3. भगत ससिंह का जन्म *27 ससतिंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बिंगा में (अब
पाककस्तान में) हुआ था, जो अब पाककस्तान में है। उनका पैतृक गािंव खट्कड़
कलााँ है जो पिंजाब, भारत में है।
4. भगत ससिंह का
पररवार
उनके पपता का नाम ककशन ससिंह और
माता का नाम पवद्यावती था। भगत ससिंह
का पररवार एक आयय-समाजी ससख
पररवार था। भगत ससिंह करतार ससिंह
सराभा और लाला लाजपत राय से
अत्याधिक प्रभापवत रहे।
5. भगतससिंह का बचपन
कहते हैं ‘पूत के पािंव पालने में ही ददखाई पड़ जाते हैं'।
पािंच वर्य की बाल अवस्था में ही भगतससिंह के खेल भी अनोखे थे। वह
अपने साधथयों को दो टोसलयों में बािंट देता था और वे परस्पर एक-दूसरे पर
आक्रमण करके युद्ि का अभ्यास ककया करते। भगतससिंह के हर कायय में
उसके वीर, िीर और ननभीक होने का आभास समलता था।
6. भगत ससिंह की सशक्षा
भगत ससिंह जी ने अपनी प्रारजभभक सशक्षा अपने गााँव से पूरी की थी। भगत ससिंह जी ने
1916 से 1917 में डी. ए. वी. कॉलेज से अपनी हाईस्कू ल की परीक्षा को पास ककया था।
डी. ए. वी. करने के बाद उन्होंने नेशनल कॉलेज से बी. ए. की थी। भगत ससिंह जी ने सन्
1923 में एफ. ए. की परीक्षा उतीणय की थी।
7. क्रांतिकररी प्रभरव
13 अप्रैल 1919 को जसलयािंवाला बाग हत्याकािंड ने भगत ससिंह के बाल मन पर बड़ा
गहरा प्रभाव डाला। उनका मन इस अमानवीय कृ त्य को देख देश को स्वतिंत्र करवाने
की सोचने लगा। भगत ससिंह ने चिंद्रशेखर आ़िाद के साथ समलकर क्रािंनतकारी सिंगठन
तैयार ककया।
9. स्वतन्त्रता सिंग्राम में क्रािंनत
भगत ससिंह जी ने यूरोपीय क्रािंनतकारी आन्दोलन का अध्ियन ककया तथा
साभयवाद के प्रनत आकपर्यत हो गये थे।भगत ससिंह जी ने उन लोगों को अपने
साथ सलया जो आक्रामक तरीके से क्रािंनत लाने में पवश्वास रखते थे। उनके काम
के तरीकों की वजह से लोग भगत ससिंह जी को साभयवादी और समाजवादी के
रूप में जानने लगे थे।
10. क्रािंनतकारी कदम- सॉन्डसय की हत्या
जब जसलयािंवाला बाग़ के हत्याकािंड के बाद लाल लाजपतराय मृत्यु हो गयी थी
जजसकी वजह से भगत ससिंह को भुत घर िक्का लगा था। इस वजह से वे ब्रिदटश
क्रू रता को सहन नहीिं कर सके और लाल लाजपतराय की मृत्यु का बदला लेने का
ननश्चय ककया। इस बदले को शुरू करने के सलए उनका पहला कदम था सॉन्डसय को
मारना था।
11. क्रािंनतकारी कदम- सिंसद में बभब
सॉन्डसय को मारने के बाद उन्होंने पविानसभा सत्र के दौरान
कें द्रीय सिंसद में बभब फें का था। उन्हें इस वजह से धगरफ्तार
कर सलया गया था।
12. भगत ससिंह एक लेखक
भगत ससिंह एक अच्छे वक्ता, पाठक व लेखक भी थे। उन्होंने कई पत्र-पब्रत्रकाओिं के सलए सलखा
व सिंपादन भी ककया।
उनकी मुख्य कृ नतयािं हैं, 'एक शहीद की जेल नोटबुक (सिंपादन: भूपेंद्र हूजा), सरदार भगत ससिंह :
पत्र और दस्तावेज (सिंकलन : वीरेंद्र सिंिू), भगत ससिंह के सिंपूणय दस्तावेज (सिंपादक: चमन लाल)।
13. मैं नाजस्तक क्यों हूाँ
मैं नाजस्तक क्यों हूाँ ?' यह आलेख भगत ससिंह ने जेल में
रहते हुए सलखा था जो लाहौर से प्रकासशत समाचारपत्र "द
पीपल" में 27 ससतभबर 1931 के अिंक में प्रकासशत हुआ था।
भगतससिंह ने अपने इस आलेख में ईश्वर के बारे में अनेक
तकय ककए हैं। इसमें सामाजजक पररजस्थनतयों का भी पवश्लेर्ण
ककया गया है।
14. शहीद ददवस
लाहौर र्ड़यिंत्र मामले में भगत ससिंह, सुखदेव और राजगुरू को फााँसी की स़िा सुनाई गई व
बटुके श्वर दत्त को आजीवन कारावास ददया गया।
भगत ससिंह को 23 माचय, 1931 की शाम सात बजे सुखदेव और राजगुरू के साथ फााँसी पर
लटका ददया गया। तीनों ने हाँसते-हाँसते देश के सलए अपना जीवन बसलदान कर ददया
15. शहादत गान
फााँसी पर जाते समय भगत ससिंह और उनके दो साथी तीनों एक साथ समलकर पूरी
मस्ती के साथ एक गाना गा रहे थे जो इस प्रकार है:-
मेरा राँग दे बसन्ती चोला, मेरा राँग दे;
मेरा राँग दे बसन्ती चोला। माय राँग दे बसन्ती चोला।।