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अनेकता में एकता
हमारा दे श भारत विश्वमें वििश्रेष्ठहै, अनेकता में एकता ही इिकी अखंड पहचान है जो इिे
विश्वक
े अन्यदे शों िे अलग बनाती है क
् ोोिक अन्यदे शों में भारत की तरह अलग-अलग मजहब
और ध
म
िको मानने वोोाले लोग एकजुट होकर इि तरह प्रेम,भाईचारे और िद्भावो िे नही ों
रहते हैं।
इििलए भारतीय िंस्क
ृ ित की िमिाल विश्व भर में दी जाती है। यहां अलग-अलग धमों क
े
रहने वोोाले लोगों क
े त्योहार, रीित-ररराज, पहनावोोा, बोली आिद में काफी विवििधता
होने क
े बाबजूद भी िभी मजहब क
े लोग अपने-अपने तरीक
े िे रहते हैं और अपनी
परं परा और रीित-ररराजों क
े िाथ अपने त्योहार मनाते हैं।
भारत एक ऐिा दे श है, जहां दीपावोली और ईद में िजतनी रौनक रहती है, उतनी ही रौनक
वििमि औऱ गुरु वपिमें भी दे खने को िमलतीहै। भले ही िभी धमों क
े अपने-अपने
ििद् ोाों त हो, लेिकन यहां रहने वोोाले िभी ध
म
िक
े लोगों का ि
ि
फ
ि एक ही लक्ष्य
भवगान की प्राप्ति है।
ध्यान देने वोोाली बात यह है िक भारत की धरा पर प्रारं भ हुई इि
िनातन िंस्क
ृ ितक
े बाद अप्तित्व में आई िमस्र,यूनान और बेबीलोन की
िभ्यतायें िमय क
े िाथ नष्ट हो गई लेिकन भारतीय िंस्क
ृ ितित्यं,
िवशम, िुन्दरम क
े अपने मंत्र क
े िाथ आज तक फल—फ
ू ल रही है.
इिी महान िंस्क
ृ ित ने ित्यमेवो जयते, अिहंिा परमोधमि और
वोिुधैवो क
ु टुम्बकम जैिे पाठ पूरी दुिनया को पढाये.
अनेकता में एकता का
ििद् ोाों त
अनेकता में एकता ही भारत की पहचान:
भारत में “अनेकता में एकता” इिकी मूल पहचान है और यह भारतीय िंस्क
ृ ितऔर परं परा को
िबिे अलग वएं िमृद् बनाने में मद्दकरती है। हमारा देश भारत अनेकता में एकता की िमिाल
है क
् ोोिक भारत ही एक ऐिा देश है जो इि वअधारणा को बेहतरीन तरीक
े िे िािबत करता
है।
िही मायने में अ
न
क
े ता में एकता ही भारत की अखंड शप्ति और मजबतीो
ू है, जो भारत को
विकाि क
े पथ पर आगे बढाती है और इिकी एक अलग पहचान बनाती ह।ो
ै ो
ं
भारत में कई अलग-अलग प्रातं हैं, िजिमें रहने वोोाले िभी लोगों की भाषा, जाित,
धम,
ि
परं परा, पहनावोोा आिद में काफी अतरं है जो िक(बगालीं ,
राजस्थानी, मारराडी, पजाबीं ,
तिमलीयन, महाराष्टरोीयन) आिद क
े रुपो में जाने जाते हैं, जो अपने आप को भारतीय कहते
हैं और यही भारत में अ
न
क
े ता में एकता को दशाताि ह।ो
ै
भारत में िहन्दू , मुप्तिम, ििक्ख, ईिाई िभी ध
म
िक
े लोग आपि में प्रेम, भाईचारे और
िद्भावो क
े िाथ रहते हैं और एक-दू िरे क
े मजहब, धम,
ि परं परा और भाषा का
आदर करते हैं, एक – दू िरे को प्यार िे अपनाते हैं, यही भारत की िबिे बडी विशषताो
े
है, जो िकअपने आप में अिद् तीय और अनठीो
ू ह।ो
ै
अनेकता में एकता का महत्व
