SlideShare a Scribd company logo
1 of 16
N A M E – D R . L A X M I V E R M A
C L A S S - B . A - 1
S U B J E C T - M I C R O E C O N O M I C S
T O P I C - M E T H O D O L O G Y O N
E C O N O M I C S
U N I T - 1
S H R I S H A N K R A C H A R Y A
M A H A V I D Y A L Y A
अर्थशास्त्र की अध्ययन की विधियया
• अर्थशास्त्र एक विज्ञान है । अन्य विज्ञानों की तरह से अर्थशास्त्र के भी अपने ननयम एिं ससद्यान्त हैं, जिन्हें
आधिर्थक ननयमों अर्िा आधिर्थक ससद्यान्तों के नाम से िाना िाता है । आधिर्थक ननयम. आधिर्थक घटनाओं के
कारण एिं पररणाम के बीच सम्बन्य को व्यक्त करते हैं । आधिर्थक ननयमों के ननमाथण के सिए कु छ विधिययों
का सहारा िेना पड़ता है । कोसा के अनुसार, “विधिय” शब्द का अर्थ उस तकथ पूणथ प्रणािी से होता है जिसका
प्रयोग सच्चाई को खोिने अर्िा उसे व्यक्त करने के सिए ककया िाता हैं ।" आधिर्थक ननयमों की रचना के
सिए जिन विधिययों का । प्रयोग ककया िाता है िे आधिर्थक अध्ययन की विधियया कहिाती हैं। अर्थशास्त्र में इन
विधिययों का अत्यधियक महत्ि होता है। बेिहाट के शब्दों में, “यदद आप ऐसी समस्त्याओं को बबना ककसी।
विधिय के हि करना चाहते हैं तो आप ठीक उसी प्रकार असफि रहेंगे, जिस प्रकार एक असायारण आक्रमण
के द्िारा ककसी आयुननक सैननक दुगथ को िीतने में ।”
• आधिर्थक अध्ययन या आधिर्थक विश्िेषण हेतु प्रायः दो विधियया अधियक प्रचसित हैं -
• (1) ननगमन विधिय अर्िा
• (2) आगमन विधिय
निगमि या अिुमाि विधि
निगमि या अिुमाि विधि
• ननगमन विधिय आधिर्थक विश्िेषण की सबसे पुरानी विधिय है, जिसका आि भी अत्यधियक प्रयोग होता है । इस विधिय के
अन्तगथत आधिर्थक विश्ि की सामान्य मान्यताओं अर्िा स्त्ियंससद्य बातों को आयार मानकर तकथ की सहायता से ननष्कषथ
ननकािे िाते हैं। इस विधिय में तकथ को क्रम सामान्य से विसशष्ट की ओर होता है । इस विधिय को एक उदाहरण द्िारा
स्त्पष्ट ककया िा सकता है। मनुष्य एक मरणशीि प्राणी है' यह एक स्त्ियंससद्य सत्य है । मोहन भी एंक मनुष्य है, इस
तकथ के आयार पर हम इस ननष्कषथ पर पहुचते हैं कक मोहन भी ‘मरणशीि' है । अब हम इसे अर्थशास्त्र के उदाहरण द्िारा
स्त्पष्ट करेंगे। यह एक स्त्ियंससद्य बात है कक सभी मनुष्यों का व्यिहार सामान्यतया वििेकशीि होता है। इसका अर्थ यह है
कक सभी उपभोक्ता अपनी सन्तुजष्ट को अधियकतम करना चाहते हैं अर्िा सभी उत्पादक अपने िाभ को अधियकतम करना
चाहते हैं। िब हमें यह ज्ञात है कक सभी उपभोक्ता अधियकतम सन्तुजष्ट प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस सामान्य मान्यता
अर्िा स्त्ियंससद्य यारणा को आयार मानकर हम तकथ के आयर पर ननष्कषथ ननकाि सकते हैं कक मोहन भी एक उपभोक्ता
है और िह सन्तुजष्ट को अधियकतम करना चाहता है । इस प्रकार स्त्पष्ट है कक ननगमन विधिय में हम सामान्य सत्यों के
आयार पर तकथ द्िारा विसशष्ट सत्यों का पता िगाते है
• प्रो. िे.के . मेहता के शब्दों में, “ननगमन तकथ िह तकथ है जिसमें हम दो तथ्यों के बीच के कारण और पररणाम सम्बन्यी
सम्बन्य से प्रारम्भ करते हैं और उसकी सहायता से उस कारण का पररणाम िानने का प्रयत्न करते हैं, िबकक यह कारण
अपना पररणाम व्यक्त करने में अन्य बहुत से कारणों से समिा रहता है।
• ननगमन विधिय को िेिन्स ने ज्ञान से ज्ञान प्राप्त करना' कहा है िबकक बोजडिग ने इस विधिय को ‘मानससक प्रयोग की
विधिय' कहा है।
निगमि विधि के प्रकार :
• ननगमन विधिय के दो प्रकार हैं
• (i) गणणतीय तर्ा
• (ii) अगणणतीय ।
• गणणतीय विधिय का प्रयोग एििर्थ तर्ा समि ने अधियक ककया र्ा िबकक अगणणतीय विधिय का
प्रयोग अन्य प्रनतजष्ठत अर्थशाजस्त्रयों ने अधियक ककया र्ा। ितथमान में अर्थशास्त्र में रेखाधिचरों
एिं गणणत का प्रयोग बहुत अधियक होने िगा है। अधियकांश प्रनतजष्ठत अर्थशास्त्र ननगमन विधिय
के समर्थक रहे हैं।
निगमि विधि के गुण
(1) सरलता- यह विधिय अत्यन्त सरि है, क्योंकक इसमें आंकड़े एकबरत करने एिं उनके विश्िेषण
करने का िदटि कायथ नहीं करना पड़ता है। इस विधिय में के िि कु छ स्त्ियंससद्य मान्यताओं को
आयार मानकर तकथ की सहायता से विसशष्ट ननष्कषथ ननकािे िाते हैं । इस विधिय को सामान्य
नागररक भी सरितापूिथक समझ सकता है।
(2) निश्चितता- इस विधिय के अन्तगथत यदद स्त्ियंससद्य यारणाएं एिं मान्यताएं सत्य हैं तो
उनके आयार पर ननकािे गये ननष्कषथ ननजश्चत एिं स्त्पष्ट होते हैं। रुदटयों को तकथ अर्िा
गणणत की सहायता से दूर ककया िा सकता
(2) (3) सिवव्यापकता- इस विधिय द्िारा ननकािे गये ननष्कषथ सभी समयों ि स्त्र्ानों पर िागू होते
हैं, क्योंकक िे मनुष्य की सामान्य प्रकृ नत एिं स्त्िभाि पर आयाररत होते हैं । सीमान्त
उपयोधिगता ह्रास ननयम ननगमन प्रणािी पर आयाररत है और यह ससद्यान्त सभी स्त्र्ानों एिं
समयों पर िागू होता है। ननगमन विधिय के ननष्कषों को सभी प्रकार की आधिर्थक प्रणासियों में
िागू ककया िा सकता है।
• 4) ननष्पक्षता- ननगमन विधिय के अन्तगथत ननकािे गये ननष्कषथ ननष्पक्ष होते हैं, क्योंकक अन्िेषक ननष्कषों को
अपने विचारों तर्ा दृजष्टकोणों से प्रभावित नहीं कर सकता है। इस विधिय में ननष्कषथ स्त्ियंससद्य मान्यताओं
को मानकर तकथ के आयार पर ननकािे िाते हैं । िहा पक्षपात-रदहत सही ननष्कषों की अधियक आिश्यकता
होती है, िहा ननगमन विधिय का अधियक महत्ि होता है ।
(5) आधिर्थक विश्िेषण के सिए अधियक उपयुक्त- ननगमन विधिय आधिर्थक विश्िेषण िैसे सामाजिक विज्ञान विषयों
के सिए अधियक उपयुक्त होती है, क्योंकक मानिीय व्यिहार के सम्बन्य में ननयजन्रत प्रयोग करना असम्भि
अर्िा अत्यन्त कदठन होता है । आधिर्थक विश्िेषण की प्रयोगशािा समस्त्त विश्ि होता है, अतः इतने बड़े क्षेर
के बारे में आंकड़े एिं तथ्य एकर करना कदठन होता है। ऐसी जस्त्र्नत में ननगमन विधिय का प्रयोग अधियक
उपयुक्त होता है ।
