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 जिस बिन्दु पर वस्तु की कीमत पररवततनशील
लागत के िरािर या उससे थोडा भी कम हो िाती
है वह ीं उत्पादन िन्द बिन्दु (Shut Down Point)
प्राप्त होता है । कहने का अभभप्राय यह है
कक फर्म अल्पकाल में वस्तु की कीमत औसत
पररवततनशील लागत (AVC) से कम होते ह
उत्पादन िन्द कर देगी ।
 . अल्पकाल र्ें पूर्म प्रतियोगी फर्म का सन्िुलन (Short-
Term Equilibrium of Perfectly Competitive
Firm):
 हम यह अध्ययन कर चुके हैं कक अल्पकाल वह
समयावधि है जिसमें उत्पत्ति के समस्त सािनों को
पररवर्ततत नह ीं ककया िा सकता । अल्पकाल में उत्पत्ति
के कु छ सािन जस्थर एवीं अपररवततनीय रहते हैं ।
 अल्पकाल की इस समयावधि में के वल पररवततनशील
सािन (िैसे – श्रम, कच्चा माल आदद) में पररवततन
करके ह उत्पादन स्तर में कमी या वृद्धि की िा
सकती है । अल्पकाल इतनी सूक्ष्म समयावधि है कक
उद्योग में न तो अर्तररक्त फमें प्रवेश कर सकती हैं
और न ह उद्योग में कायत कर रह फमें उद्योग को
छोड सकती हैं ।
 सन्िुलन की शिों के आधार पर एक पूर्म प्रतियोगी
फर्म अल्पकाल र्ें तनम्नललखिि दशाओं र्ें रह
सकिी है:
 (i) लाभ की दशा (Profit Situation)
 (ii) सामान्य लाभ की दशा (Normal Profit
Situation)
 (iii) हार्न की दशा (Loss Situation)
 i) फर्म का अल्पकालीन सन्िुलन : लाभ की दशा
(Short-Term Equilibrium of Firm : Profit
Situation):
 धचत्र 14 में पूर्त प्रर्तयोगी फमत के अल्पकाल न लाभ की
दशा स्पष्ट की गयी है ।
 SAC तथा SMC क्रमशः अल्पकाल न औसत लागत वक्र
तथा अल्पकाल न सीमान्त आगम वक्र को प्रदभशतत करते
हैं । पूर्त प्रर्तयोधगता की दशाओीं के अनुसार सीमान्त
आगम (MR) तथा औसत आगम (AR) िरािर होते हैं
जिसे धचत्र में X-अक्ष के समानान्तर पडी रेखा के रूप में
ददखाया गया है ।

 सन्तुलन की शतों के अनुसार बिन्दु E पर फमत सन्तुलन
प्राप्त करेगी क्योंकक इस बिन्दु पर MR और MC िरािर
हैं तथा SMC वक्र MR वक्र को नीचे से काट रहा है ।
 सन्तुलन बिन्दु E पर,
 उत्पादन मात्रा = OQ
 प्रर्त इकाई कीमत = OP अथवा EQ
 औसत लागत = OR अथवा TQ
 प्रर्त इकाई लाभ = EQ – TQ = ET (अथवा PR)
 फमत का कु ल लाभ = प्रर्त इकाई लाभ × उत्पादन =
PRET क्षेत्रफल
 (ii) फर्म का अल्पकालीन सन्िुलन: सार्ान्य लाभ की
दशा (Short-Term Equilibrium of Firm: Normal
