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AYURVEDA FOR HOLISTIC
HEALTH
समग्र स्वास्थ्य क
े लिए आयुर्वेद
CELEBRATION OF AYURVEDA @ 2047
Holistic health - Physical, mental, emotional, social, intellectual, and
spiritual health
उष्णमश्नीयात् (चरकसंलिता)
• ताजा तथा गरम भोजन ग्रिण करना चालिए ।
• It is better to consume food within one hour after its preparation. The warm and
fresh food is tasty and stimulates digestive fire, resulting in fast digestion
proper absorption and further stimulates the peristaltic movement.
• ताजा भोजन अथाात बनने क
े 1 घण्टे क
े भीतर सेर्वन करना चालिए। क्ोंलक यि भोजन रुलचकारक िोता िै
और अलि को प्रदीप्त करता िै | लजससे आिार् का जल्दी पाचन िोता िै और आन्त्र की गलत लनयलमत रिती
िै ।
Eat fresh and
warm food
मात्रार्वत् अश्नीयात् (चरकसंलिता)
Have food in proper
quantity
उलचत मात्रा में
भोजन का ग्रिण
करना चालिए ।
व्यायामः स्थैयाकराणाम् (चरकसंलिता)
BRINGING ABOUT FIRMNESS/STABILITY IN
BODY
• व्यायाम से शरीर को स्स्थरता प्राप्त िोती िै ।
INTAKE OF FOOD IN TIME (KALABHOJANA) IS
CONSIDERED AS A HEALTHY PRACTICE TO PROMOTE
HEALTH (AROGYAKARANAM)
• उलचत समय पर भोजन करने से स्वास्थ्य का संर्वर्ान िोता िै ।
कािभोजनमारोग्यकराणां
(चरकसंलिता)
लर्वषादो रोगर्वर्ानानां (चरकसंलिता)
GRIEF (VISHADA) IS THE MAIN REASON FOR AGGRAVATION OF DISEASES
(ROGAVARDHANANAM)
• अलर्क लचंता से सभी रोग बढते िैैँ ।
नरो लितािारलर्विारसेर्वी समीक्ष्यकारी लर्वषयेष्वसक्तः|
दाता समः सत्यपरः क्षमार्वानाप्तोपसेर्वी च भर्वत्यरोगः|| (चरकसंलिता)
• THE MAN WHO USES WHOLESOME DIET AND BEHAVIOR,
WHO MOVES CAUTIOUSLY, WHO IS UNATTACHED TO
SENSUAL PLEASURES, WHO DONATES, OBSERVES
EQUALITY,WHO IS TRUTHFUL, WHO IS FORBEARING
AND WHO IS DEVOTED TO VENERABLE PEOPLE
BECOMES FREE FROM DISEASES.
नीरोगी काया / स्वस्थ
पुरुष
आिार
लर्विार
• सोच समझ कर काया
• शारीररक सुखों क
े प्रलत
अनासक्त
• दान
• समानता का पािन
• सत्यर्वादी
• सिनशीि
• ज्ञानर्वान िोगों क
े प्रलत
समलपात
आिारो मिाभैषज्यं उच्यते । (काश्यपसंलिता)
APPROPRIATE FOOD IS CONSIDERED AS THE BEST MEDICINE.
• आिार िी सर्वोत्तम औषर् िै ।
लनद्रायत्तं सुखं दुःखं पुलटः काश्यं बिाबिम्|
(चरकसंलिता)
• IN HUMAN BEINGS, HAPPINESS AND
MISERY, NOURISHMENT AND EMACIATION,
STRENGTH AND WEAKNESS DEPEND UPON
PROPER AND IMPROPER SLEEP.
