कथा को ऩढ़ते मा
सुनते हैं, उनको हजाय अश्वभेध मऻ
के सभान पर प्राप्त होता है।
ऩावऩमों के ऩाऩ नाश कयने के सरए इससे फढ़कय
औय कोई सयर उऩाम नहीॊ। जो भनुष्म इस एकादशी के
ददन भेये वाभन रूऩ की ऩूजा कयता है, उससे तीनों
रोक ऩूज्म होते हैं। अत: भोऺ की इच्छा कयने वारे
भनुष्म को इस व्रत को अवश्म कयना ादहए।
जो वाभन बगवान का कभर से ऩूजन कयते हैं, वे
अवश्म उनके के सभीऩ जाते हैं। त्जस भनुष्म ने
बािऩद शुक्र एकादशी को व्रत औय ऩूजन फकमा, उसने
ब्रहभा, ववष्णु सदहत तीनों रोकों के ऩूजन के सभान
पर की प्रात्प्त होती हैं। अत: एकादशी का व्रत अवश्म
कयना ादहए। इस ददन बगवान एक ओय से दूसयी ओय
कयवट रेते हैं, इससरए इसको ऩरयवततानी एकादशी कहते
हैं।
बगवान के व न सुनकय मुधधत्ष्ठय फोरे फक
बगवान! भुझे अततउत्सुकता हो यही है फक आऩ फकस
प्रकाय सोते औय कयवट रेते हैं तथा फकस तयह याजा
फसर को फाॉधा औय वाभन रूऩ यखकय क्मा-क्मा रीराएॉ
कीॊ? ातुभाास के व्रत की क्मा ववधध है तथा आऩके
शमन कयने ऩय भनुष्म का क्मा कताव्म है। वह सफ
आऩ भुझसे ववस्ताय से फताइए।
श्रीकृ ष्ण कहने रगे फक हे याजन! अफ आऩ सफ
ऩाऩों को नष्ट कयने वारी कथा का श्रवण कयें।
िेतामुग भें "फसर" नाभक एक दैत्म था। वह भेया ऩयभ
बक्त था। ववववध प्रकाय के वेद सूक्तों से
भेया ऩूजन फकमा कयता था औय तनत्म
ही ब्राहभणों का ऩूजन तथा मऻ का
आमोजन कयता था, रेफकन इॊि से
द्वेष के कायण उसने इॊिरोक तथा
सबी देवताओॊ को जीत सरमा।
इस कायण सबी देवता एकि
होकय सो -वव ायकय भेये ऩास आए।
फृहस्ऩतत सदहत इॊिाददक देवता भेये के
तनकट आकय औय नतभस्तक होकय वेद
भॊिों द्वाया भेया ऩूजन औय स्तुतत कयने रगे। अत:
देवताओॊ के आग्रह ऩय भैंने वाभन रूऩ धायण कयके
ऩाॉ वाॉ अवताय सरमा औय फपय अत्मॊत तेजस्वी रूऩ से
याजा फसर को जीत सरमा।
इतनी वाताा सुनकय याजा मुधधत्ष्ठय फोरे फक हे
बगवान! आऩने वाभन रूऩ धायण कयके उस भहाफरी
दैत्म को फकस प्रकाय जीता? श्रीकृ ष्ण कहने रगे- भैंने
वाभन रूऩधायण कय फसर से तीन ऩग बूसभ की मा ना
कयते हुए कहा "मे भुझको तीन रोक के सभान है" औय
हे याजन मह तुभको अवश्म ही देनी होगी। इससे तुम्हें
तीन रोक दान का पर प्राप्त होगा"।
याजा फसर ने इसे तुच्छ मा ना सभझकय तीन
ऩग बूसभ का सॊकल्ऩ भुझको दे ददमा औय भैंने अऩने
14 ससतम्फय - 2019
त्रिववक्रभ रूऩ को फढ़ाकय महाॉ तक फक बूरोक भें ऩद,
बुवरोक भें जॊघा, स्वगारोक भें कभय, भह:रोक भें ऩेट,
जनरोक भें रृदम, मभरोक भें कॊ ठ की स्थाऩना कय
सत्मरोक भें भुख, उसके ऊऩय भस्तक स्थावऩत फकमा।
सूमा, ॊिभा आदद सफ ग्रह गण, मोग, नऺि,
इॊिाददक देवता औय शेष आदद सफ नागगणों ने ववववध
प्रकाय से वेद सूक्तों से प्राथाना की। तफ भैंने याजा फसर
का हाथ ऩकडकय कहा फक हे याजन! एक ऩद से ऩृथ्वी,
दूसये से स्वगारोक ऩूणा हो गए। अफ तीसया ऩग कहाॉ
यखूॉ?
तफ फसर ने अऩना ससय झुका कय अनुयोध फकमा
प्रबु आऩ के ऩद भेये ससय ऩय यख दीत्जए औय भैंने
अऩना ऩैय उसके भस्तक ऩय यख ददमा त्जससे भेया वह
बक्त ऩातार को रा गमा।
ऩातार रोक भें याजा फसर ने ववनीत की तो
बगवान ववष्णु ने कहा की- भैं तुम्हाये ऩास सदैव यहूॉगा।
बादो भास के शुक्र ऩऺ की 'ऩरयवतानी' नाभ की
एकादशी के ददन भैं एक रूऩ से याजा फसर के ऩास
यहूॉगा औय एक रूऩ से ऺीयसागय भें शेषनाग ऩय शमन
कयता यहूॉगा।" इस एकादशी के ददन बगवान ववष्णु सोते
हुए कयवट फदरते हैं। इस ददन त्रिरोक के नाथ ववष्णु
बगवान की ऩूजा की जाती है। वाभन एकादशी के ददन
चावर औय दही सदहत चांदी का दान कयने का ववशेष
ववधध-ववधान है। यात्रि को जागयण अवश्म कयना ादहए।
ऩौयाणणक भान्मता के अनुशाय जो भनुष्म
ववधधऩूवाक इस एकादशी का व्रत को कयते हैं, वे सफ
ऩाऩों से भुक्त होकय स्वगा भें जाकय ॊिभा के सभान
प्रकासशत होते हैं औय मश को प्राप्त कयते हैं।
***
कनकधाया मॊि
आज के बौततक मुग भें हय व्मत्क्त अततशीघ्र सभृि फनना ाहता हैं। कनकधाया
मॊि फक ऩूजा अ ाना कयने से व्मत्क्त के जन्भों जन्भ के ऋण औय दरयिता से शीघ्र
भुत्क्त सभरती हैं। मॊि के प्रबाव से व्माऩाय भें उन्नतत होती हैं, फेयोजगाय को
योजगाय प्रात्प्त होती हैं। कनकधाया मॊि अत्मॊत दुराब मॊिो भें से एक मॊि हैं त्जसे
भाॊ रक्ष्भी फक प्रात्प्त हेतु अ ूक प्रबावा शारी भाना गमा हैं। कनकधाया मॊि को
ववद्वानो ने स्वमॊससि तथा सबी प्रकाय के ऐश्वमा प्रदान कयने भें सभथा भाना हैं।
आज के मुग भें हय व्मत्क्त अततशीघ्र सभृि फनना ाहता हैं। धन प्रात्प्त हेतु प्राण-प्रततत्ष्ठत कनकधाया मॊि के
साभने फैठकय कनकधाया स्तोि का ऩाठ कयने से ववशेष राब प्राप्त होता हैं। इस कनकधाया मॊि फक ऩूजा अ ाना
कयने से ऋण औय दरयिता से शीघ्र भुत्क्त सभरती हैं। व्माऩाय भें उन्नतत होती हैं, फेयोजगाय को योजगाय प्रात्प्त
होती हैं। जैसे श्री आदद शॊकया ामा द्वारा कनकधाया स्तोि फक य ना कु छ इस प्रकाय की गई हैं, फक त्जसके श्रवण
एवॊ ऩठन कयने से आस-ऩास के वामुभॊडर भें ववशेष अरौफकक ददव्म उजाा उत्ऩन्न होती हैं। दठक उसी प्रकाय से
कनकधाया मॊि अत्मॊत दुराब मॊिो भें से एक मॊि हैं त्जसे भाॊ रक्ष्भी फक प्रात्प्त हेतु अ ूक प्रबावा शारी भाना गमा
हैं। कनकधाया मॊि को ववद्वानो ने स्वमॊससि तथा सबी प्रकाय के ऐश्वमा प्रदान कयने भें सभथा भाना हैं। जगद्गुरु
शॊकया ामा ने दरयि ब्राहभण के घय कनकधाया स्तोि के ऩाठ से स्वणा वषाा कयाने का उल्रेख ग्रॊथ शॊकय ददत्ग्वजम
भें सभरता हैं। कनकधाया भॊि:- ॐ वॊ श्रीॊ वॊ ऐॊ ह्ीॊ-श्रीॊ क्रीॊ कनक धायमै स्वाहा'
GURUTVA KARYALAY
Call Us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
or Shop Online @ www.gurutvakaryalay.com
15 ससतम्फय - 2019
इॊददया
एकादशी
इॊददया एकादशी व्रत 25-ससतम्फय-2019 ( वाय)
 सॊकरन गुरुत्व कामाारम
इॊददया एकादशी व्रत कथा
आश्ववन : कृ ष्ण एकादशी
एक फाय मुधधत्ष्ठय बगवान श्रीकृ ष्ण से ऩूछते हैं,
हे बगवान! आत्श्वन कृ ष्ण एकादशी का क्मा नाभ है?
इसभें फकस देवता की ऩूजा की जाती है औय इसका व्रत
कयने से क्मा पर सभरता है ?" व्रत कयने की ववधध
तथा इसका भाहात्म्म कृ ऩा कयके कदहए। बगवान
श्रीकृ ष्ण कहने रगे फक इस एकादशी का नाभ इंददया
एकादशी है। मह एकादशी ऩाऩों को नष्ट कयने वारी
तथा वऩतयों को अधोगतत से भुत्क्त देने वारी होती है।
हे याजन! ध्मानऩूवाक इसकी कथा सुनो। इसके
सुनने भाि से ही वामऩेम मऻ का पर
सभरता है।
प्रा ीनकार भें सतमुग के
सभम भें भदहष्भतत नाभ की एक
नगयी भें इॊिसेन नाभ का एक
प्रताऩी याजा धभाऩूवाक अऩनी प्रजा
का ऩारन कयते हुए शासन कयता
था। वह याजा ऩुि, ऩौि औय धन
आदद से सॊऩन्न औय ववष्णु का ऩयभ
बक्त था। एक ददन जफ याजा सुखऩूवाक
अऩनी सबा भें फैठा था तो आकाश भागा से भहवषा नायद
उतयकय उसकी सबा भें ऩधाये। याजा उन्हें देखते ही हाथ
जोडकय खडा हो गमा औय ववधधऩूवाक आसन व अघ्मा
ददमा।
आनॊद ऩूवाक फैठकय नायदजी ने याजा से ऩूछा
फक हे याजन! आऩके सातों अॊग कु शरऩूवाक तो हैं?
तुम्हायी फुवि धभा भें औय तुम्हाया भन ववष्णु बत्क्त भें
तो यहता है? देववषा नायद की ऐसी फातें सुनकय याजा ने
कहा- हे भहवषा! आऩकी कृ ऩा से भेये याज्म भें सफ
कु शर-भॊगर है तथा भेये महाॉ मऻ कभाादद सुकृ त हो यहे
हैं। आऩ कृ ऩा कयके अऩने आगभन का कायण फताए।
तफ ऋवष कहने रगे फक हे याजन! आऩ आश् मा
देने वारे भेये व नों को सुनो।
भैं एक सभम ब्रहभरोक से
मभरोक को गमा, वहाॉ श्रिाऩूवाक
मभयाज से ऩूत्जत होकय भैंने
धभाशीर औय सत्मवान धभायाज की
प्रशॊसा की। उसी मभयाज की सबा
भें भहान ऻानी औय धभाात्भा
तुम्हाये वऩता को एकादशी का व्रत
बॊग होने के कायण देखा। उन्होंने सॊदेशा
बेजा हैं, जो भैं तुम्हें कहता हूॉ। उन्होंने कहा
फक ऩूवा जन्भ भें कोई ववघ्न हो जाने के कायण भैं
श्री भहारक्ष्भी मंत्र
धन फक देवी रक्ष्भी हैं जो भनुष्म को धन, सभृवि एवॊ ऐश्वमा प्रदान कयती हैं। अथा(धन) के त्रफना भनुष्म जीवन
दु्ख, दरयिता, योग, अबावों से ऩीडडत होता हैं, औय अथा(धन) से मुक्त भनुष्म जीवन भें सभस्त सुख-सुववधाएॊ
बोगता हैं। श्री भहारक्ष्भी मॊि के ऩूजन से भनुष्म की जन्भों जन्भ की दरयिता का नाश होकय, धन प्रात्प्त के प्रफर
मोग फनने रगते हैं, उसे धन-धान्म औय रक्ष्भी की वृवि होती हैं। श्री भहारक्ष्भी मॊि के तनमसभत ऩूजन एवॊ दशान
से धन की प्रात्प्त होती है औय मॊि जी तनमसभत उऩासना से देवी रक्ष्भी का स्थाई तनवास होता है। श्री भहारक्ष्भी
मॊि भनुष्म फक सबी बौततक काभनाओॊ को ऩूणा कय धन ऐश्वमा प्रदान कयने भें सभथा हैं। अऺम तृतीमा, धनतेयस,
दीवावरी, गुरु ऩुष्माभृत मोग यववऩुष्म इत्मादद शुब भुहूता भें मॊि की स्थाऩना एवॊ ऩूजन का ववशेष भहत्व हैं।
>> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
16 ससतम्फय - 2019
मभयाज के तनकट यह यहा हूॉ, सो हे ऩुि मदद तुभ
आत्श्वन कृ ष्णा इॊददया एकादशी का व्रत भेये तनसभत्त
कयो तो भुझे स्वगा की प्रात्प्त हो सकती है।
इतना सुनकय याजा कहने रगा फक हे भहवषा
आऩ इस व्रत की ववधध भुझसे कदहए। नायदजी कहने
रगे- आत्श्वन भाह की कृ ष्ण ऩऺ की दशभी के ददन
प्रात:कार स्नानादद से तनवृत्त होकय ऩुन: दोऩहय को
नदी आदद भें जाकय स्नान कयें।
फपय श्रिाऩूवा वऩतयों का श्राि कयें औय एक फाय
बोजन ग्रहण कयें। प्रात:कार होने ऩय एकादशी के ददन
दातून आदद कयके स्नान कयें, फपय व्रत के तनमभों को
बत्क्तऩूवाक ग्रहण कयता हुआ प्रततऻा कयें फक ‘भैं आज
सॊऩूणा बोगों को त्माग कय तनयाहाय एकादशी का व्रत
करूॉ गा।
हे प्रबु! हे ऩुॊडयीकाऺ! भैं आऩकी शयण हूॉ, आऩ
भेयी यऺा कीत्जए, इस प्रकाय तनमभऩूवाक शासरग्राभ की
भूतता के आगे ववधधऩूवाक श्राि कयके मोग्म ब्राहभणों को
पराहाय का बोजन कयाएॉ औय दक्षऺणा दें। वऩतयों के
श्राि से जो फ जाए उसको सूॉघकय गौ को दें तथा
धूऩ, दीऩ, गॊध, ऩुष्ऩ, नैवेद्य आदद सफ साभग्री से
ऋवषके श बगवान का ऩूजन कयें।
यात भें बगवान के तनकट जागयण कयें। इसके
ऩश् ात द्वादशी के ददन प्रात:कार होने ऩय बगवान का
ऩूजन कयके ब्राहभणों को बोजन कयाएॉ। बाई-फॊधुओॊ,
स्िी औय ऩुि सदहत आऩ बी भौन होकय बोजन कयें।
नायदजी कहने रगे फक हे याजन! इस ववधध से मदद तुभ
आरस्म यदहत होकय इस एकादशी का व्रत कयोगे तो
तुम्हाये वऩता अवश्म ही स्वगारोक को जाएॉगे। इतना
कहकय नायदजी अॊतध्माान हो गए।
नायदजी के कथनानुसाय याजा द्वाया अऩने फाॉधवों
तथा दासों सदहत व्रत कयने से आकाश से ऩुष्ऩवषाा हुई
औय उस याजा का वऩता गरुड ऩय ढ़कय ववष्णुरोक को
गमा। याजा इॊिसेन बी एकादशी के व्रत के प्रबाव से
