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HINDI LANGUAGE
पर्यार्वयची शब्द Synonyms Words
 जिन शब्दों क
े अर्थ में समानता हद, उन्हें 'पर्ाथर्वाची
शब्' कहते है।
 दू सरे अर्ा में- समान अर्थवाले शब्दों कद 'पर्ाथर्वाची
शब्' र्ा समानार्थक भी कहते है।
 अप्सरा — देवाोंगना, सुराोंगना, देवकन्या, सुखजनता,
अरुणजिर्ा।
 अवनजत — अपकर्थ, ह्रास, जगराव, उतार।
 अशुद्ध — दू जर्त, अपजवत्र, मजलन, गोंदा, गलत।
जवलदम शब्
 अजिकतम – न्यूनतम
अनुराग – जवराग
आिाद – गुलाम
आगे – पीछे
कडवा – मीठा
 एकतोंत्र – बहुतोंत्र
उत्तरार्ण – दजिणार्ण
जवशालकार् – लघुकार्
र्ुग्म शब्
 जहोंदी क
े अनेक शब् ऐसे हैं, जिनका उच्चारण िार्ः
समान हदता हैं। जक
ों तु, उनक
े अर्थ जभन्न हदते है। इन्हें 'र्ुग्म
शब्' कहते हैं। र्ह शब् सुनने में एक सामान लगते हैं,
परन्तु इनक
े अर्थ जबलक
ु ल अलग हदते हैं। गलती से भी
अगर आप गलत शब् का िर्दग कर दें तद आपका अर्थ
जबलक
ु ल बदल िाता है।
 अँगना घर का आँगन
 अोंगना स्त्री
 अली सखी
 अजल भ ोंरा
 अवजि काल, समर्
 अविी अवि देश की भार्ा
वयक्यांश क
े लिए एक शब्द
 अपनी बातदों कद सही और छदटे रूप में रखना एक कला
हदती है। भार्ा कद सुोंदर, िभावशाली और आकर्थक बनाने
क
े जलए हर भार्ा में ऐसे शब् हदते हैं िद जकसी एक वाक्य क
े
स्र्ान पर िर्दग जकए िा सकते हैं। जहोंदी भार्ा में भी कई
शब्दों क
े स्र्ान पर एक शब् बदलकर हम भार्ा कद
िभावशाली और आकर्थक बना सकते हैं। अनेक शब्दों क
े
स्र्ान पर एक शब् का िर्दग करक
े भार्ा की सुोंदरता और
भावदों की गम्भीरता कद रखते हुए जलख सकते हैं।
 अतः िब अनेक शब्दों क
े स्र्ान पर क
े वल एक शब् का
िर्दग भी जकर्ा िाता है तद उसे वयक्यांश क
े लिए एक शब्द
कहा िाता है।
 कम खचथ करने वाला- जमतव्यर्ी
 कम िानने वाला- अल्पज्ञ
 कम बदलनेवाला- जमतभार्ी
 कम अक्ल वाला- अल्पबुद्धद्ध
 कल्पना से परे हद- कल्पनातीत
 जकसी की हँसी उडाना- उपहास
 क
ु छ जदनदों तक बने रहने वाला- जटकाऊ
 जकसी बात कद बढा-चढाकर कहना- अजतशर्दद्धि
 'लिस िमीन में पैदय करने की शक्ति न हो ' क
े लिए
एक शब्द है
 A. अनुवरी
 B. अनवथरा
 C. अनुवर
 D. अनुवथरा
 D. अनुवथरा
 'िो धन दुरूपर्ोग करतय हो ' क
े लिए एक शब्द है
 A. अपव्यर्ी
 B. जमतव्यर्ी
 C. अतृप
 D. अजित्यका
 अपव्यर्ी
 'समुन्द्र की आग ' क
े लिए उपर्ुि शब्द है
 A. दावानल
 B. िलागम
 C. बडवानल
 D. जभष्णाग्नी
 . बडवानल
 सही लवकल्प चुलनए " लिसकी गदान सुांदर हो "
 A. सुदशथन
 B. सुगत
 C. सुगदथन
 D. सुग्रीव
 सुग्रीव
 हलिर्ोां कय ढयांचय
 A. अद्धस्र्शेर्
 B. अवशेर्
 C. अद्धस्र्पोंिर
 D. भग्नावशेर्
 C. अद्धस्र्पोंिर
 िो पूरी तरह पकय हो
 A. पररपक्व
 B. वर्स्क
 C. पाच्य
 D. सुपाच्य
 A. पररपक्व
सांज्ञय
 सांज्ञय की पररभयषय (sangya definition in hindi)
 जकसी भी व्यद्धि, वस्तु, िाजत, भाव र्ा स्र्ान क
े नाम कद
ही सोंज्ञा कहते हैं। िैसे – मनुष्य (िाजत), अमेररका,
भारत (स्र्ान), बचपन, जमठास(भाव), जकताब,
टेबल(वस्तु) आजद।
 सांज्ञय क
े भेद (sangya ke bhed in hindi)
 सोंज्ञा क
े पाोंच भेद हदते हैं:
 व्यद्धिवाचक सोंज्ञा
 भाववाचक सोंज्ञा
 िाजतवाचक सोंज्ञा
 द्रव्यवाचक सोंज्ञा
 समूहवाचक र्ा समुदार्वाचक सोंज्ञा
 लिस लवकल्प में सांज्ञय शब्द नहीांहै उस लवकल्प कय
चर्न करें ?
 A. राम
 B. गाना
 C. तािमहल
 D. लक्ष्मण
 लिस लवकल्प में सांज्ञय शब्द नहीांहै उस लवकल्प कय
चर्न करें ?
 A. भागलपुर
 B. पटना
 C. गर्ा
 D. िाना
 लनम्नलिक्तित में कौनसय शब्द ‘व्यक्तिवयचक सांज्ञय है ?

 Aपहयड़
 Bआम
 Cर्मुनय
 Dगयर्
 कौन-सय शब्द ियलतवयचक सांज्ञय नहीांहै?
 Aमनुष्य
 B सुन्दर
 Cिवयन
 Dबयिक
 जनम्न में से व्यद्धिवाचक सोंज्ञा का उदाहरण है ?
 Aपोंखा
 B िदिपुर
 C क
ु त्ता
 D नदी
सवथनाम
 पररभयषय
 सोंज्ञा क
े स्र्ान पर िर्दग जकए िाने वाले शब्दों कद सवथनाम
कहते हैं।

भेद :-
 पुरुर्वाचक सवथनाम
जनश्चर्वाचक सवथनाम
अजनश्चर्वाचक सवथनाम
िश्नवाचक सवथनाम
सम्बन्धवाचक सवथनाम
जनिवाचक सवथनाम
 1. पुरुषवयचक सवानयम :-
 जिस सवथनाम का िर्दग बदलने वाले , सुनने वाले र्ा
जकसी अन्य क
े जलए हदता है , उसे पुरुर्वाचक सवथनाम
कहते हैं।
िैसे - मैं , तुम , वह आजद।
 (क) उत्तम पुरूष :- अपने जलए करता है
 िैसे :-
 क) - मैं पत्र जलख रहा हँ।
ख) - हमिोग रार्गोंि में रहते हैं।
 (ि) मध्यम पुरूष :-
 बदलने वाला र्ा जलखने वाला जिस सवथनाम का िर्दग सुनने
वाले र्ा पढने वाले क
े जलए करता है , उस सवथनाम कद
मध्यम पुरूर्वाचक सवथनाम कहते हैं।