• मनुष्य में सुख और दुःख, पोषण और क
ृ शता, शस्क्त और
दुबािता उलचत और अनुलचत नींद पर लनभार करती िै।
नगरी नगरस्येर्व रथस्येर्व रथी यथा|
स्वशरीरस्य मेर्ार्वी क
ृ त्येष्वर्वलितो भर्वेत्||
(चरकसंलिता)
• LIKE THE LORD OF A CITY IN THE AFFAIRS OF HIS CITY, AND A
CHARIOTEER IN THE MANAGEMENT OF HIS CHARIOT, SO SHOULD A
WISE MAN BE EVER VIGILANT IN THE CARING OF HIS OWN BODY
• जैसे नगर का स्वामी अपने नगर का और एक क
ु शि सारथी अपने रथ का ध्यान रखता
िै, र्वैसे िी एक बुस्िमान व्यस्क्त को अपने शरीर की देखभाि में िमेशा सतक
ा रिना
चालिए ।
न नक्तं दलर् भुञ्जीत (चरकसंलिता)
CURD SHOULD NOT BE CONSUMED AT NIGHT
• रात को दिी का सेर्वन र्वलजात िै ।
न र्वेगान् र्ारयेिीमाञ्जातान् मूत्रपुरीषयोः| (चरकसंलिता)
• THE INTELLIGENT PERSON SHOULD NOT SUPPRESS THE NATURAL
URGES INITIATED BY SENSATIONS OF URINE AND DEFECATION
• बुस्िमान व्यस्क्त को अपने मूत्र और पुरीष की प्राक
ृ लतक संर्वेदनाओं को निीं रोकना
चालिए।
ब्राह्मे मुहूता उलत्तष्ठेत्स्वस्थो रक्षाथामायुषः| (अटांगहृदय)
• AYURVEDA ADVOCATES WAKING UP EARLY IN THE
MORNING I.E. IN BRAHMAMUHURTA 4.30-5.00 AM
(45 MINUTES BEFORE SUN RISE). IT IS CONSIDERED
AS HEALTHIEST PRACTICE AND HELPS IN
PREVENTING MANY DISEASES.
• स्वास्थ्य की रक्षा चािने र्वािे को सुबि ब्राह्ममुहूता (अथाात सूयोदय से
45 लमनट पििे) में उठना चालिए ।
सद्वचनमनुष्ठेयानाम् (चरकसंलिता)
ONE SHOULD FOLLOW ETHICAL PRACTICES FOR THE
MENTAL HEALTH PROMOTION.
• व्यस्क्त को िमेशा सद्वचनों का (अच्छे र्वचनों का) पािन करना
चालिए ।
अभ्यङ्गमाचरेलित्यं । (अटांगहृदय)
APPLICATION OF OIL ON BODY SHOULD BE DONE ON DAILY BASIS.
• प्रलतलदन शरीर की मालिश करनी चालिए ।
आद्रासन्तानता त्यागः कायर्वाक्चेतसां दमः|
स्वाथाबुस्िः पराथेषु पयााप्तलमलत सद्व्रतम्|| (अटांगहृदय)
• COMPASSION TOWARDS ALL LIVING BEINGS, CONTROLLING THE
ACTIVITIES OF MIND, BODY AND SPEECH, SHOWING SELFLESS
DEVOTION TO THE CAUSE OF OTHERS ARE CONSIDERED AS GOOD
CONDUCT.
• सभी जीर्वों क
े प्रलत करुणा, मन, शरीर और र्वाणी की गलतलर्वलर्यों को लनयंलत्रत रखना,
दू सरों क
े लिए लनःस्वाथा भस्क्त िोना यि अच्छा आचरण माना जाता िै।
लदनचयां लनशाचयां ऋतुचयां यथोलदताम् |
आचरणपुरुषःस्वस्थः सदा लतष्ठलत नान्यथा ||
• A PERSON REMAINS ALWAYS HEALTHY BY THE SYSTEMATIC PRACTICE OF THE
DAY-SCHEDULES, NIGHT-SCHEDULES, AND SEASONAL SCHEDULES AS
PRESCRIBED IN VARIOUS BRANCHES OF THE HEALTH SCIENCE AND ANY
DEVIATION TO SUCH PRACTICE WOULD CAUSE DETERIORATION TO GOOD
HEALTH.
• स्वास्थ्य लर्वज्ञान की लर्वलभि शाखाओं में लनर्ााररत लदनचयाा, रालत्रचयाा और ऋतुचयाा क
े उलचत अभ्यास से
व्यस्क्त िमेशा स्वस्थ बना रिता िै और इस तरि क
े अभ्यास क
े न करने से स्वास्थ्य खराब िो सकता िै।
ऋत्वोरन्त्यालदसप्तािार्वृतुसस्िररलत स्मृतः|
तत्र पूर्वो लर्वलर्स्त्याज्यः सेर्वनीयोऽपरः क्रमात्||
असात्म्यजा लि रोगाः स्युः सिसा त्यागशीिनात् ।। (चरकसंलिता)
• THE LAST WEEK OF THE PREVIOUS SEASON AND THE FIRST WEEK OF THE NEXT
SEASON IS A TRANSITION PERIOD AND IT IS CALLED AS RITUSANDHI.
