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तुलनात्मक शासन - इकाई -1
ब्रिटिश संसद की संप्रभुता
(Source: https://rationalityofaith.files.wordpress.com/2016/06/queen-parliament.jpg?w=516&h=273)
द्वारा – डॉ. ममता उपाध्याय
एसो. प्रो. कु.मायावती राजकीय स्नातकोत्तर महाब्रवद्यालय , बादलपुर,
गौतमबुद्ध नगर, उ. प्र .
उद्देश्य –
• ब्रििेन मे संसदीय लोकतंत्र के ब्रवकास की जानकारी
• ब्रिटिश संसद की सैद्धांब्रतक व व्यावहाटरक ब्रथिब्रत का ज्ञान
• एक संप्रभु संथिा के रूप मे ब्रिटिश संसद के वैब्रिक महत्व पर प्रकाश
डालना
• दुब्रनया की ब्रवब्रभन्न ब्रवधाई संथिाओं के तुलनात्मक ब्रवश्लेषण के प्रब्रत रुब्रि
जाग्रत कर शासन संबंधी ब्रवषयों की जानकारी मे वृब्रद्ध
ग्रेि ब्रििेन दुब्रनया का प्रिम आधुब्रनक लोकतंत्र है और ब्रिटिश संसद सभी संसदों
की जननी । ए. वी. डायसी एवं एडवडड कोक जैसे ब्रवब्रधशाब्रियों ने ब्रिटिश
संसद को संप्रभु संथिा कहा है। ऑब्रथिन आदद ब्रवब्रधशाब्रियों द्वारा दी गई
संप्रभुता की पटरभाषा के अनुसार यह दकसी राज्य की अपने नागटरकों को आदेश
देने और ब्रवदेश नीब्रत का ब्रनधाडरण करने की सवोच्च सत्ता है । राज्य की सत्ता का
प्रयोग सरकार के तीनों अंगों – ब्रवधाब्रयका , कायडपाब्रलका एवं न्यायपाब्रलका
द्वारा ब्रमलकर दकया जाता है । ब्रिटिश संसद एक ब्रवधाई संथिा है , ऐसे मे
उसको ही संप्रभु मानने के कुछ ब्रनब्रहतािड है। प्रिम यह दक ब्रििेन के संवैधाब्रनक
इब्रतहास को देखते हुए प्रजातन्त्र के समिडकों को यह डर रहा होगा दक कहीं
कमजोर संसद का लाभ उठाकर राजा पुनः सत्ता पर अब्रधकार करने का प्रयत्न न
करे । दूसरे यह तथ्य भी महत्वपूणड है दक आधुब्रनक ब्रििेन का संब्रवधान
अब्रधकांशतः परम्पराओ पर आधाटरत एक अब्रलब्रखत संब्रवधान है। राजनीब्रतक
परम्पराये कई बार अब्रनब्रितता को जन्म देती हैं क्योंदक ये वथतुब्रनष्ठ नहीं होतीं
और हर व्यब्रि इनकी व्याख्या अपने तरीके से कर सकता है , अतः संसद द्वारा
ब्रनर्मडत कानूनों को सवोच्च बनाकर अब्रलब्रखत संब्रवधान की कमी को दूर करने का
प्रयत्न दकया गया है। जहां तक न्यायपाब्रलका की सत्ता का प्रश्न है ,ब्रििेन मे
न्यायपाब्रलका भारत और अमरीका के समान पृिक व थवतंत्र नहीं है । वहााँ लॉडड
सभा जो ब्रिटिश संसद का दूसरा सदन है , के द्वारा सवोच्च अपीलीय न्यायालय
के रूप मे कायड दकया जाता है । ब्रिटिश शासन व्यवथिा मे लॉडड सभा एक
कुलीनतंत्रीय संथिा है ब्रजसके अब्रधकांश सदथय वंश परंपरा के आधार पर पद
ग्रहण करते है , ऐसे मे न्याब्रयक सवोच्चता को मान्यता देने का पटरणाम
कुलीनतंत्र को प्रश्रय देना होता । अतः संसदीय संप्रभुता ब्रजसका तात्पयड
व्यवहारतः लोकसदन की संप्रभुता से है ,की थिापना का अंब्रतम उद्देश्य ब्रििेन मे
लोकतंत्र को सशि मान्यता प्रदान करना िा ।
संसदीय संप्रभुता का इततहास – ऐब्रतहाब्रसक दृब्रि से ब्रवश्लेब्रषत करने पर पता
िलता है दक संसदीय संप्रभुता के ब्रलए ब्रिटिश लोगों को लंबा संघषड करना पड़ा
है । नवीं सदी से िले या रहे राजतन्त्र के ब्रवरुद्ध आम जन का असंतोष
‘’प्रब्रतब्रनब्रधत्व नहीं तो कर नहीं ‘’के नारे के साि सामने आया । संसद समिडकों व
राजा के समिडकों के ब्रवरुद्ध लंबे समय तक िलने वाले गृहयुद्ध की समाब्रि 1688
की गौरव पूणड क्ांब्रत मे हुई । बीि मे 11 वषों के ब्रलए क्ामवेल के नेतृत्व मे
गणतंत्रीय शासन की थिापना भी हुई । 1689 के’’ ब्रबल ऑफ राइट्स’’के द्वारा
राजा के शासन संबंधी अब्रधकार पूरी तरह समाि कर ददए गए और ‘अलड ऑफ
शेफिसबरी’ द्वारा घोब्रषत दकया गया दक ‘’इंग्लंड की पार्लडयामेंि सवोच्च और पूणड
सत्ताधारी है जो वहााँ की सरकार को जीवन और गब्रत प्रदान करती है ।‘’
उल्लेखनीय है दक संसद की संप्रभुता भी संब्रवधान के अन्य प्रावधानों के समान
दकसी ब्रलब्रखत कानून की देन नहीं है , बब्रल्क सददयों से यह संसद द्वारा व्यवहार
मे ली जाती रही है और न्यायालय ने भी उसके द्वारा बनाए गए दकसी कानून को
अंब्रतम मानते हुए उस पर आपब्रत्त नहीं की है ।
संसदीय संप्रभुता का अर्थ- प्रो. डायसी ने ब्रिटिश संसद की संप्रभुता के
ब्रनम्ांदकत अिड बताए हैं :
1. संसद पूरे देश के दकसी भी क्षेत्र के ब्रलए दकसी भी प्रकार का कोई भी
कानून बना सकती है । यह कहा जाता है दक वह िी को पुरुष व पुरुष को
िी बनाने के अब्रतटरि कुछ भी कर सकती है ।
2. वह दकसी भी कानून मे संशोधन कर सकती है या उसे रद्द कर सकती है ।
ब्रसवाय भब्रवष्य की संसद के ब्रवषय मे कानून बनाने के वह कोई भी कानून
बना सकती है ।
