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राजस्थान में पययिन वविास
राज्य िी अथयव्यवस्था में उसिी भूलमिा भावी सिंभावनाएिं एविं
समस्याएिं
राजस्थान िा गौरव में अतीत , शौयय , शक्तत और बल दानों िा प्रतीि है। यह अपने
अद्भुत प्रािृ तति सौंदयय -उच्च लशल्प ि ा से पररपूणय मिंहदरों , मह ो तथा रिंग-बबरिंगे त्योहारों
एविं मे ों ि
े िारण देश- ववदेश ि
े पययििों ि
े आिषयण िा प्रमुख ि
ें द्र रहा है । जहािं
राजस्थान ि
े ि
ु छ भागों में घने जिंग ों से ढि
े सुरम्य प्रािृ तति स्थान एविं वन्य जीवों ि
े
सुरक्षा स्थ रणथिंभौर , सररस्िा और जयसमिंद जैसे स्थान है वहािं पुटिर , नाथद्वारा और
अजमेर जैसे तीथय स्थ हैं। धचत्तौड़गढ़ जय गढ़, रणथिंभौर तथा आमेर ि
े कि े , झी ों िी
नगरी उदयपुर और खूबसूरत तनयोक्जत नगर जयपुर से सहसा ही पययििों िो अपनी और
आिवषयत िरते हैं । यही िारण है कि भारत में आने वा ा हर तीसरा ववदेशी पययिि
राजस्थान जरूर आता है ।
राजस्थान में पययिन िी ऐततहालसि पृटठभूलम
राजस्थान में पययििों िा इततहास िाफी पुराना है । पर ववदेशी पययििों में लसि
िं दर ,चीनी
यात्री हेनसािंग और फाहृयान भी बैराठ ि
े बौद्ध ववहारों िा अव ोिन िरने राजस्थान आए थे।
प्रलसद्ध इततहासिार िॉ िायनबी, प्रलसद्ध इिाल यन भाषा शास्त्रीिेशीिेरा मेररया , महारानी
एल जाबेथ, वप्रिंस कफल प, रूस ि
े राटट्रध्यक्ष श्री खुश्चेव , बु गातनन, अमेररिा ि
े भूतपूवय
राटट्रपतत िी पत्नी श्रीमती ि
े नेिी तथा िई जाने-माने ववदेशी पययिि राजस्थान आते रहते हैं
।
राजस्थान ि
े प्रमुख पययिन स्थान
यों तो राजस्थान िी भूलम िा िोना िोना पययििों िो आिवषयत िरता है पर ि
ु छ प्रमुख
पययिन स्थ ऐसे हैं, जहािं ि
ु छ ऐततहालसि, प्रािृ तति और िालमयि ववशेषताएिं हैं, जहािं
पययििों िा आिषयण और भी बढ़ जाता है। इन में अग्रल खखत उल् ेखनीय है-
22
अजमेर पुटिर
हहिंदू- मुक्स् म तीथों िा सिंगम अजमेर जयपुर से 135 कि ोमीिर दूर अराव ी पवयत िी
सुरम्य घािी में बसा शहर है । यहािं ख्वाजा मोइनुद्दीन धचश्ती िी दरगाह है, तारागढ़ िा
सशतत दुगय, सोनी जी िी नलसयािं, ढाई हदन िा झोपड़ा, आना सागर झी और प्रलसद्ध हहिंदू
तीथय स्थान पुटिर है, जहािं िाततयि पूखणयमा पर ववशा मे ा ववदेशी पययििों िा प्रमुख
आिषयण ि
ें द्र बन जाता है।
अ वर
हदल् ी ि
े दक्षक्षण में 165 कि ोमीिर तथा जयपुर ि
े उत्तर पूवय में 150 कि ोमीिर दूर
सुरम्य पहाडड़यों ि
े बीच बसा अ वर भी पययििों िा आिषयण ि
ें द्र है। यहािं स्थापत्य ि ा
ि
े उत्िृ टि नमूने सूरज मह , सूरजि
ुिं ि, भूसी महारानी िी छतरी , ववनय वव ास मह में
क्स्थत अजायबघर प्रमुख है । अ वर से 15 कि ोमीिर दक्षक्षण-पक्श्चम में लस ीसेढ़ िी झी
