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संचार के मूल मे चर धातु है, जिसका अर्थ है विचरण करना, एकिगह से दूसरी
िगह पहुुँचना। यह पहुुँचना मनुष्य,प्राणणयों, ध्िनन,चचत्र, प्रकाश ककसी का भी हो
सकता है।परंतु हम जिस संचार की बात कर रहे है उसका अर्थ है- मानि के
संदेशों को पहुुँचाना, पहुुँचाने से तात्पयथ है- संदेश भेिना और प्राप्त करना। यह
संचार मुख सेबोलकर, ललखकर तर्ा दृश्य-श्रव्य माध्यमों के सहारे होता है।
इसललए संचार की पररभाषा इस प्रकार की िा सकती है- सूचनाओं, विचारों, और
भािनाओं को ललणखत, मौणखक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के ज़ररए सललतापूिथक एक
िगह से दूसरी िगह पहुुँचाना ही संचारहै।
संचार स्ियं एक प्रकिया है, एक िगह से दूसरी िगह पहुुँचने की
प्रकियायह प्रकिया प्रायः ककसी प्राकृ नतक माध्यम के सहारे गनत
करती है। संचार माध्यम से आशय है- िे उपकरण या साधन िो
हमारे संदेश को पहुुँचाते है।
संचारकर्ाा
एन्कोड ंग
ड कोड ंगप्राप्र्कर्ाा
प्रतर्क्रिया
क्रकसी संदेश को भेजने वाला संचारक या स्त्रोर् कहलार्ा है ।
उसका प्रथम गुण है- संदेश की स्त्पष्टर्ा
उसका दूसरा गुण है- संदेश को प्राप्र्कर्ाा के अनुकू ल कू टीकृ र्
करने की क्षमर्ा ।
संदेश को भेजने के ललए शब्दों ,संके र्ों या ध्वतन चचरों का उपयोग
क्रकया जार्ा है । भाषा भी एक प्रकार का कू ट चचह्न हैं । अर्:
प्राप्र्कर्ाा को समझाने योग्य कू टों में संदेश को बााँधना
कू टीकरण या एनकोड ंग कहलार्ी हैं ।
कू टीकरण की उल्टी प्रक्रिया कू टवाचन कहलार्ी है । इसके माध्यम
से संदेश का प्राप्र्कर्ाा कू ट चचह्नों ,में बाँधे संदेश समझर्ा है ।
इसके ललए आवश्यक है क्ऱि प्राप्र्कर्ाा भी को का वही अथा
समझर्ा हो जो क्रक संचारक समझर्ा है।
• सांके नतक संचार:
संके तों द्िारा संदेश पहुुँचाना ,इनमे मनुष्य अपने अंगों का
अर्िा अन्य उपकरणों का प्रयोग करता है िैसे हार् िोड़ना,
पािं छू ना, हार् लमलाना आदद ।
• मौणखक संचार:
मुख द्िारा व्यक्त ध्िननयों के माध्यम से संदेश पहुुँचाना िैसे
टेलललोन, बातचीत, भाषण देना आदद ।
• अमौणखक संचार:
मौखिक संचार के अतर्ररक्र् अन्य सभी प्रकार के संचार साधन
अमौखिक संचार कहलार्े हैं जेसे : सांके नतक संचार , ललखिर्
संचार , चचत्र –कलल्म आदद द्िारा संचार ।
• अन्तः िैयजक्तक संचार
एक व्यक्क्र् का अपने आप से बार्चीर् करना अर्ः वैयक्क्र्क संचार है
मनुष्य अके ला होने पर भी अपने आप से बार्चीर् करर्ा है जैसे ायरी
लेिन, आत्मपरक वैयक्क्र्क कववर्ाओं से संचार करना ।
• अंतर िैयजक्तक संचार
यह दो व्यक्क्र्यों के बीच मे होर्ा है जैसे दो लमरों की बार्चीर्, मााँ - बेटी
की बार्चीर् या क्रकसी पररचचर्-अपररचचर् की बार्चीर् ।
• समूह संचार
जब एक व्यक्क्र् एक से अचधक व्यक्क्र्यों से बार् करर्ा है वह समूह
संचार होर्ा है | इसमे जो भी व्यक्क्र् भाव प्रकट करर्ा है वो समूह के ललए
होना चहहए| कक्षा में पढ़ाना, क्रकसी संस्त्था की बैठक, चचाा या भाषण समूह