तनष्कॊ टक याज्म कयके अॊत भें अऩने ऩुि को ससॊहासन
ऩय फैठाकय स्वगारोक को गमा।
हे मुधधत्ष्ठय! मह इॊददया एकादशी के व्रत का
भाहात्म्म भैंने तुभसे कहा। इसके ऩढ़ने औय सुनने से
भनुष्म सफ ऩाऩों से छू ट जाते हैं औय सफ प्रकाय के
बोगों को बोगकय फैकुॊ ठ को प्राप्त होते हैं।
***
भॊि ससि स्पदटक श्री मॊि
"श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है। "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब फ़रदमी मॊि है। जो
न के वर दूसये मन्िो से अधधक से अधधक राब देने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के सरए पामदेभॊद सात्रफत होता है। ऩूणा प्राण-
प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी ससि होता है उसके
दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सुख की प्रात्प्त होतत है। "श्री मॊि" भे सभाई अद्ववतीम एवॊ अिश्म शत्क्त भनुष्म की सभस्त शुब
इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होतत है। त्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दूय होकय वह भनुष्म असफ़रता से सफ़रता
फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सुखो फक प्रात्प्त होतत है। "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भें उत्ऩन्न
होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दूय कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है। "श्री मॊि" की स्थाऩन से
घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩयेशातन भे न्मुनता आतत है व सुख-सभृवि, शाॊतत
एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त होती है।
गुरुत्व कामाथरम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 Gram (2.25Kg) तक फक साइज भे उप्रब्ध है
.
भूल्म:- प्रतत ग्राभ Rs. 28 से Rs.100 >>Order Now
GURUTVA KARYALAY
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com www.gurutvajyotish.com and gurutvakaryalay.blogspot.com
17 ससतम्फय - 2019
दहन्दू देवताओॊ भें सवाप्रथभ ऩूजनीम श्री गणेशजी
 सॊकरन गुरुत्व कामाारम
बायतीम सॊस्कृ तत भें प्रत्मेक शुबकामा कयने के
ऩूवा बगवान श्री गणेश जी की ऩूजा की जाती हैं इसी
सरमे मे फकसी बी कामा का शुबायॊब कयने से ऩूवा कामा
का "श्री गणेश कयना" कहा जाता हैं। एवॊ प्रत्मक शुब
कामा मा अनुष्ठान कयने के ऩूवा
‘‘श्री गणेशाम नभ्” का
उच् ायण फकमा जाता हैं।
गणेश को सभस्त
ससविमों को देने वारा
भाना गमा है। सायी
ससविमाॉ गणेश भें
वास कयती हैं।
इसके ऩीछे
भुख्म कायण हैं की
बगवान श्री गणेश सभस्त
ववघ्नों को टारने वारे हैं, दमा एवॊ कृ ऩा के
अतत सुॊदय भहासागय हैं, एवॊ तीनो रोक के कल्माण हेतु
बगवान गणऩतत सफ प्रकाय से मोग्म हैं। सभस्त ववघ्न
फाधाओॊ को दूय कयने वारे गणेश ववनामक हैं। गणेशजी
ववद्या-फुवि के अथाह सागय एवॊ ववधाता हैं।
बगवान गणेश को सवथ प्रथभ ऩूजे जाने के
ववषम भें कु छ ववशेष रोक कथा प्रचसरत हैं। इन ववशेष
एवं रोकवप्रम कथाओं का वणथन महा कय यहें हैं।
इस के सॊदबा भें एक कथा है फक भहवषा वेद व्मास ने
भहाबायत को से फोरकय सरखवामा था, त्जसे स्वमॊ
गणेशजी ने सरखा था। अन्म कोई बी इस ग्रॊथ को तीव्रता से
सरखने भें सभथा नहीॊ था।
सवथप्रथभ कौन ऩूजनीम हो?
कथा इस प्रकाय हैं : तीनो रोक भें सवाप्रथभ कौन ऩूजनीम
हो?, इस फात को रेकय सभस्त देवताओॊ भें वववाद खडा हो
गमा। जफ इस वववादने फडा रुऩ धायण कय सरमे तफ
सबी देवता अऩने-अऩने फर फुविअ के फर ऩय दावे
प्रस्तुत कयने रगे। कोई ऩयीणाभ
नहीॊ आता देख सफ देवताओॊ ने
तनणाम सरमा फक रकय
बगवान श्री ववष्णु को
तनणाामक फना कय
उनसे पै सरा कयवामा
जाम।
सबी देव गण
ववष्णु रोक भे
उऩत्स्थत हो गमे, बगवान
ववष्णु ने इस भुद्दे को गॊबीय होते
देख श्री ववष्णु ने सबी देवताओॊ को अऩने
साथ रेकय सशवरोक भें ऩहु गमे। सशवजी ने कहा
इसका सही तनदान सृत्ष्टकताा ब्रहभाजी दह फताएॊगे।
सशवजी श्री ववष्णु एवॊ अन्म देवताओॊ के साथ सभरकय
ब्रहभरोक ऩहु ें औय ब्रहभाजी को सायी फाते ववस्ताय से
फताकय उनसे पै सरा कयने का अनुयोध फकमा। ब्रहभाजी
ने कहा प्रथभ ऩूजनीम वहीॊ होगा जो जो ऩूये ब्रहभाण्ड के
तीन क्कय रगाकय सवाप्रथभ रौटेगा।
सभस्त देवता ब्रहभाण्ड का क्कय रगाने के सरए
अऩने अऩने वाहनों ऩय सवाय होकय तनकर ऩडे। रेफकन,
गणेशजी का वाहन भूषक था। बरा भूषक ऩय सवाय हो गणेश
कै से ब्रहभाण्ड के तीन क्कय रगाकय सवाप्रथभ रौटकय
सपर होते। रेफकन गणऩतत ऩयभ ववद्या-फुविभान एवॊ तुय
थे।
18 ससतम्फय - 2019
गणऩतत ने अऩने वाहन भूषक ऩय सवाय हो कय
अऩने भाता-वऩत फक तीन प्रदक्षऺणा ऩूयी की औय जा ऩहुॉ े
तनणाामक ब्रहभाजी के ऩास। ब्रहभाजी ने जफ ऩूछा फक वे क्मों
नहीॊ गए ब्रहभाण्ड के क्कय ऩूये कयने, तो गजाननजी ने
जवाफ ददमा फक भाता-वऩत भें तीनों रोक, सभस्त ब्रहभाण्ड,
सभस्त तीथा, सभस्त देव औय सभस्त ऩुण्म ववद्यभान होते
हैं।
अत् जफ भैंने अऩने भाता-वऩत
की ऩरयक्रभा ऩूयी कय री, तो इसका
तात्ऩमा है फक भैंने ऩूये ब्रहभाण्ड की
प्रदक्षऺणा ऩूयी कय री। उनकी मह
तका सॊगत मुत्क्त स्वीकाय कय री गई औय
इस तयह वे सबी रोक भें सवाभान्म
'सवाप्रथभ ऩूज्म' भाने गए।
सरंगऩुयाण के अनुसाय (105।
15-27) – एक फाय असुयों से िस्त
देवतागणों द्वाया की गई प्राथाना से
बगवान सशव ने सुय-सभुदाम को
असबष्ट वय देकय आश्वस्त फकमा।
कु छ ही सभम के ऩश् ात तीनो रोक
के देवाधधदेव भहादेव बगवान सशव का
भाता ऩावाती के सम्भुख ऩयब्रहभ
स्वरूऩ
गणेश जी का प्राकट्म हुआ।
सवाववघ्नेश भोदक वप्रम गणऩततजी का
जातकभाादद सॊस्काय के ऩश् ात ्
बगवान सशव ने अऩने ऩुि को उसका
कताव्म सभझाते हुए आशीवााद ददमा
फक जो तुम्हायी ऩूजा फकमे त्रफना ऩूजा
ऩाठ, अनुष्ठान इत्मादद शुब कभों का
अनुष्ठान कयेगा, उसका भॊगर बी
अभॊगर भें ऩरयणत हो जामेगा। जो
रोग पर की काभना से ब्रहभा, ववष्णु,
इन्ि अथवा अन्म देवताओॊ की बी
ऩूजा कयेंगे, फकन्तु तुम्हायी ऩूजा नहीॊ
कयेंगे, उन्हें तुभ ववघ्नों द्वाया फाधा ऩहुॉ ाओगे।
जन्भ की कथा बी फड़ी योचक है।
गणेशजी की ऩौयाणणक कथा
बगवान सशव फक अन उऩत्स्थतत भें भाता ऩावाती
ने वव ाय फकमा फक उनका स्वमॊ का एक सेवक होना
ादहमे, जो ऩयभ शुब, कामाकु शर तथा उनकी आऻा का
सतत ऩारन कयने भें कबी वव सरत न हो। इस प्रकाय
सो कय भाता ऩावाती नें अऩने
भॊगरभम ऩावनतभ शयीय के भैर से
अऩनी भामा शत्क्त से फार गणेश
को उत्ऩन्न फकमा।
एक सभम जफ भाता ऩावाती
भानसयोवय भें स्नान कय यही थी
तफ उन्होंने स्नान स्थर ऩय कोई आ
न सके इस हेतु अऩनी भामा से
गणेश को जन्भ देकय 'फार गणेश'
को ऩहया देने के सरए तनमुक्त कय
ददमा।
इसी दौयान बगवान सशव
उधय आ जाते हैं। गणेशजी सशवजी
को योक कय कहते हैं फक आऩ उधय
नहीॊ जा सकते हैं। मह सुनकय
बगवान सशव क्रोधधत हो जाते हैं औय
गणेश जी को यास्ते से हटने का
कहते हैं फकॊ तु गणेश जी अडे यहते हैं
तफ दोनों भें मुि हो जाता है। मुि
के दौयान क्रोधधत होकय सशवजी फार
गणेश का ससय धड से अरग कय
देते हैं। सशव के इस कृ त्म का जफ
ऩावाती को ऩता रता है तो वे
ववराऩ औय क्रोध से प्ररम का सृजन
कयते हुए कहती है फक तुभने भेये ऩुि
को भाय डारा।
ऩावातीजी के दु्ख को देखकय
सशवजी ने उऩत्स्थत गणको आदेश
देते हुवे कहा सफसे ऩहरा जीव सभरे,
उसका ससय काटकय इस फारक के धड
भॊि ससि ऩन्ना गणेश
बगवान श्री गणेश फुवि औय सशऺा के
कायक ग्रह फुध के अधधऩतत देवता
हैं। ऩन्ना गणेश फुध के सकायात्भक
प्रबाव को फठाता हैं एवॊ नकायात्भक
प्रबाव को कभ कयता हैं।. ऩन्न
गणेश के प्रबाव से व्माऩाय औय धन
भें वृवि भें वृवि होती हैं। फच् ो फक
ऩढाई हेतु बी ववशेष पर प्रद हैं
ऩन्ना गणेश इस के प्रबाव से फच् े
फक फुवि कू शाग्र होकय उसके
आत्भववश्वास भें बी ववशेष वृवि
होती हैं। भानससक अशाॊतत को कभ
कयने भें भदद कयता हैं, व्मत्क्त
द्वाया अवशोवषत हयी ववफकयण शाॊती
प्रदान कयती हैं, व्मत्क्त के शायीय के
तॊि को तनमॊत्रित कयती हैं। त्जगय,
पे पडे, जीब, भत्स्तष्क औय तॊत्रिका तॊि
इत्मादद योग भें सहामक होते हैं।
कीभती ऩत्थय भयगज के फने होते हैं।
Rs.550 से Rs.8200 तक
19 ससतम्फय - 2019
ई- जन्भ ऩत्रिका E HOROSCOPE
अत्माधुतनक ज्मोततष ऩितत द्वाया
उत्कृ ष्ट बववष्मवाणी के साथ
१००+ ऩेज भें प्रस्तुत
Create By Advanced
Astrology
Excellent Prediction
100+ Pages
दहॊदी/ English भें भूल्म भाि 910/-
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA
Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
ऩय रगा दो, तो मह फारक जीववत हो उठेगा। सेवको को
सफसे ऩहरे हाथी का एक फच् ा सभरा। उन्होंने उसका ससय
राकय फारक के धड ऩय रगा ददमा, फारक जीववत हो उठा।
उस अवसय ऩय तीनो देवताओॊ ने उन्हें सबी
रोक भें अग्रऩूज्मता का वय प्रदान फकमा औय उन्हें सवा
अध्मऺ ऩद ऩय ववयाजभान फकमा।
स्कं द ऩुयाण ब्रह्भवैवतथऩुयाण के अनुसाय (गणऩततखण्ड)
–
सशव-ऩावाती के वववाह होने के फाद उनकी कोई
सॊतान नहीॊ हुई, तो सशवजी ने ऩावातीजी से बगवान
ववष्णु के शुबपरप्रद ‘ऩुण्मक’ व्रत कयने को कहा ऩावाती
के ‘ऩुण्मक’ व्रत से बगवान ववष्णु ने प्रसन्न हो कय
ऩावातीजी को ऩुि प्रात्प्त का वयदान ददमा। ‘ऩुण्मक’ व्रत
के प्रबाव से ऩावातीजी को एक ऩुि उत्ऩन्न हुवा।
ऩुि जन्भ फक फात सुन कय सबी देव, ऋवष,
गॊधवा आदद सफ गण फारक के दशान हेतु ऩधाये। इन
देव गणो भें शतन भहायाज बी उऩत्स्थत हुवे। फकन्तु
शतनदेव ने ऩत्नी द्वाया ददमे गमे शाऩ के कायण फारक
का दशान नहीॊ फकमा। ऩयन्तु भाता ऩावाती के फाय-फाय
कहने ऩय शतनदेव नें जेसे दह अऩनी ित्ष्ट सशशु फारके
उऩय ऩडी, उसी ऺण फारक गणेश का गदान धड से
अरग हो गमा। भाता ऩावाती के ववरऩ कयने ऩय
बगवान ् ववष्णु ऩुष्ऩबिा नदी के अयण्म से एक गजसशशु
का भस्तक काटकय रामे औय गणेशजी के भस्तक ऩय
रगा ददमा। गजभुख रगे होने के कायण कोई गणेश फक
उऩेऺा न कये इस सरमे बगवान ववष्णु अन्म देवताओॊ
के साथ भें तम फकम फक गणेश सबी भाॊगरीक कामो भें
अग्रणीम ऩूजे जामेंगे एवॊ उनके ऩूजन के त्रफना कोई बी
देवता ऩूजा ग्रहण नहीॊ कयेंगे।
इस ऩय बगवान ् ववष्णु ने श्रेष्ठतभ उऩहायों से
बगवान गजानन फक ऩूजा फक औय वयदान ददमा फक
सवााग्रे तव ऩूजा भमा दत्ता सुयोत्तभ।
सवाऩूज्मश् मोगीन्िो बव वत्सेत्मुवा तभ्।।
(गणऩततखॊ. 13। 2)
बावाथथ: ‘सुयश्रेष्ठ! भैंने सफसे ऩहरे तुम्हायी ऩूजा फक है,
अत् वत्स! तुभ सवाऩूज्म तथा मोगीन्ि हो जाओ।’
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019