एविं घना जिंग , 35 कि ोमीिर दूर जयपुर मागय पर 40 वगय कि ोमीिर में फ
ै ा सररस्िा
अभ्यारण शेर -चीतों, सािंभर ,हहरण ,नी गाय और िाइगर प्रोजेति है। ऐततहालसि एविं
प्रािृ तति सौंदयय से भरा पूरा पािंिुपो , पािंिवों िा अज्ञातवास , राजा भतृहरर िा समाधि
स्थ और नी ि
िं ठ महादेव प्रमुख है।
भरतपुर -िीग
राजस्थान िा पूवी द्वार भरतपुर अपने ऐततहालसि स्थ ों, ि
े व ादेव घना अभयारण्य, एि
राटट्रीय पाि
य पक्षी प्रेलमयों िा स्वगय है। भरतपुर से 35 कि ोमीिर उत्तर में हरे भरे बगीचों,
स्थापत्य ि ा ि
े उत्िृ टि मह ों िी भव्य इमारतों, ऐततहालसि दुगय और रिंगीन फव्वारों िा
आिषयण ि
ें द्र िीग है । भरतपुर ि
े दक्षक्षण में बयाना ि
े ऐततहालसि स्थ तथा रूपवास िी
गुततिा ीन ववशा प्रततमाएिं दशयनीय है।
बीिानेर
यहािं पययििों ि
े प्रमुख आिषयण ि
ें द्र राजा जयलसिंह द्वारा तनलमयत हुई 37 बुजीय ववशा
कि ा और इसमें तनलमयत चिंद्र मह , फ
ू मह , िणय मह , शीश मह , छत्तर मह आहद
अपनी ववलशटि स्थापत्य ि ा, पेंहििंग एविं दपयण िी अनूठी िारीगरी ि
े ल ए प्रलसद्ध हैं। खुदाई
ि ा िा उत्िृ टि नमूना ा गढ़ पत्थरों से तनलमयत है । बीिानेर से 26 कि ोमीिर जोिपुर
मागय पर िरणी माता िा मिंहदर है। िवप मुतन िा तपोवन िो ायत िा ता ाब भी प्रलसद्ध
है ।
बूिंदी
23
प्रलसद्ध इततहासिार िनय िॉि ने बूिंदी ि
े गढ़ एविं महह ाओिं िो सवोत्िृ टि माना है , इसमें
छत मह , दीवाने आम और रिंग मह ि
े बूिंदी धचत्र शै ी ि
े उत्िृ टि नमूने हैं । इसि
े
अततररतत फ
ू सागर ,नव सागर, देवपुर ि
े तनिि 84 खिंभों िी छतरी, जैत सागर एविं
सुख मह आहद उल् ेखनीय हैं।
जयपुर -आमेर
राजस्थान िी राजिानी जयपुर गु ाबी नगर ि
े नाम से ववश्व प्रलसद्ध है । यह गौरवमय
ऐततहालसि तथ्यों, िववयों एविं लशक्ल्पयों और तनयोक्जत नगर होने िा प्रतीि है । इसी
िारण सी.वी. रमन ने इसे आइस ैंि ऑफ ग् ोरी िहा है । यहािं िा लसिी पै ेस, हवा मह ,
जिंतर मिंतर ,अजायबघर ,रामतनवास बाग, लससोहदया रानी िा मह एविं उद्यान ववद्यािर
िा बाग, ग ता िा पववत्र ि
ुिं ज ,सािंगानेर ि
े प्राचीन जैन मिंहदर, नाहरगढ़ िा ववशा दुगय ,
जयपुर आमेर ि
े कि े ि
े प्रलसद्ध मह ववदेशी पययििों िो सहसा ही अपनी और आिवषयत
िरते हैं । नवतनलमयत बबर ा मिंहदर एविं राजस्थान ववश्वववद्या य देखने योग्य है ।
उदयपुर
प्रािृ तति सौंदयय िा प्रतीि, झी ों िी नगरी ,पययििों िा स्वगय और हरी भरी शाही
बगीचों िा शहर उदयपुर ,राजस्थान िा िश्मीर, झी ों िा जादू और वेतनस ऑफ द ईस्ि
ि
े नाम से प्रलसद्ध है । यहािं पययििों ि
े ल ए िई आिषयण ि
ें द्र हैं। उदयपुर िा लसिी पै ेस,
ेि पै ेस , गाियन पै ेस (जगमिंहदर जग तनवास), वपछो ा तथा फतेहसागर झी ें ,गु ाब