(6) समतव्ययी- ननगमन विधिय में आंकड़े एकबरत करने तर्ा ननयजन्रत प्रयोग करने की आिश्यकता न होने के
कारण अधियक व्यय नहीं करना पड़ता है । इससिए यह विधिय समतव्ययी है। इससिए इसका प्रयोग व्यजक्तगत
आयार पर भी ककया िा सकता है। व्यजक्तगत अनुसन्यान ि खोि के सिए यह विधिय श्रेष्ठ है ।
• (7) आगमन विधिय की पूरक- ननगमन विधिय का प्रयोग आगमन विधिय द्िारा ननकािे गए ननष्कषों की
िाच करने के सिए ककया िा सकता है। इस विधिय का प्रयोग उन क्षेरों में भी ककया िा सकता है िहा
आगमन विधिय का प्रयोग सम्भि नहीं होता है।
• (8) भविष्यिाणी सम्भि- ननगमन प्रणािी के आयार पर आधिर्थक घटनाओं का पूिाथनुमान िगा कर
भविष्यिाणी की िा सकती है।
निगमि विधि के दोष
• (1) ननष्कषथ काडपननक एिं अिास्त्तविक- इस विधिय के अन्तगथत ननष्कषथ तथ्यों एिं आंकड़ों को एकबरत ककए
बगैर ननकािे िाते हैं। ये ननष्कषथ सामान्य मान्यताओं के असत्य होने पर काडपननक एिं अिास्त्तविक होते
हैं।
• (2) ननष्कषथ की िाच सम्भि नहीं- इस विधिय में स्त्ियंससद्य तथ्य को िाचने के सिए आंकड़े एिं सूचनाओं
का प्रयोग नहीं ककया िाता है। अतः न तो स्त्ियंससद्य मान्यताओं की ओर न ही उनके आयार पर ननकािे
गये ननष्कषों की िाच की िा सकती है।
(3) सभी आधिर्थक समस्त्याओं का अध्ययन सम्भि नहीं- ननगमन विधिय के द्िारा उन आधिर्थक समस्त्याओं का
अध्ययन नहीं ककया िा सकता है जिनके बारे में स्त्ियंससद्य मान्यताएं उपिब्य नहीं हैं। विश्ि की निीनतम
समस्त्याओं, जिनके बारे में पूिथ अनुभि एिं स्त्ियंससद्य बातें ज्ञात नहीं हैं, का विश्िेषण इस विधिय से नहीं ककया
िा सकता है।
(4) जस्त्र्र दृजष्टकोण- ननगमन विधिय में ननष्कषथ कु छ स्त्ियंससद्य बातों को जस्त्र्र मानकर ननकािे िाते हैं, अतः
यह स्त्र्ैनतक विश्िेषण है और इसमें प्रािैधिगक दृजष्टकोण का अभाि पाया िाता है। विश्ि की अधियकांश आधिर्थक
समस्त्याएं प्रिैधिगक अर्िा पररितथनशीि हैं।
(5) सािथभौसमकता का अभाि- आधिर्थक पररजस्त्र्नतया समय तर्ा स्त्र्ान के सार् ननरन्तर बदिती रहती हैं, अतः
ननष्कषों का सभी स्त्र्ान पर पररजस्त्र्नतयों में प्रयोग नहीं ककया िा सकता हैं।
आगमि विधि
आगमन विधिय ननगमन विधिय के ठीक विपरीत है । इस विधिय में तकथ का क्रम विसशष्ट से
सामान्य की ओर चिता है। इस विधिय में बहुत-सी विसशष्ट घटनाओं अर्िा तथ्यों का अििोकन
एिं अध्ययन करके प्रयोग के आयार पर सामान्य ननष्कषथ ननकािे िाते हैं। िे.के . मेहता के शब्दों
में, आगमन विधिय तकथ की विधिय है जिसमें हम बहुत-सी व्यजक्तगत आधिर्थक घटनाओं के आयार
पर कारणों और पररणामों के सामान्य सम्बन्य स्त्र्ावपत करते हैं।”
• आगमन विधिय को हम एक उदाहरण द्िारा स्त्पष्ट कर सकते हैं। उदाहरणार्थ, हमने प्रयोग
करके यह देखा कक ककसी िस्त्तु का मूडय धिगरने पर 20 व्यजक्त उसे अधियक खरीदते हैं तो
इससे यह ननष्कषथ ननकािा िा सकता है कक िस्त्तु का मूडय धिगरने पर उसकी माग बढ़ िाती
है । इस विधिय में तकथ का क्रम विशेष से सामान्य की तरफ होता है ।
आगमि विधि के प्रकार
• आगमन विधिय के दो प्रकार होते हैं-(i) प्रायोधिगक आगमन विधिय,तर्ा (i) सांजययकीय आगमन विधिय।
प्रायोधिगक आगमन विधिय में कु छ ननयजन्रत प्रयोग ककये िाते हैं और उनके आयार पर ननष्कषथ ननकािे िाते हैं
। अर्थशास्त्र िैसे सामाजिक विज्ञान में ननयजन्रत प्रयोगों के सिए बहुत कम क्षेर उपिब्य होता है, इससिए
प्रयोगात्मक आगमन विधिय का प्रयोग अर्थशास्त्र में बहुत सीसमत मारा में ही ककया िा सकता है।
सांजययकीय आगमन विधिय के अन्तगथत सम्बजन्यत घटनाओं के बारे में विसभन्न क्षेरों के आंकड़े एकबरत ककये
िाते हैं और उनका िगीकरण एिं विश्िेषण ककया िाता है, तर्ा सांजययकीय उपकरणों की सहायता से सामान्य
ननष्कषथ ननकािे िाते हैं। आधिर्थक कक्रयाओं के क्षेर में अधियक उपयुक्त होने के कारण अर्थशास्त्र में सांजययकीय
आगमन विधिय का प्रयोग अधियक होने िगा है।
आगमन विधिय को अनेक नामों से पुकारा िाता है। यह विधिय ऐनतहाससक तथ्यों पर आयाररत होने के कारण
ऐनतहाससक विधिय, िास्त्तविक तथ्यों पर आयाररत होने के कारण िास्त्तविक प्रणािी, सांजययकीय आंकड़ों पर
आयाररत होने के कारण सांजययकीय प्रणािी, अनुभि द्िारा ननकािे ननष्कषथ पर आयाररत होने के कारण
‘अनुभि ससद्य विधिय' तर्ा िास्त्तविक प्रयोगों पर आयाररत होने के कारण प्रायोधिगक विधिय के नाम से पुकारी
िाती है । आगमन प्रणािी का प्रयोग रोसरनीि, मौिर, फ्रे िररक, सिस्त्ट, िैस्त्िी आदद अर्थशाजस्त्रयों ने अधियक
ककया है।
आगमन विधिय के गुण
• (1) ननष्कषों का सही एिं विश्िसनीय होना- आगमन विधिय में ननष्कषथ, िास्त्तविक तथ्यों, आंकड़ों एिं प्रयोगों की सहायता से ननकािे िाते हैं, इससिए ये ननष्कषथ
िास्त्तविकता से अधियक ननकट एिं विश्िसनीय होते हैं। यदद ककसी व्यजक्त को ननष्कषों पर सन्देह हो तो िह स्त्ियं आंकड़े एिं तथ्य एकर करके पुनः ननष्कषथ ननकाि सकता
है।
• (2) ननष्कषों की िाच सम्भि- इस विधिय में ननकािे गए ननष्कषों को िास्त्तविक प्रयोगों, आंकड़ों एिं तथ्यों के आयार पर िाचा िा सकता है। बार-बार ननष्कषों की नए
प्रयोगों से पुजष्ट की िाती है तो इस विधिय में िनता का अधियक-से-अधियक विश्िास हो िाता है।
• (3) प्रिैधिगक दृजष्टकोण- आगमन विधिय प्रािैधिगक दृजष्टकोण सिए हुए हैं। इस विधिय में एक बार ननकािे गए ननष्कषों एिं ससद्यान्तों को सदैि के सिए सत्य नहीं माना िाता
है ।
• आधिर्थक पररजस्त्र्नतया बदिती रहती हैं, अत: इस प्रणािी में बदिती हुई पररजस्त्र्नतयों के अनुसार निीन आंकड़े एकबरत करके अर्िा निीन प्रयोग करके पुराने ननष्कषों की
िाच की िा सकती है और उनमें आिश्यक संशोयन ककया िा सकता है।
• (4) ननगमन विधिय की पूरक- आगमन विधिय के द्िारा हम उन ननष्कषों की िांच कर सकते हैं िो ननगमन विधिय द्िारा ननकािे गये हैं। अतः यह विधिय ननगमन विधिय की
पूरक है ।
