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वाक्य प्रिंस
VIII- ब
दो या दो से अधिक पदों के सार्थक
समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ
निकलता है, वाक्य कहते हैं। उदाहरण
के ललए 'सत्य की प्विय होती है।'
वाक्याांश
शब्दों के ऐसे समूह को जिसका अर्थ तो
निकलता है ककन्तु पूरा पूरा अर्थ िह िं
निकलता, वाक्यािंश कहते हैं। उदाहरण -
'दरवािे पर', 'कोिे में', 'वृक्ष के िीचे' आदद
का अर्थ तो निकलता है ककन्तु पूरा पूरा
अर्थ िह िं निकलता इसललये ये वाक्यािंश
हैं।
वाक्य के तत्व
वाक्य के दो अनिवायथ तत्त्व होते हैं-
उद्देश्य और
प्विेय
जिसके बारे में बात की िाय
उसे उद्देश्य कहते हैं और िो बात की िाय
उसे ववधेय कहते हैं। उदाहरण के
ललए मोहि रयाग में रहता है। इसमें
उद्देश्य है - मोहि , और प्विेय है - रयाग
में रहता है।
वाक्य के भेद
वाक्य भेद दो रकार से ककए िा
सकते हँ-
१- अर्थ के आिार पर वाक्य भेद
२- रचिा के आिार पर वाक्य भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य के
भेद
अर्थ के आिार पर वाक्य के
निम्िललखित आठ भेद हैं।
ववधानवाचक
जिि वाक्यों में किया के
करिे या होिे की सूचिा
लमले, उन्हें प्विािवाचक
वाक्य कहते हैं; िैसे- राके श
िे दूि प्पया। वर्ाथ हो रह है।
ननषेधवाचक
जिि वाक्यों से कायथ ि होिे का भाव रकट होता
है, उन्हें निर्ेिवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे-मैंिे
दूि िह िं प्पया। मैंिे िािा िह िं िाया।
आज्ञावाचक
जिि वाक्यों में आज्ञा, रार्थिा, उपदेश
आदद का ज्ञाि होता है, उन्हें आज्ञावाचक
वाक्य कहते हैं; िैसे- बाजार िाकर फल ले
आओ। बडो का सम्माि करो।
प्रश्नवाचक
जिि वाक्यों से ककसी रकार का रश्ि पूछिे का
ज्ञाि होता है, उन्हें रश्िवाचक वाक्य कहते हैं;
िैसे- सीता तुम कहाँ से आ रह हो? तुम क्या
पढ़ रहे हो?
इच्छावाचक
जिि वाक्यों से इच्छा आशीर् एविं शुभकामिा आदद
का ज्ञाि होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं;
िैसे- तुम्हारा कल्याण हो। भगवाि तुम्हें लिंबी उमर
दे।
सांदेहवाचक
जिि वाक्यों से सिंदेह या सिंभाविा व्यक्त होती
है, उन्हें सिंदेहवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे-शायद
शाम को वर्ाथ हो िाए। वह आ रहा होगा, पर
हमें क्या मालूम। हो सकता है रािेश आ िाए।
प्वस्मयवाचक- जिि वाक्यों से आश्चयथ, घृणा,
िोि शोक आदद भावों की अलभव्यजक्त होती है,
उन्हें प्वस्मयवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- वाह-
ककतिा सुिंदर दृश्य है। उसके माता-प्पता दोिों ह
चल बसे। शाबाश तुमिे बहुत अच्छा काम ककया।
सांके तवाचक
जिि वाक्यों में एक किया का होिा दूसर किया
पर निभथर होता है। उन्हें सिंके तवाचक वाक्य कहते