Profit Situation):
 यदद िािार में कीमत (मााँग एवीं पूर्तत दशाओीं द्वारा
र्निातररत उद्योग की कीमत) फमत की लागत दशाओीं की
तुलना में के वल इतनी ह है कक फमत की औसत लागत
(AC) तथा वस्तु की कीमत (AR) िरािर हों तो ऐसी
जस्थर्त फमत के भलए सामान्य लाभ (Normal Profit)
अथवा शून्य लाभ (Zero Profit) की होगी । इस जस्थर्त
को धचत्र 15 में ददखाया गया है ।

द्योग द्वारा र्निातररत कीमत OP है । औसत लागत वक्र तथा सीमान्त
लागत वक्र क्रमशः SAC तथा SMC द्वारा ददखाये गये हैं । सन्तुलन
की शतों के अनुसार फमत का सन्तुलन बिन्दु E पर होगा ।
 सन्तुलन बिन्दु E पर,
 ADVERTISEMENTS:
 उत्पादन मात्रा = OQ
 वस्तु की कीमत = OP अथवा EQ
 प्रर्त इकाई औसत लागत = OP अथवा EQ
 अथातत ्, औसत लागत = औसत आगम
 ADVERTISEMENTS:
 AC = AR
 बिन्दु E पर, AR = MR = SMC = SAC
 (iii) अल्पकालीन फर्म सन्िुलन : हातन की दशा
(Short-Term Equilibrium of Firm : Loss
Situation):
 ADVERTISEMENTS:
 कु छ पररजस्थर्तयााँ ऐसी भी हो सकती हैं कक प्रचभलत
िािार कीमत फमत की लागत से भी कम हो अथातत ् AR
वक्र रेखा औसत तथा सीमान्त लागत वक्रों से भी नीचे
जस्थत हो । ऐसी जस्थर्त में फमत को हार्न होगी । धचत्र
16 में अल्पकाल न हार्न की जस्थर्त को ददखाया गया है
। सन्तुलन की शतों के अनुसार फमत का सन्तुलन बिन्दु
E पर होगा िहााँ MR= MC ।
सन्तुलन बिन्दु E पर,
उत्पादन मात्रा = OQ
प्रर्त इकाई वस्तु की कीमत = OP
अथवा EQ
प्रर्त इकाई औसत लागत = OR अथवा
TQ
प्रर्त इकाई हार्न = PR अथवा TE
कु ल हार्न = RTEP क्षेत्र
 RTEP क्षेत्र फमत की कु ल हार्न को प्रदभशतत करता है
। हार्न के कारर् समान लागतों के अन्तगतत कायत
कर रह सभी फमें हार्न उठायेंगी । अनेक फमें
उद्योग से अलग होना चाहेंगी कक अल्पकाल फमों
को उद्योग से अलग होने की अनुमर्त नह ीं देगा ।
 यहााँ एक िात ध्यान देने योग्य यह है कक फमत E
बिन्दु पर सन्तुलन में होने के कारर् न्यूनतम हार्न
(Minimum Loss) ह उठा रह है । बिन्दु E पर
उत्पादन OQ है । यदद फमत उत्पादन मात्रा OQ में
पररवततन का प्रयास करती है तो र्नजचचत रूप से
यह अपेक्षाकृ त अधिक हार्न उठायेगी ।
 अल्पकालीन हातन : उत्पादन बन्द होने का बबन्दु
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 हार्न की जस्थर्त में फमत क्यों उत्पादन िार रखेगी ?
