SlideShare a Scribd company logo
1 of 9
झील ों की नगरी उदयपुर पर ह ोंदी में
हनबोंध लेखन
जरुर दिल की धडकनें तेज हो जाती हैं
यह वही उियपुर है
जहा मन मे हलचल उथल पुथल करने लगती हैं
प्रेम क
े रस मे रंगा सारा शहर मानो हर दिन त्यौहार
सा हो,
उियपुर को हर पल याि करने का मन रहता है ।।
मै भरत हु, उियपुर शहर में रहता हु. चदलए आज
आपकों मै झीलों की नगरी उियपुर क
े बारे में
बताता हु. उियपुर नगर अरावली पववतमाला क
े दबच
स्थथत हैं. इस नगर क
े चारों ओर झीले ही झीले हैं.
दपछोला, स्वरूप सागर, फतहसागर, उियसागर,
िू धतलाई, जनसागर आदि झीले हैं. इनक
े कारण ही
उियपुर को झीलों की नगरी कहा जाता हैं.
बरसात क
े मौसम में इन झीलों की छटा और सौियव
और बढ़ जाता हैं. ये झीले कश्मीर की होड़ करती
हैं, इसी कारण कई लोग इस नगर को राजथथान का
कश्मीर कहते हैं.
फतह सागर क
े दबच बना हैं, नेहरू उद्यान. इन
झीलों क
े पानी में जगदनवास और जगमंदिर नाम से
जलमहल भी हैं.
इन झीलों में पयवटक नौका दवहार का आनंि लेते हैं.
रात्री क
े समय जब ये उद्यान तथा ये महल दवि् युत
क
े प्रकाश में जगमगाते हैं तो इनकी शोभा िेखते ही
बनती हैं. एक दवशेष बात यह हैं ,दक ये झीले इस
प्रकार बनी हैं दक एक झील का पानी िू सरी झील में
आता हैं, अत: ये झीले जल सरक्षण का उत्कर्ष्व
उिाहरण हैं.
इस झील में ी उत्तर की ओर एक सौर वेधशाला
(स लर ऑब्जवेटरी) बनी हुई ैं.
इसमे वैज्ञादनको द्वारा सूयव की गदतदवदधयों का
अध्ययन दकया जाता हैं. उियपुर नगर में कई
एदतहादसक तथा िशवनीय थथल हैं. दपछोला झील क
े
दकनारे महाराणा प्रताप क
े वंशजो का भव्य स्मारक
और महल बने हुए हैं, इनमे कांच का काम तथा
दचत्रकारी अदद्वत्य हैं. फतहसागर क
े दकनारे पूवव की
ओर मोती मगरी नाम का प्रदसद्ध ऐदतहादसक थथल
हैं, इस पर चेतक घोड़े पर सवार महाराणा प्रताप की
दवशाल प्रदतमा हैं.उसी पररसर में महाराणा प्रताप क
े
सहयोगी हकीम खां सूरी, भामाशाह, भीलूराणा पूंजा,
मन्ना, झाला आदि की प्रदतमाए भी हैं. ध्वदन प्रकाश
कायवक्रम क
े माध्यम से मेवाड़ की गौरव गाथा को
िशावया जाता हैं, इससे िशवको में रार्ष्र प्रेम की भावना
का संचार होता हैं.
य ााँ हदन रात पययटक ों का आना जाना बना र ता ैं.
फतहसागर क
े पास ही उत्तर में स्थथत एक पहाड़ी पर नीमज माता
का सुंिर मस्िर हैं,यहााँ प्रदतवषव श्रधालुओं का तााँता लगा रहता हैं.
इस पहाड़ी क
े पीछे ही ‘प्रताप गौरव क
ें द्र बना हुआ हैं, यहााँ
महाराणा प्रताप की 57 दफट ऊ
ाँ ची प्रदतमा हैं. यह प्रदतमा उनक
े 57
वषव की आयु में स्वगववास होने की याि दिलाती हैं.यहााँ एक दथयेटर
भी हैं.इसमे महाराणा प्रताप क
े जीवन सघषव से जुड़ी एक
डोक्युमेंटरी दफल्म भी दिखाई जाती हैं. इसक
े अदतररक्त यहााँ क
ु छ
अन्य प्रदतमाए भी लगी हुई हैं, उनक
े साथ उनका सदक्षप्त पररचय भी
दलखा हुआ हैं. यह एक प्रेरणा थथल हैं.
झील ों की नगरी उदयपुर पर ह ोंदी में हनबोंध लेखन आप
hihindi.कॉम पर पढ़ र े ैं.
जहा दवशाल भारत गररमामय राजथथान और गौरवपूणव मेवाड़ क