• (5) समजष्ट आधिर्थक विश्िेषण में अधियक उपयोगी- आगमन विधिय समजष्ट आधिर्थक विश्िेषण में अधियक उपयोगी ससद्य होती है। राष्रीय आय, उपभोग, बचत एिं विननयोग
के सम्बन्य में हुम आंकड़े एकबरत करके उनकी सहायता से विसभन्न प्रकार के आधिर्थक सम्बन्य ज्ञात कर सकते हैं और िांनछत पररणाम प्राप्त करने के सिए आधिर्थक
नीनतयों में संशोयन के सुझाि दे सकते हैं ।
आगमि विधि के दोष
आगमन विधिय में अनेक दोष पाये िाते हैं, िो अग्रसिणखत हैं
(1) िदटि एिं कदठन- आगमन विधिय में आंकड़ों को एकबरत करना, उनका िगीकरण करना तर्ा
विश्िेषण करना पड़ता है। अनेक बार इस विधिय में ननयजन्रत प्रयोग भी करने होते हैं। ये सब प्रयोग
अत्यन्त िदटि एिं कदठन होते हैं। एक सामान्य िृद्धिय िािा व्यजक्त इस विधिय की कायथ प्रणािी को
सरितापूिथक नहीं समझ सकता है।
(2) पक्षपात का भय- आगमन विधिय में एक अन्िेषक पक्षपात कर सकता है। िह अपनी विचारयारा के
अनुरूप प्रयोग की इकाइया चुन सकता है और इजच्छत ् ननष्कषथ ननकाि सकता है। इससिए कहा िाता है
कक “आकड़े कु छ भी ससद्य कर सकते हैं और कु छ भी ससद्य नहीं कर सकते ।” अन्िेषक ननष्कषों को
अपनी इच्छानुसार आिश्यक रूप दे सकता है।
(3) ननष्कषथ अननजश्चत - इस विधिय द्िारा ननकािे गए ननष्कषों में अननजश्चतता की सम्भािना रहती है।
स्त्ियं बोजडिग ने माना है कक “सांजययक सूचना के िि ऐसी बातें या ननष्कषों को प्रस्त्तुत कर सकती हैं
जिनके होने की सम्भािना कम या अधियक होती है। िह पूणथत: ननजश्चत ननष्कषथ नहीं दे सकती है।”
• (4) खचीिी- आगमन प्रणािी में ननष्कषों तक पहुचने के सिए विसभन्न प्रकार के आंकड़ों का संग्रह एिं
प्रयोग करना आिश्यक होता है । इस कायथ के सिए गणकों एिं अन्िेषकों को रखना पड़ता है, जिसमें
अत्यधियक समय एिं यन का व्यय होता है। इसी कारण यह विधिय अत्यधियक खचीिी होती है ।
• (5) सीसमत क्षेर के अििोकन पर आयाररत ननष्कषथ दोषपूणथ- आगमन प्रणािी के ननष्कषों की सत्यता
आंकड़ों एिं प्रयोगों के क्षेर पर ननभथर करती है। यदद बहुत र्ोड़े से आंकड़ों एिं प्रयोगों के आयार पर
कोई ननष्कषथ अर्िा ससद्यान्त प्रनतपाददत कर ददये िाते हैं तो िे िास्त्तविकता से दूर होते हैं।
• (6) अर्थशास्त्र िैसे सामाजिक विज्ञानों के सिए कम उपयोगी- अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है,
जिसमें मानि व्यिहार पर ननयजन्रत प्रयोगों के सिए बहुत कम क्षेर होता है, इससिए इसका आधिर्थक
विश्िेषण में अधियक प्रयोग नहीं हो सकता है।
• (7) अर्थशास्त्र के विकास के सिए अपयाथप्त- यदद के िि इसी विधिय का प्रयोग आधिर्थक समस्त्याओं के
समायान के सिए ककया िायेगा तो अर्थशास्त्र विषय का विकास रुक िायेगा क्योंकक अनेक समस्त्याएं
इस विधिय से हि नहीं की िा सकती हैं।
दोनों विधिययों में श्रेष्ठता के सम्बन्य
में वििाद• आधिर्थक अध्ययन की दोनों विधिययों के गुणों एिं दोषों का अध्ययन करके यह कहा िा सकता है
कक आधिर्थक अध्ययन में दोनों में से कोई भी अके िी विधिय श्रेष्ठ नहीं है। दोनों । के ही कु छ गुण
एिं कु छ अिगुण देखने को समिते हैं । यद्यवप प्रनतजष्ठत अर्थशाजस्त्रयों ने ननगमन विधिय को श्रेष्ठ
बताया र्ा तर्ा उन्होंने इस विधिय का समर्थन ककया र्ा, क्योंकक
• (i) िे आधिर्थक ननयमों में अधियक ननजश्चतता िाना चाहते र्े,
• (ii) िे अर्थशास्त्र एिं तकथ शास्त्र में गहरा सम्बन्य मानते र्े
• (iii) उस समय सांजययकी का विकास नहीं हुआ र्ा, अतः आंकड़ों ि सूचनाओं का अभाि र्ा, तर्ा
• (iv) िे मानि व्यिहार पर प्रयोग सम्भि नहीं मानते र्े, िबकक िमथन ऐनतहाससक सम्प्रदाय के
अर्थशाजस्त्रयों ने आगमन प्रणािी का समर्थन करते हुए इसे श्रेष्ठ बताया र्ा क्योंकक
• (i) सांजययकी का विकास हुआ, तर्ा
• (ii) अर्थशाजस्त्रयों द्िारा व्यािहाररक प्रश्नों के हि करने की तीव्र आिश्यकता अनुभि की िाने
िगी र्ी ।
• परन्तु आि उपयुथक्त दोनों ही दृजष्टकोणों के विपरीत दोनों विधिययों को ही अर्थशास्त्र के अध्ययन के सिए
आिश्यक माना िाता है। आि अर्थशाजस्त्रयों का यह मत है कक दोनों विधियया एक-दूसरे की प्रनतस्त्पयी नहीं
हैं, बजडक दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। इन दोनों विधिययों के प्रयोग द्िारा ही हम सही तर्ा ननजश्चत ननष्कषथ
प्राप्त कर सकते हैं । िहा दोनों का प्रयोग एक सार् हो सकता है िहा दोनों के प्रयोग द्िारा एक-दूसरे के
ननष्कषों की िाच की िा सकती है। तर्ा ठीक ननष्कषथ पर पहुचा िा सकता है और िहा जिस एक ही विधिय
का प्रयोग हो सकता है, िहा उसी का प्रयोग ककया िाना चादहए। आधिर्थक अध्ययन की इन विधिययों में चुनाि
की आिश्यकता नहीं है, बजडक दोनों ही विधिययों का प्रयोग आिश्यक है। माशथि, बैगनर, कीन्स तर्ा श्मोिर
िैसे अर्थशाजस्त्रयों ने अर्थशास्त्र के अध्ययन में दोनों ही विधिययों को आिश्यक माना है। माशथि ने ठीक ही
कहा है “अन्िेषण की कोई भी एक ऐसी विधिय नहीं है, जिसे अर्थशास्त्र के अध्ययन की उधिचत विधिय कहा िा
सके , िरन् प्रत्येक का यर्ास्त्र्ान अके िे या समधिश्रत रूप में प्रयोग ककया िाना चादहए।” श्मोिर का यह कर्न
जिसे माशथि ने अपनी पुस्त्तक में उद्यृत ककया है, इस वििाद को हि करने में अधियक सही निर आता है।
अर्थशास्त्र के िैज्ञाननक अध्ययन के सिए ननगमन एिं आगमन दोनों ही विधिययों की उसी प्रकार की
आिश्यकता है जिस प्रकार चिने के सिए दायें तर्ा बायें पैरों की आिश्यकता होती है ।” बैगनर ने इन दोनों
विधिययों के मध्य वििाद को समाप्त करते हुए सिखा है, "अर्थशास्त्र की विधिययों के इस िाद-वििाद का
िास्त्तविक हि ननगमन तर्ा आगमन में से ककसी एक के चयन में नहीं िरन्। ननगमन एिं आगमन दोनों
की स्त्िीकृ नत में है।”
• ननष्कषथ- आि ननगमन एिं आगमन विधिययों के मध्य चुनाि अर्िा दोनों में से ककसी एक की श्रेष्ठता का
वििाद समाप्त हो गया है तर्ा दोनों ही विधिययों को अर्थशास्त्र के अध्ययन में आिश्यक समझा िाता है ।
• THANK YOU