3. वह संवैधाब्रनक और साधारण सभी तरह के कानून बनाने का अब्रधकार
रखती है ।
4. वहााँ ऐसी कोई सत्ता नहीं है जो उसके द्वारा बनाए गए कानूनों को अवैध
घोब्रषत कर सके ।
5. वहााँ न्यायपाब्रलका को न्याब्रयक समीक्षा का अब्रधकार प्राि नहीं है , ब्रििेन
का कोई भी न्यायालय संसद द्वारा पाटरत अब्रधब्रनयमों को अवैध घोब्रषत
नहीं कर सकता ।
एडवडड कोक ने ब्रलखा है दक ‘’संसद की शब्रि एवं अब्रधकार क्षेत्र इतना महान,
श्रेष्ठ व अब्रनयंब्रत्रत है दक उस पर न दकसी व्यब्रि का , न कारणों का , न रुकावि
का ही बंधन है । ‘’
वतडमान मे संसद की संप्रभुता का तात्पयड कॉमन सभा की संप्रभुता से है क्योदक
ब्रनवाडब्रित जनप्रब्रतब्रनब्रध इसी सदन मे होते हैं और 1911 एवं 1949 के संसदीय
अब्रधब्रनयमों के पाटरत होने के बाद लॉडड सभा जो संसद का दूसरा सदन है ,
ब्रबल्कुल शब्रिहीन हो गई है । वैधाब्रनक दृब्रि से सभी कानून राजा सब्रहत संसद
बनाती है , परंतु सवोच्चता वाथतव मे कामन सभा की ही है , क्योंदक इसी सदन
मे सम्पूणड राष्ट्र का प्रब्रतब्रनब्रधत्व होता है ।
❖ संसदीय संप्रभुता पर सीमाएं : ब्रिटिश संवैधाब्रनक व्यवथिा के संबंध मे यह
उब्रि प्रब्रसद्ध है दक यह जैसी है , वैसी ददखाई नहीं देती और जैसी है वैसी
ददखाई नहीं देती । संसदीय संप्रभुता भी इसका अपवाद नहीं है, अिाडत
संसद की संप्रभुता की बात वैधाब्रनक या सैद्धांब्रतक रूप से ही सि है
,व्यावहाटरक रूप मे नहीं । पूणड सत्ता पूणडतः भ्रि करती है , इस तथ्य को
संज्ञान मे लेते हुए ब्रिटिश लोकतंत्र प्रगब्रत के ब्रजन सोपानों पर िढ़ता रहा
है , संसद की संप्रभुता पर कई व्यावहाटरक प्रब्रतबंध लगते रहे हैं । इनमे से
कुछ प्रमुख प्रब्रतबंध इस प्रकार है-
• जनमत :
जनमत लोकतंत्र का आधार है । मतदाताओं द्वारा िुने जाने पर ही सांसद अपने
अब्रधकारों का प्रयोग करते हैं , अतः जनमत के ब्रवपरीत जाकर सांसद कानून
ब्रनमाडण कर अपने राजनीब्रतक भब्रवष्य को खतरे मे नहीं डाल सकते ।
• सामाब्रजक नैब्रतकता :
वैधाब्रनक दृब्रि से संसद िाहे ब्रजतनी शब्रिशाली हो , दकन्तु समाज की सामान्य
नैब्रतकता के ब्रवरुद्ध वह कोई कानून नहीं बना सकती । इस संबंध मे जेननंग्ज ने
ब्रलखा है दक’’ यदद संसद ने ऐसा आदेश जारी दकया दक नीली आाँखों वाले बच्चों
की हत्या कर दी जाय तो ऐसे दकसी बच्चे को बिा रखना गैर कानूनी होगा, दकन्तु
कोई पागल संसद ही ऐसा आदेश जारी करेगी और पागल जनता ही उसे मानेगी
। ‘’
• संवैधाब्रनक परम्पराएाँ :
ब्रििेन का सावडजब्रनक जीवन मुख्यतः परंपराओं से संिाब्रलत होता है ,
अतः यदद संसद सुथिाब्रपत परंपराओं का उल्लंघन करते हुए कोई कानून
बनाती है तो उसे न तो राजनेताओं द्वारा थवीकार दकया जाएगा, न ही
आम जनता द्वारा , हालांदक संसद उन परंपराओं मे पटरवतडन अवश्य कर
सकती है जो समयानुकूल नहीं हैं ।
• ब्रवब्रध का शासन :
ब्रवब्रध का शासन ब्रिटिश न्याय व्यवथि की प्रमुख ब्रवशेषता है ब्रजसका तात्पयड है
दक देश मे सवोच्चता कानून की है, सभी के ब्रलए एक समान कानून हैं और कानून
नागटरक अब्रधकारों के रक्षक हैं । संसद इसके ब्रवरुद्ध ऐसे कानूनों का ब्रनमाडण नहीं
कर सकती जो सामाब्रजक ब्रवभेद को जन्म देने वाले हों और ब्रजनसे नागटरक
अब्रधकारों का हनन होता हो ।
• वेथि ब्रमब्रनथिर अब्रधब्रनयम -1931
संसद की संप्रभुता को पटरभाब्रषत करते हुए कहा गया दक वह ब्रिटिश सत्ता के
अंतगडत आने वाले दकसी भी क्षेत्र के ब्रलए कानून बना सकती है । इसी अब्रधकार
का प्रयोग करते हुए उसने भारतीय उपब्रनवेश के ब्रलए भारतीय पटरषद
अब्रधब्रनयम 1892 , िािडर ऐक्ि -1853 आदद पाटरत दकया िा ,दकन्तु 1931 मे
बनाए गए वेथि ब्रमब्रनथिर पटरब्रनयम के अनुसार इस ब्रवषय मे उसकी सत्ता
सीब्रमत हो गई है । इसके बाद वह उपब्रनवेशों के ब्रलए तभी कानून बना सकती है
जब वे इसके ब्रलए उससे प्रािडना करें ।
• संसद का संगठन :
संसद का ब्रनमाडण सम्राि , लोक सभा व लॉडड सभा से ब्रमलकर होता है । लॉडड
सभा व सम्राि की शब्रियां सीब्रमत होने के बावजूद कानून ब्रनमाडण की प्रदक्या मे
और कॉमन सभा की जल्दबाजी पर ब्रनयंत्रण लगाने मे उनकी भूब्रमका अब भी
महत्व पूणड है । इस प्रकार संसद का संगठन उसे थवयं ही ब्रनयंब्रत्रत करता है ।
• कायडपाब्रलका की बढ़ती शब्रि ;
दुब्रनया के अन्य देशों के समान ब्रििेन मे भी राजनीब्रतक व प्रशासब्रनक
दोनों प्रकार की कायडपाब्रलकाओं की शब्रि मे वृब्रद्ध हुई है । प्रधानमंत्री के
नेतृत्व मे नीब्रत संबंधी अब्रधकांश ब्रनणडय मंत्री मण्डल की बैठकों मे ही कर
