उठो! जागो! आगे बढ़ो! आवाज़ दो…..हम एक हैं!!
महिलाएं बोलेंगी, मुँह खोलेंगी तभी जमाना बदलेगा
‘मलाला’ जैसी लड़कियाँ शिक्षा के लिए पूरे पाकिस्तान से लड़ सकती हैं तो हिंदुस्तान की औरतें कम हैं क्या?
आपसी सहयोग और दूरदर्शी सोच के साथ गांव की तस्वीर बदल सकते है गांव के लोगSandeep Sherawat
गांव की कहानी युवा की ज़ुबानी
गांव गांव हरियाणा : 2nd Jan, 2019 - जिला महेन्दरगढ़ के नांगल चौधरी पंचायत समिति के अंतर्गत छोटे से गांव अकबरपुर के युवा संदीप सेहरावत, जो की गुरुग्राम में आईटी कंपनी में काम करते है, उन्होंने हमारे साथ गांवो के हालातों पे चर्चा की । उन्होंने बताया की वो भी गांव से है और किसान के बेटे है । इसलिए वो अच्छे से समझते है की गांव के लोगों को शहरी लोगों की उपेक्षा बहुत कुछ सहना पड़ता है |
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गांव गांव हरियाणा : 2nd Jan, 2019 - जिला महेन्दरगढ़ के नांगल चौधरी पंचायत समिति के अंतर्गत छोटे से गांव अकबरपुर के युवा संदीप सेहरावत, जो की गुरुग्राम में आईटी कंपनी में काम करते है, उन्होंने हमारे साथ गांवो के हालातों पे चर्चा की । उन्होंने बताया की वो भी गांव से है और किसान के बेटे है । इसलिए वो अच्छे से समझते है की गांव के लोगों को शहरी लोगों की उपेक्षा बहुत कुछ सहना पड़ता है |
गांव विकास की दुविधापूर्ण तस्वीर : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
पढ़ा लिखा वर्ग और स्वार्थी सोच गांव के विकास में रोड़ा
“एक तरफ जहाँ भ्रष्ट प्रशासनिक कर्मचारी और जन प्रतिनिधि गांव की तरक्की में सबसे बड़ी बाधा हैं वहीँ गांव के पढ़े लिखे लोगों का आगे ना आना और लोगों की स्वार्थी सोच भी गांव के विकास में रोड़ा बनी हुई है ।“
“अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक समय आएगा जब लोगो के पास सिवाए पछताने के कुछ नहीं रहेगा”
Though I love talking about positivity and happiness but that doesn't mean that unfairness doesn't exist in this world. This movie shook me up in 2013, written this poetry at that time only. Finally sharing it.
Movie is available on youtube. If you can, watch it else this poetry will take only a few minutes to give you an idea of the immense pain Soraya would have gone through.
Photography and Poetry Collaboration by two engineering batch mates who have known each other for over two decades. Roshan Panjwani's images encompass nature, animals, people and landscapes. Every so often, an image inspired Prashant Butani to pen his thoughts on topics ranging from friendship, love & marriage to separation, pandemics & terrorism.
हमारा कोई समाज नहीं होगा अगर हम पर्यावरण को नष्ट होने से नहीं बचाते है !!Sandeep Sherawat
"अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब गांव के लोग एक-एक बून्द पानी को तरसने लगेंगे, किसान फसले नहीं उगा पायेगा और तब ये हमारी झूठी शान और पैसा कोई काम नहीं आएगा । "
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“एक तरफ जहाँ भ्रष्ट प्रशासनिक कर्मचारी और जन प्रतिनिधि गांव की तरक्की में सबसे बड़ी बाधा हैं वहीँ गांव के पढ़े लिखे लोगों का आगे ना आना और लोगों की स्वार्थी सोच भी गांव के विकास में रोड़ा बनी हुई है ।“
“अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक समय आएगा जब लोगो के पास सिवाए पछताने के कुछ नहीं रहेगा”
Though I love talking about positivity and happiness but that doesn't mean that unfairness doesn't exist in this world. This movie shook me up in 2013, written this poetry at that time only. Finally sharing it.
Movie is available on youtube. If you can, watch it else this poetry will take only a few minutes to give you an idea of the immense pain Soraya would have gone through.
Photography and Poetry Collaboration by two engineering batch mates who have known each other for over two decades. Roshan Panjwani's images encompass nature, animals, people and landscapes. Every so often, an image inspired Prashant Butani to pen his thoughts on topics ranging from friendship, love & marriage to separation, pandemics & terrorism.
