SlideShare a Scribd company logo
1 of 10
Download to read offline
Downloaded from: justpaste.it/8cyr3
Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi
 
 
हरिवंश राय बच्चन और उनकी कविताएं किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वह उत्तर छायावादी काल के प्रमुख कवियों
में से एक थे। जिनकी कविताओं में एक अलग ही प्रकार की भाषा शैली देखने को मिलती है, जोकि उन्हें हिंदी जगत के
अन्य कवियों से काफी अलग बनाती है।


उनके द्वारा रचित कविताओं ने सदैव ही जन मानस के मन में विश्वास और आशा का संचार किया। जिसके चलते हिंदी
काव्य की दुनिया में हरिवंश राय बच्चन का नाम सदा के लिए अमर हो गया। ऐसे में आज हम उनके द्वारा लिखित कई
लोकप्रिय कविताएं आपके लिए लेकर आए हैं। जोकि आपको अवश्य ही पसंद आएंगी।
विषय सूची
अग्निपथ कविता हिंदी में – Agnipath Poem in Hindi
उपरोक्त कविता हरिवंश राय बच्चन जी की प्रसिद्ध कविताओं में से एक है। जिसमें कवि ने एक व्यक्ति के संघर्षमय जीवन
की व्यथा का वर्णन किया है। उन्होंने मनुष्य के दुर्गम जीवन को ही इसमें ”अग्निपथ” की संज्ञा दी है। साथ ही अपनी इस
कविता के माध्यम से उन्होंने व्यक्ति को नित्य कर्म कर फल की इच्छा रखने का संदेश भी दिया है। जोकि इस प्रकार से है-
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,


एक पत्र छांह भी,


मांग मत, मांग मत, मांग मत,


अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।


तू न थके गा कभी,


तू न रुके गा कभी,


तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,


अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।


यह महान दृश्य है,


चल रहा मनुष्य है,


अश्रु श्वेत रक्त से,


लथपथ लथपथ लथपथ,


अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।
मधुशाला कविता हिंदी में – Madhushala poem in Hindi
साल 1935 में हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखित “मधुशाला” उनकी सर्वोत्तम कृ तियों में से एक है। जोकि उनकी अन्य
रचनाओं मधुबाला और मधुकलश का ही एक हिस्सा है। इसमें बच्चन साहब ने शराब और मदिरालय की सहायता से
मनुष्य जीवन की कठिनाइयों का तार्किक रूप से विश्लेषण किया है।


इसलिए इसे 20वीं सदी की सर्वश्रेष्ठ कविता कहा जाता है। बच्चन साहब की इस कविता के काफी सारे भाग हैं। जिनमें से
कु छ पंक्तियां निम्न प्रकार से है-
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,


प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊं गा प्याला,


पहले भोग लगा लूं तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,


सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुबाला।


प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूंगा हाला,


एक पांव से साकी बनकर नाचूंगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूंगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।
प्रियतम, तू मेरी हाला है, में तेरा प्यासा प्याला,


अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला,


मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता,


एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला।
भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला,


कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला,


कभी न कण भर खाली होगा लाख पिएं, दो लाख पिएं,
पाठकगण हैं पीने वाले, पुस्तक मेरी मधुशाला।
मधुर भावनाओं की सुमधुर नित्य बनाता हूं हाला,


भरता हूं इस मधु से अपने अंतर का प्यासा प्याला,


उठा कल्पना के हाथों से स्वयं उसे पी जाता हूं,


अपने ही में हूं मैं साकी, पीने वाला, मधुशाला।
मदिरालय जाने को घर से


चलता है पीने वाला,


किस पथ से जाऊं ?
असमंजस में है वह भोलाभाला


अलग अलग पथ बतलाते सब


पर मैं यह बतलाता हूं


राह पकड़ तू एक चला चल


पा जाएगा मधुशाला।
चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला।


दूर अभी है पर कहता है हर पथ बताने वाला,


हिम्मत है न बढूं आगे को साहस है ना फिरू पीछे,
किंं कर्तव्यविमूढ़ मुझे कर दूर खड़ी है मधुशाला।
मुख से तू अवतरित कहता जा मधु, मदिरा, मादक हाला,


हाथों में अनुभव करता जा एक ललित कल्पित प्याला,


ध्यान किए जा मन में सुमधुर सुखकर, सुंदर साकी का,


और बढ़ा चल, पथिक, न तुझको दूर लगेगी मधुशाला।
मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला,


अधरों की आतुरता में ही जब आभासित हो प्याला,


बने ध्यान ही करते करते जब साकी साकार, सखे,
रहे न हाला, प्याला, साकी, तुझे मिलेगी मधुशाला।
सुन, कलकल, छलछल मधुघट से गिरती प्यालों का हाला,
सुन, रुनझुन, रुनझुन चल वितरण करती मधु साकीबाला,


बस आ पहुंचे, दूर नहीं कु छ, चार कदम अब चलना है,


चहक रहे, सुन, पीने वाले, महक रही, ले, मधुशाला।
जल तरंग बजता, जब चुंबन करता प्याले को प्याला,