ब्रलए जाते हैं , यह हो सकता है जैसा दक न्यूमैन ने ब्रलखा है ,दक उसकी
घोषणा संसद द्वारा नहीं , बब्रल्क संसद मे कर दी जाय । समयाभाव व
ज्ञान के अभाव मे संसद ने कानून ब्रनमाडण का अब्रधकांश कायड प्रशासब्रनक
कायडपाब्रलका को सौप ददया है । अब वह केवल कानूनों की रूपरेखा
बनाती है ब्रजसके अंतगडत रहते हुए ब्रनयमों व उपब्रनयमों को बनाने का
कायड प्रशासकों द्वारा दकया जाता है । प्रदत्त ब्रवधायन की इस व्यवथिा से
भी कानून बनाने का संसद का सवोच्च अब्रधकार सीब्रमत हुआ है ।
• भब्रवष्य की संसद के ब्रवषय मे कानून ब्रनमाडण :
पारंपटरक रूप मे संसद की प्रभुसत्ता का अपवाद यह बताया गया िा दक वह
भब्रवष्य के सांसदों के ब्रलए कोई कानून नहीं बना सकती । यदद वह ऐसा करते
हुए संसद के अब्रधकारों मे किौती करती है तो संसद की सवोच्चता भंग हो जाएगी
दकन्तु व्यवहार मे इसका उल्लंघन देखने को ब्रमलता है । जैसे -1832 के सुधार
अब्रधब्रनयम द्वारा सांसदों के ब्रनवाडिन क्षेत्र के ब्रवतरण की ब्रथिब्रत मे पटरवतडन कर
ददया गया या 1999 के अब्रधब्रनयम द्वारा लॉडड सभा के वंश परंपरागत सदथयों
को आजीवन ब्रपयसड मे बदल ददया गया ।
• यूब्रनयन ऐक्ि 1707:
यह अब्रधब्रनयम थकॉिलैंड को ग्रेि ब्रििेन का अंग बनाता है । कुछ न्यायब्रवदों की
मान्यता है की यह अब्रधब्रनयम संसद की संप्रभुता को सीब्रमत करता है । हााँलादक
अबतक थकॉिलैंड के दकसी न्यायालय ने खुलकर ऐसा नहीं कहा है , दकन्तु कुछ
न्यायब्रवद जैसे-‘मककोरब्रमक बनाम लॉडड ऐड्वकेि’ के ब्रववाद मे लॉडड कूपर ने
कहा दक संसदीय संप्रभुता का ब्रसद्धांत इंग्लंड के कानून की ब्रवशेषता है , इसका
थकॉिलैंड से कोई मतलब नहीं है । थपि है दक संसदीय संप्रभुता का ब्रवथतार
थकॉिलैंड तक नहीं माना गया । साि ही 1998 मे थकॉिलैंड की संसद का गठन
हो जाने के बाद भी व्यवहारतः ब्रिटिश संसद के ब्रलए यह संभव नहीं रह गया है
दक वह उसकी सहमब्रत के ब्रबना थकॉिलैंड के ब्रलए कोई कानून बना सके । जैसे -
थकॉिलैंड की संसद ने ब्रिटिश संसद के थकॉिलैंड मे न्यूब्रक्लयर पावर थिेशन
बनाने के कदम को ब्रसरे से खाटरज कर ददया ।
• संसदीय कानूनों को न्यायालय मे चुनौती:
यद्यब्रप कानून बनाने के ब्रलए संसद के दोनों सदनों की थवीकृब्रत और सम्राि के
हथताक्षर की आवश्यकता होती है , दकन्तु संसदीय कानून ब्रनमाडण की प्रदक्या के
अनुसार कॉमन सभा कई ब्रवधेयकों को अकेले ही पाटरत कर सकती है । यह
प्रदक्या उन ब्रवधेयकों पर लागू नहीं होती जो संसद के गैर सरकारी सदथयों द्वारा
प्रथतुत दकए गए हों या ब्रजनका उद्देश्य संसद के कायडकाल को 5 वषड से अब्रधक
ब्रवथतार देना हो । जैक्सन बनाम अिॉनी जनडल के वाद मे न्यायाधीशों ने यह
माना दक संसद का कायडकाल बढ़ाने वाले कानून को न्यायालय मे िुनौती दी जा
सकती है और उसे अवैध घोब्रषत दकया जा सकता है ।
• योरोंब्रपयन यूब्रनयन : 1973- 2020 तक ब्रििेन योरोपीय आर्िडक संघ
और उसके बाद की संथिाओं -योरोपीय समुदाय एवं योरोपीय संघ का
सदथय रहा । यूरोपीय कम्यूब्रनिी ऐक्ि 1972 मे कहा गया है, ‘’दक इस
कानून से उपजे अब्रधकार , दाब्रयत्व एवं प्रब्रतबंध ब्रििेन मे कानून के रूप
मे मान्य होंगे ‘’। ‘ आर. वी. इम््लॉयमेन्ि सेक्ेिरी’ नामक वाद मे ददए
गए ब्रनणडय मे भी कहा गया दक ‘’संसद का कोई ऐसा कानून जो 1972
के कानून के बाद बना है और इस कानून का ब्रवरोधाभासी है तो वह
अवैध समझा जाएगा’’ । थपि है दक यह कानून संसदीय संप्रभुता पर
प्रब्रतबंध आरोब्रपत करता है ।हालांदक 2016 के BREXIT ब्रनणडय एवं
2020 के ‘युरोब्रपयन यूब्रनयन ब्रवदड्र।ल एग्रीमेंि ऐक्ि’ के पाटरत होने से
पुनः यह ब्रसद्ध हो गया ब्रिटिश संसद संप्रभु है।
• मानवाब्रधकार अब्रधब्रनयम 1998 :
इस अब्रधब्रनयम के अनुसार ग्रेि ब्रििेन मानवाब्रधकार संबंधी यूरोपीय कन्वेन्शन के
पालन हेतु प्रब्रतबद्ध है । यह भी उल्लेखनीय है की मानवाब्रधकार संबंधी मुद्दों पर
न्यायालय को संसदीय कानूनों की समीक्षा व व्याख्या का अब्रधकार है ।
ब्रनष्कषड :ब्रििेन के प्रािीनतम लोकतंत्र मे ब्रिटिश संसद को समथत सांसदों की
जननी होने का गौरव प्राि है । राजतन्त्र से लोकतंत्र की ददशा मे आगे बढ़ते हुए
संसद ने ब्रििेन की संवैधाब्रनक व्यवथिा मे जो सवोच्चता प्राि की है , वह अतुल्य
है । ब्रिटिश संसद को संप्रभु संथिा माना जाता है क्योंदक वह ब्रििेन के
शासनान्तगडत आने वाले सभी क्षेत्रों के ब्रलए दकसी भी समय कानून बना सकती
है ,उसमे पटरवतडन कर सकती है या रद्द कर सकती है ब्रसवाय भब्रवष्य की संसद
के अब्रधकारों मे पटरवतडन करने के । वहााँ कोई ऐसी सत्ता नहीं है जो संसद द्वारा
