1. रूपविज्ञान(Morphology)
अमित कुिार झा
पीएचडी(आईएलई)
Jhaamit036@gmail.com
भाषा (Language)
भाषा िनुष्य की एक स्वाभामवक प्रमिया है। ऐसा कहा जा सकता है िनुष्य जब से
सिाज िें रहना शुरू मकया तभी से वह मकसी-न-मकसी भाषा िें कुछ न कुछ बोलना शुरू मकया
या हि यह भी कह सकते है भाषा बोलने से ही इस सिाज रूपी संस्था का मनिााण हुआ। भाषा
क्या है? इसकी उत्पमि कै से हुई? आज हि मजस रूप िें भाषा का प्रयोग कर रहे है क्या शुरू से
भाषा की यहीं रूप थी या इसिें सिय के साथ कुछ पररवतान हुआ? अगर सिय के साथ इसिें
कुछ पररवतान हुआ तो इस पररवतान के क्या-क्या कारण है। उपरोक्त सभी बातों का अध्ययन
हि भाषामवज्ञान नािक मवषय िें करते है।
दूसरे शब्दों िें हि यह कह सकते है भाषा मवज्ञान वह है मजसिें हि भाषाओं का
वैज्ञामनक अध्ययन करते है।
भाषा मवज्ञान िें हि भाषाओं का अध्ययन मनम्न स्तरों पर करते है। प्रत्येक स्तर पर
भाषाओं का अध्ययन करने के मलए भाषामवज्ञान की एक अलग शाखा बनाया गया है जो मनम्न
है :-
1. स्वन/ ध्वमन स्तरपर स्वनमवज्ञान
2. शब्द/ रूप स्तर पर रुपमवज्ञान
3. वाक्य स्तरपर वाक्यमवज्ञान
4. अथा स्तर पर अथामवज्ञान
1. स्िनविज्ञान (Phonetics) - स्वनमवज्ञान /ध्वमनमवज्ञान भाषामवज्ञान की वह
शाखा है मजसिें ध्वमनयों का सूक्ष्िमत-सूक्ष्ि अध्ययन मकया जाता है। ध्वमन मवज्ञान
के तीन भाग होते है– औच्चाररक ध्वमन मवज्ञान, संवहक ध्वमनमवज्ञान, श्रवण
ध्वमनमवज्ञान ।
2. रूप विज्ञान)Morphology) - रुपमवज्ञान भाषा मवज्ञान की वह शाखा है मजसिें
रूप, रूमपि, शब्दमनिााण प्रमिया के बारें िें अध्ययन मकया जाता है।
3. िाक्यविज्ञान (Syntax) - वाक्यमवज्ञान भाषा मवज्ञान की वह शाखा है मजसिें
वाक्य, वाक्य रचना, वाक्य का भेद आमद का अध्ययन मकया जाता है।
2. 4. अर्थविज्ञान (Semantics) - अथामवज्ञान भाषा मवज्ञान की वह शाखा है मजसिें
पद, शब्द, पदबंध या वाक्यों के अथों का अध्ययन मकया जाता है। ज्ञानेमरिय द्वारा
मकसी व्यमक्त जो प्रतीमत होती है उसे अथा कहते है और इसी अथा का अध्ययन
भाषामवज्ञान की शाखा अथामवज्ञान के अंतगात मकया जाता है।
रूप विज्ञान (Morphology): रुपमवज्ञान भाषा मवज्ञान की वह शाखा है मजसिें
रूप, रूमपि, शब्दमनिााण प्रमिया के बारें िें अध्ययन मकया जाता है।
(i) रूप एिं रूवपम (Morph & Morpheme): मकसी भी भाषा की
लघुति अथावान इकाई को रूमपि कहा जाता है। कोई भी शब्द या पद एक या
एकामधक रूमपि से मिल कर बना होता है । अलग मवद्वानों ने रूमपि को अलग-
अलग तरीकों से पररभामषत मकया है।
मजनिें से कुछ पररभाषा मनम्न है:-
डॉ. उदय नारायण वििारी के अनुसार “रूमपि (पदग्राि) वस्तुतः पररपूरक
मवतरण या िुक्त मवतरण िें आए हुए सहपदों(संख्यों) का सिूह है।”
डॉ. सरयूप्रसाद अग्रिाल के अनुसार, “रूप भाषा की लघुति अथापूणा
इकाई होती है मजसिें एक अथवा अनेक ध्वमनयों का प्रयोग मकया जाता है।”
डॉ. भोलानार् वििारी के अनुसार “भाषा या वाक्य की लघुति साथाक
