12. र्ुग्म शब्
जहोंदी क
े अनेक शब् ऐसे हैं, जिनका उच्चारण िार्ः
समान हदता हैं। जक
ों तु, उनक
े अर्थ जभन्न हदते है। इन्हें 'र्ुग्म
शब्' कहते हैं। र्ह शब् सुनने में एक सामान लगते हैं,
परन्तु इनक
े अर्थ जबलक
ु ल अलग हदते हैं। गलती से भी
अगर आप गलत शब् का िर्दग कर दें तद आपका अर्थ
जबलक
ु ल बदल िाता है।
13. अँगना घर का आँगन
अोंगना स्त्री
अली सखी
अजल भ ोंरा
अवजि काल, समर्
अविी अवि देश की भार्ा
14. वयक्यांश क
े लिए एक शब्द
अपनी बातदों कद सही और छदटे रूप में रखना एक कला
हदती है। भार्ा कद सुोंदर, िभावशाली और आकर्थक बनाने
क
े जलए हर भार्ा में ऐसे शब् हदते हैं िद जकसी एक वाक्य क
े
स्र्ान पर िर्दग जकए िा सकते हैं। जहोंदी भार्ा में भी कई
शब्दों क
े स्र्ान पर एक शब् बदलकर हम भार्ा कद
िभावशाली और आकर्थक बना सकते हैं। अनेक शब्दों क
े
स्र्ान पर एक शब् का िर्दग करक
े भार्ा की सुोंदरता और
भावदों की गम्भीरता कद रखते हुए जलख सकते हैं।
अतः िब अनेक शब्दों क
े स्र्ान पर क
े वल एक शब् का
िर्दग भी जकर्ा िाता है तद उसे वयक्यांश क
े लिए एक शब्द
कहा िाता है।
15. कम खचथ करने वाला- जमतव्यर्ी
कम िानने वाला- अल्पज्ञ
कम बदलनेवाला- जमतभार्ी
कम अक्ल वाला- अल्पबुद्धद्ध
कल्पना से परे हद- कल्पनातीत
जकसी की हँसी उडाना- उपहास
क
ु छ जदनदों तक बने रहने वाला- जटकाऊ
जकसी बात कद बढा-चढाकर कहना- अजतशर्दद्धि
16. 'लिस िमीन में पैदय करने की शक्ति न हो ' क
े लिए
एक शब्द है
A. अनुवरी
B. अनवथरा
C. अनुवर
D. अनुवथरा
28. सांज्ञय
सांज्ञय की पररभयषय (sangya definition in hindi)
जकसी भी व्यद्धि, वस्तु, िाजत, भाव र्ा स्र्ान क
े नाम कद
ही सोंज्ञा कहते हैं। िैसे – मनुष्य (िाजत), अमेररका,
भारत (स्र्ान), बचपन, जमठास(भाव), जकताब,
टेबल(वस्तु) आजद।
30. लिस लवकल्प में सांज्ञय शब्द नहीांहै उस लवकल्प कय
चर्न करें ?
A. राम
B. गाना
C. तािमहल
D. लक्ष्मण
31. लिस लवकल्प में सांज्ञय शब्द नहीांहै उस लवकल्प कय
चर्न करें ?
A. भागलपुर
B. पटना
C. गर्ा
D. िाना
32. लनम्नलिक्तित में कौनसय शब्द ‘व्यक्तिवयचक सांज्ञय है ?
Aपहयड़
Bआम
Cर्मुनय
Dगयर्
33. कौन-सय शब्द ियलतवयचक सांज्ञय नहीांहै?
Aमनुष्य
B सुन्दर
Cिवयन
Dबयिक
34. जनम्न में से व्यद्धिवाचक सोंज्ञा का उदाहरण है ?