More Related Content

What's hot

The Pythagoras Theorem
The Pythagoras TheoremThe Pythagoras Theorem
The Pythagoras TheoremHome
 
fundamentals of 2D and 3D graphs
fundamentals of 2D and 3D graphsfundamentals of 2D and 3D graphs
fundamentals of 2D and 3D graphsArjuna Senanayake
 
Power presentation of pi
Power presentation of piPower presentation of pi
Power presentation of pikumarnishanth
 
introduction to probability
introduction to probabilityintroduction to probability
introduction to probabilitylovemucheca
 
Gamma, Expoential, Poisson And Chi Squared Distributions
Gamma, Expoential, Poisson And Chi Squared DistributionsGamma, Expoential, Poisson And Chi Squared Distributions
Gamma, Expoential, Poisson And Chi Squared DistributionsDataminingTools Inc
 
Kite a special quadrilateral
Kite  a special quadrilateralKite  a special quadrilateral
Kite a special quadrilateralpoonambhs
 
Data representation and analysis - Mathematics
Data representation and analysis - MathematicsData representation and analysis - Mathematics
Data representation and analysis - MathematicsNayan Dagliya
 
Lagrange's equation with one application
Lagrange's equation with one applicationLagrange's equation with one application
Lagrange's equation with one applicationZakaria Hossain
 
Discrete Math Presentation(Rules of Inference)
Discrete Math Presentation(Rules of Inference)Discrete Math Presentation(Rules of Inference)
Discrete Math Presentation(Rules of Inference)Ikhtiar Khan Sohan
 
Test for convergence
Test for convergenceTest for convergence
Test for convergenceAyush Agrawal
 
hypothesis testing-tests of proportions and variances in six sigma
hypothesis testing-tests of proportions and variances in six sigmahypothesis testing-tests of proportions and variances in six sigma
hypothesis testing-tests of proportions and variances in six sigmavdheerajk
 
Conditional Probability
Conditional ProbabilityConditional Probability
Conditional Probabilitychristjt
 
Probability And Probability Distributions
Probability And Probability Distributions Probability And Probability Distributions
Probability And Probability Distributions Sahil Nagpal
 
8004 side splitter 2013
8004  side splitter 20138004  side splitter 2013
8004 side splitter 2013jbianco9910
 
Arithmetic progression
Arithmetic progressionArithmetic progression
Arithmetic progressionlashika madaan
 

What's hot (20)

Quantiles
QuantilesQuantiles
Quantiles
 
The Pythagoras Theorem
The Pythagoras TheoremThe Pythagoras Theorem
The Pythagoras Theorem
 
fundamentals of 2D and 3D graphs
fundamentals of 2D and 3D graphsfundamentals of 2D and 3D graphs
fundamentals of 2D and 3D graphs
 
Power presentation of pi
Power presentation of piPower presentation of pi
Power presentation of pi
 
introduction to probability
introduction to probabilityintroduction to probability
introduction to probability
 
Gamma, Expoential, Poisson And Chi Squared Distributions
Gamma, Expoential, Poisson And Chi Squared DistributionsGamma, Expoential, Poisson And Chi Squared Distributions
Gamma, Expoential, Poisson And Chi Squared Distributions
 
Kite a special quadrilateral
Kite  a special quadrilateralKite  a special quadrilateral
Kite a special quadrilateral
 
Pi Ppt
Pi PptPi Ppt
Pi Ppt
 
Circle theorems
Circle theoremsCircle theorems
Circle theorems
 
Data representation and analysis - Mathematics
Data representation and analysis - MathematicsData representation and analysis - Mathematics
Data representation and analysis - Mathematics
 
Lagrange's equation with one application
Lagrange's equation with one applicationLagrange's equation with one application
Lagrange's equation with one application
 
Intro to probability
Intro to probabilityIntro to probability
Intro to probability
 
Discrete Math Presentation(Rules of Inference)
Discrete Math Presentation(Rules of Inference)Discrete Math Presentation(Rules of Inference)
Discrete Math Presentation(Rules of Inference)
 
Probability
ProbabilityProbability
Probability
 
Test for convergence
Test for convergenceTest for convergence
Test for convergence
 
hypothesis testing-tests of proportions and variances in six sigma
hypothesis testing-tests of proportions and variances in six sigmahypothesis testing-tests of proportions and variances in six sigma
hypothesis testing-tests of proportions and variances in six sigma
 
Conditional Probability
Conditional ProbabilityConditional Probability
Conditional Probability
 
Probability And Probability Distributions
Probability And Probability Distributions Probability And Probability Distributions
Probability And Probability Distributions
 
8004 side splitter 2013
8004  side splitter 20138004  side splitter 2013
8004 side splitter 2013
 
Arithmetic progression
Arithmetic progressionArithmetic progression
Arithmetic progression
 

Similar to Methodology of Economics

निगमनात्मक उपागम
निगमनात्मक उपागमनिगमनात्मक उपागम
निगमनात्मक उपागमPushpa Namdeo
 
निर्वचन  के मूल सिद्धांत principal of interpretation.pptx
निर्वचन  के मूल सिद्धांत principal of interpretation.pptxनिर्वचन  के मूल सिद्धांत principal of interpretation.pptx
निर्वचन  के मूल सिद्धांत principal of interpretation.pptxALEEM67
 
मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध
मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोधमात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध
मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोधAmit Mishra
 
प्रकृतिवाद एवम् प्रयोजनवाद
प्रकृतिवाद एवम्  प्रयोजनवाद प्रकृतिवाद एवम्  प्रयोजनवाद
प्रकृतिवाद एवम् प्रयोजनवाद Chhotu
 
विभिन्न अधिगम सिद्धांत और उनके निहितार्थ
विभिन्न अधिगम सिद्धांत और उनके निहितार्थविभिन्न अधिगम सिद्धांत और उनके निहितार्थ
विभिन्न अधिगम सिद्धांत और उनके निहितार्थDr.Sanjeev Kumar
 
प्रकृतिवाद (दर्शन).ppsx
प्रकृतिवाद (दर्शन).ppsxप्रकृतिवाद (दर्शन).ppsx
प्रकृतिवाद (दर्शन).ppsxChitrangadUpadhyay
 
प्रतिवेदन, कार्यसूची, परिपत्र लेखन-कार्यालयी लेखन प्रक्रिया.pdf
प्रतिवेदन, कार्यसूची, परिपत्र लेखन-कार्यालयी लेखन प्रक्रिया.pdfप्रतिवेदन, कार्यसूची, परिपत्र लेखन-कार्यालयी लेखन प्रक्रिया.pdf
प्रतिवेदन, कार्यसूची, परिपत्र लेखन-कार्यालयी लेखन प्रक्रिया.pdfShaliniChouhan4
 