More Related Content

What's hot

What's hot (10)

Alakh kiaur
Alakh kiaurAlakh kiaur
Alakh kiaur
 
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
 
Sant avtaran
Sant avtaranSant avtaran
Sant avtaran
 
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
 
GuruGita
GuruGitaGuruGita
GuruGita
 
Shighra ishwarprapti
Shighra ishwarpraptiShighra ishwarprapti
Shighra ishwarprapti
 
Gyanmargna - Avdhigyan
Gyanmargna - AvdhigyanGyanmargna - Avdhigyan
Gyanmargna - Avdhigyan
 
Jitay jimukti
Jitay jimuktiJitay jimukti
Jitay jimukti
 
Mukti kasahajmarg
Mukti kasahajmargMukti kasahajmarg
Mukti kasahajmarg
 
Satsang suman
Satsang sumanSatsang suman
Satsang suman
 

Similar to GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019 (20)

ShighraIshwarPrapti
ShighraIshwarPraptiShighraIshwarPrapti
ShighraIshwarPrapti
 
MuktiKaSahajMarg
MuktiKaSahajMargMuktiKaSahajMarg
MuktiKaSahajMarg
 
AntarJyot
AntarJyotAntarJyot
AntarJyot
 
SantAvtaran
SantAvtaranSantAvtaran
SantAvtaran
 
Rishi prasad
Rishi prasadRishi prasad
Rishi prasad
 
Antar jyot
Antar jyotAntar jyot
Antar jyot
 
Aantar jyot
Aantar jyotAantar jyot
Aantar jyot
 
Mukti ka sahaj marg
Mukti ka sahaj margMukti ka sahaj marg
Mukti ka sahaj marg
 
SamtaSamrajya
SamtaSamrajyaSamtaSamrajya
SamtaSamrajya
 
Sighra iswar prapti
Sighra iswar praptiSighra iswar prapti
Sighra iswar prapti
 
JitayJiMukti
JitayJiMuktiJitayJiMukti
JitayJiMukti
 
Alakh ki aor
Alakh ki aorAlakh ki aor
Alakh ki aor
 
Alakh ki aur
Alakh ki aurAlakh ki aur
Alakh ki aur
 
AtamYog
AtamYogAtamYog
AtamYog
 
Daivi sampada
Daivi sampadaDaivi sampada
Daivi sampada
 
Samata samrajya
Samata samrajyaSamata samrajya
Samata samrajya
 
ShriGuruRamanyan
ShriGuruRamanyanShriGuruRamanyan
ShriGuruRamanyan
 
Satsang suman
Satsang sumanSatsang suman
Satsang suman
 
GagarMeinSagar
GagarMeinSagarGagarMeinSagar
GagarMeinSagar
 
Gagar meinsagar
Gagar meinsagarGagar meinsagar
Gagar meinsagar
 

More from GURUTVAKARYALAY

GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2
GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2
GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish jun 2019
Gurutva jyotish jun 2019Gurutva jyotish jun 2019
Gurutva jyotish jun 2019GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish jan 2013
Gurutva jyotish jan 2013Gurutva jyotish jan 2013
Gurutva jyotish jan 2013GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish dec 2012
Gurutva jyotish dec 2012Gurutva jyotish dec 2012
Gurutva jyotish dec 2012GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish oct 2012
Gurutva jyotish oct 2012Gurutva jyotish oct 2012
Gurutva jyotish oct 2012GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish sep 2012
Gurutva jyotish sep 2012Gurutva jyotish sep 2012
Gurutva jyotish sep 2012GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish aug 2012
Gurutva jyotish aug 2012Gurutva jyotish aug 2012
Gurutva jyotish aug 2012GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva Jyotish July 2012
Gurutva Jyotish July 2012Gurutva Jyotish July 2012
Gurutva Jyotish July 2012GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish jun 2012
Gurutva jyotish jun 2012Gurutva jyotish jun 2012
Gurutva jyotish jun 2012GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish may 2012
Gurutva jyotish may 2012Gurutva jyotish may 2012
Gurutva jyotish may 2012GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish feb 2012
Gurutva jyotish feb 2012Gurutva jyotish feb 2012
Gurutva jyotish feb 2012GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish jan 2012
Gurutva jyotish jan 2012Gurutva jyotish jan 2012
Gurutva jyotish jan 2012GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish dec 2011
Gurutva jyotish dec 2011Gurutva jyotish dec 2011
Gurutva jyotish dec 2011GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish nov 2011
Gurutva jyotish nov 2011Gurutva jyotish nov 2011
Gurutva jyotish nov 2011GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish oct 2011
Gurutva jyotish oct 2011Gurutva jyotish oct 2011
Gurutva jyotish oct 2011GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish aug 2011
Gurutva jyotish aug 2011Gurutva jyotish aug 2011
Gurutva jyotish aug 2011GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish july 2011
Gurutva jyotish july 2011Gurutva jyotish july 2011
Gurutva jyotish july 2011GURUTVAKARYALAY
 

More from GURUTVAKARYALAY (20)

GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2
GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2
GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2
 
Gurutva jyotish jun 2019
Gurutva jyotish jun 2019Gurutva jyotish jun 2019
Gurutva jyotish jun 2019
 
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
 
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
 
Gurutva jyotish jan 2013
Gurutva jyotish jan 2013Gurutva jyotish jan 2013
Gurutva jyotish jan 2013
 
Gurutva jyotish dec 2012
Gurutva jyotish dec 2012Gurutva jyotish dec 2012
Gurutva jyotish dec 2012
 
GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012
 
Gurutva jyotish oct 2012
Gurutva jyotish oct 2012Gurutva jyotish oct 2012
Gurutva jyotish oct 2012
 
Gurutva jyotish sep 2012
Gurutva jyotish sep 2012Gurutva jyotish sep 2012
Gurutva jyotish sep 2012
 
Gurutva jyotish aug 2012
Gurutva jyotish aug 2012Gurutva jyotish aug 2012
Gurutva jyotish aug 2012
 
Gurutva Jyotish July 2012
Gurutva Jyotish July 2012Gurutva Jyotish July 2012
Gurutva Jyotish July 2012
 
Gurutva jyotish jun 2012
Gurutva jyotish jun 2012Gurutva jyotish jun 2012
Gurutva jyotish jun 2012
 
Gurutva jyotish may 2012
Gurutva jyotish may 2012Gurutva jyotish may 2012
Gurutva jyotish may 2012
 
Gurutva jyotish feb 2012
Gurutva jyotish feb 2012Gurutva jyotish feb 2012
Gurutva jyotish feb 2012
 
Gurutva jyotish jan 2012
Gurutva jyotish jan 2012Gurutva jyotish jan 2012
Gurutva jyotish jan 2012
 
Gurutva jyotish dec 2011
Gurutva jyotish dec 2011Gurutva jyotish dec 2011
Gurutva jyotish dec 2011
 
Gurutva jyotish nov 2011
Gurutva jyotish nov 2011Gurutva jyotish nov 2011
Gurutva jyotish nov 2011
 
Gurutva jyotish oct 2011
Gurutva jyotish oct 2011Gurutva jyotish oct 2011
Gurutva jyotish oct 2011
 
Gurutva jyotish aug 2011
Gurutva jyotish aug 2011Gurutva jyotish aug 2011
Gurutva jyotish aug 2011
 
Gurutva jyotish july 2011
Gurutva jyotish july 2011Gurutva jyotish july 2011
Gurutva jyotish july 2011
 

GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019

  • 1. Nonprofit Publications . गुरुत्व कामाारम द्वाया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका ससतम्फय-2019 Our Web Site: www.gurutvajyotish.com Shp Our Product Online www.gurutvakaryalay.com Join Us: fb.com/gurutva.karyalay | twitter.com/#!/GURUTVAKARYALAY | plus.google.com/u/0/+ChintanJoshi
  • 2. FREE E CIRCULAR गुरुत्व ज्मोततष भाससक ई-ऩत्रिका भें रेखन हेतु फ्रीराॊस (स्वतॊि) रेखकों का स्वागत हैं... गुरुत्व ज्मोततष भाससक ई- ऩत्रिका भें आऩके द्वारा सरखे गमे भॊि, मॊि, तॊि, ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, पें गशुई, टैयों, येकी एवॊ अन्म आध्मात्त्भक ऻान वधाक रेख को प्रकासशत कयने हेतु बेज सकते हैं। अधधक जानकायी हेतु सॊऩका कयें। GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com गुरुत्व ज्मोततष भाससक ई-ऩत्रिका ससतम्फय 2019 सॊऩादक ध ॊतन जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोततष ववबाग गुरुत्व कामाारम 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA पोन 91+9338213418, 91+9238328785, ईभेर gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, वेफ www.gurutvakaryalay.com www.gurutvakaryalay.in http://gk.yolasite.com/ www.shrigems.com www.gurutvakaryalay.blogspot.com/ ऩत्रिका प्रस्तुतत ध ॊतन जोशी, गुरुत्व कामाारम पोटो ग्राफपक्स ध ॊतन जोशी, गुरुत्व कामाारम
  • 3. अनुक्रभ (9 2013) 7 45 श्री सन्तान सप्तभी व्रत 5-ससतम्फय-2019 (फुधवाय) 8 गणऩतत अथवाशीषा 46 ऩद्मा (ऩरयवततानी) एकादशी व्रत 09-ससतम्फय-2019 ( वाय) 13 गणेश स्तवन 47 इॊददया एकादशी व्रत 25-ससतम्फय-2019 ( वाय) 15 ववष्णुकृ तॊ गणेशस्तोिभ् 47 17 गणऩततस्तोिभ् 48 21 श्री ववघ्नेश्वयाष्टोत्तय शतनाभस्तोिभ् 48 ल 22 49 ऩॊ श्रोकी श्रीगणेशऩुयाण की भदहभा 26 ? 49 27 ल ल ? 50 ल 28 गणेश कव भ् 52 सॊकटनाशन गणेशस्तोिभ् 28 गणेशद्वादशनाभस्तोिभ् 54 ल ? 29 ऋ 55 30 ऋण भो न भहा गणऩतत स्तोि 56 30 57 ? 32 58 33 60 गणेशबुजॊगभ् 35 ववनामकस्तोि 61 36 श्री ससविववनामक स्तोिभ् 62 सॊकष्टहयणॊ गणेशाष्टकभ्‌ 40 63 गणेश ऩॊच् यत्नभ् 40 64 एकदन्त शयणागतत स्तोिभ् 41 ल 68 ल 42 ल 71 - ल 43 , औ 71 ल 44 72 स्थामी औय अन्म रेख सॊऩादकीम 4 दैतनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका 102 ससतम्फय 2019 भाससक ऩॊ ाॊग 92 ददन के ौघडडमे 103 ससतम्फय 2019 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय 94 ददन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक 104 ससतम्फय 2019 -ववशेष मोग 102
  • 4. वप्रम आत्त्भम, फॊधु/ फदहन जम गुरुदेव वक्रतुॊड भहाकाम सूमाकोदट सभप्रब: तनववाघ्नॊ कु रु भे देव: सवाकामेषु सवादा हे रॊफे शयीय औय हाथी सभान भुॊख वारे गणेशजी, आऩ कयोडों सूमा के सभान भकीरे हैं। कृ ऩा कय भेये साये काभों भें आने वारी फाधाओॊ ववघ्नो को आऩ सदा दूय कयते यहें। गणऩतत शब्द का अथथ हैं। गण(सभूह)+ऩतत (स्वाभी) = सभूह के स्वाभी को सेनाऩतत अथाात गणऩतत कहते हैं। भानव शयीय भें ऩाॉ ऻानेत्न्िमाॉ, ऩाॉ कभेत्न्िमाॉ औय ाय अन्त्कयण होते हैं। एवॊ इस शत्क्तओॊ को जो शत्क्तमाॊ सॊ ासरत कयती हैं उन्हीॊ को ौदह देवता कहते हैं। इन सबी देवताओॊ के भूर प्रेयक बगवान श्रीगणेश हैं। बायतीम सॊस्कृ तत भें प्रत्मेक शुबकामा शुबायॊब से ऩूवा बगवान श्री गणेश जी की ऩूजा-अ ाना की जाती हैं । इस सरमे मे फकसी बी कामा का शुबायॊब कयने से ऩूवा उस कामा का "श्री गणेश कयना" कहाॊ जाता हैं। प्रत्मक शुब कामा मा अनुष्ठान कयने के ऩूवा ‘‘श्री गणेशाम नभ्” भॊि का उच् ायण फकमा जाता हैं। बगवान गणेश को सभस्त ससविमों के दाता भाना गमा है। क्मोफक सायी ससविमाॉ बगवान श्री गणेश भें वास कयती हैं। बगवान श्री गणेश सभस्त ववघ्नों को टारने वारे हैं, दमा एवॊ कृ ऩा के अतत सुॊदय भहासागय हैं, तीनो रोक के कल्माण हेतु बगवान गणऩतत सफ प्रकाय से मोग्म हैं। धासभाक भान्मता के अनुशाय बगवान श्री गणेशजी के ऩूजन-अ ान से व्मत्क्त को फुवि, ववद्या, वववेक योग, व्माधध एवॊ सभस्त ववध्न-फाधाओॊ का स्वत् नाश होता है, बगवान श्री गणेशजी की कृ ऩा प्राप्त होने से व्मत्क्त के भुत्श्कर से भुत्श्कर कामा बी सयरता से ऩूणा हो जाते हैं। शास्िोक्त व न से इस कल्मुग भें तीव्र पर प्रदान कयने वारे बगवान गणेश औय भाता कारी हैं। इस सरमे कहाॊ गमा हैं। करा ण्डीववनामकौ अथाात्: करमुग भें ण्डी औय ववनामक की आयाधना ससविदामक औय परदामी होता है। धभा शास्िोभें ऩॊ देवों की उऩासना कयने का ववधान हैं। आददत्मॊ गणनाथॊ देवीॊ रूिॊ के शवभ्। ऩॊ दैवतसभत्मुक्तॊ सवाकभासु ऩूजमेत्।। (शब्दकल्ऩिुभ) बावाथथ: - ऩॊ देवों फक उऩासना का ब्रहभाॊड के ऩॊ बूतों के साथ सॊफॊध है। ऩॊ बूत ऩृथ्वी, जर, तेज, वामु औय आकाश से फनते हैं। औय ऩॊ बूत के आधधऩत्म के कायण से आददत्म, गणनाथ(गणेश), देवी, रूि औय के शव मे ऩॊ देव बी ऩूजनीम हैं। हय एक तत्त्व का हय एक देवता स्वाभी हैं।
  • 5. जो भनुष्म अऩने जीवन भें सबी प्रकाय की रयवि-ससवि, सुख, सभृवि औय ऐश्वमा को प्राप्त कयने की काभना कयता हैं, अऩने जीवन भें सबी प्रकाय की सबी आध्मात्त्भक-बौततक इच्छाओॊ को ऩूणा कयने की इच्छा यखता हैं, ववद्वानों के भतानुशाय उसे गणेश जी फक ऩूजा-अ ाना एवॊ आयाधना अवश्म कयनी ादहमे... दहन्दू ऩयॊऩया भें गणेशजी का ऩूजन अनाददकार से रा आ यहा हैं, इसके अततरयक्त ज्मोततष शास्िों के अनुशाय बी अशुब ग्रह ऩीडा को दूय कयने हेतु बगवान गणेश फक ऩूजा-अ ाना कयने से सभस्त ग्रहो के अशुब प्रबावों को दूय होकय, शुब परों फक प्रात्प्त होती हैं। इस सरमे दहन्दू सॊस्कृ तत भें बगवान श्री गणेशजी की ऩूजा का अत्माधधक भहत्व फतामा गमा हैं। दहन्दू ऩॊ ाॊग के अनुशाय वैसे तो प्रत्मेक भास की तुथॉ को बगवान गणेशजी का व्रत फकमा जात है। रेफकन बािऩद की तुधथा व्रत का ववशेष भहत्व दहन्दू धभा शास्िों भें फतामा गमा है। ऎसी भान्मता हैं की बािऩद की तुधथा के ददन जो श्रधारु व्रत, उऩवास औय दान आदद शुब कामा कताा है, बगवान श्रीगणेश की कृ ऩा से उसे सौ गुना पर प्राप्त हो जाता हैं। व्मत्क्त को श्री ववनामक तुथॉ कयने से भनोवाॊतछत पर प्राप्त होता है। शास्िोक्त ववधध-ववधान से श्री गणेशजी का ऩूजन व व्रत कयना अत्मॊत राबप्रद होता हैं। गणेश तुथॉ ऩय ॊि दशान तनषेध होने फक ऩौयाणणक भान्मता हैं। शास्िोंक्त व न के अनुशाय जो व्मत्क्त इस ददन ॊिभा को जाने-अन्जाने देख रेता हैं उसे सभथ्मा करॊक रगता हैं। उस ऩय झूठा आयोऩ रगता हैं। ववद्वानों के भतानुशाय मदद जाने-अॊजाने ॊि दशान कयरेता हैं तो उसे, करॊक से फ ने के सरए साधक को बगवान श्री गणेश से अऩनी गरती के ऩरयहाय के सरए बगवान श्री गणेश का ऩूजन वॊदन कयके ऺभा मा ना कयनी ादहए। इस भाससक ई-ऩत्रिका भें सॊफॊधधत जानकायीमों के ववषम भें साधक एवॊ ववद्वान ऩाठको से अनुयोध हैं, मदद दशाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, साधना एवॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाव इत्मादी के सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भें, डडजाईन भें, टाईऩीॊग भें, वप्रॊदटॊग भें, प्रकाशन भें कोई िुदट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ सुधाय रें मा फकसी मोग्म ज्मोततषी, गुरु मा ववद्वान से सराह ववभशा कय रे । क्मोफक ववद्वान ज्मोततषी, गुरुजनो एवॊ साधको के तनजी अनुबव ववसबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, साधना, उऩाम के प्रबावों का वणान कयने भें बेद होने ऩय काभना ससवि हेतु फक जाने वारी वारी ऩूजन ववधध एवॊ उसके प्रबावों भें सबन्नता सॊबव हैं। गणेश तुथॉ के शुब अवसय ऩय आऩ अऩने जीवन भें ददन प्रततददन अऩने उद्देश्म फक ऩूतता हेतु अग्रणणम होते यहे आऩकी सकर भनोकाभनाएॊ ऩूणा हो एवॊ आऩके सबी शुब कामा बगवान श्री गणेश के आसशवााद से त्रफना फकसी सॊकट के ऩूणा होते यहे हभायी मदह भॊगर काभना हैं...... ध ॊतन जोशी
  • 6. 6 ससतम्फय - 2019 ***** भाससक ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत सू ना *****  ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत सबी रेख गुरुत्व कामाारम के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।  ई-ऩत्रिका भें वणणात रेखों को नात्स्तक/अववश्वासु व्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख आध्मात्भ से सॊफॊधधत होने के कायण बायततम धभा शास्िों से प्रेरयत होकय प्रस्तुत फकमा गमा हैं।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत फकसी बी ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभाणणकता ऩय फकसी बी प्रकाय की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत जानकायीकी प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की नहीॊ हैं औय ना हीॊ प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी देने हेतु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत रेखो भें ऩाठक का अऩना ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत फकसी बी प्रकाय की आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ के आधाय ऩय ददए गमे हैं। हभ फकसी बी व्मत्क्त ववशेष द्वाया प्रमोग फकमे जाने वारे धासभाक, एवॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नदहॊ रेते हैं। मह त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त फक स्वमॊ फक होगी।  क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊडों, साभात्जक, कानूनी तनमभों के णखराप कोई व्मत्क्त मदद नीजी स्वाथा ऩूतता हेतु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयने भे िुदट होने ऩय प्रततकू र ऩरयणाभ सॊबव हैं।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत जानकायी को भाननने से प्राप्त होने वारे राब, राब की हानी मा हानी की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की नहीॊ हैं।  हभाये द्वाया प्रकासशत फकमे गमे सबी रेख, जानकायी एवॊ भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधुगण ऩय प्रमोग फकमे हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा कव , भॊि-मॊि मा उऩामो द्वाया तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।  ई-ऩत्रिका भें गुरुत्व कामाारम द्वाया प्रकासशत सबी उत्ऩादों को के वर ऩाठको की जानकायी हेतु ददमा गमा हैं, कामाारम फकसी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का क्रम कयने हेतु फकसी बी प्रकाय से फाध्म नहीॊ कयता हैं। ऩाठक इन उत्ऩादों को कहीॊ से बी क्रम कयने हेतु ऩूणात् स्वतॊि हैं। अधधक जानकायी हेतु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं। (सबी वववादो के सरमे के वर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
