2. सनातन धर्मर्म में संस्कारों का िवशेष
महत्व है। इनका उद्देश्य शरीर, मन
और मिस्तष्क की शुद्धिद्धि और उनको
बलवान करना है िजससे मनुद्धष्य समाज
में अपनी भूमिमका आदर्शर्म रूप मे िनभा
सके। संस्कार का अथ र्म होता है-
पिरमाजर्मन-शुद्धद्धिीकरण । हमारे कायर्म-
व्यवहार, आचरण के पीछे हमारे
संस्कार ही तो होते है ।
जीवन में संस्कारों का महत्व
3. पूमवर्म समय में सनातन परंपरा के 16 संस्कारो के बारे में
बताया गया है। ये संस्कार इस प्रकार है -
4. संस्कार के हमारे जीवन में दर्ो अथ र्म है
पूमवर्म समय में िजन आदर्तों को बच्चे अपने माता-िपता से
प्राप
करते थ े उनहें संस्कार माना जाता थ ा
5. 1.घर में िशिष्टाचार
2.आस - पड़ोस संबंधी िशिष्टाचार
3.खान-पान संबंधी िशिष्टाचार,
4.मेजबान एवं मेहमान संबंधी िशिष्टाचार
5.िवद्याथी का िशिक्षकों और गुरुजनों के
प्रतिति िशिष्टाचार
6. बातिचीति संबंधी िशिष्टाचार
8. संस्कार = सम्+कृ+घञ्
िजस ियाक्रिया से शिरीर, मन और आत्मा उत्तम हो,
संस्कार कहतिे है ।
संस्कार शिब्द से अनेक अथर्थ िलिये जातिे है जैसे पूर्णर्थ
करना, िवशिुद्धतिा , िशिक्षा आियाद ।
9. तथ्य
0-5 साल तक माता िपिता अपिने बच्चों को प्यार
से बड़ा करते है
10. 6-10 साल तक माता िपिता अपिने बच्चों को
दंड देकर अच्छे संस्कार सीखाते है
11. 11-15 साल तक माता िपिता अपिने बच्चों को
केवल डांट कर अच्छे संस्कार सीखाते है
12. बच्चे जब 15 साल से अिधिक के हो जाते है तब
माता -िपिता उनहे थोड़ी आजादी दे देते है