फमत क्यों नह ीं उत्पादन िन्द कर देती ? वास्तत्तवकता
यह है कक फमत अल्पकाल में एक त्तवशेष बिन्दु तक
उत्पादन में सलग्न रहती है ककन्तु उस बिन्दु त्तवशेष के
िाद भी यदद कीमत कम होती है तो फमत उत्पादन को
अल्पकाल में भी िन्द कर देगी ।
 अल्पकाल में एक फमत हार्न की जस्थर्त में उद्योग से
अलग नह ीं हो सकती । अल्पकाल में उत्पत्ति के समस्त
सािन पररवततनशील नह ीं होते । अल्पकाल इतनी लम्िी
समयावधि नह ीं होती कक फमत उत्पत्ति के समस्त सािनों
को अपनी आवचयकता तथा इच्छानुसार पररवर्ततत कर
सके ।
 फमत अल्पकाल में जस्थर उत्पत्ति सािनों, िैसे –
भूभम, पूाँिी, उपकरर् तथा मशीनें आदद को नह ीं
िदल सकती । फमत की उत्पादन लागत के अन्तगतत
अल्पकाल में पररवततनशील लागत (Variable Cost)
तथा जस्थर लागत (Fixed Cost) दोनों सजम्मभलत
होती हैं ।
 इस प्रकार अल्पकाल में,
 औसत लागत = औसत जस्थर लागत + औसत
पररवततनशील लागत
 या, AC = AFC + AVC
 अल्पकाल में उत्पादन िन्द होने की दशा की
व्याख्या धचत्र 17 में की गई है । धचत्र में
अल्पकाल न औसत लागत वक्र (SAC Curve) तथा
अल्पकाल न सीमान्त लागत वक्र (SMC Curve)
ददखाये गये हैं । धचत्र में औसत पररवततनशील
लागत वक्र (AVC Curve) भी प्रदभशतत ककया गया है
।
धचत्र में SAC तथा AVC वक्रों के मध्य खडी दूर (Vertical
Distance) औसत जस्थर लागत (AFC) को सूधचत करती है ।
दोनों वक्रों के मध्य खडी दूर उत्पादन के िढ़ने के साथ-साथ
कम होती िा रह है क्योंकक उत्पादन के िढ़ने पर औसत
जस्थर लागत धगरती िाती है । िि िािार में वस्तु की
कीमत OP1 है ति फमत का सन्तुलन बिन्दु E होगा तथा फमत
OQ1 वस्तु का उत्पादन कर रह होगी ।
सन्तुलन बिन्दु E पर,
वस्तु की कीमत = OP1 या EQ1
औसत लागत = KQ1
औसत पररवततनशील लागत = CQ1
औसत जस्थर लागत = KC
प्रर्त इकाई हार्न = KE
कु ल हार्न = RKEP1 क्षेत्र
 फमत बिन्दु E पर उत्पादन को िार रखेगी क्योंकक
फमत को प्राप्त वस्तु की कीमत OP1 जस्थर लागत
का EC भाग पूरा कर रह है । यदद फमत कु ल हार्न
RKEP1 क्षेत्र के कारर् अल्पकाल में उत्पादन िन्द
कर देती है तो वह प्रर्त इकाई KC हार्न उठायेगी
ििकक उत्पादन करते हुए वह के वल KE हार्न उठा
रह है िो KC से कम है । इस प्रकार फमत की हार्न
उत्पादन िार रखने पर उत्पादन िन्द कर देने की
तुलना में कम होगी ।
 यदद वस्तु की कीमत घटकर OP2 हो िाती है ति
फमत का सन्तुलन बिन्दु T पर होगा िहााँ फमत OQ
उत्पादन कर रह है ।
 बिन्दु T पर,
 वस्तु की कीमत = OP2 अथवा TQ
 औसत पररवततनशील लागत = TQ
 अथातत ्, वस्तु की कीमत = औसत पररवततनशील
लागत
 इस प्रकार, बिन्दु T पर फमत जस्थर लागत का कोई
भी भाग प्राप्त नह ीं कर रह है । इस बिन्दु पर फमत
तटस्थ (Indifferent) रहेगी क्योंकक फमत बिन्दु T पर
यदद उत्पादन िन्द कर देती है तो उसे कु ल जस्थर
लागतों के िरािर हार्न हो रह है ।
 वस्तु की कीमत OP2 पर फमत उत्पादन िार भी रख
सकती है और िन्द भी कर सकती है क्योंकक दोनों
जस्थर्तयों में फमत को एक समान हार्न हो रह है
