नैमिषारण्य तीर्थ विश्व का सबसे प्राचीन तीर्थ है क्योंकि सतयुग के प्रारम्भ में जब सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने मनु और सतरूपा नामक प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री को मैथुनी सृष्टि के लिये प्रकट किया तब इन दोनांे ने पृथ्वी लोक पर दीर्घ समय तक एक क्षत्र राज्य किया और प्रकृति द्वारा प्रदत्त अनेको ऐश्वर्यो का भोग कर अपना राज्य अपने पुत्र को खुशी - खुशी देकर आत्म संतुष्टि के लिये चल पड़े। सम्पूर्ण विश्व की वन्दनीय, दिव्य ऋषि मुनियाे से सेवित नैमिषारण्य नामक तपोभूमि में आकर तपस्या की।
यह पुराण दो भागों से युक्त है और सनातन भगवान विष्णु के माहात्मय का सूचक है। वाराह पुराण की श्लोक संख्या चौबीस हजार है, इसे सर्वप्रथम प्राचीन काल में वेदव्यास जी ने लिपिबद्ध किया था।[2] इसमें भगवान श्रीहरिके वराह अवतार की मुख्य कथा के साथ अनेक तीर्थ, व्रत, यज्ञ-यजन, श्राद्ध-तर्पण, दान और अनुष्ठान आदि का शिक्षाप्रद और आत्मकल्याणकारी वर्णन है।
हिन्दी परियोजना कार्य
फसल -नागार्जुन
लेखक परिजय
नागार्जुन (३० जून १९११-५ नवंबर १९९८) हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे। उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था परंतु हिन्दी साहित्य में उन्होंने नागार्जुन तथा मैथिली में यात्री उपनाम से रचनाएँ कीं। इनके पिता श्री गोकुल मिश्र तरउनी गांव के एक किसान थे और खेती के अलावा पुरोहिती आदि के सिलसिले में आस-पास के इलाकों में आया-जाया करते थे। उनके साथ-साथ नागार्जुन भी बचपन से ही “यात्री” हो गए। आरंभिक शिक्षा प्राचीन पद्धति से संस्कृत में हुई किन्तु आगे स्वाध्याय पद्धति से ही शिक्षा बढ़ी। राहुल सांकृत्यायन “संयुक्त निकाय” का अनुवाद पढ़कर वैद्यनाथ की इच्छा हुई कि यह ग्रंथ मूल पालि में पढ़ा जाए। इसके लिए वे लंका चले गए जहाँ वे स्वयं पालि पढ़ते थे और मठ के “भिक्खुओं” को संस्कृत पढ़ाते थे। यहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली।
साहित्य में स्थान
'युगधारा', खिचडी़', 'विप्लव देखा हमने', 'पत्रहीन नग्न गाछ', 'प्यासी पथराई आँखें', इस गुब्बारे की छाया में', 'सतरंगे पंखोंवाली', 'मैं मिलिट्री का बूढा़ घोड़ा' जैसी रचनाओं से आम जनता में चेतना फैलाने वाले नागार्जुन के साहित्य पर विमर्श का सारांश था कि बाबा नागार्जुन जनकवि थे और वे अपनी कविताओं में आम लोगों के दर्द को बयाँ करते थे।उनकी विचारधारा यथार्थ जीवन के अन्तर्विरोधों को समझने में मदद करती है। वर्ष 1911 इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि उसी वर्ष शमशेर बहादुर सिंह, केदारनाथ अग्रवाल, फैज एवं नागार्जुन पैदा हुए। उनके संघर्ष, क्रियाकलापों और उपलब्धियों के कारण बीसवीं सदी महत्वपूर्ण बनी।
पुरस्कार
नागार्जुन को १९६५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से उनके ऐतिहासिक मैथिली रचना पत्रहीन नग्न गाछ के लिए १९६९ में नवाजा ग
पाठ योजना
कक्षा :
दिनांक :
पाठ का नाम : कबीर की साखी
सर्वप्रथम विद्यार्थियों को कबीरदास का परिचय देते हुए उनके काव्य पाठ ’ साखी ’ का भाव एंव व्याख्यान निम्नलिखित रुप से बताया जाएगा।
निमोनिक्स, एक ऐसी तकनीक होती है जो मूल सूचना को पहले से ज्ञात बाहरी या आंतरिक युक्तियों [संकेत, प्रतिबिंब, ध्वनि इत्यादि] के साथ संधिबद्ध करके सीखी हुई सामग्री के [सही] प्रत्याह्वान और उसके अवधरण के लिए प्रयोग की जाती है