वीणा झंकृ त होती, चलती जब रुनझुन साकीबाला,


डांट डपट मधु व्रिके ता की ध्वनित पखावज करती है,


मधुरव से मधु की मादकता और बढ़ाती मधुशाला।
मेंहदी रंजित मृदुल हथेली पर माणिक मधु का प्याला,
अंगूरी अवगुंठन डाले स्वर्ण वर्ण साकीबाला,


पाग बैंजनी, जामा नीला डाट डटे पीने वाले,


इंद्र धनुष से होड़ लगाती आज रंगीली मधुशाला।
हाथों में आने से पहले नाज दिखाएगा प्याला,


अधरों पर आने से पहले अदा दिखाएगी हाला,


बहुतेरे इनकार करेगा साकी आने से पहले,


पथिक, न घबरा जाना, पहले मान करेगी मधुबाला।
विश्व तुम्हारे विषमय जीवन में ला पाएगी हाला,
यदि थोड़ी सी भी यह मेरी मदमाती साकीबाला,


शून्य तुम्हारी घड़ियां कु छ भी यदि यह गुंजित कर पाई,


जन्म सफल समझेगी जग में अपना मेरी मधुशाला।
बड़े बड़े नाजों से मैंने पाली है साकीबाला,


किलत कल्पना का ही इसने सदा उठाया है प्याला,


मान दुलारों से ही रखना इस मेरी सुकु मारी को,


विश्व, तुम्हारे हाथों में अब सौंप रहा हूं मधुशाला।।
देशभक्ति कविताएं – Deshbhakti Poem in Hindi by Harivansh ray
bacchan
चल मरदाने Chal Mardane Poem by Harivansh Rai Bachchan in Hindi
चल मरदाने, सीना ताने,


हाथ हिलाते, पांव बढ़ाते,


मन मुस्काते, गाते गीत।
एक हमारा देश, हमारा
वेश, हमारी कौम, हमारी


मंजिल, हम किससे भयभीत।
चल मरदाने, सीना ताने,


हाथ हिलाते, पांव बढ़ाते,


मन मुस्काते, गाते गीत।
हम भारत की अमर जवानी,


सागर की लहरें लासानी,
गंग जमुन के निर्मल पानी,
हिमगिरि की ऊं ची परेशानी


सबके प्रेरक, रक्षक, मीत।
चल मरदाने, सीना ताने,


हाथ हिलाते, पांव बढ़ाते,


मन मुस्काते, गाते गीत।
जग के पथ पर जो न रुके गा,


जो न झुके गा, जो न मुड़ेगा,


उसका जीवन, उसकी जीत।
चल मरदाने, सीना ताने,


हाथ हिलाते, पांव बढ़ाते,


मन मुस्काते, गाते गीत।
आजादों का गीत – Azadon ka geet by Harivansh Rai Bachchan in Hindi
हम ऐसे आजाद, हमारा


झंडा है बादल!
चांदी, सोने, हीरे, मोती


से सजती गुड़िया,


इनसे आतंकित करने की बीत गई घड़ियां,
इनसे सज धज बैठा करते


जो, हैं कठपुतले।


हमने तोड़ अभी फें की हैं,


बेड़ी हथकड़ियां।
परंपरा पुरखों की हमने


जाग्रत की फिर से,
उठा शीश पर हमने रखा
हिम किरीट उज्जवल!


हम ऐसे आजाद, हमारा


झंडा है बादल!
चांदी, सोने, हीरे, मोती


से सजवा छाते,


जो अपने सिर पर तनवाते,


थे, अब शरमाते,
फू ल कली बरसाने वाली
दूर गई दुनिया,


व्रजों के वाहन अंबर में,


निर्भय घहराते,
इंद्रायुध भी एक बार जो


हिम्मत से औड़े,


छत्र हमारा निर्मित करते


साठ कोटि करतल।


हम ऐसे आजाद, हमारा
झंडा है बादल!
चांदी, सोने, हीरे, मोती


का हाथों में दंड,


चिह्न कभी का अधिकारों का


अब के वल पाखंड,
समझ गई अब सारी जगती


क्या सिंगार, क्या सत्य,


कर्मठ हाथों के अंदर ही
बसता तेज प्रचंड,
जिधर उठेगा महा सृष्टि


होगी या महा प्रलय


विकल हमारे राज दंड में


साठ कोटि भुजबल!