संचार है।
• िन संचार
जन संचार नई सभ्यर्ा का शब्द है| जब से संचार में नई र्कनीकें
ववकलसर् हुई है, र्ब से यह शब्द प्रयोग मे आया है | जब हम क्रकसी समूह
के साथ प्रत्यक्ष संवाद करने के बजाए क्रकसी यांत्ररक माध्यम से संवाद
स्त्थावपर् करर्े हैं, उसे जन संचार कहर्े ह। जैसे समाचार पर, रेड यो,
क्रिल्म, दूरदशान आहद।
• सािथिननकता
इसमे संचारक और प्राप्र्कर्ाा के बीच में कोई सीधा
संबंध नही होर्ा। एक कायािम एक ही समय पर देश-
ववदेश मे लोग देि रहे होर्े हैं और सबकी उसमें रूचच
सावाजतनक महत्व के कारण होर्ी है।
• अत्यचधक व्यापकता
जन संचार माध्यमों के व्यापकर्ा की संभावना करोडों-
अरबों र्क हो सकर्ी है। क्रिके ट का िेल हो, ववशेष
राजनीतर्क-सामाक्जक अवसर हों, इनका दशान करोडों
लोग एक साथ करर्े है।
िन संचार के सभी माध्यम औपचाररक संगठन द्िारा
चलाए िाते है िैसे समाचार पत्र, रेडियो, दूरदशथन आदद।
िन संचार के माध्यमों से प्रकालशत या
प्रसाररत सामग्री की प्रनतकिया तुरंत नही
लमलती, प्रायः विविध प्रकार के सिेक्षणों या
श्रोताओं अर्िा दशथकों के पत्रों के माध्यम से
ही इनकी लोकवप्रयता या अरोचकता का ज्ञान
होता है ।
• वप्रंट मीड या का आशय है- छपाई वाले
संचार माध्यम
• इसे मुद्रण माध्यम भी कह सकर्े है
• इसके कु छ तनम्नललखिर् रूप हैं-
समाचार पर
पत्ररकाएाँ
पुस्त्र्कें
इक्श्र्हार, आहद
जन संचार का सबसे पहला, महत्वपूणा र्था
सवााचधक और ववस्त्र्ृर् माध्यम- समाचार पर
और पत्ररका है ।
समाचार पर का काया र्ीन भागों मे बााँटा है-
• समाचारों को संकललर् करना
• संपादन करना
• मुद्रण र्था प्रसारण करना
• परकाररर्ा शब्द का आरंभ समाचार पर और
पत्ररकाओं से हुआ. आजकल रेड यो, दूरदशान र्था नेट-
समाचार इसके अंर्गार् आर्ा है ।
• समाचारों को संकललर् करने वालों को साँववाददार्ाओं
के नाम से जाना जार्ा है ।
• समाचारों को छापने योग्य बनाने वाले ववभाग
संपादकीय ववभाग कहर्े है ।
• छापेिाने के आववष्कार का श्रेय जमानी के जोतनस
गूटेनबगा को है ।
• हहन्दी का पहला समाचार पर 1826 मे पंड र्
जुगलक्रकशोर शुक्ला द्वारा कोलकार्ा से प्रकालशर्
क्रकया गया ।
रेडियो िन संचार का सबसे सस्ता साधन है।
इसके चलते कलरते आुँख बंद करके भी आनंद ललया
िा सकता है।
टेलीविज़न संचार के क्षेत्र मे सबसे लोकवप्रय साधन
है ।
इसके सहारे शब्द, ध्िनन, दृश्य तीनों के प्रभाि का
सजममललत आनंद ललया िा सकता है।
देश-ववदेश में घटने वाली
घटनाओं को संकललर् करके
उन्हें समाचार के रूप में
संपाहदर् करने की ववधा को
परकाररर्ा कहर्े है ।
• खोिपरक पत्रकाररता :
सािथिननक महत्ि के भ्रष्टाचार और अननयमता को उिागर करने
के ललए खोिपरक पत्रकाररता का सहारा ललया िाता है। इसके
अंतगथत छु पाई िाने िाली सूचनाओं की गहरी िाुँच-पड़ताल की
िाती है।उसके प्रमाण एकत्र ककए िाते है तर्ा प्रकालशत ककया
िाता है ।
टेलीविज़न में इसे जस्टंग ऑपरेशन के रूप मे िाना िाता है।