Aपोंखा
B िदिपुर
C क
ु त्ता
D नदी
35. सवथनाम
पररभयषय
सोंज्ञा क
े स्र्ान पर िर्दग जकए िाने वाले शब्दों कद सवथनाम
कहते हैं।
भेद :-
पुरुर्वाचक सवथनाम
जनश्चर्वाचक सवथनाम
अजनश्चर्वाचक सवथनाम
िश्नवाचक सवथनाम
सम्बन्धवाचक सवथनाम
जनिवाचक सवथनाम
36. 1. पुरुषवयचक सवानयम :-
जिस सवथनाम का िर्दग बदलने वाले , सुनने वाले र्ा
जकसी अन्य क
े जलए हदता है , उसे पुरुर्वाचक सवथनाम
कहते हैं।
िैसे - मैं , तुम , वह आजद।
(क) उत्तम पुरूष :- अपने जलए करता है
िैसे :-
क) - मैं पत्र जलख रहा हँ।
ख) - हमिोग रार्गोंि में रहते हैं।
37. (ि) मध्यम पुरूष :-
बदलने वाला र्ा जलखने वाला जिस सवथनाम का िर्दग सुनने
वाले र्ा पढने वाले क
े जलए करता है , उस सवथनाम कद
मध्यम पुरूर्वाचक सवथनाम कहते हैं।
िैसे :-
(अ) - तुम उिर मत िाओ ?
(आ) - तुमिोग क्या खा रहे हद ?
38. (ग) - अन्य पुरूष :-
बदलने वाले और सुनने वाले अपने र्ा सामने वाले क
े
अलावा अन्य तीसरे व्यद्धि क
े जलए जिससवथनाम का
िर्दग करते हैं ,उस सवथनाम कद अन्य पुरूर्वाचक
सवथनाम कहते हैं।
िैसे -
(अ) - वहफल खाता है।
(आ) - वेिोग जदन भर खेलते हैं।
39. लनश्चर्वयचक सवानयम :-
िद सवथनाम जकसी जनजश्चत वस्तु , व्यद्धि र्ा घटना क
े
जलए िर्ुि हदते हैं , वे जनश्चर्वाचक सवथनाम कहलाते
हैं।
िैसे-
वह अच्छी गार् है।
र्ह बहुत सुोंदर पुस्तक है।
र्े िूते मेि पर रख दद।
40. अलनश्चर्वयचक सवानयम :-
िद सवथनाम जकसी अजनजश्चत वस्तु , अजनजश्चत व्यद्धिर्ा
अजनजश्चत घटना क
े जलए िर्ुि हदते हैं , वे
अजनश्चर्वाचक सवथनाम कहलाते हैं।िैसे -
कोई बयहर है।
कोई न कोई मुझे लमि ही ियतय है।
वहयां पर क
ु छ मेरे लिए है।
41. . प्रश्नवयचक सवानयम :-
िद सवथनाम िश्न पूछने क
े जलए िर्दग जकर्ा िाता है ,
उसे िश्नवाचक सवथनाम कहते हैं।
िैसे :-
तुम लकतनय कमा लेते हद?
बच्चे कहयां गए हैं?
आि खाने में क्य बनेगा?