हम ऐसे आजाद, हमारा


झंडा है बदला!
भारत मां की जय बोलो – Bharat Maa ki Jay Bolo
इन जंजीरों की चर्चा में कितनों ने निज हाथ बंधाएं,
कितनों ने इनको छूने के कारण कारागार बसाए,


इन्हें पकड़ने में कितनों ने लाठी खाई, कोड़े ओड़े,


और इन्हें झटके देने में कितनों ने निज प्राण गवाएं,


किंतु शहीदों को आहों से शापित लोहा, कच्चा धागा।


एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
जय बोलो उस धीर व्रती की जिसमें सोता देश जगाया,


जिसने मिट्टी के पुतलों को वीरों का बाना पहनाया,


जिसने आजादी लेने की एक निराली राह निकाली,
और स्वामी उसपर चलने में जिसने अपना शीश चढ़ाया,


घृणा मिटाने को दुनिया से लिखा लहू से जिसने अपने,


जोकि तुम्हारे हित विष घोले, तुम उसके अमृत घोलो।


एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
कठिन नही होता है बाहर की बाधा को दूर भगाना,


कठिन नहीं होता है बाहर के बंधन को काट हटाना,


गैरों से कहना क्या मुश्किल अपने घर की राह सिधारें,


किंतु नहीं पहचाना जाता अपनों में बैठा बेगना,
बाहर जब बेड़ी पड़ती है भीतर भी गांठे लग जाती,


बाहर के सब बंधन टूटे, भीतर के अब बंधन खोलो।


एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
कटीं बेड़ियां और हथकड़ियां हर्ष मनाओ मंगल गाओ,


किंतु यहां पर लक्ष्य नहीं है, आगे पथ पर पांव बढ़ाओ,


आजादी वह मूर्ति नहीं है जो बैठी रहती मंदिर में,
उसकी पूजा करनी है तो नक्षत्रों से होड़ लगाओ।


हल्का फू ल नहीं आजादी का, वह है भारी जिम्मेदारी,
उसे उठाने को कं धों के , भुजदंडों के , बल का तोलो,


और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
राष्ट्रीय ध्वज – Rashtriya Dhwaj Poem in Hindi
नागाधिराज श्रृंग पर खड़ी हुई,


समुद्र की तरंग पर अड़ी हुई,


स्वदेश में जगह जगह गडी हुई,


अटल ध्वजा हरी, सफे द के सरी।
न साम दाम के समक्ष यह रुकी,
न द्वंद भेद के समक्ष यह झुकी,


सगर्व आस शत्रु शीश पर ठूकी,


निडर ध्वजा हरी, सफे द के सरी।
चलो उसे सलाम आज सब करें,


चलो उसे प्रणाम आज सब करें,


अजर सदा इसे लिए हुए जिएं,


अमर सदा इसे लिए हुए मरें,
अजय ध्वजा हरी, सफे द के सरी।
शहीदों की याद में – Shahidon ki yaad main poem
सुदूर शुभ्र स्वप्न सत्य आज है,।स्वदेश आज पा गया स्वराज है,


महा कृ तघ्न हम बिसार दें अगर


कि मोल कौन आज का गया चुका।
गिरा कि गर्व देश का तना रहे,


मरा कि मान देश का बना रहे,


जिसे ख्याल था कि सर कटे मगर


उसे न शत्रु पांव में सके झुका।
रुको प्रणाम इस जमीन को करो,


रुको सलाम इस जमीन को करो,


समस्त धर्म तीर्थ इस जमीन पर


गिरा यहां लहू किसी शहीद का।
मां पर हिंदी में कविता – Hindi Poem on Mother by Harivansh rai
bachchan
शहीद की मां – Shahid ki Maa
इसी घर से एक दिन


शहीद का जनाजा निकला था,


तिरंगे में लिपटा,


हजारों की भीड़ में।


कांधा देने की होड़ में
सैकड़ों के कु र्ते फटे थे,
पुठ्ठे छिले थे।
भारत माता की जय,


इंकलाब जिंदाबाद,


अंग्रेजी सरकार मुर्दाबाद


के नारों में शहीद की मां का रोदन डूब गया था।
उसके आंसुओं की लड़ी


फू ल, खील, बताशों की झडी में छिप गई थी,


जनता चिल्लाई थी,
तेरा नाम सोने के अक्षरों में लिखा जाएगा।


गली किसी गर्व से दिप गई थी।
इसी घर से तीस बरस बाद


शहीद की मां का जनाजा निकला है,


तिरंगे में लिपटा नहीं,


के वल चार कांधों पर


राम नाम सत्य है


गोपाल नाम सत्य है
के पुराने नारों पर


चर्चा है, बुढिया बेसहारा थी,


जीवन के कष्टों से मुक्त हुई,


गली किसी राहत से छुई छुई।
मां पर कविता – Poem on Mother in Hindi by Harivansh Rai
Bachchan)
आज मेरा फिर से मुस्कु राने का मन किया।


मां की ऊं गली पकड़कर घूमने जाने का मन किया।
उंगलियां पकड़कर मां ने मुझे चलना सिखाया है।


खुद गीले में सोकर मां ने मुझे सूखे बिस्तर पे सुलाया है।
मां की गोद में सोने को फिर से जी चाहता है।


हाथों से मां के खाना खाने का जी चाहता है।
लगाकर सीने से मां ने मेरी मुझको दूध पिलाया है।


रोने और चिल्लाने पर बड़े प्यार से चुप कराया है।
मेरी तकलीफ में मुझसे ज्यादा मेरी मां ही रोई है।
खिला पिला के मुझको मां मेरी, कभी भूखे पेट भी सोई है।
कभी खिलौनों से खिलाया है, कभी आंचल में छुपाया है।