इकाई रूमपि है।
डॉ. जगदेि वसंह - रूप अथा से संमिष्ट भाषा की लघुति इकाई को रूमपि
कह सकते है।
ब्लॉक – कोई भी भामषक रूप चाहे िुक्त अथवा आबद्ध हो मजसे अल्पित
या रयूनति अथािुक्त(साथाक) रूप िें खंमडत न मकया जा सके , रूमपि होता है।
ग्लीसन- रूमपि रयूनति उपयुक्त व्याकरमणत अथावान रूप है।
आर. एच. रॉविन्स – रयूनति व्याकरमणक इकाईयों को रूमपि कहा जाता
है।
(ii) रूमपि के भेद –
रूवपम प्रयोग के आधार पर िुख्यतः तीन प्रकार के होते है जो मनम्न है :-
मुक्ि रूवपम – वह रूमपि मजसका अपना अलग अमस्तत्व
है अथाात जो अके ला प्रयोग िें आता हो, िुक्त रूमपि
कहलाता है। िुक्त रूमपि का अपना एक अलग अथा होता है।
3. महरदी िें िुक्त रूमपि के कुछ प्रिुख उदाहरण मनम्न है : घर,
राष्र, लड़का आमद।
िद्ध रूवपम – वह रूमपि मजसका अपना एक अलग
अमस्तत्व न हो उसका प्रयोग मकसी िुक्त रूमपि के साथ होता
है, बद्ध रूमपि कहलाता है। बद्ध रूमपि का अपना एक
अलग अथा नहीं होता है वह िुक्त रूमपि के अथा को
व्याकरमणक दृमष्ट से बदलता है। बद्ध रूमपि मकसी िुक्त
रूमपि के पहले लगता है या िुक्त रूमपि के अंत िें मकसी-
मकसी भाषा िें बद्ध रूमपि िुक्त रूमपि के बीच िें भी लगता
है।
मुक्ि िद्ध रूवपम – यह रूमपि का तीसरा प्रकार है। इसके
अंतगात वे रूमपि आते है जो कभी िुक्त रूमपि की तरह काया
करते है एवं कभी बद्ध रूमपि की तरह काया करते है। जैसे –
ने , ने बद्ध रूमपि के रूप िें िैंने एवं िुक्त रूमपि के रूप िें
राि ने ....।
संरचना के आधार पर रूमपि के दो भेद है :-
संयुक्त रूवपम – संयुक्त रूमपि उस रूमपि को कहते है मजसिें जब
अलग मकया जाता है तो वह एक िुक्त रूमपि एवं बद्ध रूमपि िें टूटता है।
या यो कहें मक संयुक्त रूमपि एक िुक्त और एक बद्ध रूमपि से मिलकर
बना होता है। जैसे – घरों, नगरों, लड़मकयां आमद।
वमविि रूवपम – मिमश्रत रूमपि, रूमपि का एक प्रकार है जो दो या दो
से अमधक िुक्त रूमपि से मिल कर बना होता है। जैसे- डाकघर,
िालगाड़ी आमद।
खंड के आधार पर रूमपि के दो भेद है :-
खंडीय – खंडीय रूमपि एक प्रकार का रूमपि है मजसे खंमडत मकया जा
सकता है अथाात तोड़ाजा सकता है। जैसे- घोड़ागाड़ी,बसअड्डा आमद।
खंडेत्तर – रूमपि का वह रूप मजसे खंमडत न मकया जा सके उसे खंडेिर
रूमपि कहते है।
(iv) संरूप (Allomorph) – कई भाषाओं िें एक ही प्रकार के कई रुमपिों
का एक ही अथा होता है। इन रुमपिों को उपरूप या संरूप कहते हैं।
इनका अथा एक ही होता है चाहे इरहें मकसी भी शब्द के साथ प्रयोग करें जैसे-
तोता + ओं= तोतों, पुस्तक + ओं = पुस्तकों ।
4. ‘ए का उदाहरण देखें - बेटा + ए = बेटे, तोता+ ए = तोते ।
(v) शब्द वनमाथण (Word Formation) – शब्द मनिााण रुपमवज्ञान के
अंतगात अध्ययन मकया जाने वाला एक िहत्वपूणा प्रमिया है। इसके अंतगात
इस बात का अध्ययन मकया जाता है मक मकसी भाषा िें शब्द मनिााण की क्या
प्रमिया है। मकसी भाषा िें कोई शब्द कै से बनता है?