े
दिग्दशवन होते हैं.फतहसागर क
े पदिम में एक पहाड़ी पर सज्जनगढ़
का दकला हैं, इसे महाराणा सज्जनदसंह ने बनवाया था. हाल ही में
राजथथान सरकार द्वारा इस वन्य क्षेत्र को अभ्यारण्य घोदषत कर
दिया हैं. इससे क
ु छ ही िुरी पर पदिम में दशल्पग्राम हैं, यहााँ लोक
कलाओं क
े दवकास क
े दलए कई कायवक्रम आयोदजत दकये जाते हैं.
यहााँ प्रदतवषव दिसम्बर महीने में एक मेला भरता हैं. इस मेले में िेश-
दविेश से कई क
यहााँ प्रदतवषव दिसम्बर महीने में एक मेला भरता हैं. इस मेले में िेश-दविेश से कई कलाकार अपनी कलाओं का प्रिशवन करते
हैं. झीलों की इस नगरी में गुलाब बाग़ तथा सहेदलयों की बाड़ी नाम से िो सुंिर बगीचे हैं.गुलाब बगीचे में भांदत-भांदत क
े फ
ू ल
स्खलते हैं. इनकी भीनी महक से िशवको का दिल बाग़-भाग हो जाता हैं. यहााँ एक दचदड़याघर भी हैं. रंग-दबरंगी दचदड़याओ
का चहकना सबको आनस्ित कर िेता हैं. यहााँ बच्ों की रेलगाड़ी भी हैं, आप चाहो तो इसमे यात्रा कर सकते हो, मगर
दटकट जरुर लेना.
इसक
े अलावा यहााँ पहले भालू, शेर, चीते,बिर आदि थे. यहााँ शेर की िहाड़ सुनी जा सकती हैं. दहरन को क
ु चाले भरता
िेखकर बच्े गिगि हो जाते थे. दकन्तु जब से सज्जनगढ़ को अभयारण्य घोदषत दकया हैं, सारे जानवरों को वहा थथानातररत
कर दिया हैं. सहेदलयों की बाड़ी में जब फव्वारे चलते हैं, जन्नत का नजारा लगता हैं. इन झीलों क
े दकनारे वषव में िो बार मेले
लगते हैं.
जगत का अम्बिका मम्बिर– उियपुर से 42 दकमी िू र जगत नामक ग्राम में
अस्म्बका का मस्िर मातर िेदवयों को समदपवत होने क
े कारण शस्क्तपीठ
कहलाता हैं यहााँ नृत्य गणपदत की दवशाल प्रदतमा हैं. यह मस्िर मेवाड़ का
खजुराहों कहा जाता हैं.
जगदीश मम्बिर उदयपुर– राजमहलों क
े पास जगिीश चौक में स्थथत इस
मस्िर की थथापना महाराणा जगतदसंह द्वारा की गई. इस मस्िर क
े दनमावण में
स्वप्न संस्क
ृ दत का बड़ा महत्वपूणव योग रहा हैं. इसदलए इसे सपने से बना मस्िर
भी कहते हैं.
एकहलोंग जी का मम्बिर– क
ै लाशपुरी में स्थथत यह मेवाड़ क
े अदधपदत एकदलंग
जी का मस्िर हैं.
ऋषभदेव मम्बिर– कोयल निी पर बसे धुलेव कस्बे में स्थथत इस मस्िर में
िेवता क
े क
े सर चढ़ती हैं. अतः ऋषभिेव को क
े सररया नाथ क
े नाम से भी
स्मरण दकया जाता हैं. क
े सररयानाथ की काले पाषाण की बड़ी भव्य मूदतव क
े
कारण भील इसे कालाजी कहकर भू पुकारते हैं.
हसटी पैलेस– दपछोला झील क
े दकनारे स्थथत राजमहल. यहीं पर क
ृ ष्णा दवलास
महल हैं. जहााँ राजक
ु मारी क
ृ ष्णा ने जहर पीकर अपनी इहलीला समाप्त कर
उियपुर को युद्ध से बचा दलया था. राज आंगन महल, मोती महल, मानक
महल, दिल खुश महल आदि प्रदसद्ध महल यही हैं. प्रदसद्ध इदतहासकार
फर्ग्ुवसन ने इन्हें राजथथान क
े दवंडसर महलों की संज्ञा िी.
हपछ ला झील– इस झील का दनमावण राणा लाखा क
े शासन काल में एक बंजारे
ने करवाया था. इस झील क
े अंिर जगदनवास महल एवं जगमस्िर महल बने
हुए हैं. जगमहल में महाराजा कणव दसंह ने दवद्रोही शहजािा खुरवम को शरण िी