देश की आजादी िे पहले जब भारत, अंग्रेजों का गुलाम था और अंग्रजों क
े अत्याचारों और अिहनीय पीडा को िह रहा
था, उि दौरान िभी भारतीयों क
े अंदर स्वतंत्रता पाने की इच्छा जागृत हुई और िफर आजादी पाने क
े िलए काफी िालो
तक िंघषिकी लडाई लडी।
इि लडाई में िभी भारतीयों ने एकता को अपना िबिे बडा हिथयार मानकर िजि तरह अंग्रेजों को भारत िे खदेड कर
बाहर फ
ें का और स्वाधीनता हाििल की, इिे अनेकता में एकता क
े महत्व का पता लगाया जा िकता है।
•अनेकता में एकता बरीो
ु िे बरीो
ु पररिस्थित िे उभरने में मद्दकरता ह।ो
ै
•इििे लोगों क
े अदरं एक-दू िरे क
े प्रितिम्मान और प्र
मे की भावोना विकिित होती है और लोग एक-दू िरे क
े
करीब आते ह।ो
ै ो
ं
•आपिी ररश्ोोो
ं और भावोनाओं को और अिधक मजबतीो
ू िमलती है, इििे
जीवोन शलीो
ै , का
य
क
ि ो
ु शलता, और उत्पादकता में िधारु आता है और देश क
े
विकाि को बल िमलता ह।ो
ै
•“विविधता में एकता” िे लोगों को टीम वो क ि करने में मद्दिमलती है और
उनक
े अदरं आत्मविश्वाि वएं मनोबल
बढता ह।ो
ै
•विविधता में एकता िे ही लोगों को एक – दू िरे क
े िाथ प्र
मे भावो िे रहने में मद्दिमलती है और मप्तिलोो
ु ो
ं िे लडने
की िहम्मत िमलती ह।ो
ै
भौगोलिक एकता
▶ भारत की जवलाय,ोु वोनस्पित और खिनज िम्पदा में िभन्नता है, िफर भी प्राक
ृ ितक िीमाओं ने भारत को एकता क
े ित्रू
में बाधााँ रखा है. िहन्द महािागर क
े उत्तर और िहमालय वप
त
िक
े दविण में िस्थतयह देश हमशाो
े एक माना गया है. वोो
े
िभी भारतीय हैं जो इि देश में िवनाि करते हैं.
▶ यहाााँ की प्रक
ृ ित, निदयो,ो
ं पहाडों पहािडयो,ो
ं झरने और लहलहाते खेतो,ों घने बागों आिद स्थानों िे जडावोो
ु
िबको रहा है. िहमालय िे लक
े र िहन्द महािागर तक हमारा देश िास्क
ं ोृ ितक दृिष्टिे
एक ही है-
▶ गंगा च यमनेु वचै गोदावोरी िरस्वती
▶ नमदि ो
े ििन्धु कावोरीो
े जलप्तिने ििन्निधक
ु रूम।
▶ इि श्लोक में उत्तरभारत और दविण भारत की निदयों का वो र ण एक िाथ िकयागया है. इिी प्रकारवप तो ि ो
ं क
े नाम
वो र ण में भी िा
स्क
ं ो
ृ ितक एकता क
े द
श
न
ि होते हैं-
▶ महन्द्रोो
े मलय ित्वः शप्तिमान वि वप तः ि
▶ विध्यश्चं पररयातश्चु वि ते ो
ै क
ु ल वप तः ि
▶ भारत की िास्क
ं ोृ ितक धोितका वि नगररयों का वो र ण भी एक िाथ िकयाजाता है-
▶ अयोध्या, मथुरा माया, च काशी काचींवअप्तिका
▶ पराो
ु द्वारावोतीवचै वि ते ो
ै मोवो दाियकाः ।
भारत बहुभाषी दे श है. यहाााँ िैकडों बोिलयाााँ बोली जाती
हैं, िहन्दी हमारी राष्टभाषा है. इन िब भाषाओं का स्रोत प्राक
ृ
त, िंस्क
ृ त और पाली है. अिधकांश भाषाओं की वोणिमाला
और व्याकरण िमान है. िंस्क
ृ त भाषा ने दविण भारत की
भाषाओं और उनक
े िािहत्य को भी प्रभावित िकयाहै.