Ppt what is research for lecture 2 april 2020 anupam
Ppt what is research for lecture 2 april 2020 anupamPpt what is research for lecture 2 april 2020 anupam
Ppt what is research for lecture 2 april 2020 anupamAnupamTiwari53
 
Ayodhya singh
Ayodhya singhAyodhya singh
Ayodhya singhitrewa
 
Vigyan Prasar Sceince films and their screening
Vigyan Prasar Sceince films and their screeningVigyan Prasar Sceince films and their screening
Vigyan Prasar Sceince films and their screeningSACHIN NARWADIYA
 
prosocial behaviour cognitive model in hindi
prosocial behaviour cognitive model in hindiprosocial behaviour cognitive model in hindi
prosocial behaviour cognitive model in hindiRajesh Verma
 
Scientific inquiry and theory development
Scientific inquiry and theory developmentScientific inquiry and theory development
Scientific inquiry and theory developmentVikramjit Singh
 

Similar to Methodology of Economics (16)

निगमनात्मक उपागम
निगमनात्मक उपागमनिगमनात्मक उपागम
निगमनात्मक उपागम
 
निर्वचन  के मूल सिद्धांत principal of interpretation.pptx
निर्वचन  के मूल सिद्धांत principal of interpretation.pptxनिर्वचन  के मूल सिद्धांत principal of interpretation.pptx
निर्वचन  के मूल सिद्धांत principal of interpretation.pptx
 
मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध
मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोधमात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध
मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध
 
प्रकृतिवाद एवम् प्रयोजनवाद
प्रकृतिवाद एवम्  प्रयोजनवाद प्रकृतिवाद एवम्  प्रयोजनवाद
प्रकृतिवाद एवम् प्रयोजनवाद
 
विभिन्न अधिगम सिद्धांत और उनके निहितार्थ
विभिन्न अधिगम सिद्धांत और उनके निहितार्थविभिन्न अधिगम सिद्धांत और उनके निहितार्थ
विभिन्न अधिगम सिद्धांत और उनके निहितार्थ
 
प्रकृतिवाद (दर्शन).ppsx
प्रकृतिवाद (दर्शन).ppsxप्रकृतिवाद (दर्शन).ppsx
प्रकृतिवाद (दर्शन).ppsx
 
Shodha research
Shodha researchShodha research
Shodha research
 
Instructional material,unit 1, 18-9-20
Instructional material,unit 1, 18-9-20Instructional material,unit 1, 18-9-20
Instructional material,unit 1, 18-9-20
 
प्रतिवेदन, कार्यसूची, परिपत्र लेखन-कार्यालयी लेखन प्रक्रिया.pdf
प्रतिवेदन, कार्यसूची, परिपत्र लेखन-कार्यालयी लेखन प्रक्रिया.pdfप्रतिवेदन, कार्यसूची, परिपत्र लेखन-कार्यालयी लेखन प्रक्रिया.pdf
प्रतिवेदन, कार्यसूची, परिपत्र लेखन-कार्यालयी लेखन प्रक्रिया.pdf
 
OutbInveIDSP.en.hi.pptx.ppt
OutbInveIDSP.en.hi.pptx.pptOutbInveIDSP.en.hi.pptx.ppt
OutbInveIDSP.en.hi.pptx.ppt
 
Ppt what is research for lecture 2 april 2020 anupam
Ppt what is research for lecture 2 april 2020 anupamPpt what is research for lecture 2 april 2020 anupam
Ppt what is research for lecture 2 april 2020 anupam
 
Ayodhya singh
Ayodhya singhAyodhya singh
Ayodhya singh
 
Vigyan Prasar Sceince films and their screening
Vigyan Prasar Sceince films and their screeningVigyan Prasar Sceince films and their screening
Vigyan Prasar Sceince films and their screening
 
prosocial behaviour cognitive model in hindi
prosocial behaviour cognitive model in hindiprosocial behaviour cognitive model in hindi
prosocial behaviour cognitive model in hindi
 
Case study method
Case study methodCase study method
Case study method
 
Scientific inquiry and theory development
Scientific inquiry and theory developmentScientific inquiry and theory development
Scientific inquiry and theory development
 

More from Shri Shankaracharya College, Bhilai,Junwani

More from Shri Shankaracharya College, Bhilai,Junwani (20)

Environment Economics &Ethics invisible hand & Malthusian theory
Environment Economics &Ethics invisible hand & Malthusian theoryEnvironment Economics &Ethics invisible hand & Malthusian theory
Environment Economics &Ethics invisible hand & Malthusian theory
 
Azadi ka amrut mahotsav, Mahilayon ka yogdan swatantrata Sangram mein
Azadi ka amrut mahotsav, Mahilayon ka yogdan swatantrata Sangram meinAzadi ka amrut mahotsav, Mahilayon ka yogdan swatantrata Sangram mein
Azadi ka amrut mahotsav, Mahilayon ka yogdan swatantrata Sangram mein
 
B.ed 1,scientific temper
B.ed 1,scientific temperB.ed 1,scientific temper
B.ed 1,scientific temper
 
Aims and objectives of bio. sci. 14 9-20
Aims and objectives of bio. sci. 14 9-20Aims and objectives of bio. sci. 14 9-20
Aims and objectives of bio. sci. 14 9-20
 
Ict application in bio.sc.24 9
Ict application in bio.sc.24 9Ict application in bio.sc.24 9
Ict application in bio.sc.24 9
 
Runges kutta method
Runges kutta methodRunges kutta method
Runges kutta method
 
Isolation & preservation of culture of microorganism
Isolation & preservation of  culture of microorganismIsolation & preservation of  culture of microorganism
Isolation & preservation of culture of microorganism
 
Learners understanding,unit 1, 15-9-20
Learners understanding,unit 1, 15-9-20Learners understanding,unit 1, 15-9-20
Learners understanding,unit 1, 15-9-20
 
Basics concept of physical chemistry
Basics concept of physical chemistryBasics concept of physical chemistry
Basics concept of physical chemistry
 
equilibrium of Firm
equilibrium  of Firmequilibrium  of Firm
equilibrium of Firm
 
indifference curve
 indifference curve indifference curve
indifference curve
 
Equilibrium
  Equilibrium  Equilibrium
Equilibrium
 
Crystal field theory
Crystal field theoryCrystal field theory
Crystal field theory
 