गलतियां करने पर भी मां ने मुझे हमेशा प्यार से समझाया है।
मां के चरणों में मुझको जन्नत नजर आती है।


लेकिन मां मेरी मुझको हमेशा अपने सीने से लगाती है।
 

More Related Content

Similar to Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi

Shivna sahityiki jult september 2021
Shivna sahityiki jult september 2021Shivna sahityiki jult september 2021
Shivna sahityiki jult september 2021Shivna Prakashan
 
भारतनन्दन विवेकानन्द
भारतनन्दन विवेकानन्दभारतनन्दन विवेकानन्द
भारतनन्दन विवेकानन्दVanita Thakkar
 
Shivna sahityiki january march 2022
Shivna sahityiki january march 2022Shivna sahityiki january march 2022
Shivna sahityiki january march 2022Shivna Prakashan
 
Jap mahima
Jap mahimaJap mahima
Jap mahimagurusewa
 
Maha Shivratri Prabhat Khabar Full Page Sewa 12 Feb 2018
Maha Shivratri Prabhat Khabar Full Page Sewa 12 Feb 2018Maha Shivratri Prabhat Khabar Full Page Sewa 12 Feb 2018
Maha Shivratri Prabhat Khabar Full Page Sewa 12 Feb 2018R K Gupta
 
SHIVNA SAHITYIKI JANUARY- MARCH 2024.pdf
SHIVNA SAHITYIKI JANUARY- MARCH 2024.pdfSHIVNA SAHITYIKI JANUARY- MARCH 2024.pdf
SHIVNA SAHITYIKI JANUARY- MARCH 2024.pdfShivna Prakashan
 
हिंदी परियोजना कार्य
हिंदी परियोजना कार्यहिंदी परियोजना कार्य
हिंदी परियोजना कार्यkaran saini
 
Poetryhuts poem in hindi063722
Poetryhuts poem in hindi063722Poetryhuts poem in hindi063722
Poetryhuts poem in hindi063722NeerajSingh731
 
Bacchey kaam par ja rahe hain by Rajesh joshi
Bacchey kaam par ja rahe hain by Rajesh joshi Bacchey kaam par ja rahe hain by Rajesh joshi
Bacchey kaam par ja rahe hain by Rajesh joshi Purav77
 
udaipur rajasthan
udaipur rajasthan udaipur rajasthan
udaipur rajasthan Abvp2
 
ek kutta or ek maina
ek kutta or ek mainaek kutta or ek maina
ek kutta or ek mainaPurav77
 
Lok kala लोक कला.pptx
Lok kala लोक कला.pptxLok kala लोक कला.pptx
Lok kala लोक कला.pptxNamitaSahare
 
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdf
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdfहोली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdf
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdfzoopindiaa
 
Gyani ki gat gyani jane...
Gyani ki gat gyani jane...Gyani ki gat gyani jane...
Gyani ki gat gyani jane...Alliswell Fine
 

Similar to Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi (20)

Shivna sahityiki jult september 2021
Shivna sahityiki jult september 2021Shivna sahityiki jult september 2021
Shivna sahityiki jult september 2021
 
भारतनन्दन विवेकानन्द
भारतनन्दन विवेकानन्दभारतनन्दन विवेकानन्द
भारतनन्दन विवेकानन्द
 
Shivna sahityiki january march 2022
Shivna sahityiki january march 2022Shivna sahityiki january march 2022
Shivna sahityiki january march 2022
 
bhagwannamjapmahima
bhagwannamjapmahimabhagwannamjapmahima
bhagwannamjapmahima
 
Jap mahima
Jap mahimaJap mahima
Jap mahima
 
Maha Shivratri Prabhat Khabar Full Page Sewa 12 Feb 2018
Maha Shivratri Prabhat Khabar Full Page Sewa 12 Feb 2018Maha Shivratri Prabhat Khabar Full Page Sewa 12 Feb 2018
Maha Shivratri Prabhat Khabar Full Page Sewa 12 Feb 2018
 
SHIVNA SAHITYIKI JANUARY- MARCH 2024.pdf
SHIVNA SAHITYIKI JANUARY- MARCH 2024.pdfSHIVNA SAHITYIKI JANUARY- MARCH 2024.pdf
SHIVNA SAHITYIKI JANUARY- MARCH 2024.pdf
 
हिंदी परियोजना कार्य
हिंदी परियोजना कार्यहिंदी परियोजना कार्य
हिंदी परियोजना कार्य
 
Wo 49 din
Wo 49 dinWo 49 din
Wo 49 din
 
Poetryhuts poem in hindi063722
Poetryhuts poem in hindi063722Poetryhuts poem in hindi063722
Poetryhuts poem in hindi063722
 
Bacchey kaam par ja rahe hain by Rajesh joshi
Bacchey kaam par ja rahe hain by Rajesh joshi Bacchey kaam par ja rahe hain by Rajesh joshi
Bacchey kaam par ja rahe hain by Rajesh joshi
 