थी.
स ेहलय ों की बाडी– फतेहसागर झील की पाल की तलवटी में बना
एक रमणीक बगीचा. महाराणा संग्राम दसंह दद्वतीय ने इसका दनमावण
व महाराणा फतहदसंह ने इसका पुनदनमावण करवाया था.
सज्जनगढ़ पैलेस– इस महल का दनमावण महाराणा सज्जनदसंह जी ने
करवाया था. इसे वाणी दवलास महल भी कहते हैं. यह महल बांसिरा
पहाड़ी पर स्थथत हैं, यहााँ अभ्यारण्य भी हैं,
जयसमि ढेबर झील– राजथथान की ताजे मीठे पानी की सबसे
बड़ी क
ृ दत्रम झील जो मेवाड़ महाराजा जयदसंह द्वारा बनाई गई.
ग गुिा-हल्दीघाटी क
े दनकटथथ थथान, जहााँ 1572 ई में महाराणा
प्रताप का राज्यादभषेक दकया गया था. महाराणा उियदसंह की मृत्यु
भी गोगुंिा में ही हुई थी. प्रताप की प्रारस्िक राजधानी गोगुिा ही
थी.
नागदा– गुदहल शासकों की प्रारस्िक राजधानी, दजसको इल्तुतदमश
द्वारा नर्ष् कर दिए जाने पर दचत्तौड़गढ़ को राजधानी बनाया गया.
यहााँ 10 वीं सिी का सास बहू का मस्िर प्रदसद्ध हैं. यहााँ क
े मंदिर
सोलंकी कला क
े प्रतीक हैं.
आ ड– उियपुर क
े दनकट आहड़ निी घाटी में 4000 हजार वषव
पुरानी पूवव युगीन दसन्धु सभ्यता क
े समकालीन ताम्रयुगीन सभ्यता क
े
अवशेष दमले हैं. आहड़ नागिा क
े बाि दससोदिया वंश की राजधानी
भी थी.
दचत्तौड़गढ़ को राजधानी बनाया गया. यहााँ 10 वीं सिी का सास बहू का मस्िर प्रदसद्ध हैं. यहााँ क
े मंदिर
सोलंकी कला क
े प्रतीक हैं.
आ ड– उियपुर क
े दनकट आहड़ निी घाटी में 4000 हजार वषव पुरानी पूवव युगीन दसन्धु सभ्यता क
े
समकालीन ताम्रयुगीन सभ्यता क
े अवशेष दमले हैं. आहड़ नागिा क
े बाि दससोदिया वंश की राजधानी
भी थी.
आ ड की छतररयााँ म ासहतयाों – उियपुर नगर से िो मील िू र आहड़ नामक थथान पर महाराणा
अमरदसंह से अब तक क
े सारे राणाओं की छतररयााँ दवद्यमान हैं.
चावोंड– वषव 1578 में क
ु िलगढ़ में मुगल सेना का अदधकार हो जाने क
े बाि महाराणा प्रताप ने चावंड
को अपनी राजधानी बनाया था, जीवन क
े अंदतम दिन उन्होंने यहााँ दबताएं .
बाोंड ली– चावंड क
े दनकट स्थथत इस गााँव में प्रताप का अंदतम संस्कार दकया गया था.
फते सागर झील– दपछोला झील क
े उत्तर में स्थथत फतेहसागर झील का दनमावण महाराणा जयदसंह ने
िेवाली तालाब क
े नाम से करवाया था. इस झील में आहड़ निी से लगभग 6 दकमी लम्बी एक नहर द्वारा
जल लाया जाता हैं. इसका पुनः दनमावण फतेहदसंह ने करवाया.
बाग र की वेली– उियपुर में इसका दनमावण मेवाड़ क
े प्रधानमंत्री श्री अमरचंि बडवा ने करवाया था.
सौर वेधशाला– उियपुर सौर वेधशाला फतहसागर झील क
े बीच स्थथत टापू पर हैं.
म ासहतयााँ– आहाड़ गााँव में गंगोिभव नामक तीथव क
े दनकट मेवाड़ महाराणाओं का श्मशान थथल
हैं. महाराणा प्रताप क
े बाि सभी राणाओं की अंत्येदर्ष् यही हुई थी.
हशल्पग्राम– उियपुर क
े दनकट 1989 में पदिम क्षेत्र सांस्क
ृ दतक क
ें द्र द्वारा हवाला गााँव में ग्रामीण दशल्प
एवं लोक कला पररसर दशल्पग्राम का स्रजन दकया गया था.
नटनी का चबूतरा– नटनी गलकी की स्मृदत में दपछोला झील में नटनी का चबूतरा बना हुआ हैं.