बनाए गए कानूनों को अवैध घोब्रषत कर सके । दकन्तु संसद की प्रभुसत्ता
वैधाब्रनक सि है , व्यावहाटरक नहीं । व्यवहार मे उसकी सवोच्च सत्ता पर बहुत
सारी सीमाये है । वह अंतराडष्ट्रीय संब्रधयों के पालन हेतु विन बद्ध है । परंपराओं
पर आधाटरत संवैधाब्रनक व्यवथिा मे वह परंपराओं की अनदेखी नहीं कर
सकती। कायडपाब्रलका की शब्रियों मे वृब्रद्ध ने भी उसके अब्रधकारों को सीब्रमत
दकया है । जनप्रब्रतब्रनब्रधयों की संथिा होने के कारण उसके द्वारा जनमत व
सामाब्रजक नैब्रतकता की उपेक्षा भी नहीं की जा सकती । दकन्तु हाल ही मे हुए
Brexit संबंधी ब्रनणडय ने वैधाब्रनक रूप से संसद की संप्रभुता पर एक बार पुनः
मुहर लगाने का कायड दकया है ।
मुख्य शब्द :
• संप्रभुता – इसका तात्पयड है -सवोच्च सत्ता । यह सत्ता राज्य के पास होती
है ब्रजसका प्रयोग करते हुए वह अपने नागटरकों को आदेश देती है और
उनका पालन करवाती है । आदेश पालन न करने पर दण्ड का प्रावधान
भी करती है। आधुब्रनक युग मे संप्रभुता की वैधाब्रनक व्याख्या जॉन
आब्रथिन के द्वारा की गई ।
• संब्रवधान : ब्रलब्रखत – अब्रलब्रखत आधारभूत कानूनों का वह संग्रह ब्रजसके
आधार पर दकसी देश की शासन व्यवथिा का संिालन दकया जाता है और
नागटरकों तिा राज्य के मध्य संबंधों का ब्रनधाडरण दकया जाता है ।
• संसद ; दकसी देश की कानून ब्रनमाडत्री संथिा जो ब्रभन्न – ब्रभन्न देशों मे
अलग – अलग नामों से जानी जाती है । इसका संगठन कही एक सदन के
रूप मे होता है तो कही यह ब्रद्वसदनीय होती है ।ब्रििन मे इसके दो सदन हैं
– प्रिम -हाउस ऑफ कमन्स एवं ब्रद्वतीय -हाउस ऑफ लॉड्सड ।
• जनमत : जनसाधारण का सावडजब्रनक ब्रवषयों पर ब्रववेकपूणड ,
लोकब्रहतकारी व थिाई ब्रविार जनमत कहलाता है । सभी सरकारें जनमत
के अनुसार िलने पर ही थिाब्रयत्व को प्राि करती हैं ,दकन्तु लोकताब्रन्त्रक
सरकार का तो अब्रथतत्व ही जनमत पर ब्रनभडर करता है ।
• ग्रेि ब्रििेन : ग्रेि ब्रििेन का ब्रनमाडण इंग्लैंड ,थकॉिलैंड,आयलंड और वेल्स से
ब्रमलकर हुआ है ।
• िेकब्रिि [:Brexit ] ब्रििेन के लोगों द्वारा 2016-17 मे युरोब्रपयन यूब्रनयन
से अलग होने का ब्रनणडय ब्रजसे 2020 मे कानून बनाकर ब्रिटिश संसद ने
वैधाब्रनक मान्यता दी ।
References:
1.A. V. Dicey ,An Introduction To The Study Of The Law of The
Constitution
2.Parliament’s Authority-UK Parliament,www.parliament.uk
3.J.C.Jauhary,Pramukh Deshon Ke Samvidhan, Sahitya
Bhavan Publication, Agra
A.F.Polard,[1920], The Evolution Of Parliament,
Longmans,Green And Co.,NewYork
प्रश्न :
ब्रनबंधात्मक –
1. ब्रिटिश संसद की संप्रभुता से आप क्या समझते है । क्या वाथतव मे यह एक
संप्रभु संथिा है ?
2. ब्रिटिश संसद की संप्रभुता एक वैधाब्रनक सि है , राजनीब्रतक नहीं ,
ब्रववेिना कीब्रजए ।
3. डायसी द्वारा प्रब्रतपाददत ब्रिटिश संसद की संप्रभुता के ब्रविार की व्याख्या
कीब्रजए । व्यवहार मे उसकी क्या सीमाएं हैं ।
वथतुब्रनष्ठ प्रश्न :
1. दकसे एक संप्रभु संथिा कहा जाता है ।
[ अ ] भारतीय संसद [ब ] अमरीकी कााँग्रेस[ स ] ब्रिटिश संसद [द ] ब्रिटिश
क्ाउन
2. ब्रििेन के संवैधाब्रनक इब्रतहास मे संसद की संप्रभुता को अंब्रतम रूप मे
मान्यता दकस दथतावेज द्वारा ब्रमली ।
[अ ] मैगनाकािड। [ ब ] ब्रबल ऑफ राइट्स[ स ] वेथि ब्रमब्रनथिर पटरब्रनयम[
द ] थकॉिलैंड यूब्रनयन ऐक्ि
3. संसद अपनी संप्रभुता का प्रयोग करते हुए कौन सा कायड नहीं कर सकती ।
[अ ] भब्रवष्य की संसद के ब्रवषय मे कानून नहीं बना सकती ।
[ब ] आयरलेंड के लोगों के ब्रलए कोई कानून नहीं बना सकती ।
[स ] युवाओं के ब्रलए कानून नहीं बना सकती
[द ] ब्रििेन के दकसी भी क्षेत्र के ब्रलए कानून बना सकती है ।
4. ब्रिटिश उपब्रनवेशों के ब्रलए संसद दकस ब्रथिब्रत मे कानून बना सकती है ।
[अ ]उनकी ब्रवधाब्रयका द्वारा अनुरोध करने पर
[ब ] अपनी पहल पर
[स ] उनके ब्रलए कानून नहीं बना सकती
[द ]उपयुडि मे से कोई नहीं
5. जनतंत्र मे संसद पर सबसे बड़ा प्रब्रतबंध क्या है ।
[अ ] जनमत[ ब ] कायडपाब्रलका [स ] अंतराडष्ट्रीय कानून[ द ] संसद का
संगठन
उत्तर :1.स 2. ब 3. अ 4. अ 5. अ

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  • 1. तुलनात्मक शासन - इकाई -1 ब्रिटिश संसद की संप्रभुता (Source: https://rationalityofaith.files.wordpress.com/2016/06/queen-parliament.jpg?w=516&h=273) द्वारा – डॉ. ममता उपाध्याय एसो. प्रो. कु.मायावती राजकीय स्नातकोत्तर महाब्रवद्यालय , बादलपुर, गौतमबुद्ध नगर, उ. प्र .