बाग एविं सहेल यों िी बाड़ी ,महाराणा प्रताप िा स्मारि, मोती िूिंगरी तथा जगदीश मिंहदर
आहद प्रलसद्ध स्थ है । उदयपुर तो पययििों ि
े ल ए स्वगय है।
उदयपुर सिंभाग ि
े और प्रमुख पययिन स्थ िो ि
ु रावि ि
े पास गािंव जगत में अिंबबिा िा
जगत मिंहदर राजस्थान िा खजुराहो है । उदयपुर ि
े उत्तर में 48 कि ोमीिर दूर बनास नदी
पर वैटणवों िा प्रलसद्ध श्रीनाथ जी िा मिंहदर तथा मेवाड़ ि
े महाराणाओिं ि
े आराध्य देव
एिल िंग जी िा मिंहदर , उदयपुर ि
े नाथद्वारा जाते समय बीच में प्रमुख मिंहदर है । लशल्प
ि ा ि
े अनुपम उदाहरण रणिपुर िा जैन मिंहदर, महाराणा प्रताप और अिबर ि
े बीच युद्ध
स्थ ी हल्दीघािी और चेति घोड़े िी समाधि नाथद्वारा से 11 कि ोमीिर दूर है। ि
ुिं भ गढ़
िा दुगय भी दशयनीय है।
धचत्तौड़गढ़
धचत्तौड़गढ़ िा ववश्व -प्रलसद्ध दुगय राजपूतों ि
े शौयय , मीरा िी भक्तत और महह ाओिं िी
शक्तत एविं बल दान िा प्रतीि है । यह ववशा दुगय 150 मीिर ऊ
िं ची पहाड़ी पर 3 मी िंबा
24
और 2 मी चौड़ा फ
ै ा हुआ है। दुगय ि
े चारों ओर 11. 5 कि ोमीिर िंबाई िा मजबूत एविं
ऊ
ँ चा परिोिा , प्रवेश ि
े साथ बिे द्वारों वा ा सपायिार रास्ता दुगय िी ववशा ता िो दशायते हैं
। यहािं ि
े ववजय स्तिंभ िीततय स्तिंभ ऐततहालसि गौरव िी महाराणा ि
ुिं भा िी मह रानी
पतिनी िा ज मह जौहर ि
ुिं ि जैन मिंहदर गोमुख भी भीमता मीरा मिंहदर िल िा मिंहदर
िाल िा मिंहदर बनवीर िी दीवार नौ खा खजाना और तोपखाना आहद पययिन रुधच ि
े स्थ
है
िोिा चिंब नदी ि
े किनारे बसा मध्ययुगीन भव्यता में आिुतनिता जो िी किरण िा सिंगम
िोिा हदल् ी मुिंबई मागय पर क्स्थत पययिन ि
ें द्र था जा रहा है यहािं राज मह अमर तनवास
क्षेत्र तनवास बाग चिंब गाियन भीतररया ि
ुिं ि और आिारलश ा ि
े अततररतत घर तथा रिंगबाड़ी
आहद पययिन भक्तत ि
े दशयनीय स्थान है िोिा से 80 कि ोमीिर दूर वविंध्याच ि
े स्वर में
घािी में िरा गया सेंचुरी अब ी मीणी िा मह भी वहािं दशयनीय है प्रताप सागर बािंि िी
ओर जाते समय बािो ी िा लशव मिंहदर स्थापत्य ि ा िा उत्िृ टि नमूना है
माउिंि आबू
अराव ी पवयत श्रिंख ा िी 1200 मीिर ऊ
िं ची चोिी पर क्स्थत यह स्थान राजस्थान िा
एिमात्र हह स्िेशन है। राज्य िी सबसे ऊ
िं ची चोिी गुरु- लशखर 1727 मीिर ऊ
िं ची है ।
यहाँ दे वाड़ा ि
े जैन मिंहदर सिंगमरमर से बने वास्तु ि ा ि
े सुिंदर, सुसक्ज्जत एविं उत्िृ टि
नमूने हैं । यहािं िी नतखी झी , िोि रॉि ि
े म एविं एविं बु रॉि , गौमुख , सन-सेि
पॉइिंि और अच गढ़ ि
े जैन मिंहदर दशयनीय पययिन स्थ हैं।
जोिपुर
मरुस्थ ी राजस्थान िा सबसे प्रमुख नगर जोिपुर भी अपने ऐततहालसि गौरव और भव्य
मह ों िी वास्तुि ा ि
े िारण पययििों िा ि
