SlideShare a Scribd company logo
1 of 12
बृहदारण्य
क
उपनिषद
आयुषी स िंह
बृहदारण्यक उपनिषद
• ब े बड़ा और ब े पुऱाऩा उपसनषद है।
• शुक्ल यजुर्वेद की क़ाण्व-श़ाख़ा क
े शतपथ (र्व़ाज नेयी) ब्ऱाम्हण
क
े अन्तर्गत आत़ा है।
• य़ाज्ञर्वल्क्य ऋसष को इ क़ा रचसयत़ा म़ाऩा ज़ात़ा है।
• इ े तीन क़ाण्ड मे सर्वभ़ासजत सकय़ा र्य़ा है -
1. मधु काण्ड (12 ब्ऱाम्हण)
2. मुनि काण्ड (15 ब्ऱाम्हण)
3. खिला काण्ड (20 ब्ऱाम्हण)
बृहद़ारण्यक उपसनषद
2
हर क़ाण्ड मे
२-२ अध्याय हैं,
क
ु ल 6 अध्याय
बृहद़ारण्यक उपसनषद
3
• ॐ पूर्णमद: पूर्णनमदं......(इ क़ा र्वणगन खखल़ा
क़ाण्ड में समलत़ा है)
• िेनि िेनि (अथ़ागत ब्रह्म ये भी नहीिंहै, र्वो भी
नहीिंहैं)
• अहं ब्रह्माऽखि (मैं ब्रह्म हिं)
• असिो मा सद्गमय........ (इनक़ा र्वणगन इ
उपसनषद् में समलत़ा है)
बृहद़ारण्यक उपसनषद
4
पुरुष य़ानी ब्रह्म क
े तीन अन्न हैं -
• मन
• र्व़ाणी (र्व़ाक
् )
• प्ऱाण
आत्मा क
े ब़ारे में कह़ा र्य़ा है –
।।अथो अयं वा आत्मा सवेषां भूिािां लोक।।
अथ़ागत्- आत्म़ा भी जीर्वोिं क़ा लोक हैं।
5
बृहद़ारण्यक उपसनषद
6
बृहद़ारण्यक उपसनषद
िीि लोकोंकी चच़ाग की र्ई है:
• मिुष्य लोक (पुत्र द्व़ाऱा जीत़ा ज़ात़ा हैं)
• नपिृ लोक (कमग द्व़ाऱा जीत़ा ज़ात़ा हैं)
• देव लोक (सर्वद्य़ा य़ासन उत्क
ृ ष्ट ज्ञ़ान द्व़ाऱा जीत़ा ज़ात़ा
हैं)
" तीनोिं लोको में, देर्व लोक र्वगश्रेष्ठ है, इ सलए सर्वद्य़ा को
र्वगश्रेष्ठ भी कह़ा र्य़ा है ।"
7
बृहद़ारण्यक उपसनषद
• प्रार्ायाम क़ा र्वणगन सकय़ा है।
• व्रत की महत्त्वत़ा बत़ाई र्ई है।
"एकमेव व्रिं चरेिं"
8
बृहद़ारण्यक उपसनषद
आत्मा और ज्ञाियोग –
इ में मैत्रेयी और महनषण याज्ञवल्क्य क़ा िंर्व़ाद हैं ।
महसषग य़ाज्ञर्वल्क्य ने कह़ा :
।।आत्मा वा अरे दृष्टव्यः श्रोिव्य: मन्तव्यो निनदध्यानसिव्यो।।
अथ़ागत्- यह आत्म़ा ही दर्णि करने योग्य है, श्रवर् करने योग्य है, मिि करने योग्य है और
निनधध्यासि (ध्य़ान) करने योग्य है।
• दशगन
• श्रर्वण
• मनन
• सनसिध्य़ा न
9
बृहद़ारण्यक उपसनषद
आत्मा
।।अथो अयं वा आत्मा सवेषां भूिािां लोकः।।
अथ़ागत्- यह आत्म़ा (मनुष्य) मस्त जीर्वोिं क़ा लोक है।
10
बृहद़ारण्यक उपसनषद
‘द’ अक्षर से ज्ञािप्राखि :
 देर्वत़ा - दमन
 म़ानर्व - द़ान
 अ ुर - दय़ा
11
बृहद़ारण्यक उपसनषद
12
धन्यवाद