Utility
UtilityUtility
Utility
 
New economic reform
New economic reform New economic reform
New economic reform
 
Iso product Curve
Iso product CurveIso product Curve
Iso product Curve
 
Malnutrition
MalnutritionMalnutrition
Malnutrition
 
Demand theory
Demand theoryDemand theory
Demand theory
 
Land reform
Land reformLand reform
Land reform
 
Isomerism
IsomerismIsomerism
Isomerism
 

Methodology of Economics

  • 1. N A M E – D R . L A X M I V E R M A C L A S S - B . A - 1 S U B J E C T - M I C R O E C O N O M I C S T O P I C - M E T H O D O L O G Y O N E C O N O M I C S U N I T - 1 S H R I S H A N K R A C H A R Y A M A H A V I D Y A L Y A
  • 2. अर्थशास्त्र की अध्ययन की विधियया • अर्थशास्त्र एक विज्ञान है । अन्य विज्ञानों की तरह से अर्थशास्त्र के भी अपने ननयम एिं ससद्यान्त हैं, जिन्हें आधिर्थक ननयमों अर्िा आधिर्थक ससद्यान्तों के नाम से िाना िाता है । आधिर्थक ननयम. आधिर्थक घटनाओं के कारण एिं पररणाम के बीच सम्बन्य को व्यक्त करते हैं । आधिर्थक ननयमों के ननमाथण के सिए कु छ विधिययों का सहारा िेना पड़ता है । कोसा के अनुसार, “विधिय” शब्द का अर्थ उस तकथ पूणथ प्रणािी से होता है जिसका प्रयोग सच्चाई को खोिने अर्िा उसे व्यक्त करने के सिए ककया िाता हैं ।" आधिर्थक ननयमों की रचना के सिए जिन विधिययों का । प्रयोग ककया िाता है िे आधिर्थक अध्ययन की विधियया कहिाती हैं। अर्थशास्त्र में इन विधिययों का अत्यधियक महत्ि होता है। बेिहाट के शब्दों में, “यदद आप ऐसी समस्त्याओं को बबना ककसी। विधिय के हि करना चाहते हैं तो आप ठीक उसी प्रकार असफि रहेंगे, जिस प्रकार एक असायारण आक्रमण के द्िारा ककसी आयुननक सैननक दुगथ को िीतने में ।” • आधिर्थक अध्ययन या आधिर्थक विश्िेषण हेतु प्रायः दो विधियया अधियक प्रचसित हैं - • (1) ननगमन विधिय अर्िा • (2) आगमन विधिय
  • 3. निगमि या अिुमाि विधि निगमि या अिुमाि विधि • ननगमन विधिय आधिर्थक विश्िेषण की सबसे पुरानी विधिय है, जिसका आि भी अत्यधियक प्रयोग होता है । इस विधिय के अन्तगथत आधिर्थक विश्ि की सामान्य मान्यताओं अर्िा स्त्ियंससद्य बातों को आयार मानकर तकथ की सहायता से ननष्कषथ ननकािे िाते हैं। इस विधिय में तकथ को क्रम सामान्य से विसशष्ट की ओर होता है । इस विधिय को एक उदाहरण द्िारा स्त्पष्ट ककया िा सकता है। मनुष्य एक मरणशीि प्राणी है' यह एक स्त्ियंससद्य सत्य है । मोहन भी एंक मनुष्य है, इस तकथ के आयार पर हम इस ननष्कषथ पर पहुचते हैं कक मोहन भी ‘मरणशीि' है । अब हम इसे अर्थशास्त्र के उदाहरण द्िारा स्त्पष्ट करेंगे। यह एक स्त्ियंससद्य बात है कक सभी मनुष्यों का व्यिहार सामान्यतया वििेकशीि होता है। इसका अर्थ यह है कक सभी उपभोक्ता अपनी सन्तुजष्ट को अधियकतम करना चाहते हैं अर्िा सभी उत्पादक अपने िाभ को अधियकतम करना चाहते हैं। िब हमें यह ज्ञात है कक सभी उपभोक्ता अधियकतम सन्तुजष्ट प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस सामान्य मान्यता अर्िा स्त्ियंससद्य यारणा को आयार मानकर हम तकथ के आयर पर ननष्कषथ ननकाि सकते हैं कक मोहन भी एक उपभोक्ता है और िह सन्तुजष्ट को अधियकतम करना चाहता है । इस प्रकार स्त्पष्ट है कक ननगमन विधिय में हम सामान्य सत्यों के आयार पर तकथ द्िारा विसशष्ट सत्यों का पता िगाते है • प्रो. िे.के . मेहता के शब्दों में, “ननगमन तकथ िह तकथ है जिसमें हम दो तथ्यों के बीच के कारण और पररणाम सम्बन्यी सम्बन्य से प्रारम्भ करते हैं और उसकी सहायता से उस कारण का पररणाम िानने का प्रयत्न करते हैं, िबकक यह कारण अपना पररणाम व्यक्त करने में अन्य बहुत से कारणों से समिा रहता है। • ननगमन विधिय को िेिन्स ने ज्ञान से ज्ञान प्राप्त करना' कहा है िबकक बोजडिग ने इस विधिय को ‘मानससक प्रयोग की विधिय' कहा है।
  • 4. निगमि विधि के प्रकार : • ननगमन विधिय के दो प्रकार हैं • (i) गणणतीय तर्ा • (ii) अगणणतीय । • गणणतीय विधिय का प्रयोग एििर्थ तर्ा समि ने अधियक ककया र्ा िबकक अगणणतीय विधिय का प्रयोग अन्य प्रनतजष्ठत अर्थशाजस्त्रयों ने अधियक ककया र्ा। ितथमान में अर्थशास्त्र में रेखाधिचरों एिं गणणत का प्रयोग बहुत अधियक होने िगा है। अधियकांश प्रनतजष्ठत अर्थशास्त्र ननगमन विधिय के समर्थक रहे हैं।
  • 5. निगमि विधि के गुण (1) सरलता- यह विधिय अत्यन्त सरि है, क्योंकक इसमें आंकड़े एकबरत करने एिं उनके विश्िेषण करने का िदटि कायथ नहीं करना पड़ता है। इस विधिय में के िि कु छ स्त्ियंससद्य मान्यताओं को आयार मानकर तकथ की सहायता से विसशष्ट ननष्कषथ ननकािे िाते हैं । इस विधिय को सामान्य नागररक भी सरितापूिथक समझ सकता है। (2) निश्चितता- इस विधिय के अन्तगथत यदद स्त्ियंससद्य यारणाएं एिं मान्यताएं सत्य हैं तो उनके आयार पर ननकािे गये ननष्कषथ ननजश्चत एिं स्त्पष्ट होते हैं। रुदटयों को तकथ अर्िा गणणत की सहायता से दूर ककया िा सकता (2) (3) सिवव्यापकता- इस विधिय द्िारा ननकािे गये ननष्कषथ सभी समयों ि स्त्र्ानों पर िागू होते हैं, क्योंकक िे मनुष्य की सामान्य प्रकृ नत एिं स्त्िभाि पर आयाररत होते हैं । सीमान्त उपयोधिगता ह्रास ननयम ननगमन प्रणािी पर आयाररत है और यह ससद्यान्त सभी स्त्र्ानों एिं समयों पर िागू होता है। ननगमन विधिय के ननष्कषों को सभी प्रकार की आधिर्थक प्रणासियों में िागू ककया िा सकता है।
  • 6. • 4) ननष्पक्षता- ननगमन विधिय के अन्तगथत ननकािे गये ननष्कषथ ननष्पक्ष होते हैं, क्योंकक अन्िेषक ननष्कषों को अपने विचारों तर्ा दृजष्टकोणों से प्रभावित नहीं कर सकता है। इस विधिय में ननष्कषथ स्त्ियंससद्य मान्यताओं को मानकर तकथ के आयार पर ननकािे िाते हैं । िहा पक्षपात-रदहत सही ननष्कषों की अधियक आिश्यकता होती है, िहा ननगमन विधिय का अधियक महत्ि होता है । (5) आधिर्थक विश्िेषण के सिए अधियक उपयुक्त- ननगमन विधिय आधिर्थक विश्िेषण िैसे सामाजिक विज्ञान विषयों के सिए अधियक उपयुक्त होती है, क्योंकक मानिीय व्यिहार के सम्बन्य में ननयजन्रत प्रयोग करना असम्भि अर्िा अत्यन्त कदठन होता है । आधिर्थक विश्िेषण की प्रयोगशािा समस्त्त विश्ि होता है, अतः इतने बड़े क्षेर के बारे में आंकड़े एिं तथ्य एकर करना कदठन होता है। ऐसी जस्त्र्नत में ननगमन विधिय का प्रयोग अधियक उपयुक्त होता है । (6) समतव्ययी- ननगमन विधिय में आंकड़े एकबरत करने तर्ा ननयजन्रत प्रयोग करने की आिश्यकता न होने के कारण अधियक व्यय नहीं करना पड़ता है । इससिए यह विधिय समतव्ययी है। इससिए इसका प्रयोग व्यजक्तगत आयार पर भी ककया िा सकता है। व्यजक्तगत अनुसन्यान ि खोि के सिए यह विधिय श्रेष्ठ है ।