42. 5. सम्बन्धवयचक सवानयम :-
िद सवथनाम दद पददों क
े बीच सम्बन्ध िदडता है , उसे
सम्बन्धवाचक सवथनाम कहते हैं।
िैसे-
िो करेगय सो भरेगय।
लिसकी लाठी उसकी भैंस।
िैसी करनी वैसी भरनी।
िो व्यद्धि बाहर खडा है वह मेरा भाई है।
लिसकी तुम बात कर रहे हद वह मेरे चाचा है।
43. 6. लनिवयचक सवानयम :-
विा र्ा लेखक जिस सवथनाम का िर्दग वाक्य में अपने
जलए करता है , उसे जनिवाचक सवथनाम कहते हैं।
िैसे -
हमें अपना काम स्वर्ां करना चाजहए ।
मैं अपना कार्थ अपने आप करता हों।
अपनी वस्तुओों का ध्यान आप स्वर्ां रखेंगे।
अपने भाई क
े सार् मैं भी गर्ा र्ा
अपने काम से काम रखद
48. (1)गुणवयचक लवशेषण :-
वे जवशेर्ण शब् िद सोंज्ञा र्ा सवथनाम शब् (जवशेष्य) क
े
गुण-ददर्, रूप-रोंग, आकार, स्वाद, दशा, अवस्र्ा, स्र्ान
आजद की जवशेर्ता िकट करते हैं, गुणवाचक जवशेर्ण
कहलाते है।
िैसे- गुण- वह एक अच्छा आदमी है।
रोंग- काला टदपी, लाल रुमाल।
आकार- उसका चेहरा गदल है।
अवस्र्ा- भूखे पेट भिन नहीों हदता।
49. (2)सांख्ययवयचक लवशेषण:-
वे लवशेषण शब्द िो सांज्ञय अर्वय सवानयम (लवशेष्य)
की सांख्यय कय बोध करयते हैं, सांख्ययवयचक लवशेषण
कहियते हैं।
50. सांख्ययवयचक लवशेषण क
े भेद
सोंख्यावाचक जवशेर्ण क
े दद भेद हदते है-
(i)लनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण
(ii)अलनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण
(i)लनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण :-
वे जवशेर्ण शब् िद जवशेष्य की जनजश्चत सोंख्या का बदि कराते हैं, जनजश्चत सोंख्यावाचक जवशेर्ण
कहलाते हैं।
मेरी किा में चयिीस छात्र हैं।
कमरे में एक पोंखा घूम रहा है।
डाल पर दो जचजडर्ाँ बैठी हैं।
िार्थना-सभा में सौ लदग उपद्धस्र्त र्े।
51. ii)अलनलश्चत सांख्ययवयचक लवशेषण :-
वे जवशेर्ण शब् िद जवशेष्य की जनजश्चत सोंख्या का बदि न
कराते हदों, वे अजनजश्चत सोंख्यावाचक जवशेर्ण कहलाते हैं।
बम क
े भर् से क
ु छ लदग बेहदश हद गए।
किा में बहुत कम छात्र उपद्धस्र्त र्े।
क
ु छ फल खाकर ही मेरी भूख जमट गई।
क
ु छ देर बाद हम चले िाएँ गे।
52. (3)पररमयणवयचक लवशेषण :-
जिन जवशेर्ण शब्दों से जकसी वस्तु क
े माप-त ल सोंबोंिी
जवशेर्ता का बदि हदता है, वे पररमाणवाचक जवशेर्ण
कहलाते हैं।
र्ह जकसी वस्तु की नाप र्ा त ल का बदि कराता है।
िैसे- 'सेर' भर दू ि, 'तदला' भर सदना
54. िद जवशेर्ण शब् जकसी वस्तु की जनजश्चत मात्रा अर्वा माप-त ल का बदि
कराते हैं, वे जनजश्चत पररमाणवाचक जवशेर्ण कहलाते है।
िैसे- 'दद सेर' घी, 'दस हार्' िगह, 'चार गि' मलमल, 'चार जकलद' चावल।
(ii)अलनलश्चत पररमयणवयचक :-
िद जवशेर्ण शब् जकसी वस्तु की जनजश्चत मात्रा अर्वा माप-त ल का बदि
नहीों कराते हैं, वे अजनजश्चत पररमाणवाचक जवशेर्ण कहलाते है।
िैसे- 'सब' िन, 'क
ु छ' दू ि, 'बहुत' पानी।
55. सांक
े तवयचक र्य सयवानयलमक लवशेषण :-
िो शब्द सांज्ञय र्य सवानयम की ओर सांक
े त करते है र्य िो
शब्द सवानयम होते हुए भी लकसी सांज्ञय से पहिे आकर
उसकी लवशेषतय को प्रकट करें, उन्हें सांक
े तवयचक र्य
सयवानयलमक लवशेषण कहते है।
सरि शब्दोां में- जिन सवथनाम शब्दों का िर्दग सोंज्ञा क
े आगे
उनक
े जवशेर्ण क
े रूप में हदता है, उन्हें सावथनाजमक जवशेर्ण
कहते हैं।
िैसे- वह न कर नहीों आर्ा; र्ह घदडा अच्छा है।
56. रयम बयियर से चयर लकिो आटय ियर्य’ में कौनसय लवशेषण
है?