िैसे :-
 (अ) - तुम उिर मत िाओ ?
 (आ) - तुमिोग क्या खा रहे हद ?
 (ग) - अन्य पुरूष :-
 बदलने वाले और सुनने वाले अपने र्ा सामने वाले क
े
अलावा अन्य तीसरे व्यद्धि क
े जलए जिससवथनाम का
िर्दग करते हैं ,उस सवथनाम कद अन्य पुरूर्वाचक
सवथनाम कहते हैं।
िैसे -
 (अ) - वहफल खाता है।
 (आ) - वेिोग जदन भर खेलते हैं।
 लनश्चर्वयचक सवानयम :-
 िद सवथनाम जकसी जनजश्चत वस्तु , व्यद्धि र्ा घटना क
े
जलए िर्ुि हदते हैं , वे जनश्चर्वाचक सवथनाम कहलाते
हैं।
िैसे-
 वह अच्छी गार् है।
 र्ह बहुत सुोंदर पुस्तक है।
 र्े िूते मेि पर रख दद।
 अलनश्चर्वयचक सवानयम :-
 िद सवथनाम जकसी अजनजश्चत वस्तु , अजनजश्चत व्यद्धिर्ा
अजनजश्चत घटना क
े जलए िर्ुि हदते हैं , वे
अजनश्चर्वाचक सवथनाम कहलाते हैं।िैसे -
 कोई बयहर है।
 कोई न कोई मुझे लमि ही ियतय है।
 वहयां पर क
ु छ मेरे लिए है।
 . प्रश्नवयचक सवानयम :-
 िद सवथनाम िश्न पूछने क
े जलए िर्दग जकर्ा िाता है ,
उसे िश्नवाचक सवथनाम कहते हैं।
 िैसे :-
 तुम लकतनय कमा लेते हद?
 बच्चे कहयां गए हैं?
आि खाने में क्य बनेगा?
 5. सम्बन्धवयचक सवानयम :-
 िद सवथनाम दद पददों क
े बीच सम्बन्ध िदडता है , उसे
सम्बन्धवाचक सवथनाम कहते हैं।
िैसे-
 िो करेगय सो भरेगय।
 लिसकी लाठी उसकी भैंस।
िैसी करनी वैसी भरनी।
िो व्यद्धि बाहर खडा है वह मेरा भाई है।
लिसकी तुम बात कर रहे हद वह मेरे चाचा है।
 6. लनिवयचक सवानयम :-
 विा र्ा लेखक जिस सवथनाम का िर्दग वाक्य में अपने
जलए करता है , उसे जनिवाचक सवथनाम कहते हैं।
िैसे -
 हमें अपना काम स्वर्ां करना चाजहए ।
 मैं अपना कार्थ अपने आप करता हों।
अपनी वस्तुओों का ध्यान आप स्वर्ां रखेंगे।
अपने भाई क
े सार् मैं भी गर्ा र्ा
अपने काम से काम रखद
 प्रश्नवयचक सवानयम का उदाहरण क न सा है ?
[A] िद
[B] वे
[C] क न
[D] आप
 क न सा अलनश्चर्वयचक सवथनाम नहीांहै ?
 [A] क
ु छ भी
 [B] क
ु छ न क
ु छ
 [C] सब क
ु छ
 [D] िद, वह
 पररभयषय:
 िद शब् सोंज्ञा र्ा सवथनाम शब् की जवशेर्ता बताते है
उन्हें जवशेर्ण कहते है।
 जवशेर्ण क
े िकार
 जवशेर्ण जनम्नजलद्धखत चार िकार हदते है -

 (1)गुणवयचक लवशेषण
 (2)सांख्ययवयचक लवशेषण
 (3)पररमयणवयचक लवशेषण
 (4)सांक
े तवयचक लवशेषण
 (1)गुणवयचक लवशेषण :-
 वे जवशेर्ण शब् िद सोंज्ञा र्ा सवथनाम शब् (जवशेष्य) क
े
गुण-ददर्, रूप-रोंग, आकार, स्वाद, दशा, अवस्र्ा, स्र्ान
आजद की जवशेर्ता िकट करते हैं, गुणवाचक जवशेर्ण
कहलाते है।
 िैसे- गुण- वह एक अच्छा आदमी है।
 रोंग- काला टदपी, लाल रुमाल।
 आकार- उसका चेहरा गदल है।
 अवस्र्ा- भूखे पेट भिन नहीों हदता।
 (2)सांख्ययवयचक लवशेषण:-
 वे लवशेषण शब्द िो सांज्ञय अर्वय सवानयम (लवशेष्य)
की सांख्यय कय बोध करयते हैं, सांख्ययवयचक लवशेषण
कहियते हैं।
 सांख्ययवयचक लवशेषण क
े भेद
 सोंख्यावाचक जवशेर्ण क
े दद भेद हदते है-

 (i)लनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण
 (ii)अलनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण

 (i)लनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण :-
 वे जवशेर्ण शब् िद जवशेष्य की जनजश्चत सोंख्या का बदि कराते हैं, जनजश्चत सोंख्यावाचक जवशेर्ण
कहलाते हैं।

 मेरी किा में चयिीस छात्र हैं।
 कमरे में एक पोंखा घूम रहा है।
 डाल पर दो जचजडर्ाँ बैठी हैं।
 िार्थना-सभा में सौ लदग उपद्धस्र्त र्े।
 ii)अलनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण :-
 वे जवशेर्ण शब् िद जवशेष्य की जनजश्चत सोंख्या का बदि न
कराते हदों, वे अजनजश्चत सोंख्यावाचक जवशेर्ण कहलाते हैं।

 बम क
े भर् से क
ु छ लदग बेहदश हद गए।
 किा में बहुत कम छात्र उपद्धस्र्त र्े।
 क
ु छ फल खाकर ही मेरी भूख जमट गई।
 क
ु छ देर बाद हम चले िाएँ गे।
 (3)पररमयणवयचक लवशेषण :-
 जिन जवशेर्ण शब्दों से जकसी वस्तु क
े माप-त ल सोंबोंिी
जवशेर्ता का बदि हदता है, वे पररमाणवाचक जवशेर्ण
कहलाते हैं।
 र्ह जकसी वस्तु की नाप र्ा त ल का बदि कराता है।
 िैसे- 'सेर' भर दू ि, 'तदला' भर सदना
 पररमयणवयचक लवशेषण क
े भेद
 पररमाणवाचक जवशेर्ण क
े दद भेद हदते है-
 (i) लनलश्चत पररमयणवयचक
 (ii)अलनलश्चत पररमयणवयचक
 िद जवशेर्ण शब् जकसी वस्तु की जनजश्चत मात्रा अर्वा माप-त ल का बदि
कराते हैं, वे जनजश्चत पररमाणवाचक जवशेर्ण कहलाते है।
 िैसे- 'दद सेर' घी, 'दस हार्' िगह, 'चार गि' मलमल, 'चार जकलद' चावल।
 (ii)अलनलश्चत पररमयणवयचक :-
 िद जवशेर्ण शब् जकसी वस्तु की जनजश्चत मात्रा अर्वा माप-त ल का बदि
नहीों कराते हैं, वे अजनजश्चत पररमाणवाचक जवशेर्ण कहलाते है।