भाषायी एकता
सामालिक
एकता
िमूचे दे श में वोणिप्तव्यस्था, जन्ममरण और विवोोाह क
े िंस्कार,
अनुष्ठान आिदिमान रू प िे प्रचिलतहैं. जो विदेशी तत्वभारत में आये
वोोे भी भारतीय िंस्क
ृ ितमें िमा गए. यही कारण है िकखानपान
रहन-िहन, रीित-ररराज, वििध-विधान भारत क
े वििभन्नभागों तथा
िमुदायों में प्रायः िमान है.
त्यौहारोोोोंऔर उत्सवोोोोंकी अनेकता में
एकता
▶ भारत उप्त्ों और त्यौहारों का देश है. यहाााँ पर वििभन्नधमों क
े लोग वििभन्नत्यौहार जिेो
ै -रराबधन,
ो
ं
दीपावोली, दशहरा, ईदुलजहाोु , मोहरिम, वि ि म ि डे , दुगाि पजा,
ो
ू गणगौर,
पोगल आिद त्यौहार मनाते हैं.
▶ रामवनमी, िवशराित्र, महावोोीर ज वयी , बद् ो
ु ज वयी आिद पर उप्त्ों का आयोजन िकयाजाता है. ये
िभी उप्त् वएं त्यौहार भारत की वििभन्निस्क
ं ो
ृ ितयों क
े पररचायक हैं, इनका देश की जवलाय,
ोु
िस्क
ं ो
ृ िततथा इितहाि िे अटू ट िम्बन्ध है. वििभन्नधमावोलम्बीि
इनक
े आयोजनों में भाग लतेो
े रहे है.
▶ उदाहरणस्वरूप रराबधनं का त्यौहार अ
था
त
ि राखी, ध
म
ििम्प्रदाय, भाषा, प्रातं और देश-विदेश की िीमाएं नही
देखती, बप्ति हमें एक-दू िरे क
े दुःख द
द
ि में शरीक करक
े परस्पर स्नेह क
े बधनं में बाधााँ ती चली जाती है.
▶ रानी करवणती ने बहादुरशाह क
े वआ म ण िे स्वररा क
े िलए हुमायूााँ को राखी भेजी थी और राखी बधनं िे भाई
बनाकर उििे िहायता मागीााँ थी. इििे ििद् होता है िक यहाााँ क
े त्यौहार वििभन्न जाितयों की रा
ष्ट
रोीय एकता क
े
प्रतीक हैं.
धािलमक
एकता
▶ िजन धमों का उदय भारत में हुआ (जिेो
ै िहन्दू , ज
नै , बौद् , ििखआिद)वोो
े प्राचीनमूल आध्याित्मक
तत्वों िे ही िनकले हैं अतवए उनक
े उपदेशों में वआररक िमानता है. अन्य धमों ने (जिेो
ै वइा म , ईिाई तथा
पारिी) अपने आपको भारतीय
पररिस्थितयों क
े अ
न
क
ु ो
ू ल ढाल िलया िजििे वोोे ध
म
िभारत में फल-ो
े फ
ू ले हैं. इन वििभन्नधमों क
े मतावोलम्बी देश क
े
ि वम भागो में हैं.
▶ िकतनी जाितयाााँ यहाााँ घलीो
ु -िमली.ों उनकी अलग पहचान नही ों रह गई. गंगा की धारा में िजतनीनिदयाााँ
िमलींिभी गंगा हो गईो
ं . भारतीय िस्क
ं ो
ृ ितकी िबिे बडी विशषताो
े यह है िकयह परायापन नहीो
ं
देखती, न मनष्यु की िकिीअन्य प्रजाित में, न जीवो जगत में.
▶ अकबर क
े फतहपरुो
े िीकरी में जोधाबाई का महल और मधबनीो
ु का
विवोोाह मंडप दोनों ही इि देश क
े भीतरी िस्कारं को रूपाियत करते हैं. एक में फ
ू ल पित्तयों की िजावोट
है तो दू िरे में नक्काशी क
े बलबटोो
ू ो
े ो
ं की. अकबर ने राम-जानकी क
े ि
ि
क्क
ढवलाये थे.