  • 7. 7 ससतम्फय - 2019 गणेश ऩूजन हेतु शुब भुहूता 02-ससतम्फय-2019 ( वाय)  सॊकरन गुरुत्व कामाारम वैऻातनक ऩितत के अनुसाय ब्रहभाॊड भें सभम व अनॊत आकाश के अततरयक्त सभस्त वस्तुएॊ भमाादा मुक्त हैं। त्जस प्रकाय सभम का न ही कोई प्रायॊब है न ही कोई अॊत है। अनॊत आकाश की बी सभम की तयह कोई भमाादा नहीॊ है। इसका कहीॊ बी प्रायॊब मा अॊत नहीॊहोता। आधुतनक भानव ने इन दोनों तत्वों को हभेशा सभझने का व अऩने अनुसाय इनभें भ्रभण कयने का प्रमास फकमा हैं ऩयन्तु उसे सपरता प्राप्त नहीॊ हुई है। साभान्मत् भुहूता का अथा है फकसी बी कामा को कयने के सरए सफसे शुब सभम व ततधथ मन कयना। कामा ऩूणात् परदामक हो इसके सर, सभस्त ग्रहों व अन्म ज्मोततष तत्वों का तेज इस प्रकाय के त्न्ित फकमा जाता है फक वे दुष्प्रबावों को ववपर कय देते हैं। वे भनुष्म की जन्भ कु ण्डरी की सभस्त फाधाओॊ को हटाने भें व दुमोगो को दफाने मा घटाने भें सहामक होते हैं। शुब भुहूता ग्रहो का ऎसा अनूठा सॊगभ है फक वह कामा कयने वारे व्मत्क्त को ऩूणात् सपरता की ओय अग्रस्त कय देता है। दहन्दू धभा भें शुब कामा के वर शुब भुहूता देखकय फकए जाने का ववधान हैं। इसी ववधान के अनुसाय श्रीगणेश तुथॉ के ददन बगवान श्रीगणेश की स्थाऩना के श्रेष्ठ भुहूता आऩकी अनुकू रता हेतु दशााने का प्रमास फकमा जा यहा हैं। दहन्दू धभा ग्रॊथों के अनुसाय शुब भुहूता देखकय फकए गए कामा तनत्श् त शुब व सपरता देने वारे होते हैं। *** 2 31 *** ल     ल त्स्थय रग्न इष्ट ऩूजन हेतु सवाश्रेष्ठ भाना जाता हैं 2 को त्स्थय रग्न  ल  ल ल  ल अत् गणेश जी का ऩूजन कयते सभम मदद शुब ततधथ एवॊ रग्न का सॊमोग फकमा जाते तो मह अत्मॊत शुब परप्रदामक होता हैं। ववशेष: ववद्वानों के भतानुशाय त्स्थय रग्न वृत्श् क भें कयना शुब होता हैं। त्जस भें बगवान श्रीगणेश प्रततभा की स्थाऩना की जा सकती हैं। जानकायों का भानना हैं की गणेश तुथॉ दोऩहय भें होने के कायण इसे भहागणऩतत तुथॉ बी कहाॊ जामेगा। क्मोंफक ज्मोततष के अनुशाय वृत्श् क त्स्थय रग्न हैं। त्स्थय रग्न भें फकमा गमा कोई बी शुब कामा स्थाई होता हैं। ववद्वानो के भतानुशाय शुब प्रायॊब मातन आधा कामा स्वत् ऩूणा।
  • 8. 8 ससतम्फय - 2019 श्री सन्तान सप्तभी व्रत 5-ससतम्फय-2019 (फुधवाय)  सॊकरन गुरुत्व कामाारम श्री सन्तान सप्तभी व्रत कथा एक फाय मुधधत्ष्ठय ने बगवान श्रीकृ ष्ण से कहा- हे प्रबो! कोई ऐसा उत्तभ व्रत फतराइमे त्जसके प्रबाव से भनुष्मों के अनेकों साॊसारयक दु्ख औय क्रेश दूय हो जामे वे ऩुि एवॊ ऩौिवान हो जाएॊ। मुधधत्ष्ठय की फात सुनकय बगवान श्रीकृ ष्ण फोरे - हे याजन ्! तुभने भनुष्मों के कल्माण हेतु फडा ही उत्तभ प्रश्न फकमा है। भैं तुम्हें एक ऩौयाणणक कथा सुनाता हूॊ तुभ उसे ध्मानऩूवाक सुनो। एक सभम रोभष ऋवष ब्रजयाज की भथुया भें भेये भाता-वऩता देवकी तथा वसुदेव के घय आए। ऋवषयाज को आमा हुआ देख कयके दोनों अत्मन्त प्रसन्न हुए तथा उनको उत्तभ आसन ऩय फैठा कय उनका अनेक प्रकाय से वन्दन औय सत्काय फकमा। देवकी तथा वसुदेव की बत्क्तऩूवाक ऋवष से प्रशन्न होकय रोभष ऋवष उनको कथा सुनाने रगे। रोभष ने कहा फक - हे देवकी! दुष्ट दुया ायी ऩाऩी कॊ स ने तुम्हाये कई ऩुिों को ऩैदा होते ही भायकय तुम्हें ऩुिशोक ददमा है। इस दु्ख से भुक्त होने के सरए तुभ "सॊतान सप्तभी" का व्रत कयो। इसी प्रकाय याजा नहुष की ऩत्नी ॊिभुखी बी दु्खी यहा कयती थी। फकन्त्म ॊिभुखी ने "सॊतान सप्तभी" व्रत ऩूणा व्रत ववधध ववधान के साथ फकमा था। त्जसके प्रताऩ से ॊिभुखी के उसके बी ऩुि नहीॊ भये औय उसको उत्तभ सन्तान का सुख प्राप्त हुआ। मह व्रत तुम्हें बी ऩुिशोक से भुक्त कयेगा। मह सुनकय देवकी ने हाथ जोडकय भुतन से प्राथना की- हे ऋवषयाज! कृ ऩा भुझे व्रत का ऩूया ववधध-ववधान फताने की कृ ऩा कयें ताफक भैं ववधधऩूवाक व्रत सम्ऩन्न करूॊ औय इस दु्ख से छु टकाया ऩाउॊ। रोभष ऋवष ने कहा फक - हे देवकी! अमोध्माऩुयी का प्रताऩी याजा नहुष थे। उनकी ऩत्नी न्िभुखी अत्मन्त सुन्दय थीॊ। उनके नगय भें ववष्णुदत्त नाभ का एक ब्राहभण यहता था। उसकी स्िी का नाभ रूऩवती था। वह बी अत्मन्त रूऩवती सुन्दयी थी। यानी ॊिभुखी तथा रूऩवती भें ऩयस्ऩय घतनष्ठ प्रेभ था। एक ददन वे दोनों सयमू नदी भें स्नान कयने के सरए गई। वहाॊ उन्होंने देखा फक अन्म फहुत सी त्स्िमाॊ सयमू नदी भें स्नान कयके तनभार वस्ि ऩहन कय एक भण्डऩ भें ऩावाती-सशव की प्रततभा का ववधधऩूवाक ऩूजन फकमा। यानी औय ब्राह् भणी ने मह देख कय उन त्स्िमों से ऩूछा फक - फहनों! तुभ मह फकस देवता का औय फकस कायण से ऩूजन व्रत आदद कय यही हो। मह सुन कय त्स्िमों ने कहा फक हभ "सन्तान सप्तभी" का व्रत कय यही हैं औय हभने बगवान सशव-ऩावाती का ऩूजन न्दन अऺत आदद से षोडषोऩ ाय ववधध से घागा फाॊधकय हभने सॊकल्ऩ फकमा है फक जफ तक जीववत यहेंगी, तफ तक मह व्रत कयती यहेंगी। मह ऩुण्म व्रत 'भुक्ताबयण व्रत' सुख तथा सॊतान देने वारा है। त्स्िमों से "सन्तान सप्तभी" व्रत की कथा सुनकय यानी औय ब्राहभणी ने बी इस व्रत के कयने का भन ही भन सॊकल्ऩ फकमा औय सशवजी के नाभ का घागा फाॉध सरमा। ब्राहभणी इस व्रत को तनमभ ऩूवाक कयती यही फकन्तु घय ऩहुॉ ने ऩय यानी न्िभुखी कबी व्रत का सॊकल्ऩ को बूर जाती थी। परत् भृत्मु के ऩश् ात यानी वानयी तथा ब्राहभणी भुगॉ की मोतन भें ऩैदा हुईं। काराॊतय भें दोनों ऩशु मोतन छोडकय ऩुन् भनुष्म मोतन भें आईं। रूऩवती ने एक ब्राहभण के महाॊ कन्मा के रूऩ भें जन्भ सरमा। इस जन्भ भें यानी का नाभ ईश्वयी तथा ब्राहभणी का नाभ बूषणा था। बूषणा का वववाह याजऩुयोदहत अत्ग्नभुखी के साथ हुआ। इस जन्भ भें बी उन दोनों भें फडा प्रेभ हो गमा। व्रत के प्रबाव से बूषण देवी अत्मॊत सुन्दय थी उसे अत्मन्त सुन्दय सवागुण सम्ऩन्न धभावीय, कभातनष्ठ, सुशीर स्वबाव वारे आठ ऩुि उत्ऩन्न हुए। व्रत बूरने के कायण यानी इस जन्भ भें बी सॊतान सुख से वॊध त यही। प्रौढ़ावस्था भें उसने एक गूॊगा फहया फुविहीन अल्ऩ आमु
  • 9. 9 ससतम्फय - 2019 वारा एक ऩुि हुआ, त्जस कायण वह बी नौ वषा का होकय भय गमा। यानी के ऩुिशोक की सॊवेदना के सरए एक ददन बूषणा उससे सभरने गई। ब्राहभणी ने यानी का सॊताऩ दूय कयने के तनसभत्त अऩने आठों ऩुि यानी के ऩास छोड ददए। उसे देखते ही यानी के भन भें ईष्माा ऩैदा हुई तथा उसके भन भें ऩाऩ उत्ऩन्न हुआ। उसने बूषणा को ववदा कयके उसके ऩुिों को बोजन के सरए फुरामा औय बोजन भें ववष सभरा ददमा। ऩयन्तु बूषणा के व्रत के प्रबाव से तथा बगवान शॊकय की कृ ऩा से ऩुिों को कोई हानी नहीॊ हुई। इससे यानी को औय बी अधधक क्रोध आमा। उसने अऩने सेवकों को आऻा दी फक बूषणा के ऩुिों को ऩूजा के फहाने मभुना के फकनाये रे जाकय गहये जर भें धके र ददमा जाए। फकन्तु ऩुन् बगवान सशव औय भाता ऩावाती की कृ ऩा से इस फाय बी बूषणा के फारक व्रत के प्रबाव से फ गए। फपय यानी ने जल्रादों को फुराकय आऻा दी फक ब्राहभण फारकों को वध-स्थर ऩय रे जाकय भाय डारो फकन्तु जल्रादों द्वाया फेहद प्रमास कयने ऩय बी फारक न भय सके । मह सभा ाय सुनकय यानी आश् मा फकत हो गई औय इस यहस्म का ऩता रगाने उसने बूषणा को फुराकय सायी फात फताई औय फपय ऺभामा ना कयके उससे ऩूछा- फकस कायण तुम्हाये फच् े नहीॊ भय ऩाए? बूषणा फोरी- क्मा आऩको ऩूवाजन्भ की फात स्भयण नहीॊ है? यानी ने आश् मा से कहा- नहीॊ, भुझे तो कु छ माद नहीॊ है? तफ उसने कहा- सुनो, ऩूवाजन्भ भें तुभ याजा नहुष की यानी थी औय भैं तुम्हायी सखी। हभ दोनों ने एक फाय बगवान सशव का घागा फाॊधकय सॊकल्ऩ फकमा था फक जीवन-ऩमान्त सॊतान सप्तभी का व्रत कयेंगी। फकन्तु दुबााग्मवश तुभ सफ बूर गईं औय व्रत की अवहेरना होने झूठ फोरने का दोष ववसबन्न मोतनमों भें जन्भ रेती हुई तू आज बी बोग यही है। भैंने इस व्रत को ऩूणा ववधध-ववधान सदहत तनमभ ऩूवाक सदैव फकमा औय आज बी कयती हूॊ। रोभष ऋवष ने कहा- हे देवकी! बूषणा ब्राहभणी के भुख से अऩने ऩूवा जन्भ की कथा तथा व्रत सॊकल्ऩ इत्मादद सुनकय यानी को ऩुयानी फातें माद आ गई औय ऩश् ाताऩ कयने रगी तथा बूषणा ब्राहभणी के यणों भें ऩडकय ऺभा मा ना कयने रगी औय बगवान शॊकय ऩावाती जी की अऩाय भदहभा के गीत गाने रगी। मह सफ सुनकय यानी ने बी ववधधऩूवाक सॊतान सुख देने वारा मह भुक्ताबयण व्रत यखा। तफ व्रत के प्रबाव से यानी ऩुन् गबावती हुई औय एक सुॊदय फारक को जन्भ ददमा। उसी सभम से ऩुि-प्रात्प्त औय सॊतान की यऺा के सरए मह व्रत प्र सरत है। बगवान शॊकय के व्रत का ऐसा प्रबाव है फक ऩथ भ्रष्ट भनुष्म बी अऩने ऩथ ऩय अग्रसय हो जाता है औय अनन्त ऐश्वमा बोगकय भोऺ को प्राप्त कयता है। रोभष ऋवष ने फपय कहा फक - देवकी! इससरए भैं तुभसे बी कहता हूॊ फक तुभ बी इस व्रत को कयने का सॊकल्ऩ अऩने भन भें कयो तो तुभको बी सन्तान सुख सभरेगा। इतनी कथा सुनकय देवकी हाथ जोड कय रोभष ऋवष से ऩूछने रगी- हे ऋवषयाज! भैं इस ऩुनीत व्रत को अवश्म करूॊ गी, फकन्तु आऩ इस कल्माणकायी एवॊ सन्तान सुख देने वारे व्रत का ववधध-ववधान, तनमभ आदद ववस्ताय से सभझाएॊ। मह सुनकय ऋवष फोरे- हे देवकी! मह ऩुनीत व्रत बादों बािऩद के भहीने भें शुक्रऩऺ की सप्तभी के ददन फकमा जाता है। उस ददन ब्रहभभुहूता भें उठकय फकसी नदी अथवा कु एॊ के ऩववि जर भें स्नान कयके तनभार वस्ि धायण कयने ादहए। श्री शॊकय बगवान तथा भाता ऩावाती जी की भूतता की स्थाऩना कयें। इन प्रततभाओॊ के सम्भुख सोने, ाॊदी के तायों का अथवा येशभ का एक गॊडा फनावें उस गॊडे भें सात गाॊठें रगानी ादहए। इस गॊडे को धूऩ, दीऩ, अष्ट गॊध से ऩूजा कयके अऩने हाथ भें फाॊधे औय बगवान शॊकय से अऩनी काभना सपर होने की प्राथाना कयें। तदन्तय सात ऩुआ फनाकय बगवान को बोग रगावें औय सात ही ऩुवे एवॊ मथाशत्क्त सोने अथवा ाॊदी की अॊगूठी फनवाकय इन सफको एक ताॊफे के ऩाि भें यखकय औय उनका शोडषोऩ ाय ववधध से ऩूजन कयके फकसी सदा ायी, धभातनष्ठ, सुऩाि ब्राहभण को दान देवें। उसके ऩश् ात सात ऩुआ स्वमॊ प्रसाद के रूऩ भें ग्रहण कयें।