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गांवों को बेहतर बनाने के लिए पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करना होगा : संदीप ...Sandeep Sherawat
आज हमें ये समझना होगा की हिंदुस्तान को बेहतर बनाने के लिए सबसे निचले स्तर (गांवों से) पर काम करना होगा । इसके लिए पंचायतों को अधिक अधिकार देने होंगे । पंचायतों के पास जितने अधिक अधिकार होंगे लोगों के लिए उतना ही बेहतर होगा । पंचायतों को प्रभावी और सक्षम बनाने के लिए नेक सोच और समझदार लोगों को चुनना होगा ।
हिंदुस्तान के अंदरूनी विकास के लिए पंचायती राज को मज़बूती देना जरुरी - संदीप...Sandeep Sherawat
संदीप सेहरावत बताते है की पंचायती राज को मजबूत बनाने के लिए पंचायतों को विशेष अधिकार देने होंगे । पंचायती सिस्टम के कार्यो में पारदर्शिता लानी होगी । आज भी हालत ऐसे है की सरकार से अगर एक रुपया आता है तो गांवो में 30 पैसे ही पहुंचते है और गांवो का विकास नहीं हो पाता है । बिचौलियो को हटाना होगा - पंचायतों के सभी कार्यों का लेखा-जोखा समय-समय पर सार्वजनिक हो ताकि पारदर्शिता बनी रहे । पंचायतों को भी जागरूक होना होगा, उनको आवाज़ उठानी होगी । पंचायतों को अपनी ज़िम्मेदारी अच्छे से निभानी होगी ।
जींद की धरती से हरियाणा में एक नई क्रांति की शुरुआत होगी : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
"इतिहास गवाह रहा है की जब जब कोई बड़ा बदलाव आया है तो देश की जनता को ही कमान संभालनी पड़ी है । चाहे सरदार भगत सिंह हो, सुभाष चंद्र बॉस हो, चंद्र शेखर आज़ाद हो या राजगुरु -सुखदेव हो । आज ये मौका जींद की जनता के पास है की वो हरियाणा को फिर से विकास और खुशहाली के पथ पर लाने के लिए इस क्रांति की शुरुआत करे ।"
बदलते समय के साथ गाँवो के विकास में तेजी लाना जरूरी : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
"जो पंचायत गांव के लोगों को साथ लेके चलती है उस गांव के विकास को कोई नहीं रोक सकता"
"क्यों ग्राम पंचायते शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और आधुनिक टेक्नोलॉजी की तरफ ध्यान नहीं देती । आज ग्राम पंचायते भी राजनीतिक पार्टियों से राजनीति सीख रही है, केवल वोट बैंक के लिए काम करती है जो आगे चलकर गांवो के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है ।"
शराब के ठेको ने गाँवों को उजाड़ने का काम किया : संदीप सेहरावतSandeep Sherawat
"बढ़ते शराब के ठेको ने गांवो से उनकी पहचान और संस्कृति दोनों को छीन लिया है । युवाओं को नशे की लत लग गई है । सैकड़ों परिवारों को रोटी के लाले पड़ गए है । मगर इन सब से ना तो किसी सरकार को मतलब है और ना ही गांव के लोगों को । अगर ऐसा ही चलता रहा तो गांवो को लुप्त होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा - "असली भारत गांवो में बसता है " वाली कहावत केवल सुनने के लिए ही रह जाएगी ।"
सोच बदलेगी - गांव बदलेगा: में ताऊ के साथ खास बातचीतSandeep Sherawat
ताऊ ने बताया की कैसे लोग पहले मिल झूल कर रहते थे और खुश रहते थे । ताऊ ने आज के युवा के संस्कारो और शिक्षा पे सवाल उठाते हुए कहा की आज की महंगी शिक्षा ने बच्चो को छोटे - बड़े में फर्क करना भुला दिया, बुजर्गो का सम्मान नहीं रहा, ऐसी शिक्षा कोई काम की नहीं है ।
छांव में छुपी हुई
अनेक कहनाइयां
जिसने तोड़ी हमेशा
जिंदगी की वीरानियां
वह बचपन के झूले
वह गांव के मेले
वह ट्रैक्टर की सवारी
वह पुरानी बैलगाड़ी
वह पुराना बरगद का पेड़
वह खेत की मेढ़
वह चिड़ियों का चहकना
वह फूलों का महकना
पर धीरे-धीरे गांव
बहुमंजिली इमारत में
तब्दील हो गया
वह कोलाहल और
गाड़ियों के शोर से
लबरेज हो गया
शेष रह गया केवल
गाड़ियों का धुआं
जिसे देख परेशान
हर व्यक्ति हुआ
सूरज अब जमीं के
पास आ गया
भौतिकता का नशा
हर व्यक्ति पर छा गया
आदमी को आदमी से
न मिलने की है फुरसत
भाईचारा और इंसानियत
यहां कर रहे रुखसत
इस नए जंगल से
कोई अब तो निकाले
हे परमात्मा मुझे फिर से
मेरे पुराने गांव से मिला दे।
Teamwork - The Tortoise And The Hare - Good Lesson About TeamworkSandeep Sherawat
The document retells the classic fable of the Tortoise and the Hare through multiple races that teach valuable lessons. In the first race, the overconfident Hare loses to the slow but steady Tortoise. They race again, with the Hare winning by maintaining a fast pace. In the third race, the Tortoise changes the conditions to suit his strength of swimming. They then realize teamwork is best and work together in the final race. The multiple endings reinforce lessons like never giving up, using one's strengths, competing against problems rather than rivals, and the power of teamwork and pooling skills.
