rachana ke aadhaar par vaakyon ka bhed रचना के आधार पर वाय के भेद.pdfsurajkanojiya13
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रचना के आधार पर वाय के भेद
पर वाय के भेद
पद-परिचय- वाक्यगत शब्दों के रूप और उनका पारस्परिक संबंध बताने में जिस प्रक्रिया की आवश्यकता पड़ती है वह पद-परिचय या शब्दबोध कहलाता है।परिभाषा-वाक्यगत प्रत्येक पद (शब्द) का व्याकरण की दृष्टि से पूर्ण परिचय देना ही पद-परिचय कहलाता है।
शब्द आठ प्रकार के होते हैं-
1.संज्ञा- भेद, लिंग, वचन, कारक, क्रिया अथवा अन्य शब्दों से संबंध।
2.सर्वनाम- भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक, क्रिया अथवा अन्य शब्दों से संबंध। किस संज्ञा के स्थान पर आया है (यदि पता हो)।
3.क्रिया- भेद, लिंग, वचन, प्रयोग, धातु, काल, वाच्य, कर्ता और कर्म से संबंध।
4.विशेषण- भेद, लिंग, वचन और विशेष्य की विशेषता।
5.क्रिया-विशेषण- भेद, जिस क्रिया की विशेषता बताई गई हो उसके बारे में निर्देश।
6.संबंधबोधक- भेद, जिससे संबंध है उसका निर्देश।
7.समुच्चयबोधक- भेद, अन्वित शब्द, वाक्यांश या वाक्य।
8.विस्मयादिबोधक- भेद अर्थात कौन-सा भाव स्पष्ट कर रहा है
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1.संज्ञा- भेद, लिंग, वचन, कारक, क्रिया अथवा अन्य शब्दों से संबंध।
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ज्वालामुखी जिसके अंतर्गत वह सम्पूर्ण प्रक्रिया आ जाती है जिसके माध्यम से भू -गर्भ से मेग्मा भूतल की ओर आता है अथवा पृथ्वी के भीतरी भाग से जो दहकते हुए पदार्थ जिस मार्ग विशेष से निकलते है उसे ज्वालामुखीकहते हैं |
समृति class 9 sanchayan with images and writer detailsAyush kumar
Its a presentation on chapter smriti of sanchayan class 9.
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posted by- Aayush Kumar, Amity International school
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https://leverageedu.com/blog/hi/visheshan/
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HTML Basics
Welcome to HTML Basics. This workshop leads you through the basics of Hyper Text Markup Language (HTML). HTML is the building block for web pages. You will learn to use HTML to author an HTML page to display in a web browser.
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2. * मेरा नाम क्षितिज है।
* मैं रायगंज में रहिा हूँ।
* मैं शारदा विद्या मंददर में पढ़िा हूँ।
* मुझे खेलना बहुि पसंद अच्छा लगिा है।
इस प्रकाि अपने बािे में बताने को परिचय देना कहते हैं। जैसे हम अपना परिचय देते हैं,
ठीक उसी प्रकाि एक वाक्य में जजतने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ किता
है।वाक्य में जो शब्द होते हैं,उन्हें ‘पद’ कहते हैं।उन पदों का परिचय देना ‘पद परिचय’
कहलाता है।
पद परिचय में ककसी पद का पूर्ण व्याकिणर्क परिचय ददया जाता है।
व्याकिणर्क परिचय से तात्पयण है-- वाक्य में उस पद की जथितत बताना , उसका ललिंग ,
वचन , कािक तिा अन्य पदों के साि सिंबिंध बताना।
3. (1)पद पाूँच प्रकार के होिे हैं- संज्ञा ,
सिवनाम , विशेषण , क्रिया िथा
