This document discusses rural development in India. It notes that while industries and cities have developed rapidly, rural development has lagged behind with villages lacking basic infrastructure like schools, roads, and healthcare. It poses questions on why rural areas have fallen behind cities and highlights problems rural areas face such as lack of opportunities, education, and connectivity to cities. The objectives of rural development are to improve economic and social conditions in rural areas through infrastructure development, education, healthcare, and raising living standards.
Presented by Kathleen Earl Colverson at the Africa RISING Integrating Gender into Agricultural Programming training, Addis Ababa, Ethiopia, 18-20 August 2014
A trainer's manual" (available at http://cgspace.cgiar.org/handle/10568/33426)
The document discusses rural banking in India. It outlines the objectives of rural banking as poverty alleviation and financial intermediation. It describes the limited banking presence pre-independence, nationalization of banks post-independence, and the rural branch expansion program of the 1970s that increased rural access to banking. It also discusses the establishment of NABARD to provide rural credit and changes post-liberalization, along with ongoing challenges and opportunities in rural marketing.
This is the new technology to increase food production mostly horticulture production and also used in Agronomic crop production. This technology can overcome many problems which create problems at farm level as well as storage level.
गांवों को बेहतर बनाने के लिए पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करना होगा : संदीप ...Sandeep Sherawat
आज हमें ये समझना होगा की हिंदुस्तान को बेहतर बनाने के लिए सबसे निचले स्तर (गांवों से) पर काम करना होगा । इसके लिए पंचायतों को अधिक अधिकार देने होंगे । पंचायतों के पास जितने अधिक अधिकार होंगे लोगों के लिए उतना ही बेहतर होगा । पंचायतों को प्रभावी और सक्षम बनाने के लिए नेक सोच और समझदार लोगों को चुनना होगा ।
बदलते समय के साथ गाँवो के विकास में तेजी लाना जरूरी : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
"जो पंचायत गांव के लोगों को साथ लेके चलती है उस गांव के विकास को कोई नहीं रोक सकता"
"क्यों ग्राम पंचायते शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और आधुनिक टेक्नोलॉजी की तरफ ध्यान नहीं देती । आज ग्राम पंचायते भी राजनीतिक पार्टियों से राजनीति सीख रही है, केवल वोट बैंक के लिए काम करती है जो आगे चलकर गांवो के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है ।"
आपसी सहयोग और दूरदर्शी सोच के साथ गांव की तस्वीर बदल सकते है गांव के लोगSandeep Sherawat
गांव की कहानी युवा की ज़ुबानी
गांव गांव हरियाणा : 2nd Jan, 2019 - जिला महेन्दरगढ़ के नांगल चौधरी पंचायत समिति के अंतर्गत छोटे से गांव अकबरपुर के युवा संदीप सेहरावत, जो की गुरुग्राम में आईटी कंपनी में काम करते है, उन्होंने हमारे साथ गांवो के हालातों पे चर्चा की । उन्होंने बताया की वो भी गांव से है और किसान के बेटे है । इसलिए वो अच्छे से समझते है की गांव के लोगों को शहरी लोगों की उपेक्षा बहुत कुछ सहना पड़ता है |
This document discusses rural development in India. It notes that while industries and cities have developed rapidly, rural development has lagged behind with villages lacking basic infrastructure like schools, roads, and healthcare. It poses questions on why rural areas have fallen behind cities and highlights problems rural areas face such as lack of opportunities, education, and connectivity to cities. The objectives of rural development are to improve economic and social conditions in rural areas through infrastructure development, education, healthcare, and raising living standards.
Presented by Kathleen Earl Colverson at the Africa RISING Integrating Gender into Agricultural Programming training, Addis Ababa, Ethiopia, 18-20 August 2014
A trainer's manual" (available at http://cgspace.cgiar.org/handle/10568/33426)
The document discusses rural banking in India. It outlines the objectives of rural banking as poverty alleviation and financial intermediation. It describes the limited banking presence pre-independence, nationalization of banks post-independence, and the rural branch expansion program of the 1970s that increased rural access to banking. It also discusses the establishment of NABARD to provide rural credit and changes post-liberalization, along with ongoing challenges and opportunities in rural marketing.
This is the new technology to increase food production mostly horticulture production and also used in Agronomic crop production. This technology can overcome many problems which create problems at farm level as well as storage level.
