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https://leverageedu.com/blog/hi/visheshan/
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Sangya Introduction for beginners. Learn Sangya in hindi, संज्ञा की परिभाषा सरल शब्दोंं में एवंं संज्ञा के भेद , Learn Hindi Grammar, Basic Hindi grammar, हिन्दी सीखिए, चित्रों के साथ संज्ञा का सरल परिचय,
ज्वालामुखी जिसके अंतर्गत वह सम्पूर्ण प्रक्रिया आ जाती है जिसके माध्यम से भू -गर्भ से मेग्मा भूतल की ओर आता है अथवा पृथ्वी के भीतरी भाग से जो दहकते हुए पदार्थ जिस मार्ग विशेष से निकलते है उसे ज्वालामुखीकहते हैं |
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Here a brief description of hindi grammar. In hindi grammar I picked up important topics i.e. Kirya, Visheshan and visheshay. These are most important topic of hindi grammar.
4. क्रिया
जिस शब्द अथर्ा शब्द-सर्ूह के द्र्ािा क्रकसी कायम के होने
अथर्ा क्रकये िाने का बोध हो उसेक्रक्रया कहते हैं।
िैसे-
• सीता 'नाच िही है'।
• बच्चा दूध 'पी िहा है'।
• सुिेश कॉिेि 'िा िहा है'।
इनर्ें ‘नाच िही है’, ‘पी िहा है’, ‘िा िहा है’ शब्दों से कायम-
व्यापाि का बोध हो िहा हैं। इन सभी शब्दों से क्रकसी कायम के
किने अथर्ा होने का बोध हो िहा है। अतः ये क्रियाएँ हैं।
व्याकिण र्ें क्रिया एक वर्कािी शब्द है।
5. क्रिया के भेद
क्रिया के दो भेद हैं-
1. अकर्मक क्रिया।
2. सकर्मक क्रिया।
6. अकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं का असि कताम पि ही पड़ता है र्े
अकर्मक क्रिया कहिाती हैं।
ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आर्श्यकता नहीं
होती।
अकर्मक क्रियाओं के उदाहिण हैं-
िाकेश िोता है।
साँप िेंगता है।
बस चिती है।
7. सकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं का असि कताम पि नहीं कर्म पि पड़ता है,
र्ह सकर्मक क्रिया कहिाती हैं।
इन क्रियाओं र्ें कर्म का होना आर्श्यक होता हैं।
उदाहिण-
र्ैं िेख लिखता हूँ।
सुिेश लर्ठाई खाता है।
र्ीिा फि िाती है।
भँर्िा फूिों का िस पीता है।
8. पूर्मकालिक क्रिया
क्रकसी क्रिया से पूर्म यदद कोई दूसिी क्रिया प्रयुक्त होती है तो
र्ह पूर्मकालिक क्रिया कहिाती है।
िैसे- र्ैं अभी सोकि उठा हूँ। इसर्ें ‘उठा हूँ’ क्रिया से पूर्म
‘सोकि’ क्रिया का प्रयोग हुआ है। अतः ‘सोकि’ पूर्मकालिक
क्रिया है।
विशेष- पूर्मकालिक क्रिया या तो क्रिया के सार्ान्य रूप र्ें
प्रयुक्त होती है अथर्ा धातु के अंत र्ें ‘कि’ अथर्ा ‘किके’
िगा देने से पूर्मकालिक क्रिया बन िाती है। िैसे-
िाकेश दूध पीते ही सो गया।
िड़क्रकयाँ पुस्तकें पढ़कि िाएँगी।
9. वर्शेषण
संज्ञा अथर्ा सर्मनार् शब्दों की वर्शेषता
(गुण, दोष, संख्या, परिर्ाण आदद) बताने
र्ािे शब्द ‘वर्शेषण’ कहिाते हैं।
िैसे - बड़ा, कािा, िंबा, दयािु, भािी,
सुन्दि, कायि, टेढ़ा-र्ेढ़ा, एक, दो आदद।
व्याकिण र्ें वर्शेषण एक वर्कािी शब्द है।
10. वर्शेष्य
जिस संज्ञा अथर्ा सर्मनार् शब्द की वर्शेषता बताई
िाए र्ह वर्शेष्य कहिाता है।
यथा- गीता सुन्दि है। इसर्ें ‘सुन्दि’ वर्शेषण है
औि ‘गीता’ वर्शेष्य है।
वर्शेषण शब्द वर्शेष्य से पूर्म भी आते हैं औि
उसके बाद भी।
11. पूर्म र्ें, िैसे-
थोड़ा-सा िि िाओ।
एक र्ीटि कपड़ा िे आना।
बाद र्ें, िैसे-
यह िास्ता िंबा है।
खीिा कड़र्ा है।
12. वर्शेषण के भेद
वर्शेषण के चाि भेद हैं-
1. गुणर्ाचक।
2. परिर्ाणर्ाचक।
3. संख्यार्ाचक।
4. संकेतर्ाचक अथर्ा सार्मनालर्क।
14. परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण
जिन वर्शेषण शब्दों से संज्ञा या सर्मनार् की र्ात्रा अथर्ा नाप-तोि का
ज्ञान हो र्े परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण कहिाते हैं।
परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण के दो उपभेद है-
1. तनजश्चत परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण- जिन वर्शेषण शब्दों से र्स्तु की
तनजश्चत र्ात्रा का ज्ञान हो। िैसे-
(क) र्ेिे सूट र्ें साढ़े तीन र्ीटि कपड़ा िगेगा।
(ख) दस क्रकिो चीनी िे आओ।
(ग) दो लिटि दूध गिर् किो।
2. अतनजश्चत परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण- जिन वर्शेषण शब्दों से र्स्तु की
अतनजश्चत र्ात्रा का ज्ञान हो। िैसे-
(क) थोड़ी-सी नर्कीन र्स्तु िे आओ।
(ख) कुछ आर् दे दो।
(ग) थोड़ा-सा दूध गिर् कि दो।
15. संख्यार्ाचक वर्शेषण
जिन वर्शेषण शब्दों से संज्ञा या सर्मनार् की संख्या का
बोध हो र्े संख्यार्ाचक वर्शेषण कहिाते हैं।
िैसे - एक, दो, द्वर्तीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों आदद।
संख्यार्ाचक वर्शेषण के दो उपभेद हैं-
1. तनजश्चत संख्यार्ाचक वर्शेषण
जिन वर्शेषण शब्दों से तनजश्चत संख्या का बोध हो।
िैसे- दो पुस्तकें र्ेिे लिए िे आना।
2. अतनजश्चत संख्यार्ाचक वर्शेषण
जिन वर्शेषण शब्दों से तनजश्चत संख्या का बोध न हो।
िैसे- कुछ बच्चे पाकम र्ें खेि िहे हैं।
16. संकेतर्ाचक अथर्ा सार्मनालर्क वर्शेषण
िो सर्मनार् संकेत द्र्ािा संज्ञा या सर्मनार् की
वर्शेषता बतिाते हैं र्े संकेतर्ाचक वर्शेषण कहिाते
हैं।
विशेष - क्योंक्रक संकेतर्ाचक वर्शेषण सर्मनार् शब्दों
से बनते हैं, अतः ये सार्मनालर्क वर्शेषण कहिाते
हैं।
इन्हें तनदेशक भी कहते हैं।
17. क्रक्रयाविशेषि
जिन अवर्कािी शब्दों से क्रिया की वर्शेषता का
बोध होता है, र्े क्रियावर्शेषण कहिाते हैं।
क्रियावर्शेषण साथमक शब्दों के आठ भेदों र्ें
एक भेद है।
व्याकिण र्ें क्रियावर्शेषण एक अवर्कािी
शब्द है।
18. क्रक्रयाविशेषि के भेद
क्रियावर्शेषण के अथम के अनुसाि पाँच भेद होते
हैं-
1. स्थानर्ाचक
2. कािर्ाचक
3. परिर्ाणर्ाचक
4. ददशार्ाचक
5. िीततर्ाचक।
19. स्थानिाचक
िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया के व्यापाि-स्थान का बोध किाते हैं, उन्हें
स्थानर्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं।
िैसे- यहाँ, र्हाँ, कहाँ, िहाँ, तहाँ, सार्ने, नीचे, ऊपि, आगे, भीति, बाहि
आदद।
कालिाचक
िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया के व्यापाि का सर्य बतिाते हैं, उन्हें
कािर्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं।
िैसे- आि, कि, पिसों, पहिे, पीछे, अभी, कभी, सदा, अब तक, अभी-
अभी, िगाताि, बाि-बाि, प्रततददन आदद।
20. परिमाििाचक
िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया के परिर्ाण अथर्ा तनजश्चत संख्या का बोध
किाते हैं, उन्हें परिर्ाणर्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं।
िैसे- बहुत, अधधक, पूणमतया, सर्मथा, कुछ, थोड़ा, काफी, केर्ि, यथेष्ट,
इतना, उतना, क्रकतना, थोड़ा-थोड़ा, तति-तति, एक-एक किके आदद।
हदशािाचक
िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया की ददशा का बोध किाते हैं, उन्हें
ददशार्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं।
िैसे- दायें-बायें, इधि-उधि, क्रकधि, एक ओि, चािों तिफ आदद।
21. िीतििाचक
िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया की िीतत का बोध किाते हैं, उन्हें िीततर्ाचक
क्रियावर्शेषण कहते हैं।
िैसे- सचर्ुच, ठीक, अर्श्य, कदाधचत,् यथासम्भर्, ऐसे, र्ैसे, सहसा, तेज़,
ठीक, सच, अत:, इसलिए, क्योंक्रक, नहीं, र्त, कदावप, तो, हो, र्ात्र, भि
आदद।
22. Credits
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Class X Grammar Book
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Sri Khanapure Sir