• DURING THIS PERIOD, ONE IS EXPECTED TO SYSTEMATICALLY SWITCH FROM THE
REGIMEN OF PREVIOUS SEASON TO THAT OF THE COMING SEASON SINCE SUDDEN
CHANGE IN DIET AND LIFESTYLE CAN LEAD TO VARIOUS ILLNESS.
• लपछिे ऋतु का अंलतम सप्ताि और अगिे ऋतु का पििा सप्ताि एक संक्रमण काि िै और इसे ऋतुसंलर्
किा जाता िै।
• इस अर्वलर् क
े दौरान, लपछिे ऋतु क
े आिार से आने र्वािे ऋतु में व्यर्वस्स्थत रूप से पररर्वतान करने की
उम्मीद िै क्ोंलक आिार और जीर्वन शैिी में अचानक बदिार्व से लर्वलभि बीमाररयां िो सकती िैं।
परहेज़ करें:
लिग्ध, ठं डा, मीठा और खट्टा खाना उलचत निीं िै।
नए कटे हुए अनाज, दिी, ठं डे पेय से बचना चालिए।
लदन में निीं सोना चालिए।
स्वस्थ रहने क
े लिए आदर्श दैलनक व्यवस्था:
तांबे क
े बतान में रखा 1 लगिास पानी लपएं
गरारे करना और औषर्ीय पानी से मुंि र्ोना
प्रत्येक नासा लछद्र में औषर्ीय तेि डािें
दांतों को ब्रश करें, जीभ को साफ रखें
मुख में तेि र्ारण करें
व्यायाम, प्राणायाम और योग का अभ्यास करें|
आहार संर्ोधन
आसानी से पचने र्वािे खाद्य पदाथा (अनाज
जैसे चार्वि, बाजरा, जौ आलद और दािें जैसे
िाि मसूर, िरे चने आलद) की सिाि दी
जाती िै।
आिार में िरी पत्तेदार सस्ियां, बीन्स,
मूिी, गाजर, बैगन, मशरूम का प्रयोग करें।
शिद को आिार में शालमि करना चालिए।
शिद और अदरक लमिाकर पीने क
े लिए
इस्तेमाि करें।
वसंत ऋतु (मध्य मार्श से मध्य मई )
लर्लर्र ऋतु (मध्य जनवरी से मध्य मार्श )
स्वस्थ रहने क
े लिए आदर्श दैलनक व्यवस्था:
½ -1 लगिास गुनगुना पानी पीये ।
मूर्ालन तेि (लसर पर तेि िगाना) र्व प्रत्येक नाक में अणुतैि
की 2 बूंदें डािें।
लति क
े तेि या बिा तेि से अपने शरीर की मालिश करें र्व
मुख में तैि का र्ारण करे |
र्ूपन (औषर्ीय र्ुएं का साैँस िेना) र्व अंजन का प्रयोग
आहार संर्ोधन
अनाज (गेहूं, मक्का, बाजरा आलद) और दािें (कािे
चना आलद), नए र्ान्य (चार्वि), मांस सूप का सेर्वन
करे|
आिार में दू र् उत्पाद र्व लति क
े िड्ड
ू , गोंद क
े
िड्ड
ू , गजक का प्रयोग करे |
दिी को चीनी, िरे चने क
े सूप, शिद और आंर्विे
क
े साथ लिया जा सकता िै और इसे रात में निीं
िेना चालिए।
आिार में िरी पत्तेदार सस्ियां, बीन्स, गाजर,
मूिी, बैगन, मशरूम का प्रयोग लकया जा सकता िै।
परहेज़ करें:
ठं डी िर्वाओ क
े संपक
ा में निीं आना चालिए।
कटु (तीखा), लतक्त (कड़र्वा) और कषाय (कसैिा) स्वाद प्रमुख खाद्य पदाथा का सेर्वन न करे |
कम मात्रा में, िल्का और आसानी से पचने र्वािा भोजन ना खाये ।
लदन में न सोयें और रात को देर तक न जागे।
हेमंत ऋतु (नवंबर क
े मध्य से जनवरी क
े मध्य तक )
ऋतुर्ोधन:
बिा तेि क
े साथ अभ्यंग (तेि की मालिश) करें
गमा पानी क
े साथ स्वेदन (सेंक) करें
मूलना तेि (लसर पर तेि िगाना)
र्ूमपान (औषर्ीय र्ुएं का साैँस िेना)
अञ्जन का प्रयोग करें
शरीर पर अगुरु का िेप करना चालिए।
परहेज़ करें:
अत्यलर्क चिना।
ठं डी िर्वाओं का सेर्वन करना।
लदन में सोना और रात में देर से सोना।