 िैसे- 'सब' िन, 'क
ु छ' दू ि, 'बहुत' पानी।
 सांक
े तवयचक र्य सयवानयलमक लवशेषण :-
 िो शब्द सांज्ञय र्य सवानयम की ओर सांक
े त करते है र्य िो
शब्द सवानयम होते हुए भी लकसी सांज्ञय से पहिे आकर
उसकी लवशेषतय को प्रकट करें, उन्हें सांक
े तवयचक र्य
सयवानयलमक लवशेषण कहते है।
 सरि शब्दोां में- जिन सवथनाम शब्दों का िर्दग सोंज्ञा क
े आगे
उनक
े जवशेर्ण क
े रूप में हदता है, उन्हें सावथनाजमक जवशेर्ण
कहते हैं।

 िैसे- वह न कर नहीों आर्ा; र्ह घदडा अच्छा है।
 रयम बयियर से चयर लकिो आटय ियर्य’ में कौनसय लवशेषण
है?

 A
 अजनजश्चत पररमाण वाचक
 B
 सावथनाजमक
 C
 जनजश्चत पररमाण वाचक
 D
 गुणवाचक
जिर्ा
 पररभयषय
 जिस शब् से जकसी काम कद करना र्ा हदना िकट हद,
उसे जिर्ा कहते हैं। िैसे-खाना, पीना, सदना, रदना,
िागना, जलखना, इत्याजद।
 . लिर्य-लवशेषण अव्यर् :-
 जिन शब्दों से जिर्ा की जवशेर्ता का पता चलता है उसे
जिर्ा -जवशेर्ण कहते हैं। िहाँ पर र्हाँ , तेि , अब ,
रात , िीरे-िीरे, िजतजदन , वहाँ , तक , िल्दी , अभी ,
बहुत आजद आते हैं, वहाँ पर जिर्ाजवशेर्ण अव्यर् हदता
है।
 लकस वयक् में लिर्यलवशेषण है।
 (a)मदहन मीठा बदलता है।
 (b)राम मदहन से पूछता है ।
 (c)गीता सीता से माोंगती है ।
 (d)क
ु छ का स्वभाव ऐसा है ।
 कारक क्या हदता है :-
 कारक शब् का अर्थ हदता है – जिर्ा कद करने वाला।
िब जिर्ा कद करने में कदई न कदई अपनी भूजमका
जनभाता है उसे कारक कहते है। अर्ातथ सोंज्ञा और
सवथनाम का जिर्ा क
े सार् दू सरे शब्दों में सोंबोंि बताने
वाले जनशानदों कद कारक कहते है
कयरक 8 प्रकयर क
े होते हैं कयरक को लवभक्ति से भी पहचयनय िय
सकतय है :

िम लवभक्ति कयरक
लचह्न (Karak
Chihn)
िक्षण
1 िर्म कताथ ने जिर्ा करने वाला
2 जितीर् कमथ कद जिस पर जिर्ा पडे।
3 तृतीर् करण से (क
े िारा) जिस सािन से जिर्ा की िाए।
4 चतुर्ी सम्प्रदान क
े जलए जिसक
े जलए जिर्ा हद।
5 पोंचमी अपादान
से (अलग हदने क
े
जलए)
िहाँ अलक हदने का भाव हद
6
र्ष्टी
सम्बन्ध का, की, क
े , रे
जिससे सोंज्ञा का अन्य पददों से
सोंबोंि ज्ञात हद
7 सप्तमी अजिकरण में, पर जिर्ा हदने का आिार र्ा स्र्ान
8 अष्टमी सोंबदिन हे, अरे जिससे सोंबदजित जकर्ा िाए।
 कमथ करक क
े जचन्ह पहचाजनए
 कद
 की
 क
ु
 क
अर्ा की दृलि से वयक्-भेद
 जविान वाचक वाक्य,
 2- जनर्ेिवाचक वाक्य,
 3- िश्नवाचक वाक्य,
 4- जवस्मर्ाजदबदिक वाक्य,
 5- आज्ञावाचक वाक्य,
 6- इच्छावाचक वाक्य,
 7-सोंक
े तवाचक वाक्य,
 8-सोंदेहवाचक वाक्य।
 लवधयनवयचक वयक् -
 वह वाक्य जिससे सामान्य कर्न का पता चले,
लवधयनवयचक वयक् कहलाता है।

 िैसे -
 हररर्ाणा एक राज्य है।
 सुरेश एक अच्छा द्धखलाडी है।
 सदहन पुस्तक पढता है।
 लनषेधवयचक वयक् :
 जिन वाक्यदों से नकारात्मकता का भाव िकट हद, वे
लनषेधवयचक वयक् कहलाते हैं।

 िैसे-
 सदहन पुस्तक नहीों पढता है।
 वह इस काम कद नहीों करेगा।
 प्रश्नवयचक वयक् -
 जिन वाक्यदों से िश्न हदने का भाव िकट हद, वे प्रश्नवयचक
वयक् कहलाते हैं।
 िैसे -

 आपका क्या नाम है?
 तुम्हारा िन्म कब हुआ र्ा?
 राम क
े जपता का नाम क्या है?
 आज्ञयवयचक वयक् -
 जिन वाक्यदों में आज्ञा िकट की िाए अर्वा आदेश जदर्ा िाए वे
वाक्य आज्ञयवयचक वयक् कहलाते हैं
 िैसे -
 र्ह कार्थ कररए।
 इस पाठ कद पढद।
 चुप रहद।
 बाहर िाओ।
 तुम्हें कल इस पुस्तक कद देना है।
 लवस्मर्यलदवयचक वयक् -
 वे वाक्य जिनमें हर्थ, शदक, घृणा आजद का भाव िकट
हद, उन्हें लवस्मर्यलदबोधक वयक् कहते हैं।

 िैसे -
 वाह! क्या बात है।
 हार्! जकतना गलत हुआ।
 ओह! िानकर दुख हुआ।
 इच्छयवयचक वयक् -
 जिन वाक्यदों में जकसी इच्छा अर्वा आशीवाथद का बदि
हदता है, वे इच्छयवयचक वयक् कहलाते हैं।
 िैसे-
 ईश्वर तुम्हारी लोंबी आर्ु करें।
 तुम्हारा नव वर्थ अच्छा गुिरे।
 सांक
े तवयचक वयक्-
 िब कदई बात दू सरी बात पर आजित हद अर्वा सोंक
े त
करें उन्हें सांक
े तवयचक वयक् अर्वय शताबोधक वयक्
कहते हैं।