अव्यय ।
4. सिंज्ञा का पद परिचय
संज्ञा का पद पररचय देिे समय तनम्नललखखि पहलुओं की जानकारी देनी चादहए :--
1.संज्ञा का भेद
2.ललंग
3.िचन
4.कारक
5.क्रिया के साथ पद का संबंध
जैसे- अपूवाण पत्र ललखिी है।
अपूवाण -- व्यक्तििाचक संज्ञा, स्त्रीललंग, एकिचन, किाव कारक, 'ललखिी है' क्रिया का किाव।
पत्र -- जातििाचक , पुक््लंग , एकिचन , कमवकारक , ‘ललखिी है’ क्रिया का कमव।
5. सवणनाम का पद परिचय
सिवनाम का पद पररचय देिे समय तनम्नललखखि पहलुओं की जानकारी देनी चादहए:-
1.सिवनाम का भेद उपभेद
2.ललंग
3.िचन
4.कारक
5.क्रिया के साथ संबंध
जैसे- 1. गोल ने उसे बहुि मारा।
उसे --पुरूषिाचक सिवनाम,अन्य पुरूष,उभय ललंग,एकिचन,कमव कारक,‘मारा’ क्रिया का कमव।
2 .मेघा और हम मेला देखने गए।
हम - पुरूषिाचक सिवनाम,उत्तम पुरूष,पुक््लंग,
बहुिचन, किाव कारक ‘देखने गए’ क्रिया का किाव।
6. ववशेषर् का पद परिचय
विशेषण का पद पररचय देिे समय तनम्नललखखि पहलुओं की जानकारी देनी
चादहए:-
1.भेद,उपभेद
2.ललंग
3.िचन
4.कारक
5.विशेष्य
जैसे-
1.क्षितिज पहली किा में पढ़िा है।
*पहली- संख्यािाचक विशेषण , तनक्चचि संख्यािाचक विशेषण, स्त्रीललंग ,
एकिचन , अधधकरण कारक, ‘किा’ का विशेषण |
2. यह पुस्त्िक अप्प की है।
* यह - सािवनालमक विशेषण,स्त्रीललंग,
एकिचन,‘पुस्त्िक’ का विशेषण।
7. किया का पद परिचय
क्रिया का पद पररचय देिे समय तनम्नललखखि पहलुओं की जानकारी देनी चादहए:-
1.भेद (कमव के आधार पर)
2.ललंग
3.िचन
4.धािु
5.काल
6.किाव का संके ि
जैसे -
1 .क्स्त्नग्धा तनबंध ललखती है।
*ललखती है - सकमवकक्रिया, स्त्रीललंग, एकिचन, ‘ललख’धािु, ििवमानकाल, क्स्त्नगधा ससकी किाव
2. बच्चे रोज़ स्त्कल जाते हैं।
*जाते हैं- अकमवक क्रिया, पुक््लंग, बहुिचन,
‘जा’ धािु , ििवमान काल, ‘बच्चे’ ससके किाव ।
8. अव्यय : किया ववशेषर्
क्रिया विशेषण का पद पररचय देिे समय तनम्नललखखि पहलुओं की
जानकारी देनी चादहए:--
1.भेद
2.उपभेद
3.विशेष्य-क्रिया का तनदेश।
जैसे-
िीणा िोज सवेिे धीिे-धीिे टहलिी
है।
1. िोज सवेिे-क्रिया विशेषण, कालिाचक क्रिया विशेषण, ‘टहलिी है’
क्रिया का विशेषण
2 .धीिे धीिे-क्रिया विशेषण, रीतििाचक क्रिया विशेषण, ‘टहलिी है’
क्रिया की विशेषिा बिािा है।
9. अव्यय : समुच्चयबोधक (योजक)
समुच्चयबोधक का पद पररचय देिे समय तनम्नललखखि पहलुओं की
जानकारी देनी चादहए :--
1.भेद
2.उपभेद
3.संयुति शब्द अथिा िातय
जैसे-
1.देिजानी औि श्रेयांश भाई-बहन हैं।
* औि- समुच्चयबोधक अव्यय, समाधधकरण योजक, ‘देिजानी’ और
‘श्रेयांश’ शब्दों को लमला रहा है।
2. सभी लड़क्रकयाूँ खािी हैं जबकक प्लिी बचािी है।
*जबकक- समुच्चयबोधक अव्यय, व्यधधकरण योजक, ‘सभी
लड़क्रकयाूँ खािी हैं’, िथा ‘प्लिी बचािी है’ दो िातयों को लमला
रहा है।
10. अव्यय : सिंबिंधबोधक
संबंधबोधक का पद पररचय देिे समय तनम्नललखखि पहलुओं की जानकारी
देनी चादहए।
1.भेद
2.पदों/पदबंधों/िातयांशों से संबंध का तनदेश
जैसे-
1.हमारे विद्यालय के पीछे खेल का मैदान है।
* के पीछे - संबंधबोधक अव्यय, स्त्थानिाचक, ‘विद्यालय’ का
संबंध अन्य शब्दों से जोड़ने िाला।
2. चोट के कािर् राहुल खड़ा भी नहीं हो पा रहा ।
* के कािर्- संबंधबोधक अव्यय,कारण सचक,‘चोट’ का संबंध
अन्य शब्द से जोड़िा है।