हैं; िैसे- यदद पररश्रम करोगे तो अवश्य सफल
होगे। प्पतािी अभी आते तो अच्छा होता। अगर
वर्ाथ होगी तो फ़सल भी होगी।
रचना के आधार पर वाक्य के भेद
रचिा के आिार पर वाक्य के निम्िललखित तीि भेद
होते हैं।
सरल वाक्य/साधारण वाक्य
जिि वाक्यों में के वल एक ह उद्देश्य और
एक ह प्विेय होता है, उन्हें सरल वाक्य
या सािारण वाक्य कहते हैं, इि वाक्यों में
एक ह किया होती है; िैसे- मुके श पढ़ता
है। राके श िे भोिि ककया।
सांयुक्त वाक्य
जिि वाक्यों में दो-या दो से अधिक सरल
वाक्य समुच्चयबोिक अव्ययों से िुडे हों,
उन्हें सिंयुक्त वाक्य कहते है; िैसे- वह
सुबह गया और शाम को लौट आया।
मुके श, बोलो पर असत्य िह िं।
मिश्रित/मिि वाक्य
जिि वाक्यों में एक मुख्य या रिाि
वाक्य हो और अन्य आधश्रत उपवाक्य हों,
उन्हें लमधश्रत वाक्य कहते हैं। इिमें एक
मुख्य उद्देश्य और मुख्य प्विेय के
अलावा एक से अधिक समाप्पका कियाएँ
होती हैं, िैसे- ज्यों ह उसिे दवा पी, वह
सो गया। यदद पररश्रम करोगे तो, उत्तीणथ
हो िाओगे। मैं िािता हूँ कक तुम्हारे
अक्षर अच्छे िह िं बिते।
प्वस्मयाददबोिक
धचह्ि
दहन्द भार्ा में प्वस्मय, आश्चयथ, हर्थ, घृणा आदद का
बोि करािे के ललए इस धचह्ि (!) का रयोग ककया
िाता है।
उदाहरण-
वाह ! आप यहाँ कै से पिारे?
हाय ! बेचारा व्यर्थ में मारा गया।
अरे ! तुम कब आये ?
ववपरीतार्थक शब्द
ककसी शब्द का प्वपर त या उल्टा अर्थ देिे वाले
शब्द को प्वलोम शब्द कहते हैं। दूसरे शब्दो में कहा
िाए तो एक - दूसरे के प्वपर त या उल्टा अर्थ देिे
वाले शब्द प्वलोम कहलाते हैं। अत: प्वलोम का अर्थ
है - उल्टा या ववरोधी अर्थ देने वाला ।
1.अिृत- प्वर्
2.अर्- इनत
3.अन्धकार- रकाश
4.अल्पायु- द घाथयु
5.अनुराग- प्वराग
17.इच्छा- अनिच्छा
18.इष्ट- अनिष्ट
19.इच्च्छत- अनिजच्छत
20.इहलोक- परलोक
12.आगािी- गत
13. आग्रह- दुराग्रह
14.आकषथण- प्वकर्थण
15.आदान- रदाि
16.आलस्य- स्फू नतथ
6.उत्कषथ- अपकर्थ
7.उत्र्ान- पति
8.उद्यिी- आलसी
9.उवथर- ऊसर
10.उधार- िक़द
11.उपच्स्र्त- अिुपजस्र्त
पयाथयवाची शब्द
जिि शब्दों के अर्थ में समािता होती है, उन्हें
समािार्थक या पयाथयवाची शब्द कहते है या ककसी
शब्द-प्वशेर् के ललए रयुक्त समािार्थक शब्दों को
पयाथयवाची शब्द कहते हैं। यद्यप्प पयाथयवाची शब्दों
के अर्थ में समािता होती है, लेककि रत्येक शब्द की
अपिी प्वशेर्ता होती है और भाव में एक-दूसरे से
ककिं धचत लभन्ि होते हैं। पयाथयवाची शब्दों का रयोग
करते हुए प्वशेर् साविािी बरतिी चादहए। अत:
पयाथयवाची का अर्थ है - सिान अर्थ देने
वाला । दहन्द भार्ा में एक शब्द के समाि अर्थ वाले
कई शब्द हमें लमल िाते हैं।
1.अहांकार- दिंभ, , दपथ, मद
2.अिृत- सुिा, अलमय, पीयूर्
3.असुर- दैत्य, दािव, राक्षस