▶ उत्तर भारत में िस्थत बद्रीनाथ, पिश्च
मभारत में द्वारका, दविण भारत में रामश्वरम्ो
े और पूवोि भारत में परीोु िहन्दू ध
म
ि
क
े म
हा
नतीथि हैं. इनक
े वअगति ि वम देश िमा जाता है. ये तीथि भारत की िा
स्क
ं ो
ृ ितक एकता और अखण्डता क
े
ि वश प्रमाण हैं. िजन निदयों का उल्लेख दैिनक प्राथिनाओं में िकया जाता है, वोो
े भी भारत की मौिलक एकता की
पररचायक हैं.
लका की िविवधताऔर एकता
▶ भारत की प्राचीन मूितिकलाएं तथा िचत्रकलाएं विश्वविख्यात है. िहन्दुओं क
े मिन्दरविशुद्
भारतीय शैली क
े बने हुए हैं, उनमें जाितऔर ध
म
िका कोई भेदभावो नही ों है. िभी
मिन्दरोंमें मूितियों क
े िलए गभिगृह है. खजुराहो, िोमनाथ, काशी, रामेश्वरम्, कोणाकि
आिद क
े मिन्दर
उल्लेखनीय कलाओं क
े नमूने हैं. मध्यकाल में इि कला का ि
म्प
क
ि मुप्तिम कला िे हुआ
िजिक
े पररणामस्वरूप दुगि, मकबरे , मिजस्दें आिद बने. इन कलाओं क
े ि
म्प
क
ि क
े
पररणामस्वरूप फतेहपुर िीकरी का विश्वप्रििद् बुलन्द दरराजा तथा िंिार क
े 8 आश्चयों
में िे एक आ
श्च
य
िताजमहल का िनमािणभी भारत में ही हुआ है.
सोोोंगीत में
एकता
▶ िंगीत का तात्पयिवोोादन और नतिनिे है. वइा म में िंगीत को िनिषद् माना गया है
िफरभी मध्यकाल में िंगीत का कािबले तारीफ विकाि हुआ है.
▶ इि पहचान क
े कारण क
ु छ नकली भेद क
ु छ विशेष वोोे त्रों में िकएपर िहन्दू ,
कविता, मुप्तिम कविता या मुप्तिम िंगीत, िहन्दू िंगीत जैिे भेद विकिित
नहीों हुए…
▶ अकबर क
े दरबार में 36 उच्चकोिट क
े गायक थे, िजिमें तानिेन और बैजूबावोरा
उल्लेखनीय हैं. िूफी िंत गजल और कब्बाली क
े रू प में खुदा की इबादत करते थे
तो वभ िंतों ने भजन और कीतिन क
े िलए िंगीत का उपयोग िकया.
मध्यकालीीीन समन्वयता या
एकता
▶ मध्यकाल में जब दू िरी जाितयाााँ भारत में आकर बिने लगीो
ं उि िमय िहन्दुओं में अ
न
क
े जाितया,ोाो
ाँ
िम्प्रदाय तथा प
थं थे तथा
छु आछु त प्रथा प्रचिलत थी. उि िमय क
े िहन्दू िमाज को एक ऐिा िमाज का िामना करना पडा िजिमें न तो जाित प्रथा
थी और न िामािजक भेदभावो था. इििे िहन्दुओं की वआररक शप्ति को जाग्रत करने में िहायता प्रावो हुई.
▶ धीरे -धीरे मुिलमान भी भारत को अपना देश िमझने लगे तथा धीरे -धीरे वोो
े िहन्दुओं क
े िनकट आने लगे. इि ि
म्प
क
ि
का प्रभावो दैिनक वियाओं तथा ध
म
ितक पडा.
विवोोाह क
े िमय मागााँ भरने की प्रथा मुिलमानी मिहलाओं में प्रचिलत हुई. िहन्द
मुिलमान एक-दू िरे क
े त्यौहारो,ो
ं उप्त्ों में ििम्मिलतहोने लगे जो आज भी जारी है.
▶ धीरे -धीरे एक-दू िरे ने एक-दू िरे क
े गुण-दोष दोनों अपना िलए. शायद दोष अिधक, पर क
ु ल ले देकर िाथ ब
ठ
क
ै र
एक- दू िरे क
े हाि-पररहाि तक में िहन्दू मुिलमान िमल गए.