िल्का और सुपाच्य भोजन कम मात्रा में
िेना।
आहार संर्ोधन:
लिग्ध, मीठा, खट्टा और नमकीन भोजन करे |
नए चार्वि, गेहूं क
े आटे से बने पदाथा, िरे चने, कािे चने को आिार में िेना चालिए।
मांस, तेि, र्वसा, दू र् और दू र् उत्पाद, गिा उत्पाद, लति आलद का सेर्वन करना चालिए।
दिी को चीनी, मूंग का सूप, शिद और आंर्विे क
े साथ िें और इसे रात में निीं िेना चालिए।
ग्रीष्म ऋतु (मध्य मई से मध्य जुिाई तक)
ऋतु अनुक
ू ि आहार-लवहार:
िल्क
े और आसानी से पचने योग्य भोजन (चार्वि, बाजरे, चना, िाि मसूर) मीठा, खट्टा, ठं डा और तरि पदाथा िेना चालिए।
पंचसार पानक - द्राक्षा (कािी लकशलमश), मुिेठी, गम्भारी, खजूर, फािसा क
े रस से तैयार लकया जा सकता िै।
ठं डे पानी का सेर्वन, छाछ, फिों का रस, मांस का सूप, आम का रस, भैंस का दू र् चीनी क
े साथ िेना चालिए।
सत्तू (भुना हुआ और लपसी हुई दाि और अनाज) चीनी क
े साथ लमिाकर लिया जा सकता िै।
आिार में करेिा, सिजन, िौकी, लभंडी, बैगन, खरबूजा को शालमि लकया जा सकता िै।
परहेज़ करें:
नमकीन, तीखे, खट्टे खाद्य पदाथा, शराब से बचना
चालिए।
अत्यलर्क व्यायाम या कड़ी मेिनत से बचना
िोगा।
अलर्क र्ूप क
े संपक
ा में आने से बचना चालिए।
जीवन र्ैिी संर्ोधन:
िरीतकी (3 ग्राम) गुड़ क
े साथ िेनी चालिए।
ठं डी जगिों पर रिने और रात में ठं डी िर्वा का
आनंद िेने की सिाि दी जाती िै।
शरीर पर चंदन और अन्य सुगंलर्त िेप िगाने से।
लदन में सोने की सिाि दी जाती िै िेलकन 45 लमनट
से ज्यादा निीं।
र्रद ऋतु (मध्य लसतंबर से मध्य नवंबर तक)
आहार संर्ोधन:
मर्ुर, लतक्त (कड़र्वा), कसैिा रस और िल्का पचने र्वािा भोजन करना चालिए।
उबिे हुए दू र् में चीनी और मेर्वे लमिाकर पूलणामा क
े लदन चांदनी में रख दें, इस दू र् को रात में भी िे सकते िैं।
आिार में िौकी, कद् दू , लभंडी, बैगन, ग्वार बीन्स को शालमि लकया जा सकता िै।
जीवन र्ैिी में संर्ोधन:
िरीतकी -3 ग्राम चीनी क
े साथ िेनी चालिए।
चंदन क
े िेप का प्रयोग शरीर पर लकया जाना चालिए , शाम को चांदनी में टििना चालिए।
िल्का व्यायाम करना चालिए।
न करने योग्य कायश:
ऐसे भोजन से परिेज करें जो स्वाद में गमा, तीखा, खट्टा और नमकीन िो।
तेि, जिीय जंतुओं का मांस, दिी से परिेज करना चालिए।
अलर्क र्ूप क
े संपक
ा , लदन की नींद से बचना चालिए।
वर्ाश ऋतु (मध्य जुिाई से मध्य लसतंबर तक )
आहार संर्ोधन:
आसानी से पचने र्वािे खाद्य पदाथा िे |
कद् दू , तुरई, लभंडी, बैगन, खरबूजा को आिार में शालमि करना चालिए।
शिद को आिार में शालमि करना चालिए।
पंचकोि चूणा क
े साथ मस्तु की सिाि दी जाती िै।
जीवन र्ैिी में संर्ोधन:
िरीतकी - 3 ग्राम सेंर्ानमक क
े साथ सेर्वन करना चालिए।
िल्क
े व्यायाम, योग, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करना चालिए।
सूखे सूती कपड़े पिनने चालिए।
परहेज़ करें:
लचपलचपा, ठं डा, मीठा खाद्य पदाथा उलचत निीं िैं।
लदन की नींद से बचा जाना चालिए।