 िैसे-
 र्जद तुम अच्छी मेहनत करते तद िर्म आते।
 तुम जदल्ली चलदगे तद मैं चलूोंगा।
 सांदेहवयचक वयक् -
 जिन वाक्यदों में शक उत्पन्न सदने का भाव हद अर्वा
सन्देह हद उन्हें सांदेहवयचक वयक् कहते हैं।

 िैसे-
 ररजतक पढ रहा हदगा।
 शार्द मैं कल िाऊ
ों गा।
उपसगथ :
 उपसगा दो शब्दोां से लमिकर बनय होतय है उप+सगा।
उप कय अर्ा होतय है समीप और सगा कय अर्ा होतय है
सृलि करनय। सांस्क
ृ त एवां सांस्क
ृ त से उत्पन्न भयषयओँ
में उस अव्यर् र्य शब्द को उपसगा कहते है। अर्यता
शब्दयांश उसक
े आरम्भ में िगकर उसक
े अर्ा को
बदि देते हैं र्य लिर उसमें लवशेषतय ियते हैं उन
शब्दोां को उपसगा कहते हैं। शब्दयांश होने क
े कयरण
इनकय कोई स्वतांत्र रूप से कोई महत्व नहीांमयनय
ियतय है।
 उदयहरण :-
हयर एक शब्द है लिसकय अर्ा होतय है परयिर्।
िेलकन इसक
े आगे आ शब्द िगने से नर्य शब्द
बनेगय िैसे आहयर लिसकय मतिब होतय है भोिन।
 परयभूत’ शब्द में प्रर्ुि उपसगा है -
A) प
B) परा
C) िा
D) पर
 प्रत्यर्
 कय अपनय अर्ा नहीांहोतय और न ही इनकय कोई
स्वतांत्र अक्तित्व होतय है। प्रत्यर् अलवकयरी शब्दयांश
होते हैं िो शब्दोां क
े बयद में िोड़े ियते है
 समयि + इक = सयमयलिक
 सुगांध +इत = सुगांलधत
 भूिनय +अक्कड = भुिक्कड
 मीठय +आस = लमठयस
 समयस (Samas Ki Paribhasha) :
 समास का तात्पर्थ हदता है – सोंजछप्तीकरण। इसका
शाद्धब्क अर्थ हदता है छदटा रूप। अर्ातथ िब दद र्ा दद
से अजिक शब्दों से जमलकर िद नर्ा और छदटा शब्
बनता है उस शब् कद समास कहते हैं।
 समास क
े भेद :
 1. अव्यर्ीभाव समास
 2. तत्पुरुर् समास
 3. कमथिारर् समास
 4. जिगु समास
 5. िोंि समास
 6. बहुब्रीजह समास
सोंजि
 सोंजि का अर्थ है– जमलना। दद वणोंंों र्ा अिरदोंंों क
े
परस्पर मेल से उत्पन्न जवकार कद 'सोंजि' कहते हैंंों । िैसे–
जवद्या+आलर् = जवद्यालर्। र्हाँ जवद्या शब् का ‘आ’ वणथ
और आलर् शब् क
े ‘आ’ वणथ मे सोंजि हदकर ‘आ’ बना
है।
शब्दों की अशुद्धद्धर्ाँ
 अशुद्ध – कदर्ल मीठा गाता है।
शुध्द – कदर्ल मीठा गाती है।
 अशुद्ध – एक फ
ू ल की माला लाओ।
शुद्ध – फ
ू लदों की एक माला लाओ।
 अशुद्ध – इस पाठ कद जफर से ददहरा लद ।
शुध्द – इस पाठ कद ददहरा लद।
जलोंग
 सोंज्ञा शब्दों क
े जिस रूप से उसक
े पुरुर् र्ा स्त्री िाजत
हदने का पता चलता है, उसे जलोंग कहते है।
 लहन्दी व्ययकरण में लिांग क
े दो भेद होते है-
 पुजलोंग(Masculine Gender)
 स्त्रीजलोंग( Feminine Gender)
 लनम्नलिक्तित शब्दोां में स्त्रीलिांग कय चर्न कीलिए ?
 A. काव्य
 B. पदर्ी
 C. पुराण
 D. ग्रोंर्
 लनम्नलिक्तित शब्दोां में पुक्तलांग कय चर्न कीलिए ?
 A. जशिा
 B. जशष्या
 C. पाठशाला
 D. जशिक
रस
 रस क
े प्रकयर
 िृोंगार रस- रजत
 हास्य रस -हास
 करुण रस- शदक
 र द्र रस -िदि
 वीर रस- उत्साह
 भर्ानक रस- भर्
 वीभत्स रस -घृणा
 अद् भुत रस -आश्चर्थ
 लनम्न में अद् भुत रस कय उदयहरण है
 (क) “देि र्शोदय लशशु क
े मुि में, सकि लवश्व की
मयर्य ।। क्षणभर को वह बनी अचेतन, लहि न सकी
कोमि कयर्य।।
(ि) नि रेिय सौहें नई अरसौ हें सब गयत
(ग) बर िीते सर मैन क
े , ऐसे देिे मैं न
(घ) क
े की रव को नूपुर ध्वलन सुन नगती-िगती की
मूक प्ययस
 पद्यांश को हि करने क
े लटप्स और लटि क्स

पद्यांश सांबांधी सयमयन्य बयतें:
 पद्याोंश कद ही काव्य कहा िाता है।
 काव्य का स्तर, जवचार, भार्ा, शैली आजद ित्येक दृजष्ट
से परीिा क
े स्तर क
े अनुरूप हदता है ।
 काव्य का स्वरूप साजहद्धत्यक, वैज्ञाजनक, तर्ा
जववरणात्मक भी हदता है।