ककन्तु यदद वस्तु की कीमत और घटकर OP3 हो
िाये तो फमत तुरन्त उत्पादन िन्द कर देगी क्योंकक
इस वस्तु की कीमत पर फमत अपनी पररवततनशील
लागतों को भी पूरा नह ीं कर रह है ।
 इस बिन्दु T को उत्पादन िन्द होने का बिन्दु (Shut
Down Point) कहा िाता है अथातत ् इस बिन्दु से
िैसे ह वस्तु की कीमत कम हो िाती है वैसे ह
फमत वस्तु का उत्पादन िन्द कर देती है ।
 (B) दीर्मकाल र्ें पूर्म प्रतियोगी फर्म का सन्िुलन
(Equilibrium of Perfectly Competitive Firm in Long-
Term):
 द घतकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पत्ति के सभी सािन,
उत्पादन तकनीक, प्लाण्ट का आकार आदद पूर्ततः
आवचयकतानुसार पररवर्ततत ककये िा सकते हैं । पूर्त
प्रर्तयोधगता में एक फमत द घतकाल में उत्पादन को मााँग के
अनुसार पूर्तरूपेर् समायोजित कर सकती है । द घतकाल
इतनी लम्िी समयावधि है कक कोई भी फमत उद्योग में प्रवेश
कर सकती है अथवा उद्योग को छोडकर अलग हो सकती है
।
 अतः द घतकाल में उद्योग में काम कर रह प्रत्येक फमत को
सामान्य लाभ (Normal Profit) ह प्राप्त होता है । द घतकाल
में यदद फमें लाभ अजितत कर रह हैं तो अन्य फमें लाभ से
आकत्तषतत होकर उस उद्योग में सजम्मभलत होंगी जिसके
कारर् उद्योग की पूर्तत में वृद्धि होगी ।
 पूर्तत अधिक होने पर कीमत घटेगी फलतः फमों का लाभ
सामान्य लाभ में िदल िायेगा । इसके त्तवपर त यदद फमों
को हार्न हो रह है तो अनेक फमें उद्योग छोड देंगी जिसके
कारर् पूर्तत में कमी होगी जिसके फलस्वरूप वस्तु की कीमत
िढ़ेगी, फलतः फमों को हो रह हार्न सामान्य लाभ में िदल
िायेगी ।
 दीर्मकाल र्ें सन्िुलन की दोहरी शिें पूरी होनी चाहहए:
 (i) MR = MC
 (ii) AR = AC
 अथातत्, AR = MR = AC = MC
 पूर्त प्रर्तयोगी फमत का द घतकाल न सन्तुलन धचत्र 18 में
ददखाया गया है । धचत्र में द घतकाल न सन्तुलन की शतें
बिन्दु E पर पूर हो रह हैं ।
 अथातत्, MR = AR = AC = MC

बिन्दु E पर,
प्रर्त इकाई कीमत = OP अथवा EQ
कु ल उत्पादन = OQ
औसत लागत = EQ
औसत लागत (AC) = औसत आगम (AR)
अथातत् फमत के वल सामान्य लाभ प्राप्त कर रह
है ।
यहााँ िात ध्यान देने योग्य है कक द घतकाल में
वस्तु की कीमत OP से कम या अधिक नह ीं हो
सकती क्योंकक इस कीमत पर फमत को सामान्य
लाभ प्राप्त हो रहा है । यदद वस्तु की कीमत
OP से अधिक होगी तो फमत को अधिक लाभ
प्राप्त होगा जिसके कारर् अन्य फमें उद्योग में
आकर लाभ को सामान्य लाभ में िदल देंगी ।
 इसके त्तवपर त, यदद वस्तु की कीमत OP से कम है
तो फमत को हार्न होगी जिसके कारर् कु छ फमें
उद्योग को छोड देंगी, फलतः हार्न पुनः सामान्य
लाभ में िदल िायेगी ।
 इस प्रकार, सींक्षेप में कहा िा सकता है कक द घतकाल
में पूर्त प्रर्तयोगी फमत सदैव सामान्य लाभ ह प्राप्त
करेगी । दूसरे शब्दों में, द घतकाल न सन्तुलन औसत
लागत वक्र (AC Curve) के न्यूनतम बिन्दु पर होगा
अथातत ् द ितकाल में फमत अनुकू लतम प्लाण्ट के
आकार (Optimum Plant Size) पर कायत करेगी ।

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  • 1.