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  • 1. AYURVEDA FOR HOLISTIC HEALTH समग्र स्वास्थ्य क े लिए आयुर्वेद CELEBRATION OF AYURVEDA @ 2047 Holistic health - Physical, mental, emotional, social, intellectual, and spiritual health
  • 2. उष्णमश्नीयात् (चरकसंलिता) • ताजा तथा गरम भोजन ग्रिण करना चालिए । • It is better to consume food within one hour after its preparation. The warm and fresh food is tasty and stimulates digestive fire, resulting in fast digestion proper absorption and further stimulates the peristaltic movement. • ताजा भोजन अथाात बनने क े 1 घण्टे क े भीतर सेर्वन करना चालिए। क्ोंलक यि भोजन रुलचकारक िोता िै और अलि को प्रदीप्त करता िै | लजससे आिार् का जल्दी पाचन िोता िै और आन्त्र की गलत लनयलमत रिती िै । Eat fresh and warm food
  • 3. मात्रार्वत् अश्नीयात् (चरकसंलिता) Have food in proper quantity उलचत मात्रा में भोजन का ग्रिण करना चालिए ।
  • 4. व्यायामः स्थैयाकराणाम् (चरकसंलिता) BRINGING ABOUT FIRMNESS/STABILITY IN BODY • व्यायाम से शरीर को स्स्थरता प्राप्त िोती िै ।
  • 5. INTAKE OF FOOD IN TIME (KALABHOJANA) IS CONSIDERED AS A HEALTHY PRACTICE TO PROMOTE HEALTH (AROGYAKARANAM) • उलचत समय पर भोजन करने से स्वास्थ्य का संर्वर्ान िोता िै । कािभोजनमारोग्यकराणां (चरकसंलिता)
  • 6. लर्वषादो रोगर्वर्ानानां (चरकसंलिता) GRIEF (VISHADA) IS THE MAIN REASON FOR AGGRAVATION OF DISEASES (ROGAVARDHANANAM) • अलर्क लचंता से सभी रोग बढते िैैँ ।
  • 7. नरो लितािारलर्विारसेर्वी समीक्ष्यकारी लर्वषयेष्वसक्तः| दाता समः सत्यपरः क्षमार्वानाप्तोपसेर्वी च भर्वत्यरोगः|| (चरकसंलिता) • THE MAN WHO USES WHOLESOME DIET AND BEHAVIOR, WHO MOVES CAUTIOUSLY, WHO IS UNATTACHED TO SENSUAL PLEASURES, WHO DONATES, OBSERVES EQUALITY,WHO IS TRUTHFUL, WHO IS FORBEARING AND WHO IS DEVOTED TO VENERABLE PEOPLE BECOMES FREE FROM DISEASES. नीरोगी काया / स्वस्थ पुरुष आिार लर्विार • सोच समझ कर काया • शारीररक सुखों क े प्रलत अनासक्त • दान • समानता का पािन • सत्यर्वादी • सिनशीि • ज्ञानर्वान िोगों क े प्रलत समलपात
  • 8. आिारो मिाभैषज्यं उच्यते । (काश्यपसंलिता) APPROPRIATE FOOD IS CONSIDERED AS THE BEST MEDICINE. • आिार िी सर्वोत्तम औषर् िै ।
  • 9. लनद्रायत्तं सुखं दुःखं पुलटः काश्यं बिाबिम्| (चरकसंलिता) • IN HUMAN BEINGS, HAPPINESS AND MISERY, NOURISHMENT AND EMACIATION, STRENGTH AND WEAKNESS DEPEND UPON PROPER AND IMPROPER SLEEP. • मनुष्य में सुख और दुःख, पोषण और क ृ शता, शस्क्त और दुबािता उलचत और अनुलचत नींद पर लनभार करती िै।
  • 10. नगरी नगरस्येर्व रथस्येर्व रथी यथा| स्वशरीरस्य मेर्ार्वी क ृ त्येष्वर्वलितो भर्वेत्|| (चरकसंलिता) • LIKE THE LORD OF A CITY IN THE AFFAIRS OF HIS CITY, AND A CHARIOTEER IN THE MANAGEMENT OF HIS CHARIOT, SO SHOULD A WISE MAN BE EVER VIGILANT IN THE CARING OF HIS OWN BODY • जैसे नगर का स्वामी अपने नगर का और एक क ु शि सारथी अपने रथ का ध्यान रखता िै, र्वैसे िी एक बुस्िमान व्यस्क्त को अपने शरीर की देखभाि में िमेशा सतक ा रिना चालिए ।