A
अजनजश्चत पररमाण वाचक
B
सावथनाजमक
C
जनजश्चत पररमाण वाचक
D
गुणवाचक
57. जिर्ा
पररभयषय
जिस शब् से जकसी काम कद करना र्ा हदना िकट हद,
उसे जिर्ा कहते हैं। िैसे-खाना, पीना, सदना, रदना,
िागना, जलखना, इत्याजद।
58. . लिर्य-लवशेषण अव्यर् :-
जिन शब्दों से जिर्ा की जवशेर्ता का पता चलता है उसे
जिर्ा -जवशेर्ण कहते हैं। िहाँ पर र्हाँ , तेि , अब ,
रात , िीरे-िीरे, िजतजदन , वहाँ , तक , िल्दी , अभी ,
बहुत आजद आते हैं, वहाँ पर जिर्ाजवशेर्ण अव्यर् हदता
है।
59. लकस वयक् में लिर्यलवशेषण है।
(a)मदहन मीठा बदलता है।
(b)राम मदहन से पूछता है ।
(c)गीता सीता से माोंगती है ।
(d)क
ु छ का स्वभाव ऐसा है ।
60. कारक क्या हदता है :-
कारक शब् का अर्थ हदता है – जिर्ा कद करने वाला।
िब जिर्ा कद करने में कदई न कदई अपनी भूजमका
जनभाता है उसे कारक कहते है। अर्ातथ सोंज्ञा और
सवथनाम का जिर्ा क
े सार् दू सरे शब्दों में सोंबोंि बताने
वाले जनशानदों कद कारक कहते है
61. कयरक 8 प्रकयर क
े होते हैं कयरक को लवभक्ति से भी पहचयनय िय
सकतय है :
िम लवभक्ति कयरक
लचह्न (Karak
Chihn)
िक्षण
1 िर्म कताथ ने जिर्ा करने वाला
2 जितीर् कमथ कद जिस पर जिर्ा पडे।
3 तृतीर् करण से (क
े िारा) जिस सािन से जिर्ा की िाए।
4 चतुर्ी सम्प्रदान क
े जलए जिसक
े जलए जिर्ा हद।
5 पोंचमी अपादान
से (अलग हदने क
े
जलए)
िहाँ अलक हदने का भाव हद
6
र्ष्टी
सम्बन्ध का, की, क
े , रे
जिससे सोंज्ञा का अन्य पददों से
सोंबोंि ज्ञात हद
7 सप्तमी अजिकरण में, पर जिर्ा हदने का आिार र्ा स्र्ान
8 अष्टमी सोंबदिन हे, अरे जिससे सोंबदजित जकर्ा िाए।
64. लवधयनवयचक वयक् -
वह वाक्य जिससे सामान्य कर्न का पता चले,
लवधयनवयचक वयक् कहलाता है।
िैसे -
हररर्ाणा एक राज्य है।
सुरेश एक अच्छा द्धखलाडी है।
सदहन पुस्तक पढता है।
65. लनषेधवयचक वयक् :
जिन वाक्यदों से नकारात्मकता का भाव िकट हद, वे
लनषेधवयचक वयक् कहलाते हैं।
िैसे-
सदहन पुस्तक नहीों पढता है।
वह इस काम कद नहीों करेगा।
66. प्रश्नवयचक वयक् -
जिन वाक्यदों से िश्न हदने का भाव िकट हद, वे प्रश्नवयचक
वयक् कहलाते हैं।
िैसे -
आपका क्या नाम है?
तुम्हारा िन्म कब हुआ र्ा?
राम क
े जपता का नाम क्या है?
