This presentation describes the relevance of Bhagwadgita and Vasudhaiv Kutumbakam in tourism and hospitality industry with different insights to achieve the real aim and objectives of tourism and hospitality industry through with the help of our holy text book.
Utility and Relevance of Bhagwad Geeta and Vasudhaiv.pptx
1. Utility and Relevance of Bhagwad Geeta and
Vasudhaiv Kutumbakam in Tourism and
Hospitality Insutry: A Spiritual Vision
By- Dr. Arunesh Parashar
Associate Professor and Head
Dept. of Tourism & Travel Management
Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar
2. Concept Of Existence
“ धर्मक्षेत्रे क
ु रुक्षेत्रे सर्वेता युयुत्सवः।
र्ार्काः पाण्डवाश्चैव ककर्क
ु वमत संजय॥ “ (गीता - १)
धृतराष्ट्र बोले - हे संजय ! धर्मभूमर् क
ु रुक्षेत्र र्ें एकमत्रत; युद्ध की इच्छा वाले र्ेरे और
पांडु क
े पुत्रों ने क्या मकया ??
Concept of Tourism Dharmbhumi = Universe = Vasudhaiv Kutumbakam
Broad aspect =
i) ऋग्वेद १०/१८१/२ - What we are ? (हर् क्या थे ?)
संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो र्नांकस जानतार््
देवा भागं यथा पूवेसञ्जानाना उपासते ||
3. ii) “गहन तक
म वाद” - What have we become ? (हर् क्या हो गये?)
"यावज्जीवेत सुखं जीवेद ऋणं क
ृ त्वा घृतं कपवेत, भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागर्नं क
ु तः॥"
यह चावामक ऋकि का भौकतकवादी दर्मन है ।इस श्लोक का अथम है:जबतक जीवन है
सुख पूवमक जीना चाकहए , चाहे इसक
े किए ऋण िेकर भी घी पीना पडें तो पीना चाकहए।
जब र्रने क
े पश्चात र्रीर नष्ट हो कर राख बन जाता है तो र्नुष्य का किर से आना
(पूनजमन्म) क
ै से संभव हो सकता है।
परंतु,,,,,,,, हर् इसी प्रकार क
े र्नुष्य हो गए है।?????ये चावामक का एक दर्मन है। और
सत्य ये है, कक हर्े अपने दर्मन को ढुढना होगा। ककसी का दर्मन हर् सर्झे पर,अपने
र्ूि दर्मन को ढूंढे,ये भारतीय संस्क
ृ कत कसखाती है।
Lifestyle Disorder
Stress
Pseudo Intelligence (छद्म बुद्धि)
4. iii) आध्याद्धिकता - What should we be ? हर् क्या होने चाकहए ?
ज्ों कति र्ाकह तेि है, ज्ों चकर्क र्ें आग ।
तेरा साईं तुझ ही र्ें है, जाग सक
े तो जाग ।।
- (कबीर वाणी)
ॐ पूणमर्दः पूणमकर्दं पूणामत्पूणमर्ुदच्यते ।
पूणमस्य पूणमर्ादाय पूणमर्ेवावकर्ष्यते ॥ ॐ र्ाद्धतः र्ाद्धतः र्ाद्धतः ॥
- (इशावास्य उपमनषद)
अथ योगानुर्ासनर््
आपो दीपो भव ःः
सत्यर्ेव जयते
6. Geeta
Upanishad - गुरु क
े पास बैठकर ज्ञान प्राप्त हुआ
Geeta - उपमनषदों का सार
सारे उपमनषद गाय क
े सर्ान है। गोपाल नंदन श्री क
ृ ष्ण इनको ढूूँढने वाले हैं। पार्श्म बछडा है। शुद्ध
बुद्धद्धवाला श्रेष्ठ र्नुष्य ही इसका भोक्ता है। दू ध गीतर्ृत क
े सर्ान है। - गीतार्हाि
सभी कतमव्य कर्ों को र्ुझर्ें त्याग कर, तू क
े वल र्ुझ सवमशद्धक्तर्ान, सवमधार परर्ेर्श्र की शरण र्ें आ
जा। र्ैं तुझे सम्पूणम पापों से र्ुक्त कर दूूँगा। तू शोक र्त कर | - गीता ६६ श्लोक
१८ वें अध्याय क
े अंमतर् कई श्लोकों र्ें भगवान इस तरह का वणमन करते हैं।
