http://spiritualworld.co.in बादशाह को भ्रम हो गया: श्री गुरु हरिगोबिंद जी जब ग्वालियर के किले में चालीसा काट रहे थे तो उनको चालीस दिन से भी ऊपर हो गए, तो सिखों को बहुत चिंता हुई| उन्हें यह चिंता सता रही थी कि बादशाह ने गुरु जी को बाहर क्यों नहीं बुलाया| उधर बादशाह को भी भ्रम हो गया| और उसे रात को डर लगना शुरू हो गया| वह रात को उठ उठ कर बैठता| दुबिस्तान मजाह्ब ने अपने पुस्तक में लिखा है कि हजारों सिख जो गुरु जी के रोज दर्शन करने आते थे और अन्य जो घर बैठे ही गुरु जी के दर्शन को तरस रहे थे उनकी आह और बदअसीस से बादशाह को भ्रम हो गया| बादशाह को भयानक शेर आदि की शक्ले रात के समय दिखाई देने लगी| जिसके कारण वह भयभीत होकर डर डर कर उठने लगा| एक दिन बादशाह ने पीर जलाल दीन को इसका कारण पूछा| पीर ने कहा तुमने किसी प्रभु के प्यारे को दुःख दिया है जिसका फल तुझे यह मिल रहा है| इसके पश्चात पीर मीया मीर जी ने भी दिल्ली जाकर बादशाह से उसके रोग का कारण यही बताया| more on http://spiritualworld.co.in