ें द्र बन गया है । यहािं पर दुगय जसविंत थड़ा ,
उम्मेद भवन, मिंिोर िा उद्यान और बा समिंद झी है ।
जोिपुर शहर से 65 कि ोमीिर दूर ओलसयािं में आठवीिं शताधदी ि
े सूयय मिंहदर और जैन
मिंहदर प्रमुख हैं । हरीहर ि
े मिंहदर में खजुराहो जैसी आिृ ततयािं लशल्प ि ा िी सजीवता ि
े
ल ए प्रलसद्ध हैं।
जैस मेर
1156 ईस्वी ि
े यादव विंश ि
े राजा जैस लसिंह द्वारा बसाया गया यह नगर थार मरुस्थ
में ि ा एविं प्रािृ तति महत्व िा महत्वपूणय नगर है । यह 85 मीिर ऊ
िं ची पहाड़ी पर बना 99
बुजीय दुगय पययििों ि
े आिषयण िा महत्वपूणय ि
ें द्र है । इसी दुगय में बने मोती मह , रिंग
25
मह , वव ास मह , आहद लशल्प तराशी और धचत्रिारी ि
े उत्िृ टि नमूने हैं । जैस मेर ि
े
प्रलसद्ध सेठो िी पिवों िी हवे ी नाम से जानी जाने वा ी हवे ी में चार हवेल यािं हैं। इन
ि
े झरोखों, मेहराबों और खखड़कियों िा ि ात्मि लशल्प तराशी ि
े बेजोड़ नमूनों ने ववदेशी
पययििों िो बहुत आिवषयत किया है । यहािं िा नवतनलमयत राटट्रीय उद्यान भी महत्वपूणय है
। जैस मेर वपछ े 10 वषों ि
े िायािल्प से पययिन िी दृक्टि से ववश्व ि
े मानधचत्र पर छा
गया है।
बाड़मेर
बाड़मेर से गभग 37 कि ोमीिर िी दूरी पर 12 वीिं शताधदी ि
े पुरातत्व महत्व ि
े किरािू
मिंहदर, बाड़मेर शहर से 5 कि ोमीिर दूरी पर महाबार गािंव िी रेत ि
े ऊ
िं चे ऊ
िं चे स्वखणयम
िोंरों एविं ऐततहालसि ग्राम िानाना तथा ता ोतरा से ि
ु छ दूर नािोड़ा जी जैन तीथय स्थ
आहद महत्वपूणय पययिन स्थ है । माचय में यहािं पर थार महोत्सव आयोक्जत किया जाता है।
क्जसमें ोि गीतों एविं ोि ि ािारों िा अद्भुत सिंगम एविं प्रततयोधगताओिं िा आयोजन होता
है ।
इसि
े अततररतत भी िई पययिन स्थ राजस्थान में है क्जनिी वविास से देश ववदेश ि
े
पययििों िो बढ़ावा लम सिता है ।
राजस्थान ि
े प्रलसद्ध कि े हवा मह
• धचत्तौड़गढ़ िा कि ा , धचत्तौड़गढ़
• ि
ुिं भ गढ़ िा कि ा , ि
ुिं भ गढ़
• रणथिंभौर , सवाई मािोपुर
• नाहरगढ़ दुगय ,जयपुर
• तारागढ़ ,अजमेर
• तारागढ़ फोिय ,बूिंदी
• जयगढ़ फोिय, जयपुर
• आमेर फोिय, जयपुर
• सोनार कि ा, जैस मेर
• ा कि ा, अ वर
• ोहागढ़, भरतपुर
• मेहरानगढ़, जोिपुर
• सोजत फोिय , सोजत लसिी
• मह
26
• जय तनवास ेि पै ेस, उदयपुर
• मोती मह ,भरतपुर
• ि
ुिं भा मह , धचत्तौड़गढ़
• पतिनी मह , धचत्तौड़गढ़
• उम्मेद भवन पै ेस , जोिपुर
• लस ीसेढ़ व सररस्िा पै ेस , अ वर
• जूनागढ व ा गढ़ ि
े मह , बीिानेर
• रामबाग पै ेस , जयपुर
• चिंद्र मह अथवा चिंद्र पै ेस, जयपुर
• नागौर पै ेस, नागौर लसिी
• जूना पै ेस, िुिंगरपुर
• जग मिंहदर पै ेस , िोिा
• छत्र मह ,बूिंदी
• लससोहदया रानी मह , जयपुर