 पद्यांश पर आधयररत प्रश्नोां को हि करने क
े लिए सुझयव:
 ● पद्याोंश कद ध्यानपूवथक तर्ा समर् की बचत करते हुए पढे तर्ा उसकी
जवर्र् वस्तु तर्ा क
ें द्रीर् भाव िानने का िर्ास करें।
 ● जिस जवर्र् क
े बारे में कई बार बात पद्याोंश में की िार्े वह उसका
क
ें द्रीर् भाव हद सकता है।
 ● िद तथ्य आपकद पद्याोंश पढते हुए महत्वपूणथ लगे उन्हें रेखाोंजकत अवश्य
करें इससे आपका समर् आवश्यक रूप से बचेगा ।
 ● िश्नदों क
े सही उत्तर कद ध्यानपूवथक जचद्धन्हत करें ।
 ● उत्तर पद्याोंश पर आिाररत हदना चाजहए कल्पनात्मक उत्तर न दें।
 ● पद्याोंश में दी गई िानकारी कद सही मानते हुए सही उत्तर जनकालने का
िर्ास करे।
 ● ित्येक जवकल्प पर जवचार करक
े देखें जक उनमे से जकसक
े अर्थ की
सोंगजत सम्बोंजित वाक्य क
े सार् सही बैठ रही है ।
 https://hindiadhyapak1.blogspot.com/2019/05/
blog-post_27.html
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  • 10. पर्यार्वयची शब्द Synonyms Words  जिन शब्दों क े अर्थ में समानता हद, उन्हें 'पर्ाथर्वाची शब्' कहते है।  दू सरे अर्ा में- समान अर्थवाले शब्दों कद 'पर्ाथर्वाची शब्' र्ा समानार्थक भी कहते है।  अप्सरा — देवाोंगना, सुराोंगना, देवकन्या, सुखजनता, अरुणजिर्ा।  अवनजत — अपकर्थ, ह्रास, जगराव, उतार।  अशुद्ध — दू जर्त, अपजवत्र, मजलन, गोंदा, गलत।
  • 11. जवलदम शब्  अजिकतम – न्यूनतम अनुराग – जवराग आिाद – गुलाम आगे – पीछे कडवा – मीठा  एकतोंत्र – बहुतोंत्र उत्तरार्ण – दजिणार्ण जवशालकार् – लघुकार्
  • 12. र्ुग्म शब्  जहोंदी क े अनेक शब् ऐसे हैं, जिनका उच्चारण िार्ः समान हदता हैं। जक ों तु, उनक े अर्थ जभन्न हदते है। इन्हें 'र्ुग्म शब्' कहते हैं। र्ह शब् सुनने में एक सामान लगते हैं, परन्तु इनक े अर्थ जबलक ु ल अलग हदते हैं। गलती से भी अगर आप गलत शब् का िर्दग कर दें तद आपका अर्थ जबलक ु ल बदल िाता है।
  • 13.  अँगना घर का आँगन  अोंगना स्त्री  अली सखी  अजल भ ोंरा  अवजि काल, समर्  अविी अवि देश की भार्ा
  • 14. वयक्यांश क े लिए एक शब्द  अपनी बातदों कद सही और छदटे रूप में रखना एक कला हदती है। भार्ा कद सुोंदर, िभावशाली और आकर्थक बनाने क े जलए हर भार्ा में ऐसे शब् हदते हैं िद जकसी एक वाक्य क े स्र्ान पर िर्दग जकए िा सकते हैं। जहोंदी भार्ा में भी कई शब्दों क े स्र्ान पर एक शब् बदलकर हम भार्ा कद िभावशाली और आकर्थक बना सकते हैं। अनेक शब्दों क े स्र्ान पर एक शब् का िर्दग करक े भार्ा की सुोंदरता और भावदों की गम्भीरता कद रखते हुए जलख सकते हैं।  अतः िब अनेक शब्दों क े स्र्ान पर क े वल एक शब् का िर्दग भी जकर्ा िाता है तद उसे वयक्यांश क े लिए एक शब्द कहा िाता है।
  • 15.  कम खचथ करने वाला- जमतव्यर्ी  कम िानने वाला- अल्पज्ञ  कम बदलनेवाला- जमतभार्ी  कम अक्ल वाला- अल्पबुद्धद्ध  कल्पना से परे हद- कल्पनातीत  जकसी की हँसी उडाना- उपहास  क ु छ जदनदों तक बने रहने वाला- जटकाऊ  जकसी बात कद बढा-चढाकर कहना- अजतशर्दद्धि
  • 16.  'लिस िमीन में पैदय करने की शक्ति न हो ' क े लिए एक शब्द है  A. अनुवरी  B. अनवथरा  C. अनुवर  D. अनुवथरा
  • 18.  'िो धन दुरूपर्ोग करतय हो ' क े लिए एक शब्द है  A. अपव्यर्ी  B. जमतव्यर्ी  C. अतृप  D. अजित्यका
  • 20.  'समुन्द्र की आग ' क े लिए उपर्ुि शब्द है  A. दावानल  B. िलागम  C. बडवानल  D. जभष्णाग्नी
  • 22.  सही लवकल्प चुलनए " लिसकी गदान सुांदर हो "  A. सुदशथन  B. सुगत  C. सुगदथन  D. सुग्रीव
  • 24.  हलिर्ोां कय ढयांचय  A. अद्धस्र्शेर्  B. अवशेर्  C. अद्धस्र्पोंिर  D. भग्नावशेर्
  • 26.  िो पूरी तरह पकय हो  A. पररपक्व  B. वर्स्क  C. पाच्य  D. सुपाच्य
  • 28. सांज्ञय  सांज्ञय की पररभयषय (sangya definition in hindi)  जकसी भी व्यद्धि, वस्तु, िाजत, भाव र्ा स्र्ान क े नाम कद ही सोंज्ञा कहते हैं। िैसे – मनुष्य (िाजत), अमेररका, भारत (स्र्ान), बचपन, जमठास(भाव), जकताब, टेबल(वस्तु) आजद।
  • 29.  सांज्ञय क े भेद (sangya ke bhed in hindi)  सोंज्ञा क े पाोंच भेद हदते हैं:  व्यद्धिवाचक सोंज्ञा  भाववाचक सोंज्ञा  िाजतवाचक सोंज्ञा  द्रव्यवाचक सोंज्ञा  समूहवाचक र्ा समुदार्वाचक सोंज्ञा
  • 30.  लिस लवकल्प में सांज्ञय शब्द नहीांहै उस लवकल्प कय चर्न करें ?  A. राम  B. गाना  C. तािमहल  D. लक्ष्मण
  • 31.  लिस लवकल्प में सांज्ञय शब्द नहीांहै उस लवकल्प कय चर्न करें ?  A. भागलपुर  B. पटना  C. गर्ा  D. िाना
  • 32.  लनम्नलिक्तित में कौनसय शब्द ‘व्यक्तिवयचक सांज्ञय है ?   Aपहयड़  Bआम  Cर्मुनय  Dगयर्
  • 33.  कौन-सय शब्द ियलतवयचक सांज्ञय नहीांहै?  Aमनुष्य  B सुन्दर  Cिवयन  Dबयिक