गांवों को बेहतर बनाने के लिए पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करना होगा : संदीप ...Sandeep Sherawat
आज हमें ये समझना होगा की हिंदुस्तान को बेहतर बनाने के लिए सबसे निचले स्तर (गांवों से) पर काम करना होगा । इसके लिए पंचायतों को अधिक अधिकार देने होंगे । पंचायतों के पास जितने अधिक अधिकार होंगे लोगों के लिए उतना ही बेहतर होगा । पंचायतों को प्रभावी और सक्षम बनाने के लिए नेक सोच और समझदार लोगों को चुनना होगा ।
बदलते समय के साथ गाँवो के विकास में तेजी लाना जरूरी : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
"जो पंचायत गांव के लोगों को साथ लेके चलती है उस गांव के विकास को कोई नहीं रोक सकता"
"क्यों ग्राम पंचायते शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और आधुनिक टेक्नोलॉजी की तरफ ध्यान नहीं देती । आज ग्राम पंचायते भी राजनीतिक पार्टियों से राजनीति सीख रही है, केवल वोट बैंक के लिए काम करती है जो आगे चलकर गांवो के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है ।"
आपसी सहयोग और दूरदर्शी सोच के साथ गांव की तस्वीर बदल सकते है गांव के लोगSandeep Sherawat
गांव की कहानी युवा की ज़ुबानी
गांव गांव हरियाणा : 2nd Jan, 2019 - जिला महेन्दरगढ़ के नांगल चौधरी पंचायत समिति के अंतर्गत छोटे से गांव अकबरपुर के युवा संदीप सेहरावत, जो की गुरुग्राम में आईटी कंपनी में काम करते है, उन्होंने हमारे साथ गांवो के हालातों पे चर्चा की । उन्होंने बताया की वो भी गांव से है और किसान के बेटे है । इसलिए वो अच्छे से समझते है की गांव के लोगों को शहरी लोगों की उपेक्षा बहुत कुछ सहना पड़ता है |
हिंदुस्तान के अंदरूनी विकास के लिए पंचायती राज को मज़बूती देना जरुरी - संदीप...Sandeep Sherawat
संदीप सेहरावत बताते है की पंचायती राज को मजबूत बनाने के लिए पंचायतों को विशेष अधिकार देने होंगे । पंचायती सिस्टम के कार्यो में पारदर्शिता लानी होगी । आज भी हालत ऐसे है की सरकार से अगर एक रुपया आता है तो गांवो में 30 पैसे ही पहुंचते है और गांवो का विकास नहीं हो पाता है । बिचौलियो को हटाना होगा - पंचायतों के सभी कार्यों का लेखा-जोखा समय-समय पर सार्वजनिक हो ताकि पारदर्शिता बनी रहे । पंचायतों को भी जागरूक होना होगा, उनको आवाज़ उठानी होगी । पंचायतों को अपनी ज़िम्मेदारी अच्छे से निभानी होगी ।
An E-magazine based on social issues by Patli Urbanocrats. This e-magazine is based on rural empowerment.
https://www.facebook.com/patli.urbanocrats
https://www.twitter.com/PatliUrban
गांव विकास की दुविधापूर्ण तस्वीर : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
पढ़ा लिखा वर्ग और स्वार्थी सोच गांव के विकास में रोड़ा
“एक तरफ जहाँ भ्रष्ट प्रशासनिक कर्मचारी और जन प्रतिनिधि गांव की तरक्की में सबसे बड़ी बाधा हैं वहीँ गांव के पढ़े लिखे लोगों का आगे ना आना और लोगों की स्वार्थी सोच भी गांव के विकास में रोड़ा बनी हुई है ।“
“अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक समय आएगा जब लोगो के पास सिवाए पछताने के कुछ नहीं रहेगा”
Letter of Vivek ji to Hon Chief minister of Madhya pradesh Shri Shivraj singh...Ananda Hi Ananda
Vivek ji has written a letter to Shri Shivraj singh chuahan calling for his participation on Bharat Pad Yatra second phase at Betul to reach Indian villages and dialogue with them to understand their problem.
