2. महिहिला सशिककरण
महिहिला सशिककरण, भौतितिक या आध्याित्महक, शािरिरक
या महानसिसक, सभी स्तिर पर महिहिलाओं महें आत्महिविश्वास
पैदा कर उन्हिें सशक बनसानसे की प्रक्रियाक्रिया हिै।
3. महिहिला सशिककरण
महिहिला -शब्द मुख्यत: वयस्क िस्त्रियों के िलिए इस्तेमालि
िकया जाता है। कई संदभो मे मगर यह शब्द संपूर्णर स्त्रिी वगर
को दशारने के िलिए भी इस्तेमालि िकया जाता है
सशिककरण- की प्रक्रियाक्रिया महें समहाज को पारंपिरक
िपतिृसत्तात्महक दृिष्टिकोण के प्रक्रिति जागरूक ियाकया जातिा हिै,
िजसनसे महिहिलाओं की िस्थितिति को सदैवि कमहतिर महानसा हिै
4. विैियादक काल
पूर्विर्व काल महें नसारी का अधिधिपत्य थिता। नसारी हिी पुरूषो, बच्चो
और बुजुर्वगो का पालनस-पोषण करतिी रहिी हिै। बच्चो की
पहिचानस भी महातिा के नसामह से हिोतिी थिती। प्रक्रारंिभक
विैियादक काल महें महिहिलाओं को बराबरी का दजार्व और
अधिधिकार िमहलतिा थिता.
प्रक्राचीनस भारति महें महिहिलाओं को जीविनस के सभी क्षेत्रो महें
पुरुषो के साथित बराबरी का दजार्व हिािसल थिता.
5. विैियादक काल
‘‘मिहलिाओं की िस्थितित समाज मे काफी ऊं ची थिती और उन्हे
अभिभव्यिक्ति की पूर्णर स्वतंत्रता प्राप्त थिती। वे धािमरक िक्रियाओं मे भाग
ही नहीं लिेती थितीं बिल्क, िक्रियाएं संपन्न कराने वालिे पुरोिहतों और
ऋषिषियों का दजार भी उन्हे प्राप्त थिता।’’ उस समय मिहलिाएं धमर
शास्त्रिाथितर इत्यािद मे पुरूषिों की तरह ही भाग लिेती थिती।
6.
प्रक्रारिम्भक विैियादक काल महें महिहिलाओं को िशक्षा दी जातिी थिती.
महिहिलाओं की शादी एक पिरपक्व उम्र महें हिोतिी थिती
और संभवितिः उन्हिें अधपनसा पिति चुनसनसे की भी आजादी थिती.
ऋग्विेद और उपिनसषद जैसे ग्रंथित कई महिहिला सािध्वियो और संतिो के बारे महें बतिातिे
हिैं िजनसमहें गागी और महैत्रेयी के नसामह उल्लेखनसीय हिैं
विैियादक काल
7. विैियादक काल
पुत्र-पुत्री के पालनस-पोषण महें कोई भेदभावि नसहिीं ियाकया
जातिा थिता।’’ उपनसयनस संस्कार और िशक्षा प्रक्राप्त करनसे का
अधिधिकार भी िस्त्रियो को पुरूषो की भांिति समहानस रूप से
प्रक्राप्त थिता।
‘‘यद्यपिप िवधवा पुनरिववाह प्रचिलित नहीं थिता लिेिकन
िवधवाओं के साथित सम्मानजनक व्यवहार िकया जाता थिता
और उन्हे अभपने पित की सम्पित्ति पर अभिधकार प्राप्त
थिता।’’
8. वैिदक काल
नारी को मर्यार्यादा के क्षेत्र मर्ें पुरूषों से अधिधिक श्रेष्ठ मर्ाना
गया है,
ऋग्र्वेद मर्ें ब्रम्हज्ञानी पुरूषों के साथ-साथ ब्रम्हवािदनी
मर्िहलाओं का भी नामर् आता है। इनमर्ें िवश्ववारा लोप,
मर्ुद्रा, घोषा, इन्द्राणी, देवयानी आिद प्रमर्ुख मर्िहलाएं हैं।
9. मर्ध्ययुगीन काल
मर्ध्ययुगीन काल मर्ें उसी नारी के साथ अधत्याचारों का
िसलिसला शुरू हो चुका था। नारी के ऊपर तरह-तरह की
बंिदसें जैसे-पदे मर्ें रहना, पुरूषों की आज्ञा का पालन
करना, प्रित उत्तर न देना, चारदीवारी मर्ें रहना आिद।
इन सब बंिदसों ने नारी को नारी से भोग्या के रूप मर्ें
पिरवितत कर िदया,
हमर्ारे सांस्कृतितक मर्ूल्य इस पतन की अधवस्था मर्ें भी
सुरिक्षत रहे।
10. मर्ध्ययुगीन काल
बाबर एवं मुगल साम्राज्य के इस्लामी आक्रमण के
साथ ईसाइयत ने मिहिलाओं की
आजादी और अधिधिकारों को सीिमत कर िदया.