  • 2. उद्देश्य – • ब्रििेन मे संसदीय लोकतंत्र के ब्रवकास की जानकारी • ब्रिटिश संसद की सैद्धांब्रतक व व्यावहाटरक ब्रथिब्रत का ज्ञान • एक संप्रभु संथिा के रूप मे ब्रिटिश संसद के वैब्रिक महत्व पर प्रकाश डालना • दुब्रनया की ब्रवब्रभन्न ब्रवधाई संथिाओं के तुलनात्मक ब्रवश्लेषण के प्रब्रत रुब्रि जाग्रत कर शासन संबंधी ब्रवषयों की जानकारी मे वृब्रद्ध ग्रेि ब्रििेन दुब्रनया का प्रिम आधुब्रनक लोकतंत्र है और ब्रिटिश संसद सभी संसदों की जननी । ए. वी. डायसी एवं एडवडड कोक जैसे ब्रवब्रधशाब्रियों ने ब्रिटिश संसद को संप्रभु संथिा कहा है। ऑब्रथिन आदद ब्रवब्रधशाब्रियों द्वारा दी गई संप्रभुता की पटरभाषा के अनुसार यह दकसी राज्य की अपने नागटरकों को आदेश देने और ब्रवदेश नीब्रत का ब्रनधाडरण करने की सवोच्च सत्ता है । राज्य की सत्ता का प्रयोग सरकार के तीनों अंगों – ब्रवधाब्रयका , कायडपाब्रलका एवं न्यायपाब्रलका द्वारा ब्रमलकर दकया जाता है । ब्रिटिश संसद एक ब्रवधाई संथिा है , ऐसे मे उसको ही संप्रभु मानने के कुछ ब्रनब्रहतािड है। प्रिम यह दक ब्रििेन के संवैधाब्रनक इब्रतहास को देखते हुए प्रजातन्त्र के समिडकों को यह डर रहा होगा दक कहीं कमजोर संसद का लाभ उठाकर राजा पुनः सत्ता पर अब्रधकार करने का प्रयत्न न करे । दूसरे यह तथ्य भी महत्वपूणड है दक आधुब्रनक ब्रििेन का संब्रवधान अब्रधकांशतः परम्पराओ पर आधाटरत एक अब्रलब्रखत संब्रवधान है। राजनीब्रतक परम्पराये कई बार अब्रनब्रितता को जन्म देती हैं क्योंदक ये वथतुब्रनष्ठ नहीं होतीं और हर व्यब्रि इनकी व्याख्या अपने तरीके से कर सकता है , अतः संसद द्वारा ब्रनर्मडत कानूनों को सवोच्च बनाकर अब्रलब्रखत संब्रवधान की कमी को दूर करने का
  • 3. प्रयत्न दकया गया है। जहां तक न्यायपाब्रलका की सत्ता का प्रश्न है ,ब्रििेन मे न्यायपाब्रलका भारत और अमरीका के समान पृिक व थवतंत्र नहीं है । वहााँ लॉडड सभा जो ब्रिटिश संसद का दूसरा सदन है , के द्वारा सवोच्च अपीलीय न्यायालय के रूप मे कायड दकया जाता है । ब्रिटिश शासन व्यवथिा मे लॉडड सभा एक कुलीनतंत्रीय संथिा है ब्रजसके अब्रधकांश सदथय वंश परंपरा के आधार पर पद ग्रहण करते है , ऐसे मे न्याब्रयक सवोच्चता को मान्यता देने का पटरणाम कुलीनतंत्र को प्रश्रय देना होता । अतः संसदीय संप्रभुता ब्रजसका तात्पयड व्यवहारतः लोकसदन की संप्रभुता से है ,की थिापना का अंब्रतम उद्देश्य ब्रििेन मे लोकतंत्र को सशि मान्यता प्रदान करना िा । संसदीय संप्रभुता का इततहास – ऐब्रतहाब्रसक दृब्रि से ब्रवश्लेब्रषत करने पर पता िलता है दक संसदीय संप्रभुता के ब्रलए ब्रिटिश लोगों को लंबा संघषड करना पड़ा है । नवीं सदी से िले या रहे राजतन्त्र के ब्रवरुद्ध आम जन का असंतोष ‘’प्रब्रतब्रनब्रधत्व नहीं तो कर नहीं ‘’के नारे के साि सामने आया । संसद समिडकों व राजा के समिडकों के ब्रवरुद्ध लंबे समय तक िलने वाले गृहयुद्ध की समाब्रि 1688 की गौरव पूणड क्ांब्रत मे हुई । बीि मे 11 वषों के ब्रलए क्ामवेल के नेतृत्व मे गणतंत्रीय शासन की थिापना भी हुई । 1689 के’’ ब्रबल ऑफ राइट्स’’के द्वारा राजा के शासन संबंधी अब्रधकार पूरी तरह समाि कर ददए गए और ‘अलड ऑफ शेफिसबरी’ द्वारा घोब्रषत दकया गया दक ‘’इंग्लंड की पार्लडयामेंि सवोच्च और पूणड सत्ताधारी है जो वहााँ की सरकार को जीवन और गब्रत प्रदान करती है ।‘’ उल्लेखनीय है दक संसद की संप्रभुता भी संब्रवधान के अन्य प्रावधानों के समान दकसी ब्रलब्रखत कानून की देन नहीं है , बब्रल्क सददयों से यह संसद द्वारा व्यवहार मे ली जाती रही है और न्यायालय ने भी उसके द्वारा बनाए गए दकसी कानून को अंब्रतम मानते हुए उस पर आपब्रत्त नहीं की है ।
  • 4. संसदीय संप्रभुता का अर्थ- प्रो. डायसी ने ब्रिटिश संसद की संप्रभुता के ब्रनम्ांदकत अिड बताए हैं : 1. संसद पूरे देश के दकसी भी क्षेत्र के ब्रलए दकसी भी प्रकार का कोई भी कानून बना सकती है । यह कहा जाता है दक वह िी को पुरुष व पुरुष को िी बनाने के अब्रतटरि कुछ भी कर सकती है । 2. वह दकसी भी कानून मे संशोधन कर सकती है या उसे रद्द कर सकती है । ब्रसवाय भब्रवष्य की संसद के ब्रवषय मे कानून बनाने के वह कोई भी कानून बना सकती है । 3. वह संवैधाब्रनक और साधारण सभी तरह के कानून बनाने का अब्रधकार रखती है । 4. वहााँ ऐसी कोई सत्ता नहीं है जो उसके द्वारा बनाए गए कानूनों को अवैध घोब्रषत कर सके । 