  • 11. न नक्तं दलर् भुञ्जीत (चरकसंलिता) CURD SHOULD NOT BE CONSUMED AT NIGHT • रात को दिी का सेर्वन र्वलजात िै ।
  • 12. न र्वेगान् र्ारयेिीमाञ्जातान् मूत्रपुरीषयोः| (चरकसंलिता) • THE INTELLIGENT PERSON SHOULD NOT SUPPRESS THE NATURAL URGES INITIATED BY SENSATIONS OF URINE AND DEFECATION • बुस्िमान व्यस्क्त को अपने मूत्र और पुरीष की प्राक ृ लतक संर्वेदनाओं को निीं रोकना चालिए।
  • 13. ब्राह्मे मुहूता उलत्तष्ठेत्स्वस्थो रक्षाथामायुषः| (अटांगहृदय) • AYURVEDA ADVOCATES WAKING UP EARLY IN THE MORNING I.E. IN BRAHMAMUHURTA 4.30-5.00 AM (45 MINUTES BEFORE SUN RISE). IT IS CONSIDERED AS HEALTHIEST PRACTICE AND HELPS IN PREVENTING MANY DISEASES. • स्वास्थ्य की रक्षा चािने र्वािे को सुबि ब्राह्ममुहूता (अथाात सूयोदय से 45 लमनट पििे) में उठना चालिए ।
  • 14. सद्वचनमनुष्ठेयानाम् (चरकसंलिता) ONE SHOULD FOLLOW ETHICAL PRACTICES FOR THE MENTAL HEALTH PROMOTION. • व्यस्क्त को िमेशा सद्वचनों का (अच्छे र्वचनों का) पािन करना चालिए ।
  • 15. अभ्यङ्गमाचरेलित्यं । (अटांगहृदय) APPLICATION OF OIL ON BODY SHOULD BE DONE ON DAILY BASIS. • प्रलतलदन शरीर की मालिश करनी चालिए ।
  • 16. आद्रासन्तानता त्यागः कायर्वाक्चेतसां दमः| स्वाथाबुस्िः पराथेषु पयााप्तलमलत सद्व्रतम्|| (अटांगहृदय) • COMPASSION TOWARDS ALL LIVING BEINGS, CONTROLLING THE ACTIVITIES OF MIND, BODY AND SPEECH, SHOWING SELFLESS DEVOTION TO THE CAUSE OF OTHERS ARE CONSIDERED AS GOOD CONDUCT. • सभी जीर्वों क े प्रलत करुणा, मन, शरीर और र्वाणी की गलतलर्वलर्यों को लनयंलत्रत रखना, दू सरों क े लिए लनःस्वाथा भस्क्त िोना यि अच्छा आचरण माना जाता िै।
  • 17. लदनचयां लनशाचयां ऋतुचयां यथोलदताम् | आचरणपुरुषःस्वस्थः सदा लतष्ठलत नान्यथा || • A PERSON REMAINS ALWAYS HEALTHY BY THE SYSTEMATIC PRACTICE OF THE DAY-SCHEDULES, NIGHT-SCHEDULES, AND SEASONAL SCHEDULES AS PRESCRIBED IN VARIOUS BRANCHES OF THE HEALTH SCIENCE AND ANY DEVIATION TO SUCH PRACTICE WOULD CAUSE DETERIORATION TO GOOD HEALTH. • स्वास्थ्य लर्वज्ञान की लर्वलभि शाखाओं में लनर्ााररत लदनचयाा, रालत्रचयाा और ऋतुचयाा क े उलचत अभ्यास से व्यस्क्त िमेशा स्वस्थ बना रिता िै और इस तरि क े अभ्यास क े न करने से स्वास्थ्य खराब िो सकता िै।