▶ इि प्रकार हम कह िकते हैं िककई विषमताओं और िभन्नताओं क
े होते हुए भी भारतीय िस्क
ं ो
ृ ितमें मौिलक
एकता विद्यमान है. इि मौिलक एकता को कोई भी विद्वान अस्वीकार नहीो
ं करता है.
धप्तन्याद

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  • 1. अनेकता में एकता हमारा दे श भारत विश्वमें वििश्रेष्ठहै, अनेकता में एकता ही इिकी अखंड पहचान है जो इिे विश्वक े अन्यदे शों िे अलग बनाती है क ् ोोिक अन्यदे शों में भारत की तरह अलग-अलग मजहब और ध म िको मानने वोोाले लोग एकजुट होकर इि तरह प्रेम,भाईचारे और िद्भावो िे नही ों रहते हैं। इििलए भारतीय िंस्क ृ ित की िमिाल विश्व भर में दी जाती है। यहां अलग-अलग धमों क े रहने वोोाले लोगों क े त्योहार, रीित-ररराज, पहनावोोा, बोली आिद में काफी विवििधता होने क े बाबजूद भी िभी मजहब क े लोग अपने-अपने तरीक े िे रहते हैं और अपनी परं परा और रीित-ररराजों क े िाथ अपने त्योहार मनाते हैं। भारत एक ऐिा दे श है, जहां दीपावोली और ईद में िजतनी रौनक रहती है, उतनी ही रौनक वििमि औऱ गुरु वपिमें भी दे खने को िमलतीहै। भले ही िभी धमों क े अपने-अपने ििद् ोाों त हो, लेिकन यहां रहने वोोाले िभी ध म िक े लोगों का ि ि फ ि एक ही लक्ष्य भवगान की प्राप्ति है।
  • 2. ध्यान देने वोोाली बात यह है िक भारत की धरा पर प्रारं भ हुई इि िनातन िंस्क ृ ितक े बाद अप्तित्व में आई िमस्र,यूनान और बेबीलोन की िभ्यतायें िमय क े िाथ नष्ट हो गई लेिकन भारतीय िंस्क ृ ितित्यं, िवशम, िुन्दरम क े अपने मंत्र क े िाथ आज तक फल—फ ू ल रही है. इिी महान िंस्क ृ ित ने ित्यमेवो जयते, अिहंिा परमोधमि और वोिुधैवो क ु टुम्बकम जैिे पाठ पूरी दुिनया को पढाये. अनेकता में एकता का ििद् ोाों त
  • 3. अनेकता में एकता ही भारत की पहचान: भारत में “अनेकता में एकता” इिकी मूल पहचान है और यह भारतीय िंस्क ृ ितऔर परं परा को िबिे अलग वएं िमृद् बनाने में मद्दकरती है। हमारा देश भारत अनेकता में एकता की िमिाल है क ् ोोिक भारत ही एक ऐिा देश है जो इि वअधारणा को बेहतरीन तरीक े िे िािबत करता है। िही मायने में अ न क े ता में एकता ही भारत की अखंड शप्ति और मजबतीो ू है, जो भारत को विकाि क े पथ पर आगे बढाती है और इिकी एक अलग पहचान बनाती ह।ो ै ो ं भारत में कई अलग-अलग प्रातं हैं, िजिमें रहने वोोाले िभी लोगों की भाषा, जाित, धम, ि परं परा, पहनावोोा आिद में काफी अतरं है जो िक(बगालीं , राजस्थानी, मारराडी, पजाबीं , तिमलीयन, महाराष्टरोीयन) आिद क े रुपो में जाने जाते हैं, जो अपने आप को भारतीय कहते हैं और यही भारत में अ न क े ता में एकता को दशाताि ह।ो ै भारत में िहन्दू , मुप्तिम, ििक्ख, ईिाई िभी ध म िक े लोग आपि में प्रेम, भाईचारे और िद्भावो क े िाथ रहते हैं और एक-दू िरे क े मजहब, धम, ि परं परा और भाषा का आदर करते हैं, एक – दू िरे को प्यार िे अपनाते हैं, यही भारत की िबिे बडी विशषताो े है, जो िकअपने आप में अिद् तीय और अनठीो ू ह।ो ै