More Related Content

Similar to udaipur rajasthan

mahak verma ganga river ppt
 mahak verma ganga river ppt mahak verma ganga river ppt
mahak verma ganga river pptharsh verma
 
श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna Janmashtami) 2021
श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna Janmashtami) 2021श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna Janmashtami) 2021
श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna Janmashtami) 2021Gunjan Verma
 
Cultural of Assam and Rajasthan
Cultural of Assam and Rajasthan Cultural of Assam and Rajasthan
Cultural of Assam and Rajasthan NadeemKhan666858
 
20+ Mount Abu Me Ghumne Ki Jagah in 2024.pdf
20+ Mount Abu Me Ghumne Ki Jagah in 2024.pdf20+ Mount Abu Me Ghumne Ki Jagah in 2024.pdf
20+ Mount Abu Me Ghumne Ki Jagah in 2024.pdftravelfeedblogs
 
group work.en.hi.pdf
group work.en.hi.pdfgroup work.en.hi.pdf
group work.en.hi.pdfMayaSinha4
 
Lok kala लोक कला.pptx
Lok kala लोक कला.pptxLok kala लोक कला.pptx
Lok kala लोक कला.pptxNamitaSahare
 
Rajasthan Paryatan.pdf
Rajasthan Paryatan.pdfRajasthan Paryatan.pdf
Rajasthan Paryatan.pdfNayi goonj
 
Upanishad Ganga press note hindi
Upanishad Ganga press note hindiUpanishad Ganga press note hindi
Upanishad Ganga press note hindiUrvin
 
वसंत पंचमी
वसंत पंचमीवसंत पंचमी
वसंत पंचमीDrSunita Pamnani
 
Puri bhubneshwar Tour Package
Puri bhubneshwar Tour PackagePuri bhubneshwar Tour Package
Puri bhubneshwar Tour PackageWonder Earth Tour
 
Looking places where to visit in uttarakhand
Looking places where to visit in uttarakhandLooking places where to visit in uttarakhand
Looking places where to visit in uttarakhandTentaran
 
Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi
Harivansh Rai Bachchan Poems in HindiHarivansh Rai Bachchan Poems in Hindi
Harivansh Rai Bachchan Poems in HindiAmanBalodi
 
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdf
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdfहोली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdf
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdfzoopindiaa
 
Dhartimata kisannarayan
Dhartimata kisannarayanDhartimata kisannarayan
Dhartimata kisannarayanDeepak Sharma
 

Similar to udaipur rajasthan (20)