अमेररका का िॉटरगेट कांि इसी पत्रकाररता का उदाहरण है।
• विशेषीकृ त पत्रकाररता :
ककसी विशेष क्षेत्र की गहरी िानकारी देते हुए उसका विश्लेषण
करना विशेषीकृ त पत्रकाररता के अंतगथत आता है। इसके अंतगथत
मुख्य ननमनललणखत क्षेत्र है- संसदीय पत्रकाररता, न्यायालय
पत्रकाररता, आचर्थक पत्रकाररता, खेल पत्रकाररता, विज्ञान और
विकास पत्रकाररता, अपराध पत्रकाररता, लै शन और कलल्म
पत्रकाररता।
• िॉचिॉग पत्रकाररता :
सरकार के काम काज पर तनगाह रिना और उसकी गडबडडयों का पदाािाश
करना वॉच ॉग परकाररर्ा है।
• एििोके सी पत्रकाररता :
क्रकसी खास ववचारधारा, मर् या घटना पर जनमर् बनाने के ललए अलभयान
चलाने वाली परकाररर्ा को पक्षधर परकाररर्ा या ए वोके सी परकाररर्ा कहा
जार्ा है।
• िैकजल्पक पत्रकाररता :
प्रायः सभी पर र्था परकार स्त्थावपर् व्यवस्त्था ओर माललकों के अनुकू ल चलर्े
है, परंर्ु मीड या स्त्थावपर् व्यवस्त्था के ववकल्प के रूप में अपनी सोच को
व्यक्र् करर्ा है र्ो उसे वैकक्ल्पक परकाररर्ा कहर्े है।
• पीत-पत्रकाररता :
सनसनी, चकाचोंध या ग्लॅमर िै लाने वाली परकाररर्ा को पीत-पत्रकाररता
या पेज-थ्री परकाररर्ा कहर्े हैं। भारर् में क्ब्लट्ज़ अखबार इसी कोहट का
अिबार है।
• पत्रकाररता का मूल तत्ि नयी सूचनायें प्रदान करना
है|
• पत्रकाररता का संबंध मुख्य रूप से समाचारों से है,
ककसी विचार, दटप्पणी, संपादकीय लेख, लोटो,
काटूथन आदद भी पत्रकाररता के अंतगथत आता है ।
• पत्रकाररता के माध्यम है- संपादकीय, लोटो
पत्रकाररता, काटूथन कोना, लेखांकन और काटगग्राल ।
 समाचार क्रकसी भी ऐसी र्ा़ा घटना, ववचार या
समस्त्या की ररपोटा है क्जसमें अचधक से अचधक
लोगों की रूचच हो और क्जसका अचधक से
अचधक लोगों पर प्रभाव पड रहा हो।
• निीनता
समाचार का नया होना बहुर् ़रूरी है। प्रायः हर समाचार-पर के ललए
वपछले 24 घंटे में घटीं घटना ही समाचार बनर्ी है। 24 घंटे से अचधक
समाचार पुराना हो जार्ा है, इस प्रकार 24 घंटे की अवचध को हम े लाइन
कह सकर्े है।
• ननकटता
समाचार के ललए आवश्यक है क्रक वह अपने पाठकों के जीवन से तनकटर्ा
से संबंचधर् हो। कोई समाचार उसके पाठकों के स्त्थान, प्रांर्, गली, जातर्,
धमा,व्यवसाय आहद से क्जर्नी करीब होगी उर्ना ही उसका महत्व होगा।
• प्रभाि क्षेत्र
समाचार के ललए आवश्यक है क्रक वह समाज के बडे वगा को प्रभाववर् करे,
के वल 100-150 लोगों को प्रभाववर् करने वाले समाचार में क्रकसी की रूचच
नहीं होर्ी।
• िनरुचच
समाचार पर जनरूचच के पारिी होर्े है, इसी कारण समाचार पर में िेल, क्रिल्म,
राजनीतर् आहद के समाचार होर्े हैं । हर समाचार पर का अपना एक ववशेष पाठक
वगा भी होर्ा है उसके अनुसार समाचारों का चयन होर्ा हैं ।
• संघषथ
लोगों की रूचच युद्ध , संघषा, चुनावी हार-जीर्, िेल के पररणाम आहद में होर्ी है,
इसीललए लोग यह सब काफी ध्यान से सुनर्े है।
• महत्िपूणथ लोग
लोग अपने समय के महत्वपूणा और जाने माने लोगों के बारे में जानने के इच्छु क होर्े
