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संगोष्ठी-पत्र
प्रश्न-पत्र : शोध प्रविधध
विषय : िैज्ञाननक लेखन
मार्गदर्गक
र्मीम फातमा
कं प्यूटेर्नल भाषाविज्ञान विभार्
भाषा विद्यापीठ
प्रस्तुतकताग,
अममत कु मार झा
पी-एच॰डी॰(आई॰एल॰ई॰)
भाषा विद्यापीठ
महात्मा र्ांधी अंतरराष्ट्रीय हहन्दी विश्िविद्यालय, िधाग
महाराष्ट्र- 442205
 िैज्ञाननक लेखन
 िैज्ञाननक लेखन की विर्ेषताएँ
 िैज्ञाननक पत्र का विमभन्न तत्ि
 िैज्ञाननक लेखन का अर्ग है विज्ञान के मलए लेखन।
 विज्ञान लेखन का अर्ग है, विज्ञान, आयुविगज्ञान,
प्रौद्योगर्की के बारे में सामान्य जनता के पढ़ने के मलये
मलखना ।
 िैज्ञाननक लेखन पत्रत्रकाओं, समाचारपत्रों, लोकवप्रय पुस्तकों,
संग्रहालय की दीिारों, टीिी और रेडडयो कायगक्रमों तर्ा
इन्टरनेट आहद माध्यमों पर प्रकामर्त हो सकता है।
 १. िैज्ञाननक लेखन की भाषा अगधक कहठन नहीं होनी
चाहहए।
२. उसमें अनािश्यक वििरण नहीं होने चाहहए।
३. उसमें मूल मसद्धांतों की सही-सही और सटीक व्याख्या
की जानी चाहहए।
४. उसमें भाषार्त स्पष्ट्टता और र्ररमा का ननिागह ककया
जाना चाहहए।
५. उसमें विषय को पयागप्त उदाहरणों द्िारा पुष्ट्ट ककया
जाना चाहहए।
 अपने ककसी काम को ककसी और के सार् साझा करने के
मलए।
 काम के र्ुणों और अिर्ुणों का पता लर्ाने के मलए।
 नए र्ोधकताग के फायदे के मलए।
 Title
 Abstract
 Keywords
 Introduction
 Method
 Results
 Discussion
 Works Cited
 Appendices
 सही शीषषक का चुनाि विषय िस्तु को ध्यान में रख कर
ककया जाए।
 शीषषक ऎसा हो जजससे शोध ननबंध का उद्देश्य अच्छी
तरह से स्पष्ट हो रहा हो।
 शीषषक न तो अधधक लंबा ना ही अधधक छोटा हो।
 शीषषक में ननबंध में उपयोग ककए गए शब्दों का ही जहााँ
तक हो सके उपयोग हॊ।
 शीषषक भ्रामक न हो।
 शीषषक को रोचक अथिा आकषषक बनाने का प्रयास होना
चाहहए।
 शीषषक का चुनाि करते समय शोध प्रश्न को ध्यान में रखा
जाना आिश्यक है।
 शोध प्रश्न को यहााँ स्पष्ट करें।
 भूममका न तो बहुत बड़ी होनी चाहहए न ही छोटी।
 भूममका में शोध विषय के बारे में संक्षिप्त पररचय हदया जाता
है।
 भूममका को रोचक बनाने का प्रयास होना चाहहए।
 भूममका में उस विषय पर पूिष में ककए गए कायष को भी बताया
जा सकता है।
 विषय से जुड़ी हुईं अन्य बातें जैसे देश/प्रदेश/भाषा/जीिन की
जानकारी भी दी जा सकती है।
 आमतौर पर भूममका ऎसी होनी चाहहए जजससे कॊई भी पाठक (
चाहे िह ककसी भी विषय का विद्याथी हो) विषय के बारे में
जानकारी ले सके ।
 प्राकल्पना (Hypothesis) को यहााँ मलखा जाए।
 आप आगे के पृष्ठों में क्या मलखने िाले हैं इसके बारे में भी
एक छोटा सा पररचय दें।
 इस भार् में उन सभी र्ब्दों की सूची दी जाती है जजसे
र्ोध पत्र में मुख्य रूप से प्रयोर् ककया र्या है।
 यह प्रस्तािना के बाद एिं मुख्य भार् से पहले होता है।
 मुख्य भाग में विषय-िस्तु की व्याख्या की जाती है।
 यह भाग आमतौर पर कई अन्य छोटे-छॊटे भागों
(उपशीषषकों के साथ) में बंटा होता है।
 उपशीषषकों का चयन शोध की विषय-िस्तु को ध्यान में
रख कर ककया जाना चाहहए।
 मुख्य भाग में तामलकाओं, धचत्रों, आरेखों आहद को हदया जा
सकता है।
 मुख्य भाग विश्लेषण ककया जाता है।
 इसमें र्ोध के विगध की चचाग की जाती है।
 र्ोध विगध का चुनाि र्ोध विषय के आधार पर ककया
जाता है।
 र्ोध विगध के चुनाि के मलए साहहत्य पुनरािलोकन करना
जरूरी होता है।
 यहााँ शोध का सार (summary) मलखा जाता है।
 यहााँ आपके शोध प्रश्न का उत्तर होता है।
 ननष्कषष मुख्य भाग में ककए गए विश्लेषण अथिा