4.अनतश्रर्- मेहमाि, अभ्यागत, आगन्तुक
5.अनुपि- अपूवथ, अतुल, अिोिा,
6.अर्थ- िि्, द्रव्य, मुद्रा
7.अश्व- हय, तुरिंग, बािी
8.अांधकार- तम, नतलमर, तलमस्र
9.पवन- वायु, हवा, समीर
10.पहाड़- पवथत, धगरर, अचल
11.पक्षी- िेचर, दप्वि, पतिंग
12.पनत- स्वामी, राणािार, राणप्रय
13.पत्नी- भायाथ, विू, वामा
14.पुत्र- बेटा, आत्मि, सुत
15.पुत्री- बेट , आत्मिा, तिूिा
16.पुष्प- फू ल, सुमि, कु सुम
17.बादल- मेघ, घि, िलिर
18.बालू- रेत, बालुका, सैकत
19.बन्दर- वािर, कप्प, कपीश
20.बबजली- घिप्रया,
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िॊ शब्द सुििे मे सामाि
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श्रुनतसम कहते है।
समरुप पहला शब्द पहले शब्द का अर्थ समरूप दूसरा शब्द दूसरे शब्द का अर्थ
आदद आरम्भ आद अभ्यस्त
अभय निभथय उभय दोिों
अब्ि कमल अब्द बादल
अिंस कन्िा अिंश दहस्सा
अम्बुि कमल अम्बुधि सागर
अँगिा आँगि अिंगिा स्री
अवलम्ब सहारा अप्वलम्ब शीघ्र
अनिल हवा अिल आग
अलभराम सुन्दर अप्वराम लगातार
अवधि समय अविी अवि रान्त की भार्ा
उपकार भलाई अपकार बुराई
कु ल विंश कू ल ककिारा
कोर् ििािा कोश शब्द-सिंग्रह
ग्रह सूयथ, मिंगल आदद गृह घर
िलद बादल िलि कमल
तरखण सूयथ तरणी छोट िाव
नियत निजश्चत नियनत भाग्य
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  • 2. दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहते हैं। उदाहरण के ललए 'सत्य की प्विय होती है।'
  • 3. वाक्याांश शब्दों के ऐसे समूह को जिसका अर्थ तो निकलता है ककन्तु पूरा पूरा अर्थ िह िं निकलता, वाक्यािंश कहते हैं। उदाहरण - 'दरवािे पर', 'कोिे में', 'वृक्ष के िीचे' आदद का अर्थ तो निकलता है ककन्तु पूरा पूरा अर्थ िह िं निकलता इसललये ये वाक्यािंश हैं।
  • 4. वाक्य के तत्व वाक्य के दो अनिवायथ तत्त्व होते हैं- उद्देश्य और प्विेय जिसके बारे में बात की िाय उसे उद्देश्य कहते हैं और िो बात की िाय उसे ववधेय कहते हैं। उदाहरण के ललए मोहि रयाग में रहता है। इसमें उद्देश्य है - मोहि , और प्विेय है - रयाग में रहता है।
  • 5. वाक्य के भेद वाक्य भेद दो रकार से ककए िा सकते हँ- १- अर्थ के आिार पर वाक्य भेद २- रचिा के आिार पर वाक्य भेद
  • 6. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद अर्थ के आिार पर वाक्य के निम्िललखित आठ भेद हैं। ववधानवाचक जिि वाक्यों में किया के करिे या होिे की सूचिा लमले, उन्हें प्विािवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- राके श िे दूि प्पया। वर्ाथ हो रह है।