है। जैसे क्रकसी क्रिके टर की शादी भी हो जाए र्ो लोग उसको बहुर् रूचच से देिर्े
है।
• उपयोचग िानकारियां
लोगों की रूचच त्रबजली के आने जाने, मौसम र्था स्त्कू लों के िुलने बंद होने की
जानकारी में भी होर्ी है। अर्ः यह जानकारी भी समाचार पर में होनी चाहहए।
• अनोखापन
अनोिपन ववववध नये और अद्भुर् समाचारों को जन्म देर्ा है जैसे क्रकसी ववचचर बच्चे
का जन्म, लोग ऐसे समाचारों में रूचच रिर्े है।
• नीनतगत ढांचा
आजकल समाचार पर क्रकसी न क्रकसी समाचार संगठन द्वारा चलाए जार्े है। वे अपनी
संपादकीय नीतर् के बल पर ही समाचारों का चयन करर्े है। जो समाचार उनकी
नीतर्यों के अनुकू ल होर्े है, उन्हे प्रमुिर्ा से छापर्े है।
- ये पत्रकार ककसी समाचार संगठन
के ललए ननयलमत काम करने िाले िेतनभोगी पत्रकार
होते है।
- यह पत्रकार ककसी समाचार संगठन
के ललय ननजश्चत मानदेय के आधार पर काम करते है।
यह एक से अचधक पत्रों के ललए भी काम करते
-यह पत्रकार ककसी भी विशेष समाचार पत्र या
संगठन के िेतनभोगी नहीं होते, यह भुगतान के आधार
पर अलग-अलग समाचार पत्रों के ललए काम करते है।
समाचार लेखन के मुख्य लोग- समाचार एकत्र करने
िाले सिादाता और उन्हे छापने िाले संपादक मंिल|
समाचार ललखने की शैली को उल्टा वपरालमि शैली
कहते है, जिसके अंतगथत सबसे महत्िपूणथ बात सबसे
पहले ललखी िाती है।
समाचार लेखन के 6 ककार -
क्या,कब,कहाुँ,कौन,कै से, क्यों हैं ।
समाचार लेखन के तीन अंग- शीषथक, मुखड़ा,ननकाय
है ।
• इनमें स्र्ानयत्ि होता है।
• इन्हें धीरे-धीरे पढ़ सकते है।
• एक समाचार को अनेक बार ककसी भी िम से
पढ़ा िा सकता है ।
• इसकी भाषा अनुशालसत तर्ा शुद्ध होती है।
आि कं प्यूटर की सहायता से इंटरनेट यानी
विश्िव्यापी अंतिाथल पर समाचार प्रकलशत
ककए िाते है।
पत्रकाररता के अंतगथत िो िो काम ककए िाते
है, िे सब इंटरनेट के माध्यम से भी ककए
िाते है।
इसी को इंटरनेट पत्रकाररता, ऑनलाइन
पत्रकाररता, साइबर पत्रकाररता या िेब
पत्रकाररता कहते है।
• दहन्दी िेबज़गत की सहायक पत्रत्रकाएुँ- अनुभूनत,
अलभव्यजक्त, दहन्दी नेस्ट, सराय हैं ।
• िेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकाररता तहलका
िॉटकॉम ने शुरू ककया ।
• भारत में िेबसाइट िो ननयलमत रूप से अपिेट
होती हैं- दहंदू, टाइमस ऑल इंडिया, आउटलुक,
इंडियन एक्सप्रेस, एन.िी.टी .िी, आितक, ज़ी
न्यूज़ हैं ।
• भारत के समाचार पत्र िो इंटरनेट पर उपलब्ध है-
टाइमस ऑल इंडिया, दहन्दुस्तान टाइमस, इंडियन
एक्सप्रेस, दहंदू, स्टेटस्मेन,दिब्युन, आितक,
आउटलुक, आई.त्रब.एन, एन.िी.टी .िी हैं ।
• इंटरनेट पत्रकाररता में मुद्रण पत्रकाररता, रेडियो
पत्रकाररता तर्ा टेलीविज़न पत्रकाररता- तीनों का
संगम है।
• इसमें शब्द, ध्िनन और दृश्य तीनों का प्रयोग होता
है।
• इसकी सबसे विलशष्ट योग्यता यह है कक इसपर
प्रसाररत समाचार हर दो घंटे के बाद अपिेट होते है।