*पंवार(पोवार) समाज की प्रतिष्ठा और वैभव*🚩🚩🚩
*समाज का सर्वविकास*🤝🤝
*पोवारी सांस्कृतिक चेतना केंद्र*🚩
नगरधन-वैनगंगा क्षेत्र में पंवारों को आकर बसने में लगभग 325 वर्ष हो चुके हैं और इन तीन शतकों में इस समाज ने इस क्षेत्र में विशेष पहचान बनाई हैं। मालवा राजपुताना से आये इन क्षत्रियों के पंवार(पोवार) संघ ने इस नवीन क्षेत्र के अनुरूप खुद को ढाल लिया लेकिन साथ में अपनी मूल राजपुताना पहचान को भी बनाये रखा है।
पोवार अपनी पोवारी संस्कृति और गरिमा के साथ जीवन व्यापन करते हैं और निरंतर विकास पथ पर अग्रसर हैं। शाह बुलन्द बख्त से लेकर ब्रिटिश काल तक इन क्षत्रियों की स्थानीय प्रशासन और सैन्य भागीदारी में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वैनगंगा क्षेत्र में बसने के बाद पंवारों ने खेती को अपना मूल व्यवसाय चुना और इन क्षेत्रों में उन्नत कृषि विकसित की।
देश की आजादी के बाद से समाज में खेती के अतिरिक्त नौकरी और अन्य व्यवसाय की तरफ झुकाव बढ़ता गया और आज सभी क्षेत्रों में पोवार भाई निरंतर तरक्की कर रहे है। जनसंख्या में बढ़ोतरी के साथ कृषि जोत का आकार छोटा होता गया और छोटी जोत तथा श्रमिक न मिलने के कारण अब कृषि के साथ नौकरी और अन्य आय के साधनों को अपनाना समय की आवश्यकता है इसीलिए अब समाज जन दुसरो शहरों की ओर रोजगार हेतु विस्थापित भी हो रहे हैं। वैनगंगा क्षेत्र से बड़ा विस्थापन नागपुर, रायपुर सहित कई अन्य शहरों में हुआ है, हालांकि कोरोना जनित परिस्थितियों के कारण कई परिवार वापस अपने मूल गांव भी आये हैं। बालाघाट, गोंदिया, सिवनी और भंडारा जिलों के मूल निवासी, छत्तीश कुल के पोवार अब देश-विदेश में अपने कार्यों से समाज के वैभव को आगे बढ़ा रहे हैं।
विकास के आर्थिक पहलुओं के साथ सामाजिक पहलुओं पर भी चिंतन किया जाना आवश्यक है। समाज की तरक्की के साथ सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण भी जरूरी हैं तभी इसे समग्र विकास माना जायेगा। यह बहुत ही गौरव का विषय है कि समाज की बोली अपनी बोली है, जिसे पोवारी कहते है। आज समाज की जनसंख्या लगभग तेरह से पंद्रह लाख के मध्य है और लगभग आधी जनसंख्या ही पोवारी बोली बोलती है या जानती हैं, जिसका प्रतिशत धीरे धीरे और भी कम हो रहा है। समाज के सभी लोग इस दिशा में मिलकर काम करे तो नई पीढ़ी को अनिवार्य रूप से पोवारी सिखा सकते है। पोवारी ही समाज की मातृभाषा है, लेकिन हिंदी और मराठी, क्षेत्रवार यह स्थान ले रही है। पोवारी सिर्फ हमारे समाज की बोली है इसीलिए यह उतनी व्यापक तो नही हो सकती पर अपने परिवार और समाज के मध्य इसका बहुतायत में प्रयोग करें तो पूरा समाज इसे बोल पायेगा।
आर्थिक समस्याओं के साथ अंतरजातीय विवाह, धर्मपरिवर्तन, पोवारी सांस्कृतिक मूल्यों का पतन, देवघर की चौरी का त्याग, ऐतिहासिक नाम पंवार और पोवार के साथ छेड़छाड़ कर दूसरे समाजों के नामों को ग्रहण करवाना, बुजुर्गों के अच्छे पालन-पोषण में कमी, दहेज की मांग आदि अनेक समस्याएं समाज के सामने खड़ी हैं जिसको सभी को मिलकर सुलझाना है। सामाजिक संस्थाओं को भी पोवारी बोली और उन्नत पंवारी संस्कृति को बचाने के लिए आगे आना होगा।
Letter from Vivek ji to the Hon Prime minister of India regarding Foot march ...Ananda Hi Ananda
Hon Vivek ji has written a letter to Hon Prime minister of India regarding great Indian foot march or Bharat Pad Yatra that he has taken to dialogue with farmers of India and revive socio -consciousness of India.