बाल िववाहि की प्रथा छठी शताब्दी के आसपास शुरु
हिुई थी.
जब भारत के कु छ समुदायों मे सती प्रथा, बाल िववाहि
और िवधिवा पुनिवरवाहि पर रोक, सामािजक िजंदगी का
एक िहिस्सा बन गयी थी.
11. मर्ध्ययुगीन काल
भारत के कुछ िहस्सों मर्ें देवदािसयां या मर्ंिदर की
मर्िहलाओं को यौन शोषण का िशकार होना पड़ा था.
बहुविववाह की प्रथा िहन्दू क्षित्रय शासकों मर्ें व्यापक रूप से
प्रचिलत थी.
कई मर्ुिस्लमर् पिरवारों मर्ें मर्िहलाओं को जनाना क्षेत्रों तक
ही सीिमर्त रखा गया था.
12. मर्ध्ययुगीन काल
इसके बाद धिीरे-धिीरे नारी को प्रदत्त अधिधिकारों मर्ें हा््रस
बढ़ता गया और नारी को प्रदान अधिधिकारों, िशक्षा,
स्वतंत्रता, धिािमर्क अधनुष्ठानों आिद से वंिचत िकया जाने
लगा। िजससे वह पूणर्या रूप से पुरूषों पर आिश्रत हो गयी ।
सांस्कृतितक शोषण की िशकार नािरयों ने जब जब ख़ुद
अधपनी एक पहचान की तलाश की है तब तब उसको
सफलता िमर्ली है
13. मर्ध्ययुगीन काल
रिज़िया सुल्तान िदल्ली पर शासन करने वाली एकमात्र
मिहिला सम्राज्ञी बनी.
गोंड की महिारानी दुगारवती ने 1564 मे मुगल सम्राट
अधकबर के सेनापित आसफ़ खान से लड़कर अधपनी जान
गंवाने से पहिले पंद्रहि वषों तक शासन िकया
चांद बीबी ने 1590 के दशक मे अधकबर की शिक्तिशाली
मुगल सेना के िखलाफ़ अधहिमदनगर की रक्षा की.
14.
15. • . • मुगल राजकु मारी जहाँआरा और जेबुिसान्निसा
सुप्रसिसासद्ध किसावियिसायित्रिसात्रियित्राँ थी
•िशिवाजी की माँ जीजाबाई को एक योद्धा और एक
प्रशिासक के रूप में उनकी क्षमता के कारण क्वीन रीजेंट
के रूप में पदस्थािपत िकया गया था
16. मध्ययुगीन काल
भक्तिक आंदोलन ने मिहिलाओं की बेहितर िस्थित को वापस
हिािसल करने की कोिशिशि की और प्रभक्तुत्व के स्वरूपों पर
सवाल उठाया.
एक मिसाहला संत-किसावियिसायित्रत्रिी मीराबाई भक्तिसाक्ति आंदोलन के
सबसे महत्वियपूर्णर चेहरों मे से एक थी
संत-किसावियिसायित्रिसात्रियित्रों मे अक्का महादेवियी, रामी जानाबाई और
लाल देद शािसामल है.