  • 10. 10 ससतम्फय - 2019 इस प्रकाय इस व्रत का ऩायामण कयना ादहए। प्रततसार बािऩद की शुक्रऩऺ की सप्तभी के ददन, हे देवकी! इस व्रत को इस प्रकाय तनमभ ऩूवा कयने से सभस्त ऩाऩ नष्ट होते हैं औय बाग्मशारी सॊतान उत्ऩन्न होती है तथा अन्त भें सशवरोक की प्रात्प्त होती है। हे देवकी! भैंने तुभको सन्तान सप्तभी का व्रत सम्ऩूणा ववधान ववस्ताय सदहत वणान फकमा है। उसको अफ तुभ तनमभ ऩूवाक कयो, त्जससे तुभको उत्तभ सन्तान उत्ऩन्न होगी। इतनी कथा कहकय बगवान श्रीकृ ष्ण ने धभाावताय मुधधत्ष्ठय से कहा फक - रोभष ऋवष इस प्रकाय हभायी भाता देवकी को सशऺा देकय रे गए। ऋवष के कथनानुसाय हभायी भाता देवकी ने इस व्रत को तनमभानुसाय फकमा त्जसके प्रबाव से हभ उत्ऩन्न हुए। मह व्रत ववशेष रूऩ से त्स्िमों के सरए कल्माणकायी है ही ऩयन्तु ऩुरुषों को बी सभान रूऩ से कल्माण दामक है। सन्तान सुख देने वारा तहा ऩाऩों का नाश कयने वारा मह उत्तभ व्रत है त्जसे स्वमॊ बी कयें तथा दूसयों से बी कयावें। इस व्रत को तनमभ ऩूवाक कयने से बगवान सशव-ऩावाती कृ ऩा से तनश् म ही अभयऩद ऩद प्राप्त कयके अन्त भें सशवरोक को प्राप्त कयता है। संतान सप्तभी का व्रत ऩूजन: सॊतान सप्तभी व्रत ऩुि प्रात्प्त, ऩुि यऺा तथा ऩुि अभ्मुदम के सरए बािऩद के शुक्र ऩऺ की सप्तभी को फकमा जाता है। इस व्रत का ववधान दोऩहय तक यहता है। स्िीमाॊ देवी ऩावाती का ऩूजन कयके ऩुि प्रात्प्त तथा उसके अभ्मुदम का वयदान भाॉगती हैं। व्रत ववधान:  प्रात्कार स्नानादद से तनवृत्त होकय स्वच्छ वस्ि धायण कयें। दोऩहय को ौक ऩूय कय ॊदन, अऺत, धूऩ, दीऩ, नैवेद्य, सुऩायी तथा नारयमर आदद से सशव-ऩावाती का ऩूजन कयें।  इस ददन नैवेद्य बोग के सरए खीय-ऩूयी तथा गुड के ऩुए यखें।  यऺा के सरए सशवजी को धागा बी अवऩात कयें।  इस धागे को सशवजी के वयदान के रूऩ भें रेकय उसे धायण कयके व्रतकथा का श्रवण कयें। Beautiful Stone Bracelets Natural Om Mani Padme Hum Bracelet 8 MM Rs. 415 Natural Citrine Golden Topaz Sunehla (सुनेहरा) Bracelet 8 MM Rs. 415  Lapis Lazuli Bracelet  Rudraksha Bracelet  Pearl Bracelet  Smoky Quartz Bracelet  Druzy Agate Beads Bracelet  Howlite Bracelet  Aquamarine Bracelet  White Agate Bracelet  Amethyst Bracelet  Black Obsidian Bracelet  Red Carnelian Bracelet  Tiger Eye Bracelet  Lava (slag) Bracelet  Blood Stone Bracelet  Green Jade Bracelet  7 Chakra Bracelet  Amanzonite Bracelet  Amethyst Jade  Sodalite Bracelet  Unakite Bracelet  Calcite Bracelet  Yellow Jade Bracelet  Rose Quartz Bracelet  Snow Flakes Bracelet
  • 11. 11 ससतम्फय - 2019 भॊि ससि दुराब साभग्री कारी हल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गट्टे की भारा - Rs- 370 भामा जार- Rs- 251, 551, 751 हल्दी भारा - Rs- 280 धन वृवि हकीक सेट Rs-280 (कारी हल्दी के साथ Rs-550) तुरसी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460 घोडे की नार- Rs.351, 551, 751 नवयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above हकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नवयॊगी हकीक भारा Rs- 280, 460, 730 रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 हकीक भारा (सात यॊग) Rs- 280, 460, 730, 910 नाग के शय: 11 ग्राभ, Rs-145 भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above स्पदटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above सपे द ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 वैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460 यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुिाऺ भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450 भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above ववधुत भारा - Rs- 190, 280 कासभमा ससॊदूय- Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भूल्म भें अॊतय छोटे से फडे आकाय के कायण हैं। >> Shop Online | Order Now भॊि ससि स्पदटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है। "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब फ़रदमी मॊि है। जो न के वर दूसये मन्िो से अधधक से अधधक राब देने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के सरए पामदेभॊद सात्रफत होता है। ऩूणा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी ससि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सुख की प्रात्प्त होतत है। "श्री मॊि" भे सभाई अदिततम एवॊ अिश्म शत्क्त भनुष्म की सभस्त शुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होतत है। त्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दूय होकय वह भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सुखो फक प्रात्प्त होतत है। "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दूय कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है। "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩयेशातन भे न्मुनता आतत है व सुख-सभृवि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त होती है। >> Shop Online | Order Now गुरुत्व कामाथरम भे ववसबन्न आकाय के "श्री मॊि" उप्रब्ध है भूल्म:- प्रतत ग्राभ Rs. 28.00 से Rs.100.00 GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ODISHA), Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785, Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
  • 12. 12 ससतम्फय - 2019 सवा कामा ससवि कव त्जस व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊतछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भें ससवि (राब) प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मत्क्त को सवा कामा ससवि कव अवश्म धायण कयना ादहमे। कवच के प्रभुख राब: सवा कामा ससवि कव के द्वारा सुख सभृवि औय नव ग्रहों के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मत्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के दु:ख-दारयि का नाश हो कय सुख-सौबाग्म एवॊ उन्नतत प्रात्प्त होकय जीवन भे ससब प्रकाय के शुब कामा ससि होते हैं। त्जसे धायण कयने से व्मत्क्त मदद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे वृवि होतत हैं औय मदद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नतत होती हैं।  सवा कामा ससवि कव के साथ भें सवथजन वशीकयण कव के सभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दूसये व्मत्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं।  सवा कामा ससवि कव के साथ भें अष्ट रक्ष्भी कव के सभरे होने की वजह से व्मत्क्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। त्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अष्ट रुऩ (१)-आदद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)- ववजम रक्ष्भी, (७)-ववद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं।  सवा कामा ससवि कव के साथ भें तंत्र यऺा कव के सभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दूय होती हैं, साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कु प्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव के प्रबाव से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दुष्ट प्रबावो से यऺा होती हैं।  सवा कामा ससवि कव के साथ भें शत्रु ववजम कव के सभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त ऩयेशातनओ से स्वत् ही छु टकाया सभर जाता हैं। कव के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का ाहकय कु छ नही त्रफगाड सकते। अन्म कव के फाये भे अधधक जानकायी के सरमे कामाारम भें सॊऩका कये: फकसी व्मत्क्त ववशेष को सवा कामा ससवि कव देने नही देना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास सुयक्षऺत हैं। >> Shop Online | Order Now GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) Call Us - 9338213418, 9238328785 Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/ Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