KochaisaMonology.pdf
KochaisaMonology.pdfKochaisaMonology.pdf
KochaisaMonology.pdf
 
udaipur rajasthan
udaipur rajasthan udaipur rajasthan
udaipur rajasthan
 
ek kutta or ek maina
ek kutta or ek mainaek kutta or ek maina
ek kutta or ek maina
 
Lok kala लोक कला.pptx
Lok kala लोक कला.pptxLok kala लोक कला.pptx
Lok kala लोक कला.pptx
 
FINAL POEM.pdf
FINAL POEM.pdfFINAL POEM.pdf
FINAL POEM.pdf
 
mahadevi verma
mahadevi vermamahadevi verma
mahadevi verma
 
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdf
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdfहोली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdf
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdf
 
Kabirdas
KabirdasKabirdas
Kabirdas
 
Gyani ki gat gyani jane...
Gyani ki gat gyani jane...Gyani ki gat gyani jane...
Gyani ki gat gyani jane...
 

More from AmanBalodi

Bhishma Pitamah in Mahabharat
Bhishma Pitamah in MahabharatBhishma Pitamah in Mahabharat
Bhishma Pitamah in MahabharatAmanBalodi
 
B R Ambedkar Motivational Story in Hindi
B R Ambedkar Motivational Story in HindiB R Ambedkar Motivational Story in Hindi
B R Ambedkar Motivational Story in HindiAmanBalodi
 
Sadhguru Quotes in Hindi | Gurukul99
Sadhguru Quotes in Hindi | Gurukul99Sadhguru Quotes in Hindi | Gurukul99
Sadhguru Quotes in Hindi | Gurukul99AmanBalodi
 
Sarvepalli Radhakrishnan ki Jivani
Sarvepalli Radhakrishnan ki JivaniSarvepalli Radhakrishnan ki Jivani
Sarvepalli Radhakrishnan ki JivaniAmanBalodi
 
Unemployment Essay in Hindi
Unemployment Essay in HindiUnemployment Essay in Hindi
Unemployment Essay in HindiAmanBalodi
 
Jack ma Biography in Hindi
Jack ma Biography in HindiJack ma Biography in Hindi
Jack ma Biography in HindiAmanBalodi
 
Netaji Subhash Chandra Bose
Netaji Subhash Chandra BoseNetaji Subhash Chandra Bose
Netaji Subhash Chandra BoseAmanBalodi
 
Savitribai Phule Biography in Hindi
Savitribai Phule Biography in Hindi Savitribai Phule Biography in Hindi
Savitribai Phule Biography in Hindi AmanBalodi
 
Anmol vachan in hindi
Anmol vachan in hindiAnmol vachan in hindi
Anmol vachan in hindiAmanBalodi
 
Nick Vujicic Motivational Story
Nick Vujicic Motivational StoryNick Vujicic Motivational Story
Nick Vujicic Motivational StoryAmanBalodi
 
Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani
Sardar Vallabhbhai Patel ki JivaniSardar Vallabhbhai Patel ki Jivani
Sardar Vallabhbhai Patel ki JivaniAmanBalodi
 
Lokoktiyan in Hindi
Lokoktiyan in Hindi Lokoktiyan in Hindi
Lokoktiyan in Hindi AmanBalodi
 

More from AmanBalodi (13)

Bhishma Pitamah in Mahabharat
Bhishma Pitamah in MahabharatBhishma Pitamah in Mahabharat
Bhishma Pitamah in Mahabharat
 
B R Ambedkar Motivational Story in Hindi
B R Ambedkar Motivational Story in HindiB R Ambedkar Motivational Story in Hindi
B R Ambedkar Motivational Story in Hindi
 
Sadhguru Quotes in Hindi | Gurukul99
Sadhguru Quotes in Hindi | Gurukul99Sadhguru Quotes in Hindi | Gurukul99
Sadhguru Quotes in Hindi | Gurukul99
 
Sarvepalli Radhakrishnan ki Jivani
Sarvepalli Radhakrishnan ki JivaniSarvepalli Radhakrishnan ki Jivani
Sarvepalli Radhakrishnan ki Jivani
 
Unemployment Essay in Hindi
Unemployment Essay in HindiUnemployment Essay in Hindi
Unemployment Essay in Hindi
 
Jack ma Biography in Hindi
Jack ma Biography in HindiJack ma Biography in Hindi
Jack ma Biography in Hindi
 
Netaji Subhash Chandra Bose
Netaji Subhash Chandra BoseNetaji Subhash Chandra Bose
Netaji Subhash Chandra Bose
 
Savitribai Phule Biography in Hindi
Savitribai Phule Biography in Hindi Savitribai Phule Biography in Hindi
Savitribai Phule Biography in Hindi
 
Anmol vachan in hindi
Anmol vachan in hindiAnmol vachan in hindi
Anmol vachan in hindi
 
Nick Vujicic Motivational Story
Nick Vujicic Motivational StoryNick Vujicic Motivational Story
Nick Vujicic Motivational Story
 
Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani
Sardar Vallabhbhai Patel ki JivaniSardar Vallabhbhai Patel ki Jivani
Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani
 