  • 4. अनेकता में एकता का महत्व देश की आजादी िे पहले जब भारत, अंग्रेजों का गुलाम था और अंग्रजों क े अत्याचारों और अिहनीय पीडा को िह रहा था, उि दौरान िभी भारतीयों क े अंदर स्वतंत्रता पाने की इच्छा जागृत हुई और िफर आजादी पाने क े िलए काफी िालो तक िंघषिकी लडाई लडी। इि लडाई में िभी भारतीयों ने एकता को अपना िबिे बडा हिथयार मानकर िजि तरह अंग्रेजों को भारत िे खदेड कर बाहर फ ें का और स्वाधीनता हाििल की, इिे अनेकता में एकता क े महत्व का पता लगाया जा िकता है। •अनेकता में एकता बरीो ु िे बरीो ु पररिस्थित िे उभरने में मद्दकरता ह।ो ै •इििे लोगों क े अदरं एक-दू िरे क े प्रितिम्मान और प्र मे की भावोना विकिित होती है और लोग एक-दू िरे क े करीब आते ह।ो ै ो ं •आपिी ररश्ोोो ं और भावोनाओं को और अिधक मजबतीो ू िमलती है, इििे जीवोन शलीो ै , का य क ि ो ु शलता, और उत्पादकता में िधारु आता है और देश क े विकाि को बल िमलता ह।ो ै •“विविधता में एकता” िे लोगों को टीम वो क ि करने में मद्दिमलती है और उनक े अदरं आत्मविश्वाि वएं मनोबल बढता ह।ो ै •विविधता में एकता िे ही लोगों को एक – दू िरे क े िाथ प्र मे भावो िे रहने में मद्दिमलती है और मप्तिलोो ु ो ं िे लडने की िहम्मत िमलती ह।ो ै
  • 5. भौगोलिक एकता ▶ भारत की जवलाय,ोु वोनस्पित और खिनज िम्पदा में िभन्नता है, िफर भी प्राक ृ ितक िीमाओं ने भारत को एकता क े ित्रू में बाधााँ रखा है. िहन्द महािागर क े उत्तर और िहमालय वप त िक े दविण में िस्थतयह देश हमशाो े एक माना गया है. वोो े िभी भारतीय हैं जो इि देश में िवनाि करते हैं. ▶ यहाााँ की प्रक ृ ित, निदयो,ो ं पहाडों पहािडयो,ो ं झरने और लहलहाते खेतो,ों घने बागों आिद स्थानों िे जडावोो ु िबको रहा है. िहमालय िे लक े र िहन्द महािागर तक हमारा देश िास्क ं ोृ ितक दृिष्टिे एक ही है- ▶ गंगा च यमनेु वचै गोदावोरी िरस्वती ▶ नमदि ो े ििन्धु कावोरीो े जलप्तिने ििन्निधक ु रूम। ▶ इि श्लोक में उत्तरभारत और दविण भारत की निदयों का वो र ण एक िाथ िकयागया है. इिी प्रकारवप तो ि ो ं क े नाम वो र ण में भी िा स्क ं ो ृ ितक एकता क े द श न ि होते हैं- ▶ महन्द्रोो े मलय ित्वः शप्तिमान वि वप तः ि ▶ विध्यश्चं पररयातश्चु वि ते ो ै क ु ल वप तः ि ▶ भारत की िास्क ं ोृ ितक धोितका वि नगररयों का वो र ण भी एक िाथ िकयाजाता है- ▶ अयोध्या, मथुरा माया, च काशी काचींवअप्तिका ▶ पराो ु द्वारावोतीवचै वि ते ो ै मोवो दाियकाः ।
  • 6. भारत बहुभाषी दे श है. यहाााँ िैकडों बोिलयाााँ बोली जाती हैं, िहन्दी हमारी राष्टभाषा है. इन िब भाषाओं का स्रोत प्राक ृ त, िंस्क ृ त और पाली है. अिधकांश भाषाओं की वोणिमाला और व्याकरण िमान है. िंस्क ृ त भाषा ने दविण भारत की भाषाओं और उनक े िािहत्य को भी प्रभावित िकयाहै. भाषायी एकता
  • 7. सामालिक एकता िमूचे दे श में वोणिप्तव्यस्था, जन्ममरण और विवोोाह क े िंस्कार, अनुष्ठान आिदिमान रू प िे प्रचिलतहैं. जो विदेशी तत्वभारत में आये वोोे भी भारतीय िंस्क ृ ितमें िमा गए. यही कारण है िकखानपान रहन-िहन, रीित-ररराज, वििध-विधान भारत क े वििभन्नभागों तथा िमुदायों में प्रायः िमान है.