  • 13. 13 ससतम्फय - 2019 भोऺप्रदा ऩद्मा एकादशी ऩद्मा (ऩरयवततानी) एकादशी व्रत 09-ससतम्फय-2019 ( वाय)  सॊकरन गुरुत्व कामाारम ऩद्मा (ऩरयवतानी) एकादशी व्रत कथा बाद्रऩद : शुक्र एकादशी एक फाय मुधधत्ष्ठय बगवान श्रीकृ ष्ण से ऩूछते हैं, हे बगवान! बािऩद शुक्र एकादशी का क्मा नाभ है? इसभें फकस देवता की ऩूजा की जाती है औय इसका व्रत कयने से क्मा पर सभरता है ?" व्रत कयने की ववधध तथा इसका भाहात्म्म कृ ऩा कयके कदहए। बगवान श्रीकृ ष्ण कहने रगे फक इस एकादशी का नाभ ऩद्मा (ऩरयवततथनी) एकादशी तथा इसे वाभन एकादशी से बी जाना जाता है। अफ आऩ शाॊततऩूवाक इस व्रतकी कथा सुतनए। इसका मऻ कयने से ही वाजऩेमी मऻ / अनन्त मऻ का पर सभरता है। इस ऩुण्म, स्वगा औय भोऺ को देने वारी तथा सफ ऩाऩों का नाश कयने वारी, उत्तभ एकादशी का भाहात्म्म भैं तुभसे कहता हूॉ तुभ ध्मानऩूवाक सुनो। जो भनुष्म ऩाऩनाशक इस कथा को ऩढ़ते मा सुनते हैं, उनको हजाय अश्वभेध मऻ के सभान पर प्राप्त होता है। ऩावऩमों के ऩाऩ नाश कयने के सरए इससे फढ़कय औय कोई सयर उऩाम नहीॊ। जो भनुष्म इस एकादशी के ददन भेये वाभन रूऩ की ऩूजा कयता है, उससे तीनों रोक ऩूज्म होते हैं। अत: भोऺ की इच्छा कयने वारे भनुष्म को इस व्रत को अवश्म कयना ादहए। जो वाभन बगवान का कभर से ऩूजन कयते हैं, वे अवश्म उनके के सभीऩ जाते हैं। त्जस भनुष्म ने बािऩद शुक्र एकादशी को व्रत औय ऩूजन फकमा, उसने ब्रहभा, ववष्णु सदहत तीनों रोकों के ऩूजन के सभान पर की प्रात्प्त होती हैं। अत: एकादशी का व्रत अवश्म कयना ादहए। इस ददन बगवान एक ओय से दूसयी ओय कयवट रेते हैं, इससरए इसको ऩरयवततानी एकादशी कहते हैं। बगवान के व न सुनकय मुधधत्ष्ठय फोरे फक बगवान! भुझे अततउत्सुकता हो यही है फक आऩ फकस प्रकाय सोते औय कयवट रेते हैं तथा फकस तयह याजा फसर को फाॉधा औय वाभन रूऩ यखकय क्मा-क्मा रीराएॉ कीॊ? ातुभाास के व्रत की क्मा ववधध है तथा आऩके शमन कयने ऩय भनुष्म का क्मा कताव्म है। वह सफ आऩ भुझसे ववस्ताय से फताइए। श्रीकृ ष्ण कहने रगे फक हे याजन! अफ आऩ सफ ऩाऩों को नष्ट कयने वारी कथा का श्रवण कयें। िेतामुग भें "फसर" नाभक एक दैत्म था। वह भेया ऩयभ बक्त था। ववववध प्रकाय के वेद सूक्तों से भेया ऩूजन फकमा कयता था औय तनत्म ही ब्राहभणों का ऩूजन तथा मऻ का आमोजन कयता था, रेफकन इॊि से द्वेष के कायण उसने इॊिरोक तथा सबी देवताओॊ को जीत सरमा। इस कायण सबी देवता एकि होकय सो -वव ायकय भेये ऩास आए। फृहस्ऩतत सदहत इॊिाददक देवता भेये के तनकट आकय औय नतभस्तक होकय वेद भॊिों द्वाया भेया ऩूजन औय स्तुतत कयने रगे। अत: देवताओॊ के आग्रह ऩय भैंने वाभन रूऩ धायण कयके ऩाॉ वाॉ अवताय सरमा औय फपय अत्मॊत तेजस्वी रूऩ से याजा फसर को जीत सरमा। इतनी वाताा सुनकय याजा मुधधत्ष्ठय फोरे फक हे बगवान! आऩने वाभन रूऩ धायण कयके उस भहाफरी दैत्म को फकस प्रकाय जीता? श्रीकृ ष्ण कहने रगे- भैंने वाभन रूऩधायण कय फसर से तीन ऩग बूसभ की मा ना कयते हुए कहा "मे भुझको तीन रोक के सभान है" औय हे याजन मह तुभको अवश्म ही देनी होगी। इससे तुम्हें तीन रोक दान का पर प्राप्त होगा"। याजा फसर ने इसे तुच्छ मा ना सभझकय तीन ऩग बूसभ का सॊकल्ऩ भुझको दे ददमा औय भैंने अऩने
  • 14. 14 ससतम्फय - 2019 त्रिववक्रभ रूऩ को फढ़ाकय महाॉ तक फक बूरोक भें ऩद, बुवरोक भें जॊघा, स्वगारोक भें कभय, भह:रोक भें ऩेट, जनरोक भें रृदम, मभरोक भें कॊ ठ की स्थाऩना कय सत्मरोक भें भुख, उसके ऊऩय भस्तक स्थावऩत फकमा। सूमा, ॊिभा आदद सफ ग्रह गण, मोग, नऺि, इॊिाददक देवता औय शेष आदद सफ नागगणों ने ववववध प्रकाय से वेद सूक्तों से प्राथाना की। तफ भैंने याजा फसर का हाथ ऩकडकय कहा फक हे याजन! एक ऩद से ऩृथ्वी, दूसये से स्वगारोक ऩूणा हो गए। अफ तीसया ऩग कहाॉ यखूॉ? तफ फसर ने अऩना ससय झुका कय अनुयोध फकमा प्रबु आऩ के ऩद भेये ससय ऩय यख दीत्जए औय भैंने अऩना ऩैय उसके भस्तक ऩय यख ददमा त्जससे भेया वह बक्त ऩातार को रा गमा। ऩातार रोक भें याजा फसर ने ववनीत की तो बगवान ववष्णु ने कहा की- भैं तुम्हाये ऩास सदैव यहूॉगा। बादो भास के शुक्र ऩऺ की 'ऩरयवतानी' नाभ की एकादशी के ददन भैं एक रूऩ से याजा फसर के ऩास यहूॉगा औय एक रूऩ से ऺीयसागय भें शेषनाग ऩय शमन कयता यहूॉगा।" इस एकादशी के ददन बगवान ववष्णु सोते हुए कयवट फदरते हैं। इस ददन त्रिरोक के नाथ ववष्णु बगवान की ऩूजा की जाती है। वाभन एकादशी के ददन चावर औय दही सदहत चांदी का दान कयने का ववशेष ववधध-ववधान है। यात्रि को जागयण अवश्म कयना ादहए। ऩौयाणणक भान्मता के अनुशाय जो भनुष्म ववधधऩूवाक इस एकादशी का व्रत को कयते हैं, वे सफ ऩाऩों से भुक्त होकय स्वगा भें जाकय ॊिभा के सभान प्रकासशत होते हैं औय मश को प्राप्त कयते हैं। *** कनकधाया मॊि आज के बौततक मुग भें हय व्मत्क्त अततशीघ्र सभृि फनना ाहता हैं। कनकधाया मॊि फक ऩूजा अ ाना कयने से व्मत्क्त के जन्भों जन्भ के ऋण औय दरयिता से शीघ्र भुत्क्त सभरती हैं। मॊि के प्रबाव से व्माऩाय भें उन्नतत होती हैं, फेयोजगाय को योजगाय प्रात्प्त होती हैं। कनकधाया मॊि अत्मॊत दुराब मॊिो भें से एक मॊि हैं त्जसे भाॊ रक्ष्भी फक प्रात्प्त हेतु अ ूक प्रबावा शारी भाना गमा हैं। कनकधाया मॊि को ववद्वानो ने स्वमॊससि तथा सबी प्रकाय के ऐश्वमा प्रदान कयने भें सभथा भाना हैं। आज के मुग भें हय व्मत्क्त अततशीघ्र सभृि फनना ाहता हैं। धन प्रात्प्त हेतु प्राण-प्रततत्ष्ठत कनकधाया मॊि के साभने फैठकय कनकधाया स्तोि का ऩाठ कयने से ववशेष राब प्राप्त होता हैं। इस कनकधाया मॊि फक ऩूजा अ ाना कयने से ऋण औय दरयिता से शीघ्र भुत्क्त सभरती हैं। व्माऩाय भें उन्नतत होती हैं, फेयोजगाय को योजगाय प्रात्प्त होती हैं। जैसे श्री आदद शॊकया ामा द्वारा कनकधाया स्तोि फक य ना कु छ इस प्रकाय की गई हैं, फक त्जसके श्रवण एवॊ ऩठन कयने से आस-ऩास के वामुभॊडर भें ववशेष अरौफकक ददव्म उजाा उत्ऩन्न होती हैं। दठक उसी प्रकाय से कनकधाया मॊि अत्मॊत दुराब मॊिो भें से एक मॊि हैं त्जसे भाॊ रक्ष्भी फक प्रात्प्त हेतु अ ूक प्रबावा शारी भाना गमा हैं। कनकधाया मॊि को ववद्वानो ने स्वमॊससि तथा सबी प्रकाय के ऐश्वमा प्रदान कयने भें सभथा भाना हैं। जगद्गुरु शॊकया ामा ने दरयि ब्राहभण के घय कनकधाया स्तोि के ऩाठ से स्वणा वषाा कयाने का उल्रेख ग्रॊथ शॊकय ददत्ग्वजम भें सभरता हैं। कनकधाया भॊि:- ॐ वॊ श्रीॊ वॊ ऐॊ ह्ीॊ-श्रीॊ क्रीॊ कनक धायमै स्वाहा' GURUTVA KARYALAY Call Us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 or Shop Online @ www.gurutvakaryalay.com
  • 15. 15 ससतम्फय - 2019 इॊददया एकादशी इॊददया एकादशी व्रत 25-ससतम्फय-2019 ( वाय)  सॊकरन गुरुत्व कामाारम इॊददया एकादशी व्रत कथा आश्ववन : कृ ष्ण एकादशी एक फाय मुधधत्ष्ठय बगवान श्रीकृ ष्ण से ऩूछते हैं, हे बगवान! आत्श्वन कृ ष्ण एकादशी का क्मा नाभ है? इसभें फकस देवता की ऩूजा की जाती है औय इसका व्रत कयने से क्मा पर सभरता है ?" व्रत कयने की ववधध तथा इसका भाहात्म्म कृ ऩा कयके कदहए। बगवान श्रीकृ ष्ण कहने रगे फक इस एकादशी का नाभ इंददया एकादशी है। मह एकादशी ऩाऩों को नष्ट कयने वारी तथा वऩतयों को अधोगतत से भुत्क्त देने वारी होती है। हे याजन! ध्मानऩूवाक इसकी कथा सुनो। इसके सुनने भाि से ही वामऩेम मऻ का पर सभरता है। प्रा ीनकार भें सतमुग के सभम भें भदहष्भतत नाभ की एक नगयी भें इॊिसेन नाभ का एक प्रताऩी याजा धभाऩूवाक अऩनी प्रजा का ऩारन कयते हुए शासन कयता था। वह याजा ऩुि, ऩौि औय धन आदद से सॊऩन्न औय ववष्णु का ऩयभ बक्त था। एक ददन जफ याजा सुखऩूवाक अऩनी सबा भें फैठा था तो आकाश भागा से भहवषा नायद उतयकय उसकी सबा भें ऩधाये। याजा उन्हें देखते ही हाथ जोडकय खडा हो गमा औय ववधधऩूवाक आसन व अघ्मा ददमा। आनॊद ऩूवाक फैठकय नायदजी ने याजा से ऩूछा फक हे याजन! आऩके सातों अॊग कु शरऩूवाक तो हैं? तुम्हायी फुवि धभा भें औय तुम्हाया भन ववष्णु बत्क्त भें तो यहता है? देववषा नायद की ऐसी फातें सुनकय याजा ने कहा- हे भहवषा! आऩकी कृ ऩा से भेये याज्म भें सफ कु शर-भॊगर है तथा भेये महाॉ मऻ कभाादद सुकृ त हो यहे हैं। आऩ कृ ऩा कयके अऩने आगभन का कायण फताए। तफ ऋवष कहने रगे फक हे याजन! आऩ आश् मा देने वारे भेये व नों को सुनो। भैं एक सभम ब्रहभरोक से मभरोक को गमा, वहाॉ श्रिाऩूवाक मभयाज से ऩूत्जत होकय भैंने धभाशीर औय सत्मवान धभायाज की प्रशॊसा की। उसी मभयाज की सबा भें भहान ऻानी औय धभाात्भा तुम्हाये वऩता को एकादशी का व्रत बॊग होने के कायण देखा। उन्होंने सॊदेशा बेजा हैं, जो भैं तुम्हें कहता हूॉ। उन्होंने कहा फक ऩूवा जन्भ भें कोई ववघ्न हो जाने के कायण भैं श्री भहारक्ष्भी मंत्र धन फक देवी रक्ष्भी हैं जो भनुष्म को धन, सभृवि एवॊ ऐश्वमा प्रदान कयती हैं। अथा(धन) के त्रफना भनुष्म जीवन दु्ख, दरयिता, योग, अबावों से ऩीडडत होता हैं, औय अथा(धन) से मुक्त भनुष्म जीवन भें सभस्त सुख-सुववधाएॊ बोगता हैं। श्री भहारक्ष्भी मॊि के ऩूजन से भनुष्म की जन्भों जन्भ की दरयिता का नाश होकय, धन प्रात्प्त के प्रफर मोग फनने रगते हैं, उसे धन-धान्म औय रक्ष्भी की वृवि होती हैं। श्री भहारक्ष्भी मॊि के तनमसभत ऩूजन एवॊ दशान से धन की प्रात्प्त होती है औय मॊि जी तनमसभत उऩासना से देवी रक्ष्भी का स्थाई तनवास होता है। श्री भहारक्ष्भी मॊि भनुष्म फक सबी बौततक काभनाओॊ को ऩूणा कय धन ऐश्वमा प्रदान कयने भें सभथा हैं। अऺम तृतीमा, धनतेयस, दीवावरी, गुरु ऩुष्माभृत मोग यववऩुष्म इत्मादद शुब भुहूता भें मॊि की स्थाऩना एवॊ ऩूजन का ववशेष भहत्व हैं। >> Shop Online | Order Now GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
  • 16. 16 ससतम्फय - 2019 मभयाज के तनकट यह यहा हूॉ, सो हे ऩुि मदद तुभ आत्श्वन कृ ष्णा इॊददया एकादशी का व्रत भेये तनसभत्त कयो तो भुझे स्वगा की प्रात्प्त हो सकती है। इतना सुनकय याजा कहने रगा फक हे भहवषा आऩ इस व्रत की ववधध भुझसे कदहए। नायदजी कहने रगे- आत्श्वन भाह की कृ ष्ण ऩऺ की दशभी के ददन प्रात:कार स्नानादद से तनवृत्त होकय ऩुन: दोऩहय को नदी आदद भें जाकय स्नान कयें। फपय श्रिाऩूवा वऩतयों का श्राि कयें औय एक फाय बोजन ग्रहण कयें। प्रात:कार होने ऩय एकादशी के ददन दातून आदद कयके स्नान कयें, फपय व्रत के तनमभों को बत्क्तऩूवाक ग्रहण कयता हुआ प्रततऻा कयें फक ‘भैं आज सॊऩूणा बोगों को त्माग कय तनयाहाय एकादशी का व्रत करूॉ गा। हे प्रबु! हे ऩुॊडयीकाऺ! भैं आऩकी शयण हूॉ, आऩ भेयी यऺा कीत्जए, इस प्रकाय तनमभऩूवाक शासरग्राभ की भूतता के आगे ववधधऩूवाक श्राि कयके मोग्म ब्राहभणों को पराहाय का बोजन कयाएॉ औय दक्षऺणा दें। वऩतयों के श्राि से जो फ जाए उसको सूॉघकय गौ को दें तथा धूऩ, दीऩ, गॊध, ऩुष्ऩ, नैवेद्य आदद सफ साभग्री से ऋवषके श बगवान का ऩूजन कयें। यात भें बगवान के तनकट जागयण कयें। इसके ऩश् ात द्वादशी के ददन प्रात:कार होने ऩय बगवान का ऩूजन कयके ब्राहभणों को बोजन कयाएॉ। बाई-फॊधुओॊ, स्िी औय ऩुि सदहत आऩ बी भौन होकय बोजन कयें। नायदजी कहने रगे फक हे याजन! इस ववधध से मदद तुभ आरस्म यदहत होकय इस एकादशी का व्रत कयोगे तो तुम्हाये वऩता अवश्म ही स्वगारोक को जाएॉगे। इतना कहकय नायदजी अॊतध्माान हो गए। नायदजी के कथनानुसाय याजा द्वाया अऩने फाॉधवों तथा दासों सदहत व्रत कयने से आकाश से ऩुष्ऩवषाा हुई औय उस याजा का वऩता गरुड ऩय ढ़कय ववष्णुरोक को गमा। याजा इॊिसेन बी एकादशी के व्रत के प्रबाव से तनष्कॊ टक याज्म कयके अॊत भें अऩने ऩुि को