  • 2.  जिस बिन्दु पर वस्तु की कीमत पररवततनशील लागत के िरािर या उससे थोडा भी कम हो िाती है वह ीं उत्पादन िन्द बिन्दु (Shut Down Point) प्राप्त होता है । कहने का अभभप्राय यह है कक फर्म अल्पकाल में वस्तु की कीमत औसत पररवततनशील लागत (AVC) से कम होते ह उत्पादन िन्द कर देगी ।
  • 3.  . अल्पकाल र्ें पूर्म प्रतियोगी फर्म का सन्िुलन (Short- Term Equilibrium of Perfectly Competitive Firm):  हम यह अध्ययन कर चुके हैं कक अल्पकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पत्ति के समस्त सािनों को पररवर्ततत नह ीं ककया िा सकता । अल्पकाल में उत्पत्ति के कु छ सािन जस्थर एवीं अपररवततनीय रहते हैं ।  अल्पकाल की इस समयावधि में के वल पररवततनशील सािन (िैसे – श्रम, कच्चा माल आदद) में पररवततन करके ह उत्पादन स्तर में कमी या वृद्धि की िा सकती है । अल्पकाल इतनी सूक्ष्म समयावधि है कक उद्योग में न तो अर्तररक्त फमें प्रवेश कर सकती हैं और न ह उद्योग में कायत कर रह फमें उद्योग को छोड सकती हैं ।
  • 4.  सन्िुलन की शिों के आधार पर एक पूर्म प्रतियोगी फर्म अल्पकाल र्ें तनम्नललखिि दशाओं र्ें रह सकिी है:  (i) लाभ की दशा (Profit Situation)  (ii) सामान्य लाभ की दशा (Normal Profit Situation)  (iii) हार्न की दशा (Loss Situation)
  • 5.  i) फर्म का अल्पकालीन सन्िुलन : लाभ की दशा (Short-Term Equilibrium of Firm : Profit Situation):  धचत्र 14 में पूर्त प्रर्तयोगी फमत के अल्पकाल न लाभ की दशा स्पष्ट की गयी है ।  SAC तथा SMC क्रमशः अल्पकाल न औसत लागत वक्र तथा अल्पकाल न सीमान्त आगम वक्र को प्रदभशतत करते हैं । पूर्त प्रर्तयोधगता की दशाओीं के अनुसार सीमान्त आगम (MR) तथा औसत आगम (AR) िरािर होते हैं जिसे धचत्र में X-अक्ष के समानान्तर पडी रेखा के रूप में ददखाया गया है । 
  • 6.
  • 7.  सन्तुलन की शतों के अनुसार बिन्दु E पर फमत सन्तुलन प्राप्त करेगी क्योंकक इस बिन्दु पर MR और MC िरािर हैं तथा SMC वक्र MR वक्र को नीचे से काट रहा है ।  सन्तुलन बिन्दु E पर,  उत्पादन मात्रा = OQ  प्रर्त इकाई कीमत = OP अथवा EQ  औसत लागत = OR अथवा TQ  प्रर्त इकाई लाभ = EQ – TQ = ET (अथवा PR)  फमत का कु ल लाभ = प्रर्त इकाई लाभ × उत्पादन = PRET क्षेत्रफल
  • 8.  (ii) फर्म का अल्पकालीन सन्िुलन: सार्ान्य लाभ की दशा (Short-Term Equilibrium of Firm: Normal Profit Situation):  यदद िािार में कीमत (मााँग एवीं पूर्तत दशाओीं द्वारा र्निातररत उद्योग की कीमत) फमत की लागत दशाओीं की तुलना में के वल इतनी ह है कक फमत की औसत लागत (AC) तथा वस्तु की कीमत (AR) िरािर हों तो ऐसी जस्थर्त फमत के भलए सामान्य लाभ (Normal Profit) अथवा शून्य लाभ (Zero Profit) की होगी । इस जस्थर्त को धचत्र 15 में ददखाया गया है । 
