2. बिशन की दिलेरी
बिशन िस वर्ष का लड़का था । वह हर रोज़ पहाड़ रास्ते से
कनषल ित्ता के फ़ार्ष हाउस पर जाता था । कनषल ित्ता की पत्न
पढ़ाई र्ें उसकी र्िि करत थ । अचानक बिशन ने रास्ते र्ें
गोली चलने की आवाज़ सुन थ ।
कु छ सर्य के िाि उसे र्ालूर् हुआ कक कु छ शशकारी त तर जैसे
पक्षक्षयों का शशकार कर रहे थे। िेचारा वह िहुत डर गया और
पास की झाड़ड़यों र्ें छछप गया । तभ उसके पााँव के पास
सरसराहट-स हुई । उसने िेखा कक एक घायल त तर गेहूाँ की
िाशलयों के ि च फाँ सा छटपटा रहा था । बिशन का दिल पपघल
गया ।वह ककस भ हालात र्ें उसे िचाना चाहता था । तुरींत
उसने उसे अपने स्वेटर र्ें फाँ सा शलया और शशकाररयों की आाँख
िचाकर कनषल के घर की तरफ़ भागने लगा ।
3. अचानक एक शशकारी ने उसे िेख ही शलया और ज़ोर-से चचल्लाया-
‘र्ैं तुझे िेख लूाँगा, तू र्ेरा शशकार चुराकर नहीीं ले जा सकता ।’
बिशन ने और ज़ोर पकड़ा । हाथ-पााँव पर कााँटों की िहुत-स
खरोंचें उभर आईं । उसकी कर् ज़ की एक आस्त न भ फट गई ।
भागते-भागते वह कनषल के फार्ष हाउस र्ें घुस गया । उसने
त तर को एक टोकरी र्ें रखकर अपने स्वेटर से ढ़क दिया । उसने
िेखा कक िो शशकारी इधर ही आ रहे थे । उन्हें िेखकर कनषल का
कु त्ता भौंकने लगा ।
कु त्ते की आवाज़ सुनकर कनषल िाहर आए और िेखा कक िो शशकारी
िाहर खड़े हुए थे । कनषल ने रौििार आवाज़ र्ें पूछा- ‘कौन हो
तुर् ? यहााँ ककसशलए आए हो ?’
‘साहि, हर् शशकारी हैं । हर साल शशकार के शलए आते हैं । अभ -
अभ एक लड़का हर्ारे शशकार त तर को लेकर आपके यहााँ आ
छछपा है, हर् उसे ही ढूाँढ़ रहे हैं ।’
4. ‘अच्छा, तुर् इतने सारे त तर र्ारते हो उनका क्या करते हो ?’
कनषल साहि ने पूछा ।
‘स ध -स िात है साहि, खाते हैं ।’ िूसरे शशकारी ने जवाि दिया ।
‘पक्षक्षयों को र्ारने और उससे ज़्यािा उन्हें घायल करके छोड़ जाने र्ें
तो कोई िहािुरी नहीीं है । यहााँ तुम्हारा कोई त तर-व तर नहीीं है ।
अि तुर् िोनों यहााँ से जा सकते हो-कनषल साहि ने गुस्से र्ें
कहा ।
शशकारी के जाते ही बिशन कनषल के घर के भ तर भागा और उसे
त तर दिखाते हुए कहा-‘िािूज , इसे िहुत चोट लग है । अगर र्ैं
न लाता तो यह र्र जाता ।’
कनषल र्ुस्कु राए और कहा- ‘जाओ, िवाइयों का िक्सा लेकर आओ ।’
बिशन के लाने पर उसने त तर के पैरों का ज़ख्र् साफ़ कर दिया
और िवा लगा िी ।
5. बिशन की ओर र्ुड़कर कहा-‘बिशन, इसे गेंिे का रस दिन र्ें
िो-त न िार पपलाओ और िशलया भ खखलाओ क्यों कक त तर को
िशलया िहुत पसींि है ।’ ‘अच्छा िािूज ’-बिशन ने कहा ।
कनषल ने पूछा-‘बिशन, एक िात िताओ, अि तू इस त तर का
क्या करोगे ? ‘इसे पालूाँगा िािूज ’-बिशन ने कहा ।
सींिेश : १. लोग र्ारने वाले की नहीीं िल्ल्क िचाने वाले की पूजा
करते हैं ।
२. ककस भ प्राण को सताने का अचधकार हर्ें नहीीं है ।
6. १. इन चचत्रों र्ें कौन सा फल है ?
२. यह ककन-ककन रींगों र्ें पाया जाता है ?
22. क्या, इन घरों के आसपास और कोई घर है ?
िताओ कक ये घर शहर के ि च ीं ि च हैं या शर से िूर ?
23. कनषल ित्ता की वदिषयों को ध्यान से िेखो
और चचाष करो ।
24. सींिेश
१. लोग र्ारनेवाले की नहीीं िल्ल्क
िचानेवाले की पूजा करते हैं ।
२. ककस भ प्राण को सताने का
अचधकार हर्ें नहीीं है ।
25. पूरक प्रश्न
१. फार्ष हाउस र्ें कौन रहते थे ?
२. शशकारी ककनका शशकार करते थे ?
३. त तर को ककसने िचाया ?
४. इस कहान का सींिेश क्या है ?
५. बिशन क्यों डर गया ?
६. स्वेटर ककस च ज़ से िनत है ?
७. पढ़ाई र्ें बिशन की र्िि कौन करता था ?
८. शशकाररयों ने ककसके खखलाफ़ कनषल से
शशकायत की ?