हमारा कोई समाज नहीं होगा अगर हम पर्यावरण को नष्ट होने से नहीं बचाते है !!Sandeep Sherawat
"अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब गांव के लोग एक-एक बून्द पानी को तरसने लगेंगे, किसान फसले नहीं उगा पायेगा और तब ये हमारी झूठी शान और पैसा कोई काम नहीं आएगा । "
News of each village of India. you can get all news of each people and all villager of India as well you get breaking news. now Jan josh will help to all people who is facing challenges to live their life. the team is doing help to each and uplifting victims.
उठो! जागो! आगे बढ़ो! आवाज़ दो…..हम एक हैं!!
महिलाएं बोलेंगी, मुँह खोलेंगी तभी जमाना बदलेगा
‘मलाला’ जैसी लड़कियाँ शिक्षा के लिए पूरे पाकिस्तान से लड़ सकती हैं तो हिंदुस्तान की औरतें कम हैं क्या?
जींद की धरती से हरियाणा में एक नई क्रांति की शुरुआत होगी : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
"इतिहास गवाह रहा है की जब जब कोई बड़ा बदलाव आया है तो देश की जनता को ही कमान संभालनी पड़ी है । चाहे सरदार भगत सिंह हो, सुभाष चंद्र बॉस हो, चंद्र शेखर आज़ाद हो या राजगुरु -सुखदेव हो । आज ये मौका जींद की जनता के पास है की वो हरियाणा को फिर से विकास और खुशहाली के पथ पर लाने के लिए इस क्रांति की शुरुआत करे ।"
More Related Content
Similar to "गांव की उन्नति - हमारा अधिकार, हमारा कर्तव्य"
हिंदुस्तान के अंदरूनी विकास के लिए पंचायती राज को मज़बूती देना जरुरी - संदीप...Sandeep Sherawat
संदीप सेहरावत बताते है की पंचायती राज को मजबूत बनाने के लिए पंचायतों को विशेष अधिकार देने होंगे । पंचायती सिस्टम के कार्यो में पारदर्शिता लानी होगी । आज भी हालत ऐसे है की सरकार से अगर एक रुपया आता है तो गांवो में 30 पैसे ही पहुंचते है और गांवो का विकास नहीं हो पाता है । बिचौलियो को हटाना होगा - पंचायतों के सभी कार्यों का लेखा-जोखा समय-समय पर सार्वजनिक हो ताकि पारदर्शिता बनी रहे । पंचायतों को भी जागरूक होना होगा, उनको आवाज़ उठानी होगी । पंचायतों को अपनी ज़िम्मेदारी अच्छे से निभानी होगी ।
An E-magazine based on social issues by Patli Urbanocrats. This e-magazine is based on rural empowerment.
https://www.facebook.com/patli.urbanocrats
https://www.twitter.com/PatliUrban
गांव विकास की दुविधापूर्ण तस्वीर : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
पढ़ा लिखा वर्ग और स्वार्थी सोच गांव के विकास में रोड़ा
“एक तरफ जहाँ भ्रष्ट प्रशासनिक कर्मचारी और जन प्रतिनिधि गांव की तरक्की में सबसे बड़ी बाधा हैं वहीँ गांव के पढ़े लिखे लोगों का आगे ना आना और लोगों की स्वार्थी सोच भी गांव के विकास में रोड़ा बनी हुई है ।“
“अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक समय आएगा जब लोगो के पास सिवाए पछताने के कुछ नहीं रहेगा”
Letter of Vivek ji to Hon Chief minister of Madhya pradesh Shri Shivraj singh...Ananda Hi Ananda
Vivek ji has written a letter to Shri Shivraj singh chuahan calling for his participation on Bharat Pad Yatra second phase at Betul to reach Indian villages and dialogue with them to understand their problem.