  • 9. द्योग द्वारा र्निातररत कीमत OP है । औसत लागत वक्र तथा सीमान्त लागत वक्र क्रमशः SAC तथा SMC द्वारा ददखाये गये हैं । सन्तुलन की शतों के अनुसार फमत का सन्तुलन बिन्दु E पर होगा ।
  • 10.  सन्तुलन बिन्दु E पर,  ADVERTISEMENTS:  उत्पादन मात्रा = OQ  वस्तु की कीमत = OP अथवा EQ  प्रर्त इकाई औसत लागत = OP अथवा EQ  अथातत ्, औसत लागत = औसत आगम  ADVERTISEMENTS:  AC = AR  बिन्दु E पर, AR = MR = SMC = SAC
  • 11.  (iii) अल्पकालीन फर्म सन्िुलन : हातन की दशा (Short-Term Equilibrium of Firm : Loss Situation):  ADVERTISEMENTS:  कु छ पररजस्थर्तयााँ ऐसी भी हो सकती हैं कक प्रचभलत िािार कीमत फमत की लागत से भी कम हो अथातत ् AR वक्र रेखा औसत तथा सीमान्त लागत वक्रों से भी नीचे जस्थत हो । ऐसी जस्थर्त में फमत को हार्न होगी । धचत्र 16 में अल्पकाल न हार्न की जस्थर्त को ददखाया गया है । सन्तुलन की शतों के अनुसार फमत का सन्तुलन बिन्दु E पर होगा िहााँ MR= MC ।
  • 12. सन्तुलन बिन्दु E पर, उत्पादन मात्रा = OQ प्रर्त इकाई वस्तु की कीमत = OP अथवा EQ प्रर्त इकाई औसत लागत = OR अथवा TQ प्रर्त इकाई हार्न = PR अथवा TE कु ल हार्न = RTEP क्षेत्र
  • 13.  RTEP क्षेत्र फमत की कु ल हार्न को प्रदभशतत करता है । हार्न के कारर् समान लागतों के अन्तगतत कायत कर रह सभी फमें हार्न उठायेंगी । अनेक फमें उद्योग से अलग होना चाहेंगी कक अल्पकाल फमों को उद्योग से अलग होने की अनुमर्त नह ीं देगा ।  यहााँ एक िात ध्यान देने योग्य यह है कक फमत E बिन्दु पर सन्तुलन में होने के कारर् न्यूनतम हार्न (Minimum Loss) ह उठा रह है । बिन्दु E पर उत्पादन OQ है । यदद फमत उत्पादन मात्रा OQ में पररवततन का प्रयास करती है तो र्नजचचत रूप से यह अपेक्षाकृ त अधिक हार्न उठायेगी ।
  • 14.  अल्पकालीन हातन : उत्पादन बन्द होने का बबन्दु (Short-Term Loss : Shut Down Point) :  हार्न की जस्थर्त में फमत क्यों उत्पादन िार रखेगी ? फमत क्यों नह ीं उत्पादन िन्द कर देती ? वास्तत्तवकता यह है कक फमत अल्पकाल में एक त्तवशेष बिन्दु तक उत्पादन में सलग्न रहती है ककन्तु उस बिन्दु त्तवशेष के िाद भी यदद कीमत कम होती है तो फमत उत्पादन को अल्पकाल में भी िन्द कर देगी ।  अल्पकाल में एक फमत हार्न की जस्थर्त में उद्योग से अलग नह ीं हो सकती । अल्पकाल में उत्पत्ति के समस्त सािन पररवततनशील नह ीं होते । अल्पकाल इतनी लम्िी समयावधि नह ीं होती कक फमत उत्पत्ति के समस्त सािनों को अपनी आवचयकता तथा इच्छानुसार पररवर्ततत कर सके ।