POWERPOINT ON GUJARAT
POWERPOINT ON GUJARAT POWERPOINT ON GUJARAT
POWERPOINT ON GUJARAT
 
mahak verma ganga river ppt
 mahak verma ganga river ppt mahak verma ganga river ppt
mahak verma ganga river ppt
 
Holy Rivers - Hindi
Holy Rivers - HindiHoly Rivers - Hindi
Holy Rivers - Hindi
 
श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna Janmashtami) 2021
श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna Janmashtami) 2021श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna Janmashtami) 2021
श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna Janmashtami) 2021
 
Cultural of Assam and Rajasthan
Cultural of Assam and Rajasthan Cultural of Assam and Rajasthan
Cultural of Assam and Rajasthan
 
20+ Mount Abu Me Ghumne Ki Jagah in 2024.pdf
20+ Mount Abu Me Ghumne Ki Jagah in 2024.pdf20+ Mount Abu Me Ghumne Ki Jagah in 2024.pdf
20+ Mount Abu Me Ghumne Ki Jagah in 2024.pdf
 
group work.en.hi.pdf
group work.en.hi.pdfgroup work.en.hi.pdf
group work.en.hi.pdf
 
Jageshwar dham yatra
Jageshwar dham yatra Jageshwar dham yatra
Jageshwar dham yatra
 
Lok kala लोक कला.pptx
Lok kala लोक कला.pptxLok kala लोक कला.pptx
Lok kala लोक कला.pptx
 
3 hindi project.pptx
3 hindi project.pptx3 hindi project.pptx
3 hindi project.pptx
 
Rajasthan Paryatan.pdf
Rajasthan Paryatan.pdfRajasthan Paryatan.pdf
Rajasthan Paryatan.pdf
 
Upanishad Ganga press note hindi
Upanishad Ganga press note hindiUpanishad Ganga press note hindi
Upanishad Ganga press note hindi
 
वसंत पंचमी
वसंत पंचमीवसंत पंचमी
वसंत पंचमी
 
Puri bhubneshwar Tour Package
Puri bhubneshwar Tour PackagePuri bhubneshwar Tour Package
Puri bhubneshwar Tour Package
 
KochaisaMonology.pdf
KochaisaMonology.pdfKochaisaMonology.pdf
KochaisaMonology.pdf
 
Looking places where to visit in uttarakhand
Looking places where to visit in uttarakhandLooking places where to visit in uttarakhand
Looking places where to visit in uttarakhand
 
Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi
Harivansh Rai Bachchan Poems in HindiHarivansh Rai Bachchan Poems in Hindi
Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi
 
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdf
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdfहोली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdf
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdf
 
Dhartimata kisannarayan
Dhartimata kisannarayanDhartimata kisannarayan
Dhartimata kisannarayan
 
CpErGqyoBBlLiZhE8ZzB.pdf
CpErGqyoBBlLiZhE8ZzB.pdfCpErGqyoBBlLiZhE8ZzB.pdf
CpErGqyoBBlLiZhE8ZzB.pdf
 