*पंवार(पोवार) समाज की प्रतिष्ठा और वैभव*🚩🚩🚩
*समाज का सर्वविकास*🤝🤝
*पोवारी सांस्कृतिक चेतना केंद्र*🚩
नगरधन-वैनगंगा क्षेत्र में पंवारों को आकर बसने में लगभग 325 वर्ष हो चुके हैं और इन तीन शतकों में इस समाज ने इस क्षेत्र में विशेष पहचान बनाई हैं। मालवा राजपुताना से आये इन क्षत्रियों के पंवार(पोवार) संघ ने इस नवीन क्षेत्र के अनुरूप खुद को ढाल लिया लेकिन साथ में अपनी मूल राजपुताना पहचान को भी बनाये रखा है।
पोवार अपनी पोवारी संस्कृति और गरिमा के साथ जीवन व्यापन करते हैं और निरंतर विकास पथ पर अग्रसर हैं। शाह बुलन्द बख्त से लेकर ब्रिटिश काल तक इन क्षत्रियों की स्थानीय प्रशासन और सैन्य भागीदारी में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वैनगंगा क्षेत्र में बसने के बाद पंवारों ने खेती को अपना मूल व्यवसाय चुना और इन क्षेत्रों में उन्नत कृषि विकसित की।
देश की आजादी के बाद से समाज में खेती के अतिरिक्त नौकरी और अन्य व्यवसाय की तरफ झुकाव बढ़ता गया और आज सभी क्षेत्रों में पोवार भाई निरंतर तरक्की कर रहे है। जनसंख्या में बढ़ोतरी के साथ कृषि जोत का आकार छोटा होता गया और छोटी जोत तथा श्रमिक न मिलने के कारण अब कृषि के साथ नौकरी और अन्य आय के साधनों को अपनाना समय की आवश्यकता है इसीलिए अब समाज जन दुसरो शहरों की ओर रोजगार हेतु विस्थापित भी हो रहे हैं। वैनगंगा क्षेत्र से बड़ा विस्थापन नागपुर, रायपुर सहित कई अन्य शहरों में हुआ है, हालांकि कोरोना जनित परिस्थितियों के कारण कई परिवार वापस अपने मूल गांव भी आये हैं। बालाघाट, गोंदिया, सिवनी और भंडारा जिलों के मूल निवासी, छत्तीश कुल के पोवार अब देश-विदेश में अपने कार्यों से समाज के वैभव को आगे बढ़ा रहे हैं।
विकास के आर्थिक पहलुओं के साथ सामाजिक पहलुओं पर भी चिंतन किया जाना आवश्यक है। समाज की तरक्की के साथ सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण भी जरूरी हैं तभी इसे समग्र विकास माना जायेगा। यह बहुत ही गौरव का विषय है कि समाज की बोली अपनी बोली है, जिसे पोवारी कहते है। आज समाज की जनसंख्या लगभग तेरह से पंद्रह लाख के मध्य है और लगभग आधी जनसंख्या ही पोवारी बोली बोलती है या जानती हैं, जिसका प्रतिशत धीरे धीरे और भी कम हो रहा है। समाज के सभी लोग इस दिशा में मिलकर काम करे तो नई पीढ़ी को अनिवार्य रूप से पोवारी सिखा सकते है। पोवारी ही समाज की मातृभाषा है, लेकिन हिंदी और मराठी, क्षेत्रवार यह स्थान ले रही है। पोवारी सिर्फ हमारे समाज की बोली है इसीलिए यह उतनी व्यापक तो नही हो सकती पर अपने परिवार और समाज के मध्य इसका बहुतायत में प्रयोग करें तो पूरा समाज इसे बोल पायेगा।
आर्थिक समस्याओं के साथ अंतरजातीय विवाह, धर्मपरिवर्तन, पोवारी सांस्कृतिक मूल्यों का पतन, देवघर की चौरी का त्याग, ऐतिहासिक नाम पंवार और पोवार के साथ छेड़छाड़ कर दूसरे समाजों के नामों को ग्रहण करवाना, बुजुर्गों के अच्छे पालन-पोषण में कमी, दहेज की मांग आदि अनेक समस्याएं समाज के सामने खड़ी हैं जिसको सभी को मिलकर सुलझाना है। सामाजिक संस्थाओं को भी पोवारी बोली और उन्नत पंवारी संस्कृति को बचाने के लिए आगे आना होगा।
Letter from Vivek ji to the Hon Prime minister of India regarding Foot march ...Ananda Hi Ananda
Hon Vivek ji has written a letter to Hon Prime minister of India regarding great Indian foot march or Bharat Pad Yatra that he has taken to dialogue with farmers of India and revive socio -consciousness of India.