  • 34.  जनम्न में से व्यद्धिवाचक सोंज्ञा का उदाहरण है ?  Aपोंखा  B िदिपुर  C क ु त्ता  D नदी
  • 35. सवथनाम  पररभयषय  सोंज्ञा क े स्र्ान पर िर्दग जकए िाने वाले शब्दों कद सवथनाम कहते हैं।  भेद :-  पुरुर्वाचक सवथनाम जनश्चर्वाचक सवथनाम अजनश्चर्वाचक सवथनाम िश्नवाचक सवथनाम सम्बन्धवाचक सवथनाम जनिवाचक सवथनाम
  • 36.  1. पुरुषवयचक सवानयम :-  जिस सवथनाम का िर्दग बदलने वाले , सुनने वाले र्ा जकसी अन्य क े जलए हदता है , उसे पुरुर्वाचक सवथनाम कहते हैं। िैसे - मैं , तुम , वह आजद।  (क) उत्तम पुरूष :- अपने जलए करता है  िैसे :-  क) - मैं पत्र जलख रहा हँ। ख) - हमिोग रार्गोंि में रहते हैं।
  • 37.  (ि) मध्यम पुरूष :-  बदलने वाला र्ा जलखने वाला जिस सवथनाम का िर्दग सुनने वाले र्ा पढने वाले क े जलए करता है , उस सवथनाम कद मध्यम पुरूर्वाचक सवथनाम कहते हैं।   िैसे :-  (अ) - तुम उिर मत िाओ ?  (आ) - तुमिोग क्या खा रहे हद ?
  • 38.  (ग) - अन्य पुरूष :-  बदलने वाले और सुनने वाले अपने र्ा सामने वाले क े अलावा अन्य तीसरे व्यद्धि क े जलए जिससवथनाम का िर्दग करते हैं ,उस सवथनाम कद अन्य पुरूर्वाचक सवथनाम कहते हैं। िैसे -  (अ) - वहफल खाता है।  (आ) - वेिोग जदन भर खेलते हैं।
  • 39.  लनश्चर्वयचक सवानयम :-  िद सवथनाम जकसी जनजश्चत वस्तु , व्यद्धि र्ा घटना क े जलए िर्ुि हदते हैं , वे जनश्चर्वाचक सवथनाम कहलाते हैं। िैसे-  वह अच्छी गार् है।  र्ह बहुत सुोंदर पुस्तक है।  र्े िूते मेि पर रख दद।
  • 40.  अलनश्चर्वयचक सवानयम :-  िद सवथनाम जकसी अजनजश्चत वस्तु , अजनजश्चत व्यद्धिर्ा अजनजश्चत घटना क े जलए िर्ुि हदते हैं , वे अजनश्चर्वाचक सवथनाम कहलाते हैं।िैसे -  कोई बयहर है।  कोई न कोई मुझे लमि ही ियतय है।  वहयां पर क ु छ मेरे लिए है।
  • 41.  . प्रश्नवयचक सवानयम :-  िद सवथनाम िश्न पूछने क े जलए िर्दग जकर्ा िाता है , उसे िश्नवाचक सवथनाम कहते हैं।  िैसे :-  तुम लकतनय कमा लेते हद?  बच्चे कहयां गए हैं? आि खाने में क्य बनेगा?
  • 42.  5. सम्बन्धवयचक सवानयम :-  िद सवथनाम दद पददों क े बीच सम्बन्ध िदडता है , उसे सम्बन्धवाचक सवथनाम कहते हैं। िैसे-  िो करेगय सो भरेगय।  लिसकी लाठी उसकी भैंस। िैसी करनी वैसी भरनी। िो व्यद्धि बाहर खडा है वह मेरा भाई है। लिसकी तुम बात कर रहे हद वह मेरे चाचा है।
  • 43.  6. लनिवयचक सवानयम :-  विा र्ा लेखक जिस सवथनाम का िर्दग वाक्य में अपने जलए करता है , उसे जनिवाचक सवथनाम कहते हैं। िैसे -  हमें अपना काम स्वर्ां करना चाजहए ।  मैं अपना कार्थ अपने आप करता हों। अपनी वस्तुओों का ध्यान आप स्वर्ां रखेंगे। अपने भाई क े सार् मैं भी गर्ा र्ा अपने काम से काम रखद
  • 44.  प्रश्नवयचक सवानयम का उदाहरण क न सा है ? [A] िद [B] वे [C] क न [D] आप
  • 45.  क न सा अलनश्चर्वयचक सवथनाम नहीांहै ?  [A] क ु छ भी  [B] क ु छ न क ु छ  [C] सब क ु छ  [D] िद, वह
  • 46.  पररभयषय:  िद शब् सोंज्ञा र्ा सवथनाम शब् की जवशेर्ता बताते है उन्हें जवशेर्ण कहते है।
  • 47.  जवशेर्ण क े िकार  जवशेर्ण जनम्नजलद्धखत चार िकार हदते है -   (1)गुणवयचक लवशेषण  (2)सांख्ययवयचक लवशेषण  (3)पररमयणवयचक लवशेषण  (4)सांक े तवयचक लवशेषण
  • 48.  (1)गुणवयचक लवशेषण :-  वे जवशेर्ण शब् िद सोंज्ञा र्ा सवथनाम शब् (जवशेष्य) क े गुण-ददर्, रूप-रोंग, आकार, स्वाद, दशा, अवस्र्ा, स्र्ान आजद की जवशेर्ता िकट करते हैं, गुणवाचक जवशेर्ण कहलाते है।  िैसे- गुण- वह एक अच्छा आदमी है।  रोंग- काला टदपी, लाल रुमाल।  आकार- उसका चेहरा गदल है।  अवस्र्ा- भूखे पेट भिन नहीों हदता।
  • 49.  (2)सांख्ययवयचक लवशेषण:-  वे लवशेषण शब्द िो सांज्ञय अर्वय सवानयम (लवशेष्य) की सांख्यय कय बोध करयते हैं, सांख्ययवयचक लवशेषण कहियते हैं।
  • 50.  सांख्ययवयचक लवशेषण क े भेद  सोंख्यावाचक जवशेर्ण क े दद भेद हदते है-   (i)लनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण  (ii)अलनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण   (i)लनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण :-  वे जवशेर्ण शब् िद जवशेष्य की जनजश्चत सोंख्या का बदि कराते हैं, जनजश्चत सोंख्यावाचक जवशेर्ण कहलाते हैं।   मेरी किा में चयिीस छात्र हैं।  कमरे में एक पोंखा घूम रहा है।  डाल पर दो जचजडर्ाँ बैठी हैं।  िार्थना-सभा में सौ लदग उपद्धस्र्त र्े।
  • 51.  ii)अलनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण :-  वे जवशेर्ण शब् िद जवशेष्य की जनजश्चत सोंख्या का बदि न कराते हदों, वे अजनजश्चत सोंख्यावाचक जवशेर्ण कहलाते हैं।   बम क े भर् से क ु छ लदग बेहदश हद गए।  किा में बहुत कम छात्र उपद्धस्र्त र्े।  क ु छ फल खाकर ही मेरी भूख जमट गई।  क ु छ देर बाद हम चले िाएँ गे।