Lokoktiyan in Hindi
Lokoktiyan in Hindi Lokoktiyan in Hindi
Lokoktiyan in Hindi
 
Seo kya h pdf
Seo kya h pdfSeo kya h pdf
Seo kya h pdf
 

Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi

  • 1. Downloaded from: justpaste.it/8cyr3 Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi     हरिवंश राय बच्चन और उनकी कविताएं किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वह उत्तर छायावादी काल के प्रमुख कवियों में से एक थे। जिनकी कविताओं में एक अलग ही प्रकार की भाषा शैली देखने को मिलती है, जोकि उन्हें हिंदी जगत के अन्य कवियों से काफी अलग बनाती है। उनके द्वारा रचित कविताओं ने सदैव ही जन मानस के मन में विश्वास और आशा का संचार किया। जिसके चलते हिंदी काव्य की दुनिया में हरिवंश राय बच्चन का नाम सदा के लिए अमर हो गया। ऐसे में आज हम उनके द्वारा लिखित कई लोकप्रिय कविताएं आपके लिए लेकर आए हैं। जोकि आपको अवश्य ही पसंद आएंगी। विषय सूची अग्निपथ कविता हिंदी में – Agnipath Poem in Hindi उपरोक्त कविता हरिवंश राय बच्चन जी की प्रसिद्ध कविताओं में से एक है। जिसमें कवि ने एक व्यक्ति के संघर्षमय जीवन की व्यथा का वर्णन किया है। उन्होंने मनुष्य के दुर्गम जीवन को ही इसमें ”अग्निपथ” की संज्ञा दी है। साथ ही अपनी इस कविता के माध्यम से उन्होंने व्यक्ति को नित्य कर्म कर फल की इच्छा रखने का संदेश भी दिया है। जोकि इस प्रकार से है-
  • 2. वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, एक पत्र छांह भी, मांग मत, मांग मत, मांग मत, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ। तू न थके गा कभी, तू न रुके गा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ। यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है, अश्रु श्वेत रक्त से, लथपथ लथपथ लथपथ, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ। मधुशाला कविता हिंदी में – Madhushala poem in Hindi साल 1935 में हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखित “मधुशाला” उनकी सर्वोत्तम कृ तियों में से एक है। जोकि उनकी अन्य रचनाओं मधुबाला और मधुकलश का ही एक हिस्सा है। इसमें बच्चन साहब ने शराब और मदिरालय की सहायता से मनुष्य जीवन की कठिनाइयों का तार्किक रूप से विश्लेषण किया है। इसलिए इसे 20वीं सदी की सर्वश्रेष्ठ कविता कहा जाता है। बच्चन साहब की इस कविता के काफी सारे भाग हैं। जिनमें से कु छ पंक्तियां निम्न प्रकार से है- मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊं गा प्याला, पहले भोग लगा लूं तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुबाला। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूंगा हाला, एक पांव से साकी बनकर नाचूंगा लेकर प्याला,
  • 3. जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका, आज निछावर कर दूंगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला। प्रियतम, तू मेरी हाला है, में तेरा प्यासा प्याला, अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला, मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता, एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला। भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला, कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला, कभी न कण भर खाली होगा लाख पिएं, दो लाख पिएं, पाठकगण हैं पीने वाले, पुस्तक मेरी मधुशाला। मधुर भावनाओं की सुमधुर नित्य बनाता हूं हाला, भरता हूं इस मधु से अपने अंतर का प्यासा प्याला, उठा कल्पना के हाथों से स्वयं उसे पी जाता हूं, अपने ही में हूं मैं साकी, पीने वाला, मधुशाला। मदिरालय जाने को घर से चलता है पीने वाला, किस पथ से जाऊं ? असमंजस में है वह भोलाभाला अलग अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूं राह पकड़ तू एक चला चल पा जाएगा मधुशाला। चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला। दूर अभी है पर कहता है हर पथ बताने वाला, हिम्मत है न बढूं आगे को साहस है ना फिरू पीछे, किंं कर्तव्यविमूढ़ मुझे कर दूर खड़ी है मधुशाला। मुख से तू अवतरित कहता जा मधु, मदिरा, मादक हाला, हाथों में अनुभव करता जा एक ललित कल्पित प्याला, ध्यान किए जा मन में सुमधुर सुखकर, सुंदर साकी का, और बढ़ा चल, पथिक, न तुझको दूर लगेगी मधुशाला। मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला, अधरों की आतुरता में ही जब आभासित हो प्याला, बने ध्यान ही करते करते जब साकी साकार, सखे, रहे न हाला, प्याला, साकी, तुझे मिलेगी मधुशाला।