नैमिषारण्य तीर्थ विश्व का सबसे प्राचीन तीर्थ है क्योंकि सतयुग के प्रारम्भ में जब सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने मनु और सतरूपा नामक प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री को मैथुनी सृष्टि के लिये प्रकट किया तब इन दोनांे ने पृथ्वी लोक पर दीर्घ समय तक एक क्षत्र राज्य किया और प्रकृति द्वारा प्रदत्त अनेको ऐश्वर्यो का भोग कर अपना राज्य अपने पुत्र को खुशी - खुशी देकर आत्म संतुष्टि के लिये चल पड़े। सम्पूर्ण विश्व की वन्दनीय, दिव्य ऋषि मुनियाे से सेवित नैमिषारण्य नामक तपोभूमि में आकर तपस्या की।
यह पुराण दो भागों से युक्त है और सनातन भगवान विष्णु के माहात्मय का सूचक है। वाराह पुराण की श्लोक संख्या चौबीस हजार है, इसे सर्वप्रथम प्राचीन काल में वेदव्यास जी ने लिपिबद्ध किया था।[2] इसमें भगवान श्रीहरिके वराह अवतार की मुख्य कथा के साथ अनेक तीर्थ, व्रत, यज्ञ-यजन, श्राद्ध-तर्पण, दान और अनुष्ठान आदि का शिक्षाप्रद और आत्मकल्याणकारी वर्णन है।
हिन्दी परियोजना कार्य
फसल -नागार्जुन
लेखक परिजय
नागार्जुन (३० जून १९११-५ नवंबर १९९८) हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे। उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था परंतु हिन्दी साहित्य में उन्होंने नागार्जुन तथा मैथिली में यात्री उपनाम से रचनाएँ कीं। इनके पिता श्री गोकुल मिश्र तरउनी गांव के एक किसान थे और खेती के अलावा पुरोहिती आदि के सिलसिले में आस-पास के इलाकों में आया-जाया करते थे। उनके साथ-साथ नागार्जुन भी बचपन से ही “यात्री” हो गए। आरंभिक शिक्षा प्राचीन पद्धति से संस्कृत में हुई किन्तु आगे स्वाध्याय पद्धति से ही शिक्षा बढ़ी। राहुल सांकृत्यायन “संयुक्त निकाय” का अनुवाद पढ़कर वैद्यनाथ की इच्छा हुई कि यह ग्रंथ मूल पालि में पढ़ा जाए। इसके लिए वे लंका चले गए जहाँ वे स्वयं पालि पढ़ते थे और मठ के “भिक्खुओं” को संस्कृत पढ़ाते थे। यहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली।
साहित्य में स्थान
'युगधारा', खिचडी़', 'विप्लव देखा हमने', 'पत्रहीन नग्न गाछ', 'प्यासी पथराई आँखें', इस गुब्बारे की छाया में', 'सतरंगे पंखोंवाली', 'मैं मिलिट्री का बूढा़ घोड़ा' जैसी रचनाओं से आम जनता में चेतना फैलाने वाले नागार्जुन के साहित्य पर विमर्श का सारांश था कि बाबा नागार्जुन जनकवि थे और वे अपनी कविताओं में आम लोगों के दर्द को बयाँ करते थे।उनकी विचारधारा यथार्थ जीवन के अन्तर्विरोधों को समझने में मदद करती है। वर्ष 1911 इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि उसी वर्ष शमशेर बहादुर सिंह, केदारनाथ अग्रवाल, फैज एवं नागार्जुन पैदा हुए। उनके संघर्ष, क्रियाकलापों और उपलब्धियों के कारण बीसवीं सदी महत्वपूर्ण बनी।
पुरस्कार
नागार्जुन को १९६५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से उनके ऐतिहासिक मैथिली रचना पत्रहीन नग्न गाछ के लिए १९६९ में नवाजा ग
पाठ योजना
कक्षा :
दिनांक :
पाठ का नाम : कबीर की साखी
सर्वप्रथम विद्यार्थियों को कबीरदास का परिचय देते हुए उनके काव्य पाठ ’ साखी ’ का भाव एंव व्याख्यान निम्नलिखित रुप से बताया जाएगा।
निमोनिक्स, एक ऐसी तकनीक होती है जो मूल सूचना को पहले से ज्ञात बाहरी या आंतरिक युक्तियों [संकेत, प्रतिबिंब, ध्वनि इत्यादि] के साथ संधिबद्ध करके सीखी हुई सामग्री के [सही] प्रत्याह्वान और उसके अवधरण के लिए प्रयोग की जाती है