  • 7. ननषेधवाचक जिि वाक्यों से कायथ ि होिे का भाव रकट होता है, उन्हें निर्ेिवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे-मैंिे दूि िह िं प्पया। मैंिे िािा िह िं िाया। आज्ञावाचक जिि वाक्यों में आज्ञा, रार्थिा, उपदेश आदद का ज्ञाि होता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- बाजार िाकर फल ले आओ। बडो का सम्माि करो।
  • 8. प्रश्नवाचक जिि वाक्यों से ककसी रकार का रश्ि पूछिे का ज्ञाि होता है, उन्हें रश्िवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- सीता तुम कहाँ से आ रह हो? तुम क्या पढ़ रहे हो? इच्छावाचक जिि वाक्यों से इच्छा आशीर् एविं शुभकामिा आदद का ज्ञाि होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- तुम्हारा कल्याण हो। भगवाि तुम्हें लिंबी उमर दे।
  • 9. सांदेहवाचक जिि वाक्यों से सिंदेह या सिंभाविा व्यक्त होती है, उन्हें सिंदेहवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे-शायद शाम को वर्ाथ हो िाए। वह आ रहा होगा, पर हमें क्या मालूम। हो सकता है रािेश आ िाए। प्वस्मयवाचक- जिि वाक्यों से आश्चयथ, घृणा, िोि शोक आदद भावों की अलभव्यजक्त होती है, उन्हें प्वस्मयवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- वाह- ककतिा सुिंदर दृश्य है। उसके माता-प्पता दोिों ह चल बसे। शाबाश तुमिे बहुत अच्छा काम ककया।
  • 10. सांके तवाचक जिि वाक्यों में एक किया का होिा दूसर किया पर निभथर होता है। उन्हें सिंके तवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- यदद पररश्रम करोगे तो अवश्य सफल होगे। प्पतािी अभी आते तो अच्छा होता। अगर वर्ाथ होगी तो फ़सल भी होगी।
  • 11. रचना के आधार पर वाक्य के भेद रचिा के आिार पर वाक्य के निम्िललखित तीि भेद होते हैं। सरल वाक्य/साधारण वाक्य जिि वाक्यों में के वल एक ह उद्देश्य और एक ह प्विेय होता है, उन्हें सरल वाक्य या सािारण वाक्य कहते हैं, इि वाक्यों में एक ह किया होती है; िैसे- मुके श पढ़ता है। राके श िे भोिि ककया।
  • 12. सांयुक्त वाक्य जिि वाक्यों में दो-या दो से अधिक सरल वाक्य समुच्चयबोिक अव्ययों से िुडे हों, उन्हें सिंयुक्त वाक्य कहते है; िैसे- वह सुबह गया और शाम को लौट आया। मुके श, बोलो पर असत्य िह िं।
  • 13. मिश्रित/मिि वाक्य जिि वाक्यों में एक मुख्य या रिाि वाक्य हो और अन्य आधश्रत उपवाक्य हों, उन्हें लमधश्रत वाक्य कहते हैं। इिमें एक मुख्य उद्देश्य और मुख्य प्विेय के अलावा एक से अधिक समाप्पका कियाएँ होती हैं, िैसे- ज्यों ह उसिे दवा पी, वह सो गया। यदद पररश्रम करोगे तो, उत्तीणथ हो िाओगे। मैं िािता हूँ कक तुम्हारे अक्षर अच्छे िह िं बिते।
  • 15. दहन्द भार्ा में प्वस्मय, आश्चयथ, हर्थ, घृणा आदद का बोि करािे के ललए इस धचह्ि (!) का रयोग ककया िाता है। उदाहरण- वाह ! आप यहाँ कै से पिारे? हाय ! बेचारा व्यर्थ में मारा गया। अरे ! तुम कब आये ?