17. मध्ययुगीन काल
गुरु नानक ने भक्ती पुरुषों और मिसाहलाओं के बीच समानता
के संदेश को प्रसचािरत िसाकयित्रा. उन्होंने मिसाहलाओं को धािसामरक
संस्थानों का नेतृत्विय करने; सामूर्िसाहक प्रसाथरना के रूप मे गायित्रे
जाने वियाले वियाले कीर्तरन यित्रा भक्तजन को गाने और इनकीर्
अगुआई
िसावियवियाह मे बराबरी का हक और अमृत (दीक्षा) मे समानता
कीर् अनुमिसात देने कीर् वियकालत कीर्
18. अंग्रेजी शिासन
कई मिसाहला सुधारकों जैसे िसाक पंिसाडिता रमाबाई ने भक्ती
मिसाहला सशक्तिीर्करण के उद्देश्यित्र को हािसासल करने मे मदद
कीर्.
कनार्नाटक में िकत्तूर िरयासत की रानी, िकत्तूर चेन्नम्मा ने
समािप्ति के िसद्धांत( डािक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स) की प्रितिक्रिया में
अंग्रेजों के िखिलाफ़ सशिस्त्र िवद्रोहि का नेतृत्व िकया.
19. आधुिनक काल
झाँसी कीर् महारानी रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के िसाखिलाफ 1857 के
भक्तारतीयित्र िसावियद्रोह का झंडिा बुलंद िसाकयित्रा. आज उन्हे सवियरत्रि एक राषरीयित्र
नािसायित्रका के रूप मे माना जाता है
अवियध कीर् सह-शािसासका बेगम हज़रत महल एक अन्यित्र शािसासका थी
िसाजसने 1857 के िसावियद्रोह का नेतृत्विय िसाकयित्रा था.
भक्तोपाल की बेगमें भक्ती इस अविध की कुछ उल्लेखिनीय मिहिला
शिािसकाओं में शिािमल थी. उन्हिोंने परदा प्रथा को नहिी अपनाया
और माशिर्नाल आटर्ना का प्रिशिक्षण भक्ती िलया.
20. आधुिनक काल
चंद्रमुखिी बसु, कादंिबनी गांगुली और आनंदी गोपाल
जोशिी कुछ शिुरुआती भक्तारतीय मिहिलाओं में शिािमल थी
िजन्हिोंने शिैक्षिणक िडिग्रयाँ हिािसल की.
सुभक्ताष चंद्र बोस की इंिडयन नेशिनल आमी की झाँसी की
रानी रेजीमेंट कैप्टेन लक्ष्मी सहिगल सिहित पूरी तरहि से
मिहिलाओं की सेना थी
21. आधुिनक नारी दशिा
िजनसे वो आस लगती हिैं अपनी सुरक्षा की, वो हिी ईज्जत
का तार-तार करते रहिते हिैं। िजसको अपना नसीब मानकर
जुल्मों को बदार्नास्त करती हिै और ईश्वर से जरूर कहिती हिै
िक ‘‘अगले जनम मोहिे िबिटया न की जो।’’
22. आधुिनक नारी दशा
अब विविज्ञान वभी व‘‘औरत वको वमारने वके वतथा वउसे वजड़ वसे विमटाने व
के विनत वनए वतरीके वईजाद वकरता वजा वरहा वहै। वयदिद वभू््रण वको व
ही वमार विदयदा वजाए वतो विशशु वको वमारने वकी वनौवित वनहीं वआएगी।
23. सविसथ समाज की संरचना
समाज वकी ववितर्तमान वदुदर्तशा वसे विनकलने वके विलए वनारी वऔर व
पुरूष वदोनों वको वही वअपनी वअपनी वसीमाओं वका वरेखांकन व
करना वहोगा वतभी वहम वसविसथ वसमाज वकी वसंरचना वकर व
पाएंगे।
विह वपुरूष वकी वप्रतितद्वन्द्वी वनही वहै। वअिपतु वविह वपुरूष वकी व
सहयदोगी वऔर वपूरक वहै।
स्वतंत्रता उसकी लज्जा की सीमा से बाहर उसे उच्छृ ंखल
बनाती चली जाए तो यह उिचत नही है
24. सविसथ समाज की संरचना
िशक्षा वएक वऐसा वकारगर वहिथयदार वहै, जो वसामािजक व
िविकास वकी वगित वको वतेज वकरता वहै. समानता, सवितंत्रता वके व
साथ-साथ विशिक्षत वव्यक्तिक्ति वअपने वकानूनी वअिधकारों वका व
बेहतर वउपयदोग वभी वकरता वहै वऔर वराजनीितक वएविं वआिथक व
रूप वसे वसशक्ति वभी वहोता वहै।