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  • 2. संचार के मूल मे चर धातु है, जिसका अर्थ है विचरण करना, एकिगह से दूसरी िगह पहुुँचना। यह पहुुँचना मनुष्य,प्राणणयों, ध्िनन,चचत्र, प्रकाश ककसी का भी हो सकता है।परंतु हम जिस संचार की बात कर रहे है उसका अर्थ है- मानि के संदेशों को पहुुँचाना, पहुुँचाने से तात्पयथ है- संदेश भेिना और प्राप्त करना। यह संचार मुख सेबोलकर, ललखकर तर्ा दृश्य-श्रव्य माध्यमों के सहारे होता है। इसललए संचार की पररभाषा इस प्रकार की िा सकती है- सूचनाओं, विचारों, और भािनाओं को ललणखत, मौणखक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के ज़ररए सललतापूिथक एक िगह से दूसरी िगह पहुुँचाना ही संचारहै। संचार स्ियं एक प्रकिया है, एक िगह से दूसरी िगह पहुुँचने की प्रकियायह प्रकिया प्रायः ककसी प्राकृ नतक माध्यम के सहारे गनत करती है। संचार माध्यम से आशय है- िे उपकरण या साधन िो हमारे संदेश को पहुुँचाते है।
  • 3. संचारकर्ाा एन्कोड ंग ड कोड ंगप्राप्र्कर्ाा प्रतर्क्रिया
  • 4. क्रकसी संदेश को भेजने वाला संचारक या स्त्रोर् कहलार्ा है । उसका प्रथम गुण है- संदेश की स्त्पष्टर्ा उसका दूसरा गुण है- संदेश को प्राप्र्कर्ाा के अनुकू ल कू टीकृ र् करने की क्षमर्ा । संदेश को भेजने के ललए शब्दों ,संके र्ों या ध्वतन चचरों का उपयोग क्रकया जार्ा है । भाषा भी एक प्रकार का कू ट चचह्न हैं । अर्: प्राप्र्कर्ाा को समझाने योग्य कू टों में संदेश को बााँधना कू टीकरण या एनकोड ंग कहलार्ी हैं । कू टीकरण की उल्टी प्रक्रिया कू टवाचन कहलार्ी है । इसके माध्यम से संदेश का प्राप्र्कर्ाा कू ट चचह्नों ,में बाँधे संदेश समझर्ा है । इसके ललए आवश्यक है क्ऱि प्राप्र्कर्ाा भी को का वही अथा समझर्ा हो जो क्रक संचारक समझर्ा है।
  • 5.
  • 6. • सांके नतक संचार: संके तों द्िारा संदेश पहुुँचाना ,इनमे मनुष्य अपने अंगों का अर्िा अन्य उपकरणों का प्रयोग करता है िैसे हार् िोड़ना, पािं छू ना, हार् लमलाना आदद । • मौणखक संचार: मुख द्िारा व्यक्त ध्िननयों के माध्यम से संदेश पहुुँचाना िैसे टेलललोन, बातचीत, भाषण देना आदद । • अमौणखक संचार: मौखिक संचार के अतर्ररक्र् अन्य सभी प्रकार के संचार साधन अमौखिक संचार कहलार्े हैं जेसे : सांके नतक संचार , ललखिर् संचार , चचत्र –कलल्म आदद द्िारा संचार ।
  • 7. • अन्तः िैयजक्तक संचार एक व्यक्क्र् का अपने आप से बार्चीर् करना अर्ः वैयक्क्र्क संचार है मनुष्य अके ला होने पर भी अपने आप से बार्चीर् करर्ा है जैसे ायरी लेिन, आत्मपरक वैयक्क्र्क कववर्ाओं से संचार करना । • अंतर िैयजक्तक संचार यह दो व्यक्क्र्यों के बीच मे होर्ा है जैसे दो लमरों की बार्चीर्, मााँ - बेटी की बार्चीर् या क्रकसी पररचचर्-अपररचचर् की बार्चीर् । • समूह संचार जब एक व्यक्क्र् एक से अचधक व्यक्क्र्यों से बार् करर्ा है वह समूह संचार होर्ा है | इसमे जो भी व्यक्क्र् भाव प्रकट करर्ा है वो समूह के ललए होना चहहए| कक्षा में पढ़ाना, क्रकसी संस्त्था की बैठक, चचाा या भाषण समूह संचार है। • िन संचार जन संचार नई सभ्यर्ा का शब्द है| जब से संचार में नई र्कनीकें ववकलसर् हुई है, र्ब से यह शब्द प्रयोग मे आया है | जब हम क्रकसी समूह के साथ प्रत्यक्ष संवाद करने के बजाए क्रकसी यांत्ररक माध्यम से संवाद स्त्थावपर् करर्े हैं, उसे जन संचार कहर्े ह। जैसे समाचार पर, रेड यो, क्रिल्म, दूरदशान आहद।
