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गुरुत्व कार्ाालर् द्वारा प्रस्तुत मासिक ई-पत्रिका                       जून- 2012




                            NON PROFIT PUBLICATION.
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                                    E CIRCULAR
                          गुरुत्व ज्र्ोसतष पत्रिका जून 2012
िंपादक                 सिंतन जोशी
                       गुरुत्व ज्र्ोसतष त्रवभाग

िंपका                  गुरुत्व कार्ाालर्
                       92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
                       BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन                    91+9338213418, 91+9238328785,
                       gurutva.karyalay@gmail.com,
ईमेल                   gurutva_karyalay@yahoo.in,

                       http://gk.yolasite.com/
वेब                    http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

पत्रिका प्रस्तुसत      सिंतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
फोटो ग्राफफक्ि         सिंतन जोशी, स्वस्स्तक आटा
हमारे मुख्र् िहर्ोगी स्वस्स्तक.ऎन.जोशी (स्वस्स्तक िोफ्टे क इस्डिर्ा सल)




            ई- जडम पत्रिका                         E HOROSCOPE
      अत्र्ाधुसनक ज्र्ोसतष पद्धसत द्वारा
                                                  Create By Advanced Astrology
         उत्कृ ष्ट भत्रवष्र्वाणी क िाथ
                                  े                    Excellent Prediction
              १००+ पेज मं प्रस्तुत                        100+ Pages

                            फहं दी/ English मं मूल्र् माि 750/-

                                 GURUTVA KARYALAY
                       92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
                           BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
                         Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
              Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
अनुक्रम
                                                          प्रश्न ज्र्ोसतष त्रवशेष
प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवशेष िूिना                         6     प्रश्न ज्र्ोसतष और धन िे िंबंसधत र्ोग                        30

प्रश्न कण्िली िे जाने स्वास््र् लाभ क र्ोग
        ु                            े                           7     प्रश्न ज्र्ोसतष और त्रववाह र्ोग                              41

प्रश्न कण्िली िे पररजनो क स्वास््र् लाभ क र्ोग
        ु                े               े                      10     प्रश्न ज्र्ोसतष िे शिु का त्रविार                            44

प्रश्न कण्िली मे रोग मं मंगल की भूसमका
        ु                                                       16     प्रश्न कण्िली िे जाने नौकरी क त्रवसभडन र्ोग
                                                                               ु                    े                               45

प्रश्न ज्र्ोसतष िे जाने त्रवद्या प्रासि क र्ोग
                                         े                      18     प्रश्न कण्िली िे जाने मुकदमे मं िफलता क र्ोग
                                                                               ु                              े                     52

प्रश्न ज्र्ोसतष िे जासनए त्रवद्याप्रासि मं ग्रहं की भूसमका      19     शसन प्रदोष व्रत का महत्व                                     53

त्रवद्या प्रासि िे जेिे़ अडर् महत्वपूणा र्ोग                    21     गुरु पुष्र्ामृत र्ोग                                         54

प्रश्न ज्र्ोसतष और र्ािा क र्ोग
                          े                                     25

                                                              हमारे उत्पाद
गणेश लक्ष्मी र्ंि             11    कनकधारा र्ंि                  32   श्री हनुमान र्ंि               56   जैन धमाक त्रवसशष्ट र्ंि 62
                                                                                                                   े

दगाा बीिा र्ंि
 ु                            14    धन वृत्रद्ध फिब्बी            33   मंिसिद्ध लक्ष्मी र्ंििूसि      57   राशी रत्न एवं उपरत्न     64

मंिसिद्ध स्फफटक श्री र्ंि     16    द्वादश महा र्ंि               37   मंि सिद्ध दै वी र्ंि िूसि      57   शसन पीड़ा सनवारक          70

मंि सिद्ध दलाभ िामग्री
           ु                  17    मंि सिद्ध मूंगा गणेश          39   रासश रत्न                      58   मंगलर्ंि िे ऋण मुत्रि 73
पढा़ई िंबंसधत िमस्र्ा         18    शादी िंबंसधत िमस्र्ा          42   मंि सिद्ध रूद्राक्ष            59   िवा रोगनाशक र्ंि/        80

िरस्वती कवि और र्ंि           24    पुरुषाकार शसन र्ंि            44   श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि/ कवि      60   मंि सिद्ध कवि            82

िवा कार्ा सित्रद्ध कवि        28 िंपूणा जडम किली परामशा
                                             ुं                   52   राम रक्षा र्ंि                 61   YANTRA                   83

भाग्र् लक्ष्मी फदब्बी         30    नवरत्न जफड़त श्री र्ंि         55   अमोद्य महामृत्र्ुंजर् कवि 64        GEMS STONE               85

घंटाकणा महावीर िवा सित्रद्ध महार्ंि                               63   पसत-पत्नी मं कलह सनवारण हे तु                                47

मंि सिद्ध वाहन दघटना नाशक मारुसत र्ंि
                ु ा                                               56   क्र्ा आपक बच्िे किंगती क सशकार हं ?
                                                                                े       ु      े                                    48

प्रश्न कण्िली िे स्स्टक उत्तर प्राि फकस्जए
        ु                                                         27   मंि सिद्ध िामग्री-                                         73-75

                                                         स्थार्ी और अडर् लेख
िंपादकीर्                                                        4     फदन-रात क िौघफिर्े
                                                                                े                                                   77

मासिक रासश फल                                                   65     फदन-रात फक होरा - िूर्ोदर् िे िूर्ाास्त तक                   78

जून 2012 मासिक पंिांग                                           69     ग्रह िलन जून -2012                                           79

जून-2012 मासिक व्रत-पवा-त्र्ौहार                                71     िूिना                                                        87

जून 2012 -त्रवशेष र्ोग                                          76     हमारा उद्दे श्र्                                             89

दै सनक शुभ एवं अशुभ िमर् ज्ञान तासलका                           76
GURUTVA KARYALAY



                                                        िंपादकीर्
त्रप्रर् आस्त्मर्

           बंधु/ बफहन

                        जर् गुरुदे व
       आज क आधुसनक र्ुग मं प्रार्ः हर मनुष्र् अपने भत्रवष्र् को लेकर सिंसतत रहते हं ! फफर िाहे वहँ असमर हो
           े
र्ा गरीब, गृहस्थ हो र्ा िंिारकी मोह, मार्ा, राग-द्वे ष इत्र्ाफद गुणो को त्र्ाग िुक आधुसनक र्ुग क िाधु िडर्ािी
                                                                                  े             े
हो (कछ िाधु िडर्ािी को छोड़कर क्र्ोफक, कछ िाधु-िडर्ािी पूणतः इश्वर क प्रसत िमत्रपात होते हं स्जडहं भत्रवष्र् िे
     ु                                 ु                 ा         े
िंबंसधत फकिी प्रकार की सिंता र्ा उत्िुकता नहीं होती।), हर फकिी को इि त्रवषर् मं एक त्रवशेष प्रकार की स्जज्ञािा
र्ा उत्िुकता बनी रहती हं की आने वाले भत्रवष्र् मं क्र्ा घफटट होने वाला हं ? र्ह एक प्रकार की िामाडर् उत्कठा
                                                                                                         ं
होती हं , जो प्रार्ः हर मनुश्र् क सभतर िल रही होती हं ?
                                 े
       एिी पौरास्णक कहावत हं की आवश्र्क्ता आत्रवष्कार की जननी हं । मनुष्र् ने अपनी त्रवसभडन स्जज्ञािा को शांत
करने क सलए कदरत क अनेक गुि रहस्र्ं को खोज़ने का प्रर्ाि फकर्ा हं और उिने अपने प्रर्ािं एवं अनुभवो िे
      े     ु    े
उन गुि रहस्र्ं को प्रकट भी फकर्ा हं । इि मं जरा भी िंदेह नहीं हं की अनाफद काल िे ही गूढ़ रहस्र्ं को खोजना,
जानना एवं िमझना मनुष्र् का स्वभाव रहा हं ।
       मनुष्र् क मागादशान क सलए और उिक भत्रवष्र् एवं वतामान जीवन क महत्वपूणा पहलू को जानने िमझने और
                े          े          े                           े
उििे प्राि जानकारी िे उिक जीवन को िुधारने और िवारने का कार्ा भारतीर् ऋषी-मुसनर्ं ने फकर्ा हं , हमारे
                         े
त्रवद्वान ऋत्रषमुसनर्ं ने फकिी भी मनुष्र् क वतामान एवं उिक भत्रवष्र् क गभा मं झांक ने क सलर्े त्रवसभडन ग्रंथं,
                                           े              े           े                े
शास्त्रों फक रिना फक हं स्जिे हम ज्र्ोसतष शास्त्रो, अंक शास्त्रो, प्रश्न ज्र्ोसतष, शकन शास्त्रो, िमल शास्त्रो, िामुफद्रक शास्त्रो
                                                                                     ु
इत्र्ाफद क नाम िे जानते हं । इन त्रवषर्ो पर त्रवद्वानो ने वषो तक शोध फकर्े और उिका शूक्ष्म अवलोकन कर
          े
त्रवसभडन उपार् खोजे हं और आने वाले भत्रवष्र् मं भी खोजे जाते रहं गे।
       हमारे त्रवद्वानो ने हजारो वषा पूवा र्ह ज्ञात कर सलर्ा था की िौर-मण्िल का प्रभाव हमारी पृ्वी पर और पृ्वी
पर सनवार करने वाले िमस्त जीवं पर सनस्ित रुप िे पड़ता हं ।                     क्र्ोफक िौर-मण्िल मं जो भी स्जतनी भी ग्रह
स्स्थत हं , वह एक सनस्ित मागा पर पृ्वी फक तरह ही िूर्ा क इदा-सगदा िक्कर लगाते हं । ग्रहं की उिी गसत एवं
                                                        े
स्स्थती का प्रभाव हमारे मानव जीवन को प्रभात्रवत करता हं । स्जन ग्रहं का प्रभाव पृ्वी प्र त्रवशेष रुप िे पड़ता हं,
ग्रहो की उिी गसत मं उनका फल भी सनस्ित रुप िे समलता हं ।
       इि सलर्े जब फकिी नवजात सशशु का जडम होता हं तो उिक जडम क िमर् मं आकाश मागा मं ग्रहो की जो
                                                        े     े
स्स्थती होती हं भारतीर् ज्र्ोतीष मं ग्रहो की उिी स्स्थती क अनुशार उि सशशु की जडम कण्िली का सनमााण कर
                                                          े                       ु
फदर्ा जाता हं । जडम कण्िली उि नवजात सशशु क िंपूणा जीवन का आईना होती हं ।
                     ु                    े
       लेफकन स्जन लोगं क पाि जडम कण्िली नही हं र्ा उनक पाि अपने जडम का स्स्टक त्रववरण जैिे
                        े         ु                   े                                                                  तारीख,
िमर् ज्ञात नहीं हं, वह लोग क्र्ा करं ? किे जाने अपना भत्रवष्र्?, उनक सलर्े प्रश्न ज्र्ोसतष
                                        े                           े                                        एक उत्तम माध्र्म
िात्रबत हो िकता हं । क्र्ोफक प्रश्न कण्िली क माध्र्म िे प्रश्न कताा क भूत, भत्रवष्र् और वतामान िे जुिे त्रवसभडन प्रश्नो
                                     ु      े                        े
का त्रबना फकिी परे शानी िे िरलता िे उत्तर प्राि हो िकता हं । व्र्त्रि अपने आनेवाले िमर् का सनस्ित रुप िे
िद्उपर्ोग कर िकता हं । कछ त्रवद्वानो का र्हां तक कहना हं की प्रश्न कण्िली की स्स्टक गणना िे उपर्ुि िमर् का
                        ु                                           ु
िर्न कर फकर्े गर्े शुभ कार्ं िे सनधान व्र्त्रि भी धनवान बन िकता हं और अनपढ़ व्र्त्रि प्रखर त्रवद्वान बन
िकता हं ।
      प्रािीन भारतीर् धमाग्रंथो मं प्रश्न ज्र्ोसतष क महत्व को िमझते हुवे िैकड़ं ग्रंथो की रिना की हं । स्जिक
                                                    े                                                      े
माध्र्म िे मनुष्र् क भूत, भत्रवष्र् और वतामान िे िंबसधत प्रश्नो का उत्तर प्राि फकर्े जा िकते हं । लेफकन वतामान
                    े                               ं
िमर् मं प्रश्न ज्र्ोसतष िे जुिी महत्वपूणा जानकारीर्ा और उनका उपर्ुि फलादे श और जानकारी र्ा त्रवसभडन ग्रंथो मं
फकिी टू टी हुई माला क मनको क िमान त्रबखरे पिे ़ हं स्जििे प्रार्ः हर त्रवद्वान ज्र्ोसतषी अच्छी प्रकार िे पररसित हं ।
                     े      े
कफठन पररश्रम एवं त्रवसभडन ग्रंथो क अध्र्र्न क पिर्ात ही कोई जानकार ज्र्ोसतष फकिी प्रश्न कताा क प्रश्नं का
                                  े          े                                                े
सनधााररत उत्तर दे ने मं िमथा हो िकता हं । आजक आधुसनक र्ुग मं िंभवत फकिी एक ग्रंथ मं वस्णात फलादे श करना
                                             े
कफठन हो िकता हं । क्र्ोफक िमर् क िाथ-िाथ त्रवद्वानो द्वारा फकर्े गर्े त्रवसभडन शोध एवं उनक अनुभवो क आधार
                         ं      े                                                         े        े
पर हर त्रवद्वानो क अनुभवं मं सभडनता रही हं स्जििे उनक फल कथन मं भी सभडनता हो जाती हं । इि सलए उि
                  े                                  े
िभी बातं का ख्र्ाल रखते हुए प्रश्न ज्र्ोसतष का फल कथन करना उसित होगा।