udaipur rajasthan

  • 1. झील ों की नगरी उदयपुर पर ह ोंदी में हनबोंध लेखन
  • 2. जरुर दिल की धडकनें तेज हो जाती हैं यह वही उियपुर है जहा मन मे हलचल उथल पुथल करने लगती हैं प्रेम क े रस मे रंगा सारा शहर मानो हर दिन त्यौहार सा हो, उियपुर को हर पल याि करने का मन रहता है ।। मै भरत हु, उियपुर शहर में रहता हु. चदलए आज आपकों मै झीलों की नगरी उियपुर क े बारे में बताता हु. उियपुर नगर अरावली पववतमाला क े दबच स्थथत हैं. इस नगर क े चारों ओर झीले ही झीले हैं. दपछोला, स्वरूप सागर, फतहसागर, उियसागर, िू धतलाई, जनसागर आदि झीले हैं. इनक े कारण ही उियपुर को झीलों की नगरी कहा जाता हैं.
  • 3. बरसात क े मौसम में इन झीलों की छटा और सौियव और बढ़ जाता हैं. ये झीले कश्मीर की होड़ करती हैं, इसी कारण कई लोग इस नगर को राजथथान का कश्मीर कहते हैं. फतह सागर क े दबच बना हैं, नेहरू उद्यान. इन झीलों क े पानी में जगदनवास और जगमंदिर नाम से जलमहल भी हैं. इन झीलों में पयवटक नौका दवहार का आनंि लेते हैं. रात्री क े समय जब ये उद्यान तथा ये महल दवि् युत क े प्रकाश में जगमगाते हैं तो इनकी शोभा िेखते ही बनती हैं. एक दवशेष बात यह हैं ,दक ये झीले इस प्रकार बनी हैं दक एक झील का पानी िू सरी झील में आता हैं, अत: ये झीले जल सरक्षण का उत्कर्ष्व उिाहरण हैं.
  • 4. इस झील में ी उत्तर की ओर एक सौर वेधशाला (स लर ऑब्जवेटरी) बनी हुई ैं. इसमे वैज्ञादनको द्वारा सूयव की गदतदवदधयों का अध्ययन दकया जाता हैं. उियपुर नगर में कई एदतहादसक तथा िशवनीय थथल हैं. दपछोला झील क े दकनारे महाराणा प्रताप क े वंशजो का भव्य स्मारक और महल बने हुए हैं, इनमे कांच का काम तथा दचत्रकारी अदद्वत्य हैं. फतहसागर क े दकनारे पूवव की ओर मोती मगरी नाम का प्रदसद्ध ऐदतहादसक थथल हैं, इस पर चेतक घोड़े पर सवार महाराणा प्रताप की दवशाल प्रदतमा हैं.उसी पररसर में महाराणा प्रताप क े सहयोगी हकीम खां सूरी, भामाशाह, भीलूराणा पूंजा, मन्ना, झाला आदि की प्रदतमाए भी हैं. ध्वदन प्रकाश कायवक्रम क े माध्यम से मेवाड़ की गौरव गाथा को िशावया जाता हैं, इससे िशवको में रार्ष्र प्रेम की भावना का संचार होता हैं.
  • 5. य ााँ हदन रात पययटक ों का आना जाना बना र ता ैं. फतहसागर क े पास ही उत्तर में स्थथत एक पहाड़ी पर नीमज माता का सुंिर मस्िर हैं,यहााँ प्रदतवषव श्रधालुओं का तााँता लगा रहता हैं. इस पहाड़ी क े पीछे ही ‘प्रताप गौरव क ें द्र बना हुआ हैं, यहााँ महाराणा प्रताप की 57 दफट ऊ ाँ ची प्रदतमा हैं. यह प्रदतमा उनक े 57 वषव की आयु में स्वगववास होने की याि दिलाती हैं.यहााँ एक दथयेटर भी हैं.इसमे महाराणा प्रताप क े जीवन सघषव से जुड़ी एक डोक्युमेंटरी दफल्म भी दिखाई जाती हैं. इसक े अदतररक्त यहााँ क ु छ अन्य प्रदतमाए भी लगी हुई हैं, उनक े साथ उनका सदक्षप्त पररचय भी दलखा हुआ हैं. यह एक प्रेरणा थथल हैं. झील ों की नगरी उदयपुर पर ह ोंदी में हनबोंध लेखन आप hihindi.कॉम पर पढ़ र े ैं. जहा दवशाल भारत गररमामय राजथथान और गौरवपूणव मेवाड़ क े दिग्दशवन होते हैं.