  • 8. • सािथिननकता इसमे संचारक और प्राप्र्कर्ाा के बीच में कोई सीधा संबंध नही होर्ा। एक कायािम एक ही समय पर देश- ववदेश मे लोग देि रहे होर्े हैं और सबकी उसमें रूचच सावाजतनक महत्व के कारण होर्ी है। • अत्यचधक व्यापकता जन संचार माध्यमों के व्यापकर्ा की संभावना करोडों- अरबों र्क हो सकर्ी है। क्रिके ट का िेल हो, ववशेष राजनीतर्क-सामाक्जक अवसर हों, इनका दशान करोडों लोग एक साथ करर्े है।
  • 9. िन संचार के सभी माध्यम औपचाररक संगठन द्िारा चलाए िाते है िैसे समाचार पत्र, रेडियो, दूरदशथन आदद। िन संचार के माध्यमों से प्रकालशत या प्रसाररत सामग्री की प्रनतकिया तुरंत नही लमलती, प्रायः विविध प्रकार के सिेक्षणों या श्रोताओं अर्िा दशथकों के पत्रों के माध्यम से ही इनकी लोकवप्रयता या अरोचकता का ज्ञान होता है ।
  • 10. • वप्रंट मीड या का आशय है- छपाई वाले संचार माध्यम • इसे मुद्रण माध्यम भी कह सकर्े है • इसके कु छ तनम्नललखिर् रूप हैं- समाचार पर पत्ररकाएाँ पुस्त्र्कें इक्श्र्हार, आहद
  • 11. जन संचार का सबसे पहला, महत्वपूणा र्था सवााचधक और ववस्त्र्ृर् माध्यम- समाचार पर और पत्ररका है । समाचार पर का काया र्ीन भागों मे बााँटा है- • समाचारों को संकललर् करना • संपादन करना • मुद्रण र्था प्रसारण करना
  • 12. • परकाररर्ा शब्द का आरंभ समाचार पर और पत्ररकाओं से हुआ. आजकल रेड यो, दूरदशान र्था नेट- समाचार इसके अंर्गार् आर्ा है । • समाचारों को संकललर् करने वालों को साँववाददार्ाओं के नाम से जाना जार्ा है । • समाचारों को छापने योग्य बनाने वाले ववभाग संपादकीय ववभाग कहर्े है । • छापेिाने के आववष्कार का श्रेय जमानी के जोतनस गूटेनबगा को है । • हहन्दी का पहला समाचार पर 1826 मे पंड र् जुगलक्रकशोर शुक्ला द्वारा कोलकार्ा से प्रकालशर् क्रकया गया ।
  • 13. रेडियो िन संचार का सबसे सस्ता साधन है। इसके चलते कलरते आुँख बंद करके भी आनंद ललया िा सकता है। टेलीविज़न संचार के क्षेत्र मे सबसे लोकवप्रय साधन है । इसके सहारे शब्द, ध्िनन, दृश्य तीनों के प्रभाि का सजममललत आनंद ललया िा सकता है।
  • 14. देश-ववदेश में घटने वाली घटनाओं को संकललर् करके उन्हें समाचार के रूप में संपाहदर् करने की ववधा को परकाररर्ा कहर्े है ।