      हर व्र्त्रि ज्र्ोसतष बने र्ह जरुरी नहीं हं लेफकन ज्र्ोसतष िे िंबंसधत िामाडर् ज्ञान हर व्र्त्रि
क पाि हो र्ह असत आवश्र्क हं । इिी उद्दे श्र् िे पाठकं क मागादशान क सलर्े प्रश्न ज्र्ोसतष
 े                                                     े          े
त्रवशेषांक फक प्रस्तुसत फक गई हं ।
    िभी पाठको क मागादशान र्ा ज्ञानवधान क सलए प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवसभडन उपर्ोगी जानकारी इि अंक मं
               े                        े
त्रवसभडन ग्रंथो एवं सनजी अनुभवो क आधार पर िंकसलत की गई हं । ज्र्ोसतषी एवं त्रवद्वान पाठको िे अनुरोध हं , र्फद प्रश्न
                                 े
ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवषर् मं ग्रह र्ोग, ग्रहं की स्स्थसत इत्र्ाफद क िंकलन, प्रमाण पढ़ने, िंपादन मं, फिजाईन मं,
                                                                     े
टाईपींग मं, त्रप्रंफटं ग मं, प्रकाशन मं कोई िुफट रह गई हो, तो उिे स्वर्ं िुधार लं र्ा फकिी र्ोग्र् ज्र्ोसतषी र्ा त्रवद्वान िे िलाह
त्रवमशा कर ले । क्र्ोफक जानकार ज्र्ोसतषी एवं त्रवद्वानो क सनजी अनुभव व त्रवसभडन ग्रंथो मं वस्णात प्रश्न ज्र्ोसतष िे
                                                         े
िंबंसधत जानकारीर्ं मं एवं त्रवद्वानो क स्वर्ं क अनुभवो मं सभडनता होने क कारण िंबंसधत प्रश्न का त्रविार करते
                                      े        े                       े
िमर् ग्रहो की स्स्थसत र्ोग इत्र्ाफद क स्स्टक फल क सनणार् मं सभडनता िंभव हं ।
                                     े           े
    इि अंक मं प्रश्न ज्र्ोसतष क कछ खाि प्रश्नं का ही िमावेश फकर्ा गर्ा हं । प्रश्न ज्र्ोसतष िे जुड़े अडर् प्रश्नं का
                               े ु
िमावेश पाठको की रुसि क अनुशार क्रमशः अंकं मं सनर्समत रुप िे फकर्ा जार्ेगा।
                      े




                                                                                                            सिंतन जोशी
6                                   जून 2012




              ***** प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवशेष िूिना*****
 पत्रिका मं प्रकासशत प्रश्न ज्र्ोसतष िे िम्बस्डधत िभी जानकारीर्ां गुरुत्व कार्ाालर् क असधकारं क
                                                                                      े         े
   िाथ ही आरस्क्षत हं ।
 ज्र्ोसतष पर अत्रवश्वाि रखने वाले व्र्त्रि प्रश्नज्र्ोसतष क त्रवषर् को माि पठन िामग्री िमझ िकते हं ।
                                                            े
 प्रश्न ज्र्ोसतष का त्रवषर् ज्र्ोसतष िे िंबंसधत होने क कारण इि अंकमं वस्णात िभी जानकारीर्ां
                                                       े
   भारसतर् ज्र्ोसतष शास्त्रों िे प्रेररत होकर सलखी गई हं ।
 प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवषर्ो फक ित्र्ता अथवा प्रामास्णकता पर फकिी भी प्रकार फक
   स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा िंपादक फक नहीं हं ।
 प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत भत्रवष्र्वाणी फक प्रामास्णकता एवं प्रभाव फक स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा
   िंपादक फक नहीं हं और ना हीं प्रामास्णकता एवं प्रभाव फक स्जडमेदारी क बारे मं जानकारी दे ने हे तु
                                                                      े
   कार्ाालर् र्ा िंपादक फकिी भी प्रकार िे बाध्र् हं ।
 प्रश्नज्र्ोसतष िे िंबंसधत लेखो मं पाठक का अपना त्रवश्वाि होना आवश्र्क हं । फकिी भी व्र्त्रि त्रवशेष
   को फकिी भी प्रकार िे इन त्रवषर्ो मं त्रवश्वाि करने ना करने का अंसतम सनणार् उनका स्वर्ं का होगा।
 प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत पाठक द्वारा फकिी भी प्रकार फक आपत्ती स्वीकार्ा नहीं होगी।
 प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत लेख ज्र्ोसतष क प्रामास्णक ग्रंथो, हमारे वषो क अनुभव एवं अनुशंधान क
                                           े                              े                    े
   आधार पर फद गई हं ।
 हम फकिी भी व्र्त्रि त्रवशेष द्वारा प्रश्न ज्र्ोसतष पर त्रवश्वाि फकए जाने पर उिक लाभ र्ा नुक्शान की
                                                                                 े
   स्जडमेदारी नफहं लेते हं । र्ह स्जडमेदारी प्रश्न ज्र्ोसतष पर त्रवश्वार करने वाले र्ा उिका प्रर्ोग करने वाले
   व्र्त्रि फक स्वर्ं फक होगी।
 क्र्ोफक इन त्रवषर्ो मं नैसतक मानदं िं, िामास्जक, कानूनी सनर्मं क स्खलाफ कोई व्र्त्रि र्फद नीजी
                                                                  े
   स्वाथा पूसता हे तु प्रश्न ज्र्ोसतष का प्रर्ोग कताा हं अथवा प्रश्न ज्र्ोसतष की गणना करने मे िुफट रखता
   हं र्ा उििे िुफट होती हं तो इि कारण िे प्रसतकल अथवा त्रवपररत पररणाम समलने भी िंभव हं ।
                                                ू
 प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत जानकारी को मानकर उििे प्राि होने वाले लाभ, हानी फक स्जडमेदारी
   कार्ाालर् र्ा िंपादक फक नहीं हं ।
 हमारे द्वारा पोस्ट फकर्े गर्े प्रश्न ज्र्ोसतष पर आधाररत लेखं मं वस्णात जानकारी को हमने िैकिोबार
   स्वर्ं पर एवं अडर् हमारे बंधुगण क नीजी जीवन मं आजमार्ा हं । स्जस्िे हमे अनेको बार प्रश्न ज्र्ोसतष
                                    े
   क आधार पर स्स्टक उत्तर की प्रासि हुई हं ।
    े
 असधक जानकारी हे तु आप कार्ाालर् मं िंपक कर िकते हं ।
                                         ा

                   (िभी त्रववादो कसलर्े कवल भुवनेश्वर डर्ार्ालर् ही माडर् होगा।)
                                  े      े
7                                       जून 2012




                              प्रश्न कण्िली िे जाने स्वास््र् लाभ क र्ोग
                                      ु                            े
                                                                                                           सिंतन जोशी
                                                   िभी व्र्त्रि स्वर्ं क और अपने स्वजनो क उत्तम स्वास््र् की कामना करता
                                                                        े                े
                                           है । लेफकन हमारा शरीर मं त्रवसभडन कारणो िे स्वास््र् िंबंसधत परे शासनर्ां िमर् के
                                           िाथ-िाथ आती-जाती रहती हं ।




             ?
                                                   लेफकन र्फद त्रबमारी होने पर स्वास््र् मं जल्दी िुधार नहीं होता तो, तरह-
                                           तरह की सिंता और मानसिक तनाव होना िाधारण बात हं । फक स्वास््र् मं िुधार
                                           कब आर्ेगा?, कब उत्तम स्वास््र् लाभ होगा?, स्वास््र् लाभ होगा र्ा नहीं?, इत्र्ाफद
                                           प्रश्न उठ खिे हो जाते हं ।
                                                   मनुष्र् की इिी सिंताको दर करने क सलए हजारो वषा पूवा भारतीर्
                                                                           ू       े
                                           ज्र्ोसतषािार्ो नं प्रश्न किली क माध्र्म िे ज्ञात करने की त्रवद्या हमं प्रदान की हं ।
                                                                     ुं   े
स्जि क फल स्वरुप फकिी भी व्र्त्रि क स्वास््र् िे िंबंसधत प्रश्नो का ज्र्ोसतषी गणनाओं क माध्र्म िे िरलता िे िमाधन
      े                            े                                                  े
फकर्ा जािकता हं !
       प्रश्न किली क माध्र्म िे स्वास््र् िे िंबंसधत जानकारी प्राि करने हे तु िवा प्रथम प्रश्न किली मं रोगी क शीघ्र स्वास््र्
               ुं   े                                                                           ुं           े
लाभ क र्ोग हं र्ा नहीं र्ह दे ख लेना असत आवश्र्क हं ।
     े
आपक मागादशान हे तु र्हां त्रवशेष र्ोग िे आपको अवगत करवा रहे हं ।
   े

लग्न मं स्स्थत ग्रह र्ा लग्नेश िे रोग मुत्रि क र्ोग।
                                              े
      र्फद लग्न मं बलवान ग्रह स्स्थत हो तो रोगी को शीघ्र स्वास््र् लाभ दे ते हं ।
      प्रश्न किली मं र्फद लग्ने (लग्न का स्वामी ग्रह)
               ुं                                                और दशमेश (दशम भाव का स्वामी ग्रह)           समि हो तो रोगी
       को शीघ्र स्वास््र् लाभ दे ते हं ।
      प्रश्न किली मं ितुथेश (ितुथा भाव का स्वामी ग्रह)
               ुं                                                    और ििमेश (ििम भाव का स्वामी ग्रह) क बीि समिता
                                                                                                        े
       हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ क र्ोग बनते हं ।
                                  े
      र्फद लग्नेश (लग्न का स्वामी ग्रह)           का िडद्र क िाथ िंबंध हो और िडद्र शुभ ग्रहं िे र्ुि र्ा द्रष्ट हो र्ा
                                                             े
       कडद्र मे स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ होता हं ।
        े
      र्फद किली मं लग्नेश (लग्न का स्वामी ग्रह) और िडद्र शुभ ग्रहो िे र्ुि र्ा द्रष्ट होकर कडद्र मं स्स्थत हो
             ुं                                                                              े
       और ििमेश वक्री न हो एवं अष्टम भाव क स्वामी ग्रह िे प्रभाव मुि हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ होता हं ।
                                          े

िडद्रमा िे रोग मुत्रि क र्ोग
                       े
      र्फद िडद्र स्वरासश र्ा उच्ि रासश मे बलवान हो कर फकिी शुभ ग्रह िे र्ुि हो र्ा द्रष्ट हो तो रोगी को शीघ्र स्वास््र् लाभ
       होते दे खा गर्ा हं ।
8                                         जून 2012



      र्फद प्रश्न किली मं र्फद िडद्र िर रासश अथाात फद्वस्वभाव रासश मं स्स्थत हो कर लग्न र्ा लग्नेश िे द्रष्ट हो तो शीघ्र
                    ुं
       स्वास््र् लाभ की िंभावना प्रबल होती हं ।
      र्फद िडद्र स्वरासश िे ितुथा र्ा दशम भाव मं स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ हो ने क र्ोग बनते हं ।
                                                                                          े
      प्रश्न किली मं शुभ ग्रहो िे द्रष्ट िडद्र र्ा िूर्ा लग्न मं, ितुथा र्ा ििम भाव मं स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ क र्ोग
               ुं                                                                                                         े
       बनते हं ।
प्रश्न किली क माध्र्म िे स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब होने क र्ोग दे ख लेना भी आवश्र्क होता हं ।
        ुं   े                                           े