67. आज्ञयवयचक वयक् -
जिन वाक्यदों में आज्ञा िकट की िाए अर्वा आदेश जदर्ा िाए वे
वाक्य आज्ञयवयचक वयक् कहलाते हैं
िैसे -
र्ह कार्थ कररए।
इस पाठ कद पढद।
चुप रहद।
बाहर िाओ।
तुम्हें कल इस पुस्तक कद देना है।
68. लवस्मर्यलदवयचक वयक् -
वे वाक्य जिनमें हर्थ, शदक, घृणा आजद का भाव िकट
हद, उन्हें लवस्मर्यलदबोधक वयक् कहते हैं।
िैसे -
वाह! क्या बात है।
हार्! जकतना गलत हुआ।
ओह! िानकर दुख हुआ।
69. इच्छयवयचक वयक् -
जिन वाक्यदों में जकसी इच्छा अर्वा आशीवाथद का बदि
हदता है, वे इच्छयवयचक वयक् कहलाते हैं।
िैसे-
ईश्वर तुम्हारी लोंबी आर्ु करें।
तुम्हारा नव वर्थ अच्छा गुिरे।
70. सांक
े तवयचक वयक्-
िब कदई बात दू सरी बात पर आजित हद अर्वा सोंक
े त
करें उन्हें सांक
े तवयचक वयक् अर्वय शताबोधक वयक्
कहते हैं।
िैसे-
र्जद तुम अच्छी मेहनत करते तद िर्म आते।
तुम जदल्ली चलदगे तद मैं चलूोंगा।
71. सांदेहवयचक वयक् -
जिन वाक्यदों में शक उत्पन्न सदने का भाव हद अर्वा
सन्देह हद उन्हें सांदेहवयचक वयक् कहते हैं।
िैसे-
ररजतक पढ रहा हदगा।
शार्द मैं कल िाऊ
ों गा।
72. उपसगथ :
उपसगा दो शब्दोां से लमिकर बनय होतय है उप+सगा।
उप कय अर्ा होतय है समीप और सगा कय अर्ा होतय है
सृलि करनय। सांस्क
ृ त एवां सांस्क
ृ त से उत्पन्न भयषयओँ
में उस अव्यर् र्य शब्द को उपसगा कहते है। अर्यता
शब्दयांश उसक
े आरम्भ में िगकर उसक
े अर्ा को
बदि देते हैं र्य लिर उसमें लवशेषतय ियते हैं उन
शब्दोां को उपसगा कहते हैं। शब्दयांश होने क
े कयरण
इनकय कोई स्वतांत्र रूप से कोई महत्व नहीांमयनय
ियतय है।
73. उदयहरण :-
हयर एक शब्द है लिसकय अर्ा होतय है परयिर्।
िेलकन इसक
े आगे आ शब्द िगने से नर्य शब्द
बनेगय िैसे आहयर लिसकय मतिब होतय है भोिन।
74. परयभूत’ शब्द में प्रर्ुि उपसगा है -
A) प
B) परा
C) िा
D) पर
75. प्रत्यर्
कय अपनय अर्ा नहीांहोतय और न ही इनकय कोई
स्वतांत्र अक्तित्व होतय है। प्रत्यर् अलवकयरी शब्दयांश
होते हैं िो शब्दोां क
े बयद में िोड़े ियते है
समयि + इक = सयमयलिक
सुगांध +इत = सुगांलधत
भूिनय +अक्कड = भुिक्कड
मीठय +आस = लमठयस
76. समयस (Samas Ki Paribhasha) :
समास का तात्पर्थ हदता है – सोंजछप्तीकरण। इसका
शाद्धब्क अर्थ हदता है छदटा रूप। अर्ातथ िब दद र्ा दद
से अजिक शब्दों से जमलकर िद नर्ा और छदटा शब्
बनता है उस शब् कद समास कहते हैं।
78. सोंजि
सोंजि का अर्थ है– जमलना। दद वणोंंों र्ा अिरदोंंों क
े
परस्पर मेल से उत्पन्न जवकार कद 'सोंजि' कहते हैंंों । िैसे–
जवद्या+आलर् = जवद्यालर्। र्हाँ जवद्या शब् का ‘आ’ वणथ
और आलर् शब् क
े ‘आ’ वणथ मे सोंजि हदकर ‘आ’ बना
है।
79. शब्दों की अशुद्धद्धर्ाँ
अशुद्ध – कदर्ल मीठा गाता है।
शुध्द – कदर्ल मीठा गाती है।
अशुद्ध – एक फ
ू ल की माला लाओ।
शुद्ध – फ
ू लदों की एक माला लाओ।
अशुद्ध – इस पाठ कद जफर से ददहरा लद ।
शुध्द – इस पाठ कद ददहरा लद।
80. जलोंग
सोंज्ञा शब्दों क
े जिस रूप से उसक
े पुरुर् र्ा स्त्री िाजत
हदने का पता चलता है, उसे जलोंग कहते है।
लहन्दी व्ययकरण में लिांग क
े दो भेद होते है-
पुजलोंग(Masculine Gender)
स्त्रीजलोंग( Feminine Gender)
81. लनम्नलिक्तित शब्दोां में स्त्रीलिांग कय चर्न कीलिए ?