  • 15.  फमत अल्पकाल में जस्थर उत्पत्ति सािनों, िैसे – भूभम, पूाँिी, उपकरर् तथा मशीनें आदद को नह ीं िदल सकती । फमत की उत्पादन लागत के अन्तगतत अल्पकाल में पररवततनशील लागत (Variable Cost) तथा जस्थर लागत (Fixed Cost) दोनों सजम्मभलत होती हैं ।  इस प्रकार अल्पकाल में,  औसत लागत = औसत जस्थर लागत + औसत पररवततनशील लागत  या, AC = AFC + AVC
  • 16.  अल्पकाल में उत्पादन िन्द होने की दशा की व्याख्या धचत्र 17 में की गई है । धचत्र में अल्पकाल न औसत लागत वक्र (SAC Curve) तथा अल्पकाल न सीमान्त लागत वक्र (SMC Curve) ददखाये गये हैं । धचत्र में औसत पररवततनशील लागत वक्र (AVC Curve) भी प्रदभशतत ककया गया है ।
  • 17. धचत्र में SAC तथा AVC वक्रों के मध्य खडी दूर (Vertical Distance) औसत जस्थर लागत (AFC) को सूधचत करती है । दोनों वक्रों के मध्य खडी दूर उत्पादन के िढ़ने के साथ-साथ कम होती िा रह है क्योंकक उत्पादन के िढ़ने पर औसत जस्थर लागत धगरती िाती है । िि िािार में वस्तु की कीमत OP1 है ति फमत का सन्तुलन बिन्दु E होगा तथा फमत OQ1 वस्तु का उत्पादन कर रह होगी । सन्तुलन बिन्दु E पर, वस्तु की कीमत = OP1 या EQ1 औसत लागत = KQ1 औसत पररवततनशील लागत = CQ1 औसत जस्थर लागत = KC प्रर्त इकाई हार्न = KE कु ल हार्न = RKEP1 क्षेत्र
  • 18.  फमत बिन्दु E पर उत्पादन को िार रखेगी क्योंकक फमत को प्राप्त वस्तु की कीमत OP1 जस्थर लागत का EC भाग पूरा कर रह है । यदद फमत कु ल हार्न RKEP1 क्षेत्र के कारर् अल्पकाल में उत्पादन िन्द कर देती है तो वह प्रर्त इकाई KC हार्न उठायेगी ििकक उत्पादन करते हुए वह के वल KE हार्न उठा रह है िो KC से कम है । इस प्रकार फमत की हार्न उत्पादन िार रखने पर उत्पादन िन्द कर देने की तुलना में कम होगी ।  यदद वस्तु की कीमत घटकर OP2 हो िाती है ति फमत का सन्तुलन बिन्दु T पर होगा िहााँ फमत OQ उत्पादन कर रह है ।
  • 19.  बिन्दु T पर,  वस्तु की कीमत = OP2 अथवा TQ  औसत पररवततनशील लागत = TQ  अथातत ्, वस्तु की कीमत = औसत पररवततनशील लागत  इस प्रकार, बिन्दु T पर फमत जस्थर लागत का कोई भी भाग प्राप्त नह ीं कर रह है । इस बिन्दु पर फमत तटस्थ (Indifferent) रहेगी क्योंकक फमत बिन्दु T पर यदद उत्पादन िन्द कर देती है तो उसे कु ल जस्थर लागतों के िरािर हार्न हो रह है ।
  • 20.  वस्तु की कीमत OP2 पर फमत उत्पादन िार भी रख सकती है और िन्द भी कर सकती है क्योंकक दोनों जस्थर्तयों में फमत को एक समान हार्न हो रह है ककन्तु यदद वस्तु की कीमत और घटकर OP3 हो िाये तो फमत तुरन्त उत्पादन िन्द कर देगी क्योंकक इस वस्तु की कीमत पर फमत अपनी पररवततनशील लागतों को भी पूरा नह ीं कर रह है ।  इस बिन्दु T को उत्पादन िन्द होने का बिन्दु (Shut Down Point) कहा िाता है अथातत ् इस बिन्दु से िैसे ह वस्तु की कीमत कम हो िाती है वैसे ह फमत वस्तु का उत्पादन िन्द कर देती है ।