फतहसागर क े पदिम में एक पहाड़ी पर सज्जनगढ़ का दकला हैं, इसे महाराणा सज्जनदसंह ने बनवाया था. हाल ही में राजथथान सरकार द्वारा इस वन्य क्षेत्र को अभ्यारण्य घोदषत कर दिया हैं. इससे क ु छ ही िुरी पर पदिम में दशल्पग्राम हैं, यहााँ लोक कलाओं क े दवकास क े दलए कई कायवक्रम आयोदजत दकये जाते हैं. यहााँ प्रदतवषव दिसम्बर महीने में एक मेला भरता हैं. इस मेले में िेश- दविेश से कई क
  • 6. यहााँ प्रदतवषव दिसम्बर महीने में एक मेला भरता हैं. इस मेले में िेश-दविेश से कई कलाकार अपनी कलाओं का प्रिशवन करते हैं. झीलों की इस नगरी में गुलाब बाग़ तथा सहेदलयों की बाड़ी नाम से िो सुंिर बगीचे हैं.गुलाब बगीचे में भांदत-भांदत क े फ ू ल स्खलते हैं. इनकी भीनी महक से िशवको का दिल बाग़-भाग हो जाता हैं. यहााँ एक दचदड़याघर भी हैं. रंग-दबरंगी दचदड़याओ का चहकना सबको आनस्ित कर िेता हैं. यहााँ बच्ों की रेलगाड़ी भी हैं, आप चाहो तो इसमे यात्रा कर सकते हो, मगर दटकट जरुर लेना. इसक े अलावा यहााँ पहले भालू, शेर, चीते,बिर आदि थे. यहााँ शेर की िहाड़ सुनी जा सकती हैं. दहरन को क ु चाले भरता िेखकर बच्े गिगि हो जाते थे. दकन्तु जब से सज्जनगढ़ को अभयारण्य घोदषत दकया हैं, सारे जानवरों को वहा थथानातररत कर दिया हैं. सहेदलयों की बाड़ी में जब फव्वारे चलते हैं, जन्नत का नजारा लगता हैं. इन झीलों क े दकनारे वषव में िो बार मेले लगते हैं.
  • 7. जगत का अम्बिका मम्बिर– उियपुर से 42 दकमी िू र जगत नामक ग्राम में अस्म्बका का मस्िर मातर िेदवयों को समदपवत होने क े कारण शस्क्तपीठ कहलाता हैं यहााँ नृत्य गणपदत की दवशाल प्रदतमा हैं. यह मस्िर मेवाड़ का खजुराहों कहा जाता हैं. जगदीश मम्बिर उदयपुर– राजमहलों क े पास जगिीश चौक में स्थथत इस मस्िर की थथापना महाराणा जगतदसंह द्वारा की गई. इस मस्िर क े दनमावण में स्वप्न संस्क ृ दत का बड़ा महत्वपूणव योग रहा हैं. इसदलए इसे सपने से बना मस्िर भी कहते हैं. एकहलोंग जी का मम्बिर– क ै लाशपुरी में स्थथत यह मेवाड़ क े अदधपदत एकदलंग जी का मस्िर हैं. ऋषभदेव मम्बिर– कोयल निी पर बसे धुलेव कस्बे में स्थथत इस मस्िर में िेवता क े क े सर चढ़ती हैं. अतः ऋषभिेव को क े सररया नाथ क े नाम से भी स्मरण दकया जाता हैं. क े सररयानाथ की काले पाषाण की बड़ी भव्य मूदतव क े कारण भील इसे कालाजी कहकर भू पुकारते हैं. हसटी पैलेस– दपछोला झील क े दकनारे स्थथत राजमहल. यहीं पर क ृ ष्णा दवलास महल हैं. जहााँ राजक ु मारी क ृ ष्णा ने जहर पीकर अपनी इहलीला समाप्त कर उियपुर को युद्ध से बचा दलया था. राज आंगन महल, मोती महल, मानक महल, दिल खुश महल आदि प्रदसद्ध महल यही हैं. प्रदसद्ध इदतहासकार फर्ग्ुवसन ने इन्हें राजथथान क े दवंडसर महलों की संज्ञा िी. हपछ ला झील– इस झील का दनमावण राणा लाखा क े शासन काल में एक बंजारे ने करवाया था. इस झील क े अंिर जगदनवास महल एवं जगमस्िर महल बने हुए हैं. जगमहल में महाराजा कणव दसंह ने दवद्रोही शहजािा खुरवम को शरण िी थी.