मवशेष – ब्राह्मी चेतना र्ें होकर भगवान ने गीता कही है ।
(गीता = गोर्ुख)
7. Karmayoga Bhakti Yoga Gyan Yoga
योगः कर्मर्ु कौर्िर्
हर्ारे कर्ों र्ें सवमश्रेष्ठ योग है
।
योग = यज्ञ = कर्म
योगस्थ क
ु रु कर्ामणी
योग र्ें द्धस्थर होकर ही
सदकचत कर्म संभव है।
र्य्यावेश्य र्नो ये र्ां कनत्ययुक्ता उपासते |
श्रिया परयोपेतास्ते र्े युक्ततर्ा र्ता: ||
(१२ वाूँ अध्याय - २ श्लोक )
र्ेरे र्ें र्नको लगाकर मनत्यमनरन्तर र्ेरेर्ें लगे
हुए जो भक्त परर् श्रद्धासे युक्त होकर र्ेरी
उपासना करते हैं? वे र्ेरे र्तर्ें सवमश्रेष्ठ योगी
हैं।
र्य्येव र्न आधत्स्व र्कय बुद्धिं कनवेर्य।
कनवकसष्यकस र्य्येव अत ऊध्वं न संर्यः।। (१२ वाूँ
अध्याय - ८ वाूँ श्लोक)
तू र्ेरेर्ें र्नको लगा और र्ेरेर्ें ही बुद्धद्धको लगा इसक
े
बाद तू र्ेरेर्ें ही मनवास करेगा -- इसर्ें संशय नहीं है।
यदा यदा कह धर्मस्य ग्लाकनभमवकत भारत
।अभ्युत्थानर्धर्मस्य तदािानं
सृजाम्यहर्् ॥ (४/७)
हे भारत! जब-जब धर्म की हाकन और अधर्म
की वृद्धि होती है, तब-तब ही र्ैं अपने रूप
को रचता हूँ अथामत साकार रूप से िोगों क
े
सम्मुख प्रकट होता हूँ|
तस्मादज्ञानसंभूतं हृत्स्थं
ज्ञानाकसनाऽऽिनः।कछत्त्वैनं संर्यं
योगर्ाकतष्ठोकिष्ठ भारत।। (४/४२)
इसकिये हे भरतवंर्ी अजुमन हृदयर्ें द्धस्थत
इस अज्ञानसे उत्पन्न अपने संर्यका
ज्ञानरूप तिवारसे छेदन करक
े
योग(सर्ता) र्ें द्धस्थत हो जा (और युिक
े
किये) खडा हो जा।
8. Geeta – Bhagwadprapti ke maarg
Samkhya Yoga Karma Yoga
सभी पदार्म स्वप्न/ र्ाया की तरह है। र्न, इंमिय और
शरीर जैसे तकनीक दृमष्ट् से करता पन क
े भाव से र्ुक्त
होना । (अध्याय -५ श्लोक- ८,९)इसक
े सार् ही एक
सद्धिदानंद ही परर्ात्मा चेतना र्ें ड
ू बना। ये सांख्य योग
है।
सब क
ु छ ईर्श्र (energy) का है। हर द्धथर्मत र्ें सर्त्व भाव
रखते हुए आसद्धक्त और फल की इच्छा का त्याग कर क
े वल
भगवान / ऊजाम क
े मलए कर्ों का आचरण करना। (अध्याय
२, श्लोक- ५८) (अध्याय ५, श्लोक- १०) तर्ा श्रद्धा
भद्धक्तपूवमक भगवान का नार् गुण स्वरूप मचंतन करना। यह
कर्मयोग का साधन है।(अध्याय ६, श्लोक- ४७)
Result
Energy / ऊजाम
दोनो साधनों का पररश्रर् एक ही
है। अध्याय ५, श्लोक- ४,५
9. लक्ष्य एक है परंतु र्ागम क
े अनुभव अलग-अलग है। इसमलए दोनो
को दो रास्ों क
े रूप र्ें मचद्धित मकया गया है। (अध्याय ३,
श्लोक- ३)
Suitable way
Karma Yoga
प्रथर् ६ अध्याय - कर्म योग कितीय ६ अध्याय - भद्धक्त योग तृतीय ६ अध्याय - ज्ञान योग
कर्म योग - कर्म उसे परर्ािा से जोड दे ।
ज्ञान योग - ऐसा ज्ञान प्राप्त करे कजसका आधार परर्ािा हो ।
भद्धक्त योग - हर्ारा र्न परर्ािा की स्तुकत करे ।
तीनो क
े तीन प्रतीक ःः- (पुरुि) अजुमन कर्म क
े , उिव ज्ञान क
े , सुदार्ा भद्धक्त क
े
तीनों क
े तीन प्रतीक ःः- (र्कहिा) द्रौपदी कर्म की, राधा भद्धक्त की, क
ुं ती ज्ञान की
12. कर्म/ ज्ञान/ भद्धक्त योग - Tourism & Hospitality Insight
Tourism & Hospitality Insights
Body
+
Mind
स्थूि- सूक्ष्म- कारण
Structure Imagination
Tourism & Hospitality Insights
Man Tourist Yogi Spiritualist Pandit Pujari Businessman Teacher Doctor Engineer Etc.