  • 18. ऋत्वोरन्त्यालदसप्तािार्वृतुसस्िररलत स्मृतः| तत्र पूर्वो लर्वलर्स्त्याज्यः सेर्वनीयोऽपरः क्रमात्|| असात्म्यजा लि रोगाः स्युः सिसा त्यागशीिनात् ।। (चरकसंलिता) • THE LAST WEEK OF THE PREVIOUS SEASON AND THE FIRST WEEK OF THE NEXT SEASON IS A TRANSITION PERIOD AND IT IS CALLED AS RITUSANDHI. • DURING THIS PERIOD, ONE IS EXPECTED TO SYSTEMATICALLY SWITCH FROM THE REGIMEN OF PREVIOUS SEASON TO THAT OF THE COMING SEASON SINCE SUDDEN CHANGE IN DIET AND LIFESTYLE CAN LEAD TO VARIOUS ILLNESS. • लपछिे ऋतु का अंलतम सप्ताि और अगिे ऋतु का पििा सप्ताि एक संक्रमण काि िै और इसे ऋतुसंलर् किा जाता िै। • इस अर्वलर् क े दौरान, लपछिे ऋतु क े आिार से आने र्वािे ऋतु में व्यर्वस्स्थत रूप से पररर्वतान करने की उम्मीद िै क्ोंलक आिार और जीर्वन शैिी में अचानक बदिार्व से लर्वलभि बीमाररयां िो सकती िैं।
  • 19. परहेज़ करें: लिग्ध, ठं डा, मीठा और खट्टा खाना उलचत निीं िै। नए कटे हुए अनाज, दिी, ठं डे पेय से बचना चालिए। लदन में निीं सोना चालिए। स्वस्थ रहने क े लिए आदर्श दैलनक व्यवस्था: तांबे क े बतान में रखा 1 लगिास पानी लपएं गरारे करना और औषर्ीय पानी से मुंि र्ोना प्रत्येक नासा लछद्र में औषर्ीय तेि डािें दांतों को ब्रश करें, जीभ को साफ रखें मुख में तेि र्ारण करें व्यायाम, प्राणायाम और योग का अभ्यास करें| आहार संर्ोधन आसानी से पचने र्वािे खाद्य पदाथा (अनाज जैसे चार्वि, बाजरा, जौ आलद और दािें जैसे िाि मसूर, िरे चने आलद) की सिाि दी जाती िै। आिार में िरी पत्तेदार सस्ियां, बीन्स, मूिी, गाजर, बैगन, मशरूम का प्रयोग करें। शिद को आिार में शालमि करना चालिए। शिद और अदरक लमिाकर पीने क े लिए इस्तेमाि करें। वसंत ऋतु (मध्य मार्श से मध्य मई )
  • 20. लर्लर्र ऋतु (मध्य जनवरी से मध्य मार्श ) स्वस्थ रहने क े लिए आदर्श दैलनक व्यवस्था: ½ -1 लगिास गुनगुना पानी पीये । मूर्ालन तेि (लसर पर तेि िगाना) र्व प्रत्येक नाक में अणुतैि की 2 बूंदें डािें। लति क े तेि या बिा तेि से अपने शरीर की मालिश करें र्व मुख में तैि का र्ारण करे | र्ूपन (औषर्ीय र्ुएं का साैँस िेना) र्व अंजन का प्रयोग आहार संर्ोधन अनाज (गेहूं, मक्का, बाजरा आलद) और दािें (कािे चना आलद), नए र्ान्य (चार्वि), मांस सूप का सेर्वन करे| आिार में दू र् उत्पाद र्व लति क े िड्ड ू , गोंद क े िड्ड ू , गजक का प्रयोग करे | दिी को चीनी, िरे चने क े सूप, शिद और आंर्विे क े साथ लिया जा सकता िै और इसे रात में निीं िेना चालिए। आिार में िरी पत्तेदार सस्ियां, बीन्स, गाजर, मूिी, बैगन, मशरूम का प्रयोग लकया जा सकता िै। परहेज़ करें: ठं डी िर्वाओ क े संपक ा में निीं आना चालिए। कटु (तीखा), लतक्त (कड़र्वा) और कषाय (कसैिा) स्वाद प्रमुख खाद्य पदाथा का सेर्वन न करे | कम मात्रा में, िल्का और आसानी से पचने र्वािा भोजन ना खाये । लदन में न सोयें और रात को देर तक न जागे।