  • 8. स ेहलय ों की बाडी– फतेहसागर झील की पाल की तलवटी में बना एक रमणीक बगीचा. महाराणा संग्राम दसंह दद्वतीय ने इसका दनमावण व महाराणा फतहदसंह ने इसका पुनदनमावण करवाया था. सज्जनगढ़ पैलेस– इस महल का दनमावण महाराणा सज्जनदसंह जी ने करवाया था. इसे वाणी दवलास महल भी कहते हैं. यह महल बांसिरा पहाड़ी पर स्थथत हैं, यहााँ अभ्यारण्य भी हैं, जयसमि ढेबर झील– राजथथान की ताजे मीठे पानी की सबसे बड़ी क ृ दत्रम झील जो मेवाड़ महाराजा जयदसंह द्वारा बनाई गई. ग गुिा-हल्दीघाटी क े दनकटथथ थथान, जहााँ 1572 ई में महाराणा प्रताप का राज्यादभषेक दकया गया था. महाराणा उियदसंह की मृत्यु भी गोगुंिा में ही हुई थी. प्रताप की प्रारस्िक राजधानी गोगुिा ही थी. नागदा– गुदहल शासकों की प्रारस्िक राजधानी, दजसको इल्तुतदमश द्वारा नर्ष् कर दिए जाने पर दचत्तौड़गढ़ को राजधानी बनाया गया. यहााँ 10 वीं सिी का सास बहू का मस्िर प्रदसद्ध हैं. यहााँ क े मंदिर सोलंकी कला क े प्रतीक हैं. आ ड– उियपुर क े दनकट आहड़ निी घाटी में 4000 हजार वषव पुरानी पूवव युगीन दसन्धु सभ्यता क े समकालीन ताम्रयुगीन सभ्यता क े अवशेष दमले हैं. आहड़ नागिा क े बाि दससोदिया वंश की राजधानी भी थी.
  • 9. दचत्तौड़गढ़ को राजधानी बनाया गया. यहााँ 10 वीं सिी का सास बहू का मस्िर प्रदसद्ध हैं. यहााँ क े मंदिर सोलंकी कला क े प्रतीक हैं. आ ड– उियपुर क े दनकट आहड़ निी घाटी में 4000 हजार वषव पुरानी पूवव युगीन दसन्धु सभ्यता क े समकालीन ताम्रयुगीन सभ्यता क े अवशेष दमले हैं. आहड़ नागिा क े बाि दससोदिया वंश की राजधानी भी थी. आ ड की छतररयााँ म ासहतयाों – उियपुर नगर से िो मील िू र आहड़ नामक थथान पर महाराणा अमरदसंह से अब तक क े सारे राणाओं की छतररयााँ दवद्यमान हैं. चावोंड– वषव 1578 में क ु िलगढ़ में मुगल सेना का अदधकार हो जाने क े बाि महाराणा प्रताप ने चावंड को अपनी राजधानी बनाया था, जीवन क े अंदतम दिन उन्होंने यहााँ दबताएं . बाोंड ली– चावंड क े दनकट स्थथत इस गााँव में प्रताप का अंदतम संस्कार दकया गया था. फते सागर झील– दपछोला झील क े उत्तर में स्थथत फतेहसागर झील का दनमावण महाराणा जयदसंह ने िेवाली तालाब क े नाम से करवाया था. इस झील में आहड़ निी से लगभग 6 दकमी लम्बी एक नहर द्वारा जल लाया जाता हैं. इसका पुनः दनमावण फतेहदसंह ने करवाया. बाग र की वेली– उियपुर में इसका दनमावण मेवाड़ क े प्रधानमंत्री श्री अमरचंि बडवा ने करवाया था. सौर वेधशाला– उियपुर सौर वेधशाला फतहसागर झील क े बीच स्थथत टापू पर हैं. म ासहतयााँ– आहाड़ गााँव में गंगोिभव नामक तीथव क े दनकट मेवाड़ महाराणाओं का श्मशान थथल हैं. महाराणा प्रताप क े बाि सभी राणाओं की अंत्येदर्ष् यही हुई थी. हशल्पग्राम– उियपुर क े दनकट 1989 में पदिम क्षेत्र सांस्क ृ दतक क ें द्र द्वारा हवाला गााँव में ग्रामीण दशल्प एवं लोक कला पररसर दशल्पग्राम का स्रजन दकया गया था. नटनी का चबूतरा– नटनी गलकी की स्मृदत में दपछोला झील में नटनी का चबूतरा बना हुआ हैं.