5. वहााँ न्यायपाब्रलका को न्याब्रयक समीक्षा का अब्रधकार प्राि नहीं है , ब्रििेन का कोई भी न्यायालय संसद द्वारा पाटरत अब्रधब्रनयमों को अवैध घोब्रषत नहीं कर सकता । एडवडड कोक ने ब्रलखा है दक ‘’संसद की शब्रि एवं अब्रधकार क्षेत्र इतना महान, श्रेष्ठ व अब्रनयंब्रत्रत है दक उस पर न दकसी व्यब्रि का , न कारणों का , न रुकावि का ही बंधन है । ‘’ वतडमान मे संसद की संप्रभुता का तात्पयड कॉमन सभा की संप्रभुता से है क्योदक ब्रनवाडब्रित जनप्रब्रतब्रनब्रध इसी सदन मे होते हैं और 1911 एवं 1949 के संसदीय अब्रधब्रनयमों के पाटरत होने के बाद लॉडड सभा जो संसद का दूसरा सदन है , ब्रबल्कुल शब्रिहीन हो गई है । वैधाब्रनक दृब्रि से सभी कानून राजा सब्रहत संसद बनाती है , परंतु सवोच्चता वाथतव मे कामन सभा की ही है , क्योंदक इसी सदन मे सम्पूणड राष्ट्र का प्रब्रतब्रनब्रधत्व होता है ।
  • 5. ❖ संसदीय संप्रभुता पर सीमाएं : ब्रिटिश संवैधाब्रनक व्यवथिा के संबंध मे यह उब्रि प्रब्रसद्ध है दक यह जैसी है , वैसी ददखाई नहीं देती और जैसी है वैसी ददखाई नहीं देती । संसदीय संप्रभुता भी इसका अपवाद नहीं है, अिाडत संसद की संप्रभुता की बात वैधाब्रनक या सैद्धांब्रतक रूप से ही सि है ,व्यावहाटरक रूप मे नहीं । पूणड सत्ता पूणडतः भ्रि करती है , इस तथ्य को संज्ञान मे लेते हुए ब्रिटिश लोकतंत्र प्रगब्रत के ब्रजन सोपानों पर िढ़ता रहा है , संसद की संप्रभुता पर कई व्यावहाटरक प्रब्रतबंध लगते रहे हैं । इनमे से कुछ प्रमुख प्रब्रतबंध इस प्रकार है- • जनमत : जनमत लोकतंत्र का आधार है । मतदाताओं द्वारा िुने जाने पर ही सांसद अपने अब्रधकारों का प्रयोग करते हैं , अतः जनमत के ब्रवपरीत जाकर सांसद कानून ब्रनमाडण कर अपने राजनीब्रतक भब्रवष्य को खतरे मे नहीं डाल सकते । • सामाब्रजक नैब्रतकता : वैधाब्रनक दृब्रि से संसद िाहे ब्रजतनी शब्रिशाली हो , दकन्तु समाज की सामान्य नैब्रतकता के ब्रवरुद्ध वह कोई कानून नहीं बना सकती । इस संबंध मे जेननंग्ज ने ब्रलखा है दक’’ यदद संसद ने ऐसा आदेश जारी दकया दक नीली आाँखों वाले बच्चों की हत्या कर दी जाय तो ऐसे दकसी बच्चे को बिा रखना गैर कानूनी होगा, दकन्तु कोई पागल संसद ही ऐसा आदेश जारी करेगी और पागल जनता ही उसे मानेगी । ‘’ • संवैधाब्रनक परम्पराएाँ : ब्रििेन का सावडजब्रनक जीवन मुख्यतः परंपराओं से संिाब्रलत होता है , अतः यदद संसद सुथिाब्रपत परंपराओं का उल्लंघन करते हुए कोई कानून बनाती है तो उसे न तो राजनेताओं द्वारा थवीकार दकया जाएगा, न ही आम जनता द्वारा , हालांदक संसद उन परंपराओं मे पटरवतडन अवश्य कर सकती है जो समयानुकूल नहीं हैं ।
  • 6. • ब्रवब्रध का शासन : ब्रवब्रध का शासन ब्रिटिश न्याय व्यवथि की प्रमुख ब्रवशेषता है ब्रजसका तात्पयड है दक देश मे सवोच्चता कानून की है, सभी के ब्रलए एक समान कानून हैं और कानून नागटरक अब्रधकारों के रक्षक हैं । संसद इसके ब्रवरुद्ध ऐसे कानूनों का ब्रनमाडण नहीं कर सकती जो सामाब्रजक ब्रवभेद को जन्म देने वाले हों और ब्रजनसे नागटरक अब्रधकारों का हनन होता हो । • वेथि ब्रमब्रनथिर अब्रधब्रनयम -1931 संसद की संप्रभुता को पटरभाब्रषत करते हुए कहा गया दक वह ब्रिटिश सत्ता के अंतगडत आने वाले दकसी भी क्षेत्र के ब्रलए कानून बना सकती है । इसी अब्रधकार का प्रयोग करते हुए उसने भारतीय उपब्रनवेश के ब्रलए भारतीय पटरषद अब्रधब्रनयम 1892 , िािडर ऐक्ि -1853 आदद पाटरत दकया िा ,दकन्तु 1931 मे बनाए गए वेथि ब्रमब्रनथिर पटरब्रनयम के अनुसार इस ब्रवषय मे उसकी सत्ता सीब्रमत हो गई है । इसके बाद वह उपब्रनवेशों के ब्रलए तभी कानून बना सकती है जब वे इसके ब्रलए उससे प्रािडना करें । • संसद का संगठन : संसद का ब्रनमाडण सम्राि , लोक सभा व लॉडड सभा से ब्रमलकर होता है । लॉडड सभा व सम्राि की शब्रियां सीब्रमत होने के बावजूद कानून ब्रनमाडण की प्रदक्या मे और कॉमन सभा की जल्दबाजी पर ब्रनयंत्रण लगाने मे उनकी भूब्रमका अब भी महत्व पूणड है । इस प्रकार संसद का संगठन उसे थवयं ही ब्रनयंब्रत्रत करता है । • कायडपाब्रलका की बढ़ती शब्रि ; दुब्रनया के अन्य देशों के समान ब्रििेन मे भी राजनीब्रतक व प्रशासब्रनक दोनों प्रकार की कायडपाब्रलकाओं की शब्रि मे वृब्रद्ध हुई है । प्रधानमंत्री के नेतृत्व मे नीब्रत संबंधी अब्रधकांश ब्रनणडय मंत्री मण्डल की बैठकों मे ही कर ब्रलए जाते हैं , यह हो सकता है जैसा दक न्यूमैन ने ब्रलखा है ,दक उसकी घोषणा संसद द्वारा नहीं , बब्रल्क संसद मे कर दी जाय । समयाभाव व ज्ञान के अभाव मे संसद ने कानून ब्रनमाडण का अब्रधकांश कायड प्रशासब्रनक कायडपाब्रलका को सौप ददया है । अब वह केवल कानूनों की रूपरेखा बनाती है ब्रजसके अंतगडत रहते हुए ब्रनयमों व उपब्रनयमों को बनाने का