व्याख्या पर ही आधाररत होना चाहहए।
 ननष्कषष संक्षिप्त होना चाहहए।
 संदभष सूची में उन पुस्तकों, पत्रत्रकाओं, समाचार पत्रों, अप्रकामशत
पांडुमलवपयों, शोध लेखों का वििरण हदया जाता है जजनका आपने
शोध में उपयोग ककया है।
 संदभष सूची में जहााँ तक संभि हो पुस्तक अथिा शोध लेख के नाम
के साथ लेखक, िषष, प्रकाशक, स्थान तथा पृष्ठ संख्या का उल्लेख
अिश्य होना चाहहए।
 संदभष सूची में इंटरनेट की िेबसाईटॊं का भी उल्लेख ककया जा सकता
है। उनकी पूरी कड़ी (link) के साथ उस िेबसाईट को ककस तारीख
को देखा गया है, इसका उल्लेख ब्रैके ट में करें।
 प्रबंध के अंत में
 अध्याय के अंत में
 उद्धरण की समाजप्त पर
 पाद हटप्पणी में
• उद्धृत कार्य के सूची में वे सभी कार्य आएंगे जो शोध पत्र लिखने के
दौरान लकर्ा गर्ा।
• इसे MLA फॉमेट में लिखा जाता है।
 पररमर्ष्ट्ट ककसी भी र्ोध पत्र की सहायक सामग्री होती है
जजसे र्ोध पत्र के अंत में हदया जाता है।
 इसमें मुख्यतः चाटग, टेबल, डायग्राम होता है जो र्ोध को
समझने के जरूरी होता है।
 पररमर्ष्ट्ट में कोई अत्यंत महत्िपूणग जानकारी नहीं होती है
इसे चाहे तो हटाया भी जा सकता है।
 ककसी और के काम को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपना
काम बताकर पेर् करना, साहहजत्यक चोरी कहलाता है।
 यह ररसचग नीनत के खखलाफ है।
 इससे बचने के मलए अर्र आप ककसी के काम का प्रयोर्
अपने र्ोध में करते है तो उसका refrence देना आिश्यक
होता है।
 क्लास नोट्स
 http://libguides.usc.edu/writingguide/appendices
 http://pediaa.com/how-to-write-an-appendix-for-a-
research-paper/
Scientific Research methodology

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Scientific Research methodology

  • 1. संगोष्ठी-पत्र प्रश्न-पत्र : शोध प्रविधध विषय : िैज्ञाननक लेखन मार्गदर्गक र्मीम फातमा कं प्यूटेर्नल भाषाविज्ञान विभार् भाषा विद्यापीठ प्रस्तुतकताग, अममत कु मार झा पी-एच॰डी॰(आई॰एल॰ई॰) भाषा विद्यापीठ महात्मा र्ांधी अंतरराष्ट्रीय हहन्दी विश्िविद्यालय, िधाग महाराष्ट्र- 442205
  • 2.  िैज्ञाननक लेखन  िैज्ञाननक लेखन की विर्ेषताएँ  िैज्ञाननक पत्र का विमभन्न तत्ि
  • 3.  िैज्ञाननक लेखन का अर्ग है विज्ञान के मलए लेखन।  विज्ञान लेखन का अर्ग है, विज्ञान, आयुविगज्ञान, प्रौद्योगर्की के बारे में सामान्य जनता के पढ़ने के मलये मलखना ।  िैज्ञाननक लेखन पत्रत्रकाओं, समाचारपत्रों, लोकवप्रय पुस्तकों, संग्रहालय की दीिारों, टीिी और रेडडयो कायगक्रमों तर्ा इन्टरनेट आहद माध्यमों पर प्रकामर्त हो सकता है।
  • 4.  १. िैज्ञाननक लेखन की भाषा अगधक कहठन नहीं होनी चाहहए। २. उसमें अनािश्यक वििरण नहीं होने चाहहए। ३. उसमें मूल मसद्धांतों की सही-सही और सटीक व्याख्या की जानी चाहहए। ४. उसमें भाषार्त स्पष्ट्टता और र्ररमा का ननिागह ककया जाना चाहहए। ५. उसमें विषय को पयागप्त उदाहरणों द्िारा पुष्ट्ट ककया जाना चाहहए।
  • 5.  अपने ककसी काम को ककसी और के सार् साझा करने के मलए।  काम के र्ुणों और अिर्ुणों का पता लर्ाने के मलए।  नए र्ोधकताग के फायदे के मलए।
  • 6.  Title  Abstract  Keywords  Introduction  Method  Results  Discussion  Works Cited  Appendices
  • 7.  सही शीषषक का चुनाि विषय िस्तु को ध्यान में रख कर ककया जाए।  शीषषक ऎसा हो जजससे शोध ननबंध का उद्देश्य अच्छी तरह से स्पष्ट हो रहा हो।  शीषषक न तो अधधक लंबा ना ही अधधक छोटा हो।  शीषषक में ननबंध में उपयोग ककए गए शब्दों का ही जहााँ तक हो सके उपयोग हॊ।  शीषषक भ्रामक न हो।  शीषषक को रोचक अथिा आकषषक बनाने का प्रयास होना चाहहए।  शीषषक का चुनाि करते समय शोध प्रश्न को ध्यान में रखा जाना आिश्यक है।