शब्द मनिााण के मनम्नमलमखत प्रमिया है :-
1. जोड़कर – मकसी शब्द या िुक्त रूमपि िें कोई िुक्त या बद्ध रूमपि
जोड़कर नया शब्द बनाया जाता है। मकसी शब्द िें िुख्यतः उपसगा या
प्रत्यय जोड़करनया शब्द बनाया जाता है।
उपसगथ – उपसगा वे शब्दांश होते है जो मकसी शब्द के पहले
लगाया जाता है और वह उस शब्द के पहले लगकर शब्द का
अथा बदल देता है। जैसे – कु, सु, अ, उप आमद। िागा शब्द िें कु
उपसगा जोड़ने से वह कुिागा बन जाता है एवं जब हि इसिें सु
उपसगा जोड़ते है तो वह सुिागा बन जाता है।
प्रत्यय – प्रत्यय वे शब्दांश है जो मकसी शब्द के अंत िें लगकर
उस शब्द का अथा बदल देता है। जैसे- वाद, ता, ईय आमद।
सिाज शब्द के साथ जब वाद प्रत्यय जुड़ता है तो वह सिाजवाद
बन जाता है।
बद्ध रूमपि िुख्यतः दो प्रकारके होते है – रूपसाधक एवं व्युत्पादक।
रुपसाधक – रुपसाधक रूमपि उस रूमपि को कहते है जो मकसी िुक्त
रूमपि के साथ जुड़कर उसके मलंग, पुरुष या वचन को बदल देता है ।
जैसे – लड़का – लड़की, लड़के ।
व्युत्पादक – व्युत्पादक रूमपि उस रूमपि को कहते है जो मकसी िुक्त
रूमपि के साथ जुड़कर उसका शब्द भेद अथाात पाट्ास ऑफ स्पीच बदल
देता है। जैसे यमद इस प्रकार के रूमपि को मकसी संज्ञा रूमपि के साथ
जोड़ा जाता है तो वह रूमपि को मवशेषण िें बदल देता है ।
जैसे – सिाज + इक = सािामजक
1. आगम शब्द – मकसी भाषा के संपका िें जब कोई अरय भाषा आता है उन
दोनों भाषाओं के बीच शब्दों का आदान-प्रदान होता है। जैसे – अंग्रेजी भाषा
से महंदी भाषा िें आने वाले शब्द स्कूल, डॉक्टर, स्टेशन आमद। फारसी से
महंदी भाषा िें आने वाले शब्दमकताब, अखबार आमद।
5. (vi) शब्द विश्लेषण (Word Analysis) – भाषामवज्ञान िें शब्द
मविेषण का अथा है उस शब्द का मविेषण करना मक उस शब्द का िूल
शब्द क्या है? उसिें उपसगा एवं प्रत्यय के रूप िें क्या-क्या जुड़ा है। जो उपसगा
या प्रत्यय जुड़ा है वह रुपसाधक है या व्युत्पादक।
(vii) शब्द भेद –
व्युत्पवि के आधार पर शब्द तीन प्रकार के होते है :-
1. रूढ शब्द – रूढ शब्द वो शब्द होते है, मजसका और टुकड़ा करना
संभव न हो, अगर हि इन शब्द का टुकड़ा करते है तो वह अथाहीन हो
जाएगा। जैसे- घर, गाड़ी,मकताब।
2. यौवगक शब्द – यौमगक शब्द वे शब्द होते है जो दो या दो से अमधक
शब्द से मिल कर बना होता है और हि यौमगक शब्द को टुकड़े िें तोड़
सकते है। जैसे – महिालय, देवेंि, िालगाड़ी,डाकघरआमद।
3. योगरूढ शब्द – योगरूढ शब्द वे शब्द होते है जो दो या दो से अमधक
रूढ शब्द से मिलकर बना होता है लेमकन ये शब्द अपना सािारय अथा
छोड़कर एक मवशेष अथा के मलए प्रयोग िें लाया जाता है। जैसे – मजतेंि
अथाात मजसने इरि पर जीत दजा की इसका अथा िेघनाद मलया जाएगा।
उत्पवत्त के आधार पर शब्दके चार भेद होते है :-
2. ित्सम शब्द – तत्सि शब्द वो शब्द होते है जो संस्कृत भाषा से महंदी भाषा
उसी रूप िें प्रयोग होता है जैसा संस्कृत िें प्रयोग होता है। जैसे – अमनन, जल
आमद।
3. िद्भि शब्द - तद्भव शब्द वो शब्द होते है जो संस्कृत भाषा से महंदी िें कुछ
बदलाव करके प्रयोग िें लाया जाता है या यों कहे मक तत्सि का मबगड़ा
हुआ रूप तद्भव है। जैसे एक तत्सि शब्द अमनन है उस शब्द का तद्भव आग
है।
4. देशज शब्द – देशज शब्द वो शब्द होते है जो बोलचाल की भाषा िें प्रयोग
िें लाया जाता है। जैसे – लोटा, मडमबया, खमटया आमद।
5. विदेशज शब्द – मवदेशज शब्द वे शब्द होते है जो मकसी मवदेशी भाषा से
महंदी भाषा िें आया है और अब उसे महंदी िें प्रयोग मकया जाने लगा। जैसे –
अंग्रेजी भाषा से महंदी भाषा िें आने वाले शब्द स्कूल, डॉक्टर, स्टेशन आमद।
फारसी से महंदी भाषा िें आने वाले शब्द मकताब, अखबार आमद।