हमारा कोई समाज नहीं होगा अगर हम पर्यावरण को नष्ट होने से नहीं बचाते है !!Sandeep Sherawat
"अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब गांव के लोग एक-एक बून्द पानी को तरसने लगेंगे, किसान फसले नहीं उगा पायेगा और तब ये हमारी झूठी शान और पैसा कोई काम नहीं आएगा । "
News of each village of India. you can get all news of each people and all villager of India as well you get breaking news. now Jan josh will help to all people who is facing challenges to live their life. the team is doing help to each and uplifting victims.
उठो! जागो! आगे बढ़ो! आवाज़ दो…..हम एक हैं!!
महिलाएं बोलेंगी, मुँह खोलेंगी तभी जमाना बदलेगा
‘मलाला’ जैसी लड़कियाँ शिक्षा के लिए पूरे पाकिस्तान से लड़ सकती हैं तो हिंदुस्तान की औरतें कम हैं क्या?
जींद की धरती से हरियाणा में एक नई क्रांति की शुरुआत होगी : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
"इतिहास गवाह रहा है की जब जब कोई बड़ा बदलाव आया है तो देश की जनता को ही कमान संभालनी पड़ी है । चाहे सरदार भगत सिंह हो, सुभाष चंद्र बॉस हो, चंद्र शेखर आज़ाद हो या राजगुरु -सुखदेव हो । आज ये मौका जींद की जनता के पास है की वो हरियाणा को फिर से विकास और खुशहाली के पथ पर लाने के लिए इस क्रांति की शुरुआत करे ।"
शराब के ठेको ने गाँवों को उजाड़ने का काम किया : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
"बढ़ते शराब के ठेको ने गांवो से उनकी पहचान और संस्कृति दोनों को छीन लिया है । युवाओं को नशे की लत लग गई है । सैकड़ों परिवारों को रोटी के लाले पड़ गए है । मगर इन सब से ना तो किसी सरकार को मतलब है और ना ही गांव के लोगों को । अगर ऐसा ही चलता रहा तो गांवो को लुप्त होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा - "असली भारत गांवो में बसता है " वाली कहावत केवल सुनने के लिए ही रह जाएगी ।"
सोच बदलेगी - गांव बदलेगा: में ताऊ के साथ खास बातचीतSandeep Sherawat
ताऊ ने बताया की कैसे लोग पहले मिल झूल कर रहते थे और खुश रहते थे । ताऊ ने आज के युवा के संस्कारो और शिक्षा पे सवाल उठाते हुए कहा की आज की महंगी शिक्षा ने बच्चो को छोटे - बड़े में फर्क करना भुला दिया, बुजर्गो का सम्मान नहीं रहा, ऐसी शिक्षा कोई काम की नहीं है ।
छांव में छुपी हुई
अनेक कहनाइयां
जिसने तोड़ी हमेशा
जिंदगी की वीरानियां
वह बचपन के झूले
वह गांव के मेले
वह ट्रैक्टर की सवारी
वह पुरानी बैलगाड़ी
वह पुराना बरगद का पेड़
वह खेत की मेढ़
वह चिड़ियों का चहकना
वह फूलों का महकना
पर धीरे-धीरे गांव
बहुमंजिली इमारत में
तब्दील हो गया
वह कोलाहल और
गाड़ियों के शोर से
लबरेज हो गया
शेष रह गया केवल
गाड़ियों का धुआं
जिसे देख परेशान
हर व्यक्ति हुआ
सूरज अब जमीं के
पास आ गया
भौतिकता का नशा
हर व्यक्ति पर छा गया
आदमी को आदमी से
न मिलने की है फुरसत
भाईचारा और इंसानियत
यहां कर रहे रुखसत
इस नए जंगल से
कोई अब तो निकाले
हे परमात्मा मुझे फिर से
मेरे पुराने गांव से मिला दे।
Teamwork - The Tortoise And The Hare - Good Lesson About TeamworkSandeep Sherawat
The document retells the classic fable of the Tortoise and the Hare through multiple races that teach valuable lessons. In the first race, the overconfident Hare loses to the slow but steady Tortoise. They race again, with the Hare winning by maintaining a fast pace. In the third race, the Tortoise changes the conditions to suit his strength of swimming. They then realize teamwork is best and work together in the final race. The multiple endings reinforce lessons like never giving up, using one's strengths, competing against problems rather than rivals, and the power of teamwork and pooling skills.