  • 21.  (B) दीर्मकाल र्ें पूर्म प्रतियोगी फर्म का सन्िुलन (Equilibrium of Perfectly Competitive Firm in Long- Term):  द घतकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पत्ति के सभी सािन, उत्पादन तकनीक, प्लाण्ट का आकार आदद पूर्ततः आवचयकतानुसार पररवर्ततत ककये िा सकते हैं । पूर्त प्रर्तयोधगता में एक फमत द घतकाल में उत्पादन को मााँग के अनुसार पूर्तरूपेर् समायोजित कर सकती है । द घतकाल इतनी लम्िी समयावधि है कक कोई भी फमत उद्योग में प्रवेश कर सकती है अथवा उद्योग को छोडकर अलग हो सकती है ।  अतः द घतकाल में उद्योग में काम कर रह प्रत्येक फमत को सामान्य लाभ (Normal Profit) ह प्राप्त होता है । द घतकाल में यदद फमें लाभ अजितत कर रह हैं तो अन्य फमें लाभ से आकत्तषतत होकर उस उद्योग में सजम्मभलत होंगी जिसके कारर् उद्योग की पूर्तत में वृद्धि होगी ।
  • 22.  पूर्तत अधिक होने पर कीमत घटेगी फलतः फमों का लाभ सामान्य लाभ में िदल िायेगा । इसके त्तवपर त यदद फमों को हार्न हो रह है तो अनेक फमें उद्योग छोड देंगी जिसके कारर् पूर्तत में कमी होगी जिसके फलस्वरूप वस्तु की कीमत िढ़ेगी, फलतः फमों को हो रह हार्न सामान्य लाभ में िदल िायेगी ।  दीर्मकाल र्ें सन्िुलन की दोहरी शिें पूरी होनी चाहहए:  (i) MR = MC  (ii) AR = AC  अथातत्, AR = MR = AC = MC  पूर्त प्रर्तयोगी फमत का द घतकाल न सन्तुलन धचत्र 18 में ददखाया गया है । धचत्र में द घतकाल न सन्तुलन की शतें बिन्दु E पर पूर हो रह हैं ।  अथातत्, MR = AR = AC = MC 
  • 23. बिन्दु E पर, प्रर्त इकाई कीमत = OP अथवा EQ कु ल उत्पादन = OQ औसत लागत = EQ औसत लागत (AC) = औसत आगम (AR) अथातत् फमत के वल सामान्य लाभ प्राप्त कर रह है । यहााँ िात ध्यान देने योग्य है कक द घतकाल में वस्तु की कीमत OP से कम या अधिक नह ीं हो सकती क्योंकक इस कीमत पर फमत को सामान्य लाभ प्राप्त हो रहा है । यदद वस्तु की कीमत OP से अधिक होगी तो फमत को अधिक लाभ प्राप्त होगा जिसके कारर् अन्य फमें उद्योग में आकर लाभ को सामान्य लाभ में िदल देंगी ।
  • 24.  इसके त्तवपर त, यदद वस्तु की कीमत OP से कम है तो फमत को हार्न होगी जिसके कारर् कु छ फमें उद्योग को छोड देंगी, फलतः हार्न पुनः सामान्य लाभ में िदल िायेगी ।  इस प्रकार, सींक्षेप में कहा िा सकता है कक द घतकाल में पूर्त प्रर्तयोगी फमत सदैव सामान्य लाभ ह प्राप्त करेगी । दूसरे शब्दों में, द घतकाल न सन्तुलन औसत लागत वक्र (AC Curve) के न्यूनतम बिन्दु पर होगा अथातत ् द ितकाल में फमत अनुकू लतम प्लाण्ट के आकार (Optimum Plant Size) पर कायत करेगी ।