स्वास््र् लाभ मं त्रवलंब होने क र्ोग
                               े
      िधारणतः जातक मं षष्टम भाव व षष्टेश िे रोग को दे खा जाता हं ।
      प्रश्न किली मं र्फद लग्नेश और दशमेश क बीि अथवा ितुथेश और ििमेश ग्रहो क बीि मं शिुता हो तो रोग बढने की
               ुं                           े                                े
       िंभावनाऎ असधक होती हं और स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब हो िकता हं ।
      प्रश्न कण्िली मं र्फद षष्ठेश अष्टमेश अथवा द्वादशेश क िाथ र्ुसत र्ा द्रष्टी िंबंध बनाता हो तो स्वास््र् लाभ की िंभावना
               ु                                           े
       असधक कम होती हं और स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब हो िकता हं ।
      प्रश्न कण्िली मं र्फद लग्न मे िडद्र र्ा शुक्र की स्स्थत हो तो रोग शीघ्र पीछा नहीं छोिता।
               ु
      प्रश्न कण्िली मं र्फद लग्नेश एवं मंगल की फकिी ही भाव मं र्ुसत हो तो स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब हो िकता हं ।
               ु
      र्फद लग्नेश द्वादश भाव मे स्स्थत हो तो रोगी दे र िे रोगमुि होने की िंभावनाऎ होती हं ।
      र्फद लग्नेश षष्टम, अष्टम भाव मे स्स्थत हो और अष्टमेश कडद्र मे स्स्थत हो तो रोग शीघ्र दर नहीं होते।
                                                             े                               ू

र्फद प्रश्न किली मं स्वास््र् लाभ मं त्रवलंब होने क र्ोग बन रहे हो तो सिंसतत होने क बजार् शास्त्रोोि उपार्
             ुं                                    े                               े
इत्र्ाफद करना लाभदार्क सिद्ध होता हं । एिी स्स्थसत मं त्रवद्वानो क मत िे महामृत्र्ुंजर् मंि-र्ंि का प्रर्ोग शीघ्र
                                                                  े
रोग मुत्रि हे तु रामबाण होता हं ।

प्रश्न किली का अध्र्र्न करते िमर् र्ह र्ोग भी दे खले की रोगी को उसित उपर्ार प्राि हो रहा हं र्ा नहीं।
        ुं

रोग का उसित उपिार होने क र्ोग हं र्ा नहीं!
                        े
      प्रश्न कण्िली मं प्रथम, पंिम, ििम एवं अष्टम भाव मं पाप ग्रह हं और िडद्रमा कमज़ोर र्ा पाप ग्रह िे पीफड़त हं तो
               ु
       रोग का उपिार कफठन हो जाता हं ।
      र्फद िडद्रमा बलवान हो और 1, 5, 7 एवं 8 भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत हं तो उपिार िे रोग का दर होना िंभव हो पाता हं ।
                                                                                            ू
      र्फद प्रश्न किली मं तृतीर्, षष्टम, नवम एवं एकादश भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत हं तो उपिार क बाद ही रोग िे मुत्रि
                    ुं                                                                      े
       समलती हं ।
      र्फद प्रश्न किली मं ििम भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत हं और ििमांश बलवान हं तो रोग का उपिार िंभव होता हं ।
                    ुं
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      र्फद प्रश्न किली मं ितुथा भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत िे भी ज्ञात हो िकता है फक रोगी को दवाईर्ं िे उसित लाभ प्राि होगा
                    ुं
       र्ा नहीं।
प्रश्न किली दे खते िमर् शरीर क त्रवसभडन अंगो पर ग्रहो क प्रभाव एवं त्रबमारीर्ं को जानना भी आवश्र्क होता हं ।
        ुं                    े                        े

ज्र्ोसतषी सिद्धांतो क अनुशार किली क बारह भाव शरीर क त्रवसभडन अंगो को दशााते है ।
                     े        ुं   े               े
    प्रथम भाव      :सिर, मस्स्तष्क, स्नार्ु तंि.
    फद्वतीर् भाव :िेहरा, गला, कठ, गदा न, आंख.
                                ं
    तीिरा भाव : कधे, छाती, फफिे , श्वाि, निे और बाहं .
                             े
    ितुथा भाव      :स्तन, ऊपरी आडि, ऊपरी पािन तंि
    पंिम भाव       :हृदर्, रि, पीठ, रििंिार तंि.
    षष्ठम भाव      :सनम्न उदर, सनम्न पािन तंि, आतं, अंतफिर्ाँ, कमर, र्कृ त.
    ििम भाव        :उदरीर् गुफहका, गुदे.
    अष्टम भाव      :गुि अंग, स्त्रोावी तंि, अंतफिर्ां, मलाशर्, मूिाशर् और मेरुदण्ि.
    नवम भाव        :जॉघं, सनतम्ब और धमनी तंि.
    दशम भाव        :घुटने, हफिर्ां और जोड़.
    एकादश भाव        :टागे, टखने और श्वाि.
    द्वादश भाव     :पैर, लिीका तंि और आंखे.


प्रश्न कण्िली मं रोग िे िंबंसधत भाव
        ु
    प्रश्न ज्र्ोसतष क अनुिार प्रश्न किली मं लग्न स्थान सिफकत्िक भाव होता हं । अतः शुभ ग्रह प्रश्न किली क लग्न मं शुभ
                      े               ुं                                                            ुं   े
       ग्रह की स्स्थसत िे ज्ञात होता हं की रोगी को फकिी कशल सिफकत्िक की िलाह प्राि हो रही हं र्ा होगी।
                                                         ु
    र्फद अशुभ ग्रह स्स्थत हो तो िमझले की रोगी को फकिी कशल सिफकत्िक की आवश्र्कता हं ।
                                                        ु
    प्रश्न ज्र्ोसतष क अनुिार प्रश्न किली मं ितुथा स्थान उपिार और औषसधर्ं अथाात दवाईर्ं का स्थान हं । ितुथा भाव मं
                      े               ुं
       र्फद शुभ ग्रह र्ा शुभ ग्रहं की दृत्रष्ट र्ा र्ुसत हो तो िमझे की रोग िामाडर् उपिार िे शीघ्र ठीक हो िकता हं ।
    किली मं छठा एवं िातवां भाव रोग का स्थान होता हं ।
      ुं
    किली मं दशम भाव रोगी का मानाजाता हं ।
      ुं
    र्फद प्रश्न किली मं षष्टम एवं ििम भाव पर शुभ ग्रहं का प्रभाव हो और षष्ठेश और ििमेश सनबाल हं तो स्वास््र् लाभ
                  ुं
       धीरे धीरे होने का िंकत समलता हं ।
                            े
नोट: प्रश्न किली का त्रवश्ले षण िावधानी िे करना उसित रहता हं । त्रवद्वानो क अनुशार प्रश्न किली का त्रवश्लेषण करते
             ुं                                                            े               ुं
िमर् िंबसधत भाव एवं भाव क स्वामी ग्रह अथाातः भावेश एवं भाव क कारक ग्रह को ध्र्ान मं रखते हुए आंकलन कर
        ं                े                                  े
फकर्ा गर्ा त्रवश्लेषण स्पष्ट होता हं । प्रश्न किली का फलादे श करते िमर् हर छोटी छोटी बातं का ख्र्ाल रखना
                                               ुं
आवश्र्क होता हं अडर्था त्रवश्लेषण फकर्े गर्े प्रश्न का उत्तर स्स्टक नहीं होता।
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                     प्रश्न कण्िली िे पररजनो क स्वास््र् लाभ क र्ोग
                             ु                े               े
                                                                                  सिंतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
       िामाडर्तः ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कडिली मं
                                    े        ु                     फकिी प्रकार की कोई गंभीर व अिाध्र् रोग होने की
स्वास््र् का िम्बडध लग्न िे होता है क्र्ोफक ज्र्ोसतष               िंभावना कम होती है । फकिी बिी़ लापरवाही के
मे लग्न को शरीर माना गर्ा हं ।                                     कारण स्वास््र् प्रभात्रवत हो िकता हं अतः व्र्त्रि को
 इि सलए उत्तम स्वास््र् क सलए लग्न व लग्नेष की
                          े                                        स्वास््र् िुख मं वृत्रद्ध क सलए अपने मन और
                                                                                              े
   स्स्थसत बहुत महत्वपूणा होती है ।                                इस्डद्रर्ं पर सनर्ंिण रखना िाफहए। स्वास््र् पर
 उत्तम स्वास््र् का कारक ग्रह िूर्ा एवं मन का कारक                त्रवपरीत प्रभाव िालने वाली वस्तुओं िे दर रहना
                                                                                                          ू
   िडद्र माने जाते हं र्फद िूर्ा और िडद्र दोनो उत्तम               िाफहए और िंर्म का पालन करने िे व्र्त्रि गंभीर
   स्स्थसत मं हं तो तो प्रश्न कताा िे िंबंसधत व्र्त्रि             रोग िे मुि रहं गा।
   अथवा त्रप्रर्जन क पूणतः स्वस्थ रहने क र्ोग प्रबल
                    े   ा               े                       र्फद प्रश्न कण्िली मं िडद्रमा षष्टम भाव को ििम
                                                                              ु
   हो जाते हं ।                                                    दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो तो, रोगी
 र्फद िूर्ा और िडद्र दोनो ग्रहं मं िे फकिी क भी
                                             े                     क स्वास््र् मं जल्दी ही िुधार होने की िंभावनाए
                                                                    े
   कमज़ोर होने पर उि ग्रह िे िम्बस्डधत िुख का                      बनती है ।
   अभाव होता हं ।                                               र्फद प्रश्न कण्िली मं िडद्रमा लग्नको ििम दृत्रष्ट िे
                                                                              ु
 ज्र्ोसतष मं षष्ठम (छठा) भाव रोग स्थान कहा जाता                   दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो तो, रोगी का
   हं । इि सलर्े प्रश्न कडिली मं भी रोग का त्रविार भी
                         ु                                         स्वास््र् उत्तम रहे गा और रोगी सनस्ित ही मानसिक
   षष्ठम (छठा) भाव िे करना िाफहए।                                  रूप िे भी मजबूत रहने की िंभावनाए बनती है ।
 उपरोि ग्रहं मं िे फकिी क भी कमज़ोर होने पर उि
                          े                                     र्फद प्रश्न कण्िली मं लग्न र्ा षष्ठम (छठा) भाव मं
                                                                              ु
   ग्रह िे िम्बस्डधत िुख का अभाव होता है ।                         कोई शुभ ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो, तो
 त्रवद्वानो क मतानुशार अिाध्र् रोग जैिे की मधुमेह
              े                                                    रोगी क स्वास््र् क प्रसत त्रवशेष सिंसतत होने की
                                                                         े           े
   (शुगर), किर, एड्ि इत्र्ादी गम्भीर बीमारीर्ं की
            ं                                                      आवश्र्कता नहीं हं र्फद रोगी फकिी छोटे -मोटे रोग
   श्रेणी मे आते है और इन अिाध्र् रोगो की उत्पत्रत्त               िे पीफड़त हं तो, ग्रहं की र्ह स्स्थसत उिक भाग्र् को
                                                                                                           े
   क कारक ग्रह त्रवशेष रुप िे मंगल, शसन, राहू व कतु
    े                                            े                 बहुत ही बलवान बनाती है और दशााती हं की उिे
   माने जाते है ।                                                  थोड़े ही फदनं मं उपर्ुि सिफकत्िा िे अवश्र् स्वस््र्
 र्फद प्रश्न कण्िली मे लग्न और लग्नेश कमजोर
               ु                                                   लाभ प्राि हो जार्ेगा हं और र्ह ग्रह िंकत दे ता हं
                                                                                                          े
   स्स्थसत मे हो और उपरोि अशुभ ग्रहं क त्रवशेष
                                      े                            फक रोगी को फकिी गंभीर र्ा अिाध्र् रोग िे पीफड़त
   प्रभाब िे लग्न और लग्नेश पीफित हो तो गंभीर रोग                  नहीं होना पिे गा।
   िे ग्रस्त होने की िंभावना प्रबल हो जाती है ।                 र्फद प्रश्न कण्िली मं लग्नेश अपनी उच्ि रासश मं
                                                                              ु
 र्फद प्रश्न कण्िली मे लग्न और लग्नेश और अडर्
               ु                                                   स्स्थत हो, तो रोगी का भाग्र् को बहुत ही बलवान
   अशुभ ग्रह (मंगल, शसन, राहू व कतु) िामाडर्
                                 े                                 रहता है । स्जििे रोगी का स्वास््र् भी बहुत ही
   स्स्थसत मं हो! तो स्वास््र् उत्तम रहे गा, प्रश्न कताा को        अच्छा रहने की िंभावना बनती है , और रोगी के
11                                     जून 2012