  • 8.  शोध प्रश्न को यहााँ स्पष्ट करें।  भूममका न तो बहुत बड़ी होनी चाहहए न ही छोटी।  भूममका में शोध विषय के बारे में संक्षिप्त पररचय हदया जाता है।  भूममका को रोचक बनाने का प्रयास होना चाहहए।  भूममका में उस विषय पर पूिष में ककए गए कायष को भी बताया जा सकता है।  विषय से जुड़ी हुईं अन्य बातें जैसे देश/प्रदेश/भाषा/जीिन की जानकारी भी दी जा सकती है।  आमतौर पर भूममका ऎसी होनी चाहहए जजससे कॊई भी पाठक ( चाहे िह ककसी भी विषय का विद्याथी हो) विषय के बारे में जानकारी ले सके ।  प्राकल्पना (Hypothesis) को यहााँ मलखा जाए।  आप आगे के पृष्ठों में क्या मलखने िाले हैं इसके बारे में भी एक छोटा सा पररचय दें।
  • 9.  इस भार् में उन सभी र्ब्दों की सूची दी जाती है जजसे र्ोध पत्र में मुख्य रूप से प्रयोर् ककया र्या है।  यह प्रस्तािना के बाद एिं मुख्य भार् से पहले होता है।
  • 10.  मुख्य भाग में विषय-िस्तु की व्याख्या की जाती है।  यह भाग आमतौर पर कई अन्य छोटे-छॊटे भागों (उपशीषषकों के साथ) में बंटा होता है।  उपशीषषकों का चयन शोध की विषय-िस्तु को ध्यान में रख कर ककया जाना चाहहए।  मुख्य भाग में तामलकाओं, धचत्रों, आरेखों आहद को हदया जा सकता है।  मुख्य भाग विश्लेषण ककया जाता है।
  • 11.  इसमें र्ोध के विगध की चचाग की जाती है।  र्ोध विगध का चुनाि र्ोध विषय के आधार पर ककया जाता है।  र्ोध विगध के चुनाि के मलए साहहत्य पुनरािलोकन करना जरूरी होता है।
  • 12.  यहााँ शोध का सार (summary) मलखा जाता है।  यहााँ आपके शोध प्रश्न का उत्तर होता है।  ननष्कषष मुख्य भाग में ककए गए विश्लेषण अथिा व्याख्या पर ही आधाररत होना चाहहए।  ननष्कषष संक्षिप्त होना चाहहए।
  • 13.  संदभष सूची में उन पुस्तकों, पत्रत्रकाओं, समाचार पत्रों, अप्रकामशत पांडुमलवपयों, शोध लेखों का वििरण हदया जाता है जजनका आपने शोध में उपयोग ककया है।  संदभष सूची में जहााँ तक संभि हो पुस्तक अथिा शोध लेख के नाम के साथ लेखक, िषष, प्रकाशक, स्थान तथा पृष्ठ संख्या का उल्लेख अिश्य होना चाहहए।  संदभष सूची में इंटरनेट की िेबसाईटॊं का भी उल्लेख ककया जा सकता है। उनकी पूरी कड़ी (link) के साथ उस िेबसाईट को ककस तारीख को देखा गया है, इसका उल्लेख ब्रैके ट में करें।
  • 14.  प्रबंध के अंत में  अध्याय के अंत में  उद्धरण की समाजप्त पर  पाद हटप्पणी में
  • 15. • उद्धृत कार्य के सूची में वे सभी कार्य आएंगे जो शोध पत्र लिखने के दौरान लकर्ा गर्ा। • इसे MLA फॉमेट में लिखा जाता है।
  • 16.  पररमर्ष्ट्ट ककसी भी र्ोध पत्र की सहायक सामग्री होती है जजसे र्ोध पत्र के अंत में हदया जाता है।  इसमें मुख्यतः चाटग, टेबल, डायग्राम होता है जो र्ोध को समझने के जरूरी होता है।  पररमर्ष्ट्ट में कोई अत्यंत महत्िपूणग जानकारी नहीं होती है इसे चाहे तो हटाया भी जा सकता है।
  • 17.  ककसी और के काम को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपना काम बताकर पेर् करना, साहहजत्यक चोरी कहलाता है।  यह ररसचग नीनत के खखलाफ है।  इससे बचने के मलए अर्र आप ककसी के काम का प्रयोर् अपने र्ोध में करते है तो उसका refrence देना आिश्यक होता है।
  • 18.  क्लास नोट्स  http://libguides.usc.edu/writingguide/appendices  http://pediaa.com/how-to-write-an-appendix-for-a- research-paper/