3. कवि परिचय :- उमाशंकर जोशी
का जन्म सन्१९११ में गुजरात में हुआ।
उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – विश्ि शांतत,
गंगोत्री, तनशीथ, प्राचीना, आततथ्य,
िसंत िर्ाा, महाप्रस्थान, अभिज्ञा(एकांकी);
सापनािरा, शहीद(कहानी);
श्रािनी मेणो, विसामो(उपन्यास);
पारंकाजण्या(तनबंध); गोष्ठी, उघाड़ीबारी,
क्ांतकवि, म्हारासॉनेट, स्िप्नप्रयाण(संपादन)।
बीसिीं सदी की गुजराती कविता और साहहत्य को नयी
िंगगमा और नया स्िर देनेिा्े उमाशंकर जोशी का
साहहत्त्यक अिदान पूरे िारतीय साहहत्य के भ्ए िी
महत्िपूणा है। उनको परंपरा का ज्ञान था।
4. कविता
छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज़ का एक पन्ना,
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज वहााँ बो गया।
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया नन:शेष;
शब्द के अंकु र फू टे,
पल्लव-पुष्पों से ननमत हुआ नवशेष।
5. कविता
झूमने लगे फल ,
रस अलौनकक,
अमृत धाराएाँ फू टतीं
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी कम नहीं होती।
रस का अक्ष्यय पात्र सदा का
छोटा मेरा खेत चौकोना।
- उमाशंकर जोशी
6. ‘ छोटा मेिा खेत ’ कविता में कवि ने रूपक मे माध्यम से अपने
कवि-कमा को कृ र्क के समान बताया है। ककसान अपने खेत में बीज
बोता है। बीज अंकु ररत होकर पौधा बनता है, किर पुत्ष्पत-पल््वित
हहकर जब पररपकित को प्राप्त होता है; तब उसकी कटाई होती है।
यह अन्न जनता का पेट िरता है। कवि कागज़ को अपना खेत
मानता है। ककसी क्षण आई िािनात्मक आँधी में िह इस कागज़ पर
बीज-िपन करता है।
कल्पना का आश्रय पाकर िाि विकभसत होता है। यही बीज का
अंकु रण है। शब्दों के अंकु र तनक्ते ही कृ तत ( रचना ) स्िरुप ग्रहण
करने ्गती है। इस अंकु रण से प्रस्िु हटत हुई रचना में अ्ौककक
रस होता है जो अनंत का् तक पाठक को
अपने में डुबाए रहता है। कवि ऐसी खेती करता है त्जसकी कविता
का रस किी समाप्त नहीं होता।
पाठ प्रिेश
7. कहठन शब्दों के अथा
अंधड़ – आँधी का तेज़ झोंका
तन:शेर् – पूरी तरह
नभमत – झुका हुआ
अ्ौककक – हदव्य, अद्िुत
अक्षय – किी न नष्ट होने िा्ा
पात्र - बतान
8. छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज़ का एक पन्ना,
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज वहााँ बोया गया।
मैं भी एक प्रकार का वकसान हूँ। कागज़ का एक पन्ना मेरे विए छोटे-से चौकोर खेत के
समान है। अंतर इतना ही है वक वकसान ज़मीन पर कु छ बोता है और मैं कागज़ पर कविता
उगाता हूँ।
विस प्रकार वकसान धरती पर फ़सि उगाने के विए कोई बीि उगाता है, उसी प्रकार मेरे
मन में अचानक आई आूँधी के समान कोई भाि रूपी बीि न िाने कहाूँ से चिा आता
है। िह भाि मेरे मन रूपी खेत में अचानक बोया िाता है।
9. जजस प्रकार धरती में बोया गया बीज जवजिन्न रसायनों – हवा, पानी, खाद आजद को पीकर स्वयं
को गला देता है और उसमें से अंकुर, पत्ते और पुष्प फूट पड़ते हैं; उसी प्रकार कजव के मन में उठे
हुए िाव कल्पना रूपी रसायन को पीकर उस िाव को अहंमुक्त कर लेते हैं, सववजन का जवषय बना
डालते हैं, सबकी अनुिूजत बना डालते हैं। तब शब्द रूपी अंकुर फूटते हैं।
कजवता िाव रूपी पत्तों और पुष्पों से लदकर जवशेष रूप से झुक जाती है। वह सबके जलए समजपवत
हो जाती है।
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया नन:शेष;
शब्द के अंकु र फू टे,
पल्लव-पुष्पों से ननमत हुआ नवशेष।
10. झूमने लगे फल ,
रस अलौजकक,
अमृत धाराएाँ फूटतीं
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा िी कम नहीं होती।
जब कजव के मन में पलने वाला िाव पककर कजवता रूपी फल के रूप में झूमने लगता है तो उसमें
से अद्भुत-अलौजकक रस झरने लगता है। आनंद की अमृत जैसी धाराएाँ फूटने लगती हैं।
सचमुच जकसी िाव का आरोपण एक जवशेष क्षण में अपने आप जदव्य प्रेरणा से हो जाया करता है,
परंतु कजवता के रूप में उसकी फ़सल अनंत काल तक जमलती रहती है। कजवता की फ़सल ऐसी
अनंत है जक उसे जजतना लुटाओ, वह खाली नहीं होती। वह युगों-युगों तक रस देती रहती है।
11. रस का अक्ष्यय पात्र सदा का
छोटा मेरा खेत चौकोना।
कवि के पास कागज़ रूपी िो चौकोर खेत है, िह रस का अक्षय पात्र है
विसमें भरा रस कभी समाप्त नहीं होता। कविता और उससे प्राप्त रस शाश्वत
होता है।
12. इस कविता में सांग रूपक का अत्यंत सुंदर प्रयोग वकया गया है। िहाूँ उपमेय में
उपमान का आरोप हो, रुपक कहिाता है। इस कविता में वनम्न रूपों में रुपक का
प्रयोग हुआ है –
उपमेय उपमान
1. कागज़ का एक पन्ना चौकोना खेत
2. भािनात्मक िोश अंधड़
3. विषय बीि
4. कल्पना रसायन
5. शब्द अंकु र
6. अिंकार-सौंदयय पल्िि-पुष्प
7. रस फि
8. आनंदपूणय भाि अमृत धाराएूँ
9. रस का अनुभि करना कटाई
13. • पाठ्य-पुस्तक के बोधात्मक
प्रश्न—
1. छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में
क्या अर्थ ननहहत है ?
२) िस का अक्षयपात्र से कवि ने िचनाकमथ की
ककन विशेषताओं की ओि इंगगत ककया है ?
३) िचना के संदर्थ में अंधड़ औि बीज क्या हैं ?
14. गृह - काया
1.अपनी कल्पना के सहािे व्यक्क्तगत र्ािनाओं
पि आधारित कोई एक कविता लिखखए।
२. कविता का र्ािार्थ अपने शब्दों में लिखखए।