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Rajasthan Paryatan.pdf

  • 1. 21 राजस्थान में पययिन वविास राज्य िी अथयव्यवस्था में उसिी भूलमिा भावी सिंभावनाएिं एविं समस्याएिं राजस्थान िा गौरव में अतीत , शौयय , शक्तत और बल दानों िा प्रतीि है। यह अपने अद्भुत प्रािृ तति सौंदयय -उच्च लशल्प ि ा से पररपूणय मिंहदरों , मह ो तथा रिंग-बबरिंगे त्योहारों एविं मे ों ि े िारण देश- ववदेश ि े पययििों ि े आिषयण िा प्रमुख ि ें द्र रहा है । जहािं राजस्थान ि े ि ु छ भागों में घने जिंग ों से ढि े सुरम्य प्रािृ तति स्थान एविं वन्य जीवों ि े सुरक्षा स्थ रणथिंभौर , सररस्िा और जयसमिंद जैसे स्थान है वहािं पुटिर , नाथद्वारा और अजमेर जैसे तीथय स्थ हैं। धचत्तौड़गढ़ जय गढ़, रणथिंभौर तथा आमेर ि े कि े , झी ों िी नगरी उदयपुर और खूबसूरत तनयोक्जत नगर जयपुर से सहसा ही पययििों िो अपनी और आिवषयत िरते हैं । यही िारण है कि भारत में आने वा ा हर तीसरा ववदेशी पययिि राजस्थान जरूर आता है । राजस्थान में पययिन िी ऐततहालसि पृटठभूलम राजस्थान में पययििों िा इततहास िाफी पुराना है । पर ववदेशी पययििों में लसि िं दर ,चीनी यात्री हेनसािंग और फाहृयान भी बैराठ ि े बौद्ध ववहारों िा अव ोिन िरने राजस्थान आए थे। प्रलसद्ध इततहासिार िॉ िायनबी, प्रलसद्ध इिाल यन भाषा शास्त्रीिेशीिेरा मेररया , महारानी एल जाबेथ, वप्रिंस कफल प, रूस ि े राटट्रध्यक्ष श्री खुश्चेव , बु गातनन, अमेररिा ि े भूतपूवय राटट्रपतत िी पत्नी श्रीमती ि े नेिी तथा िई जाने-माने ववदेशी पययिि राजस्थान आते रहते हैं । राजस्थान ि े प्रमुख पययिन स्थान यों तो राजस्थान िी भूलम िा िोना िोना पययििों िो आिवषयत िरता है पर ि ु छ प्रमुख पययिन स्थ ऐसे हैं, जहािं ि ु छ ऐततहालसि, प्रािृ तति और िालमयि ववशेषताएिं हैं, जहािं पययििों िा आिषयण और भी बढ़ जाता है। इन में अग्रल खखत उल् ेखनीय है-
  • 2. 22 अजमेर पुटिर हहिंदू- मुक्स् म तीथों िा सिंगम अजमेर जयपुर से 135 कि ोमीिर दूर अराव ी पवयत िी सुरम्य घािी में बसा शहर है । यहािं ख्वाजा मोइनुद्दीन धचश्ती िी दरगाह है, तारागढ़ िा सशतत दुगय, सोनी जी िी नलसयािं, ढाई हदन िा झोपड़ा, आना सागर झी और प्रलसद्ध हहिंदू तीथय स्थान पुटिर है, जहािं िाततयि पूखणयमा पर ववशा मे ा ववदेशी पययििों िा प्रमुख आिषयण ि ें द्र बन जाता है। अ वर हदल् ी ि े दक्षक्षण में 165 कि ोमीिर तथा जयपुर ि े उत्तर पूवय में 150 कि ोमीिर दूर सुरम्य पहाडड़यों ि े बीच बसा अ वर भी पययििों िा आिषयण ि ें द्र है। यहािं स्थापत्य ि ा ि े उत्िृ टि नमूने सूरज मह , सूरजि ुिं ि, भूसी महारानी िी छतरी , ववनय वव ास मह में क्स्थत अजायबघर प्रमुख है । अ वर से 15 कि ोमीिर दक्षक्षण-पक्श्चम में