  • 8. त्यौहारोोोोंऔर उत्सवोोोोंकी अनेकता में एकता ▶ भारत उप्त्ों और त्यौहारों का देश है. यहाााँ पर वििभन्नधमों क े लोग वििभन्नत्यौहार जिेो ै -रराबधन, ो ं दीपावोली, दशहरा, ईदुलजहाोु , मोहरिम, वि ि म ि डे , दुगाि पजा, ो ू गणगौर, पोगल आिद त्यौहार मनाते हैं. ▶ रामवनमी, िवशराित्र, महावोोीर ज वयी , बद् ो ु ज वयी आिद पर उप्त्ों का आयोजन िकयाजाता है. ये िभी उप्त् वएं त्यौहार भारत की वििभन्निस्क ं ो ृ ितयों क े पररचायक हैं, इनका देश की जवलाय, ोु िस्क ं ो ृ िततथा इितहाि िे अटू ट िम्बन्ध है. वििभन्नधमावोलम्बीि इनक े आयोजनों में भाग लतेो े रहे है. ▶ उदाहरणस्वरूप रराबधनं का त्यौहार अ था त ि राखी, ध म ििम्प्रदाय, भाषा, प्रातं और देश-विदेश की िीमाएं नही देखती, बप्ति हमें एक-दू िरे क े दुःख द द ि में शरीक करक े परस्पर स्नेह क े बधनं में बाधााँ ती चली जाती है. ▶ रानी करवणती ने बहादुरशाह क े वआ म ण िे स्वररा क े िलए हुमायूााँ को राखी भेजी थी और राखी बधनं िे भाई बनाकर उििे िहायता मागीााँ थी. इििे ििद् होता है िक यहाााँ क े त्यौहार वििभन्न जाितयों की रा ष्ट रोीय एकता क े प्रतीक हैं.
  • 9. धािलमक एकता ▶ िजन धमों का उदय भारत में हुआ (जिेो ै िहन्दू , ज नै , बौद् , ििखआिद)वोो े प्राचीनमूल आध्याित्मक तत्वों िे ही िनकले हैं अतवए उनक े उपदेशों में वआररक िमानता है. अन्य धमों ने (जिेो ै वइा म , ईिाई तथा पारिी) अपने आपको भारतीय पररिस्थितयों क े अ न क ु ो ू ल ढाल िलया िजििे वोोे ध म िभारत में फल-ो े फ ू ले हैं. इन वििभन्नधमों क े मतावोलम्बी देश क े ि वम भागो में हैं. ▶ िकतनी जाितयाााँ यहाााँ घलीो ु -िमली.ों उनकी अलग पहचान नही ों रह गई. गंगा की धारा में िजतनीनिदयाााँ िमलींिभी गंगा हो गईो ं . भारतीय िस्क ं ो ृ ितकी िबिे बडी विशषताो े यह है िकयह परायापन नहीो ं देखती, न मनष्यु की िकिीअन्य प्रजाित में, न जीवो जगत में. ▶ अकबर क े फतहपरुो े िीकरी में जोधाबाई का महल और मधबनीो ु का विवोोाह मंडप दोनों ही इि देश क े भीतरी िस्कारं को रूपाियत करते हैं. एक में फ ू ल पित्तयों की िजावोट है तो दू िरे में नक्काशी क े बलबटोो ू ो े ो ं की. अकबर ने राम-जानकी क े ि ि क्क ढवलाये थे. ▶ उत्तर भारत में िस्थत बद्रीनाथ, पिश्च मभारत में द्वारका, दविण भारत में रामश्वरम्ो े और पूवोि भारत में परीोु िहन्दू ध म ि क े म हा नतीथि हैं. इनक े वअगति ि वम देश िमा जाता है. ये तीथि भारत की िा स्क ं ो ृ ितक एकता और अखण्डता क े ि वश प्रमाण हैं. िजन निदयों का उल्लेख दैिनक प्राथिनाओं में िकया जाता है, वोो े भी भारत की मौिलक एकता की पररचायक हैं.