The document discusses optimizing web pages for search engine ranking and conversions. It emphasizes the importance of three key elements: 1) original, high-quality content; 2) effective user interface design; and 3) proper on-page SEO techniques. Specific recommendations are provided for each element, including optimizing loading speed, navigation, content formatting, internal links, and more. The overall message is that pages need a well-balanced mix of user experience, content, and SEO factors to succeed.
1. भारतीय लोकतं क सबसे छोट इकाई ाम पंचायत है । इस इकाई को इस लए जोड़ा गया था ता क
गांवो का वकास समान प से कया जा सके , इसका मु य उ दे य गांव के लोगो को इस यो य
बनाना है क शासन म भागीदार नभा सके । पर तु जैसे - जैसे समय बीतता गया पंचायत श द
क प रभाषा ह बदल गई । "पंचायत - खास बातचीत म" हमारे साथ जुड़े है संद प सेहरावत । जानते
है इनक या राय है …..
संद प सेहरावत - ह रयाणा (नांगल चौधर , अकबरपुर गांव) के रहने वाले है । कु छ समय से गाव को
बेहतर बनाने क दशा म काम कर रहे है । एक नई सोच साथ के गांव के लोगो के साथ मलकर "गांव
क उ न त - हमारा अ धकार, हमारा कत य" मॉडल पर काम करना चाहते है ।
सवाल: "पंचायत-खास बातचीत म" आप
हमे बताएं आपके हसाब से कै से ाम
पंचायत का चयन बेहतर तर के से कया
जा सकता है ?
जवाब: सबसे पहले म ये कहना चाउंगा क ाम
पंचायत के चुनाव को राजनी तक ि ट से नह ं
देखा जाना चाइये । िजस दन ये बदलाव आ
गया ाम पंचायत का चयन बेहतर तर के से
होने लगेगा । यो क जब लोग सम त गांव को
एक प रवार मानकर अगर कसी को चुनगे तो
प रणाम बेहतर ह होगा । इसके लए युवाओं,
बुजग और म हलाओं को एक साथ आकर एक
नई सोच को ज म देना होगा । जो भी लोग
अपनी उ मीदवार रखते है उनको समय दया
जाये क अपना "एजडा" गांव के लोग के सम
रखे क कै से वो गांव को बेहतर बना सकते है ।
बि क म तो चाहूँगा क सभी उ मीदवार को
एक मंच पर आकर चुनाव से पहले गांव के लोगो
के सामने अपनी पर ा देनी चा हए । जैसे एक
क ा म सभी व याथ पर ा देते है, बहुत सारे
ब चे पास होते है पर तु टॉप कोई एक ह करता
है, ठ क वैसे ह गांव के लोगो को एक आपस म
मलकर एक बेहतर उ मीदवार का चयन कर
सकते है पर तु ये तभी संभव है जब ाम
पंचायत के चुनाव को राजनी तक ि ट से नह ं
देखा जाये ।
सवाल: या आपको लगता है क ये संभव
है ?
जवाब: य नह ं संभव ? बलकु ल संभव है ।
आज नह ं तो कल गांव के लोग ये बदलाव
लाना ह पड़ेगा । िजस कसी को भी इससे
आप होगी वो इंसान गांव हत म नह ं है, ये
बात लोग को समझने म यादा समय नह ं
लगेगा । बस ज रत है अ छे माग दशन क ।
इसके लए गांव के बुजुग को ह आगे आना
पड़ेगा । यो क उनके आशीवाद के बगैर ये
संभव नह ं है । गांव के िज मेदार नाग रको को
समाज हत को आगे रख कर इस ओर कदम
बढ़ाना होगा ।
2. सवाल: आपने बताया आप "गांव क
उ न त - हमारा अ धकार, हमारा कत य"
मॉडल पर काम करना चाहते है । या है
ये मॉडल ?