लस ीसेढ़ िी झी एविं घना जिंग , 35 कि ोमीिर दूर जयपुर मागय पर 40 वगय कि ोमीिर में फ ै ा सररस्िा अभ्यारण शेर -चीतों, सािंभर ,हहरण ,नी गाय और िाइगर प्रोजेति है। ऐततहालसि एविं प्रािृ तति सौंदयय से भरा पूरा पािंिुपो , पािंिवों िा अज्ञातवास , राजा भतृहरर िा समाधि स्थ और नी ि िं ठ महादेव प्रमुख है। भरतपुर -िीग राजस्थान िा पूवी द्वार भरतपुर अपने ऐततहालसि स्थ ों, ि े व ादेव घना अभयारण्य, एि राटट्रीय पाि य पक्षी प्रेलमयों िा स्वगय है। भरतपुर से 35 कि ोमीिर उत्तर में हरे भरे बगीचों, स्थापत्य ि ा ि े उत्िृ टि मह ों िी भव्य इमारतों, ऐततहालसि दुगय और रिंगीन फव्वारों िा आिषयण ि ें द्र िीग है । भरतपुर ि े दक्षक्षण में बयाना ि े ऐततहालसि स्थ तथा रूपवास िी गुततिा ीन ववशा प्रततमाएिं दशयनीय है। बीिानेर यहािं पययििों ि े प्रमुख आिषयण ि ें द्र राजा जयलसिंह द्वारा तनलमयत हुई 37 बुजीय ववशा कि ा और इसमें तनलमयत चिंद्र मह , फ ू मह , िणय मह , शीश मह , छत्तर मह आहद अपनी ववलशटि स्थापत्य ि ा, पेंहििंग एविं दपयण िी अनूठी िारीगरी ि े ल ए प्रलसद्ध हैं। खुदाई ि ा िा उत्िृ टि नमूना ा गढ़ पत्थरों से तनलमयत है । बीिानेर से 26 कि ोमीिर जोिपुर मागय पर िरणी माता िा मिंहदर है। िवप मुतन िा तपोवन िो ायत िा ता ाब भी प्रलसद्ध है । बूिंदी
  • 3. 23 प्रलसद्ध इततहासिार िनय िॉि ने बूिंदी ि े गढ़ एविं महह ाओिं िो सवोत्िृ टि माना है , इसमें छत मह , दीवाने आम और रिंग मह ि े बूिंदी धचत्र शै ी ि े उत्िृ टि नमूने हैं । इसि े अततररतत फ ू सागर ,नव सागर, देवपुर ि े तनिि 84 खिंभों िी छतरी, जैत सागर एविं सुख मह आहद उल् ेखनीय हैं। जयपुर -आमेर राजस्थान िी राजिानी जयपुर गु ाबी नगर ि े नाम से ववश्व प्रलसद्ध है । यह गौरवमय ऐततहालसि तथ्यों, िववयों एविं लशक्ल्पयों और तनयोक्जत नगर होने िा प्रतीि है । इसी िारण सी.वी. रमन ने इसे आइस ैंि ऑफ ग् ोरी िहा है । यहािं िा लसिी पै ेस, हवा मह , जिंतर मिंतर ,अजायबघर ,रामतनवास बाग, लससोहदया रानी िा मह एविं उद्यान ववद्यािर िा बाग, ग ता िा पववत्र ि ुिं ज ,सािंगानेर ि े प्राचीन जैन मिंहदर, नाहरगढ़ िा ववशा दुगय , जयपुर आमेर ि े कि े ि े प्रलसद्ध मह ववदेशी पययििों िो सहसा ही अपनी और आिवषयत िरते हैं । नवतनलमयत बबर ा मिंहदर एविं राजस्थान ववश्वववद्या य देखने योग्य है । उदयपुर प्रािृ तति सौंदयय िा प्रतीि, झी ों िी नगरी ,पययििों िा स्वगय और हरी भरी शाही बगीचों िा शहर उदयपुर ,राजस्थान िा िश्मीर, झी ों िा जादू और वेतनस ऑफ द ईस्ि ि े नाम से प्रलसद्ध है । यहािं पययििों ि े ल ए िई आिषयण ि ें द्र हैं। उदयपुर िा लसिी पै ेस, ेि पै ेस , गाियन पै ेस (जगमिंहदर जग तनवास), वपछो ा