More Related Content

Similar to बृहदारण्यक उपनिषद.pptx

Shri krishanavtardarshan
Shri krishanavtardarshanShri krishanavtardarshan
Shri krishanavtardarshan
gurusewa
 

Similar to बृहदारण्यक उपनिषद.pptx (20)

Sutra 8-35
Sutra 8-35Sutra 8-35
Sutra 8-35
 
Early and later vaidik religion
Early and later vaidik religionEarly and later vaidik religion
Early and later vaidik religion
 
Meaning and nature of religion
Meaning and nature of religionMeaning and nature of religion
Meaning and nature of religion
 
Chhand 1 - 3
Chhand 1 - 3Chhand 1 - 3
Chhand 1 - 3
 
Kathopnishad Pratham Adhyaya (part-1)
Kathopnishad Pratham Adhyaya (part-1)Kathopnishad Pratham Adhyaya (part-1)
Kathopnishad Pratham Adhyaya (part-1)
 
Leshaya Margna - 2
Leshaya Margna - 2Leshaya Margna - 2
Leshaya Margna - 2
 
Bhagavat gita chapter 2
Bhagavat gita chapter 2Bhagavat gita chapter 2
Bhagavat gita chapter 2
 
Sutra 36-53
Sutra 36-53Sutra 36-53
Sutra 36-53
 
शैव सम्प्रदाय
शैव सम्प्रदाय शैव सम्प्रदाय
शैव सम्प्रदाय
 
Religion of vedic and later vedic
Religion of vedic and later vedic Religion of vedic and later vedic
Religion of vedic and later vedic
 
Vaakya
VaakyaVaakya
Vaakya
 
Upyog Prarupna
Upyog PrarupnaUpyog Prarupna
Upyog Prarupna
 
Shri krishanavtardarshan
Shri krishanavtardarshanShri krishanavtardarshan
Shri krishanavtardarshan
 
ShriKrishanAvtarDarshan
ShriKrishanAvtarDarshanShriKrishanAvtarDarshan
ShriKrishanAvtarDarshan
 
Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)
Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)
Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)
 
रत्नकरण्ड श्रावकाचार - Adhikaar 1
रत्नकरण्ड श्रावकाचार - Adhikaar 1रत्नकरण्ड श्रावकाचार - Adhikaar 1
रत्नकरण्ड श्रावकाचार - Adhikaar 1
 
Kathopnishad Pratham Adhyaya (Part-2)
Kathopnishad Pratham Adhyaya (Part-2)Kathopnishad Pratham Adhyaya (Part-2)
Kathopnishad Pratham Adhyaya (Part-2)
 
तीर्थ (काशी एवं गया)
तीर्थ (काशी एवं गया)तीर्थ (काशी एवं गया)
तीर्थ (काशी एवं गया)
 
Indriya Margna
Indriya MargnaIndriya Margna
Indriya Margna
 
Utility and Relevance of Bhagwad Geeta and Vasudhaiv.pptx
Utility and Relevance of Bhagwad Geeta and Vasudhaiv.pptxUtility and Relevance of Bhagwad Geeta and Vasudhaiv.pptx
Utility and Relevance of Bhagwad Geeta and Vasudhaiv.pptx
 