   स्वास््र् क प्रसत असधक सिंसतंत होने की आवश्र्कता
              े                                               स्जि प्रकार कण्िली मं रोग क सलए षष्ठम भाव को
                                                                            ु             े
   नहीं है ।                                                     दे खा जाता हं । उिी प्रकार फकिी भी प्रकार के
 र्फद प्रश्न कण्िली मं लग्न मं कोई ग्रह उच्ि रासश का
               ु                                                 अस्रोपिार अथाात आपरे शन का कारक मंगल ग्रह
   होकर स्स्थत हो, तो रोगी का स्वास््र् बहुत ही उत्तम            होता है । इि सलए आपरे शन िे िंबसधत त्रविार करने
                                                                                                ं
   रहे गा। उिे फकिी गंभीर रोग िे ग्रस्त नहीं होना                िे पूवा मंगल ग्रह की स्स्थसत का िूक्ष्म अवलोकन
   पिे ़गा। र्फद आपको अपने त्रप्रर्जन क स्वास््र् िे
                                       े                         अवश्र् कर लेना िाफहए।
   लेकर मन मं अगर फकिी प्रकार की आशंका है तो                  आपरे शन िे पूवा प्रश्न कण्िली मं आर्ु भाव अथाात
                                                                                       ु
   सिफकत्िक िे समलकर इिका सनवारण करलं व्र्था                     अष्टम भाव का भी आंकलन अवश्र् कर लेना िाफहए।
   का वहम मन मं नहीं पालं।                                    प्रश्न कण्िली मं लग्न/लग्नेश बलवान स्स्थसत मं हं,
                                                                       ु
 लग्न िे स्वास््र्, िेहत, शरीर, दादी, नाना एवं                  छठे भाव पर भी शुभ ग्रह का प्रभाव हो और आर्ु
   व्र्त्रि की स्स्थसत का पता लगार्ा जा िकता है ।                स्थान भी शुभ ग्रहो क प्रभाव मं हो तो ही आपरे शन
                                                                                     े
 र्फद प्रश्न कण्िली मं लग्न अशुभ प्रभाव मं होने क
               ु                                  े              क सलए िमर् उत्तम होता है । त्रवद्वानो क मतानुशार
                                                                  े                                     े
   कारण कमजोर स्स्थसत मं हो, तो इि प्रकार की                     ग्रहं की त्रवपरीत स्स्थसत होने पर आपात काल को
   स्स्थसत क कारण व्र्त्रि की इच्छापूसता मं बाधा का
            े                                                    छोड़कर आपरे शन नहीं करवाना िाफहए।
   िंकत समलता है । इि सलए रोगी क स्वास््र् क प्रसत
      े                         े           े                 क्र्ोफक अबतक हुवे शोध क आधार पर त्रवद्वानो का
                                                                                      े
   िावधान रहना िाफहए। रोगी क अस्वस्थ होने पर
                            े                                    अनुभव रहा हं की शुभ ग्रह स्स्थसत इत्र्ादी का िूक्ष्म
   घबराएं नहीं बस्ल्क तुरंत सिफकत्िक िे िम्पक कर
                                             ा                   अवलोकन कर क शुभ पररस्स्थसत होने पर फकर्ा गर्ा
                                                                            े
   उसित ईलाज और परहे ज िे उिक स्वास््र् मं िुधार
                             े                                   आपरे शन पूरी तरह िफल होता हं स्जििे रोगी को
   हो िकता हं । उि ग्रह स्स्थसत होने पर रोगी के                  सनस्ित रुप िे स्वास््र् लाभ समलता हं, रोगी को
   स्वास््र् क प्रसत लापरवाही त्रबल्कल भी नहीं करं ।
              े                      ु                           त्रवशेष तकलीफ नहीं होती और आपरे शन मं फकिी
                                                                 प्रकार का व्र्वधान और परे शानी नहीं होती हं ।

त्रप्रर्जन क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न
            े                                                त्रवशेष नोट: र्फद ग्रहं की त्रवपरीत स्स्थसत हो तो
                                                             सिफकत्िक िे समलकर उसित िलाह-मशवरा कर
                                                             क इि फदशा मं कदम उठाने िाफहए।
                                                              े
आपरे शन करवाना ठीक रहे गा र्ा नहीं?
        कछ लोगं की जीवन मं अनेकं बार एिी स्स्थसत
         ु
आजाती हं की उनका र्ा उनक फकिी त्रप्रर्जन का
                        े                                    गणेश लक्ष्मी र्ंि:            प्राण-प्रसतत्रष्ठत गणेश लक्ष्मी
स्वास््र् आकस्स्मक रुप िे त्रबगड़ने लगता हं । कछ
                                              ु              र्ंि को अपने घर-दकान-ओफफि-फक्टरी मं पूजन स्थान,
                                                                              ु         ै
बीमारीर्ं का दावाईर्ं और परहे ज िे ठीक होना िंभव हं          गल्ला र्ा अलमारी मं स्थात्रपत करने व्र्ापार मं त्रवशेष
लेफकन    कछ
          ु    बीमारीर्ं   मं   आपरे शन   कराना   अत्र्ंत    लाभ प्राि होता हं । र्ंि क प्रभाव िे भाग्र् मं उडनसत,
                                                                                       े
आवश्र्क हो जाता हं । तो लोगो क मन मं प्रश्न उठने
                              े                              मान-प्रसतष्ठा एवं   व्र्ापर मं वृत्रद्ध होती हं एवं आसथाक
स्वाभात्रवक होते हं की क्र्ा इि आपरे शन िे बीमारी            स्स्थमं िुधार होता हं । गणेश लक्ष्मी र्ंि को स्थात्रपत
पूणतः ठीक हो जार्ेगी? क्र्ा इि िमर् आपरे शन
   ा                                                         करने िे भगवान गणेश और दे वी लक्ष्मी का िंर्ुि
करवाना ठीक रहे गा?                                           आशीवााद प्राि होता हं ।     Rs.550 िे Rs.8200 तक
12                                   जून 2012



दादाजी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
        े                                                  जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी माता क स्वास््र्
                                                                                    ु                 े

       ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं दादाजी फक
                          े        ु                       का त्रविार करते िमर् ितुथा िे षष्ठम भाव अथाात माता

स्स्थसत जानने क सलए ििम भाव का आकलन फकर्ा
               े                                           का रोग स्थान नवम भाव िे दे खा जाता हं । माता का

जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी दादाजी क
                         ु                   े             रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं

स्वास््र् का त्रविार करते िमर् ििम िे षष्ठम भाव            का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत पत
                                                                                े

अथाात दादाजी का रोग स्थान द्वादश भाव िे दे खा जाता         त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।

हं । दादाजी का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि
ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार
                                    े                      िािा क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
                                                                 े
स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।               ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं िािा फक
                                                                                     े        ु
                                                           स्स्थसत जानने क सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा
                                                                          े
दादीजी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
        े                                                  जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी िािा क स्वास््र्
                                                                                    ु                 े

       ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं दादीजी फक
                          े        ु                       का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात िािा

स्स्थसत जानने क सलए लग्न का आकलन फकर्ा जाता है ।
               े                                           का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । िािा का

इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी दादीजी क स्वास््र् का
               ु                   े                       रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए िािा के

त्रविार करते िमर् लग्न िे षष्ठम भाव िे दादाजी का           स्वास््र् का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव मं

रोग दे खा जाता हं । दादीजी का रोग कारक मंगल ग्रह है ।      शुभ ग्रह स्स्थसत हो और मंगल भी शुभ स्स्थसत मं हो, तो

इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके            िािा क स्वास््र् मं तेजी िे िुधार होता है । र्फद उि
                                                                 े

अडर् रोग कार स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी             ग्रह और भाव पीफित अवस्था मं होने पर िािा को

सनणार् पर पहूंिे।                                          स्वास््र् क िम्बडध मं परे शानी का िामना करना पड़
                                                                      े
                                                           िकता हं ।

त्रपता क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
        े
                                                           िािी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
                                                                 े
       ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं त्रपता फक
                          े        ु
स्स्थसत जानने क सलए दशम भाव का आकलन फकर्ा
               े                                                  ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं िािी फक
                                                                                     े        ु

जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी त्रपता क स्वास््र्
                         ु                   े             स्स्थसत जानने क सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा
                                                                          े

का त्रविार करते िमर् दशम िे षष्ठम भाव अथाात त्रपता         जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी िािा क स्वास््र्
                                                                                    ु                 े

का रोग स्थान तृतीर् भाव िे दे खा जाता हं । त्रपता का       का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात िािी

रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं           का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । िािी का

का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत पत
                     े                                     रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए िािी के

त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।                   स्वास््र् का त्रविार करते िमर् षष्ठ िे षष्ठम भाव अथाात
                                                           एकादश भाव मं शुभ ग्रह स्स्थसत हो और मंगल भी शुभ
                                                           स्स्थसत मं हो, तो िािी क स्वास््र् मं तेजी िे िुधार
                                                                                   े
माता क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
      े
                                                           होता है । र्फद उि ग्रह और भाव पीफित अवस्था मं होने
       ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं माता फक
                          े        ु
                                                           पर िािी को स्वास््र् क िम्बडध मं परे शानी का
                                                                                 े
स्स्थसत जानने क सलए ितुथा भाव का आकलन फकर्ा
               े
                                                           िामना करना पड़ िकता हं ।
13                                            जून 2012



िंतान क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
       े                                                     छोटे भाई/बफहन क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
                                                                            े
          ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं िंतान फक
                             े        ु                             ज्र्ोसतष     शास्त्रो   के   अनुशार    कण्िली
                                                                                                            ु        मं   छोटे
स्स्थसत जानने क सलए पंिम भाव का आकलन फकर्ा
               े                                             भाई/बफहन फक स्स्थसत जानने क सलए तृतीर् भाव का
                                                                                        े
जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी िंतान क
                         ु                  े                आकलन फकर्ा जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी
                                                                                                 ु
स्वास््र् का त्रविार करते िमर् पंिम िे षष्ठम भाव             छोटे भाई/बफहन क स्वास््र् का त्रविार करते िमर्
                                                                            े
अथाात िंतान का रोग स्थान दशम भाव िे दे खा जाता               तृतीर् िे षष्ठम भाव अथाात छोटे भाई/बफहन का रोग
हं । पंिम भाव का कारक ग्रह बृहस्पसत और िंतान का              स्थान अष्टम भाव िे दे खा जाता हं । छोटे भाई/बफहन का
रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं             रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं
का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत पत
                     े                                       का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत पत
                                                                                  े
त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।                     त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।

                                                             पत्नी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
                                                                    े
बिे भाई क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
         े
                                                                    ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं पत्नी फक
                                                                                       े        ु
          ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं बिे भाई फक
                             े        ु                      स्स्थसत जानने क सलए ििम भाव का आकलन फकर्ा
                                                                            े
स्स्थसत जानने क सलए एकादश भाव का आकलन फकर्ा
               े                                             जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी पत्नी क स्वास््र्
                                                                                      ु                  े
जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी बिे भाई क
                         ु                    े              का त्रविार करते िमर् ििम िे षष्ठम भाव अथाात पत्नी
स्वास््र् का त्रविार करते िमर् एकादश िे षष्ठम भाव            का रोग स्थान द्वादश भाव िे दे खा जाता हं । पत्नी का
अथाात बिे भाई का रोग स्थान ितुथा भाव िे दे खा जाता           रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं
हं । एकादश भाव का कारक ग्रह बृहस्पसत हं और बिे               का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत पत
                                                                                  े
भाई का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं               त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार
                              े
स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।          नानाजी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
                                                                     े
                                                                    ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं नानाजी फक
                                                                                       े        ु
                                                             स्स्थसत जानने क सलए लग्न का आकलन फकर्ा जाता है ।
                                                                            े
बिी बफहन क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
          े
                                                             इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी नानाजी क स्वास््र् का
                                                                            ु                   े
          ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं बिी बफहन
                             े        ु                      त्रविार करते िमर् लग्न िे षष्ठम भाव िे नानाजी का
फक स्स्थसत जानने क सलए एकादश भाव का आकलन
                  े                                          रोग दे खा जाता हं । नानाजी का रोग कारक मंगल ग्रह है ।
फकर्ा जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी बिी बफहन
                               ु                             इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके
क स्वास््र् का त्रविार करते िमर् एकादश िे षष्ठम
 े                                                           अडर् रोग कार स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी
भाव अथाात बिी बफहन का रोग स्थान ितुथा भाव िे                 सनणार् पर पहूंिे।
दे खा जाता हं । एकादश भाव का कारक ग्रह बृहस्पसत हं
औरबिी बफहन का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए
                                                                 अपनी जडम किली िे िमस्र्ाओं
                                                                           ुं
उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग
                                       े                         का िमाधान जासनर्े                        माि RS:- 450
कार स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर
                                                                    िंपक करं : Call us: 91 + 9338213418,
                                                                        ा
पहूंिे।
                                                                                                 91 + 9238328785,
14                                       जून 2012