जवाब: "गांव क उ न त - हमारा अ धकार,
हमारा कत य" - इसका मतलब है क गांव के हर
नाग रक का ये अ धकार है क उसके गांव का
वकास हो और ये उसका कत य भी है क उस
अ धकार को पाने के लए काम भी करे । इस
मॉडल को लेके आने का मेरा मकसद है क सबसे
पहले गांव के लोग को ये बताना है क अगर एक
साथ मलकर काम कया जाये तो गाव के
वकास को रोका नह ं जा सकता । चाहे श ा क
बात हो, वा य क हो या फर पयावरण को
लेकर । उदाहरण के लए आप गांव के गंदे पानी
को ले लो - बहुत से गाव म ना लय का पानी
गांव के तालाब म डाला जा रहा है िजससे तालाब
का पानी भी दू षत हो रहा है और गांव का
वातावरण भी तो इससे नजात कै से मले ?
इसके लए मैिजक पट का इ तेमाल कया जा
सकता है । मैिजक पट 8-10 फट का गडडा
बनाया जाता है जो क पानी को सोखने का काम
करता है । हर गल म इसको बनाने से गांव को
गंदे पानी से नजात मल सकता है । साथ ह
आने वाले समय म पानी के लेवल म भी फायदा
होगा ।
सवाल: श ा और रोज़गार को लेकर
आपका ये मॉडल कै से काम कर सकता
है?
जवाब: अगर श ा क बात क जाये तो हर गांव
म सरकार कू ल है, अ यापक भी बहुत है ।
अगर हमार सोच नेक हो तो श ा के े म
बहुत ज द तर क क जा सकती है । आज
िजतने भी ब चे हमार सरकार कू ल म है, ाम
पंचायत उनक श ा क िज़ मेदार ले उसके
लए चाहे गांव के सेवा न वत अ यापको क
सहायता ले या फर पढ़ लखे युवाओं क और
प रणाम लेकर आये बदलाव आपके सामने होगा
। इससे गांव के लोग को महंगी फ़ स से भी
आज़ाद मलेगी और गांव के ब चो को बेहतर
श ा मलेगी ।
अगर रोज़गार क बात क जाये तो आज
कतने छा ऐसे है गांव म िजनमे कोई 12th
पास है तो कोई ैजुएट पर तु रोज़गार नह ं है
यो क सरकार नौकर सबको मलती नह ं
और ाइवेट के लए टैलट नह ं है । तो ऐसे
टूड स को ए ा कोस करा के उनको
रोज़गार यो य बनाया जा सकता है । पर तु
इसके लए ज र है वो टूड स अपनी च ले।
सवाल: आपके वचार म समाज हत
और प रप व राजनी त क झलक
मलती है इस पर या कहगे ?
जवाब: म बताना चाउंगा क आज राजनी त
श द क प रभाषा ऐसी है क कोई भी इंसान
अपने साथ इस श द को नह ं जोड़ना चाहता ।
अगर आप समाज हत और प रप व राजनी त
क बात करते तो म यह कहूंगा क अगर
आपक नी त और नयत दोन साफ़ है तो ये
झलक अपने आ जाती है । समाज हत ह
राजनी त क प रभाषा होनी चाइये । आज
वाथ क राजनी त करने वाले लोग गांव और
युवाओं के लए ऐसा जहर बन गए ।
सवाल: आपने कहा वाथ क राजनी त
एक जहर, कै से बताएँगे ?
जवाब: जी हाँ, या आप नह ं देखते आज कु छ
वाथ लोग अपना राजनी तक फायदा उठाने
के लए युवाओं को गुमराह कर रहे है । अभी
तक तो ये सफ बड़े राजनी तक दल तक ह
सी मत था पर तु आज ये जहर गाव म भी
फै ल रहा है । वाथ क राजनी त करने वाले
लोग कभी आपको लाभ नह ं पंहुचा सकते।
"पंचायत - खास बातचीत म" युवाओं को एक
संदेश देना चाउंगा क ऐसे वाथ लोग से बच
के रहे और अपनी समझ से काम ले । इन्लोग
का मकसद सफ और सफ आपका इ तेमाल
करना है । यो क जब - जब इनक वाथ
राजनी त पर आंच आती है तो ये लोग अपना
जहर उगलने लगते है । आप एक बार ये ज़ र
सोचे क या कभी इन् लोग ने आपको पढाई
करने के लए कहा ? ये ऐसा कभी नह ं करगे
यो क उनका अि त व ख म हो जायेगा।