  • 7. कायड प्रशासकों द्वारा दकया जाता है । प्रदत्त ब्रवधायन की इस व्यवथिा से भी कानून बनाने का संसद का सवोच्च अब्रधकार सीब्रमत हुआ है । • भब्रवष्य की संसद के ब्रवषय मे कानून ब्रनमाडण : पारंपटरक रूप मे संसद की प्रभुसत्ता का अपवाद यह बताया गया िा दक वह भब्रवष्य के सांसदों के ब्रलए कोई कानून नहीं बना सकती । यदद वह ऐसा करते हुए संसद के अब्रधकारों मे किौती करती है तो संसद की सवोच्चता भंग हो जाएगी दकन्तु व्यवहार मे इसका उल्लंघन देखने को ब्रमलता है । जैसे -1832 के सुधार अब्रधब्रनयम द्वारा सांसदों के ब्रनवाडिन क्षेत्र के ब्रवतरण की ब्रथिब्रत मे पटरवतडन कर ददया गया या 1999 के अब्रधब्रनयम द्वारा लॉडड सभा के वंश परंपरागत सदथयों को आजीवन ब्रपयसड मे बदल ददया गया । • यूब्रनयन ऐक्ि 1707: यह अब्रधब्रनयम थकॉिलैंड को ग्रेि ब्रििेन का अंग बनाता है । कुछ न्यायब्रवदों की मान्यता है की यह अब्रधब्रनयम संसद की संप्रभुता को सीब्रमत करता है । हााँलादक अबतक थकॉिलैंड के दकसी न्यायालय ने खुलकर ऐसा नहीं कहा है , दकन्तु कुछ न्यायब्रवद जैसे-‘मककोरब्रमक बनाम लॉडड ऐड्वकेि’ के ब्रववाद मे लॉडड कूपर ने कहा दक संसदीय संप्रभुता का ब्रसद्धांत इंग्लंड के कानून की ब्रवशेषता है , इसका थकॉिलैंड से कोई मतलब नहीं है । थपि है दक संसदीय संप्रभुता का ब्रवथतार थकॉिलैंड तक नहीं माना गया । साि ही 1998 मे थकॉिलैंड की संसद का गठन हो जाने के बाद भी व्यवहारतः ब्रिटिश संसद के ब्रलए यह संभव नहीं रह गया है दक वह उसकी सहमब्रत के ब्रबना थकॉिलैंड के ब्रलए कोई कानून बना सके । जैसे - थकॉिलैंड की संसद ने ब्रिटिश संसद के थकॉिलैंड मे न्यूब्रक्लयर पावर थिेशन बनाने के कदम को ब्रसरे से खाटरज कर ददया । • संसदीय कानूनों को न्यायालय मे चुनौती:
  • 8. यद्यब्रप कानून बनाने के ब्रलए संसद के दोनों सदनों की थवीकृब्रत और सम्राि के हथताक्षर की आवश्यकता होती है , दकन्तु संसदीय कानून ब्रनमाडण की प्रदक्या के अनुसार कॉमन सभा कई ब्रवधेयकों को अकेले ही पाटरत कर सकती है । यह प्रदक्या उन ब्रवधेयकों पर लागू नहीं होती जो संसद के गैर सरकारी सदथयों द्वारा प्रथतुत दकए गए हों या ब्रजनका उद्देश्य संसद के कायडकाल को 5 वषड से अब्रधक ब्रवथतार देना हो । जैक्सन बनाम अिॉनी जनडल के वाद मे न्यायाधीशों ने यह माना दक संसद का कायडकाल बढ़ाने वाले कानून को न्यायालय मे िुनौती दी जा सकती है और उसे अवैध घोब्रषत दकया जा सकता है । • योरोंब्रपयन यूब्रनयन : 1973- 2020 तक ब्रििेन योरोपीय आर्िडक संघ और उसके बाद की संथिाओं -योरोपीय समुदाय एवं योरोपीय संघ का सदथय रहा । यूरोपीय कम्यूब्रनिी ऐक्ि 1972 मे कहा गया है, ‘’दक इस कानून से उपजे अब्रधकार , दाब्रयत्व एवं प्रब्रतबंध ब्रििेन मे कानून के रूप मे मान्य होंगे ‘’। ‘ आर. वी. इम््लॉयमेन्ि सेक्ेिरी’ नामक वाद मे ददए गए ब्रनणडय मे भी कहा गया दक ‘’संसद का कोई ऐसा कानून जो 1972 के कानून के बाद बना है और इस कानून का ब्रवरोधाभासी है तो वह अवैध समझा जाएगा’’ । थपि है दक यह कानून संसदीय संप्रभुता पर प्रब्रतबंध आरोब्रपत करता है ।हालांदक 2016 के BREXIT ब्रनणडय एवं 2020 के ‘युरोब्रपयन यूब्रनयन ब्रवदड्र।ल एग्रीमेंि ऐक्ि’ के पाटरत होने से पुनः यह ब्रसद्ध हो गया ब्रिटिश संसद संप्रभु है। • मानवाब्रधकार अब्रधब्रनयम 1998 : इस अब्रधब्रनयम के अनुसार ग्रेि ब्रििेन मानवाब्रधकार संबंधी यूरोपीय कन्वेन्शन के पालन हेतु प्रब्रतबद्ध है । यह भी उल्लेखनीय है की मानवाब्रधकार संबंधी मुद्दों पर न्यायालय को संसदीय कानूनों की समीक्षा व व्याख्या का अब्रधकार है ।