नानीजी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
        े                                                   मामी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
                                                                  े
       ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं नानीजी फक
                          े        ु                               ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं मामी फक
                                                                                      े        ु
स्स्थसत जानने क सलए ििम भाव का आकलन फकर्ा
               े                                            स्स्थसत जानने क सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा
                                                                           े
जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी नानीजी क
                         ु                   े              जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी मामी क स्वास््र्
                                                                                     ु                 े
स्वास््र् का त्रविार करते िमर् ििम िे षष्ठम भाव             का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात मामी
अथाात नानीजी का रोग स्थान द्वादश भाव िे दे खा जाता          का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । मामी का
हं । नानीजी का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि            रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं
ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार
                                    े                       भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत
                                                                                      े
स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।         पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।


मामा क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
      े                                                     मौिा क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
                                                                  े
       ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं मामा फक
                          े        ु                               ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं मौिा फक
                                                                                      े        ु
स्स्थसत जानने क सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा
               े                                            स्स्थसत जानने क सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा
                                                                           े
जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी मामा क स्वास््र्
                         ु                 े                जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी मौिा क स्वास््र्
                                                                                     ु                 े
का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात मामा          का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात मौिा
का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । मामा का           का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । मौिा का
रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं            रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं
भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत
                          े                                 भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत
                                                                                      े
पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।                 पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।



                                                   दगाा बीिा र्ंि
                                                    ु
   शास्त्रोोि मत क अनुशार दगाा बीिा र्ंि दभााग्र् को दर कर व्र्त्रि क िोर्े हुवे भाग्र् को जगाने वाला माना
                  े        ु              ु           ू              े
   गर्ा हं । दगाा बीिा र्ंि द्वारा व्र्त्रि को जीवन मं धन िे िंबंसधत िंस्र्ाओं मं लाभ प्राि होता हं । जो व्र्त्रि
              ु
   आसथाक िमस्र्ािे परे शान हं, वह व्र्त्रि र्फद नवरािं मं प्राण प्रसतत्रष्ठत फकर्ा गर्ा दगाा बीिा र्ंि को
                                                                                         ु
   स्थासि कर लेता हं , तो उिकी धन, रोजगार एवं व्र्विार् िे िंबंधी िभी िमस्र्ं का शीघ्र ही अंत होने लगता
   हं । नवराि क फदनो मं प्राण प्रसतत्रष्ठत दगाा बीिा र्ंि को अपने घर-दकान-ओफफि-फक्टरी मं स्थात्रपत करने
               े                            ु                         ु         ै
   िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं , व्र्त्रि शीघ्र ही अपने व्र्ापार मं वृत्रद्ध एवं अपनी आसथाक स्स्थती मं िुधार होता
   दे खंगे। िंपूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् दगाा बीिा र्ंि को शुभ मुहूता मं अपने घर-दकान-ओफफि मं
                                                       ु                                       ु
   स्थात्रपत करने िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं ।                          मूल्र्: Rs.730 िे Rs.10900 तक