13. Spiritual & Education system – Tourism & Hospitality Industry
“स्व सृजन र्ें है साथमकता”
Thought Management Sustainable Management
Role of Ideosphere
Tourism & Hospitality
Environment
Conservation of Elements
बुद्धि से बोध की यात्रा
14. Life Life Accessories Food, Modernity,
Transport, Events,
Friends, Family,
Places, Attraction,
Services etc.
Health , Happiness, Harmony
Tourism & Hospitality
“अभी खुर्ी र्नाओ”
आने वािा कि???? हर् नही सोचते।
गीता = कि की कचंता क्यूूँ करता है ???
“अभी जी”, अभी means "now"
अंतजमगत का पयमटन
और आवभगत
15. In-depth Problems of Tourism & Hospitality
Illusion / Misconception (भ्ांकत )
Hope आर्ा
Illusion of tomorrow
आने वािे कि की भ्ांकत
Illusion of Future
भकवष्य की भ्ांकत
Basic Infrastructure
1. Attraction
2. Accomodation
3. Activities
4. Amenities
5. Accessibility
(पयमटन क
े क
ं पोनेंट्स) - वतमर्ान भ्ांकत
16. गीता - जीवन र्ेि है ।
जीवन खेि है ।
जीवन प्रयोग भरी तरंग है ।
जीवन र्स्त र्िंग है।
र्ूिाधार से सहस्त्राथम की यात्रा (अंतजमगत का पयमटक)
यात्रा करो और ठहरो!
यात्रा से सीखो और ठहरो!
यात्रा,सीखना और ठहरने क
े अनुभव को कजयो!
What do we need to do to make it right ? हर्ें ठीक क्या करना है ?
भ्ांमत को तोडना = गीता
• तीव्र व्यथा = कीक
े गादे
• भीड को हटाना – गुरकजएि
• सर्झ और जागरूकता से एक कदर् आगे
बढाना
17. Tourism & Hospitality
Visual Sense (दृकष्ट बोध )
पयमटन र्ें धृतराष्टर
(Blind) नहींबने
अजुमन जैसे
Tourist बने –
‘सीखना’
क
ृ ष्ण क
े जैसे
event manager
बने – ‘दृष्टा’
पयमटन एवं हॉद्धिटैकिटी र्ें दृकष्टबोध
• पयमटक की आंखे
• आवभगत र्ें देवत्व
आचायम श्री - र्नुष्य र्ें देवत्व का उदय और धरती पर स्वगम का अवतरण
18. Tourism & Hospitality
Problems
Terrorism
Safety & Security
Fraudlent Activities
Basic Infrastructure Problems
Lack of knowledge and Information
Shortage of skills
Sustainability
Operating Cost
Negative impact of social media
Hidden Attraction
Tourism & Hospitality
Aims
Atithi Devo Bhava
International Goodwill
Incredible India
Increase Cultural, Spiritual,
Health & Sustainable tourism
19. Techniques
“वसुधैव क
ु टुम्बकर्”
&
Global Village
One Earth, One Family, One Nation
व्यद्धक्तकनर्ामण, पररवारकनर्ामण, सर्ाजकनर्ामण
सेवा, साधना, संयर्
सर्झदारी, ईर्ानदारी, क़िम्मेदारी, बहादुरी
कवचार क्ांकत
- awgp