3. काल प्रमुख रचनाकार
आहिकाल चंिबरिाई
आममर खुसरो
त्तवद्यापति
काल प्रमुख रचनाकार
भस्तिकाल कबीर
िािू
रैिास
नानक
जायसी
कु िुबन
िुलसीिास
के शव
सूरिास
मीराबाई
अष्ट छाप के कत्तव
काल प्रमुख रचनाकार
रीतिकाल िेव
घनानंि
बबिारी
मतिराम
सेनापति
भूषण
पिमाकर
4. काल प्रमुख रचनाकार
आधुतनक काल भारिेंिु युग
भारिेंिु िररश्चन्द्र
बालमुकु न्द्ि गुप्ि
बरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
द्त्तववेिी युग
मिावीर प्रसाि द्त्तववेिी
श्रीधर पाठक
अयोध्या मसंि उपाध्याय 'िररऔध'
मैिलीशरण गुप्ि
छायावाि
जयशंकर प्रसाि
मिािेवी वमाा
सुममत्रानंिन पन्द्ि
सूयाकान्द्ि बत्रपाठी 'तनराला'
5. काल प्रमुख रचनाकार
प्रगतिवाि
पन्द्ि
तनराला
नरेन्द्र शमाा
के िारनाि अग्रवाल
नागाजुान
प्रयोगवाि
मुस्तिबोध
नेममचंर जैन
भारिभूषण अग्रवाल
प्रभाकर माचवे
थगररजाकु मार मािुर
रामत्तवलास शमाा
अज्ञेय
नई कत्तविा
भवानी प्रसाि ममश्र
नरेन्द्र शमाा
धूममल
धमावीर भारिी
शंभुनाि मसंि
6. 1. प्रमुख कत्तव
2. प्रमुख रचना
3. व्याख्या
4. भाव सौन्द्िया
5. मशल्प सौन्द्िया
कत्तव एवम प्रमुख रचनाएाँ
7. १ आममर खुसरो
२ त्तवद्यापति
३ सूरिास
४ िुलसीिास
५ कबीरिास
६ जायसी
७ मीराबाई
८ रसखान
९ घनानंि
१० बबिारीलाल
११ भारिेंिु
१२ मैथिलीशरण गुप्ि
१३ हिनकर
१४ जयशंकर प्रसाि
१५ मिािेवी वमाा
१६ तनराला
१७ पन्द्ि
१८ िररवंश राय बच्चन
१९ मुस्तिबोध
२० रघुवीर सिाय
२१ के िारनाि मसिं
२२ भवानीप्रसाि ममश्र
२३ अज्ञेय
9. अ. क्र. नं. साहित्य की त्तवधाएँ
१ तनबंध
२ उपन्द्यास
३ किानी
४ नाटक
५ एकांकी
६ रेखा थचत्र
७ संतमरण
८ यात्रा वृिांि
९ आत्मकिा
१० जीवनी
११ पत्र
१२ डायरी
१३ आलोचना
१४ ररपोिाजा
11. अ. क्र. नं. प्रमुख गद्यकार
१ भारिेंिु
२ रामचंर शुतल
३ प्रेमचंि
४ जैनेन्द्र कु मार
५ िजारी प्रसाि द्त्तववेिी
६ धमावीर भारिी
७ रामत्तवलास शमाा
८ तनमाल वमाा
९ फणीश्वरनाि रेणु
१० कृ ष्णा सोबिी
११ भीष्म सिानी
१२ शेखर जोशी
१३ त्तवष्णु खरे
१४ ममिा कामलया
12. क ) शब्ि त्तवचार एवम शब्ि भंडार
शब्ि के भेि - अिा , रचना, तत्रोि , प्रयोग की दृस्ष्ट से
शब्ि भंडार - पयाायवाची, त्तवपरीिािाक शब्ि , एकािी , अनेकािी
शब्ियुग्म
शब्ि तनमााण
हिंिी व्याकरण
13. ख) पि - त्तवचार , पिबंध , पि पररचय
संज्ञा , सवानाम , त्तवशेषण , क्रक्रया , क्रक्रयात्तवशेषण
पिबंध - भेि, प्रयोग
ग) वातय-त्तवचार
वातय संरचना
वातय भेि - अिा एवम रचना की दृष्टी से
वातय पररविान
वातय संश्लेषण
वातय त्तवश्लेषण
घ) संथध - तवर , व्यंजन , त्तवसगा
14. काव्यशातत्रीय अध्ययन
१ साहित्य का अिा , तवरुप , उिेश्य
२ साहित्य की त्तवधाए
३ रस मीमांसा - रसों का ज्ञान , काव्य की आत्मा ले रूप में मीमांसा
४ शब्ि शस्ति - अमभधा, लक्षणा , व्यंजना
५ वातय-गुण - प्रसाि , माधुया, ओज
६ काव्य-िोष -त्तवतिृि जानकारी
७ छंि ज्ञान - वर्णाक , माबत्रक
८ अलंकर - शब्ि , अिा, उभय , एवम नए अलंकार
15. लेखन कौशल एवम पत्रकाररिा
१ त्तप्रंट माध्यम
२ ररपोटा
३ आलेख
४ फीचर लेखन
५ साक्षात्कार
६ रेडडयो एवम िूरिशान के मलए आलेख
७ त्तवज्ञापन
८ उिघोषण
16. व्याविाररक लेखन
१ व्याविाररक हिंिी का तवरुप
२ प्रयोजन मूलक हिंिी और उसके त्तवत्तवध आयाम
३ कायाालयी हिंिी और उसके त्तवत्तवध आयाम
४ प्रतिवेिन, अिा , प्रमुख ित्व , त्तवशेषिाएाँ, प्रकार . प्रतिवेिन लेखन
५ कायासूची - कायासूची िैयार करने का नमूना
६ कायावछिा- तवरुप, तनमााण