  • 10. लका की िविवधताऔर एकता ▶ भारत की प्राचीन मूितिकलाएं तथा िचत्रकलाएं विश्वविख्यात है. िहन्दुओं क े मिन्दरविशुद् भारतीय शैली क े बने हुए हैं, उनमें जाितऔर ध म िका कोई भेदभावो नही ों है. िभी मिन्दरोंमें मूितियों क े िलए गभिगृह है. खजुराहो, िोमनाथ, काशी, रामेश्वरम्, कोणाकि आिद क े मिन्दर उल्लेखनीय कलाओं क े नमूने हैं. मध्यकाल में इि कला का ि म्प क ि मुप्तिम कला िे हुआ िजिक े पररणामस्वरूप दुगि, मकबरे , मिजस्दें आिद बने. इन कलाओं क े ि म्प क ि क े पररणामस्वरूप फतेहपुर िीकरी का विश्वप्रििद् बुलन्द दरराजा तथा िंिार क े 8 आश्चयों में िे एक आ श्च य िताजमहल का िनमािणभी भारत में ही हुआ है.
  • 11. सोोोंगीत में एकता ▶ िंगीत का तात्पयिवोोादन और नतिनिे है. वइा म में िंगीत को िनिषद् माना गया है िफरभी मध्यकाल में िंगीत का कािबले तारीफ विकाि हुआ है. ▶ इि पहचान क े कारण क ु छ नकली भेद क ु छ विशेष वोोे त्रों में िकएपर िहन्दू , कविता, मुप्तिम कविता या मुप्तिम िंगीत, िहन्दू िंगीत जैिे भेद विकिित नहीों हुए… ▶ अकबर क े दरबार में 36 उच्चकोिट क े गायक थे, िजिमें तानिेन और बैजूबावोरा उल्लेखनीय हैं. िूफी िंत गजल और कब्बाली क े रू प में खुदा की इबादत करते थे तो वभ िंतों ने भजन और कीतिन क े िलए िंगीत का उपयोग िकया.
  • 12. मध्यकालीीीन समन्वयता या एकता ▶ मध्यकाल में जब दू िरी जाितयाााँ भारत में आकर बिने लगीो ं उि िमय िहन्दुओं में अ न क े जाितया,ोाो ाँ िम्प्रदाय तथा प थं थे तथा छु आछु त प्रथा प्रचिलत थी. उि िमय क े िहन्दू िमाज को एक ऐिा िमाज का िामना करना पडा िजिमें न तो जाित प्रथा थी और न िामािजक भेदभावो था. इििे िहन्दुओं की वआररक शप्ति को जाग्रत करने में िहायता प्रावो हुई. ▶ धीरे -धीरे मुिलमान भी भारत को अपना देश िमझने लगे तथा धीरे -धीरे वोो े िहन्दुओं क े िनकट आने लगे. इि ि म्प क ि का प्रभावो दैिनक वियाओं तथा ध म ितक पडा. विवोोाह क े िमय मागााँ भरने की प्रथा मुिलमानी मिहलाओं में प्रचिलत हुई. िहन्द मुिलमान एक-दू िरे क े त्यौहारो,ो ं उप्त्ों में ििम्मिलतहोने लगे जो आज भी जारी है. ▶ धीरे -धीरे एक-दू िरे ने एक-दू िरे क े गुण-दोष दोनों अपना िलए. शायद दोष अिधक, पर क ु ल ले देकर िाथ ब ठ क ै र एक- दू िरे क े हाि-पररहाि तक में िहन्दू मुिलमान िमल गए. ▶ इि प्रकार हम कह िकते हैं िककई विषमताओं और िभन्नताओं क े होते हुए भी भारतीय िस्क ं ो ृ ितमें मौिलक एकता विद्यमान है. इि मौिलक एकता को कोई भी विद्वान अस्वीकार नहीो ं करता है.