  • 9. ब्रनष्कषड :ब्रििेन के प्रािीनतम लोकतंत्र मे ब्रिटिश संसद को समथत सांसदों की जननी होने का गौरव प्राि है । राजतन्त्र से लोकतंत्र की ददशा मे आगे बढ़ते हुए संसद ने ब्रििेन की संवैधाब्रनक व्यवथिा मे जो सवोच्चता प्राि की है , वह अतुल्य है । ब्रिटिश संसद को संप्रभु संथिा माना जाता है क्योंदक वह ब्रििेन के शासनान्तगडत आने वाले सभी क्षेत्रों के ब्रलए दकसी भी समय कानून बना सकती है ,उसमे पटरवतडन कर सकती है या रद्द कर सकती है ब्रसवाय भब्रवष्य की संसद के अब्रधकारों मे पटरवतडन करने के । वहााँ कोई ऐसी सत्ता नहीं है जो संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को अवैध घोब्रषत कर सके । दकन्तु संसद की प्रभुसत्ता वैधाब्रनक सि है , व्यावहाटरक नहीं । व्यवहार मे उसकी सवोच्च सत्ता पर बहुत सारी सीमाये है । वह अंतराडष्ट्रीय संब्रधयों के पालन हेतु विन बद्ध है । परंपराओं पर आधाटरत संवैधाब्रनक व्यवथिा मे वह परंपराओं की अनदेखी नहीं कर सकती। कायडपाब्रलका की शब्रियों मे वृब्रद्ध ने भी उसके अब्रधकारों को सीब्रमत दकया है । जनप्रब्रतब्रनब्रधयों की संथिा होने के कारण उसके द्वारा जनमत व सामाब्रजक नैब्रतकता की उपेक्षा भी नहीं की जा सकती । दकन्तु हाल ही मे हुए Brexit संबंधी ब्रनणडय ने वैधाब्रनक रूप से संसद की संप्रभुता पर एक बार पुनः मुहर लगाने का कायड दकया है । मुख्य शब्द : • संप्रभुता – इसका तात्पयड है -सवोच्च सत्ता । यह सत्ता राज्य के पास होती है ब्रजसका प्रयोग करते हुए वह अपने नागटरकों को आदेश देती है और उनका पालन करवाती है । आदेश पालन न करने पर दण्ड का प्रावधान भी करती है। आधुब्रनक युग मे संप्रभुता की वैधाब्रनक व्याख्या जॉन आब्रथिन के द्वारा की गई । • संब्रवधान : ब्रलब्रखत – अब्रलब्रखत आधारभूत कानूनों का वह संग्रह ब्रजसके आधार पर दकसी देश की शासन व्यवथिा का संिालन दकया जाता है और नागटरकों तिा राज्य के मध्य संबंधों का ब्रनधाडरण दकया जाता है ।
  • 10. • संसद ; दकसी देश की कानून ब्रनमाडत्री संथिा जो ब्रभन्न – ब्रभन्न देशों मे अलग – अलग नामों से जानी जाती है । इसका संगठन कही एक सदन के रूप मे होता है तो कही यह ब्रद्वसदनीय होती है ।ब्रििन मे इसके दो सदन हैं – प्रिम -हाउस ऑफ कमन्स एवं ब्रद्वतीय -हाउस ऑफ लॉड्सड । • जनमत : जनसाधारण का सावडजब्रनक ब्रवषयों पर ब्रववेकपूणड , लोकब्रहतकारी व थिाई ब्रविार जनमत कहलाता है । सभी सरकारें जनमत के अनुसार िलने पर ही थिाब्रयत्व को प्राि करती हैं ,दकन्तु लोकताब्रन्त्रक सरकार का तो अब्रथतत्व ही जनमत पर ब्रनभडर करता है । • ग्रेि ब्रििेन : ग्रेि ब्रििेन का ब्रनमाडण इंग्लैंड ,थकॉिलैंड,आयलंड और वेल्स से ब्रमलकर हुआ है । • िेकब्रिि [:Brexit ] ब्रििेन के लोगों द्वारा 2016-17 मे युरोब्रपयन यूब्रनयन से अलग होने का ब्रनणडय ब्रजसे 2020 मे कानून बनाकर ब्रिटिश संसद ने वैधाब्रनक मान्यता दी । References: 1.A. V. Dicey ,An Introduction To The Study Of The Law of The Constitution 2.Parliament’s Authority-UK Parliament,www.parliament.uk 3.J.C.Jauhary,Pramukh Deshon Ke Samvidhan, Sahitya Bhavan Publication, Agra A.F.Polard,[1920], The Evolution Of Parliament, Longmans,Green And Co.,NewYork प्रश्न : ब्रनबंधात्मक – 1. ब्रिटिश संसद की संप्रभुता से आप क्या समझते है । क्या वाथतव मे यह एक संप्रभु संथिा है ?
  • 11. 2. ब्रिटिश संसद की संप्रभुता एक वैधाब्रनक सि है , राजनीब्रतक नहीं , ब्रववेिना कीब्रजए । 3. डायसी द्वारा प्रब्रतपाददत ब्रिटिश संसद की संप्रभुता के ब्रविार की व्याख्या कीब्रजए । व्यवहार मे उसकी क्या सीमाएं हैं । वथतुब्रनष्ठ प्रश्न : 1. दकसे एक संप्रभु संथिा कहा जाता है । [ अ ] भारतीय संसद [ब ] अमरीकी कााँग्रेस[ स ] ब्रिटिश संसद [द ] ब्रिटिश क्ाउन 2. ब्रििेन के संवैधाब्रनक इब्रतहास मे संसद की संप्रभुता को अंब्रतम रूप मे मान्यता दकस दथतावेज द्वारा ब्रमली । [अ ] मैगनाकािड। [ ब ] ब्रबल ऑफ राइट्स[ स ] वेथि ब्रमब्रनथिर पटरब्रनयम[ द ] थकॉिलैंड यूब्रनयन ऐक्ि 3. संसद अपनी संप्रभुता का प्रयोग करते हुए कौन सा कायड नहीं कर सकती । [अ ] भब्रवष्य की संसद के ब्रवषय मे कानून नहीं बना सकती । [ब ] आयरलेंड के लोगों के ब्रलए कोई कानून नहीं बना सकती । [स ] युवाओं के ब्रलए कानून नहीं बना सकती [द ] ब्रििेन के दकसी भी क्षेत्र के ब्रलए कानून बना सकती है । 4. ब्रिटिश उपब्रनवेशों के ब्रलए संसद दकस ब्रथिब्रत मे कानून बना सकती है । [अ ]उनकी ब्रवधाब्रयका द्वारा अनुरोध करने पर [ब ] अपनी पहल पर [स ] उनके ब्रलए कानून नहीं बना सकती [द ]उपयुडि मे से कोई नहीं 5. जनतंत्र मे संसद पर सबसे बड़ा प्रब्रतबंध क्या है । [अ ] जनमत[ ब ] कायडपाब्रलका [स ] अंतराडष्ट्रीय कानून[ द ] संसद का संगठन उत्तर :1.स 2. ब 3. अ 4. अ 5. अ