  • 15. • खोिपरक पत्रकाररता : सािथिननक महत्ि के भ्रष्टाचार और अननयमता को उिागर करने के ललए खोिपरक पत्रकाररता का सहारा ललया िाता है। इसके अंतगथत छु पाई िाने िाली सूचनाओं की गहरी िाुँच-पड़ताल की िाती है।उसके प्रमाण एकत्र ककए िाते है तर्ा प्रकालशत ककया िाता है । टेलीविज़न में इसे जस्टंग ऑपरेशन के रूप मे िाना िाता है। अमेररका का िॉटरगेट कांि इसी पत्रकाररता का उदाहरण है। • विशेषीकृ त पत्रकाररता : ककसी विशेष क्षेत्र की गहरी िानकारी देते हुए उसका विश्लेषण करना विशेषीकृ त पत्रकाररता के अंतगथत आता है। इसके अंतगथत मुख्य ननमनललणखत क्षेत्र है- संसदीय पत्रकाररता, न्यायालय पत्रकाररता, आचर्थक पत्रकाररता, खेल पत्रकाररता, विज्ञान और विकास पत्रकाररता, अपराध पत्रकाररता, लै शन और कलल्म पत्रकाररता।
  • 16. • िॉचिॉग पत्रकाररता : सरकार के काम काज पर तनगाह रिना और उसकी गडबडडयों का पदाािाश करना वॉच ॉग परकाररर्ा है। • एििोके सी पत्रकाररता : क्रकसी खास ववचारधारा, मर् या घटना पर जनमर् बनाने के ललए अलभयान चलाने वाली परकाररर्ा को पक्षधर परकाररर्ा या ए वोके सी परकाररर्ा कहा जार्ा है। • िैकजल्पक पत्रकाररता : प्रायः सभी पर र्था परकार स्त्थावपर् व्यवस्त्था ओर माललकों के अनुकू ल चलर्े है, परंर्ु मीड या स्त्थावपर् व्यवस्त्था के ववकल्प के रूप में अपनी सोच को व्यक्र् करर्ा है र्ो उसे वैकक्ल्पक परकाररर्ा कहर्े है। • पीत-पत्रकाररता : सनसनी, चकाचोंध या ग्लॅमर िै लाने वाली परकाररर्ा को पीत-पत्रकाररता या पेज-थ्री परकाररर्ा कहर्े हैं। भारर् में क्ब्लट्ज़ अखबार इसी कोहट का अिबार है।
  • 17. • पत्रकाररता का मूल तत्ि नयी सूचनायें प्रदान करना है| • पत्रकाररता का संबंध मुख्य रूप से समाचारों से है, ककसी विचार, दटप्पणी, संपादकीय लेख, लोटो, काटूथन आदद भी पत्रकाररता के अंतगथत आता है । • पत्रकाररता के माध्यम है- संपादकीय, लोटो पत्रकाररता, काटूथन कोना, लेखांकन और काटगग्राल ।
  • 18.  समाचार क्रकसी भी ऐसी र्ा़ा घटना, ववचार या समस्त्या की ररपोटा है क्जसमें अचधक से अचधक लोगों की रूचच हो और क्जसका अचधक से अचधक लोगों पर प्रभाव पड रहा हो।
  • 19. • निीनता समाचार का नया होना बहुर् ़रूरी है। प्रायः हर समाचार-पर के ललए वपछले 24 घंटे में घटीं घटना ही समाचार बनर्ी है। 24 घंटे से अचधक समाचार पुराना हो जार्ा है, इस प्रकार 24 घंटे की अवचध को हम े लाइन कह सकर्े है। • ननकटता समाचार के ललए आवश्यक है क्रक वह अपने पाठकों के जीवन से तनकटर्ा से संबंचधर् हो। कोई समाचार उसके पाठकों के स्त्थान, प्रांर्, गली, जातर्, धमा,व्यवसाय आहद से क्जर्नी करीब होगी उर्ना ही उसका महत्व होगा। • प्रभाि क्षेत्र समाचार के ललए आवश्यक है क्रक वह समाज के बडे वगा को प्रभाववर् करे, के वल 100-150 लोगों को प्रभाववर् करने वाले समाचार में क्रकसी की रूचच नहीं होर्ी।
  • 20. • िनरुचच समाचार पर जनरूचच के पारिी होर्े है, इसी कारण समाचार पर में िेल, क्रिल्म, राजनीतर् आहद के समाचार होर्े हैं । हर समाचार पर का अपना एक ववशेष पाठक वगा भी होर्ा है उसके अनुसार समाचारों का चयन होर्ा हैं । • संघषथ लोगों की रूचच युद्ध , संघषा, चुनावी हार-जीर्, िेल के पररणाम आहद में होर्ी है, इसीललए लोग यह सब काफी ध्यान से सुनर्े है। • महत्िपूणथ लोग लोग अपने समय के महत्वपूणा और जाने माने लोगों