तथा फतेहसागर झी ें ,गु ाब बाग एविं सहेल यों िी बाड़ी ,महाराणा प्रताप िा स्मारि, मोती िूिंगरी तथा जगदीश मिंहदर आहद प्रलसद्ध स्थ है । उदयपुर तो पययििों ि े ल ए स्वगय है। उदयपुर सिंभाग ि े और प्रमुख पययिन स्थ िो ि ु रावि ि े पास गािंव जगत में अिंबबिा िा जगत मिंहदर राजस्थान िा खजुराहो है । उदयपुर ि े उत्तर में 48 कि ोमीिर दूर बनास नदी पर वैटणवों िा प्रलसद्ध श्रीनाथ जी िा मिंहदर तथा मेवाड़ ि े महाराणाओिं ि े आराध्य देव एिल िंग जी िा मिंहदर , उदयपुर ि े नाथद्वारा जाते समय बीच में प्रमुख मिंहदर है । लशल्प ि ा ि े अनुपम उदाहरण रणिपुर िा जैन मिंहदर, महाराणा प्रताप और अिबर ि े बीच युद्ध स्थ ी हल्दीघािी और चेति घोड़े िी समाधि नाथद्वारा से 11 कि ोमीिर दूर है। ि ुिं भ गढ़ िा दुगय भी दशयनीय है। धचत्तौड़गढ़ धचत्तौड़गढ़ िा ववश्व -प्रलसद्ध दुगय राजपूतों ि े शौयय , मीरा िी भक्तत और महह ाओिं िी शक्तत एविं बल दान िा प्रतीि है । यह ववशा दुगय 150 मीिर ऊ िं ची पहाड़ी पर 3 मी िंबा
  • 4. 24 और 2 मी चौड़ा फ ै ा हुआ है। दुगय ि े चारों ओर 11. 5 कि ोमीिर िंबाई िा मजबूत एविं ऊ ँ चा परिोिा , प्रवेश ि े साथ बिे द्वारों वा ा सपायिार रास्ता दुगय िी ववशा ता िो दशायते हैं । यहािं ि े ववजय स्तिंभ िीततय स्तिंभ ऐततहालसि गौरव िी महाराणा ि ुिं भा िी मह रानी पतिनी िा ज मह जौहर ि ुिं ि जैन मिंहदर गोमुख भी भीमता मीरा मिंहदर िल िा मिंहदर िाल िा मिंहदर बनवीर िी दीवार नौ खा खजाना और तोपखाना आहद पययिन रुधच ि े स्थ है िोिा चिंब नदी ि े किनारे बसा मध्ययुगीन भव्यता में आिुतनिता जो िी किरण िा सिंगम िोिा हदल् ी मुिंबई मागय पर क्स्थत पययिन ि ें द्र था जा रहा है यहािं राज मह अमर तनवास क्षेत्र तनवास बाग चिंब गाियन भीतररया ि ुिं ि और आिारलश ा ि े अततररतत घर तथा रिंगबाड़ी आहद पययिन भक्तत ि े दशयनीय स्थान है िोिा से 80 कि ोमीिर दूर वविंध्याच ि े स्वर में घािी में िरा गया सेंचुरी अब ी मीणी िा मह भी वहािं दशयनीय है प्रताप सागर बािंि िी ओर जाते समय बािो ी िा लशव मिंहदर स्थापत्य ि ा िा उत्िृ टि नमूना है माउिंि आबू अराव ी पवयत श्रिंख ा िी 1200 मीिर ऊ िं ची चोिी पर क्स्थत यह स्थान राजस्थान िा एिमात्र हह स्िेशन है। राज्य िी सबसे ऊ िं ची चोिी गुरु- लशखर 1727 मीिर ऊ िं ची है । यहाँ दे वाड़ा ि े जैन मिंहदर सिंगमरमर से बने वास्तु ि ा ि े सुिंदर, सुसक्ज्जत एविं उत्िृ टि नमूने हैं । यहािं िी नतखी झी , िोि रॉि ि े म एविं एविं बु रॉि , गौमुख , सन-सेि पॉइिंि और अच गढ़ ि े जैन मिंहदर दशयनीय पययिन स्थ हैं। जोिपुर मरुस्थ ी राजस्थान िा सबसे प्रमुख नगर जोिपुर भी अपने ऐततहालसि गौरव और भव्य मह ों िी वास्तुि