A. काव्य
B. पदर्ी
C. पुराण
D. ग्रोंर्
82. लनम्नलिक्तित शब्दोां में पुक्तलांग कय चर्न कीलिए ?
A. जशिा
B. जशष्या
C. पाठशाला
D. जशिक
83. रस
रस क
े प्रकयर
िृोंगार रस- रजत
हास्य रस -हास
करुण रस- शदक
र द्र रस -िदि
वीर रस- उत्साह
भर्ानक रस- भर्
वीभत्स रस -घृणा
अद् भुत रस -आश्चर्थ
84. लनम्न में अद् भुत रस कय उदयहरण है
(क) “देि र्शोदय लशशु क
े मुि में, सकि लवश्व की
मयर्य ।। क्षणभर को वह बनी अचेतन, लहि न सकी
कोमि कयर्य।।
(ि) नि रेिय सौहें नई अरसौ हें सब गयत
(ग) बर िीते सर मैन क
े , ऐसे देिे मैं न
(घ) क
े की रव को नूपुर ध्वलन सुन नगती-िगती की
मूक प्ययस
85. पद्यांश को हि करने क
े लटप्स और लटि क्स
पद्यांश सांबांधी सयमयन्य बयतें:
पद्याोंश कद ही काव्य कहा िाता है।
काव्य का स्तर, जवचार, भार्ा, शैली आजद ित्येक दृजष्ट
से परीिा क
े स्तर क
े अनुरूप हदता है ।
काव्य का स्वरूप साजहद्धत्यक, वैज्ञाजनक, तर्ा
जववरणात्मक भी हदता है।
86. पद्यांश पर आधयररत प्रश्नोां को हि करने क
े लिए सुझयव:
● पद्याोंश कद ध्यानपूवथक तर्ा समर् की बचत करते हुए पढे तर्ा उसकी
जवर्र् वस्तु तर्ा क
ें द्रीर् भाव िानने का िर्ास करें।
● जिस जवर्र् क
े बारे में कई बार बात पद्याोंश में की िार्े वह उसका
क
ें द्रीर् भाव हद सकता है।
● िद तथ्य आपकद पद्याोंश पढते हुए महत्वपूणथ लगे उन्हें रेखाोंजकत अवश्य
करें इससे आपका समर् आवश्यक रूप से बचेगा ।
● िश्नदों क
े सही उत्तर कद ध्यानपूवथक जचद्धन्हत करें ।
● उत्तर पद्याोंश पर आिाररत हदना चाजहए कल्पनात्मक उत्तर न दें।
● पद्याोंश में दी गई िानकारी कद सही मानते हुए सही उत्तर जनकालने का
िर्ास करे।
● ित्येक जवकल्प पर जवचार करक
े देखें जक उनमे से जकसक
े अर्थ की
सोंगजत सम्बोंजित वाक्य क
े सार् सही बैठ रही है ।