के बारे में जानने के इच्छु क होर्े है। जैसे क्रकसी क्रिके टर की शादी भी हो जाए र्ो लोग उसको बहुर् रूचच से देिर्े है। • उपयोचग िानकारियां लोगों की रूचच त्रबजली के आने जाने, मौसम र्था स्त्कू लों के िुलने बंद होने की जानकारी में भी होर्ी है। अर्ः यह जानकारी भी समाचार पर में होनी चाहहए। • अनोखापन अनोिपन ववववध नये और अद्भुर् समाचारों को जन्म देर्ा है जैसे क्रकसी ववचचर बच्चे का जन्म, लोग ऐसे समाचारों में रूचच रिर्े है। • नीनतगत ढांचा आजकल समाचार पर क्रकसी न क्रकसी समाचार संगठन द्वारा चलाए जार्े है। वे अपनी संपादकीय नीतर् के बल पर ही समाचारों का चयन करर्े है। जो समाचार उनकी नीतर्यों के अनुकू ल होर्े है, उन्हे प्रमुिर्ा से छापर्े है।
  • 21. - ये पत्रकार ककसी समाचार संगठन के ललए ननयलमत काम करने िाले िेतनभोगी पत्रकार होते है। - यह पत्रकार ककसी समाचार संगठन के ललय ननजश्चत मानदेय के आधार पर काम करते है। यह एक से अचधक पत्रों के ललए भी काम करते -यह पत्रकार ककसी भी विशेष समाचार पत्र या संगठन के िेतनभोगी नहीं होते, यह भुगतान के आधार पर अलग-अलग समाचार पत्रों के ललए काम करते है।
  • 22. समाचार लेखन के मुख्य लोग- समाचार एकत्र करने िाले सिादाता और उन्हे छापने िाले संपादक मंिल| समाचार ललखने की शैली को उल्टा वपरालमि शैली कहते है, जिसके अंतगथत सबसे महत्िपूणथ बात सबसे पहले ललखी िाती है। समाचार लेखन के 6 ककार - क्या,कब,कहाुँ,कौन,कै से, क्यों हैं । समाचार लेखन के तीन अंग- शीषथक, मुखड़ा,ननकाय है ।
  • 23. • इनमें स्र्ानयत्ि होता है। • इन्हें धीरे-धीरे पढ़ सकते है। • एक समाचार को अनेक बार ककसी भी िम से पढ़ा िा सकता है । • इसकी भाषा अनुशालसत तर्ा शुद्ध होती है।
  • 24. आि कं प्यूटर की सहायता से इंटरनेट यानी विश्िव्यापी अंतिाथल पर समाचार प्रकलशत ककए िाते है। पत्रकाररता के अंतगथत िो िो काम ककए िाते है, िे सब इंटरनेट के माध्यम से भी ककए िाते है। इसी को इंटरनेट पत्रकाररता, ऑनलाइन पत्रकाररता, साइबर पत्रकाररता या िेब पत्रकाररता कहते है।
  • 25. • दहन्दी िेबज़गत की सहायक पत्रत्रकाएुँ- अनुभूनत, अलभव्यजक्त, दहन्दी नेस्ट, सराय हैं । • िेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकाररता तहलका िॉटकॉम ने शुरू ककया । • भारत में िेबसाइट िो ननयलमत रूप से अपिेट होती हैं- दहंदू, टाइमस ऑल इंडिया, आउटलुक, इंडियन एक्सप्रेस, एन.िी.टी .िी, आितक, ज़ी न्यूज़ हैं । • भारत के समाचार पत्र िो इंटरनेट पर उपलब्ध है- टाइमस ऑल इंडिया, दहन्दुस्तान टाइमस, इंडियन एक्सप्रेस, दहंदू, स्टेटस्मेन,दिब्युन, आितक, आउटलुक, आई.त्रब.एन, एन.िी.टी .िी हैं ।
  • 26. • इंटरनेट पत्रकाररता में मुद्रण पत्रकाररता, रेडियो पत्रकाररता तर्ा टेलीविज़न पत्रकाररता- तीनों का संगम है। • इसमें शब्द, ध्िनन और दृश्य तीनों का प्रयोग होता है। • इसकी सबसे विलशष्ट योग्यता यह है कक इसपर प्रसाररत समाचार हर दो घंटे के बाद अपिेट होते है।