  • 52.  (3)पररमयणवयचक लवशेषण :-  जिन जवशेर्ण शब्दों से जकसी वस्तु क े माप-त ल सोंबोंिी जवशेर्ता का बदि हदता है, वे पररमाणवाचक जवशेर्ण कहलाते हैं।  र्ह जकसी वस्तु की नाप र्ा त ल का बदि कराता है।  िैसे- 'सेर' भर दू ि, 'तदला' भर सदना
  • 53.  पररमयणवयचक लवशेषण क े भेद  पररमाणवाचक जवशेर्ण क े दद भेद हदते है-  (i) लनलश्चत पररमयणवयचक  (ii)अलनलश्चत पररमयणवयचक
  • 54.  िद जवशेर्ण शब् जकसी वस्तु की जनजश्चत मात्रा अर्वा माप-त ल का बदि कराते हैं, वे जनजश्चत पररमाणवाचक जवशेर्ण कहलाते है।  िैसे- 'दद सेर' घी, 'दस हार्' िगह, 'चार गि' मलमल, 'चार जकलद' चावल।  (ii)अलनलश्चत पररमयणवयचक :-  िद जवशेर्ण शब् जकसी वस्तु की जनजश्चत मात्रा अर्वा माप-त ल का बदि नहीों कराते हैं, वे अजनजश्चत पररमाणवाचक जवशेर्ण कहलाते है।   िैसे- 'सब' िन, 'क ु छ' दू ि, 'बहुत' पानी।
  • 55.  सांक े तवयचक र्य सयवानयलमक लवशेषण :-  िो शब्द सांज्ञय र्य सवानयम की ओर सांक े त करते है र्य िो शब्द सवानयम होते हुए भी लकसी सांज्ञय से पहिे आकर उसकी लवशेषतय को प्रकट करें, उन्हें सांक े तवयचक र्य सयवानयलमक लवशेषण कहते है।  सरि शब्दोां में- जिन सवथनाम शब्दों का िर्दग सोंज्ञा क े आगे उनक े जवशेर्ण क े रूप में हदता है, उन्हें सावथनाजमक जवशेर्ण कहते हैं।   िैसे- वह न कर नहीों आर्ा; र्ह घदडा अच्छा है।
  • 56.  रयम बयियर से चयर लकिो आटय ियर्य’ में कौनसय लवशेषण है?   A  अजनजश्चत पररमाण वाचक  B  सावथनाजमक  C  जनजश्चत पररमाण वाचक  D  गुणवाचक
  • 57. जिर्ा  पररभयषय  जिस शब् से जकसी काम कद करना र्ा हदना िकट हद, उसे जिर्ा कहते हैं। िैसे-खाना, पीना, सदना, रदना, िागना, जलखना, इत्याजद।
  • 58.  . लिर्य-लवशेषण अव्यर् :-  जिन शब्दों से जिर्ा की जवशेर्ता का पता चलता है उसे जिर्ा -जवशेर्ण कहते हैं। िहाँ पर र्हाँ , तेि , अब , रात , िीरे-िीरे, िजतजदन , वहाँ , तक , िल्दी , अभी , बहुत आजद आते हैं, वहाँ पर जिर्ाजवशेर्ण अव्यर् हदता है।
  • 59.  लकस वयक् में लिर्यलवशेषण है।  (a)मदहन मीठा बदलता है।  (b)राम मदहन से पूछता है ।  (c)गीता सीता से माोंगती है ।  (d)क ु छ का स्वभाव ऐसा है ।
  • 60.  कारक क्या हदता है :-  कारक शब् का अर्थ हदता है – जिर्ा कद करने वाला। िब जिर्ा कद करने में कदई न कदई अपनी भूजमका जनभाता है उसे कारक कहते है। अर्ातथ सोंज्ञा और सवथनाम का जिर्ा क े सार् दू सरे शब्दों में सोंबोंि बताने वाले जनशानदों कद कारक कहते है
  • 61. कयरक 8 प्रकयर क े होते हैं कयरक को लवभक्ति से भी पहचयनय िय सकतय है :  िम लवभक्ति कयरक लचह्न (Karak Chihn) िक्षण 1 िर्म कताथ ने जिर्ा करने वाला 2 जितीर् कमथ कद जिस पर जिर्ा पडे। 3 तृतीर् करण से (क े िारा) जिस सािन से जिर्ा की िाए। 4 चतुर्ी सम्प्रदान क े जलए जिसक े जलए जिर्ा हद। 5 पोंचमी अपादान से (अलग हदने क े जलए) िहाँ अलक हदने का भाव हद 6 र्ष्टी सम्बन्ध का, की, क े , रे जिससे सोंज्ञा का अन्य पददों से सोंबोंि ज्ञात हद 7 सप्तमी अजिकरण में, पर जिर्ा हदने का आिार र्ा स्र्ान 8 अष्टमी सोंबदिन हे, अरे जिससे सोंबदजित जकर्ा िाए।
  • 62.  कमथ करक क े जचन्ह पहचाजनए  कद  की  क ु  क
  • 63. अर्ा की दृलि से वयक्-भेद  जविान वाचक वाक्य,  2- जनर्ेिवाचक वाक्य,  3- िश्नवाचक वाक्य,  4- जवस्मर्ाजदबदिक वाक्य,  5- आज्ञावाचक वाक्य,  6- इच्छावाचक वाक्य,  7-सोंक े तवाचक वाक्य,  8-सोंदेहवाचक वाक्य।
  • 64.  लवधयनवयचक वयक् -  वह वाक्य जिससे सामान्य कर्न का पता चले, लवधयनवयचक वयक् कहलाता है।   िैसे -  हररर्ाणा एक राज्य है।  सुरेश एक अच्छा द्धखलाडी है।  सदहन पुस्तक पढता है।
  • 65.  लनषेधवयचक वयक् :  जिन वाक्यदों से नकारात्मकता का भाव िकट हद, वे लनषेधवयचक वयक् कहलाते हैं।   िैसे-  सदहन पुस्तक नहीों पढता है।  वह इस काम कद नहीों करेगा।
  • 66.  प्रश्नवयचक वयक् -  जिन वाक्यदों से िश्न हदने का भाव िकट हद, वे प्रश्नवयचक वयक् कहलाते हैं।  िैसे -   आपका क्या नाम है?  तुम्हारा िन्म कब हुआ र्ा?  राम क े जपता का नाम क्या है?
  • 67.  आज्ञयवयचक वयक् -  जिन वाक्यदों में आज्ञा िकट की िाए अर्वा आदेश जदर्ा िाए वे वाक्य आज्ञयवयचक वयक् कहलाते हैं  िैसे -  र्ह कार्थ कररए।  इस पाठ कद पढद।  चुप रहद।  बाहर िाओ।  तुम्हें कल इस पुस्तक कद देना है।
  • 68.  लवस्मर्यलदवयचक वयक् -  वे वाक्य जिनमें हर्थ, शदक, घृणा आजद का भाव िकट हद, उन्हें लवस्मर्यलदबोधक वयक् कहते हैं।   िैसे -  वाह! क्या बात है।  हार्! जकतना गलत हुआ।  ओह! िानकर दुख हुआ।
  • 69.  इच्छयवयचक वयक् -  जिन वाक्यदों में जकसी इच्छा अर्वा आशीवाथद का बदि हदता है, वे इच्छयवयचक वयक् कहलाते हैं।  िैसे-  ईश्वर तुम्हारी लोंबी आर्ु करें।  तुम्हारा नव वर्थ अच्छा गुिरे।