  • 7. • (7) आगमन विधिय की पूरक- ननगमन विधिय का प्रयोग आगमन विधिय द्िारा ननकािे गए ननष्कषों की िाच करने के सिए ककया िा सकता है। इस विधिय का प्रयोग उन क्षेरों में भी ककया िा सकता है िहा आगमन विधिय का प्रयोग सम्भि नहीं होता है। • (8) भविष्यिाणी सम्भि- ननगमन प्रणािी के आयार पर आधिर्थक घटनाओं का पूिाथनुमान िगा कर भविष्यिाणी की िा सकती है।
  • 8. निगमि विधि के दोष • (1) ननष्कषथ काडपननक एिं अिास्त्तविक- इस विधिय के अन्तगथत ननष्कषथ तथ्यों एिं आंकड़ों को एकबरत ककए बगैर ननकािे िाते हैं। ये ननष्कषथ सामान्य मान्यताओं के असत्य होने पर काडपननक एिं अिास्त्तविक होते हैं। • (2) ननष्कषथ की िाच सम्भि नहीं- इस विधिय में स्त्ियंससद्य तथ्य को िाचने के सिए आंकड़े एिं सूचनाओं का प्रयोग नहीं ककया िाता है। अतः न तो स्त्ियंससद्य मान्यताओं की ओर न ही उनके आयार पर ननकािे गये ननष्कषों की िाच की िा सकती है। (3) सभी आधिर्थक समस्त्याओं का अध्ययन सम्भि नहीं- ननगमन विधिय के द्िारा उन आधिर्थक समस्त्याओं का अध्ययन नहीं ककया िा सकता है जिनके बारे में स्त्ियंससद्य मान्यताएं उपिब्य नहीं हैं। विश्ि की निीनतम समस्त्याओं, जिनके बारे में पूिथ अनुभि एिं स्त्ियंससद्य बातें ज्ञात नहीं हैं, का विश्िेषण इस विधिय से नहीं ककया िा सकता है। (4) जस्त्र्र दृजष्टकोण- ननगमन विधिय में ननष्कषथ कु छ स्त्ियंससद्य बातों को जस्त्र्र मानकर ननकािे िाते हैं, अतः यह स्त्र्ैनतक विश्िेषण है और इसमें प्रािैधिगक दृजष्टकोण का अभाि पाया िाता है। विश्ि की अधियकांश आधिर्थक समस्त्याएं प्रिैधिगक अर्िा पररितथनशीि हैं। (5) सािथभौसमकता का अभाि- आधिर्थक पररजस्त्र्नतया समय तर्ा स्त्र्ान के सार् ननरन्तर बदिती रहती हैं, अतः ननष्कषों का सभी स्त्र्ान पर पररजस्त्र्नतयों में प्रयोग नहीं ककया िा सकता हैं।
  • 9. आगमि विधि आगमन विधिय ननगमन विधिय के ठीक विपरीत है । इस विधिय में तकथ का क्रम विसशष्ट से सामान्य की ओर चिता है। इस विधिय में बहुत-सी विसशष्ट घटनाओं अर्िा तथ्यों का अििोकन एिं अध्ययन करके प्रयोग के आयार पर सामान्य ननष्कषथ ननकािे िाते हैं। िे.के . मेहता के शब्दों में, आगमन विधिय तकथ की विधिय है जिसमें हम बहुत-सी व्यजक्तगत आधिर्थक घटनाओं के आयार पर कारणों और पररणामों के सामान्य सम्बन्य स्त्र्ावपत करते हैं।” • आगमन विधिय को हम एक उदाहरण द्िारा स्त्पष्ट कर सकते हैं। उदाहरणार्थ, हमने प्रयोग करके यह देखा कक ककसी िस्त्तु का मूडय धिगरने पर 20 व्यजक्त उसे अधियक खरीदते हैं तो इससे यह ननष्कषथ ननकािा िा सकता है कक िस्त्तु का मूडय धिगरने पर उसकी माग बढ़ िाती है । इस विधिय में तकथ का क्रम विशेष से सामान्य की तरफ होता है ।
  • 10. आगमि विधि के प्रकार • आगमन विधिय के दो प्रकार होते हैं-(i) प्रायोधिगक आगमन विधिय,तर्ा (i) सांजययकीय आगमन विधिय। प्रायोधिगक आगमन विधिय में कु छ ननयजन्रत प्रयोग ककये िाते हैं और उनके आयार पर ननष्कषथ ननकािे िाते हैं । अर्थशास्त्र िैसे सामाजिक विज्ञान में ननयजन्रत प्रयोगों के सिए बहुत कम क्षेर उपिब्य होता है, इससिए प्रयोगात्मक आगमन विधिय का प्रयोग अर्थशास्त्र में बहुत सीसमत मारा में ही ककया िा सकता है। सांजययकीय आगमन विधिय के अन्तगथत सम्बजन्यत घटनाओं के बारे में विसभन्न क्षेरों के आंकड़े एकबरत ककये िाते हैं और उनका िगीकरण एिं विश्िेषण ककया िाता है, तर्ा सांजययकीय उपकरणों की सहायता से सामान्य ननष्कषथ ननकािे िाते हैं। आधिर्थक कक्रयाओं के क्षेर में अधियक उपयुक्त होने के कारण अर्थशास्त्र में सांजययकीय आगमन विधिय का प्रयोग अधियक होने िगा है। आगमन विधिय को अनेक नामों से पुकारा िाता है। यह विधिय ऐनतहाससक तथ्यों पर आयाररत होने के कारण ऐनतहाससक विधिय, िास्त्तविक तथ्यों पर आयाररत होने के कारण िास्त्तविक प्रणािी, सांजययकीय आंकड़ों पर आयाररत होने के कारण सांजययकीय प्रणािी, अनुभि द्िारा ननकािे ननष्कषथ पर आयाररत होने के कारण ‘अनुभि ससद्य विधिय' तर्ा िास्त्तविक प्रयोगों पर आयाररत होने के कारण प्रायोधिगक विधिय के नाम से पुकारी िाती है । आगमन प्रणािी का प्रयोग रोसरनीि, मौिर, फ्रे िररक, सिस्त्ट, िैस्त्िी आदद अर्थशाजस्त्रयों ने अधियक ककया है।
  • 11. आगमन विधिय के गुण • (1) ननष्कषों का सही एिं विश्िसनीय होना- आगमन विधिय में ननष्कषथ, िास्त्तविक तथ्यों, आंकड़ों एिं प्रयोगों की सहायता से ननकािे िाते हैं, इससिए ये ननष्कषथ िास्त्तविकता से अधियक ननकट एिं विश्िसनीय होते हैं। यदद ककसी व्यजक्त को ननष्कषों पर सन्देह हो तो िह स्त्ियं आंकड़े एिं तथ्य एकर करके पुनः ननष्कषथ ननकाि सकता है। • (2) ननष्कषों की िाच सम्भि- इस विधिय में ननकािे गए ननष्कषों को िास्त्तविक प्रयोगों, आंकड़ों एिं तथ्यों के आयार पर िाचा िा सकता है। बार-बार ननष्कषों की नए प्रयोगों से पुजष्ट की िाती है तो इस विधिय में िनता का अधियक-से-अधियक विश्िास हो िाता है। • (3) प्रिैधिगक दृजष्टकोण- आगमन विधिय प्रािैधिगक दृजष्टकोण सिए हुए हैं। इस विधिय में एक बार ननकािे गए ननष्कषों एिं ससद्यान्तों को सदैि के सिए सत्य नहीं माना िाता है । • आधिर्थक पररजस्त्र्नतया बदिती रहती हैं, अत: इस प्रणािी में बदिती हुई पररजस्त्र्नतयों के अनुसार निीन आंकड़े एकबरत करके अर्िा निीन प्रयोग करके पुराने ननष्कषों की िाच की िा सकती है और उनमें आिश्यक संशोयन ककया िा सकता है। • (4) ननगमन विधिय की पूरक- आगमन विधिय के द्िारा हम उन ननष्कषों की िांच कर सकते हैं िो ननगमन विधिय द्िारा ननकािे गये हैं। अतः यह विधिय ननगमन विधिय की पूरक है । • (5) समजष्ट आधिर्थक विश्िेषण में अधियक उपयोगी- आगमन विधिय समजष्ट आधिर्थक विश्िेषण में अधियक उपयोगी ससद्य होती है। राष्रीय आय, उपभोग, बचत एिं विननयोग के सम्बन्य में हुम आंकड़े एकबरत करके उनकी सहायता से विसभन्न प्रकार के आधिर्थक सम्बन्य ज्ञात कर सकते हैं और िांनछत पररणाम प्राप्त करने के सिए आधिर्थक नीनतयों में संशोयन के सुझाि दे सकते हैं ।