बृहदारण्यक उपनिषद.pptx

  • 2. बृहदारण्यक उपनिषद • ब े बड़ा और ब े पुऱाऩा उपसनषद है। • शुक्ल यजुर्वेद की क़ाण्व-श़ाख़ा क े शतपथ (र्व़ाज नेयी) ब्ऱाम्हण क े अन्तर्गत आत़ा है। • य़ाज्ञर्वल्क्य ऋसष को इ क़ा रचसयत़ा म़ाऩा ज़ात़ा है। • इ े तीन क़ाण्ड मे सर्वभ़ासजत सकय़ा र्य़ा है - 1. मधु काण्ड (12 ब्ऱाम्हण) 2. मुनि काण्ड (15 ब्ऱाम्हण) 3. खिला काण्ड (20 ब्ऱाम्हण) बृहद़ारण्यक उपसनषद 2
  • 3. हर क़ाण्ड मे २-२ अध्याय हैं, क ु ल 6 अध्याय बृहद़ारण्यक उपसनषद 3
  • 4. • ॐ पूर्णमद: पूर्णनमदं......(इ क़ा र्वणगन खखल़ा क़ाण्ड में समलत़ा है) • िेनि िेनि (अथ़ागत ब्रह्म ये भी नहीिंहै, र्वो भी नहीिंहैं) • अहं ब्रह्माऽखि (मैं ब्रह्म हिं) • असिो मा सद्गमय........ (इनक़ा र्वणगन इ उपसनषद् में समलत़ा है) बृहद़ारण्यक उपसनषद 4
  • 5. पुरुष य़ानी ब्रह्म क े तीन अन्न हैं - • मन • र्व़ाणी (र्व़ाक ् ) • प्ऱाण आत्मा क े ब़ारे में कह़ा र्य़ा है – ।।अथो अयं वा आत्मा सवेषां भूिािां लोक।। अथ़ागत्- आत्म़ा भी जीर्वोिं क़ा लोक हैं। 5 बृहद़ारण्यक उपसनषद
  • 7. िीि लोकोंकी चच़ाग की र्ई है: • मिुष्य लोक (पुत्र द्व़ाऱा जीत़ा ज़ात़ा हैं) • नपिृ लोक (कमग द्व़ाऱा जीत़ा ज़ात़ा हैं) • देव लोक (सर्वद्य़ा य़ासन उत्क ृ ष्ट ज्ञ़ान द्व़ाऱा जीत़ा ज़ात़ा हैं) " तीनोिं लोको में, देर्व लोक र्वगश्रेष्ठ है, इ सलए सर्वद्य़ा को र्वगश्रेष्ठ भी कह़ा र्य़ा है ।" 7 बृहद़ारण्यक उपसनषद
  • 8. • प्रार्ायाम क़ा र्वणगन सकय़ा है। • व्रत की महत्त्वत़ा बत़ाई र्ई है। "एकमेव व्रिं चरेिं" 8 बृहद़ारण्यक उपसनषद
  • 9. आत्मा और ज्ञाियोग – इ में मैत्रेयी और महनषण याज्ञवल्क्य क़ा िंर्व़ाद हैं । महसषग य़ाज्ञर्वल्क्य ने कह़ा : ।।आत्मा वा अरे दृष्टव्यः श्रोिव्य: मन्तव्यो निनदध्यानसिव्यो।। अथ़ागत्- यह आत्म़ा ही दर्णि करने योग्य है, श्रवर् करने योग्य है, मिि करने योग्य है और निनधध्यासि (ध्य़ान) करने योग्य है। • दशगन • श्रर्वण • मनन • सनसिध्य़ा न 9 बृहद़ारण्यक उपसनषद
  • 10. आत्मा ।।अथो अयं वा आत्मा सवेषां भूिािां लोकः।। अथ़ागत्- यह आत्म़ा (मनुष्य) मस्त जीर्वोिं क़ा लोक है। 10 बृहद़ारण्यक उपसनषद
  • 11. ‘द’ अक्षर से ज्ञािप्राखि :  देर्वत़ा - दमन  म़ानर्व - द़ान  अ ुर - दय़ा 11 बृहद़ारण्यक उपसनषद