            GURUTVA KARYALAY: Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785,
               Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
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  • 1. Font Help >> http://gurutvajyotish.blogspot.com गुरुत्व कार्ाालर् द्वारा प्रस्तुत मासिक ई-पत्रिका जून- 2012 NON PROFIT PUBLICATION.
  • 2. FREE E CIRCULAR गुरुत्व ज्र्ोसतष पत्रिका जून 2012 िंपादक सिंतन जोशी गुरुत्व ज्र्ोसतष त्रवभाग िंपका गुरुत्व कार्ाालर् 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA फोन 91+9338213418, 91+9238328785, gurutva.karyalay@gmail.com, ईमेल gurutva_karyalay@yahoo.in, http://gk.yolasite.com/ वेब http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/ पत्रिका प्रस्तुसत सिंतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी फोटो ग्राफफक्ि सिंतन जोशी, स्वस्स्तक आटा हमारे मुख्र् िहर्ोगी स्वस्स्तक.ऎन.जोशी (स्वस्स्तक िोफ्टे क इस्डिर्ा सल) ई- जडम पत्रिका E HOROSCOPE अत्र्ाधुसनक ज्र्ोसतष पद्धसत द्वारा Create By Advanced Astrology उत्कृ ष्ट भत्रवष्र्वाणी क िाथ े Excellent Prediction १००+ पेज मं प्रस्तुत 100+ Pages फहं दी/ English मं मूल्र् माि 750/- GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
  • 3. अनुक्रम प्रश्न ज्र्ोसतष त्रवशेष प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवशेष िूिना 6 प्रश्न ज्र्ोसतष और धन िे िंबंसधत र्ोग 30 प्रश्न कण्िली िे जाने स्वास््र् लाभ क र्ोग ु े 7 प्रश्न ज्र्ोसतष और त्रववाह र्ोग 41 प्रश्न कण्िली िे पररजनो क स्वास््र् लाभ क र्ोग ु े े 10 प्रश्न ज्र्ोसतष िे शिु का त्रविार 44 प्रश्न कण्िली मे रोग मं मंगल की भूसमका ु 16 प्रश्न कण्िली िे जाने नौकरी क त्रवसभडन र्ोग ु े 45 प्रश्न ज्र्ोसतष िे जाने त्रवद्या प्रासि क र्ोग े 18 प्रश्न कण्िली िे जाने मुकदमे मं िफलता क र्ोग ु े 52 प्रश्न ज्र्ोसतष िे जासनए त्रवद्याप्रासि मं ग्रहं की भूसमका 19 शसन प्रदोष व्रत का महत्व 53 त्रवद्या प्रासि िे जेिे़ अडर् महत्वपूणा र्ोग 21 गुरु पुष्र्ामृत र्ोग 54 प्रश्न ज्र्ोसतष और र्ािा क र्ोग े 25 हमारे उत्पाद गणेश लक्ष्मी र्ंि 11 कनकधारा र्ंि 32 श्री हनुमान र्ंि 56 जैन धमाक त्रवसशष्ट र्ंि 62 े दगाा बीिा र्ंि ु 14 धन वृत्रद्ध फिब्बी 33 मंिसिद्ध लक्ष्मी र्ंििूसि 57 राशी रत्न एवं उपरत्न 64 मंिसिद्ध स्फफटक श्री र्ंि 16 द्वादश महा र्ंि 37 मंि सिद्ध दै वी र्ंि िूसि 57 शसन पीड़ा सनवारक 70 मंि सिद्ध दलाभ िामग्री ु 17 मंि सिद्ध मूंगा गणेश 39 रासश रत्न 58 मंगलर्ंि िे ऋण मुत्रि 73 पढा़ई िंबंसधत िमस्र्ा 18 शादी िंबंसधत िमस्र्ा 42 मंि सिद्ध रूद्राक्ष 59 िवा रोगनाशक र्ंि/ 80 िरस्वती कवि और र्ंि 24 पुरुषाकार शसन र्ंि 44 श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि/ कवि 60 मंि सिद्ध कवि 82 िवा कार्ा सित्रद्ध कवि 28 िंपूणा जडम किली परामशा ुं 52 राम रक्षा र्ंि 61 YANTRA 83 भाग्र् लक्ष्मी फदब्बी 30 नवरत्न जफड़त श्री र्ंि 55 अमोद्य महामृत्र्ुंजर् कवि 64 GEMS STONE 85 घंटाकणा महावीर िवा सित्रद्ध महार्ंि 63 पसत-पत्नी मं कलह सनवारण हे तु 47 मंि सिद्ध वाहन दघटना नाशक मारुसत र्ंि ु ा 56 क्र्ा आपक बच्िे किंगती क सशकार हं ? े ु े 48 प्रश्न कण्िली िे स्स्टक उत्तर प्राि फकस्जए ु 27 मंि सिद्ध िामग्री- 73-75 स्थार्ी और अडर् लेख िंपादकीर् 4 फदन-रात क िौघफिर्े े 77 मासिक रासश फल 65 फदन-रात फक होरा - िूर्ोदर् िे िूर्ाास्त तक 78 जून 2012 मासिक पंिांग 69 ग्रह िलन जून -2012 79 जून-2012 मासिक व्रत-पवा-त्र्ौहार 71 िूिना 87 जून 2012 -त्रवशेष र्ोग 76 हमारा उद्दे श्र् 89 दै सनक शुभ एवं अशुभ िमर् ज्ञान तासलका 76
  • 4. GURUTVA KARYALAY िंपादकीर् त्रप्रर् आस्त्मर् बंधु/ बफहन जर् गुरुदे व आज क आधुसनक र्ुग मं प्रार्ः हर मनुष्र् अपने भत्रवष्र् को लेकर सिंसतत रहते हं ! फफर िाहे वहँ असमर हो े र्ा गरीब, गृहस्थ हो र्ा िंिारकी मोह, मार्ा, राग-द्वे ष इत्र्ाफद गुणो को त्र्ाग िुक आधुसनक र्ुग क िाधु िडर्ािी े े हो (कछ िाधु िडर्ािी को छोड़कर क्र्ोफक, कछ िाधु-िडर्ािी पूणतः इश्वर क प्रसत िमत्रपात होते हं स्जडहं भत्रवष्र् िे ु ु ा े िंबंसधत फकिी प्रकार की सिंता र्ा उत्िुकता नहीं होती।), हर फकिी को इि त्रवषर् मं एक त्रवशेष प्रकार की स्जज्ञािा र्ा उत्िुकता बनी रहती हं की आने वाले भत्रवष्र् मं क्र्ा घफटट होने वाला हं ? र्ह एक प्रकार की िामाडर् उत्कठा ं होती हं , जो प्रार्ः हर मनुश्र् क सभतर िल रही होती हं ? े एिी पौरास्णक कहावत हं की आवश्र्क्ता आत्रवष्कार की जननी हं । मनुष्र् ने अपनी त्रवसभडन स्जज्ञािा को शांत करने क सलए कदरत क अनेक गुि रहस्र्ं को खोज़ने का प्रर्ाि फकर्ा हं और उिने अपने प्रर्ािं एवं अनुभवो िे े ु े उन गुि रहस्र्ं को प्रकट भी फकर्ा हं । इि मं जरा भी िंदेह नहीं हं की अनाफद काल िे ही गूढ़ रहस्र्ं को खोजना, जानना एवं िमझना मनुष्र् का स्वभाव रहा हं । मनुष्र् क मागादशान क सलए और उिक भत्रवष्र् एवं वतामान जीवन क महत्वपूणा पहलू को जानने िमझने और े े े े उििे प्राि जानकारी िे उिक जीवन को िुधारने और िवारने का कार्ा भारतीर् ऋषी-मुसनर्ं ने फकर्ा हं , हमारे े त्रवद्वान ऋत्रषमुसनर्ं ने फकिी भी मनुष्र् क वतामान एवं उिक भत्रवष्र् क गभा मं झांक ने क सलर्े त्रवसभडन ग्रंथं, े े े े शास्त्रों फक रिना फक हं स्जिे हम ज्र्ोसतष शास्त्रो, अंक शास्त्रो, प्रश्न ज्र्ोसतष, शकन शास्त्रो, िमल शास्त्रो, िामुफद्रक शास्त्रो ु इत्र्ाफद क नाम िे जानते हं । इन त्रवषर्ो पर त्रवद्वानो ने वषो तक शोध फकर्े और उिका शूक्ष्म अवलोकन कर े त्रवसभडन उपार् खोजे हं और आने वाले भत्रवष्र् मं भी खोजे जाते रहं गे। हमारे त्रवद्वानो ने हजारो वषा पूवा र्ह ज्ञात कर सलर्ा था की िौर-मण्िल का प्रभाव हमारी पृ्वी पर और पृ्वी पर सनवार करने वाले िमस्त जीवं पर सनस्ित रुप िे पड़ता हं । क्र्ोफक िौर-मण्िल मं जो भी स्जतनी भी ग्रह स्स्थत हं , वह एक सनस्ित मागा पर पृ्वी फक तरह ही िूर्ा क इदा-सगदा िक्कर लगाते हं । ग्रहं की उिी गसत एवं े स्स्थती का प्रभाव हमारे मानव जीवन को प्रभात्रवत करता हं । स्जन ग्रहं का प्रभाव पृ्वी प्र त्रवशेष रुप िे पड़ता हं, ग्रहो की उिी गसत मं उनका फल भी सनस्ित रुप िे समलता हं । इि सलर्े जब फकिी नवजात सशशु का जडम होता हं तो उिक जडम क िमर् मं आकाश मागा मं ग्रहो की जो े े स्स्थती होती हं भारतीर् ज्र्ोतीष मं ग्रहो की उिी स्स्थती क अनुशार उि सशशु की जडम कण्िली का सनमााण कर े ु फदर्ा जाता हं । जडम कण्िली उि नवजात सशशु क िंपूणा जीवन का आईना होती हं । ु े लेफकन स्जन लोगं क पाि जडम कण्िली नही हं र्ा उनक पाि अपने जडम का स्स्टक त्रववरण जैिे े ु े तारीख,
  • 5. िमर् ज्ञात नहीं हं, वह लोग क्र्ा करं ? किे जाने अपना भत्रवष्र्?, उनक सलर्े प्रश्न ज्र्ोसतष े े एक उत्तम माध्र्म िात्रबत हो िकता हं । क्र्ोफक प्रश्न कण्िली क माध्र्म िे प्रश्न कताा क भूत, भत्रवष्र् और वतामान िे जुिे त्रवसभडन प्रश्नो ु े े का त्रबना फकिी परे शानी िे िरलता िे उत्तर प्राि हो िकता हं । व्र्त्रि अपने आनेवाले िमर् का सनस्ित रुप िे िद्उपर्ोग कर िकता हं । कछ त्रवद्वानो का र्हां तक कहना हं की प्रश्न कण्िली की स्स्टक गणना िे उपर्ुि िमर् का ु ु िर्न कर फकर्े गर्े शुभ कार्ं िे सनधान व्र्त्रि भी धनवान बन िकता हं और अनपढ़ व्र्त्रि प्रखर त्रवद्वान बन िकता हं । प्रािीन भारतीर् धमाग्रंथो मं प्रश्न ज्र्ोसतष क महत्व को िमझते हुवे िैकड़ं ग्रंथो की रिना की हं । स्जिक े े माध्र्म िे मनुष्र् क भूत, भत्रवष्र् और वतामान िे िंबसधत प्रश्नो का उत्तर प्राि फकर्े जा िकते हं । लेफकन वतामान े ं िमर् मं प्रश्न ज्र्ोसतष िे जुिी महत्वपूणा जानकारीर्ा और उनका उपर्ुि फलादे श और जानकारी र्ा त्रवसभडन ग्रंथो मं फकिी टू टी हुई माला क मनको क िमान त्रबखरे पिे ़ हं स्जििे प्रार्ः हर त्रवद्वान ज्र्ोसतषी अच्छी प्रकार िे पररसित हं । े े कफठन पररश्रम एवं त्रवसभडन ग्रंथो क अध्र्र्न क पिर्ात ही कोई जानकार ज्र्ोसतष फकिी प्रश्न कताा क प्रश्नं का े े े सनधााररत उत्तर दे ने मं िमथा हो िकता हं । आजक आधुसनक र्ुग मं िंभवत फकिी एक ग्रंथ मं वस्णात फलादे श करना े कफठन हो िकता हं । क्र्ोफक िमर् क िाथ-िाथ त्रवद्वानो द्वारा फकर्े गर्े त्रवसभडन शोध एवं उनक अनुभवो क आधार ं े े े पर हर त्रवद्वानो क अनुभवं मं सभडनता रही हं स्जििे उनक फल कथन मं भी सभडनता हो जाती हं । इि सलए उि े े िभी बातं का ख्र्ाल रखते हुए प्रश्न ज्र्ोसतष का फल कथन करना उसित होगा। हर व्र्त्रि ज्र्ोसतष बने र्ह जरुरी नहीं हं लेफकन ज्र्ोसतष िे िंबंसधत िामाडर् ज्ञान हर व्र्त्रि क पाि हो र्ह असत आवश्र्क हं । इिी उद्दे श्र् िे पाठकं क मागादशान क सलर्े प्रश्न ज्र्ोसतष े े े त्रवशेषांक फक प्रस्तुसत फक गई हं । िभी पाठको क मागादशान र्ा ज्ञानवधान क सलए प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवसभडन उपर्ोगी जानकारी इि अंक मं े े त्रवसभडन ग्रंथो एवं सनजी अनुभवो क आधार पर िंकसलत की गई हं । ज्र्ोसतषी एवं त्रवद्वान पाठको िे अनुरोध हं , र्फद प्रश्न े ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवषर् मं ग्रह र्ोग, ग्रहं की स्स्थसत इत्र्ाफद क िंकलन, प्रमाण पढ़ने, िंपादन मं, फिजाईन मं, े टाईपींग मं, त्रप्रंफटं ग मं, प्रकाशन मं कोई िुफट रह गई हो, तो उिे स्वर्ं िुधार लं र्ा फकिी र्ोग्र् ज्र्ोसतषी र्ा त्रवद्वान िे िलाह त्रवमशा कर ले । क्र्ोफक जानकार ज्र्ोसतषी एवं त्रवद्वानो क सनजी अनुभव व त्रवसभडन ग्रंथो मं वस्णात प्रश्न ज्र्ोसतष िे े िंबंसधत जानकारीर्ं मं एवं त्रवद्वानो क स्वर्ं क अनुभवो मं सभडनता होने क कारण िंबंसधत प्रश्न का त्रविार करते े े े िमर् ग्रहो की स्स्थसत र्ोग इत्र्ाफद क स्स्टक फल क सनणार् मं सभडनता िंभव हं । े े इि अंक मं प्रश्न ज्र्ोसतष क कछ खाि प्रश्नं का ही िमावेश फकर्ा गर्ा हं । प्रश्न ज्र्ोसतष िे जुड़े अडर् प्रश्नं का े ु िमावेश पाठको की रुसि क अनुशार क्रमशः अंकं मं सनर्समत रुप िे फकर्ा जार्ेगा। े सिंतन जोशी
  • 6. 6 जून 2012 ***** प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवशेष िूिना*****  पत्रिका मं प्रकासशत प्रश्न ज्र्ोसतष िे िम्बस्डधत िभी जानकारीर्ां गुरुत्व कार्ाालर् क असधकारं क े े िाथ ही आरस्क्षत हं ।  ज्र्ोसतष पर अत्रवश्वाि रखने वाले व्र्त्रि प्रश्नज्र्ोसतष क त्रवषर् को माि पठन िामग्री िमझ िकते हं । े  प्रश्न ज्र्ोसतष का त्रवषर् ज्र्ोसतष िे िंबंसधत होने क कारण इि अंकमं वस्णात िभी जानकारीर्ां े भारसतर् ज्र्ोसतष शास्त्रों िे प्रेररत होकर सलखी गई हं ।  प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवषर्ो फक ित्र्ता अथवा प्रामास्णकता पर फकिी भी प्रकार फक स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा िंपादक फक नहीं हं ।  प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत भत्रवष्र्वाणी फक प्रामास्णकता एवं प्रभाव फक स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा िंपादक फक नहीं हं और ना हीं प्रामास्णकता एवं प्रभाव फक स्जडमेदारी क बारे मं जानकारी दे ने हे तु े कार्ाालर् र्ा िंपादक फकिी भी प्रकार िे बाध्र् हं ।  प्रश्नज्र्ोसतष िे िंबंसधत लेखो मं पाठक का अपना त्रवश्वाि होना आवश्र्क हं । फकिी भी व्र्त्रि त्रवशेष को फकिी भी प्रकार िे इन त्रवषर्ो मं त्रवश्वाि करने ना करने का अंसतम सनणार् उनका स्वर्ं का होगा।  प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत पाठक द्वारा फकिी भी प्रकार फक आपत्ती स्वीकार्ा नहीं होगी।  प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत लेख ज्र्ोसतष क प्रामास्णक ग्रंथो, हमारे वषो क अनुभव एवं अनुशंधान क े े े आधार पर फद गई हं ।  हम फकिी भी व्र्त्रि त्रवशेष द्वारा प्रश्न ज्र्ोसतष पर त्रवश्वाि फकए जाने पर उिक लाभ र्ा नुक्शान की े स्जडमेदारी नफहं लेते हं । र्ह स्जडमेदारी प्रश्न ज्र्ोसतष पर त्रवश्वार करने वाले र्ा उिका प्रर्ोग करने वाले व्र्त्रि फक स्वर्ं फक होगी।  क्र्ोफक इन त्रवषर्ो मं नैसतक मानदं िं, िामास्जक, कानूनी सनर्मं क स्खलाफ कोई व्र्त्रि र्फद नीजी े स्वाथा पूसता हे तु प्रश्न ज्र्ोसतष का प्रर्ोग कताा हं अथवा प्रश्न ज्र्ोसतष की गणना करने मे िुफट रखता हं र्ा उििे िुफट होती हं तो इि कारण िे प्रसतकल अथवा त्रवपररत पररणाम समलने भी िंभव हं । ू  प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत जानकारी को मानकर उििे प्राि होने वाले लाभ, हानी फक स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा िंपादक फक नहीं हं ।  हमारे द्वारा पोस्ट फकर्े गर्े प्रश्न ज्र्ोसतष पर आधाररत लेखं मं वस्णात जानकारी को हमने िैकिोबार स्वर्ं पर एवं अडर् हमारे बंधुगण क नीजी जीवन मं आजमार्ा हं । स्जस्िे हमे अनेको बार प्रश्न ज्र्ोसतष े क आधार पर स्स्टक उत्तर की प्रासि हुई हं । े  असधक जानकारी हे तु आप कार्ाालर् मं िंपक कर िकते हं । ा (िभी त्रववादो कसलर्े कवल भुवनेश्वर डर्ार्ालर् ही माडर् होगा।) े े