ा ि े िारण पययििों िा ि ें द्र बन गया है । यहािं पर दुगय जसविंत थड़ा , उम्मेद भवन, मिंिोर िा उद्यान और बा समिंद झी है । जोिपुर शहर से 65 कि ोमीिर दूर ओलसयािं में आठवीिं शताधदी ि े सूयय मिंहदर और जैन मिंहदर प्रमुख हैं । हरीहर ि े मिंहदर में खजुराहो जैसी आिृ ततयािं लशल्प ि ा िी सजीवता ि े ल ए प्रलसद्ध हैं। जैस मेर 1156 ईस्वी ि े यादव विंश ि े राजा जैस लसिंह द्वारा बसाया गया यह नगर थार मरुस्थ में ि ा एविं प्रािृ तति महत्व िा महत्वपूणय नगर है । यह 85 मीिर ऊ िं ची पहाड़ी पर बना 99 बुजीय दुगय पययििों ि े आिषयण िा महत्वपूणय ि ें द्र है । इसी दुगय में बने मोती मह , रिंग
  • 5. 25 मह , वव ास मह , आहद लशल्प तराशी और धचत्रिारी ि े उत्िृ टि नमूने हैं । जैस मेर ि े प्रलसद्ध सेठो िी पिवों िी हवे ी नाम से जानी जाने वा ी हवे ी में चार हवेल यािं हैं। इन ि े झरोखों, मेहराबों और खखड़कियों िा ि ात्मि लशल्प तराशी ि े बेजोड़ नमूनों ने ववदेशी पययििों िो बहुत आिवषयत किया है । यहािं िा नवतनलमयत राटट्रीय उद्यान भी महत्वपूणय है । जैस मेर वपछ े 10 वषों ि े िायािल्प से पययिन िी दृक्टि से ववश्व ि े मानधचत्र पर छा गया है। बाड़मेर बाड़मेर से गभग 37 कि ोमीिर िी दूरी पर 12 वीिं शताधदी ि े पुरातत्व महत्व ि े किरािू मिंहदर, बाड़मेर शहर से 5 कि ोमीिर दूरी पर महाबार गािंव िी रेत ि े ऊ िं चे ऊ िं चे स्वखणयम िोंरों एविं ऐततहालसि ग्राम िानाना तथा ता ोतरा से ि ु छ दूर नािोड़ा जी जैन तीथय स्थ आहद महत्वपूणय पययिन स्थ है । माचय में यहािं पर थार महोत्सव आयोक्जत किया जाता है। क्जसमें ोि गीतों एविं ोि ि ािारों िा अद्भुत सिंगम एविं प्रततयोधगताओिं िा आयोजन होता है । इसि े अततररतत भी िई पययिन स्थ राजस्थान में है क्जनिी वविास से देश ववदेश ि े पययििों िो बढ़ावा लम सिता है । राजस्थान ि े प्रलसद्ध कि े हवा मह • धचत्तौड़गढ़ िा कि ा , धचत्तौड़गढ़ • ि ुिं भ गढ़ िा कि ा , ि ुिं भ गढ़ • रणथिंभौर , सवाई मािोपुर • नाहरगढ़ दुगय ,जयपुर • तारागढ़ ,अजमेर • तारागढ़ फोिय ,बूिंदी • जयगढ़ फोिय, जयपुर • आमेर फोिय, जयपुर • सोनार कि ा, जैस मेर • ा कि ा, अ वर • ोहागढ़, भरतपुर • मेहरानगढ़, जोिपुर • सोजत फोिय , सोजत लसिी • मह
  • 6. 26 • जय तनवास ेि पै ेस, उदयपुर • मोती मह ,भरतपुर • ि ुिं भा मह , धचत्तौड़गढ़ • पतिनी मह , धचत्तौड़गढ़ • उम्मेद भवन पै ेस , जोिपुर • लस ीसेढ़ व सररस्िा पै ेस , अ वर • जूनागढ व ा गढ़ ि े मह , बीिानेर • रामबाग पै ेस , जयपुर • चिंद्र मह अथवा चिंद्र पै ेस, जयपुर • नागौर पै ेस, नागौर लसिी • जूना पै ेस, िुिंगरपुर • जग मिंहदर पै ेस , िोिा • छत्र मह ,बूिंदी • लससोहदया रानी मह , जयपुर