  • 4. सुन, कलकल, छलछल मधुघट से गिरती प्यालों का हाला, सुन, रुनझुन, रुनझुन चल वितरण करती मधु साकीबाला, बस आ पहुंचे, दूर नहीं कु छ, चार कदम अब चलना है, चहक रहे, सुन, पीने वाले, महक रही, ले, मधुशाला। जल तरंग बजता, जब चुंबन करता प्याले को प्याला, वीणा झंकृ त होती, चलती जब रुनझुन साकीबाला, डांट डपट मधु व्रिके ता की ध्वनित पखावज करती है, मधुरव से मधु की मादकता और बढ़ाती मधुशाला। मेंहदी रंजित मृदुल हथेली पर माणिक मधु का प्याला, अंगूरी अवगुंठन डाले स्वर्ण वर्ण साकीबाला, पाग बैंजनी, जामा नीला डाट डटे पीने वाले, इंद्र धनुष से होड़ लगाती आज रंगीली मधुशाला। हाथों में आने से पहले नाज दिखाएगा प्याला, अधरों पर आने से पहले अदा दिखाएगी हाला, बहुतेरे इनकार करेगा साकी आने से पहले, पथिक, न घबरा जाना, पहले मान करेगी मधुबाला। विश्व तुम्हारे विषमय जीवन में ला पाएगी हाला, यदि थोड़ी सी भी यह मेरी मदमाती साकीबाला, शून्य तुम्हारी घड़ियां कु छ भी यदि यह गुंजित कर पाई, जन्म सफल समझेगी जग में अपना मेरी मधुशाला। बड़े बड़े नाजों से मैंने पाली है साकीबाला, किलत कल्पना का ही इसने सदा उठाया है प्याला, मान दुलारों से ही रखना इस मेरी सुकु मारी को, विश्व, तुम्हारे हाथों में अब सौंप रहा हूं मधुशाला।। देशभक्ति कविताएं – Deshbhakti Poem in Hindi by Harivansh ray bacchan चल मरदाने Chal Mardane Poem by Harivansh Rai Bachchan in Hindi चल मरदाने, सीना ताने, हाथ हिलाते, पांव बढ़ाते, मन मुस्काते, गाते गीत।
  • 5. एक हमारा देश, हमारा वेश, हमारी कौम, हमारी मंजिल, हम किससे भयभीत। चल मरदाने, सीना ताने, हाथ हिलाते, पांव बढ़ाते, मन मुस्काते, गाते गीत। हम भारत की अमर जवानी, सागर की लहरें लासानी, गंग जमुन के निर्मल पानी, हिमगिरि की ऊं ची परेशानी सबके प्रेरक, रक्षक, मीत। चल मरदाने, सीना ताने, हाथ हिलाते, पांव बढ़ाते, मन मुस्काते, गाते गीत। जग के पथ पर जो न रुके गा, जो न झुके गा, जो न मुड़ेगा, उसका जीवन, उसकी जीत। चल मरदाने, सीना ताने, हाथ हिलाते, पांव बढ़ाते, मन मुस्काते, गाते गीत। आजादों का गीत – Azadon ka geet by Harivansh Rai Bachchan in Hindi हम ऐसे आजाद, हमारा झंडा है बादल! चांदी, सोने, हीरे, मोती से सजती गुड़िया, इनसे आतंकित करने की बीत गई घड़ियां, इनसे सज धज बैठा करते जो, हैं कठपुतले। हमने तोड़ अभी फें की हैं, बेड़ी हथकड़ियां। परंपरा पुरखों की हमने जाग्रत की फिर से,
  • 6. उठा शीश पर हमने रखा हिम किरीट उज्जवल! हम ऐसे आजाद, हमारा झंडा है बादल! चांदी, सोने, हीरे, मोती से सजवा छाते, जो अपने सिर पर तनवाते, थे, अब शरमाते, फू ल कली बरसाने वाली दूर गई दुनिया, व्रजों के वाहन अंबर में, निर्भय घहराते, इंद्रायुध भी एक बार जो हिम्मत से औड़े, छत्र हमारा निर्मित करते साठ कोटि करतल। हम ऐसे आजाद, हमारा झंडा है बादल! चांदी, सोने, हीरे, मोती का हाथों में दंड, चिह्न कभी का अधिकारों का अब के वल पाखंड, समझ गई अब सारी जगती क्या सिंगार, क्या सत्य, कर्मठ हाथों के अंदर ही बसता तेज प्रचंड, जिधर उठेगा महा सृष्टि होगी या महा प्रलय विकल हमारे राज दंड में साठ कोटि भुजबल! हम ऐसे आजाद, हमारा झंडा है बदला! भारत मां की जय बोलो – Bharat Maa ki Jay Bolo