  • 7. 7 जून 2012 प्रश्न कण्िली िे जाने स्वास््र् लाभ क र्ोग ु े  सिंतन जोशी िभी व्र्त्रि स्वर्ं क और अपने स्वजनो क उत्तम स्वास््र् की कामना करता े े है । लेफकन हमारा शरीर मं त्रवसभडन कारणो िे स्वास््र् िंबंसधत परे शासनर्ां िमर् के िाथ-िाथ आती-जाती रहती हं । ? लेफकन र्फद त्रबमारी होने पर स्वास््र् मं जल्दी िुधार नहीं होता तो, तरह- तरह की सिंता और मानसिक तनाव होना िाधारण बात हं । फक स्वास््र् मं िुधार कब आर्ेगा?, कब उत्तम स्वास््र् लाभ होगा?, स्वास््र् लाभ होगा र्ा नहीं?, इत्र्ाफद प्रश्न उठ खिे हो जाते हं । मनुष्र् की इिी सिंताको दर करने क सलए हजारो वषा पूवा भारतीर् ू े ज्र्ोसतषािार्ो नं प्रश्न किली क माध्र्म िे ज्ञात करने की त्रवद्या हमं प्रदान की हं । ुं े स्जि क फल स्वरुप फकिी भी व्र्त्रि क स्वास््र् िे िंबंसधत प्रश्नो का ज्र्ोसतषी गणनाओं क माध्र्म िे िरलता िे िमाधन े े े फकर्ा जािकता हं ! प्रश्न किली क माध्र्म िे स्वास््र् िे िंबंसधत जानकारी प्राि करने हे तु िवा प्रथम प्रश्न किली मं रोगी क शीघ्र स्वास््र् ुं े ुं े लाभ क र्ोग हं र्ा नहीं र्ह दे ख लेना असत आवश्र्क हं । े आपक मागादशान हे तु र्हां त्रवशेष र्ोग िे आपको अवगत करवा रहे हं । े लग्न मं स्स्थत ग्रह र्ा लग्नेश िे रोग मुत्रि क र्ोग। े  र्फद लग्न मं बलवान ग्रह स्स्थत हो तो रोगी को शीघ्र स्वास््र् लाभ दे ते हं ।  प्रश्न किली मं र्फद लग्ने (लग्न का स्वामी ग्रह) ुं और दशमेश (दशम भाव का स्वामी ग्रह) समि हो तो रोगी को शीघ्र स्वास््र् लाभ दे ते हं ।  प्रश्न किली मं ितुथेश (ितुथा भाव का स्वामी ग्रह) ुं और ििमेश (ििम भाव का स्वामी ग्रह) क बीि समिता े हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ क र्ोग बनते हं । े  र्फद लग्नेश (लग्न का स्वामी ग्रह) का िडद्र क िाथ िंबंध हो और िडद्र शुभ ग्रहं िे र्ुि र्ा द्रष्ट हो र्ा े कडद्र मे स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ होता हं । े  र्फद किली मं लग्नेश (लग्न का स्वामी ग्रह) और िडद्र शुभ ग्रहो िे र्ुि र्ा द्रष्ट होकर कडद्र मं स्स्थत हो ुं े और ििमेश वक्री न हो एवं अष्टम भाव क स्वामी ग्रह िे प्रभाव मुि हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ होता हं । े िडद्रमा िे रोग मुत्रि क र्ोग े  र्फद िडद्र स्वरासश र्ा उच्ि रासश मे बलवान हो कर फकिी शुभ ग्रह िे र्ुि हो र्ा द्रष्ट हो तो रोगी को शीघ्र स्वास््र् लाभ होते दे खा गर्ा हं ।
  • 8. 8 जून 2012  र्फद प्रश्न किली मं र्फद िडद्र िर रासश अथाात फद्वस्वभाव रासश मं स्स्थत हो कर लग्न र्ा लग्नेश िे द्रष्ट हो तो शीघ्र ुं स्वास््र् लाभ की िंभावना प्रबल होती हं ।  र्फद िडद्र स्वरासश िे ितुथा र्ा दशम भाव मं स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ हो ने क र्ोग बनते हं । े  प्रश्न किली मं शुभ ग्रहो िे द्रष्ट िडद्र र्ा िूर्ा लग्न मं, ितुथा र्ा ििम भाव मं स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ क र्ोग ुं े बनते हं । प्रश्न किली क माध्र्म िे स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब होने क र्ोग दे ख लेना भी आवश्र्क होता हं । ुं े े स्वास््र् लाभ मं त्रवलंब होने क र्ोग े  िधारणतः जातक मं षष्टम भाव व षष्टेश िे रोग को दे खा जाता हं ।  प्रश्न किली मं र्फद लग्नेश और दशमेश क बीि अथवा ितुथेश और ििमेश ग्रहो क बीि मं शिुता हो तो रोग बढने की ुं े े िंभावनाऎ असधक होती हं और स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब हो िकता हं ।  प्रश्न कण्िली मं र्फद षष्ठेश अष्टमेश अथवा द्वादशेश क िाथ र्ुसत र्ा द्रष्टी िंबंध बनाता हो तो स्वास््र् लाभ की िंभावना ु े असधक कम होती हं और स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब हो िकता हं ।  प्रश्न कण्िली मं र्फद लग्न मे िडद्र र्ा शुक्र की स्स्थत हो तो रोग शीघ्र पीछा नहीं छोिता। ु  प्रश्न कण्िली मं र्फद लग्नेश एवं मंगल की फकिी ही भाव मं र्ुसत हो तो स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब हो िकता हं । ु  र्फद लग्नेश द्वादश भाव मे स्स्थत हो तो रोगी दे र िे रोगमुि होने की िंभावनाऎ होती हं ।  र्फद लग्नेश षष्टम, अष्टम भाव मे स्स्थत हो और अष्टमेश कडद्र मे स्स्थत हो तो रोग शीघ्र दर नहीं होते। े ू र्फद प्रश्न किली मं स्वास््र् लाभ मं त्रवलंब होने क र्ोग बन रहे हो तो सिंसतत होने क बजार् शास्त्रोोि उपार् ुं े े इत्र्ाफद करना लाभदार्क सिद्ध होता हं । एिी स्स्थसत मं त्रवद्वानो क मत िे महामृत्र्ुंजर् मंि-र्ंि का प्रर्ोग शीघ्र े रोग मुत्रि हे तु रामबाण होता हं । प्रश्न किली का अध्र्र्न करते िमर् र्ह र्ोग भी दे खले की रोगी को उसित उपर्ार प्राि हो रहा हं र्ा नहीं। ुं रोग का उसित उपिार होने क र्ोग हं र्ा नहीं! े  प्रश्न कण्िली मं प्रथम, पंिम, ििम एवं अष्टम भाव मं पाप ग्रह हं और िडद्रमा कमज़ोर र्ा पाप ग्रह िे पीफड़त हं तो ु रोग का उपिार कफठन हो जाता हं ।  र्फद िडद्रमा बलवान हो और 1, 5, 7 एवं 8 भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत हं तो उपिार िे रोग का दर होना िंभव हो पाता हं । ू  र्फद प्रश्न किली मं तृतीर्, षष्टम, नवम एवं एकादश भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत हं तो उपिार क बाद ही रोग िे मुत्रि ुं े समलती हं ।  र्फद प्रश्न किली मं ििम भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत हं और ििमांश बलवान हं तो रोग का उपिार िंभव होता हं । ुं
  • 9. 9 जून 2012  र्फद प्रश्न किली मं ितुथा भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत िे भी ज्ञात हो िकता है फक रोगी को दवाईर्ं िे उसित लाभ प्राि होगा ुं र्ा नहीं। प्रश्न किली दे खते िमर् शरीर क त्रवसभडन अंगो पर ग्रहो क प्रभाव एवं त्रबमारीर्ं को जानना भी आवश्र्क होता हं । ुं े े ज्र्ोसतषी सिद्धांतो क अनुशार किली क बारह भाव शरीर क त्रवसभडन अंगो को दशााते है । े ुं े े  प्रथम भाव :सिर, मस्स्तष्क, स्नार्ु तंि.  फद्वतीर् भाव :िेहरा, गला, कठ, गदा न, आंख. ं  तीिरा भाव : कधे, छाती, फफिे , श्वाि, निे और बाहं . े  ितुथा भाव :स्तन, ऊपरी आडि, ऊपरी पािन तंि  पंिम भाव :हृदर्, रि, पीठ, रििंिार तंि.  षष्ठम भाव :सनम्न उदर, सनम्न पािन तंि, आतं, अंतफिर्ाँ, कमर, र्कृ त.  ििम भाव :उदरीर् गुफहका, गुदे.  अष्टम भाव :गुि अंग, स्त्रोावी तंि, अंतफिर्ां, मलाशर्, मूिाशर् और मेरुदण्ि.  नवम भाव :जॉघं, सनतम्ब और धमनी तंि.  दशम भाव :घुटने, हफिर्ां और जोड़.  एकादश भाव :टागे, टखने और श्वाि.  द्वादश भाव :पैर, लिीका तंि और आंखे. प्रश्न कण्िली मं रोग िे िंबंसधत भाव ु  प्रश्न ज्र्ोसतष क अनुिार प्रश्न किली मं लग्न स्थान सिफकत्िक भाव होता हं । अतः शुभ ग्रह प्रश्न किली क लग्न मं शुभ े ुं ुं े ग्रह की स्स्थसत िे ज्ञात होता हं की रोगी को फकिी कशल सिफकत्िक की िलाह प्राि हो रही हं र्ा होगी। ु  र्फद अशुभ ग्रह स्स्थत हो तो िमझले की रोगी को फकिी कशल सिफकत्िक की आवश्र्कता हं । ु  प्रश्न ज्र्ोसतष क अनुिार प्रश्न किली मं ितुथा स्थान उपिार और औषसधर्ं अथाात दवाईर्ं का स्थान हं । ितुथा भाव मं े ुं र्फद शुभ ग्रह र्ा शुभ ग्रहं की दृत्रष्ट र्ा र्ुसत हो तो िमझे की रोग िामाडर् उपिार िे शीघ्र ठीक हो िकता हं ।  किली मं छठा एवं िातवां भाव रोग का स्थान होता हं । ुं  किली मं दशम भाव रोगी का मानाजाता हं । ुं  र्फद प्रश्न किली मं षष्टम एवं ििम भाव पर शुभ ग्रहं का प्रभाव हो और षष्ठेश और ििमेश सनबाल हं तो स्वास््र् लाभ ुं धीरे धीरे होने का िंकत समलता हं । े नोट: प्रश्न किली का त्रवश्ले षण िावधानी िे करना उसित रहता हं । त्रवद्वानो क अनुशार प्रश्न किली का त्रवश्लेषण करते ुं े ुं िमर् िंबसधत भाव एवं भाव क स्वामी ग्रह अथाातः भावेश एवं भाव क कारक ग्रह को ध्र्ान मं रखते हुए आंकलन कर ं े े फकर्ा गर्ा त्रवश्लेषण स्पष्ट होता हं । प्रश्न किली का फलादे श करते िमर् हर छोटी छोटी बातं का ख्र्ाल रखना ुं आवश्र्क होता हं अडर्था त्रवश्लेषण फकर्े गर्े प्रश्न का उत्तर स्स्टक नहीं होता।
  • 10. 10 जून 2012 प्रश्न कण्िली िे पररजनो क स्वास््र् लाभ क र्ोग ु े े  सिंतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी िामाडर्तः ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कडिली मं े ु फकिी प्रकार की कोई गंभीर व अिाध्र् रोग होने की स्वास््र् का िम्बडध लग्न िे होता है क्र्ोफक ज्र्ोसतष िंभावना कम होती है । फकिी बिी़ लापरवाही के मे लग्न को शरीर माना गर्ा हं । कारण स्वास््र् प्रभात्रवत हो िकता हं अतः व्र्त्रि को  इि सलए उत्तम स्वास््र् क सलए लग्न व लग्नेष की े स्वास््र् िुख मं वृत्रद्ध क सलए अपने मन और े स्स्थसत बहुत महत्वपूणा होती है । इस्डद्रर्ं पर सनर्ंिण रखना िाफहए। स्वास््र् पर  उत्तम स्वास््र् का कारक ग्रह िूर्ा एवं मन का कारक त्रवपरीत प्रभाव िालने वाली वस्तुओं िे दर रहना ू िडद्र माने जाते हं र्फद िूर्ा और िडद्र दोनो उत्तम िाफहए और िंर्म का पालन करने िे व्र्त्रि गंभीर स्स्थसत मं हं तो तो प्रश्न कताा िे िंबंसधत व्र्त्रि रोग िे मुि रहं गा। अथवा त्रप्रर्जन क पूणतः स्वस्थ रहने क र्ोग प्रबल े ा े  र्फद प्रश्न कण्िली मं िडद्रमा षष्टम भाव को ििम ु हो जाते हं । दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो तो, रोगी  र्फद िूर्ा और िडद्र दोनो ग्रहं मं िे फकिी क भी े क स्वास््र् मं जल्दी ही िुधार होने की िंभावनाए े कमज़ोर होने पर उि ग्रह िे िम्बस्डधत िुख का बनती है । अभाव होता हं ।  र्फद प्रश्न कण्िली मं िडद्रमा लग्नको ििम दृत्रष्ट िे ु  ज्र्ोसतष मं षष्ठम (छठा) भाव रोग स्थान कहा जाता दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो तो, रोगी का हं । इि सलर्े प्रश्न कडिली मं भी रोग का त्रविार भी ु स्वास््र् उत्तम रहे गा और रोगी सनस्ित ही मानसिक षष्ठम (छठा) भाव िे करना िाफहए। रूप िे भी मजबूत रहने की िंभावनाए बनती है ।  उपरोि ग्रहं मं िे फकिी क भी कमज़ोर होने पर उि े  र्फद प्रश्न कण्िली मं लग्न र्ा षष्ठम (छठा) भाव मं ु ग्रह िे िम्बस्डधत िुख का अभाव होता है । कोई शुभ ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो, तो  त्रवद्वानो क मतानुशार अिाध्र् रोग जैिे की मधुमेह े रोगी क स्वास््र् क प्रसत त्रवशेष सिंसतत होने की े े (शुगर), किर, एड्ि इत्र्ादी गम्भीर बीमारीर्ं की ं आवश्र्कता नहीं हं र्फद रोगी फकिी छोटे -मोटे रोग श्रेणी मे आते है और इन अिाध्र् रोगो की उत्पत्रत्त िे पीफड़त हं तो, ग्रहं की र्ह स्स्थसत उिक भाग्र् को े क कारक ग्रह त्रवशेष रुप िे मंगल, शसन, राहू व कतु े े बहुत ही बलवान बनाती है और दशााती हं की उिे माने जाते है । थोड़े ही फदनं मं उपर्ुि सिफकत्िा िे अवश्र् स्वस््र्  र्फद प्रश्न कण्िली मे लग्न और लग्नेश कमजोर ु लाभ प्राि हो जार्ेगा हं और र्ह ग्रह िंकत दे ता हं े स्स्थसत मे हो और उपरोि अशुभ ग्रहं क त्रवशेष े फक रोगी को फकिी गंभीर र्ा अिाध्र् रोग िे पीफड़त प्रभाब िे लग्न और लग्नेश पीफित हो तो गंभीर रोग नहीं होना पिे गा। िे ग्रस्त होने की िंभावना प्रबल हो जाती है ।  र्फद प्रश्न कण्िली मं लग्नेश अपनी उच्ि रासश मं ु  र्फद प्रश्न कण्िली मे लग्न और लग्नेश और अडर् ु स्स्थत हो, तो रोगी का भाग्र् को बहुत ही बलवान अशुभ ग्रह (मंगल, शसन, राहू व कतु) िामाडर् े रहता है । स्जििे रोगी का स्वास््र् भी बहुत ही स्स्थसत मं हो! तो स्वास््र् उत्तम रहे गा, प्रश्न कताा को अच्छा रहने की िंभावना बनती है , और रोगी के