  • 21. हेमंत ऋतु (नवंबर क े मध्य से जनवरी क े मध्य तक ) ऋतुर्ोधन: बिा तेि क े साथ अभ्यंग (तेि की मालिश) करें गमा पानी क े साथ स्वेदन (सेंक) करें मूलना तेि (लसर पर तेि िगाना) र्ूमपान (औषर्ीय र्ुएं का साैँस िेना) अञ्जन का प्रयोग करें शरीर पर अगुरु का िेप करना चालिए। परहेज़ करें: अत्यलर्क चिना। ठं डी िर्वाओं का सेर्वन करना। लदन में सोना और रात में देर से सोना। िल्का और सुपाच्य भोजन कम मात्रा में िेना। आहार संर्ोधन: लिग्ध, मीठा, खट्टा और नमकीन भोजन करे | नए चार्वि, गेहूं क े आटे से बने पदाथा, िरे चने, कािे चने को आिार में िेना चालिए। मांस, तेि, र्वसा, दू र् और दू र् उत्पाद, गिा उत्पाद, लति आलद का सेर्वन करना चालिए। दिी को चीनी, मूंग का सूप, शिद और आंर्विे क े साथ िें और इसे रात में निीं िेना चालिए।
  • 22. ग्रीष्म ऋतु (मध्य मई से मध्य जुिाई तक) ऋतु अनुक ू ि आहार-लवहार: िल्क े और आसानी से पचने योग्य भोजन (चार्वि, बाजरे, चना, िाि मसूर) मीठा, खट्टा, ठं डा और तरि पदाथा िेना चालिए। पंचसार पानक - द्राक्षा (कािी लकशलमश), मुिेठी, गम्भारी, खजूर, फािसा क े रस से तैयार लकया जा सकता िै। ठं डे पानी का सेर्वन, छाछ, फिों का रस, मांस का सूप, आम का रस, भैंस का दू र् चीनी क े साथ िेना चालिए। सत्तू (भुना हुआ और लपसी हुई दाि और अनाज) चीनी क े साथ लमिाकर लिया जा सकता िै। आिार में करेिा, सिजन, िौकी, लभंडी, बैगन, खरबूजा को शालमि लकया जा सकता िै। परहेज़ करें: नमकीन, तीखे, खट्टे खाद्य पदाथा, शराब से बचना चालिए। अत्यलर्क व्यायाम या कड़ी मेिनत से बचना िोगा। अलर्क र्ूप क े संपक ा में आने से बचना चालिए। जीवन र्ैिी संर्ोधन: िरीतकी (3 ग्राम) गुड़ क े साथ िेनी चालिए। ठं डी जगिों पर रिने और रात में ठं डी िर्वा का आनंद िेने की सिाि दी जाती िै। शरीर पर चंदन और अन्य सुगंलर्त िेप िगाने से। लदन में सोने की सिाि दी जाती िै िेलकन 45 लमनट से ज्यादा निीं।
  • 23. र्रद ऋतु (मध्य लसतंबर से मध्य नवंबर तक) आहार संर्ोधन: मर्ुर, लतक्त (कड़र्वा), कसैिा रस और िल्का पचने र्वािा भोजन करना चालिए। उबिे हुए दू र् में चीनी और मेर्वे लमिाकर पूलणामा क े लदन चांदनी में रख दें, इस दू र् को रात में भी िे सकते िैं। आिार में िौकी, कद् दू , लभंडी, बैगन, ग्वार बीन्स को शालमि लकया जा सकता िै। जीवन र्ैिी में संर्ोधन: िरीतकी -3 ग्राम चीनी क े साथ िेनी चालिए। चंदन क े िेप का प्रयोग शरीर पर लकया जाना चालिए , शाम को चांदनी में टििना चालिए। िल्का व्यायाम करना चालिए। न करने योग्य कायश: ऐसे भोजन से परिेज करें जो स्वाद में गमा, तीखा, खट्टा और नमकीन िो। तेि, जिीय जंतुओं का मांस, दिी से परिेज करना चालिए। अलर्क र्ूप क े संपक ा , लदन की नींद से बचना चालिए।
  • 24. वर्ाश ऋतु (मध्य जुिाई से मध्य लसतंबर तक ) आहार संर्ोधन: आसानी से पचने र्वािे खाद्य पदाथा िे | कद् दू , तुरई, लभंडी, बैगन, खरबूजा को आिार में शालमि करना चालिए। शिद को आिार में शालमि करना चालिए। पंचकोि चूणा क े साथ मस्तु की सिाि दी जाती िै। जीवन र्ैिी में संर्ोधन: िरीतकी - 3 ग्राम सेंर्ानमक क े साथ सेर्वन करना चालिए। िल्क े व्यायाम, योग, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करना चालिए। सूखे सूती कपड़े पिनने चालिए। परहेज़ करें: लचपलचपा, ठं डा, मीठा खाद्य पदाथा उलचत निीं िैं। लदन की नींद से बचा जाना चालिए।