  • 12. आगमि विधि के दोष आगमन विधिय में अनेक दोष पाये िाते हैं, िो अग्रसिणखत हैं (1) िदटि एिं कदठन- आगमन विधिय में आंकड़ों को एकबरत करना, उनका िगीकरण करना तर्ा विश्िेषण करना पड़ता है। अनेक बार इस विधिय में ननयजन्रत प्रयोग भी करने होते हैं। ये सब प्रयोग अत्यन्त िदटि एिं कदठन होते हैं। एक सामान्य िृद्धिय िािा व्यजक्त इस विधिय की कायथ प्रणािी को सरितापूिथक नहीं समझ सकता है। (2) पक्षपात का भय- आगमन विधिय में एक अन्िेषक पक्षपात कर सकता है। िह अपनी विचारयारा के अनुरूप प्रयोग की इकाइया चुन सकता है और इजच्छत ् ननष्कषथ ननकाि सकता है। इससिए कहा िाता है कक “आकड़े कु छ भी ससद्य कर सकते हैं और कु छ भी ससद्य नहीं कर सकते ।” अन्िेषक ननष्कषों को अपनी इच्छानुसार आिश्यक रूप दे सकता है। (3) ननष्कषथ अननजश्चत - इस विधिय द्िारा ननकािे गए ननष्कषों में अननजश्चतता की सम्भािना रहती है। स्त्ियं बोजडिग ने माना है कक “सांजययक सूचना के िि ऐसी बातें या ननष्कषों को प्रस्त्तुत कर सकती हैं जिनके होने की सम्भािना कम या अधियक होती है। िह पूणथत: ननजश्चत ननष्कषथ नहीं दे सकती है।”
  • 13. • (4) खचीिी- आगमन प्रणािी में ननष्कषों तक पहुचने के सिए विसभन्न प्रकार के आंकड़ों का संग्रह एिं प्रयोग करना आिश्यक होता है । इस कायथ के सिए गणकों एिं अन्िेषकों को रखना पड़ता है, जिसमें अत्यधियक समय एिं यन का व्यय होता है। इसी कारण यह विधिय अत्यधियक खचीिी होती है । • (5) सीसमत क्षेर के अििोकन पर आयाररत ननष्कषथ दोषपूणथ- आगमन प्रणािी के ननष्कषों की सत्यता आंकड़ों एिं प्रयोगों के क्षेर पर ननभथर करती है। यदद बहुत र्ोड़े से आंकड़ों एिं प्रयोगों के आयार पर कोई ननष्कषथ अर्िा ससद्यान्त प्रनतपाददत कर ददये िाते हैं तो िे िास्त्तविकता से दूर होते हैं। • (6) अर्थशास्त्र िैसे सामाजिक विज्ञानों के सिए कम उपयोगी- अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, जिसमें मानि व्यिहार पर ननयजन्रत प्रयोगों के सिए बहुत कम क्षेर होता है, इससिए इसका आधिर्थक विश्िेषण में अधियक प्रयोग नहीं हो सकता है। • (7) अर्थशास्त्र के विकास के सिए अपयाथप्त- यदद के िि इसी विधिय का प्रयोग आधिर्थक समस्त्याओं के समायान के सिए ककया िायेगा तो अर्थशास्त्र विषय का विकास रुक िायेगा क्योंकक अनेक समस्त्याएं इस विधिय से हि नहीं की िा सकती हैं।
  • 14. दोनों विधिययों में श्रेष्ठता के सम्बन्य में वििाद• आधिर्थक अध्ययन की दोनों विधिययों के गुणों एिं दोषों का अध्ययन करके यह कहा िा सकता है कक आधिर्थक अध्ययन में दोनों में से कोई भी अके िी विधिय श्रेष्ठ नहीं है। दोनों । के ही कु छ गुण एिं कु छ अिगुण देखने को समिते हैं । यद्यवप प्रनतजष्ठत अर्थशाजस्त्रयों ने ननगमन विधिय को श्रेष्ठ बताया र्ा तर्ा उन्होंने इस विधिय का समर्थन ककया र्ा, क्योंकक • (i) िे आधिर्थक ननयमों में अधियक ननजश्चतता िाना चाहते र्े, • (ii) िे अर्थशास्त्र एिं तकथ शास्त्र में गहरा सम्बन्य मानते र्े • (iii) उस समय सांजययकी का विकास नहीं हुआ र्ा, अतः आंकड़ों ि सूचनाओं का अभाि र्ा, तर्ा • (iv) िे मानि व्यिहार पर प्रयोग सम्भि नहीं मानते र्े, िबकक िमथन ऐनतहाससक सम्प्रदाय के अर्थशाजस्त्रयों ने आगमन प्रणािी का समर्थन करते हुए इसे श्रेष्ठ बताया र्ा क्योंकक • (i) सांजययकी का विकास हुआ, तर्ा • (ii) अर्थशाजस्त्रयों द्िारा व्यािहाररक प्रश्नों के हि करने की तीव्र आिश्यकता अनुभि की िाने िगी र्ी ।
  • 15. • परन्तु आि उपयुथक्त दोनों ही दृजष्टकोणों के विपरीत दोनों विधिययों को ही अर्थशास्त्र के अध्ययन के सिए आिश्यक माना िाता है। आि अर्थशाजस्त्रयों का यह मत है कक दोनों विधियया एक-दूसरे की प्रनतस्त्पयी नहीं हैं, बजडक दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। इन दोनों विधिययों के प्रयोग द्िारा ही हम सही तर्ा ननजश्चत ननष्कषथ प्राप्त कर सकते हैं । िहा दोनों का प्रयोग एक सार् हो सकता है िहा दोनों के प्रयोग द्िारा एक-दूसरे के ननष्कषों की िाच की िा सकती है। तर्ा ठीक ननष्कषथ पर पहुचा िा सकता है और िहा जिस एक ही विधिय का प्रयोग हो सकता है, िहा उसी का प्रयोग ककया िाना चादहए। आधिर्थक अध्ययन की इन विधिययों में चुनाि की आिश्यकता नहीं है, बजडक दोनों ही विधिययों का प्रयोग आिश्यक है। माशथि, बैगनर, कीन्स तर्ा श्मोिर िैसे अर्थशाजस्त्रयों ने अर्थशास्त्र के अध्ययन में दोनों ही विधिययों को आिश्यक माना है। माशथि ने ठीक ही कहा है “अन्िेषण की कोई भी एक ऐसी विधिय नहीं है, जिसे अर्थशास्त्र के अध्ययन की उधिचत विधिय कहा िा सके , िरन् प्रत्येक का यर्ास्त्र्ान अके िे या समधिश्रत रूप में प्रयोग ककया िाना चादहए।” श्मोिर का यह कर्न जिसे माशथि ने अपनी पुस्त्तक में उद्यृत ककया है, इस वििाद को हि करने में अधियक सही निर आता है। अर्थशास्त्र के िैज्ञाननक अध्ययन के सिए ननगमन एिं आगमन दोनों ही विधिययों की उसी प्रकार की आिश्यकता है जिस प्रकार चिने के सिए दायें तर्ा बायें पैरों की आिश्यकता होती है ।” बैगनर ने इन दोनों विधिययों के मध्य वििाद को समाप्त करते हुए सिखा है, "अर्थशास्त्र की विधिययों के इस िाद-वििाद का िास्त्तविक हि ननगमन तर्ा आगमन में से ककसी एक के चयन में नहीं िरन्। ननगमन एिं आगमन दोनों की स्त्िीकृ नत में है।” • ननष्कषथ- आि ननगमन एिं आगमन विधिययों के मध्य चुनाि अर्िा दोनों में से ककसी एक की श्रेष्ठता का वििाद समाप्त हो गया है तर्ा दोनों ही विधिययों को अर्थशास्त्र के अध्ययन में आिश्यक समझा िाता है ।