  • 7. इन जंजीरों की चर्चा में कितनों ने निज हाथ बंधाएं, कितनों ने इनको छूने के कारण कारागार बसाए, इन्हें पकड़ने में कितनों ने लाठी खाई, कोड़े ओड़े, और इन्हें झटके देने में कितनों ने निज प्राण गवाएं, किंतु शहीदों को आहों से शापित लोहा, कच्चा धागा। एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो। जय बोलो उस धीर व्रती की जिसमें सोता देश जगाया, जिसने मिट्टी के पुतलों को वीरों का बाना पहनाया, जिसने आजादी लेने की एक निराली राह निकाली, और स्वामी उसपर चलने में जिसने अपना शीश चढ़ाया, घृणा मिटाने को दुनिया से लिखा लहू से जिसने अपने, जोकि तुम्हारे हित विष घोले, तुम उसके अमृत घोलो। एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो। कठिन नही होता है बाहर की बाधा को दूर भगाना, कठिन नहीं होता है बाहर के बंधन को काट हटाना, गैरों से कहना क्या मुश्किल अपने घर की राह सिधारें, किंतु नहीं पहचाना जाता अपनों में बैठा बेगना, बाहर जब बेड़ी पड़ती है भीतर भी गांठे लग जाती, बाहर के सब बंधन टूटे, भीतर के अब बंधन खोलो। एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो। कटीं बेड़ियां और हथकड़ियां हर्ष मनाओ मंगल गाओ, किंतु यहां पर लक्ष्य नहीं है, आगे पथ पर पांव बढ़ाओ, आजादी वह मूर्ति नहीं है जो बैठी रहती मंदिर में, उसकी पूजा करनी है तो नक्षत्रों से होड़ लगाओ। हल्का फू ल नहीं आजादी का, वह है भारी जिम्मेदारी, उसे उठाने को कं धों के , भुजदंडों के , बल का तोलो, और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो। राष्ट्रीय ध्वज – Rashtriya Dhwaj Poem in Hindi नागाधिराज श्रृंग पर खड़ी हुई, समुद्र की तरंग पर अड़ी हुई, स्वदेश में जगह जगह गडी हुई, अटल ध्वजा हरी, सफे द के सरी।
  • 8. न साम दाम के समक्ष यह रुकी, न द्वंद भेद के समक्ष यह झुकी, सगर्व आस शत्रु शीश पर ठूकी, निडर ध्वजा हरी, सफे द के सरी। चलो उसे सलाम आज सब करें, चलो उसे प्रणाम आज सब करें, अजर सदा इसे लिए हुए जिएं, अमर सदा इसे लिए हुए मरें, अजय ध्वजा हरी, सफे द के सरी। शहीदों की याद में – Shahidon ki yaad main poem सुदूर शुभ्र स्वप्न सत्य आज है,।स्वदेश आज पा गया स्वराज है, महा कृ तघ्न हम बिसार दें अगर कि मोल कौन आज का गया चुका। गिरा कि गर्व देश का तना रहे, मरा कि मान देश का बना रहे, जिसे ख्याल था कि सर कटे मगर उसे न शत्रु पांव में सके झुका। रुको प्रणाम इस जमीन को करो, रुको सलाम इस जमीन को करो, समस्त धर्म तीर्थ इस जमीन पर गिरा यहां लहू किसी शहीद का। मां पर हिंदी में कविता – Hindi Poem on Mother by Harivansh rai bachchan शहीद की मां – Shahid ki Maa इसी घर से एक दिन शहीद का जनाजा निकला था, तिरंगे में लिपटा, हजारों की भीड़ में। कांधा देने की होड़ में
  • 9. सैकड़ों के कु र्ते फटे थे, पुठ्ठे छिले थे। भारत माता की जय, इंकलाब जिंदाबाद, अंग्रेजी सरकार मुर्दाबाद के नारों में शहीद की मां का रोदन डूब गया था। उसके आंसुओं की लड़ी फू ल, खील, बताशों की झडी में छिप गई थी, जनता चिल्लाई थी, तेरा नाम सोने के अक्षरों में लिखा जाएगा। गली किसी गर्व से दिप गई थी। इसी घर से तीस बरस बाद शहीद की मां का जनाजा निकला है, तिरंगे में लिपटा नहीं, के वल चार कांधों पर राम नाम सत्य है गोपाल नाम सत्य है के पुराने नारों पर चर्चा है, बुढिया बेसहारा थी, जीवन के कष्टों से मुक्त हुई, गली किसी राहत से छुई छुई। मां पर कविता – Poem on Mother in Hindi by Harivansh Rai Bachchan) आज मेरा फिर से मुस्कु राने का मन किया। मां की ऊं गली पकड़कर घूमने जाने का मन किया। उंगलियां पकड़कर मां ने मुझे चलना सिखाया है। खुद गीले में सोकर मां ने मुझे सूखे बिस्तर पे सुलाया है। मां की गोद में सोने को फिर से जी चाहता है। हाथों से मां के खाना खाने का जी चाहता है। लगाकर सीने से मां ने मेरी मुझको दूध पिलाया है। रोने और चिल्लाने पर बड़े प्यार से चुप कराया है।
  • 10. मेरी तकलीफ में मुझसे ज्यादा मेरी मां ही रोई है। खिला पिला के मुझको मां मेरी, कभी भूखे पेट भी सोई है। कभी खिलौनों से खिलाया है, कभी आंचल में छुपाया है। गलतियां करने पर भी मां ने मुझे हमेशा प्यार से समझाया है। मां के चरणों में मुझको जन्नत नजर आती है। लेकिन मां मेरी मुझको हमेशा अपने सीने से लगाती है।