ससॊहासन ऩय फैठाकय स्वगारोक को गमा। हे मुधधत्ष्ठय! मह इॊददया एकादशी के व्रत का भाहात्म्म भैंने तुभसे कहा। इसके ऩढ़ने औय सुनने से भनुष्म सफ ऩाऩों से छू ट जाते हैं औय सफ प्रकाय के बोगों को बोगकय फैकुॊ ठ को प्राप्त होते हैं। *** भॊि ससि स्पदटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है। "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब फ़रदमी मॊि है। जो न के वर दूसये मन्िो से अधधक से अधधक राब देने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के सरए पामदेभॊद सात्रफत होता है। ऩूणा प्राण- प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी ससि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सुख की प्रात्प्त होतत है। "श्री मॊि" भे सभाई अद्ववतीम एवॊ अिश्म शत्क्त भनुष्म की सभस्त शुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होतत है। त्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दूय होकय वह भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सुखो फक प्रात्प्त होतत है। "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दूय कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है। "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩयेशातन भे न्मुनता आतत है व सुख-सभृवि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त होती है। गुरुत्व कामाथरम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 Gram (2.25Kg) तक फक साइज भे उप्रब्ध है . भूल्म:- प्रतत ग्राभ Rs. 28 से Rs.100 >>Order Now GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Visit Us: www.gurutvakaryalay.com www.gurutvajyotish.com and gurutvakaryalay.blogspot.com
  • 17. 17 ससतम्फय - 2019 दहन्दू देवताओॊ भें सवाप्रथभ ऩूजनीम श्री गणेशजी  सॊकरन गुरुत्व कामाारम बायतीम सॊस्कृ तत भें प्रत्मेक शुबकामा कयने के ऩूवा बगवान श्री गणेश जी की ऩूजा की जाती हैं इसी सरमे मे फकसी बी कामा का शुबायॊब कयने से ऩूवा कामा का "श्री गणेश कयना" कहा जाता हैं। एवॊ प्रत्मक शुब कामा मा अनुष्ठान कयने के ऩूवा ‘‘श्री गणेशाम नभ्” का उच् ायण फकमा जाता हैं। गणेश को सभस्त ससविमों को देने वारा भाना गमा है। सायी ससविमाॉ गणेश भें वास कयती हैं। इसके ऩीछे भुख्म कायण हैं की बगवान श्री गणेश सभस्त ववघ्नों को टारने वारे हैं, दमा एवॊ कृ ऩा के अतत सुॊदय भहासागय हैं, एवॊ तीनो रोक के कल्माण हेतु बगवान गणऩतत सफ प्रकाय से मोग्म हैं। सभस्त ववघ्न फाधाओॊ को दूय कयने वारे गणेश ववनामक हैं। गणेशजी ववद्या-फुवि के अथाह सागय एवॊ ववधाता हैं। बगवान गणेश को सवथ प्रथभ ऩूजे जाने के ववषम भें कु छ ववशेष रोक कथा प्रचसरत हैं। इन ववशेष एवं रोकवप्रम कथाओं का वणथन महा कय यहें हैं। इस के सॊदबा भें एक कथा है फक भहवषा वेद व्मास ने भहाबायत को से फोरकय सरखवामा था, त्जसे स्वमॊ गणेशजी ने सरखा था। अन्म कोई बी इस ग्रॊथ को तीव्रता से सरखने भें सभथा नहीॊ था। सवथप्रथभ कौन ऩूजनीम हो? कथा इस प्रकाय हैं : तीनो रोक भें सवाप्रथभ कौन ऩूजनीम हो?, इस फात को रेकय सभस्त देवताओॊ भें वववाद खडा हो गमा। जफ इस वववादने फडा रुऩ धायण कय सरमे तफ सबी देवता अऩने-अऩने फर फुविअ के फर ऩय दावे प्रस्तुत कयने रगे। कोई ऩयीणाभ नहीॊ आता देख सफ देवताओॊ ने तनणाम सरमा फक रकय बगवान श्री ववष्णु को तनणाामक फना कय उनसे पै सरा कयवामा जाम। सबी देव गण ववष्णु रोक भे उऩत्स्थत हो गमे, बगवान ववष्णु ने इस भुद्दे को गॊबीय होते देख श्री ववष्णु ने सबी देवताओॊ को अऩने साथ रेकय सशवरोक भें ऩहु गमे। सशवजी ने कहा इसका सही तनदान सृत्ष्टकताा ब्रहभाजी दह फताएॊगे। सशवजी श्री ववष्णु एवॊ अन्म देवताओॊ के साथ सभरकय ब्रहभरोक ऩहु ें औय ब्रहभाजी को सायी फाते ववस्ताय से फताकय उनसे पै सरा कयने का अनुयोध फकमा। ब्रहभाजी ने कहा प्रथभ ऩूजनीम वहीॊ होगा जो जो ऩूये ब्रहभाण्ड के तीन क्कय रगाकय सवाप्रथभ रौटेगा। सभस्त देवता ब्रहभाण्ड का क्कय रगाने के सरए अऩने अऩने वाहनों ऩय सवाय होकय तनकर ऩडे। रेफकन, गणेशजी का वाहन भूषक था। बरा भूषक ऩय सवाय हो गणेश कै से ब्रहभाण्ड के तीन क्कय रगाकय सवाप्रथभ रौटकय सपर होते। रेफकन गणऩतत ऩयभ ववद्या-फुविभान एवॊ तुय थे।
  • 18. 18 ससतम्फय - 2019 गणऩतत ने अऩने वाहन भूषक ऩय सवाय हो कय अऩने भाता-वऩत फक तीन प्रदक्षऺणा ऩूयी की औय जा ऩहुॉ े तनणाामक ब्रहभाजी के ऩास। ब्रहभाजी ने जफ ऩूछा फक वे क्मों नहीॊ गए ब्रहभाण्ड के क्कय ऩूये कयने, तो गजाननजी ने जवाफ ददमा फक भाता-वऩत भें तीनों रोक, सभस्त ब्रहभाण्ड, सभस्त तीथा, सभस्त देव औय सभस्त ऩुण्म ववद्यभान होते हैं। अत् जफ भैंने अऩने भाता-वऩत की ऩरयक्रभा ऩूयी कय री, तो इसका तात्ऩमा है फक भैंने ऩूये ब्रहभाण्ड की प्रदक्षऺणा ऩूयी कय री। उनकी मह तका सॊगत मुत्क्त स्वीकाय कय री गई औय इस तयह वे सबी रोक भें सवाभान्म 'सवाप्रथभ ऩूज्म' भाने गए। सरंगऩुयाण के अनुसाय (105। 15-27) – एक फाय असुयों से िस्त देवतागणों द्वाया की गई प्राथाना से बगवान सशव ने सुय-सभुदाम को असबष्ट वय देकय आश्वस्त फकमा। कु छ ही सभम के ऩश् ात तीनो रोक के देवाधधदेव भहादेव बगवान सशव का भाता ऩावाती के सम्भुख ऩयब्रहभ स्वरूऩ गणेश जी का प्राकट्म हुआ। सवाववघ्नेश भोदक वप्रम गणऩततजी का जातकभाादद सॊस्काय के ऩश् ात ् बगवान सशव ने अऩने ऩुि को उसका कताव्म सभझाते हुए आशीवााद ददमा फक जो तुम्हायी ऩूजा फकमे त्रफना ऩूजा ऩाठ, अनुष्ठान इत्मादद शुब कभों का अनुष्ठान कयेगा, उसका भॊगर बी अभॊगर भें ऩरयणत हो जामेगा। जो रोग पर की काभना से ब्रहभा, ववष्णु, इन्ि अथवा अन्म देवताओॊ की बी ऩूजा कयेंगे, फकन्तु तुम्हायी ऩूजा नहीॊ कयेंगे, उन्हें तुभ ववघ्नों द्वाया फाधा ऩहुॉ ाओगे। जन्भ की कथा बी फड़ी योचक है। गणेशजी की ऩौयाणणक कथा बगवान सशव फक अन उऩत्स्थतत भें भाता ऩावाती ने वव ाय फकमा फक उनका स्वमॊ का एक सेवक होना ादहमे, जो ऩयभ शुब, कामाकु शर तथा उनकी आऻा का सतत ऩारन कयने भें कबी वव सरत न हो। इस प्रकाय सो कय भाता ऩावाती नें अऩने भॊगरभम ऩावनतभ शयीय के भैर से अऩनी भामा शत्क्त से फार गणेश को उत्ऩन्न फकमा। एक सभम जफ भाता ऩावाती भानसयोवय भें स्नान कय यही थी तफ उन्होंने स्नान स्थर ऩय कोई आ न सके इस हेतु अऩनी भामा से गणेश को जन्भ देकय 'फार गणेश' को ऩहया देने के सरए तनमुक्त कय ददमा। इसी दौयान बगवान सशव उधय आ जाते हैं। गणेशजी सशवजी को योक कय कहते हैं फक आऩ उधय नहीॊ जा सकते हैं। मह सुनकय बगवान सशव क्रोधधत हो जाते हैं औय गणेश जी को यास्ते से हटने का कहते हैं फकॊ तु गणेश जी अडे यहते हैं तफ दोनों भें मुि हो जाता है। मुि के दौयान क्रोधधत होकय सशवजी फार गणेश का ससय धड से अरग कय देते हैं। सशव के इस कृ त्म का जफ ऩावाती को ऩता रता है तो वे ववराऩ औय क्रोध से प्ररम का सृजन कयते हुए कहती है फक तुभने भेये ऩुि को भाय डारा। ऩावातीजी के दु्ख को देखकय सशवजी ने उऩत्स्थत गणको आदेश देते हुवे कहा सफसे ऩहरा जीव सभरे, उसका ससय काटकय इस फारक के धड भॊि ससि ऩन्ना गणेश बगवान श्री गणेश फुवि औय सशऺा के कायक ग्रह फुध के अधधऩतत देवता हैं। ऩन्ना गणेश फुध के सकायात्भक प्रबाव को फठाता हैं एवॊ नकायात्भक प्रबाव को कभ कयता हैं।. ऩन्न गणेश के प्रबाव से व्माऩाय औय धन भें वृवि भें वृवि होती हैं। फच् ो फक ऩढाई हेतु बी ववशेष पर प्रद हैं ऩन्ना गणेश इस के प्रबाव से फच् े फक फुवि कू शाग्र होकय उसके आत्भववश्वास भें बी ववशेष वृवि होती हैं। भानससक अशाॊतत को कभ कयने भें भदद कयता हैं, व्मत्क्त द्वाया अवशोवषत हयी ववफकयण शाॊती प्रदान कयती हैं, व्मत्क्त के शायीय के तॊि को तनमॊत्रित कयती हैं। त्जगय, पे पडे, जीब, भत्स्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्मादद योग भें सहामक होते हैं। कीभती ऩत्थय भयगज के फने होते हैं। Rs.550 से Rs.8200 तक
  • 19. 19 ससतम्फय - 2019 ई- जन्भ ऩत्रिका E HOROSCOPE अत्माधुतनक ज्मोततष ऩितत द्वाया उत्कृ ष्ट बववष्मवाणी के साथ १००+ ऩेज भें प्रस्तुत Create By Advanced Astrology Excellent Prediction 100+ Pages दहॊदी/ English भें भूल्म भाि 910/- GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com ऩय रगा दो, तो मह फारक जीववत हो उठेगा। सेवको को सफसे ऩहरे हाथी का एक फच् ा सभरा। उन्होंने उसका ससय राकय फारक के धड ऩय रगा ददमा, फारक जीववत हो उठा। उस अवसय ऩय तीनो देवताओॊ ने उन्हें सबी रोक भें अग्रऩूज्मता का वय प्रदान फकमा औय उन्हें सवा अध्मऺ ऩद ऩय ववयाजभान फकमा। स्कं द ऩुयाण ब्रह्भवैवतथऩुयाण के अनुसाय (गणऩततखण्ड) – सशव-ऩावाती के वववाह होने के फाद उनकी कोई सॊतान नहीॊ हुई, तो सशवजी ने ऩावातीजी से बगवान ववष्णु के शुबपरप्रद ‘ऩुण्मक’ व्रत कयने को कहा ऩावाती के ‘ऩुण्मक’ व्रत से बगवान ववष्णु ने प्रसन्न हो कय ऩावातीजी को ऩुि प्रात्प्त का वयदान ददमा। ‘ऩुण्मक’ व्रत के प्रबाव से ऩावातीजी को एक ऩुि उत्ऩन्न हुवा। ऩुि जन्भ फक फात सुन कय सबी देव, ऋवष, गॊधवा आदद सफ गण फारक के दशान हेतु ऩधाये। इन देव गणो भें शतन भहायाज बी उऩत्स्थत हुवे। फकन्तु शतनदेव ने ऩत्नी द्वाया ददमे गमे शाऩ के कायण फारक का दशान नहीॊ फकमा। ऩयन्तु भाता ऩावाती के फाय-फाय कहने ऩय शतनदेव नें जेसे दह अऩनी ित्ष्ट सशशु फारके उऩय ऩडी, उसी ऺण फारक गणेश का गदान धड से अरग हो गमा। भाता ऩावाती के ववरऩ कयने ऩय बगवान ् ववष्णु ऩुष्ऩबिा नदी के अयण्म से एक गजसशशु का भस्तक काटकय रामे औय गणेशजी के भस्तक ऩय रगा ददमा। गजभुख रगे होने के कायण कोई गणेश फक उऩेऺा न कये इस सरमे बगवान ववष्णु अन्म देवताओॊ के साथ भें तम फकम फक गणेश सबी भाॊगरीक कामो भें अग्रणीम ऩूजे जामेंगे एवॊ उनके ऩूजन के त्रफना कोई बी देवता ऩूजा ग्रहण नहीॊ कयेंगे। इस ऩय बगवान ् ववष्णु ने श्रेष्ठतभ उऩहायों से बगवान गजानन फक ऩूजा फक औय वयदान ददमा फक सवााग्रे तव ऩूजा भमा दत्ता सुयोत्तभ। सवाऩूज्मश् मोगीन्िो बव वत्सेत्मुवा तभ्।। (गणऩततखॊ. 13। 2) बावाथथ: ‘सुयश्रेष्ठ! भैंने सफसे ऩहरे तुम्हायी ऩूजा फक है, अत् वत्स! तुभ सवाऩूज्म तथा मोगीन्ि हो जाओ।’