The document discusses optimizing web pages for search engine ranking and conversions. It emphasizes the importance of three key elements: 1) original, high-quality content; 2) effective user interface design; and 3) proper on-page SEO techniques. Specific recommendations are provided for each element, including optimizing loading speed, navigation, content formatting, internal links, and more. The overall message is that pages need a well-balanced mix of user experience, content, and SEO factors to succeed.
1. उठो! जागो! आगे बढ़ो! आवाज़ दो…..हम एक ह!!
"गुलामी क नींद सोने और क मत का रोना रोने का समय बीत चुका है। ज़ोरो-जु म के दम घ टने
वाले माहौल के ख़लाफ़, एकजुट होकर, मु ठ तानकर आवाज़ उठाने का समय आ गया है।"
कहने को हमारे समाज म म हलाओं को पु ष से बराबर का दजा दया गया है | पर तु आज भी ूण
ह या और घरेलू हंसा जैसे मसले पूरे देश म च चत वषय बना हुआ है | त दन रेप के खबर से
अख़बार इस तरह सरोबर होता है मानो हमारे देश के युवा और बुजुग म हलाओं क गुहार सुनना ह
नह ं चाहते हो | आज समाज के अंधेरो म कै द म हला उजल सुबह क धूप ढूंढ रह है | आज भी ि याँ
अपने स मान के लए लड़ती जा रह है और हमारा पु ष मुख समाज देखता जा रहा है | आएं सब
मलकर उनक गुहार सुने और उ ह समाज क बं दश से आज़ाद कर |
म हलाएं बोलगी,
मुँह खोलगी
तभी जमाना बदलेगा
‘मलाला’ जैसी लड़ कयाँ श ा के लए पूरे
पा क तान से लड़ सकती ह तो हंदु तान
क औरत कम ह या?
हमारे देश म ऐसे कई मसले है िजनको हमार सरकार या कह सकते है हमार जनता ह सुलझाने म
2. अस म रह है | उनमे से कई मसले म हलाओं के है िजसमे घरेलू हंसा, ूण ह या और रेप जैसे
संगीन जुम शा मल है | आज कहने को हमारा देश काफ़ वक सत हो गया है, पर तु म हलाओं क
ि थ त आज भी वह है जो कल थी या कह सकते है क उससे भी दयनीय है | ूण ह या जैसे मसले
आए दन अख़बार म आते रहते है, लोग अफ़सोस जता कर भूल जाते है पर या कसी ने उस नाज़ुक
सी जान क गुहार सुनने क को शश क िजसे समाज ने बेटे क आड़ म ज म ह नह ं लेने दया |
ऐसे म हला दवस का या फायदा जहाँ रोज रेप क खबर से अख़बार और यूज़ चैनल सराबोर रहे|
िजस दन बंद खड़ कय से झाकती लड़ कयाँ आज़ाद ह गी, िजस दन आधी रात म भी म हलाएं
सुर त ह गी, िजस दन म हलाओं क पहचान उनके काया से नह ं उनक साहस और मेहनत से
होगी, िजस दन लड़ कय को बोझ नह ं समझा जाएगा और िजस दन दहेज़ जैसी था से म हलाएं
मु त ह गी उसी दन सह मायन म म हला दवस मनाये जाने का हक हम सभी को ा त होगा |
हम सभी मनु य क ग त म म हलाओं का बहुत बड़ा योगदान है | कभी माँ बनकर तो कभी बेट
बनकर, कभी बहन बनकर तो कभी प नी बन कर, जीवन के हर मोड़ पर म हलाओं के अनेक प ने
हमारा साथ दया है | आज उ ह म हलाओं क इ ज़त करने म हम य पीछे रह जाते है?
इ तहास म हलाओं के बुलं दय और हौसल का गवाह है | इं दरा गाँधी और क पना चावला से लेकर
पट उषा और करण बेद जैसी म हलाओं ने इस पु ष धान समाज म अपनी ढ़ता से बड़े-बड़े
क तमान हा सल कए | कसी ने अंत र क उचाईय को छु आ तो कसी ने राजनी तक बुलं दय को
| इ तहास म भी म हलाओं के कई क तमान है िजसे आज भी बड़े गव से याद कया जाता है|
महारानी ल मी बाई और महारानी पद मनी जैसी म हलाओं को उनके साहस और धैय के लए आज
भी सत्-सत् नमन कया जाता है | इस म हला दवस पर उ ह याद करे िजनके आ म व वास ने
हमारे देश का नाम पूरे व व म रौशन कया है | इस म हला दवस पर खुद को नार , भाषण ,
से मनार और आलेख म उड़ेलने के बजाय म हलाओं के उ न त के बारे म कु छ करे ता क पूरे व व
म म हलाएं अपनी आवाज़ बुलंद कर पाए |
कलम से...
Sandeep Sherawat
Social Activist, Haryana