  • 11. 11 जून 2012 स्वास््र् क प्रसत असधक सिंसतंत होने की आवश्र्कता े  स्जि प्रकार कण्िली मं रोग क सलए षष्ठम भाव को ु े नहीं है । दे खा जाता हं । उिी प्रकार फकिी भी प्रकार के  र्फद प्रश्न कण्िली मं लग्न मं कोई ग्रह उच्ि रासश का ु अस्रोपिार अथाात आपरे शन का कारक मंगल ग्रह होकर स्स्थत हो, तो रोगी का स्वास््र् बहुत ही उत्तम होता है । इि सलए आपरे शन िे िंबसधत त्रविार करने ं रहे गा। उिे फकिी गंभीर रोग िे ग्रस्त नहीं होना िे पूवा मंगल ग्रह की स्स्थसत का िूक्ष्म अवलोकन पिे ़गा। र्फद आपको अपने त्रप्रर्जन क स्वास््र् िे े अवश्र् कर लेना िाफहए। लेकर मन मं अगर फकिी प्रकार की आशंका है तो  आपरे शन िे पूवा प्रश्न कण्िली मं आर्ु भाव अथाात ु सिफकत्िक िे समलकर इिका सनवारण करलं व्र्था अष्टम भाव का भी आंकलन अवश्र् कर लेना िाफहए। का वहम मन मं नहीं पालं।  प्रश्न कण्िली मं लग्न/लग्नेश बलवान स्स्थसत मं हं, ु  लग्न िे स्वास््र्, िेहत, शरीर, दादी, नाना एवं छठे भाव पर भी शुभ ग्रह का प्रभाव हो और आर्ु व्र्त्रि की स्स्थसत का पता लगार्ा जा िकता है । स्थान भी शुभ ग्रहो क प्रभाव मं हो तो ही आपरे शन े  र्फद प्रश्न कण्िली मं लग्न अशुभ प्रभाव मं होने क ु े क सलए िमर् उत्तम होता है । त्रवद्वानो क मतानुशार े े कारण कमजोर स्स्थसत मं हो, तो इि प्रकार की ग्रहं की त्रवपरीत स्स्थसत होने पर आपात काल को स्स्थसत क कारण व्र्त्रि की इच्छापूसता मं बाधा का े छोड़कर आपरे शन नहीं करवाना िाफहए। िंकत समलता है । इि सलए रोगी क स्वास््र् क प्रसत े े े  क्र्ोफक अबतक हुवे शोध क आधार पर त्रवद्वानो का े िावधान रहना िाफहए। रोगी क अस्वस्थ होने पर े अनुभव रहा हं की शुभ ग्रह स्स्थसत इत्र्ादी का िूक्ष्म घबराएं नहीं बस्ल्क तुरंत सिफकत्िक िे िम्पक कर ा अवलोकन कर क शुभ पररस्स्थसत होने पर फकर्ा गर्ा े उसित ईलाज और परहे ज िे उिक स्वास््र् मं िुधार े आपरे शन पूरी तरह िफल होता हं स्जििे रोगी को हो िकता हं । उि ग्रह स्स्थसत होने पर रोगी के सनस्ित रुप िे स्वास््र् लाभ समलता हं, रोगी को स्वास््र् क प्रसत लापरवाही त्रबल्कल भी नहीं करं । े ु त्रवशेष तकलीफ नहीं होती और आपरे शन मं फकिी प्रकार का व्र्वधान और परे शानी नहीं होती हं । त्रप्रर्जन क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न े त्रवशेष नोट: र्फद ग्रहं की त्रवपरीत स्स्थसत हो तो सिफकत्िक िे समलकर उसित िलाह-मशवरा कर क इि फदशा मं कदम उठाने िाफहए। े आपरे शन करवाना ठीक रहे गा र्ा नहीं? कछ लोगं की जीवन मं अनेकं बार एिी स्स्थसत ु आजाती हं की उनका र्ा उनक फकिी त्रप्रर्जन का े गणेश लक्ष्मी र्ंि: प्राण-प्रसतत्रष्ठत गणेश लक्ष्मी स्वास््र् आकस्स्मक रुप िे त्रबगड़ने लगता हं । कछ ु र्ंि को अपने घर-दकान-ओफफि-फक्टरी मं पूजन स्थान, ु ै बीमारीर्ं का दावाईर्ं और परहे ज िे ठीक होना िंभव हं गल्ला र्ा अलमारी मं स्थात्रपत करने व्र्ापार मं त्रवशेष लेफकन कछ ु बीमारीर्ं मं आपरे शन कराना अत्र्ंत लाभ प्राि होता हं । र्ंि क प्रभाव िे भाग्र् मं उडनसत, े आवश्र्क हो जाता हं । तो लोगो क मन मं प्रश्न उठने े मान-प्रसतष्ठा एवं व्र्ापर मं वृत्रद्ध होती हं एवं आसथाक स्वाभात्रवक होते हं की क्र्ा इि आपरे शन िे बीमारी स्स्थमं िुधार होता हं । गणेश लक्ष्मी र्ंि को स्थात्रपत पूणतः ठीक हो जार्ेगी? क्र्ा इि िमर् आपरे शन ा करने िे भगवान गणेश और दे वी लक्ष्मी का िंर्ुि करवाना ठीक रहे गा? आशीवााद प्राि होता हं । Rs.550 िे Rs.8200 तक
  • 12. 12 जून 2012 दादाजी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी माता क स्वास््र् ु े ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं दादाजी फक े ु का त्रविार करते िमर् ितुथा िे षष्ठम भाव अथाात माता स्स्थसत जानने क सलए ििम भाव का आकलन फकर्ा े का रोग स्थान नवम भाव िे दे खा जाता हं । माता का जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी दादाजी क ु े रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं स्वास््र् का त्रविार करते िमर् ििम िे षष्ठम भाव का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत पत े अथाात दादाजी का रोग स्थान द्वादश भाव िे दे खा जाता त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। हं । दादाजी का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार े िािा क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं िािा फक े ु स्स्थसत जानने क सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा े दादीजी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी िािा क स्वास््र् ु े ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं दादीजी फक े ु का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात िािा स्स्थसत जानने क सलए लग्न का आकलन फकर्ा जाता है । े का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । िािा का इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी दादीजी क स्वास््र् का ु े रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए िािा के त्रविार करते िमर् लग्न िे षष्ठम भाव िे दादाजी का स्वास््र् का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव मं रोग दे खा जाता हं । दादीजी का रोग कारक मंगल ग्रह है । शुभ ग्रह स्स्थसत हो और मंगल भी शुभ स्स्थसत मं हो, तो इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके िािा क स्वास््र् मं तेजी िे िुधार होता है । र्फद उि े अडर् रोग कार स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी ग्रह और भाव पीफित अवस्था मं होने पर िािा को सनणार् पर पहूंिे। स्वास््र् क िम्बडध मं परे शानी का िामना करना पड़ े िकता हं । त्रपता क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े िािी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं त्रपता फक े ु स्स्थसत जानने क सलए दशम भाव का आकलन फकर्ा े ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं िािी फक े ु जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी त्रपता क स्वास््र् ु े स्स्थसत जानने क सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा े का त्रविार करते िमर् दशम िे षष्ठम भाव अथाात त्रपता जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी िािा क स्वास््र् ु े का रोग स्थान तृतीर् भाव िे दे खा जाता हं । त्रपता का का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात िािी रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । िािी का का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत पत े रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए िािी के त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। स्वास््र् का त्रविार करते िमर् षष्ठ िे षष्ठम भाव अथाात एकादश भाव मं शुभ ग्रह स्स्थसत हो और मंगल भी शुभ स्स्थसत मं हो, तो िािी क स्वास््र् मं तेजी िे िुधार े माता क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े होता है । र्फद उि ग्रह और भाव पीफित अवस्था मं होने ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं माता फक े ु पर िािी को स्वास््र् क िम्बडध मं परे शानी का े स्स्थसत जानने क सलए ितुथा भाव का आकलन फकर्ा े िामना करना पड़ िकता हं ।
  • 13. 13 जून 2012 िंतान क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े छोटे भाई/बफहन क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं िंतान फक े ु ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कण्िली ु मं छोटे स्स्थसत जानने क सलए पंिम भाव का आकलन फकर्ा े भाई/बफहन फक स्स्थसत जानने क सलए तृतीर् भाव का े जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी िंतान क ु े आकलन फकर्ा जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी ु स्वास््र् का त्रविार करते िमर् पंिम िे षष्ठम भाव छोटे भाई/बफहन क स्वास््र् का त्रविार करते िमर् े अथाात िंतान का रोग स्थान दशम भाव िे दे खा जाता तृतीर् िे षष्ठम भाव अथाात छोटे भाई/बफहन का रोग हं । पंिम भाव का कारक ग्रह बृहस्पसत और िंतान का स्थान अष्टम भाव िे दे खा जाता हं । छोटे भाई/बफहन का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत पत े का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत पत े त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। पत्नी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े बिे भाई क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं पत्नी फक े ु ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं बिे भाई फक े ु स्स्थसत जानने क सलए ििम भाव का आकलन फकर्ा े स्स्थसत जानने क सलए एकादश भाव का आकलन फकर्ा े जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी पत्नी क स्वास््र् ु े जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी बिे भाई क ु े का त्रविार करते िमर् ििम िे षष्ठम भाव अथाात पत्नी स्वास््र् का त्रविार करते िमर् एकादश िे षष्ठम भाव का रोग स्थान द्वादश भाव िे दे खा जाता हं । पत्नी का अथाात बिे भाई का रोग स्थान ितुथा भाव िे दे खा जाता रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं हं । एकादश भाव का कारक ग्रह बृहस्पसत हं और बिे का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत पत े भाई का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार े स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। नानाजी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं नानाजी फक े ु स्स्थसत जानने क सलए लग्न का आकलन फकर्ा जाता है । े बिी बफहन क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी नानाजी क स्वास््र् का ु े ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं बिी बफहन े ु त्रविार करते िमर् लग्न िे षष्ठम भाव िे नानाजी का फक स्स्थसत जानने क सलए एकादश भाव का आकलन े रोग दे खा जाता हं । नानाजी का रोग कारक मंगल ग्रह है । फकर्ा जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी बिी बफहन ु इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके क स्वास््र् का त्रविार करते िमर् एकादश िे षष्ठम े अडर् रोग कार स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी भाव अथाात बिी बफहन का रोग स्थान ितुथा भाव िे सनणार् पर पहूंिे। दे खा जाता हं । एकादश भाव का कारक ग्रह बृहस्पसत हं औरबिी बफहन का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए अपनी जडम किली िे िमस्र्ाओं ुं उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग े का िमाधान जासनर्े माि RS:- 450 कार स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर िंपक करं : Call us: 91 + 9338213418, ा पहूंिे। 91 + 9238328785,
  • 14. 14 जून 2012 नानीजी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े मामी क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं नानीजी फक े ु ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं मामी फक े ु स्स्थसत जानने क सलए ििम भाव का आकलन फकर्ा े स्स्थसत जानने क सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा े जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी नानीजी क ु े जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी मामी क स्वास््र् ु े स्वास््र् का त्रविार करते िमर् ििम िे षष्ठम भाव का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात मामी अथाात नानीजी का रोग स्थान द्वादश भाव िे दे खा जाता का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । मामी का हं । नानीजी का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार े भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत े स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। मामा क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े मौिा क स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: े ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं मामा फक े ु ज्र्ोसतष शास्त्रो क अनुशार कण्िली मं मौिा फक े ु स्स्थसत जानने क सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा े स्स्थसत जानने क सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा े जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी मामा क स्वास््र् ु े जाता है । इि सलए प्रश्न कण्िली मं भी मौिा क स्वास््र् ु े का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात मामा का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात मौिा का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । मामा का का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । मौिा का रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत े भावं का िूक्ष्म अवलोकन करक अडर् रोग कार स्स्थसत े पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। दगाा बीिा र्ंि ु शास्त्रोोि मत क अनुशार दगाा बीिा र्ंि दभााग्र् को दर कर व्र्त्रि क िोर्े हुवे भाग्र् को जगाने वाला माना े ु ु ू े गर्ा हं । दगाा बीिा र्ंि द्वारा व्र्त्रि को जीवन मं धन िे िंबंसधत िंस्र्ाओं मं लाभ प्राि होता हं । जो व्र्त्रि ु आसथाक िमस्र्ािे परे शान हं, वह व्र्त्रि र्फद नवरािं मं प्राण प्रसतत्रष्ठत फकर्ा गर्ा दगाा बीिा र्ंि को ु स्थासि कर लेता हं , तो उिकी धन, रोजगार एवं व्र्विार् िे िंबंधी िभी िमस्र्ं का शीघ्र ही अंत होने लगता हं । नवराि क फदनो मं प्राण प्रसतत्रष्ठत दगाा बीिा र्ंि को अपने घर-दकान-ओफफि-फक्टरी मं स्थात्रपत करने े ु ु ै िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं , व्र्त्रि शीघ्र ही अपने व्र्ापार मं वृत्रद्ध एवं अपनी आसथाक स्स्थती मं िुधार होता दे खंगे। िंपूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् दगाा बीिा र्ंि को शुभ मुहूता मं अपने घर-दकान-ओफफि मं ु ु स्थात्रपत करने िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं । मूल्र्: Rs.730 िे Rs.10900 तक GURUTVA KARYALAY: Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785, Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,