  • 17. ककसी शब्द का प्वपर त या उल्टा अर्थ देिे वाले शब्द को प्वलोम शब्द कहते हैं। दूसरे शब्दो में कहा िाए तो एक - दूसरे के प्वपर त या उल्टा अर्थ देिे वाले शब्द प्वलोम कहलाते हैं। अत: प्वलोम का अर्थ है - उल्टा या ववरोधी अर्थ देने वाला ।
  • 18. 1.अिृत- प्वर् 2.अर्- इनत 3.अन्धकार- रकाश 4.अल्पायु- द घाथयु 5.अनुराग- प्वराग 17.इच्छा- अनिच्छा 18.इष्ट- अनिष्ट 19.इच्च्छत- अनिजच्छत 20.इहलोक- परलोक 12.आगािी- गत 13. आग्रह- दुराग्रह 14.आकषथण- प्वकर्थण 15.आदान- रदाि 16.आलस्य- स्फू नतथ 6.उत्कषथ- अपकर्थ 7.उत्र्ान- पति 8.उद्यिी- आलसी 9.उवथर- ऊसर 10.उधार- िक़द 11.उपच्स्र्त- अिुपजस्र्त
  • 20. जिि शब्दों के अर्थ में समािता होती है, उन्हें समािार्थक या पयाथयवाची शब्द कहते है या ककसी शब्द-प्वशेर् के ललए रयुक्त समािार्थक शब्दों को पयाथयवाची शब्द कहते हैं। यद्यप्प पयाथयवाची शब्दों के अर्थ में समािता होती है, लेककि रत्येक शब्द की अपिी प्वशेर्ता होती है और भाव में एक-दूसरे से ककिं धचत लभन्ि होते हैं। पयाथयवाची शब्दों का रयोग करते हुए प्वशेर् साविािी बरतिी चादहए। अत: पयाथयवाची का अर्थ है - सिान अर्थ देने वाला । दहन्द भार्ा में एक शब्द के समाि अर्थ वाले कई शब्द हमें लमल िाते हैं।
  • 21. 1.अहांकार- दिंभ, , दपथ, मद 2.अिृत- सुिा, अलमय, पीयूर् 3.असुर- दैत्य, दािव, राक्षस 4.अनतश्रर्- मेहमाि, अभ्यागत, आगन्तुक 5.अनुपि- अपूवथ, अतुल, अिोिा, 6.अर्थ- िि्, द्रव्य, मुद्रा 7.अश्व- हय, तुरिंग, बािी 8.अांधकार- तम, नतलमर, तलमस्र 9.पवन- वायु, हवा, समीर 10.पहाड़- पवथत, धगरर, अचल 11.पक्षी- िेचर, दप्वि, पतिंग 12.पनत- स्वामी, राणािार, राणप्रय 13.पत्नी- भायाथ, विू, वामा 14.पुत्र- बेटा, आत्मि, सुत 15.पुत्री- बेट , आत्मिा, तिूिा 16.पुष्प- फू ल, सुमि, कु सुम
  • 22. 17.बादल- मेघ, घि, िलिर 18.बालू- रेत, बालुका, सैकत 19.बन्दर- वािर, कप्प, कपीश 20.बबजली- घिप्रया, इन््वज्र, चिंचला
  • 23. िॊ शब्द सुििे मे सामाि पर अर्थ में भीि हो उिेह श्रुनतसम कहते है।
  • 24. समरुप पहला शब्द पहले शब्द का अर्थ समरूप दूसरा शब्द दूसरे शब्द का अर्थ आदद आरम्भ आद अभ्यस्त अभय निभथय उभय दोिों अब्ि कमल अब्द बादल अिंस कन्िा अिंश दहस्सा अम्बुि कमल अम्बुधि सागर अँगिा आँगि अिंगिा स्री अवलम्ब सहारा अप्वलम्ब शीघ्र अनिल हवा अिल आग अलभराम सुन्दर अप्वराम लगातार अवधि समय अविी अवि रान्त की भार्ा उपकार भलाई अपकार बुराई कु ल विंश कू ल ककिारा कोर् ििािा कोश शब्द-सिंग्रह ग्रह सूयथ, मिंगल आदद गृह घर िलद बादल िलि कमल तरखण सूयथ तरणी छोट िाव नियत निजश्चत नियनत भाग्य निश्छल छल रदहत निश्चल अटल रसाद भगवाि का भोग रासाद महल सर तालाब शर वाण