  • 70.  सांक े तवयचक वयक्-  िब कदई बात दू सरी बात पर आजित हद अर्वा सोंक े त करें उन्हें सांक े तवयचक वयक् अर्वय शताबोधक वयक् कहते हैं।   िैसे-  र्जद तुम अच्छी मेहनत करते तद िर्म आते।  तुम जदल्ली चलदगे तद मैं चलूोंगा।
  • 71.  सांदेहवयचक वयक् -  जिन वाक्यदों में शक उत्पन्न सदने का भाव हद अर्वा सन्देह हद उन्हें सांदेहवयचक वयक् कहते हैं।   िैसे-  ररजतक पढ रहा हदगा।  शार्द मैं कल िाऊ ों गा।
  • 72. उपसगथ :  उपसगा दो शब्दोां से लमिकर बनय होतय है उप+सगा। उप कय अर्ा होतय है समीप और सगा कय अर्ा होतय है सृलि करनय। सांस्क ृ त एवां सांस्क ृ त से उत्पन्न भयषयओँ में उस अव्यर् र्य शब्द को उपसगा कहते है। अर्यता शब्दयांश उसक े आरम्भ में िगकर उसक े अर्ा को बदि देते हैं र्य लिर उसमें लवशेषतय ियते हैं उन शब्दोां को उपसगा कहते हैं। शब्दयांश होने क े कयरण इनकय कोई स्वतांत्र रूप से कोई महत्व नहीांमयनय ियतय है।
  • 73.  उदयहरण :- हयर एक शब्द है लिसकय अर्ा होतय है परयिर्। िेलकन इसक े आगे आ शब्द िगने से नर्य शब्द बनेगय िैसे आहयर लिसकय मतिब होतय है भोिन।
  • 74.  परयभूत’ शब्द में प्रर्ुि उपसगा है - A) प B) परा C) िा D) पर
  • 75.  प्रत्यर्  कय अपनय अर्ा नहीांहोतय और न ही इनकय कोई स्वतांत्र अक्तित्व होतय है। प्रत्यर् अलवकयरी शब्दयांश होते हैं िो शब्दोां क े बयद में िोड़े ियते है  समयि + इक = सयमयलिक  सुगांध +इत = सुगांलधत  भूिनय +अक्कड = भुिक्कड  मीठय +आस = लमठयस
  • 76.  समयस (Samas Ki Paribhasha) :  समास का तात्पर्थ हदता है – सोंजछप्तीकरण। इसका शाद्धब्क अर्थ हदता है छदटा रूप। अर्ातथ िब दद र्ा दद से अजिक शब्दों से जमलकर िद नर्ा और छदटा शब् बनता है उस शब् कद समास कहते हैं।
  • 77.  समास क े भेद :  1. अव्यर्ीभाव समास  2. तत्पुरुर् समास  3. कमथिारर् समास  4. जिगु समास  5. िोंि समास  6. बहुब्रीजह समास
  • 78. सोंजि  सोंजि का अर्थ है– जमलना। दद वणोंंों र्ा अिरदोंंों क े परस्पर मेल से उत्पन्न जवकार कद 'सोंजि' कहते हैंंों । िैसे– जवद्या+आलर् = जवद्यालर्। र्हाँ जवद्या शब् का ‘आ’ वणथ और आलर् शब् क े ‘आ’ वणथ मे सोंजि हदकर ‘आ’ बना है।
  • 79. शब्दों की अशुद्धद्धर्ाँ  अशुद्ध – कदर्ल मीठा गाता है। शुध्द – कदर्ल मीठा गाती है।  अशुद्ध – एक फ ू ल की माला लाओ। शुद्ध – फ ू लदों की एक माला लाओ।  अशुद्ध – इस पाठ कद जफर से ददहरा लद । शुध्द – इस पाठ कद ददहरा लद।
  • 80. जलोंग  सोंज्ञा शब्दों क े जिस रूप से उसक े पुरुर् र्ा स्त्री िाजत हदने का पता चलता है, उसे जलोंग कहते है।  लहन्दी व्ययकरण में लिांग क े दो भेद होते है-  पुजलोंग(Masculine Gender)  स्त्रीजलोंग( Feminine Gender)
  • 81.  लनम्नलिक्तित शब्दोां में स्त्रीलिांग कय चर्न कीलिए ?  A. काव्य  B. पदर्ी  C. पुराण  D. ग्रोंर्
  • 82.  लनम्नलिक्तित शब्दोां में पुक्तलांग कय चर्न कीलिए ?  A. जशिा  B. जशष्या  C. पाठशाला  D. जशिक
  • 83. रस  रस क े प्रकयर  िृोंगार रस- रजत  हास्य रस -हास  करुण रस- शदक  र द्र रस -िदि  वीर रस- उत्साह  भर्ानक रस- भर्  वीभत्स रस -घृणा  अद् भुत रस -आश्चर्थ
  • 84.  लनम्न में अद् भुत रस कय उदयहरण है  (क) “देि र्शोदय लशशु क े मुि में, सकि लवश्व की मयर्य ।। क्षणभर को वह बनी अचेतन, लहि न सकी कोमि कयर्य।। (ि) नि रेिय सौहें नई अरसौ हें सब गयत (ग) बर िीते सर मैन क े , ऐसे देिे मैं न (घ) क े की रव को नूपुर ध्वलन सुन नगती-िगती की मूक प्ययस
  • 85.  पद्यांश को हि करने क े लटप्स और लटि क्स  पद्यांश सांबांधी सयमयन्य बयतें:  पद्याोंश कद ही काव्य कहा िाता है।  काव्य का स्तर, जवचार, भार्ा, शैली आजद ित्येक दृजष्ट से परीिा क े स्तर क े अनुरूप हदता है ।  काव्य का स्वरूप साजहद्धत्यक, वैज्ञाजनक, तर्ा जववरणात्मक भी हदता है। 
  • 86.  पद्यांश पर आधयररत प्रश्नोां को हि करने क े लिए सुझयव:  ● पद्याोंश कद ध्यानपूवथक तर्ा समर् की बचत करते हुए पढे तर्ा उसकी जवर्र् वस्तु तर्ा क ें द्रीर् भाव िानने का िर्ास करें।  ● जिस जवर्र् क े बारे में कई बार बात पद्याोंश में की िार्े वह उसका क ें द्रीर् भाव हद सकता है।  ● िद तथ्य आपकद पद्याोंश पढते हुए महत्वपूणथ लगे उन्हें रेखाोंजकत अवश्य करें इससे आपका समर् आवश्यक रूप से बचेगा ।  ● िश्नदों क े सही उत्तर कद ध्यानपूवथक जचद्धन्हत करें ।  ● उत्तर पद्याोंश पर आिाररत हदना चाजहए कल्पनात्मक उत्तर न दें।  ● पद्याोंश में दी गई िानकारी कद सही मानते हुए सही उत्तर जनकालने का िर्ास करे।  ● ित्येक जवकल्प पर जवचार करक े देखें जक उनमे से जकसक े अर्थ की सोंगजत सम्बोंजित वाक्य क े सार् सही बैठ रही है ।